“मैं चुपचाप सुनती रही, धीरेधीरे कर उस की बातें दिमाग में बैठ ही गईं. मैं उस के कहे अनुसार कर बैठी. उस रोज एकएक कर 4 लोगों के साथ मुझे सुला दिया. शाम होने पर उस ने मेरी हथेली पर 12 हजार रुपए रख दिए और बोली, ‘कल आना.’
…मेरी एक नजर पैसे पर गई और दूसरी बार भरी नजर से वंदना को देखा और बगैर कुछ कहे देवास लौट गई.’’
“यानी कि वंदना और तुम्हारे बारे में मुझे मिली जानकारी गलत नहीं थी. तुम्हारे बयान से सबूत मिल गया…लेकिन वंदना की हत्या किस ने की? वह तुम्हारी पक्की सहेली थी, तुम दोनों एक ही धंधे में उतर आई थी, फिर उसे किस ने मार डाला, उस के पति ने या फिर कोई और? सचसच बताना.’’ शुक्ला ने नैना की बातों की और तह में जाने के लिए प्यार से पूछा.
“वह मैं नहीं जानती साहब, मैं सिर्फ अपने बारे में बता सकती हूं. उस की किस से क्या नाराजगी थी, कौन उस का दुश्मन था, मुझे क्या मालूम? मैं तो उस के इशारे पर रूम सर्विस दिया करती थी और शाम को अपने घर लौट जाती थी. “हां, उस ने इस धंधे में ग्राहक की जेब से पैसे निकालने के नुस्खे बता दिए थे. सैक्स के विदेशी तौरतरीके सिखा दिए थे. जिस से मैं मर्दों के सैक्स की भूख और उन की चाहत को अच्छी तरह जान गई थी. कई बार बिना सैक्स किए ही कुछ समय बिताने के पैसे मिल जाते थे. जिस से अच्छी आमदनी होने लगी थी और उस का कमीशन भी अच्छा बन जाता था.’’
“तुम्हारे अलावा और कौन थी इस धंधे में जो वंदना के लिए काम करती थी, उस की और तुम्हारी महीने में कितनी कमाई हो जाती थी?’’ शुक्ला ने अलग सवाल किया.
“उस के साथ एक और युवती इंदौर की ही पूजा थी, उस की कमाई के बारे ठीकठीक नहीं बता सकती हूं. लेकिन हां, मेरे ग्राहकों से वंदना को अच्छा कमीशन मिल जाता था. मेरी डिमांड पूजा से अधिक थी. कई ग्राहक रेगुलर बन गए थे, वे मुझे ही पसंद करते थे. वे मेरे संपर्क में भी थे. मेरे साथ घूमनेफिरने और बिजनैस टूर पर दूसरी जगह ले जाने के बदले में अधिक पैसा देने की भी बात करते थे.’’ नैना बोली.
“तुम्हारे कहने का अर्थ यह हुआ कि तुम्हारी डिमांड अधिक थी और अलग से धंधा जमाने का मौका मिलने लगा था. फिर तो वंदना ही तुम्हारी दुश्मन बन गई थी?’’ शुक्ला बोले.
‘‘नहीं साहबजी, मुझे ग्राहक कहते जरूर थे, लेकिन सच तो यह है कि मैं इस धंधे से बाहर निकलने की सोच रही थी. कुछ पैसे जोड़ लिए थे, जिस से देवास या इंदौर में अपना कोई बुटीक खोलना चाहती थी. लेकिन यह बात जब वंदना को मालूम हुई, तब वह मुझ से नाराज हो गई. पूजा ने उसे समझाया फिर उस ने माफी मांग ली.’’
“फिर क्या हुआ?’’ शुक्ला ने आगे की बात जाननी चाही.
“फिर क्या साहबजी! एक ग्राहक ने कालगर्ल वंदना को बता दिया कि मैं उस से प्राइवेट में मिलना चाहती हूं और उस की कमीशन का पैसा नहीं देना चाहती हूं… अगले रोज वंदना ने छोटा सा वीडियो वाट्सऐप किया. उसे खोल कर देखा तो दंग रह गई. वह मेरा ही ग्राहक के साथ का एक वीडियो था. अगले पल ही एक मैसेज आ गया, जिस में लिखा कि अगर उस की मरजी के बगैर वह किसी ग्राहक के पास गई, तब यह वीडियो उस की मां को भेज देगी.
“मुझे जरा भी अंदाजा नहीं लग पाया कि कब उस ने मेरा सैक्स वीडियो बनाए थे और उसे मां को दिखाने की धमकी दे कर मुझे ब्लैकमेल करने लगी थी.’’
“ब्लैकमेल से बचने के लिए तुम ने क्या किया?’’
“मैं क्या कर सकती थी. परेशान रहने लगी. मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था. मैं वंदना की एक तरह से कठपुतली बन कर रह गई थी. कई बार दिमाग काम नहीं करता था. घर जाती थी, तब डर बना रहता था कि मां कुछ पूछ न बैठे. मैं उन की इकलौती संतान हूं, मेरी कमाई से घर का खर्च चलता है. मां मेरी शादी के सपने देख रही थीं. कोई लडक़ा नहीं मिल रहा था. शादी की उम्र निकल गई थी.’’ कहतेकहते नैना सुबकने लगी. शुक्ला ने लेडी कांस्टेबल को बुलाया. उस के लिए चाय और पानी लाने का आदेश दिया.
टीआई के पास भी थी न्यूड वीडियो…
नैना जब थोड़ी सामान्य हुई तब शुक्ला ने नैना को एक वीडियो दिखाई, जो सीसीटीवी फुटेज थी. उस में वह 2 युवकों के साथ थी. उन्होंने पूछा, ‘‘इस में तुम्हारे साथ जो दिख रहे हैं वे कौन हैं? यह सीसीटीवी की वीडियो उसी रात की है, जिस रात वंदना की हत्या हुई थी.’’
वीडियो देखते ही नैना के माथे पर पसीने की बूंदें छलक आईं. शुक्ला समझ गए कि उन की पूछताछ सही दिशा में जा रही है. उन्होंने मेज पर रखा टिश्यू पेपर निकाल कर उस की ओर बढ़ा दिया और बोले, ‘‘वीडियो देख कर सर्दी में पसीना आ गया न!
अब तुम सचसच वह सब बता दो, जो अभी तक छिपाए हुए हो, वरना मां के पास जाने वाले वीडियो से मैं भी नहीं बचा पाऊंगा, वह न्यूड वीडियो मेरे पास भी है.’’
उन्हें अब सैक्स वर्कर वंदना रघुवंशी मर्डर केस की गुत्थी सुलझती दिख रही थी. साफ दिख रहा था कि कालगर्ल नैना परमार ने ही सहेली वंदना रघुवंशी की हत्या कराई थी. पुलिस की लंबी पूछताछ से नैना परेशान हो गई. उस ने वाशरूम जाने की इजाजत मांगी. शुक्ला ने उसे लेडी कांस्टेबल के साथ वाशरूम जाने की इजाजत दे दी. कुछ मिनट में ही वापस आने के बाद शुक्ला के सामने बैठ गई. शुक्ला ने पूछा, ‘‘हां तो नैना परमार, सचसच बताओ कि ये दोनों कोन हैं? इन का वंदना की हत्या से क्या कनेक्शन है?’’
“जी साहब, सब कुछ बताऊंगी, एकदम सच बोलूंगी. ये दोनों अशोक रघुवंशी और गोलू रघुवंशी हैं. देवास के रहने वाले हैं. हमारे साथ ही इंदौर आते रहे हैं. लौटते भी साथ ही हैं. कहने को दोनों मुंहबोले भाई हैं, लेकिन वे मेरे दीवाने हैं. हमारे बीच हंसीमजाक भी चलता रहता है. उन्हें लगता है कि आज नहीं तो कल मैं उन के साथ संबंध बना लूंगी. हम सभी एकदूसरे से काफी खुले हुए हैं. गांवमोहल्ले में किस के साथ कैसा रिश्ता चल रहा है, इस की बेझिझक चर्चा करते रहे हैं. यही कारण रहा है कि ये दोनों मेरे एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार हो जाते थे. मैं ने वंदना द्वारा अपनी ब्लैकमेल की समस्या उन्हें बताई थी और इस का समाधान भी उन्होंने ही बताया था.’’
“समाधान क्या था? वंदना की हत्या!’’ शुक्ला ने डांट लगाई. डांट खा कर नैना डर गई.
“जी साहब! योजना के मुताबिक मेरे इशारे पर उन दोनों ने 27 नवंबर, 2022 की रात को सैक्स वर्कर वंदना रघुवंशी की गला रेत कर हत्या कर दी.’’ नैना ने यह कह कर चुप्पी साध ली. कुछ समय बाद शुक्ला ने अशोक और गोलू की डिटेल्स मांगी और अगले रोज उन्हें भी हिरासत में ले कर पूछताछ की. दोनों ने हत्या की बात स्वीकार कर ली. उन के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार शुक्ला ने हत्या में इस्तेमाल किया गया दोपहिया वाहन और आरी भी बरामद कर ली.
कालगर्ल नैना परमार वारदात के दिन रविवार को दोनों के साथ इंदौर आई थी. उस वक्त शाम का धुंधलका छाने लगा था. उस ने दूर से ही दोनों भाइयों को वंदना का घर बता दिया और खुद नाश्ता लेने चली गई. शोक और गोलू रघुवंशी अपने साथ मिर्च पाउडर भी ले गए थे. उन्होंने वंदना को बताया कि वे नैना के भाई हैं. यह जान कर वदंना उन दोनों को चायपानी देने लगी, तभी उन्होंने मौका मिलने पर वंदना की आंखों में मिर्च पाउडर झोंक कर उस का आरी से गला काट दिया. हत्या करने के बाद वे दोनों वहां से फरार हो गए. करीब आधे घंटे के बाद लौटी और वंदना के घर पर गई. तब उस ने वंदना को खून से लथपथ जमीन पर पड़ा पाया. वह दम तोड़ चुकी थी. उस ने पुलिस को फोन कर सूचना दे दी और देवास लौट गई.
पुलिस ने नैना परमार, अशोक रघुवंशी और गोलू रघुवंशी से पूछताछ करने के बाद उन के खिलाफ वंदना की हत्या का मामला दर्ज कर उन्हें अदालत में पेश कर दिया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
पता चला कि मृतका अपनी 2 सहेलियों के साथ कुछ रोज पहले ही वहां रहने आई थी. वंदना के साथ रहने वाली दोनों युवतियों के नाम नैना और पूजा थे. मकान मालिक के अनुसार वे अकसर वहां आती रहती थीं, लेकिन दोनों वहां ठहरती नहीं थी. घटना के समय दोनों बाजार गई हुई थीं. बाजार से लौट कर नैना ने ही पहले कमरे में वंदना की लाश पड़ी देखी थी और उसी ने पुलिस कंट्रोल रूम को घटना की जानकारी दी थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए टीआई शुक्ला ने वंदना रघुवंशी मर्डर केस की जानकारी उच्चाधिकारियों को दे दी. शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के साथसाथ उस के घर वालों को भी इस की सूचना भेज दी गई.
वंदना एक विवाहित महिला थी. सूचना पा कर उस का पति थाने पहुंचा. पुलिस ने उस से भी वंदना के बारे में पूछताछ की. पोस्टर्माटम हो जाने के बाद पुलिस ने वंदना का शव उस के पति को सौंप दिया. पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच की शुरुआत वंदना के पति से की. उस से वंदना के बारे में कुछ व्यक्तिगत जानकारियां मिलीं. उस के अनुसार वंदना की 2 शादियां हुई थीं. पहली शादी भोपाल के एक युवक से हुई थी, जिस से तलाक के बाद उस ने 2014 में दूसरी शादी की थी.
वंदना का पति इंदौर में ही रेलवे में हाउसकीपिंग का काम करता है. उस ने पुलिस को बताया कि वंदना पिछले 4 साल से रोज दोपहर में यह कह कर घर से निकलती थी कि वह एक टिफिन सेंटर में काम करती है और उसे टिफिन पहुंचाना होता है. वह शाम 6 बजे के आसपास घर वापस लौट आती थी. वंदना के काम के बारे में उस के पति ने अधिक जानकारी लेने की कोशिश नहीं की थी. वह खुद रात 10 बजे के करीब घर लौटता था. वंदना के 3 बच्चे भी हैं.
इस के उलट पुलिस को मकान मालिक से मालूम हुआ कि वंदना की ससुराल में नहीं पटती थी, इसलिए अलग रहने चली आई थी. किराए का पैसा पूरा करने के लिए उस ने अपने साथ 2 और युवतियों को रख लिया था. मकान मालिक को यह पता ही नहीं चल पाता था कि वहां रात में कौन रहता है और कौन नहीं. उसे बस इतना मालूम था कि उस के मकान में 3 युवतियां रहती थीं, जो अपनेअपने कामकाज के सिलसिले में आतीजाती रहती थीं. उन्हीं में एक नैना थी, जो देवास से दिन में आती थी और शाम को चली जाती थी. उस के बाद रात को तीसरी युवती वहां ठहरती थी. हालांकि वह भी घटना के कुछ दिन पहले से नहीं आई थी.
पुलिस ने मकान मालिक, वंदना के पति और पासपड़ोस वालों के अलावा कुल 45 लोगों से घटना के बारे में पूछताछ की, लेकिन वंदना की हत्या के संबंध में कोई खास सुराग नहीं मिल पाया था. इन दिनों सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल फोन नंबर की ट्रैकिंग अपराध की जड़ तक और अपराधी के गिरेबान तक पहुंचने का आसान जरिया बन चुका है. वंदना मर्डर केस की जांच के लिए पुलिस सैकड़ों सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालने लगी. साथ ही वंदना के मोबाइल फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई गई. उस में जिस नंबर से हर रोज उस की लगातार बातें हुई थीं, वह नंबर नैना परमार का था.पुलिस के शक की सुई नैना की ओर घूम गई थी. इस का एक कारण सीसीटीवी की 30 मिनट की फुटेज भी थी, जिस में नैना कई बार आतीजाती दिखाई दी थी. उस के साथ 2 युवक भी दिखाई दिए थे.
टीआई ने की व्यापक पूछताछ…
टीआई संजय शुक्ला ने नैना को पूछताछ के लिए थाने बुलवाया. उस की वंदना से होने वाली जानपहचान और दोस्ती के बारे में पूछने से पहले सीधा सवाल किया, ‘‘तुम क्या काम करती हो?’’
अचानक इस सवाल को सुन कर नैना अकचका गई. वह चुपचाप बैठी रही.
“मैं ने पूछा कि तुम इंदौर में क्या काम करती हो? सुनाई नहीं दिया क्या?’’ शुक्ला ने तेज आवाज में वही सवाल दोबारा पूछा.
“जी…जी! वही काम जो वंदना करती थी.’’ नैना थोड़ी घबराई हुई बोली.
“झूठ मत बोलो… मुझे तो कुछ और ही पता चला है तुम्हारे बारे में…’’ शुक्ला ने फिर तेवर तीखे किए.
“नहीं साहब, आप ने गलत सुना है… मैं भी वही काम करती थी, जो वह करती थी,’’ नैना बोली.
“अच्छा छोड़ो, यह बताओ कि कहां तुम देवास की रहने वाली औैर वंदना इंदौर की, तुम दोनों की दोस्ती कैसे हुई?’’ शुक्ला ने मूड बदलते हुए पूछा.
“ऐसे ही चलतेफिरते पहले जानपहचान हुई, फिर हमारे बातविचार मिले और हम दोस्त बन गए.’’ नैना ने बताया.
“वंदना तुम से कब मिली थी?’’
“जब पहले लौकडाउन में थोड़ी ढील मिली थी. अगस्त, 2020 की बात है. काम की तलाश में इंदौर आई थी. पहले जहां काम करती थी कंपनी बंद हो चुकी थी. मैं देवास जाने के लिए बसअड्डे पर निराश बैठी थी, वहीं पहली बार वंदना से मुलाकात हुई थी.’’
“फिर क्या हुआ?’’
“हमारे बीच जब बातचीत होने लगी, तब पता चला कि उस की वही समस्या है, जो मेरी थी. वह भी किसी कामधंधे की तलाश में थी और मैं भी. मेरी तरह वह भी अपनी ससुराल वालों से खुश नहीं थी. कोई सवारी नहीं मिलने के कारण मैं उस के कहने पर उस के साथ चली गई. उस ने कहा था कि हम लोग मिल कर कोई अच्छा काम कर सकते हैं.’’ नैना बोली.
“और तुम पहली मुलाकात में ही उस के साथ चली गई?’’ शुक्ला बोले.
“क्या करती साहब? मुझे काम की गरज थी, मुझ पर कर्ज जो हो गया था. लेकिन साहबजी, उस ने जो काम बताया वह मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगा. सो मैं ने मना कर दिया.’’ नैना ने कहा.
“क्यों, क्या काम बताया?’’ शुक्ला ने जिज्ञासा से पूछा.
“काम नहीं साहबजी, धंधा करती थी, धंधा. देह का धंधा.’’ नैना मुंह बनाती हुई बोली. टीआई यह सुन कर हैरान हो गए. मुंह से निकल गया, ‘‘अच्छा, आगे क्या हुआ?’’
“आगे क्या, मैं ने साफसाफ मना कर दिया कि वह जो रूम सर्विस के नाम पर करती है, मुझ से नहीं होगा. परिवार वालों से झूठ बोलने और पैसे की तंगी का मतलब यह नहीं कि वह दूसरे मर्द के साथ सोने लगे.’’
“लेकिन तुम ने तो बताया कि तुम वंदना वाला काम ही करती थी, तो फिर यह कैसे हुआ?’’ शुक्ला ने सवाल किया.
“मैं ने मना तो कर दिया, लेकिन गलती यह हो गई कि मैं उस से दोस्ती नहीं तोड़ पाई. उस से फोन पर बातें होती रहीं. काम की तलाश में घर वालों से झूठ बोल कर देवास से इंदौर आने पर मिलती भी रही. किराने की बड़ी दुकानों में कुछ काम मिले, लेकिन उस में मेहनत बहुत थी और पैसा कम. काम में मन नहीं लगता था. काम छूट जाता था.’’
“इसलिए तुम ने भी सैक्स सर्विस का धंधा अपना लिया?’’ शुक्ला ने व्यंग्य किया.
“नहीं साहब, इस कारण नहीं, मैं एक बार बहुत मजबूर हो गई थी. वह मुझ से जब भी मिलती थी, समझाने लगती थी ‘सुंदर हो, बहुत सैक्सी हो, तुम रूम सर्विस दे कर अच्छा पैसा कमा सकती हो. तुम से ग्राहक जल्द ही खुश हो जाएंगे, मालामाल हो जाओगी. खूबसूरती के साथ देह की सुंदरता और थोड़ा सैक्स बेचने में क्या बुराई है. तुम्हें रेडलाइट एरिया वाली रंडियों की तरह काम करने को नहीं कह रही हूं, सम्मान के साथ सैक्स वर्कर की तरह काम करो. कोई जानेगा भी नहीं कि तुम क्या करती हो.’’
नैना की बात टीआई सुनते रहे. वह कुछ सेकेंड के लिए रुकी और पास में रखे गिलास से पानी पी कर फिर बोलने लगी, ‘‘एक बार मुझे कुछ पैसों की सख्त जरूरत पड़ गई थी. मैं ने उसे फोन किया. उधार मांगे. अगले रोज उस ने अपने पास बुला लिया. मैं उस के पास पैसे लेने चली गई, लेकिन फिर वही बात समझाने लगी… मेरे साथ चलो तुम्हें 5 नहीं 10 हजार दिलवाऊंगी. तुम भी क्या याद करोगी. और पूरे पैसे तुम्हारे होंगे, लौटाने भी नहीं पड़ेंगे.
नैना परमार को देवास जंक्शन से इंदौर जाने वाली लोकल ट्रेन छूट गई थी. वह प्लेटफार्म की बेंच पर बैठ गई थी. तभी उसेपीछे से एक युवक ने आवाज लगाई, ‘‘दीदी, तुम ने भी ट्रेन मिस कर दी?’’
“अरे अशोक तुम!’’ नैना उस की तरफ देख कर बोली, ‘‘अरे क्या करूं, आजकल मेरे दिन खराब चल रहे हैं.’’
“क्यों क्या हुआ? तुम परेशान दिख रही हो, कोई समस्या है तो बताओ न!’’ अशोक बोला.
“अब यहां तुम से क्या बोलूं… बस इतना समझो कि मुझ पर मुसीबत आने वाली है.’’
“अरे दीदी, जब तुम्हें पता है कि मुसीबत क्या है, तब तो उसे दूर करना और भी आसान है. हमें बताओ न, हम 2 भाई किस काम के हैं.’’ उस के पास अभीअभी आया गोलू बोल पड़ा.
“अरे गोलू तुम्हारी भी ट्रेन छूट गई?’’ नैना आश्चर्य से बोली.
“अब जब हम लोगों के इंदौर का सफर साथसाथ होता है, तब सभी का ट्रेन मिस होना जरूरी है न,’’ बोल कर गोलू हंसने लगा.
“गोलू हंसने की बात नहीं है, दीदी की मुसीबत का कोई समाधान हमें ही निकालना होगा.’’
“क्या बात है दीदी, तुम कहो तो मैं तुम्हारे लिए अपनी जान तक दे सकता हूं और किसी की जान ले भी सकता हूं.’’ गोलू बोला.
“फिर वही मजाक की बात, हर घड़ी मजाक अच्छी नहीं लगती है.’’ अशोक गोलू से बोला.
“तो बताओ न…दीदी तुम्हीं बताओ तुम्हारी प्राब्लम क्या है?’’ गोलू नैना से बोला.
“अब तुम्हें क्या बताऊं? कैसे बताऊं? तुम लोगों ने मुझ से इतनी हमदर्दी दिखाई, यही कम है क्या?’’
“दीदी, हम लोग भले ही तुम्हारे सगे भाई न हों, लेकिन एक ही शहर के होने के नाते तुम्हारी समस्या हमारी समस्या मानता हूं. कल को कोई जरूरत पड़ेगी, तब तुम से मदद मांग लूंगा,’’ अशोक बोला.
“लेकिन यहां बताने लायक बात नहीं है सब के सामने.’’
“तो चलो न, कैंटीन में चलते हैं. अभी ट्रेन आने में आधे घंटे से अधिक का समय है.’’ गोलू बोला.
“चलो, तुम लोगों से बात कर थोड़ा अच्छा लग रहा है. क्या पता, तुम्हीं मेरी समस्या का कोई हल निकाल लो!’’ नैना धीरे से बोली और हैंडबैग के साथ शाल संभालते हुए दोनों मुंहबोले भाइयों के साथ चलने को तैयार हो गई.
मुंहबोले भाइयों को बता दी समस्या…
नैना ने अपनी जिस मुसीबत के बारे में अशोक और गोलू को बताया, वह उस पर लटकी किसी तलवार से कम नहीं थी. उस की समस्या सुन कर गोलू का चेहरा तमतमा गया था, जबकि अशोक भोलीभाली सीधीसादी दिखने वाली नैना के एक और रूप के बारे में जान कर हैरान हो गया था. उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो पा रहा था कि नैना के असली चेहरे के पीछे एक और चेहरा है. नैना परमार पूरी बात बताने के बाद वाशरूम चली गई थी.
“अरे, क्या हुआ अशोक? ज्यादा मत सोच… यह समझ कि हमें अपने शहर की बड़ी मुसीबत में फंसी उस औरत की मदद करनी है, जिस ने अब तक जो भी किया है, उस में जरूर कोई मजबूरी रही होगी.’’
“हां गोलू, हमें कुछ करना होगा. अगर इस हालत में कोई अपनी होती तो उसे छोड़ देते क्या?’’
नैना वाशरूम से आ गई थी. उसे आया देख अशोक और गोलू ने अचानक बातें करना बंद कर दीं. नैना ही बोली, ‘‘देखो, तुम लोग मुझे गलत मत समझना. मैं जो कुछ करती रही, उस में मजबूरी थी.’’
“मैं समझता हूं सब कुछ…’’ अशोक बोला.
“और हां, मैं ने जो बताया है, वह अपने तक ही रखना. किसी को बताना मत, प्लीज.’’
“हां दीदी,’’ दोनों साथसाथ बोल पड़े. फिर तीनों अगली ट्रेन के लिए प्लेटफार्म पर आ गए. यह नवंबर, 2022 महीने की बात थी. अशोक और गोलू ने इशारोंइशारों में बात की. थोड़ी देर में ट्रेन भी आ गई. तीनों एक डब्बे में सवार हो गए. आसपास सीटें भी मिल गईं. उस के बाद इंदौर तक उन के बीच कोई बात नहीं हुई. तीनों अकसर एक साथ ही देवास से इंदौर का सफर करते थे. नैना के बारे में अशोक और गोलू को सिर्फ इतना मालूम था कि वह किसी बुटीक में काम करती है. साथ ही वे यह भी जानते थे कि वह मध्य प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर की कंपनियों, माल, बड़े शौपिंग के शोरूम आदि में काम कर चुकी थी.
नैना स्वभाव से एकदम बिंदास थी. बातूनी और तुरंत किसी से भी दोस्ती बना लेने वाली लगभग 30 साल की भरेपूरे बदन वाली युवती थी. चेहरे से चंचलता और शोखी साफ झलकती थी. रोजाना ट्रेन यात्रा के दरम्यान ही अशोक और गोलू से जानपहचान हो गई थी. उन्हें वह एक बार रक्षाबंधन के मौके पर प्लेटफार्म पर ही राखी बांध कर मुंहबोला भाई बना चुकी थी. किंतु उस रोज ट्रेन में एकदम शांत बैठी थी. दरअसल, नैना ने पहली बार अशोक और गोलू के सामने अपनी आपबीती सुनाते हुए दिल की बात बताई थी. साथ ही उस ने अपनी मुसीबत के बारे में बता कर उन से मदद मांगी थी.
अशोक और गोलू नैना की समस्या सुन कर और उस की हकीकत जान कर हैरान थे, लेकिन उन्होंने हरसंभव मदद का आश्वासन दिया था. उस ने बताया था कि उसे उस की 3 साल पुरानी सहेली वंदना पिछले हफ्ते से ब्लैकमेल कर रही है. हालांकि वह उस के साथ काम नहीं करती है. नैना ने यह भी बताया कि उस के पास उस की अश्लील वीडियो है. वह उन वीडियो को उस की मां को दिखाने की धमकी देती है. नैना ने अपनी मां से भी अपने काम की हकीकत छिपा रखी है. मां जानती है कि नैना किसी बुटीक में काम करती है. मां को उस सहेली के बारे कुछ नहीं मालूम है.
बात 27 नवंबर, 2022 की है. भीषण ठंड की रात थी. मध्य प्रदेश के शहर इंदौर के एरोड्रम थाने के टीआई संजय शुक्ला समेत थाने में मौजूद सभी पुलिसकर्मी नाइट ड्यूटी के कामकाज को निपटाने में लगे हुए थे. उसी दौरान कंट्रोल रूम से एक मैसेज आया, जिस से उन के बीच थोड़ी हलचल बढ़ गई. टीआई संजय शुक्ला सूचना पा कर भुनभुनाए, ‘‘इस सर्दी में हत्या की वारदात… कुछ और उपाय करने होंगे.’’
सैक्स वर्कर वंदना की मिली लाश…
सूचना विद्यानगर मोहल्ले से आई थी. वहां एक मकान में किसी की हत्या हो गई थी. इंदौर में रोज की तरह रात के समय में कानून व्यवस्था को संभालना कोई आसान नहीं था. घर में लाश होने की सूचना पा कर घटनास्थल पर जाने में देरी करना टीआई ने मुनासिब नहीं समझा. पूरे दलबल के साथ कुछ मिनट में वह विद्यानगर में रहने वाले श्रीराम महाराज के मकान पर जा पहुंचे. वहां एक युवती की लाश मिली. उस का नाम पाटनीपुरा निवासी वंदना रघुवंशी था. उस की उम्र 34 साल थी. उस का गला रेता हुआ था और आंखों में लाल मिर्च का पाउडर झोंका गया था. गले में 4 गहरे घाव थे. कमरे का दृश्य देख कर पुलिस ने अनुमान लगाया कि मौत से पहले मृतका ने जान बचाने के लिए काफी संघर्ष किया होगा.