Rajasthan News : सगाई टूटनने पर पुलिस वाला हुआ खूंखार

Rajasthan News : राजस्थान आम्र्ड कांस्टेबुलरी (आरएसी) जवान अजय की शादी अपने रिश्ते में ही तय हो चुकी थी. अचानक उस की सगाई टूट गई. इस के बाद तो मानो उस का अपनों पर से भरोसा ही टूट गया और फिर अफेयर के शक में वह इस कदर बौखलाया कि उस ने दनादन गोलियों की बौछार कर दी.

जयपुर में फुलेरा के श्रीराम नगर का निवासी अजय कटारिया पिछले कई दिनों से तनाव में था. वह दिल्ली में राजस्थान आम्र्ड कांस्टेबुलरी (आरएसी) की 12वीं बटालियन का एक सिपाही है. उस की पोस्टिंग दिल्ली में थी. आरएसी राजस्थान पुलिस की संगठनात्मक शाखाओं में से एक है, जो राज्य का एक अर्धसैनिक बल है. इस की बटालियनों की तैनाती राजस्थान और दिल्ली में है. अजय के तनाव का कारण पर्सनल था. इस बारे में वह अपने साथियों को भी बता चुका था, किंतु साथियों ने उस की बातों को मजाक में उड़ा दिया था. दरअसल, उस की सगाई बीते साल हो चुकी थी. उसे शादी की तारीख का इंतजार था. इसी पर उस की तन्हाई को ले कर दोस्त मजाक करते रहते थे.

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इसी बीच एक बार अजय ने जब अपने खास दोस्त से पूछा था कि अगर उस की मंगेतर का किसी के साथ अफेयर हो तब उसे क्या करना चाहिए? इस के जवाब में दोस्त ने कहा था कि इस बारे में पता कर लेना चाहिए, वरना आगे की लाइफ खराब हो सकती है. जबकि सच तो यह था कि उस ने अपनी मंगेतर के बारे में सब कुछ पहले ही पता लगा लिया था. उस का संदेह सही था. जिस से उस की सगाई हुई थी, उस का किसी और के साथ अफेयर चल रहा था.

इसे ले कर ही उस के दिमाग में खलबली मची हुई थी. दुविधा में था कि क्या करे और क्या नहीं? इसी बीच रविवार के दिन 3 अगस्त को मोबाइल पर रील्स देखते हुए अपने मन को स्थिर करने की कोशिश कर रहा था. तभी उसे घर से एक कौल आया. कौल रिसीव करते ही वह और अधिक बौखला गया. उस के बारे में कंफर्म करने के लिए उस ने सीधे मंगेतर को कौल कर दिया, ”हैलो! यह मैं क्या सुन रहा हूं?’’

”हां, बिलकुल सही सुन रहे हो.’’ मंगेतर बोली.

”इस का मतलब तो मेरा शक सही निकला?’’ वह बोला.

”वह सब मैं नहीं जानती, लेकिन यह सच है कि अब हमारी सगाई टूट गई है, अब फोन मत करना.’’ मंगेतर का तल्खी भरा जवाब सुन कर अजय और बौखला गया.

”नहीं! नहींनहीं, मैं ऐसा नहीं होने दूंगा…’’ अजय के बोलने के साथ ही कौल डिस्कनेक्ट हो गई.

उस के बाद अजय ने दोबारा कौल करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं हो पाई. कुछ मिनट में ही उस ने पाया कि उस का नंबर ब्लौक कर दिया गया है. उस वक्त आधी रात हो चुकी थी.

सगाई टूटने से क्यों बौखलाया अजय

अजय बुरी तरह से परेशान हो गया था. उसे लग रहा था, जैसे उस के दिमाग की नसें फटने वाली हैं. उस ने तुरंत निर्णय लिया. उसे जरा भी देर नहीं करनी चाहिए. जितनी जल्द हो सके, जयपुर पहुंचना चाहिए. मंगेतर के फेमिली वालों से मिलना चाहिए. सगाई टूटने का कारण मालूम करना चाहिए. उन्हें मनाना चाहिए… उस की या उस के फेमिली वालों की तरफ से कोई शिकायत हो तो उन से बातें करनी चाहिए. उस की शादी किसी अनजान के द्वारा तय नहीं की गई थी, बल्कि उस के करीबी रिश्तेदार के पिता ने ही रिश्ता तय कराया था.

उस वक्त वह दिल्ली के विकासपुरी में रहता था, लेकिन ड्यूटी पर था. अपने एक सहकर्मी से ‘इमरजेंसी है’ बोल कर निकल गया. वहां से सीधा कैब से धौलाकुआं पहुंचा, जहां से जयपुर की बसें लगातार चलती रहती हैं. वहां उसे मनमुताबिक आरामदायक बस नहीं मिली. उस के पास सरकारी एसएलआर (सेल्फ लोडिंग राइफल) भी थी. उस के मन में क्या सूझी, उस ने जयपुर के लिए कैब बुक कर ली. सुबह होतेहोते जयपुर पहुंच गया. उस के बाद वह कैब से ही वाटिका पहुंच गया. अब अजय राजस्थान में ही तैनात लेबर इंसपेक्टर शंकरलाल बलाई के घर के सामने था. सुबह के 6 बज चुके थे.

अजय ने कैब रुकवाई. वह ड्राइवर की बगल वाली सीट पर ही बैठा था. कैब की चाबी निकाल ली. ड्राइवर को धमकाते हुए भाग जाने को कहा. उस के हाथ में सेल्फ लोडिंग राइफल (एसएलआर) देख कर ड्राइवर सहम गया और गाड़ी से निकल भागा. कुछ सेकेंड में ही अजय सरकारी बंदूक एसएलआर को संभालते हुए कैब से बाहर निकला. अजय ने देखा कि सामने शंकरलाल नीम की दातुन से दांत साफ कर रहा है. सामने से अजय को आता देख कर पूछ बैठा, ”के बात है, आज सुबहसुबह? लगता है सीधा ड्यूटी से चला आ रहा है.’’

”हां! तुम्हारी खातिरदारी करने आया हूं!’’ रूखे और कड़े लहजे में अजय बोला.

”के बात हो गई. तू तो गुस्से में लागे है!’’ अजय के तेवर को भांपते हुए शंकरलाल बोला.

”ते सब जाने सै, फिर भी अनजान बनै सै.’’

”अरे आ बैठ, पहले चाह पी…फिर मार्निंग वाक पर चलते हैं. वहीं चलतेचलते बातें करेंगे.’’ शंकरलाल नरमी से बोला.

”ना…ना भाई, ना. अब बात को समय गयो…अब तो फैसला होवेगो…फैसला!’’ यह कहते हुए अचानक अजय ने एसएलआर निकाल ली. अपने सामने तनी राइफल देख कर पहले तो शंकरलाल घबरा गया, फिर सहमता हुआ बोला, ”अरे, कुछ बताएगा भी कि के हुआ…या सीधा बंदूक से बात करेगा?’’

”मेरी सगाई तेरे चलते टूटी… अब देख मैं तेरा पोरपोर कैसे तोड़ता हूं.’’ यह कहते हुए अजय ने उस पर गोलियां दागनी शुरू कर दीं.

तब तक शंकर लाल भी उस के तेवर का अंदाजा लगा चुका था. बचाव में इधरउधर भागने लगा.

शंकरलाल जान बचाने के लिए खाली प्लौट की ओर भागा, लेकिन अजय ने दौड़ते हुए उस की पीठ, गरदन और जांघ में गोलियां दाग दीं. शंकरलाल ने जान बचाने की बहुत कोशिश की, लेकिन अजय ने दनादन उस पर कई गोलियां बरसा दी थीं. कुछ सेकेंड में ही शंकरलाल वहीं धराशायी हो गया.

उसे कितनी गोलियां लगीं, इस का पता उस वक्त अजय को भी नहीं था. वह इतना जान गया था कि शंकरलाल को उस ने मौत की नींद सुला दिया है. उस वक्त सुबह के साढ़े 6 बज चुके थे. शंकरलाल की हत्या कर थाने पहुंचा अजय हाथ में राइफल थामे एक घृणित निगाह से शंकरलाल की मृत देह को देखा, फिर झटके के साथ कैब में जा बैठा. कैब स्टार्ट की और सीधा फुलेरा थाने पहुंच गया. वहां ड्यूटी पर तैनात पुलिस औफीसर के सामने जा कर खुद को सरेंडर कर दिया. फुलेरा थाने में अपनी एसएलआर एक पुलिसकर्मी के हाथ में दे दी. फिर बोला, ‘मार दिया मैं ने.’

थाने में मौजूद पुलिसकर्मी उस की इस हरकत को देखकर हैरान रह गए, क्योंकि सरेंडर करने वाला पुलिस की वरदी में वहां खड़ा था.  उसे थाने एसएचओ चंद्र प्रकाश यादव के पास ले जाया गया. वहां भी उस ने वही बात दोहराते हुए कहा,” मैं शंकरलाल बलाई को मारकर आया हूं. उसे 8-10 गोलियां मारी हैं.’’

इसी के साथ वारदात में इस्तेमाल की गई सरकारी एसएलआर राइफल और कारतूस थाने में ही सौंप दिए. उसे तुरंत हिरासत में ले लिया गया. मामले की तहकीकात के लिए पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंच गई, जो थाने से करीब 45 किलोमीटर दूर बगरू थाना इलाके की वाटिका इंफोटेक सिटी की थी. जांचपड़ताल के लिए बगरू थाने की पुलिस भी मौके पर पहुंची. कुछ देर में डीसीपी हनुमान प्रसाद मीणा, एडिशनल डीसीपी आलोक सिंघल, एसीपी हेमेंद्र शमा भी पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का मौकामुआयना किया. एफएसएल टीम को भी मौके पर बुलाया गया.

इस से पहले एक ग्रामीण सीताराम ने शंकरलाल को लहूलुहान हालत में देखा था. उस ने ही दूध ले कर लौट रही शंकरलाल की पत्नी सरोज देवी को घटना की सूचना दी. पत्नी पहुंची तो वह शव देख कर उस के गले लग कर बिलख पड़ी. उस के बाद फेमिली के अन्य सदस्य वहां पहुंच गए. जांच में घटनास्थल की स्थिति को देख कर पता चला कि शंकरलाल जान बचाने के लिए पास के खाली प्लौट की ओर भागा होगा, लेकिन अजय ने पीछा करते हुए ताबड़तोड़ गोलियां चलाई होंगी. फायरिंग से शंकरलाल की पीठ, गरदन और जांघों में गोलियां लगीं और वह करीब 20 मीटर दूर जा कर सड़क पर गिर पड़ा था.

अजय ने घर से चंद कदम की दूरी पर शंकर को गोली मारी. रिटायर्ड कर्नल रुद्र सिंह का घर घटनास्थल के ठीक सामने है. उन्होंने पुलिस को बताया, ”मैं सुबह के 6 बजे उठा था. करीब साढ़े 6 बजे मैं ने एक गोली की आवाज सुनी. सेना से होने के कारण, मैं समझ गया कि यह किसी राइफल की गोली की आवाज थी, लेकिन यहां सुबह के समय कालोनी के लोग अकसर कबूतरों को भगाने के लिए हवाई फायरिंग करते हैं. मुझे लगा कि किसी ने हवाई फायरिंग की है, तभी एक गोली चलने के बाद मुझे ताबड़तोड़ गोलियों की आवाज सुनाई दी.’’

उन्होंने आगे बताया, ”जब मैं ने बालकनी में आ कर देखा तो शंकर बाहर सड़क पर पड़ा था. तब तक और लोग भी इकट्ठा हो गए थे.’’

शंकरलाल के घर के ठीक सामने रहने वाले बेतराज सिंह ने बताया कि घटना के समय वह घर के बाहर बैठे थे. तभी एक कार आ कर रुकी, जिस में से एक युवक निकला, उस के हाथ में राइफल थी. पहले वह शंकर के घर की तरफ गया और फिर पास की सड़क की तरफ. पहले उस ने घर की दीवार के पास से गोली चलाई, फिर गोली चलाते हुए आगे बढ़ा. उस ने शंकर पर कई गोलियां चलाईं.

इस के बाद डरा हुआ ड्राइवर उन के घर में आ कर छिप गया. हम ने तुरंत सारे गेट बंद कर दिए. कुछ देर बाद जब पुलिस मौके पर पहुंची तो हम ने ड्राइवर को उन के हवाले कर दिया. इस से पहले गोलियों की आवाज सुनते ही कैब का ड्राइवर डर के मारे कार छोड़ कर भाग गया था और कालोनी के गेट पर मौजूद सिक्योरिटी गार्ड को पूरी घटना की जानकारी दी. जब दोनों मौके पर वापस पहुंचे, तब तक अजय वारदात को अंजाम दे कर खुद कैब ले कर निकल चुका था.

बगरू थाना इलाके की वाटिका इंफोटेक सिटी में इस घटना को ले कर दशहत का माहौल बन गया था. सोसायटी में रहने वाले लोग भी सुरक्षा को ले कर चिंतित दिखाई दिए. घटना के बाद दिन भर पुलिस की गाडिय़ां दौड़ती रहीं. वहीं मृतक के परिजनों में कोहराम मचा रहा. रुकरुक कर मृतक शंकरलाल बलाई के घर से रोने की आवाजें आती रहीं.

क्या शंकरलाल ने तुड़वाई थी अजय की सगाई

इस हत्याकांड को ले कर जितने मुंह उतनी बातें होने लगी थीं. हालांकि हिरासत में लिए गए अजय ने जो बयान दिए उस के अनुसार, हत्याकांड के पीछे सगाई का टूटना और अवैध संबंध के संदेह की कहानी  सामने आई. अजय ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि वर्ष 2024 में उस की सगाई जयपुर पुलिस में तैनात एक महिला कांस्टेबल से हुई थी. यह रिश्ता शंकरलाल के ससुर ने तय करवाया था, लेकिन सगाई के बाद अजय को शक हो गया कि उस की मंगेतर और शंकरलाल के बीच अवैध संबंध हैं. इस शक को ले कर दोनों के बीच कई बार बहस भी हुई थी.

 

घटना के ठीक पहले की रात भी उस की मंगेतर के साथ फोन पर ही काफी बहस हो गई थी. उस ने गुस्से में कहा था कि राइफल और 50 कारतूस ले कर जाएगा और अगली सुबह शंकरलाल को मार देगा. उस ने जैसा कहा वैसा ही किया. हालांकि शंकरलाल के पिता ने दावा किया कि उस की हत्या की साजिश एक साल से रची जा रही थी, जिस में 5 लाख रुपए की सुपारी तक शामिल थी. उन के मुताबिक यह साजिश महिला कांस्टेबल लड़की के पिता ने रची थी, जिस की सगाई शंकरलाल ने अपने रिश्तेदार आरएसी कांस्टेबल अजय से करवाई थी.

 

इस के लिए शूटरों को 5 लाख रुपए की सुपारी भी दी गई थी. इस का पता चलने पर साजिश नाकाम हो गई थी. इस बीच सगाई टूटने के बाद अजय ने शंकरलाल को अपना दुश्मन मान लिया था. सगाई कुछ ही दिनों में टूट गई थी. इसी बात को ले कर वह शंकर लाल से रंजिश रखने लगा था, लेकिन इस मामले में अजय को उस लड़की के पिता ने भड़काया था. दरअसल, उन की बुआ का बेटा पूरनमल है. पूरनमल के 3 बच्चे हैं और वह अपने परिवार को छोड़ कर जा चुका है. ऐसे में उन के बेटे शंकरलाल ने उन के तीनों बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाया और एक की शादी करवाई.

एक को सरकारी नौकरी दिलाने में मदद भी की. एक साल पहले शंकरलाल ने पूरनमल की दूसरी बेटी की शादी की बात अजय से की थी, जिस की नौकरी पुलिस में लग गई थी. अजय आरएसी में नियुक्त था. अजय शंकरलाल के साले का दोस्त था. इसी जानपहचान के चलते उन की सगाई तय हुई थी, लेकिन बाद में बात बिगड़ गई. इसी के साथ पूरनलाल शंकरलाल से इस बात को ले कर नाराज चल रहा था कि वह उन के बच्चों के फैसलों में हमेशा आगे रहता था. इस कारण उन के बीच बीते एक साल से कलह चल रही थी. शंकरलाल के पिता का कहना था कि एक साल पहले उन के बेटे की हत्या की सुपारी दी गई थी.

इस की पुष्टि चाचा मोहन राम ने भी की. उस ने बताया कि पूरनमल शंकर से नफरत करता था. यहां तक कि शंकर ने खुद अपने पिता से इस बारे में बताया था और कहा था कि रिश्तेदार ही उसे धोखा दे रहे हैं और उसे मारने के लिए पैसे दिए गए थे. जिस व्यक्ति को पैसे दिए गए थे, उस का शंकर से संबंध था और यह जानकारी उस तक पहुंच गई. शंकर के पिता ने आरोप लगाया कि पूरनमल ने अजय को हत्या के लिए उकसाया था. इस मामले की जांच में पुलिस को जमीन विवाद का कारण भी पता चला. शंकरलाल के बड़े भाई बाबूलाल सीआरपीएफ में हैं. उन्होंने बताया कि मामला सगाई का नहीं, बल्कि जमीन विवाद का है. इस मामले को सगाई का नाम दे कर अलग तरह से पेश किया गया है.

मामला गांव की जमीन से जुड़ा है. बोकड़ावास गांव में शंकर के परिवार और पूरन व उस के साथी शिवनारायण के बीच जमीन को ले कर विवाद चल रहा है. इसी बात को ले कर पूरन और शिवनारायण शंकर को लगातार धमकाते रहते थे. पूरन ने ही अजय को उकसाया और उस के दिमाग में उस के खिलाफ जहर भरा. कारण, सगाई टूटने के पीछे अवैध संबंध का संदेह बताया. पुलिस की जांच में सामने आया है कि मृतक शंकरलाल जयपुर ग्रामीण जिले के बोकड़ावास का रहने वाला था. वह फिलहाल वाटिका सिटी में रह रहा था और श्रम विभाग में लेबर इंसपेक्टर के पद पर कार्यरत था. जांच में यह भी सामने आया कि शंकरलाल आरोपी अजय का रिश्ते में जीजा लगता है.

उस की शादी वर्ष 2018 में सरोज से हुई थी. परिवार में 2 बेटे हैं, जिन की उम्र 4 साल और 11 महीने है. वह जयपुर में ही अपने परिवार के साथ रह रहा था. घटना के वक्त बच्चे घर में ही थे और पत्नी दूध लेने गई थी. अजय कटारिया की सगाई रश्मि के साथ मार्च 2024 में शंकरलाल की मार्फत हुई थी. उस का रश्मि से भी फुफेरी बहन का रिश्ता था और वह राजस्थान पुलिस में सिपाही के पद पर तैनात थी. उस की ड्यूटी जयपुर पुलिस कमिश्नरेट में थी. जब उन की बुआ का पति पूरनमल घरेलू विवाद को ले कर घर छोड़ कर चला गया था, तब शंकरलाल ने ही उस के बच्चों की पढ़ाईलिखाई में मदद की थी.

रश्मि ने भी उस के सहयोग से पुलिस में नौकरी हासिल कर ली थी. उस की शादी के लिए शंकर ने अपने ससुर और साले से बात की. उन से ही अजय के बारे में मालूम हुआ. रिश्ता तय करने से पहले शंकर ने रश्मि से सहमति ले ली. उस के बाद रश्मि और अजय की सगाई हो गई. अजय भी रश्मि को देख कर बहुत खुश हो गया था. उसे मनचाही पत्नी मिलने की बेहद खुशी मिली थी. यह कहें कि अजय पहली नजर में ही रश्मि पर मर मिटा था. स्मार्ट अजय पर रश्मि भी फिदा थी. उन्होंने अपनेअपने फोन नंबर एकदूसरे को शेयर कर दिए थे. उन के बीच फोन पर बातें होने लगी थीं. इसी के साथ वे भविष्य की योजनाएं बनाने लगे थे. सुखद सपने बुनने लगे थे.

सब कुछ ठीक चल रहा था. दोनों को शादी की तारीख तय होने का बेसब्री से इंतजार था. कई माह बीत चुके थे. अक्तूबर 2024 में अचानक अजय को मालूम हुआ कि उस की मंगेतर रश्मि का चक्कर किसी और लड़के के साथ चल रहा है.

मंगेतर के चरित्र पर था अजय को संदेह

जब अजय को प्रेमी के बारे में पता चला, तब उस के पैरों तले की जमीन जैसे खिसक गई. उसे इस पर विश्वास नहीं हुआ कि रश्मि के संबंध शंकरलाल से ही हैं. बाद में जब उस ने इस की अपने स्तर से तकीकात की, तब उस का संदेह सही निकला. सच जानने के लिए उस ने सीधा सवाल मंगेतर से ही कर डाला. उस पर अपने रिश्ते के भाई के साथ अनैतिक संबंध रखने का आरोप भी मढ़ दिया. जवाब में मंगेतर ने इसे गलत और बेबुनियाद बताते हुए उस पर ही कलंकित करने का आरोप लगा दिया. रश्मि का मन अजय की बातों से उस के प्रति कड़वा हो गया. उस ने लाख सफाई दी, लेकिन अजय इसी बात पर अड़ा रहा. उस पर लांछन लगाता रहा. उस ने उस से फोन पर बात करनी बंद कर दी.

अजय के दिमाग में हमेशा यही बात घूमती रही कि उस की मंगेतर के संबंध शंकरलाल से हैं. इस की पुष्टि वह उसी के मुंह से सुन कर करना चाहता था. जबकि रश्मि कहती थी कि वह बेवजह उस पर शक कर रहा है. अजय के दिमाग में न केवल मंगेतर के अवैध संबंध का कीड़ा काट रहा था, बल्कि वह मान बैठा था कि शंकरलाल अच्छा आदमी नहीं है. इन्हीं बातों को ले कर अजय की मंगेतर के साथ बहस होने लगी. एक बार तंग आ कर उस ने कह दिया कि वह शक्की व्यक्ति से अब शादी हरगिज नहीं करना चाहती.

यह बात जब शंकरलाल को पता लगी तो वह आगबबूला हो गया. उस ने तुरंत अजय को जबरदस्त डांट लगाई. उसे खूब खरीखोटी सुनाई और सगाई तोड़ देने के लिए कहा. अजय की शंकरलाल के साथ भी काफी बहस हो गई. आखिरकार अजय की सगाई अक्तूबर, 2024 में टूट गई. सगाई टूटने के बाद भी अजय रश्मि से ही शादी करने की जिद पर अड़ा रहा. बारबार कभी रश्मि को तो कभी शंकरलाल को फोन करता रहता. दोनों इनकार पर इनकार करते रहे. एक बार तो रश्मि ने कह दिया कि उस की शादी का फैसला शंकर भैया ही लेंगे, लेकिन बात बिगड़ चुकी है, इसलिए उस के साथ यह शादी नहीं हो सकती है.

इस पर शंकर ने सिरे से मना कर दिया. शंकर रश्मि और उस के फेमिली वालों की एक जिम्मेदार अभिभावक के रूप में देखभाल करता था. जबकि दूसरी तरफ बोकड़ावास गांव में शंकरलाल की जमीन पर उस के फूफा पूरनमल और शिवनारायण की नजर थी, वे उसे हड़पना चाहते थे. इसे ले कर दोनों शंकरलाल को धमकियां भी देते रहते थे. पूरनमल को शंकर फूटी आंख नहीं सुहाता था. जब अजय और रश्मि की सगाई हुई, तब पूरनमल ने अजय को भड़का दिया. उस ने अजय के दिमाग में अवैध संबंध का बीज बो दिया. इस की जांच के सिलसिले में अजय मंगेतर और शंकरलाल के साथ उलझ गया और नौबत सगाई टूटने तक की आ गई.

5 अगस्त, 2025 की शाम 7 बजे तक पूरनमल, शिवनारायण, अजय कुमार और उस के भाई विजय कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली  गई. अजय मुख्य आरोपी था. उसे पूछताछ के लिए 3 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में ले लिया गया था. विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे 9 अगस्त, 2025 को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. कथा लिखने तक पुलिस अन्य अभियुक्तों को तलाश रही थी. Rajasthan News

 

Crime Story in Hindi : डैड किल्स डौटर टेनिस प्लेयर राधिका यादव

Crime Story in Hindi : राधिका यादव एक उभरती हुई टेनिस प्लेयर थी. वह गुरुग्राम में एक टेनिस एकेडमी चलाने के साथ म्यूजिक अलबम में भी काम कर चुकी थी. दिनोंदिन उस की पहचान बढ़ती जा रही थी. इसी बीच ऐसा क्या हुआ कि उस के पिता ने खुद उसे गोलियों से भून डाला?

राजधानी दिल्ली के एनसीआर गुरुग्राम सेक्टर 57 में स्थित सुशांत लोक एक पौश कालोनी है. इस के एक 3 मंजिला मकान को हर कोई जानता था. उस मकान में दीपक यादव अपने परिवार के साथ रहते थे. दीपक और मकान को लोग उन की 25 वर्षीया बेटी राधिका यादव की वजह से जानतेपहचानते थे. इस मकान में दीपक अपनी पत्नी, बेटे और बेटी राधिका के साथ रहते थे. साथ ही ग्राउंड फ्लोर पर उन के छोटे भाई कुलदीप यादव अपने परिवार समेत रहते थे.

राधिका हरियाणा की राज्य स्तरीय टेनिस खिलाड़ी रह चुकी है. उस ने कई टूर्नामेंट जीते थे. इस के अलावा वह पिछले एक साल से गुरुग्राम के ही सेक्टर 56 में एक टेनिस एकेडमी चला रही रही थी. इलाके के बच्चे वहां उस से टेनिस सीखने आते थे, किंतु 10 जुलाई, 2025 की सुबह बच्चे एकेडमी में नहीं आए. उन्हें राधिका ने सुबह में ही आने से मना कर दिया था. कारण, उसे ग्राउंड कोऔर्डिनेटर ने मैसेज कर बता दिया था कि बारिश की वजह से सुबह ग्राउंड खेलने के लिए नहीं मिल पाएगा.

उस ने बड़ी मुश्किल से बच्चों को समझाया था कि वे आज एकेडमी नहीं आएं. इस पर कुछ अभिभावकों ने राधिका से शिकायत भी की थी कि ऐसे तो बच्चों की प्रैक्टिस छूट जाएगी. उन से राधिका ने सौरी बोल कर पीछा तो छुड़ा लिया था, लेकिन उस के बाद से ही उस का मन और ज्यादा खिन्न हो गया था. सुबह के करीब 10 बज चुके थे. राधिका किचन में अपने लिए एनर्जी ड्रिंक बना रही थी. उस की मम्मी मीनू यादव दूसरे कमरे में लेटी थीं. उन्हें बीती रात से ही हलकाहलका बुखार था. उस रोज उन का जन्मदिन भी था. राधिका मम्मी के लिए उन की पसंद का कुछ स्पैशल खाना बनाना चाहती थी. मम्मी की सेहत को ध्यान में रख कर उस ने स्पैशल आइटम बनाने की तैयारी भी करनी थी.

उस के पापा दीपक यादव ड्राइंग रूम में बैठेबैठे बड़बड़ा रहे थे. वह थोड़ी देर पहले मार्निंग वाक कर लौटे थे. काफी तनाव में थे. सोफे पर कभी पैर पसार कर बैठते तो कभी उठ कर हाल में ही चहलकदमी करने लगते. वह जो कुछ बोल रहे थे, हाल से लगी रसोई में राधिका को भी सुनाई दे रहा था. अधिकतर बातें उस के बारे में ही कह रहे थे. वो भी सभी जलीभुनी, दिल को छेद करने वाली, मन को कचोटती हुई थीं. उन्होंने शिकायतें और घरपरिवार की मानमर्यादा, समाजसंस्कार की बातों का मानो पुलिंदा ही खोल दिया था.

जब ये बातें राधिका के कानों में पड़ीं तो वह तिलमिला उठी. उस के हाथ से चम्मच छूट कर फर्श पर जा गिरी. उसे उठाने लगी तो दूसरा बरतन गिर पड़ा…

”पापा! अब चुप भी हो जाओ. बंद करो अपनी बकवास!’’ राधिका तीखे लहजे में बोली और मिक्सी का बटन दबा दिया. घर्र… कर मिक्सी चल पड़ी.

”मैं बकवास कर रहा हूं…मुझे तो रोक लोगी, लेकिन उन को कैसे रोकोगी, जो मैं सुन कर आया हूं.’’

”तुम सब की बातों पर ध्यान ही क्यों देते हो?’’ वह बोली.

”क्यों न ध्यान दूं. तू कौन मेरी बात पर ध्यान दे रही है…कब से कह रहा हूं एकेडमी बंद कर दे, लोग मुझे ताने मारते हैं. कहते हैं कि बेटी की कमाई खा रहा है…’’ दीपक बोलते चले जा रहे थे. बीचबीच में राधिका बोलने लगी थी.

”तो क्या करूं? म्यूजिक एलबम बनाऊं…उस पर भी आपत्ति है. शक करते हो. रील बनाने की सोचती हूं, वह भी पसंद नहीं. …और अब कह रहे हो एकेडमी बंद कर दूं…’’

”मैं सही कह रहा हूं. जो लोग कह रहे हैं, मुझे ताने दे रहे हैं, वही कह रहा हूं. तुम्हारे म्यूजिक वीडियो को ले कर मुझे काफी सुनने को मिल रहा है.’’ दीपक ने कहा.

”मैं किसी की परवाह नहीं करती. दुनिया कुछ भी कहे…मैं अपने मन की ही करूंगी.’’

”मैं अब और नहीं झेल सकता लोगों की तीखी बातें.’’

”नहीं झेल सकते तो चुप हो जाओ. मुझे काम करने दो.’’ राधिका ने एक तरह से अपने पापा को डपट दिया था और बंद मिक्सी को फिर से चला दिया. अचानक गूंज उठी मिक्सी की आवाज और राधिका की बहस से दीपक तिलमिला गए थे. उन्होंने महसूस कि राधिका पर उन की बातों का कोई असर नहीं हुआ. गुस्से से पैर कांपने लगे थे. वह तेजी से अपने कमरे में गए. अगले पल ड्राइंगरूम में पहुंचे और तब उन के हाथ में लाइसेंसी रिवौल्वर थी. गुस्से से कांपते हुए हाथों से दीपक ने गोली दागनी शुरू कर दी. निशाने पर राधिका थी. एक गोली चूक गई. दीपक ने दनादन 4 गोलियां चला दीं.  गोलियां लगते ही वह फर्श पर गिर गई. लगातार गोलियां चलने की आवाज पूरे मकान और आसपास गूंज गई.

नीचे ग्राउंड फ्लोर पर उन के छोटे भाई कुलदीप यादव ने भी गोलियां चलने की आवाज सुनी. वह दौड़ेदौड़े दीपक के घर के मेन गेट पर आए. संयोग से दरवाजा खुला था. उन के साथ उन का बेटा भी आया था. उन्होंने देखा, ड्राइंग रूम में दीपक सोफे पर पसर कर बैठे थे, रिवौल्वर बगल में रखा था. सामने किचन में राधिका खून से लथपथ फर्श पर गिरी पड़ी थी. कुलदीप तुरंत बेटे के साथ जख्मी राधिका को कार से सेक्टर 56 स्थित एशिया मारिंगो अस्पताल ले गए, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

इस वारदात की सूचना गुरुग्राम थाने की पुलिस को हो गई. एसएचओ विनोद कुमार मौके पर पहुंच गए. शुरुआती जांच में मृतका राधिका की पहचान 25 वर्षीय टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव के रूप में हुई. वह राज्य स्तरीय कई टूर्नामेंट में मेडल जीत कर राष्ट्रीय स्तर की टेनिस खिलाड़ी बन चुकी थी.  यह वारदात गुरुग्राम की पौश सोसायटी सुशांत लोक फेस-2 के फ्लैट नंबर ई-157 में हुई थी. पुलिस जांच में पाया गया कि उसे गोली उस के पापा दीपक यादव ने ही मारी है. घटनास्थल पर दीपक यादव मौजूद थे. पुलिस ने उन की 0.32 बोर की रिवौल्वर को तुरंत जब्त कर दीपक को हिरासत में ले लिया.

पूछताछ में पता चला कि हत्या परिवार में महीनों से चल रहे तनाव के बाद हुई. इस के कारणों में उन की आर्थिक आजादी, इंस्टाग्राम रील्स, कारवां नाम का एक म्यूजिक वीडियो और टेनिस एकेडमी की भूमिका सामने आई. 49 वर्षीय दीपक यादव बैंक में क्लर्क की नौकरी करते थे. नौकरी से वीआरएस ले कर वजीराबाद गांव में अपनी जमीनजायदाद की देखभाल के काम में लग गए थे. उन की आमदनी किराए के रूप में होती थी. उन की आमदनी के बारे में बताते हैं कि वह महीने की 15 लाख रुपए से अधिक की थी.

वह अपनी बेटी के बढ़ते कद और आजादी को ले कर पिछले 2 हफ्तों से नाराज चल रहे थे. खासकर सेक्टर 57 में अपनी टेनिस एकेडमी खोलने के बाद वह बेटी के व्यवहार मे आए बदलाव पर अकसर आक्रामक हो जाते थे. पुलिस को शुरुआती पूछताछ में ही हत्या की बात कुबूलते हुए दीपक ने बताया कि उन्हें गांव वाले बारबार अपनी बेटी की कमाई पर निर्भर रहने के लिए ताना मारते थे. उन्होंने कई बार राधिका से अपनी टेनिस एकेडमी बंद करने का आग्रह किया था. इस कारण बापबेटी के बीच अकसर टकराव हो जाता था. वे इस पर घंटों बहस करते रहते थे. बड़ी मुश्किल से राधिका की मम्मी बीचबचाव कर बहस को बंद करवाती थी. राधिका के एक म्यूजिक वीडियो के चर्चा में आने पर घर में तनाव और बढ़ गया था.

इस वीडियो में मुंबई के कलाकार इनाम का ‘कारवां’ नामक एक गाना है, जिसे जीशान अहमद ने प्रोड्यूस किया है. इसे एक साल पहले एलएलएफ रिकौड्र्स लेवल के तहत रिलीज किया गया था. हालांकि इस का ठीक से प्रमोशन नहीं हो पाया था. वीडियो में कई दृश्यों में राधिका इनाम के साथ नजर आती है. पिछले दिनों राधिका ने इसे अपने सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था. यह भी कहा जाता है कि दीपक ने वीडियो पर आपत्ति जताई थी और उसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट से इसे हटाने के लिए कहा था.

पुलिस का कहना है कि दीपक ने अपने गांव में अपनी बेटी की कमाई पर निर्भर रहने के बारे में टिप्पणी मिलने के बाद और भी आक्रामक तरीके से विरोध करना शुरू कर दिया था. उन्होंने पुलिस को बताया कि वह शर्मिंदा महसूस करता था और उस की बातों से ऐसा लगता था कि वह अपनी बेटी की कामयाबी पर जीता है. जब वह वजीराबाद गांव में दूध लेने जाते थे तो लोग उन्हें ताना मारते थे और कहते थे कि यह अपनी बेटी की कमाई पर जीता है.

इस तरह लोगों के तानों से उन्हें बहुत परेशानी होती थी और वह मानसिक तनाव में आ जाते थे. कुछ लोगों ने उन की बेटी के चरित्र पर भी सवाल उठाए थे. उन का यहां तक कहना था कि वह गैर जाति और गैरधर्म के लड़के के साथ फरार हो सकती है. इसी पर उन्होंने राधिका से कहा था कि वह अपनी टेनिस एकेडमी बंद कर दे, लेकिन उस ने साफसाफ मना कर दिया था. राधिका को पिछले दिनों एक मैच के दौरान कंधे में चोट लग गई थी, जिस के कारण उसे अपना खेल रोकना पड़ा था. हालांकि वह टेनिस से पूरी तरह दूर नहीं होना चाहती थी. इस कारण उस ने बच्चों को कोचिंग देने का काम चुना था.

दीपक ने यह भी कुबूल कर लिया कि 10 जुलाई, 2025 की सुबह उन्होंने अपनी लाइसेंसी 0.32 बोर की रिवौल्वर निकाली और बेटी राधिका को नाश्ता बनाते समय पीछे से गोली मार दी. 4 राउंड फायर किए गए, जिन में से 3 गोलियां उसे लगीं. इस मामले की रिपोर्ट राधिका के छोटे भाई और राधिका के चाचा कुलदीप यादव ने दर्ज कराई. कुलदीप ने रिपोर्ट में लिखवाया कि राधिका एक प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी थी. उस ने कई ट्राफी जीती थीं. उस की मौत से सभी स्तब्ध हैं. उन्होंने बताया कि जब मैं पहली मंजिल पर गया तो वहां सिर्फ मेरा भाई दीपक, भाभी मंजू यादव और राधिका ही मौजूद थे.

कुलदीप की तहरीर पर पुलिस ने दीपक के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 103 (1) और शस्त्र अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया. गुरुग्राम पुलिस प्रवक्ता संदीप कुमार ने यह भी बताया कि हत्या में इस्तेमाल हथियार को जब्त कर लिया गया है और फोरैंसिक और बैलिस्टिक विश्लेषण के लिए भेज दिया गया है. दीपक यादव को मुख्य आरोपी बनाया गया था. उन की पत्नी मंजू यादव गोलीबारी के समय घर में मौजूद थीं, लेकिन उन्होंने लिखित बयान देने से इनकार कर दिया. उन का कहना था कि उन्हें बुखार था और वह कमरे में थीं. उन का बेटा धीरज घटना के समय घर पर नहीं था.

जब यह घटना हुई, तब वह अपने कमरे में आराम कर रही थीं और कहा कि उन्हें ‘प्रेशर कुकर फटने’ जैसी आवाज सुनाई दी थी, तब वह कमरे से बाहर निकली थीं. उन्होंने यह भी कहा कि राधिका का चरित्र अच्छा था और उस ने कभी परिवार को बदनाम नहीं किया. राधिका यादव एक पेशेवर टेनिस खिलाड़ी थी, जिस ने न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनाई थी. इंटरनैशनल टेनिस फेडरेशन और वीमेंस टेनिस एसोसिएशन के कई टूर्नामेंट्स में उस ने भाग लिया था. जून 2024 में ट्यूनीशिया में आयोजित डब्लू 15 टूर्नामेंट में भी उतरी थी.

इस के अलावा उस का मुकाबला ताइवान, श्रीलंका और यूक्रेन की खिलाडिय़ों से भी हो चुका है. उस की आईटीएफ रैंकिंग 1600 के करीब रही थी, जो किसी भी उभरती भारतीय खिलाड़ी के लिए उपलब्धि मानी जाती है. राधिका केवल खिलाड़ी ही नहीं, एक कोच भी थी. उस ने गुरुग्राम में एक निजी टेनिस एकेडमी शुरू की थी, जहां वह दरजनों बच्चों को प्रशिक्षित कर रही थी. पुलिस ने राधिका की हत्या के आरोपी उस के पिता से पूछताछ करने के बाद उसे कोर्ट में पेश के जेल भेज दिया.

कथा लिखने तक पुलिस मामले की जांच कर रही थी. पुलिस राधिका के आईफोन को भी खंगाल रही है. शायद उस में कोई राज छिपा मिले. Crime Story in Hindi