Murder story : कविता ने लिखी खूनी कविता

Murder story : एक दिन कविता पटेल मोबाइल के कौंटैक्ट नंबर देख रही थी, तभी उसे शादी से पहले के प्रेमी बृजेश का नंबर दिखा. नंबर देखते ही उसे पुराने दिन याद आने लगे. वह बृजेश से बात करने की कोशिश तो करती, लेकिन कुछ सोच कर रुक जाती थी.

आखिरकार एक दिन उस ने बृजेश से बात करने की गरज से फोन किया तो बृजेश बर्मन ने काल रिसीव करते हुए कहा, “हैलो कौन?’’

“बृजेश, पहचाना नहीं मुझे. तुम तो बहुत जल्दी बदल गए, अब तो मेरी आवाज भी भूल गए.’’ कविता ने शिकायती लहजे में कहा.

“जानेमन तुम्हें कैसे भूल सकता हूं. इस अननोन नंबर से काल आई तो पहचान नहीं सका.’’ बृजेश सफाई देते हुए बोला.

“तुम ने तो मेरी शादी के बाद कभी काल भी नहीं की,’’ कविता बोली.

“कविता, मैं तुम्हें दिल से चाहता था, इसलिए मैं तुम्हारा बसा हुआ घर नहीं उजाड़ना चाहता था. मैं ने अपने दिल पर पत्थर रख कर तुम्हारी खुशियों की खातिर समझौता कर लिया था,’’ बृजेश बोला.

“सचमुच इतना प्यार करते हो तो मुझ से मिलने दमोह आ जाओ, मुझ से तुम्हारी जुदाई बरदाश्त नहीं हो रही.’’ कविता ने फिर से उस के प्रति चाहत दिखाते हुए कहा.

इतना सुनते ही बृजेश का दिल बागबाग हो गया. फिर एक दिन वह कविता से मिलने उस की ससुराल पहुंच गया. कई महीने बाद बृजेश और कविता ने अपने दिल की बातें कीं तो उन का पुराना प्यार जाग गया. उस के बाद दोनों की मेलमुलाकात का सिलसिला चल निकला. बृजेश से जब कविता का दोबारा संपर्क हुआ तो उस समय वह टेंट हाउस में काम करने लगा था. कविता से उस की मुलाकात अकसर कालेज जाते समय होती थी.

प्रेमी को बताती थी मुंहबोला भाई

जब बृजेश कविता की ससुराल भी आने लगा तो कविता ने अपने ससुर और पति से उस का परिचय मुंहबोले भाई के तौर पर कराया. वैसे तो कविता को दीपचंद जैसा नेक पति मिल गया था, परंतु पति के शादी के बाद नौकरी के लिए चले जाने से कविता का पुराना प्यार जाग गया था. दीपचंद को जब कविता और बृजेश के प्रेम संबंधों का पता चला तो हंसते खेलते परिवार में कलह होते देर न लगी. लाख समझाने के बाद भी जब कविता नहीं मानी तो दीपचंद ने कविता पर सख्त पहरा लगा दिया. इस का अंजाम यह हुआ कि कविता के कहने पर बृजेश ने कविता की मांग का सिंदूर मिटा दिया.

22 जुलाई, 2023 दोपहर के करीब 2 बज रहे थे. मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल के दमोह जिले के गैसाबाद थाने में टीआई विकास सिंह चौहान अपने कक्ष में बैठे कुछ जरूरी फाइल देख रहे थे. तभी अधेड़ उम्र के एक व्यक्ति ने उन के कक्ष के बाहर से आवाज लगाई, “साब, क्या मैं अंदर आ सकता हूं?’’

टीआई चौहान ने एक नजर सामने खड़े उस व्यक्ति पर डालते हुए कहा, “हां, आ जाइए. बैठिए.’’

जब वह व्यक्ति कुरसी पर बैठ गया तो उन्होंने पूछा, “बताइए, क्या काम है?’’

“साहब, मेरा नाम हाकम पटेल है और मैं खैरा गांव का रहने वाला हूं. मेरा बेटा पिछले 3 दिनों से लापता है.’’

टीआई विकास सिंह चौहान ने एक कर्मचारी को पानी लाने का इशारा करते हुए हाकम पटेल से कहा, “आप इत्मीनान से मुझे पूरी बात विस्तार से बताइए.’’

“जी साहब, 19 जुलाई, 2023 की शाम 7 बजे मेरा 26 साल का इकलौता बेटा दीपचंद पटेल घर से निकला था. तब से उस का कुछ पता नहीं चल रहा है. उस का मोबाइल भी बंद आ रहा है.’’ यह कहते हुए हाकम ने कर्मचारी के हाथ से पानी का गिलास ले लिया.

“शादी हो गई बेटे की?’’ टीआई चौहान ने पूछा.

“हां साहब, 2021 में उस की शादी हो गई. बेटेबहू में किसी तरह का कोई मनमुटाव भी नहीं था.’’ गटागट पानी पीने के बाद हाकम ने बताया.

“किसी पर शक है तुम्हें, किसी से कोई रंजिश तो नहीं थी?’’

“नहीं साहब, हमारी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी, इसलिए किसी पर शक भी नहीं है.’’

दीपचंद की गुमशुदगी दर्ज कराते हुए टीआई चौहान ने हाकम को भरोसा दिलाया कि पुलिस जल्द ही उस के बेटे दीपचंद को खोज निकालेगी. दीपचंद के लापता होने की खबर उस के ससुराल दमोह से सटे हुए पन्ना तक पहुंची तो दीपचंद के ससुर और साले के साथ कुछ नातेरिश्तेदार भी दमोह पहुंच गए. वे हाकम के साथ मिल कर दामाद की तलाश में जुट गए. जैसेजैसे दिन बीत रहे थे, टीआई विकास सिंह चौहान को दीपचंद के बिना वजह लापता होने की बात खटक रही थी. दमोह जिले के एसपी सुनील तिवारी के निर्देश पर एसडीओपी (हटा) नितिन पटेल ने दीपचंद की खोजबीन के लिए एक पुलिस टीम गठित कर टीआई चौहान को पतासाजी करने के निर्देश दिए.

हाकम पटेल अपनी करीब 8-10 एकड़ जमीन पर खेतीबाड़ी करते हैं. हाकम ने 2 शादियां की थीं. पहली पत्नी से कोई बच्चा नहीं हुआ और कुछ समय बाद बीमारी के चलते उस की मौत हो गई तो हाकम ने दूसरी शादी कर ली तो दूसरी पत्नी से दीपचंद पैदा हुआ. दीपचंद जब छोटा ही था कि उस की मां घर छोड़ कर किसी दूसरे मर्द के साथ चली गई. पिता हाकम ने दीपचंद को लाड़प्यार से पालापोसा. दीपचंद केवल 12वीं कक्षा तक ही पढ़ाई कर पाया था. जवान होते ही दीपचंद की शादी पन्ना जिले के सुनवानी गांव की कविता से कर दी गई.

कविता के कदम दीपचंद के घर में पड़ते ही बाप बेटे काफी खुश थे, क्योंकि लंबे अरसे बाद घर में कोई महिला आई थी. दोनों चूल्हा फूंकफूंक कर थक चुके थे, ऐसे में कविता ने जब इस घर की दहलीज पर कदम रखा तो जल्द ही वह दोनों की आंखों का तारा हो गई. ससुर हाकम उसे बेटी की तरह दुलारते तो दीपचंद भी उस की हर ख्वाहिश पूरी करता. पुलिस के लिए दीपचंद की गुमशुदगी एक पहेली बनी हुई थी. दीपचंद की न तो किसी से रंजिश थी और न ही कोई दुश्मनी. गांव में पूछताछ के दौरान भी कोई सुराग पुलिस के हाथ नहीं लगा, जिस से दीपचंद का पता चल सके. पुलिस की आखिरी उम्मीद दीपचंद की काल डिटेल्स रिपोर्ट पर टिकी हुई थी.

पुलिस ने जब दीपचंद के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि दीपचंद की 19 जुलाई की शाम आखिरी बार पन्ना के लोहरा गांव में रहने वाले बृजेश बर्मन उर्फ कल्लू से बात हुई थी. इस के बाद पुलिस ने बृजेश बर्मन के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि बृजेश की सब से ज्यादा बात चिकला निवासी गणेश विश्वकर्मा से हुई थी. दीपचंद समेत तीनों के फोन नंबर भी टावर लोकेशन में एक साथ खैरा गांव में मिले. इस से साफ हो गया था कि घर से दीपचंद इन दोनों के साथ ही निकला था.

दीपचंद का मोबाइल बंद होने से पहले की आखिरी टावर लोकेशन गांव वर्धा की थी. इसी टावर लोकेशन में गणेश विश्वकर्मा व बृजेश बर्मन के मोबाइल फोन भी बंद हो गए थे. यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस टीम को पूरा भरोसा हो गया कि दीपचंद के लापता होने के बारे में इन दोनों को जरूर कुछ पता होगा. पुलिस टीम के लिए एक चौंकाने वाली बात यह पता चली कि बृजेश बर्मन उर्फ कल्लू की काल डिटेल्स में दीपचंद की पत्नी कविता का नंबर भी मिला. 19 जुलाई, 2023 को भी बृजेश और कविता के बीच बातचीत हुई थी. इस के पहले भी दोनों के बीच लगातार बात होने की पुष्टि हुई.

पुलिस ने बृजेश बर्मन और फिर गणेश विश्वकर्मा को हिरासत में ले कर पूछताछ की. पहले तो बृजेश ने यह कह कर पुलिस को बरगलाने की कोशिश की कि वह कविता को बहुत पहले से जानता है वह उस के मायके में किराए पर रह चुका है. इसी जानपहचान के चलते कविता से बात करता रहता था. पुलिस को उस की बात पर भरोसा नहीं हुआ. पुलिस के संदेह की सुई बृजेश के इर्दगिर्द घूम रही थी. पुलिस ने तुक्का मारते हुए बृजेश से कहा, “कविता ने सब कुछ बता दिया है, अब तुम्हारी बारी है. सच बताओगे तो ठीक नहीं तो दूसरा ही तरीका अपनाना पड़ेगा.’’

आखिरकार, तीर निशाने पर लगा और पुलिस की सख्ती के आगे बृजेश बर्मन टूट गया. बृजेश ने दीपचंद की हत्या की पूरी साजिश और हत्या की जो कहानी सुनाई, वह पुराने प्रेम संबंधों की कहानी निकली, जिस में अपने प्रेमी के लिए कविता ने अपनी मांग का सिंदूर ही मिटा दिया. बहू की यह करतूत जान कर दीपचंद के पिता हाकम पटेल के पैरों से तो जैसे जमीन ही खिसक गई.

शादी के पहले के प्रेमी से जोड़े संबंध

शादी के बाद दीपचंद जैसा पति और हाकम जैसा नेकदिल ससुर पा कर कविता भी काफी खुश थी, उस ने ससुराल को ही अपना घर मान लिया था. कविता के मम्मीपापा राजस्थान के जोधपुर में एक सीमेंट फैक्टी में काम करते थे. दीपचंद का मन खेतीबाड़ी में नहीं लगता था. इस वजह से वह उन दिनों काम की तलाश कर रहा था. जब कविता के पिता ने उसे जोधपुर में काम दिलाने की बात की तो वह शादी के कुछ महीनों बाद ही राजस्थान पहुंच गया. दीपचंद तब राजस्थान की एक सीमेंट फैक्ट्री में नौकरी पर चला गया.

घर में अकेली कविता को तन्हाई ने डस लिया. उस के मन के एक कोने में अब भी अपने बचपन के प्यार बृजेश बर्मन उर्फ कल्लू की यादें थीं. जब अकेलापन भारी पड़ने लगा तो उस ने बृजेश से फिर तार जोड़ लिए. कविता का मायका सुनवानी पन्ना में था, वह पहले शराब कंपनी में काम करता था. तब कविता के पापा के घर में ही किराए पर रहता था. कविता ने बीएससी तक की पढ़ाई की थी और वह शुरू से ही सपनों की दुनिया में सैर करने वाली लड़की थी. बृजेश तब शराब कंपनी में काम कर के अच्छे पैसे कमा रहा था. उसे कविता पहली ही नजर में पसंद आ गई थी. वह आतेजाते कविता से बात करने के बहाने ढूंढता. उस समय कविता की उम्र महज 19 साल थी.

एक दिन बृजेश शाम को जल्दी अपने रूम पर आ गया. उस समय कविता की मां मंदिर गई थीं और पिता किसी काम से बाहर गए हुए थे. बृजेश ने मौका देखते ही अपने प्यार का इजहार करते हुए कहा, “कविता, तुम बहुत खूबसूरत हो. आई लव यू कविता.’’

कविता भी मन ही मन बृजेश को चाहने लगी थी, मगर डर के मारे यह बात दिल में दबाए बैठी थी. जब बृजेश ने प्यार का इजहार किया तो उस ने भी कह दिया, “आई लव यू टू बृजेश.’’

कविता की स्वीकृति मिलते ही बृजेश ने उस का हाथ पकड़ा और गालों पर चुंबन लेते हुए कहा, “कविता, मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकता.’’

कविता का चेहरा मारे शर्म के लाल हो गया, उस ने जल्दी से अपना हाथ छुड़ाया और अपने कमरे की तरफ भाग गई. धीरेधीरे दोनों में गहरी दोस्ती और फिर प्यार परवान चढ़ने लगा. बृजेश अकसर कविता के लिए महंगे गिफ्ट भी ला कर देने लगा. कविता पटेल और बृजेश बर्मन अलगअलग जाति के थे. दोनों शादी के लिए राजी थे, मगर सामाजिक रीतिरिवाजों में इस की इजाजत नहीं थी. बृजेश उसे घर से भगा कर शादी करना चाहता था, लेकिन कविता घर से भाग कर शादी करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई. आखिर में मई, 2021 में कविता की शादी उस के घर वालों ने दमोह जिले के खैरा गांव निवासी दीपचंद से कर दी.

किराएदार से हुआ था प्यार

23 साल की कविता की शादी दीपचंद पटेल से हुई थी. उस समय कविता हायर सेकेंडरी तक पढ़ी थी. जब उस ने अपने ससुर से आगे पढ़ने की इच्छा जताई तो उन्होंने उस का एडमिशन पन्ना के अमानगंज कालेज में करवा दिया. शादी से पहले कविता का उस के मकान में रहने वाले किराएदार बृजेश बर्मन उर्फ कल्लू से अफेयर जरूर था, मगर दोनों की जाति अलग होने की वजह से उन की शादी नहीं हो पाई. शादी के बाद सब ठीकठाक चल रहा था. कविता के ससुर उसे बेटी की तरह प्रेम करते थे. शादी के बाद कविता अपने प्रेमी बृजेश को भी भुला चुकी थी. कविता के पति की नौकरी राजस्थान की सीमेंट फैक्ट्री में थी. शादी के कुछ दिन बाद दीपचंद वापस नौकरी पर लौट गया तो कविता को खाली घर काटने लगा.

एक दिन वह मोबाइल के कौंटैक्ट नंबर देख रही थी, तभी उसे बृजेश का नंबर दिखा. उसे पुराने दिन याद आने लगे. वह बृजेश से बात करने की कोशिश तो करती, लेकिन कुछ सोच कर रुक जाती थी. आखिरकार एक दिन उस ने बृजेश से बात करने की गरज से फोन किया तो बृजेश ने काल रिसीव करते हुए कहा, “हैलो कौन?’’

“बृजेश, पहचाना नहीं मुझे. तुम तो बहुत बदल गए, अब तो मेरी आवाज भी भूल गए.’’ कविता ने शिकायत की.

“जानेमन तुम्हें कैसे भूल सकता हूं. इस अननोन नंबर से काल आई तो पहचान नहीं सका.’’ बृजेश सफाई देते हुए बोला.

“तुम ने तो मेरी शादी के बाद कभी काल भी नहीं की,’’ कविता बोली.

“कविता, मैं तुम्हें दिल से चाहता था, इसलिए मैं तुम्हारा बसा हुआ घर नहीं उजाड़ना चाहता था. मैं ने अपने दिल पर पत्थर रख कर तुम्हारी खुशियों की खातिर समझौता कर लिया था,’’ बृजेश बोला.

“सच में इतना प्यार करते हो तो मुझ से मिलने दमोह आ जाओ, तुम्हारी जुदाई बरदाश्त नहीं हो रही.’’ कविता ने फिर से उस के प्रति चाहत दिखाते हुए कहा.

कई महीने बाद बृजेश और कविता ने अपने दिल की बातें कीं तो उन का पुराना प्यार जाग गया. उस के बाद दोनों की मेल मुलाकात का सिलसिला चल निकला. बृजेश से जब कविता का दोबारा संपर्क हुआ तो उस समय वह टेंट हाउस में काम करने लगा था. कविता से उस की मुलाकात अकसर कालेज जाते समय होती थी. जब बृजेश कविता की ससुराल भी आने लगा तो कविता ने अपने ससुर और पति से उस का परिचय मुंहबोले भाई के तौर पर कराया.

बृजेश ने दीपचंद से भी दोस्ती कर ली थी. दीपचंद खाने पीने का शौकीन था, इसलिए अकसर ही दीपचंद की बैठक बृजेश के साथ होने लगी. दीपचंद और उस के पिता हाकम को यह शक तक नहीं हुआ कि वह यहां कविता के लिए आता है. दीपचंद को उस की गैरमौजूदगी में जब बृजेश के कुछ अधिक ही घर आने की खबर मिलने लगी तो उसे संदेह हुआ. फिर दीपचंद राजस्थान से नौकरी छोड़ कर लौट आया. वह पन्ना की सीमेंट फैक्ट्री में काम पर लग गया. वह अपने गांव खैरा के घर से ही ड्यूटी आनेजाने लगा. दीपचंद के लौटने के बाद दोनों का मिलना मुश्किल हो गया था.

धीरेधीरे दीपचंद को पत्नी कविता और बृजेश के संबंधों की भनक लग चुकी थी. हालांकि दोनों ने अपने संबंधों को दीपचंद के सामने स्वीकार नहीं किया. कविता हमेशा बृजेश को मुंहबोला भाई ही बताती रही. शादी के 2 साल बाद भी उन के संतान नहीं हुई थी. कविता अकसर दीपचंद को अपने से दूर रखती थी. इस से दीपचंद का संदेह और पुख्ता हो गया था. वह कविता पर दबाव बनाने लगा कि वह बृजेश से मेलजोल बंद कर दे और न ही उस से फोन पर बात करे. बृजेश को ले कर उस का कविता से विवाद भी होने लगा था. इस कहासुनी में वह कभीकभी कविता की पिटाई भी कर देता था. यहां तक कि दीपचंद ने पत्नी कविता को खर्च के लिए पैसे देने भी बंद कर दिए तो कविता को समझ आ गया था कि अब पति के जिंदा रहते वह बृजेश से अपने संबंधों को जारी नहीं रख पाएगी.

बृजेश भी कविता के प्यार में इतना पागल हो चुका था कि उसे कविता से मिले बगैर चैन नहीं मिलता. कविता के मन में हरदम यही विचार आता था कि वह पति को रास्ते से हटा दे और उस के बाद बृजेश के साथ इसी तरह नाजायज संबंध बनाए रखेगी. इस से उस के ससुर की जमीनजायदाद में भी उस का हिस्सा बना रहेगा और प्रेमी की बाहों का झूला भी उसे मिलता रहेगा. यहीं से कविता ने बृजेश के साथ मिल कर पति को रास्ते से हटाने की साजिश रची.

प्रेमी के लिए मिटाया सिंदूर

जब कविता पति की हत्या के लिए तैयार हो गई तो बृजेश ने अपने साथ टेंटहाउस में साथ काम करने वाले दोस्त गणेश विश्वकर्मा को साजिश में शामिल कर लिया. उस ने गणेश को दोस्ती का वास्ता दे कर रुपए देने का लालच दिया. योजना के मुताबिक कविता इस बीच मायके चली गई, जिस से दीपचंद के अचानक लापता होने पर संदेह न हो. हत्या के लिए 19 जुलाई, 2023 की तारीख तय की गई. उस दिन दीपचंद ने काम से छुट्टी ले रखी थी, यह बात कविता ने दीपचंद को फोन कर के तसल्ली भी कर ली थी कि वह घर पर ही है. इस के बाद उस ने बृजेश को फोन कर दीपचंद की लोकेशन बता दी.

बृजेश ने पन्ना जिले के अमानगंज निवासी बिट्टू दुबे की चार पहिया गाड़ी एमपी20 सीई 6749 किराए पर ले ली. इस के बाद वह सुनवानी से गणेश विश्वकर्मा को साथ ले कर खैरा गांव पहुंचा. वहां दीपचंद को फोन कर घर के बाहर मिलने बुलाया. फिर पार्टी के बहाने दीपचंद को साथ ले कर वर्धा होते हुए खजरूट स्थित पेट्रोल पंप के पास पहुंचे. वहां एक गुमटी से सिगरेट, पानी और नमकीन के पैकेट लिए. बृजेश ने शराब पहले ही खरीद ली थी. रास्ते में एक जगह रुक कर तीनों ने शराब पी.

बृजेश और गणेश ने दीपचंद को ज्यादा शराब पिलाई. दीपचंद जल्दी ही शराब के नशे में धुत हो गया. इस के बाद बृजेश ने गाड़ी पंडवन पुल के पास बने मंदिर की ओर मोड़ दी. कल्लू ने मंदिर के पास गाड़ी रोक कर दीपचंद को गाड़ी से उतारा. इस के बाद गणेश और बृजेश ने दीपचंद को जमीन पर पटक दिया और उस का गला दबा दिया. इस से दीपचंद बेहोश हो गया. दीपचंद के बेहोश होने के बाद बृजेश बर्मन उर्फ कल्लू ने गाड़ी में रखी लाठी उठाई और सिर पर तब तक वार किए, जब तक वह मर नहीं गया. इस के बाद उस के लोअर से मोबाइल और पर्स निकाल लिए. पर्स में करीब 700 रुपए थे, जो बृजेश ने रख लिए और पर्स और चप्पलें झाड़ी में फेंक दीं.

पुलिस ने बरामद किए अहम सबूत

इस के बाद बृजेश बर्मन और गणेश विश्वकर्मा ने दीपचंद की लाश को गाड़ी नंबर एमपी20 सीई6749 में डाल कर पंडवन की केन नदी में ले जा कर बहा दिया. दीपचंद का मोबाइल और घटना में प्रयुक्त खून से सना डंडा भी नदी में फेंक दिया. तब तक रात के साढ़े 10 बज चुके थे. दोनों ने गाड़ी में लगे खून को साफ किया और रात में ही गाड़ी उस के मालिक बिट्टू दुबे को सौंप कर अपने अपने घर आ गए. 3 दिन बाद जब दीपचंद के लापता होने की खबर फैली तो बृजेश भी दिलासा देने उस के घर गया, जिस से किसी को उस पर शक न हो.

आरोपियों ने खजरूट की जिस दुकान से शराब व सिगरेट खरीदी थी, पुलिस ने उस दुकान मालिक वीरभान सिंह से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस दिन बृजेश बर्मन व गणेश विश्वकर्मा गाड़ी से आए थे और शराब व सिगरेट खरीदी थी. वीरभान ने यह भी बताया कि ड्राइवर वाली सीट पर बृजेश बर्मन बैठा था, बगल वाली सीट पर दीपचंद बैठा था. बृजेश बर्मन और गणेश विश्वकर्मा पन्ना के सुनवानी के जिस टेंटहाउस में काम करते थे, उस के मालिक कमलेश विश्वकर्मा से भी पुलिस टीम ने पूछताछ की तो कमलेश ने बताया कि 21 अगस्त को जब गैसाबाद की पुलिस जांच करने सुनवानी आई थी, उस रात गणेश ने शराब के नशे में बृजेश बर्मन के साथ मिल कर दीपचंद की हत्या की बात बताई थी.

टीआई विकास सिंह चौहान ने बृजेश और गणेश की निशानदेही पर झाड़ियों में छिपाई चप्पलें और खाली पर्स जब्त कर लिया. इस के अलावा घटना में प्रयुक्त बिट्टू दुबे की गाड़ी भी जब्त कर ली. जहां दीपचंद का शव फेंका गया, वह जगह पन्ना जिले में आती है. केन नदी पन्ना जिले की सब से बड़ी नदी है और इस में बड़ी संख्या में मगरमच्छ भी रहते हैं. इस से यह आशंका भी व्यक्त की जा रही थी कि नदी में बहाए गए शव को मगरमच्छों ने अपना ग्रास न बना लिया हो. स्थानीय पुलिस और एसडीआरएफ के सहयोग से केन नदी में दीपचंद की लाश की सर्चिंग करवाई, लेकिन लाश बरामद नहीं हो सकी.

25 अगस्त, 2023 को गैसाबाद पुलिस ने हत्या, साक्ष्य छिपाने और साजिश रचने का मामला दर्ज कर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया, जहां से उन्हें दमोह जेल भेज दिया गया. दीपचंद की हत्या को एक माह से अधिक समय हो गया था, मगर दीपचंद का शव बरामद नहीं हुआ था. इसे ले कर दीपचंद के परिवार और रिश्तेदारों ने पुलिस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था. एसडीआरएफ की टीमें केन नदी में लगातार शव तलाश रही थीं, परंतु सफलता नहीं मिल रही थी. एक माह के दौरान नदी में बाढ़ भी आ चुकी थी, इस से यह अनुमान लगाया जा रहा था कि शव कहीं दूर निकल गया हो. दमोह जिले के एसपी और एसडीओपी नितिन पटेल लगातार पुलिस टीमों को खोजबीन के लिए भेज रहे थे.

30 अगस्त, 2023 को गैसाबाद पुलिस को सूचना मिली कि अमानगंज थाने के जिज गांव के नाले के पास एक क्षतविक्षत शव के अवशेष पड़े हुए हैं. सूचना पर पहुंची पुलिस टीम को केन नदी और एक नाले के बीच बने टापू पर देर रात शव के अवशेष बरामद हुए. शिनाख्त के लिए एसडीओपी (हटा) नीतेश पटेल के निर्देश पर गैसाबाद थाना पुलिस टीम मौके पर दीपचंद के पिता हाकम को ले कर पहुंची. हाकम ने हाथ में बंधे रक्षासूत्र और उस के पहने हुए कपड़ों से उस की शिनाख्त अपने बेटे दीपचंद पटेल के रूप में की.

पुलिस ने शव को बरामद कर पंचनामा और पोस्टमार्टम की काररवाई कर शव के अवशेष डीएनए टेस्ट के लिए सुरक्षित करने के बाद वह परिजनों के सुपुर्द कर दिया.

एसपी सुनील तिवारी ने शव की खोजबीन में लगे पुलिसकर्मियों और एसडीआरएफ टीम के प्रयासों की सराहना की. कविता पटेल ने एक गलती से अपनी मांग का सिंदूर पोंछ कर अपनी बसी बसाई घरगृहस्थी उजाड़ ली और जेल की हवा खानी पड़ी.

हांथपैर बांधा और बालूरेती स्प्रे चलाकर कर दिया Best Friend का कत्ल

Best Friend : जंगल में मिली युवक की लाश इतनी डरावनी हालत में थी कि उसे देखते ही एक सिपाही बेहोश हो कर गिर गया था. लाश की खाल और सिर के बाल गायब थे. आखिर कौन था वह मृतक युवक और किस ने की थी इतने वीभत्स तरीके से उस की हत्या?

आज मौसम बड़ा बेईमान है. आज मौसम…गुनगुनाता हुआ सबइंसपेक्टर किशोर थाने में घुसा तो देखते ही इंसपेक्टर राज मुसकराते हुए बोले, ”क्या बात है किशोर, ऐसा लगता है आजकल तुम्हें आराम काफी अच्छा मिल रहा है, इसीलिए इस भीषण गरमी में भी तुम को मौसम बेईमान लग रहा है.’’

जय हिंद सर! आप ने सच कहा पुलिस की नौकरी में सुकून कहां? पर पिछले एक महीने से चोरी, जेबकतरी जैसे छोटेमोटे मामले ही आ रहे हैं. लग ही नहीं रहा है कि हम पुलिस विभाग में काम कर रहे हैं.’’ किशोर कुरसी पर बैठते हुए बोला.

सच है, जब तक कोई बड़ा केस न सुलझा लिया जाए, तब तक ऐसा लगता है कि खाना पच ही नहीं रहा है.’’ इंसपेक्टर राज भी सहमत होते हुए बोले.

दोनों बातें कर ही रहे थे कि उसी दौरान एक मुखबर आया. उस ने कहा, ”सर, जंगल के इलाके में एक लाश पड़ी हुई है.’’

क्या? कहां पर?’’ राज ने चौंकते हुए पूछा.

लीजिए सर, बड़ा केस आ गया.’’ किशोर इंसपेक्टर साहब की तरफ देखते हुए बोला .

कौन है वह? आदमी या औरत? शिनाख्त हुई क्या?’’ इंसपेक्टर राज ने मुखबिर से ही कई प्रश्न एक साथ पूछ डाले.

सर, लाश तो किसी आदमी की ही लगती है. मगर शिनाख्त करने की स्थिति में बिलकुल भी नहीं है.’’ मुखबिर ने बताया.

ऐंऽऽ इस तरह से मारा है क्या कि शिनाख्त ही संभव नहीं हैï?’’ इंसपेक्टर ने हैरानी से पूछा.

सर, मैं ने अपनी जिंदगी में इस तरह की  लाश पहली बार देखी है. इस कारण मैं उस सीन को बयां नहीं कर सकता.’’ मुखबिर घबराहट में अपना थूक गटकते हुए बोला.

किशोर, तुरंत फोटोग्राफर और बाकी स्टाफ को बुलवाओ. हमें जल्दी ही वहां पर पहुंचना है.’’ इंसपेक्टर राज निर्देश देते हुए बोले.

जी सर, एक महीने की छुट्टी खत्म और पुलिस की ड्यूटी शुरू.’’ अपनी अधूरी बात को पूरा करते हुए किशोर बोला.

लाश के पास किसी को छोड़ा है न?’’ इंसपेक्टर ने मुखबिर से पूछा.

जी और तो कोई मिला नहीं, इसी कारण एक चरवाहे को बोल कर आया हूं, जानपहचान वाला ही है.’’ मुखबिर ने जवाब दिया.

कुछ ही देर में इंसपेक्टर अपने दलबल के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

देखिए सर, लाश उधर पड़ी है,’’ मुखबिर घटनास्थल की तरफ इशारा करते हुए बोला. यह जंगल शहर से करीब 7-8 किलोमीटर दूर है.

जंगल तो बहुत ही घना और सुनसान है. अकेला आदमी तो इधर आने में भी डरे.’’ एक सिपाही बोला.

ऐसी वारदातें अकसर सुनसान जगहों पर ही होती हैं.’’ दूसरा सिपाही बोला.

सर, यह रहा वह चरवाहा, जिसे मैं छोड़ कर गया था.’’ मुखबिर इशारा करते हुए बोला.

इन के जाने के बाद कोई यहां आया तो नहीं था.’’ इंसपेक्टर ने उस व्यक्ति से पूछा.

जी नहीं. लाश वहां दूर पड़ी है.’’ चरवाहा बोला.

ओह माय गौड. व्हाट ए बैड एंड होरिबल डैड बौडी.’’ लाश देख कर इंसपेक्टर की आंखें चौड़ी हो गईं.

सर, लाश की ऐसी हालत देख कर एक सिपाही को चक्कर आ गया है. वह गिर पड़ा है.’’ एसआई ने सूचना दी.

हां, लाश है ही इतनी वीभत्स. कमजोर दिल वाला तो बेहोश हो ही जाएगा न.’’ इंसपेक्टर बोले.

जी हां, मैं ने भी कई लाशें देखी हैं, मगर यह लाश उन सब से बिलकुल अलग, अनोखी और डरावनी है. समझ में ही नहीं आ रहा है कि तसवीरें कहां से और किस एंगल से लें.’’ फोटोग्राफर बोला.

सच में ऐसा लग रहा है, जैसे किसी तेजधार हथियार से इस के शरीर से सारी स्किन निकाल ली गई है.’’ एक अन्य सिपाही नाक पर रुमाल रखते हुए बोला.

शरीर और सिर पर बालों का नामोनिशान तक नहीं है. खुले हुए मांस पर उस की खुली हुई आंखें लाश को और भी अधिक डरावना बना रही हैं. कान के ऊपर की परत भी गायब है.’’ एसआई किशोर बोला.

यह बताना भी बहुत मुश्किल होगा कि यह किस धर्म को मानने वाला था.’’ फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट भी बौडी की तरफ देखते हुए बोला.

ऐसा लगता है कि इस का मर्डर अभी 5-7 घंटे पहले ही हुआ है. क्योंकि अभी Best Friend  बौडी का डीकंपोजिशन चालू नहीं हुआ है और लाश के चारों ओर चीटियां भी ज्यादा संख्या में जमा नहीं हुई हैं.’’ एक अन्य एक्सपर्ट ने अपने विचार रखे.

देखिए मिस्टर फोटोग्राफर, यहां किसी गाड़ी के टायर के निशान दिख रहे हैं.’’ इंसपेक्टर राज फोटोग्राफर से बोले.

जी हां सर, यह किसी हैवी गाड़ी के टायरों के निशान हैं. संभव है, ये 10 टायरों वाला लोडिंग व्हीकल हो.’’ फोटोग्राफर ने जवाब दिया.

मतलब इसे मारा कहीं और गया है और ला कर यहां फेंका गया है.’’ इंसपेक्टर बोले.

एसआई किशोर बोला, ”सर, हो सकता है कि यह सोच कर यहां पर फेंका गया हो कि इस हालत में इसे कुत्तेबिल्ली तुरंत खा कर समाप्त कर देंगे. मगर यह जंगल बस्ती से इतनी दूर है कि यहां पर जानवर भी नहीं हैं.’’

यहां पर सवाल यह भी है कि इस व्यक्ति को इतनी बुरी तरह से क्यों और किस ने मारा? इस कत्ल का मोटिव क्या है?’’ इंसपेक्टर राज ने अपने स्टाफ की तरफ देखते हुए कहा.

सर, हो सकता है कि यह किसी अवैध संबंध का परिणाम हो और धार्मिक पहचान छिपाने के मकसद से इस तरह से मारा हो.’’ सबइंसपेक्टर किशोर ने शंका व्यक्त की.

यह किसी आपसी रंजिश के कारण भी हो सकता है.’’ फोटोग्राफर बोला.

सर, क्राइम का कारण कुछ भी रहा हो, मगर इतना तो निश्चित है कि मृतक सिविल कंस्ट्रक्शन के बिजनैस से रिलेटेड रहा हो, क्योंकि लाश के आसपास बिखरी हुई बालू और रेती इस तरफ इशारा कर रही है,’’ इंसपेक्टर ने कहा, ”एनीवे इस केस का रिजल्ट तो तफ्तीश के बाद ही मिलेगा. अभी तो आप लोग आसपास से सभी संभावित सबूत इकट्ठा कर लें, फोटोग्राफ लें और लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दो.’’

फिर सभी अपनेअपने कामों में जुट गए.

सर, इस लाश के दोनों हाथ कमर के नीचे हैं, इन का फोटो लेने के लिए लाश को पलटना होगा.’’ फोटोग्राफर बोला.

हां, एंबुलैंस भी आ चुकी है. किसी लकड़ी या छड़ी की मदद से लाश को पलट कर स्ट्रेचर पर रख लीजिए और आगे की काररवाई कर लीजिए.’’ इंसपेक्टर बोले.

फोटोग्राफर ने कहा, ”सर, लाश को पलटने के बाद देखिए तो मांस पर कुछ निशान दिखाई दे रहे हैं. ऐसा लगता है कि मारने से पहले इस के दोनों हाथ कमर के पीछे ले जा कर बांध दिए गए थे.’’ 

हां और इस ने जान बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाई होगी, इसी कारण मांस तक में इतने गहरे निशान आ गए हैं.’’ इंसपेक्टर ने जवाब दिया.

सर, पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आ गई है.’’ एसआई किशोर लगभग 2 दिनों के बाद इंसपेक्टर राज को बता रहा था.

दिखाना जरा, रिपोर्ट में क्या है?’’ इंसपेक्टर बोले.

सर, इस रिपोर्ट के हिसाब से मौत शरीर के विभिन्न हिस्सों पर गहरे आघात की वजह से हुई है.’’ किशोर ने कहा.

वह तो दिख ही रहा था और कुछ विशेष?’’ इंसपेक्टर ने प्रश्नवाचक निगाहों से देखते हुए पूछा.

हां, आप का अनुमान सही था. लाश के मांस में काफी मात्रा में बालूरेती गहराई तक घुसी हुई मिली है. इस से लगता है कि मृतक सिविल कंस्ट्रक्शन काम से संबंधित था.’’ एसआई बोला.

शहर में चल रही सभी सिविल साइट्स पर जा कर तफ्तीश करो और सभी थानों से गुमशुदा व्यक्तियों के बारे में जानकारी लो.’’ इंसपेक्टर ने निर्देश दिया.

यस सर.’’ एसआई बोला.

हां, मैं उन से संपर्क स्थापित कर चुका हूं, वह भी आज ही आने वाला है.’’ इंसपेक्टर ने बताया.

यह मर्डर तो सचमुच आश्चर्यजनक है.’’ फोरैंसिक औफिसर रिपोर्ट और फोटोग्राफ्स देखते हुए बोला.

हां, हम भी इसे देख कर हैरान हैं.’’ इंसपेक्टर बोला.

मैं ने गरम पानी या गरम तेल से कुछ मर्डर्स देखे हैं, जिन में बौडी से स्किन निकल जाती है, मगर यह मामला उस सब से बिलकुल अलग है. आप किस दिशा में कार्य कर रहे हैं? मेरा मतलब है आप का लाइन औफ ऐक्शन क्या है?’’ फोरैंसिक औफिसर ने पूछा.

आसपास के सभी थानों से गुमशुदगी रिपोर्ट के बारे में जानकारी मांगी है, मगर अभी तक कोई जानकारी निकल कर नहीं आई है.’’ इंसपेक्टर ने जवाब दिया.

अब आप अपनी जांच का दायरा बढ़ाइए. इन फोटोग्राफ्स Best Friend को ध्यान से देखिए. यह देखिए, गाड़ी के टायर के निशान क्लिनर साइड के 2 टायरों का रबर एक जैसे टुकड़ों में कटा हुआ है, जबकि फोटो में इंप्रैशन से ऐसा लग रहा है कि शायद नए ही हैं. ऐसा किसी पथरीली सतह पर ट्रक के चलने के कारण हुए निश्चित तौर उस तरफ की कोई सतह भारी और नुकीली रही होगी.

अब आप अपनी टीम लगा कर ऐसे ट्रक की जानकारी निकलवाइए. यह काम किसी लोकल गाड़ी से ही हुआ है, क्योंकि ज्यादा दूर से कोई इस तरह की लाश को इस दशा में ला नहीं सकता.’’ फोरैंसिक औफिसर ने अपना विचार दिया.

जी, बहुत अच्छा क्लू दिया आप ने,’’ इंसपेक्टर धन्यवाद देता हुआ बोला.

लगभग 2 दिन बाद एक सिपाही ने बताया कि ऐसा ट्रक मिल गया है, जिस का मालिक रामसिंह है. चूंकि रामसिंह घर पर नहीं था, इसीलिए उसे थाने में रिपोर्ट करने की सूचना उस के घर पर दे दी गई है और एक मुखबिर को वहां तैनात कर दिया गया है. लगभग 2 घंटे ही गुजरे होंगे कि एक सिपाही आ कर इंसपेक्टर से बोला, ”सर, रामसिंह नाम का एक आदमी आया है, वह आप से मिलना चाहता है. उस का कहना है वह उस ब्लाइंड मर्डर के बारे में कुछ सुराग दे सकता है.’’

भेजो उसे तुरंत.’’ इंसपेक्टर जल्दी से बोले.

नमस्कार सर.’’ अंदर आते ही वह आदमी हाथ जोड़ कर बोला.

आओ रामसिंह, बैठो. बताओ, उस ब्लाइंड मर्डर के बारे में तुम हमारी क्या मदद कर सकते हो?’’ इंसपेक्टर उस के चेहरे की तरफ नजरें गड़ा कर बोले.

सर, मैं ने उस मर्डर को अपनी आंखों से होते हुए देखा है.’’ रामसिंह बोला .

क्या? तुम ने इतने वीभत्स मर्डर को किया कैसे? मरने वाला व्यक्ति कौन था? तुम उसे कैसे जानते थे?’’ इंसपेक्टर ने कई सारे प्रश्न एक साथ पूछ डाले.

सर, मैं ने मर्डर नहीं किया, मैं तो उस का चश्मदीद गवाह हूं. मैं उस ट्रक का ड्राइवर हूं, जिस में इस घटना को अंजाम दिया गया था.’’

यह दिलचस्प कहानी है 3 दोस्तों की, जो मेहनतमजदूरी करने के लिए अपने घर बिहार से हजारों किलोमीटर दूर आए थे. शुरुआत में ये लोग घरों में रंगाईपुताई का काम किया करते थे. इसी दौरान काम करते समय एक उद्योगपति ने इन्हें अपनी फैक्ट्री में स्ट्रक्चर पेंटिंग का काम दिया.

स्ट्रक्चर पेंटिंग का यह काम उन लोगों को अच्छा और ज्यादा कमाई देने वाला लगा. जल्दी ही उन्हें और फैक्ट्रियों में भी काम मिलने लगा. ऊंचेऊंचे स्ट्रक्चरों पर चढ़ कर सफाई करने में समय भी बहुत लग जाता था और मनचाही सफाई भी नहीं आती थी .’’

रुको रामसिंह, सब से पहले मुझे इन दोस्तों के बारे में बताओ. मतलब नाम, काम, गाम.’’ इंसपेक्टर रामसिंह को रोकते हुए बोले.

रामसिंह ने बताया, ”सर, इन तीनों के नाम धनेश, रमेश और जयेश थे. ये लोग बिहार के गोपालगंज गांव के रहने वाले थे. ये लोग वहां पर भी एक ही मोहल्ले में रहते थे. इन में से धनेश सब से ज्यादा पढ़ालिखा और समझदार था. धनेश के पिता काफी समय पहले ही गुजर गए थे और 2 साल पहले ही उस की माताजी भी शांत हो गई थी. वह किसी अनबन के चलते अपनी पत्नी से अलग हो चुका था. उस की पत्नी ने अब दूसरी शादी भी कर ली है. उस के और कोई भाईबहन भी नहीं है.

रमेश और जयेश का पूरा परिवार है तथा बिहार में ही रहता है. ये लोग पिछले करीब 7-8 सालों से यहां पर काम कर रहे हैं. मेरा खुद का अपना एक ट्रक है और इन लोगों ने अपनी सैंड ब्लास्टिंग मशीन मेरे ही ट्रक पर लगा रखी है. बारबार कस्टमर न खोजना पड़े और एक स्थाई इनकम हो जाए, यही सोच कर मैं ने अपने ट्रक को इन के साथ लगा कर इन से पार्टनरशिप कर ली थी.

जब स्ट्रक्चर सफाई में इन्हें ज्यादा परेशानी आने लगी तो इन्होंने किसी के सहयोग से एक सैंड ब्लास्टिंग मशीन मेरे ट्रक पर लगवा ली. यह करीब 2 साल पहले की बात है.’’

यह सैंड ब्लास्टिंग मशीन किस बला का नाम है और यह कैसे काम करती है?’’ इंसपेक्टर ने पूछा.

आसान भाषा में कहें तो यह एक मशीन है, जो 5-6 किलो प्रेशर पर बालूरेती का फव्वारा साफ करने वाली सतह पर फेंकती है. इस से लोहे की सतह पर लगा जंग कीट आदि मिनटों में निकल जाता है और फिर सतह पर अच्छी तरह से पेंटिंग की जा सकती है. काम भी काफी आसानी से हो जाता है.’’ रामसिंह ने समझाया.

जब सब कुछ इतने अच्छे से चल रहा था तो मर्डर की जरूरत क्यों आन पड़ी?’’ इंसपेक्टर ने पूछा.

चूंकि धनेश सब से ज्यादा पढ़ालिखा था, इसीलिए वह कौन्ट्रैक्ट लेने और फाइनल करने अकेले ही जाया करता था. उस ने हम लोगों से पूछे बिना ही हिस्सेदारी में भी परिवर्तन कर दिया था.

कौन्ट्रैक्ट में मिले कुल पैसों का 25 परसेंट हिस्सा वह पहले ही अपने पास रख लिया करता था और बाकी बचे हुए 75 परसेंट में से 4 हिस्से कर बंटवारा करता था. यही बात हम सभी को नागवार गुजरती थी.’’ रामसिंह बोल रहा था.

फिर उस का मर्डर कैसे किया?’’ इंसपेक्टर ने पूछा.

उसे मारने का प्लान लगभग 15 दिन पहले ही बन गया था. इस जंगल से हम कई बार गुजर चुके थे तथा यह जानते थे कि यह इतना घना और सुनसान है कि यहां दूरदूर तक हमारी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है.

घटना वाले दिन भी हम इसी रस्ते से गुजर रहे थे. साइट पर सुबह जल्दी पहुंचना होता है, इसी कारण हम मुंह अंधेरे निकल गए थे. धनेश हमेशा की तरह मशीन के पास ट्रक के पिछले हिस्से में सो रहा था.

रमेश और जयेश ने मौका देख कर उस के हाथ और पांव बांध दिए और कंप्रेसर चला कर ब्लास्टिंग नोजल से उस पर 7 किलो प्रेशर से बालूरेती का स्प्रे चालू कर दिया. कुछ ही देर में धनेश की जान निकल गई. उस की पहचान छिपाने के लिए बाद में पूरे शरीर पर ब्लास्टिंग कर दी.’’

बाप रे! यहां तो 50 ग्राम का पत्थर लगने पर चक्कर आ जाते हैं और तुम ने उस पर Best Friend 7 किलो का प्रेशर डाल कर सैंड ब्लास्टिंग कर दी. इसी कारण उस के सिर की हड्डियां तक टूट गईं और सारे शरीर की चमड़ी तक निकल गई.’’ इंसपेक्टर गुस्से से बोले, ”तुम खुद चल कर यहां क्यों आए? बाकी  दोनों कहां हैं?’’ इंसपेक्टर ने पूछा.

मर्डर के बाद दोनों ब्लास्टर घबरा कर बिहार भाग गए. पिछले दिनों काम पर न जाने के कारण फैमिली वालों के दबाव डालने पर मैं ने सारी बातें उन्हें बता दी. फैमिली वालों के कहने पर ही मैं यहां पर आया हूं.’’ रामसिंह बोला, ”साहब, सरकारी गवाह बनने पर कुछ फायदा मिलता है ना?’’

वह तो कोर्ट ही निर्धारित करेगा. पहले तो बिहार चल कर दोनों मास्टर ब्लास्टर्स की खबर लेते हैं.’’ इंसपेक्टर ने कहा.