Love Affair : इश्क में पति की आहुति

Love Affair : मीना के संजय कुशवाहा से अवैध संबंध बने तो उसे अपना पति कांटे की तरह चुभने लगा. संजय के हाथों पति की हत्या कराने के बाद मीना और उस के प्रेमी ने यही सोचा था कि वे कभी पकड़े नहीं जाएंगे, लेकिन पुलिस ने ऐसी युक्ति अपनाई कि वह हत्यारों तक पहुंच गई…

मीना ने अपने प्रेमी संजय कुशवाहा के साथ पति चरण सिंह को मौत के घाट उतारने की योजना बना ली थी. इस के बाद चरण सिंह की हत्या करने का दिन और स्थान भी तय कर लिया गया, लेकिन चरण सिंह इस बात से पूरी तरह बेखबर था. वह तो अपनी पत्नी का मोबाइल तोड़ कर निश्चिंत था कि मीना अब अपने प्रेमी संजय कुशवाहा से बात नहीं कर पाएगी, लेकिन चरण सिंह नहीं जानता था कि घायल शेरनी कितनी खूंखार और खतरनाक होती है.

 

प्लान के अनुसार, मीना अपने व्यवहार में बदलाव ला कर पति का भरोसा जीतने का प्रयास कर रही थी. इस से चरण सिंह को लगा कि सब कुछ ठीक हो गया है. जबकि हकीकत में मामला और बिगड़ गया था. मीना अपने पति को प्रेमी संजय के हाथों मरवाने के बाद निश्चिंत हो कर उसी के साथ मौजमस्ती करना चाहती थी. 20 दिसंबर, 2024 को चरण सिंह के इकलौते बेटे का जन्मदिन था. अत: वह अपने गांव जारह से 19 दिसंबर की सुबह जन्मदिन के लिए जरूरी सामान लेने मुरैना आया था. योजनाबद्ध ढंग से मुरैना में बस स्टैंड पर उसे संजय खड़ा मिल गया.

संजय ने उस से कहा, ”चरण सिंह, तुम बेटे के जन्मदिन का सामान बाद में खरीद लेना, आज मौसम बहुत ही बेहतरीन है. चलो, पहले बाइक से पगारा डैम पर चलते हैं. वहीं बैठ कर तसल्ली के साथ 2-2 पैग लगा लेते हैं.’’

आने वाली आफत से बेखबर चरण सिंह संजय के कहने पर बसस्टैंड से संजय की बाइक पर बैठ कर पगारा डैम चला आया. पगारा डैम पर दोनों ने बैठ कर शराब पी. इस दौरान संजय ने चरण सिंह से उधार लिए डेढ़ लाख रुपए लौटाने को कहा. पैसे मांगने की बात पर उन के बीच झगड़ा हो गया. दोनों में जम कर मारपीट हुई. चरण सिंह समझ गया कि उस के साथ धोखा हुआ है. उस ने वहां से भागने की कोशिश की, लेकिन नशा चढऩे के कारण वह भाग नहीं सका, वहीं मारपीट में सिर में चोट लगाने से चरण सिंह बेहोश हो गया तो संजय ने अपने मकसद को पूरा करने के लिए उसे उठा कर पगारा डैम में फेंक दिया और अपने घर लौट आया.

चरण सिंह की मौत के बाद संजय और मीना ने राहत की सांस ली, लेकिन जेल जाने और सजा पाने का डर दोनों की आंखों में साफ नजर आ रहा था. उन के इश्क की दीवानगी का सुरूर उतर चुका था. इधर 4 दिन गुजर जाने के बावजूद भी जब चरण सिंह मुरैना से लौट कर घर नहीं आया तो फेमिली वाले चिंतित हो गए. उस का मोबाइल फोन भी स्विच औफ आ रहा था. यह देख कर कर फेमिली वालों का माथा ठनका तो चरण सिंह का छोटा भाई रामचंद्र थाना सराय छौला में उस की गुमशुदगी की सूचना लिखाने चला गया. रामचंद्र ने अपने भाई की गुमशुदगी की सूचना लिखाते हुए शक अपनी भाभी मीना और उस के प्रेमी संजय कुशवाहा पर जताया.

एसएचओ के.के. सिंह ने रामचंद्र को भरोसा दिया कि वह जल्दी ही चरण सिंह का पता लगाने का प्रयास करेंगे. इस के बाद रामचंद्र ने अपनी रिश्तेदारियों में भी फोन किए, लेकिन चरण सिंह का कुछ पता नहीं चला. 26 दिसंबर, 2024 को जिला मुरैना के गांव लख्खा का पुरा निवासी श्याम सुंदर ने जौरा थाने के एसएचओ उदयभान सिंह यादव को फोन कर के सूचना दी कि गुमशुदा चरण सिंह की लाश पगारा डैम में पड़ी हुई है. यह सूचना मिलते ही उदयभान सिंह यादव तुरंत मौके पर पहुंच गए. उन्होंने ग्रामीणों की मदद से पगारा डैम से चरण सिंह की लाश को डैम से निकलवाने के बाद रिपोर्ट दर्ज कर ली.

इस के बाद जौरा थाने के एसएचओ उदयभान सिंह यादव द्वारा वायरलैस से चरण सिंह की लाश पगारा डैम में पड़ी मिलने की सूचना प्रसारित करवाई. इस सूचना को सुन कर सराय छौला के एसएचओ के.के. सिंह ने चरण सिंह के भाई रामचंद्र को थाने बुलाया, क्योंकि रामचंद्र ने सराय छौला थाने में चरण सिंह की गुमशुदगी दर्ज करा रखी थी. इस के बाद वह रामचंद्र को ले कर जौरा के पगारा डैम पहुंच गए. रामचंद्र ने जैसे ही वह लाश देखी तो वह दहाड़ें मार कर रोने लगा. रामचंद्र ने पगारा डैम से बरामद हुई लाश की शिनाख्त अपने बड़े भाई चरण सिंह के रूप में की. इस के बाद एसएचओ ने लाश को अपने कब्जे में ले कर धारा 103 (1) बीएनएस के तहत रिपोर्ट तरमीम कर दी.

जैसे ही पगारा डैम से चरण सिंह की लाश मिलने की खबर इलाके के लोगों को हुई तो वे हैरान रह गए. सराय छौला पुलिस को अब कातिलों की तलाश थी. चरण सिंह के भाई ने अपनी भाभी  मीना और उस के प्रेमी संजय पर अपना शक जताया था, लिहाजा पुलिस उन दोनों के पीछे लग गई. काफी कोशिश के बाद पुलिस के लंबे हाथ आखिर संजय कुशवाहा तक पहुंच गए. 27 दिसंबर, 2024 को मुखबिर की सूचना पर संजय कुशवाहा को जौरा में नए अस्पताल के पास से पुलिस ने दबोच लिया. पुलिस उसे थाने ले आई. सख्ती से पूछताछ करने पर संजय ने स्वीकार कर लिया कि चरण सिंह की हत्या उस ने ही की थी. हत्या की साजिश में मृतक की पत्नी और उस की प्रेमिका मीना भी शामिल थी.

संजय से मिली जानकारी के बाद पुलिस ने मृतक चरण सिंह की पत्नी मीना को गांव जारह से गिरफ्तार कर लिया. उस ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया. दोनों से पूछताछ के बाद चरण सिंह की हत्या की चौंकाने वाली कहानी सामने आई—

मध्य प्रदेश के जिला मुरैना के थाना सराय छौला के अंतर्गत आने वाले गांव जारह का रहने वाला चरण सिंह जब मेहनतमजदूरी कर के ठीकठाक पैसे कमाने लगा तो उस के विवाह के लिए समाज के लोग आने लगे. तमाम लड़कियां देखने के बाद फेमिली वालों ने उस के लिए जौरा के नयापुरा इलाके की रहने वाली मीना नाम की युवती को पसंद किया. फिर उस के साथ चरण सिंह की शादी कर दी. शादी के बाद मीना ससुराल आई तो जल्द ही उस ने घर की सारी जिम्मेदारी संभाल ली. जिस से घरपरिवार में उस की गिनती अच्छी बहू के रूप में होने लगी. धीरेधीरे चरण सिंह का परिवार बढऩे लगा. चरण सिंह और मीना 3 बच्चों के मातापिता बन गए, जिन में 2 बेटियां और एक बेटा था. सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन वक्त कब बदल जाए, कहा नहीं जा सकता.

एक सप्ताह पहले चरण सिंह ने एक प्लौट का बयाना दे कर सौदा कर लिया था. शेष डेढ़ लाख रुपए उसे एक पखवाड़े के भीतर चुकाने थे, लेकिन काफी भागदौड़ के बाद जब चरण सिंह पैसों का इंतजाम करने में नाकाम रहा तो उस की पत्नी मीना ने अपने पुराने परिचित संजय कुशवाहा को फोन कर कहा कि मेरे पति ने एक प्लौट का सौदा कर लिया है, अत: उन्हें डेढ़ लाख रुपए की जरूरत है. यदि तुम कुछ समय के लिए डेढ़ लाख रुपए उधार दे दोगे तो मेहरबानी होगी. संजय कुशवाहा ने कुछ सोचविचार कर कहा, ”देखो मीना, इस तरह की बातें मोबाइल फोन पर नहीं हो सकतीं, ऐसा करता हूं कि मैं तुम्हारे घर पर आ जाता हूं. वहीं बैठ कर आराम से इस बारे में बात करेंगे.’’

मीना को लगा कि संजय उस के पति को पैसे उधार देना चाहता है, इसीलिए वह घर पर आना चाहता है. अगले दिन संजय चरण सिंह के घर पहुंच गया. इत्तफाक से जिस वक्त संजय आया, चरण सिंह घर पर नहीं था. मीना ने संजय से पूछा, ”तुम ने कुछ सोचा?’’

”किस बारे में?’’ संजय बोला.

”अरे, पैसे उधार देने के बारे में. मैं ने तुम से डेढ़ लाख रुपए उधार देने के लिए कहा था न…’’

”अच्छा, वह तो मैं तुम्हारे पति को दे दूंगा, लेकिन जो पैसे मैं उधार दूंगा, वह जल्द से जल्द लौटाने की कोशिश करना.’’ संजय कुशवाहा ने कहा.

”संजय, इस बात से तुम बेफिक्र रहो, मैं पूरापूरा प्रयास करूंगी कि जितनी जल्दी हो सके, तुम्हारा पैसा अदा करवा दूं.’’

अगले दिन संजय ने लिखापढ़ी करके चरण सिंह को डेढ़ लाख रुपए दे दिए. चरण सिंह को संजय से डेढ़ लाख रुपए उधार मिल गए तो वह खुश हो गया और खुशीखुशी प्लौट वाले को वायदे के मुताबिक डेढ़ लाख रुपए दे दिए. चरण सिंह को रुपए उधार देने के कारण संजय कुशवाहा का चरण सिंह के यहां आनाजाना शुरू हो गया. चरण सिंह तो सुबह होते ही नाश्तापानी करने के बाद टिफिन ले कर मजदूरी करने निकल पड़ता था और अकसर देर रात को ही घर लौटता था. इस बीच घरगृहस्थी के काम मीना को देखने पड़ते थे, लेकिन जब से संजय उस के घर आनेजाने लगा था, जरूरत पडऩे पर वह मीना की मदद कर देता था. इस के बदले में मीना उसे चायनाश्ता करा देती थी. यदि खाने का समय होता तो खाना भी खिला देती.

ऐसे में ही एक दिन संजय ने कहा, ”मीना, तुम सारे दिन कितना काम करती हो. इस के बाबजूद चरण सिंह तुम्हारी जरा भी फिक्र नहीं करता.’’

मीना ने उसे तिरछी नजरों से देखते हुए कहा, ”यह तुम कैसे कह सकते हो कि वह हमारी फिक्र नहीं करते. मेरे और बच्चों के लिए सुबह से शाम तक मेहनतमजदूरी करते हैं. जब तुम्हारी शादी हो जाएगी

तो तुम्हें भी अपने बालबच्चों के लालनपालन के लिए इसी तरह भागदौड़ करनी पड़ेगी.’’

दरअसल, चरण सिंह के घर आतेजाते संजय कुशवाहा का दिल मीना पर आ गया था, इसलिए वह उसे अपने प्रेम जाल में फंसाने के लिए चारा डालने लगा था. मीना की इस बात से वह निराश तो हुआ, लेकिन उस ने हिम्मत नहीं हारी. संयोग से एक दिन मीना को घर की जरूरत का सामान खरीदने के लिए बाजार जाना था. वह तैयारी कर ही रही थी कि तभी संजय आ गया. मीना को तैयार होते देख उस ने पूछा, ”कहीं जा रही हो मीना?’’

”गृहस्थी का सामान खरीदना है, इसलिए बाजार जा रही हूं. उन के पास तो इस काम के लिए वक्त है नहीं, इसलिए मुझे ही जाना पड़ रहा है.’’ मीना ने कहा.

” तुम अकेली मत जाओ, मैं तुम्हारे साथ चलता हूं.’’ संजय बोला.

मीना को भला क्यों ऐतराज होता. वह संजय के साथ बाइक से बाजार पहुंच गई. सामान खरीदने के बाद थैला संजय ने उठाया तो मीना हंसते हुए बोली, ”मेरी शादी को 10 साल हो गए, लेकिन वो कभी मेरे साथ बाजार तक नहीं आए.’’ मीना बोली.

”मीना, एक बात बताऊं, यदि तुम्हारे साथ चरण सिंह की शादी नहीं हुई होती तो उसे घर में रोटी भी नसीब नहीं होती. तुम ही हो जो पूरा घर चला रही हो.’’

इस पर मीना कुछ नहीं बोली, लेकिन मुसकरा पड़ी. संजय मीना को ले कर घर पहुंचा तो मीना ने कहा, ”मैं खाना बना रही हूं, अब तुम खाना खा कर जाना.’’

संजय कुशवाहा दालान में पड़े तख्त पर जा कर लेट गया. मीना ने उसे पहले चाय बना कर पिलाई. उस के बाद खाना बना कर खिलाया. संजय मन ही मन सोचने लगा कि मीना के दिल में जरूर ही उस के लिए कोई नरम कोना है, तभी तो वह उस का इतना खयाल रखती है. अब सवाल यह था कि वह उस के दिल की बात जाने कैसे?

उसी दौरान संजय हरियाणा के सूरजकुंड में लगे हस्तशिल्प मेले में गया. वहां हाथ से बनी चीजों की प्रदर्शनी लगी थी. वह प्रदर्शनी देखने गया तो वहां उसे एक दुकान पर एक जोड़ी झुमके पसंद आ गए तो संजय ने वह खरीद लिए. अगले दिन दोपहर को वह चरण सिंह के घर पहुंचा तो मीना घर पर अकेली मिल गई. मीना ने संजय को बैठाया, चायनाश्ता कराया. इस के बाद उस ने झुमके की डब्बी मीना के हाथ में थमा दी. मीना ने डब्बी खोली तो झुमके देख कर बोली, ”झुमके तो बहुत ही शानदार हैं. किस के लिए लाए हो?’’

”मीना, तुम भी कमाल करती हो. जब तुम्हारे हाथ में दिए हैं तो तुम्हारे लिए ही होंगे. कौन मेरी घरवाली बैठी है, जिस के लिए लाऊंगा.’’

”संजय, मेरे लिए तुम इतने महंगे झुमके क्यों खरीद कर लाए हो?’’ मीना ने कहा.

”मुझे अच्छे लगे, इसलिए खरीद लाया. अब जरा पहन कर तो दिखाओ.’’

मीना मुसकराते हुए भीतर कमरे में गई और थोड़ी देर में झुमके पहन कर बाहर दालान में आई तो संजय बोला, ”अरे मीना, झुमके पहन कर तुम बहुत ही खूबसूरत लग रही हो.’’

”क्यों झूठी तारीफ करते हो.’’ शरमाते हुए मीना ने कहा.

”तुम्हारी कसम मीना, सच कह रहा हूं, रात को घर लौटने पर जब चरण सिंह देखेगा तो वह भी यही बात कहेगा.’’

मीना ने आह भरते हुए कहा, ”उन के पास इतना टाइम कहां है कि वह मुझे झुमके पहने हुए देख कर मेरी तारीफ करें. काम से लौट कर उन्हें तो दारू पीने से फुरसत ही कहां मिलती है.’’

संजय मुसकराया, क्योंकि मीना की कमजोर नस अब उस के हाथ में आ गई थी. उस की समझ में आ गया कि पतिपत्नी के बीच पतली सी दरार है, जिसे वह प्रयास कर चौड़ी कर सकता है. इस के बाद संजय कुशवाहा मीना के करीब आने की कोशिश करने लगा. मीना को भी उस का आनाजाना और उस से बातचीत करना अच्छा लगने लगा था, लेकिन संजय को अपनी मंजिल नहीं मिल रही थी. उसी बीच संजय ने चरण सिंह से अपने डेढ़ लाख रुपए वापस लौटाने को कहा. चरण सिंह इस बात से काफी परेशान हो गया, क्योंकि उस के पास लौटाने के लिए रुपए नहीं थे.

कड़वा सच तो यह था कि अब उस की नीयत खराब हो गई थी. वह संजय से उधार लिया रुपया लौटाना नहीं चाहता था. एक दिन दोपहर को संजय चरण सिंह के घर पहुंचा तो मीना ने कहा, ”क्या इधरउधर मारेमारे फिरते हो, शादी क्यों नहीं कर लेते?’’

”शादी..? अभी कुछ महीने पहले ही तो मैं ने तुम्हारे कहने पर चरण सिंह को डेढ़ लाख रुपए बैंक से निकाल कर बिना ब्याज के उधार दिया था, लेकिन कई बार तकादा करने के बावजूद भी तुम्हारा पति मेरे पैसे लौटा नहीं रहा है. वह मेरा रुपया लौटाए, तब मैं शादी करने के बारे में सोचूं. क्योंकि वह मेरी अब तक की कुल कमाई का हिस्सा है.

”मेरे कहने पर जो डेढ़ लाख रुपए तुम ने मेरे पति को उधार दिया है, उस की बिलकुल भी चिंता मत करो.’’ मीना ने तिरछी नजरों से संजय को देखते हुए कहा, ”संजय, तुम मुझे बहुत डरपोक लगते हो. जो तुम्हारे मन में है, वह भी नहीं कह पा रहे.’’

”मीना, मैं ने तुम्हारी बात का मतलब नहीं समझा.’’ संजय अनभिज्ञ बनते हुए बोला.

”तुम ऐसा करो कि आज रात को आना, चरण सिंह आज रिश्तेदारी में शादी में जाएगा. मैं घर पर अकेली ही रहूंगी, तब अच्छे से समझा दूंगी.’’ मीना ने मुसकराते हुए कहा.

इतना सुनते ही संजय कुशवाहा का दिल एकदम से धड़क उठा. वह भाग कर घर गया और नहाधो कर रात होने का इंतजार करने लगा, लेकिन सूरज था कि अस्त होने का नाम ही नहीं ले रहा था. किसी तरह शाम हुई तो वह अपने गांव नयापुरा से जारह के लिए चल दिया. जारह पहुंचतेपहुंचते अधेरा हो चुका था. चरण सिंह के घर पहुंच कर संजय ने धीरे से दरवाजा खटखटाया. मीना ने जैसे ही दरवाजा खोला, वह फुरती से घर के भीतर घुस गया कि कोई उसे देख न ले.

घर में सन्नाटा पसरा हुआ था. बच्चे सो चुके थे. मीना संजय का हाथ पकड़ कर अपने कमरे में ले गई. वासना से वशीभूत मीना भूल गई कि वह अपने पति से बेवफाई करने जा रही है. संजय को अंदाजा लग गया था कि मीना ने अपने पति की गैरमौजूदगी में उसे क्यों बुलाया है. वह बिना किसी हिचकिचाहट के पलंग पर बैठ गया तो उस से सट कर बैठते हुए मीना ने कहा, ”संजय, मुझे तुम से इश्क हो गया है संजय.’’

”यदि तुम्हारे पति को यह सब पता चल गया तो…?’’

”किसी को कुछ पता नहीं चलेगा. तुम भी तो मुझ से इश्क फरमाना चाहते हो, बोलो?’’

संजय ने कुछ कहने के बजाय मीना को अपनी बाहों में समेट लिया तो वह उस से लिपट गई. इस के बाद दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं. उन्होंने वह गुनाह कर डाला, जिस का अंजाम आगे चल कर बुरा ही होता है. रात दोनों की अपनी थी. क्योंकि मीना का पति घर पर नहीं था, इसलिए दोनों को किसी तरह का कोई डर नहीं था. लेकिन वे जिस दलदल में उतर गए थे, उस से वे चाह कर भी बाहर नहीं आ सकते थे. भोर होने से पहले ही संजय अपने गांव लौट गया. दोपहर को जब चरण सिंह घर लौट कर आया, मीना बिस्तर पर औंधे मुंह लेटी हुई थी. उसे समझते देर नहीं लगी कि पत्नी की तबियत ठीक नहीं है. उसे क्या पता था कि वह रात की थकावट उतार रही है.

हौलेहौले मीना और संजय का प्यार परवान चढऩे लगा. अवसरों की कोई कमी नहीं थी. चरण सिंह मजदूरी करने गांव से बाहर निकल जाता था. उसी बीच मीना संजय को अपने घर पर बुला कर रंगरलियां मना लिया करती थी. चरण सिंह को भले ही उन दोनों की कारगुजारियों की भनक अभी तक नहीं लग सकी थी, लेकिन पड़ोसी तो देख ही रहे थे. पड़ोसियों को समझते देर नहीं लगी कि चरण सिंह की गैरमौजूदगी में संजय के आने का मतलब क्या हो सकता है. आखिर एक दिन एक बुजुर्ग ने चरण सिंह को रोक कर कह ही दिया, ”चरण सिंह, मेहनतमजदूरी में इतना ज्यादा व्यस्त रहते हो, अपनी घरवाली का भी खयाल रखा करो.’’

”दादाजी मैं समझा नहीं, आप कहना क्या चाहते हैं?’’ चरण सिंह ने पूछा.

”मेरा मतलब संजय से है, आजकल वह तुम्हारी गैरमौजूदगी में तुम्हारे घर कुछ ज्यादा ही आ रहा है.’’

पड़ोसी बुजुर्ग की बात सुन कर चरण सिंह सन्न रह गया. वह सब काम छोड़ कर अपने घर पहुंचा और अपनी पत्नी से पूछा, ”मेरी गैरमौजूदगी में संजय यहां क्यों आता है?’’

”नहीं तो, किस ने कहा?’’ मीना ने लापरवाही से कहा.

”आगे से अब मेरी गैरमौजूदगी में संजय यहां आए तो उसे साफ मना कर देना, क्योंकि आसपड़ोस में उसे ले कर तरहतरह की चर्चा हो रही है. मैं नहीं चाहता कि बिना मतलब के हमारी बदनामी हो.’’

मीना ने कोई उत्तर नहीं दिया. चरण सिंह इस बात को ले कर काफी परेशान था. वह खुद भी महसूस कर रहा था कि पिछले कुछ दिनों से मीना का व्यवहार उस के प्रति लापरवाह सा रहने लगा है. कहीं वह गुमराह तो नहीं हो गई, लेकिन उस ने अपनी आंखों से अभी तक दोनों को कोई गलत हरकत करते हुए नहीं देखा था, इसलिए कोई निर्णय कैसे ले सकता था. उधर मीना ने भी फोन कर के संजय कुशवाहा को सचेत कर दिया कि वह कुछ दिनों तक उस के पति की गैरमौजूदगी में मिलने न आए, क्योंकि चरण सिंह और पड़ोसियों  को शक हो गया है. इस के बाद 2 हफ्ते तक संजय ने चरण सिंह के घर की तरफ रुख नहीं किया.

जब मीना ने देखा कि इस मामले में उस का पति लापरवाह हो गया है तो उस ने एक दिन संजय को फोन कर के घर पर बुला लिया, क्योंकि उस दिन चरण सिंह मथुरा जाने को कह कर गया हुआ था. लेकिन जैसे ही वह टिकट लेने के लिए कतार में खड़ा हुआ, तभी उस के पड़ोसी का उस के मोबाइल पर फोन आ गया. वह बोला, ”तुम कहां पर हो? तुम्हारी पत्नी तुम्हारी गैरमौजूदगी में संजय के साथ गुलछर्रे उड़ा रही है. संजय घर पर आया हुआ है.’’

पत्नी को रंगेहाथों पकडऩे के लिए चरण सिंह मथुरा जाने का इरादा त्याग कर घर लौट आया और पड़ोस की छत से घर के भीतर पहुंचा तो मीना को संजय की बाहों में पाया. चरण सिंह ने संजय को पकडऩा चाहा, लेकिन वह उसे धक्का दे कर भाग गया. इस के बाद चरण सिंह ने मीना की जम कर ठुकाई कर दी. जब कुछ गुस्सा शांत हुआ तो वह इस सोच में लग गया कि वह इस चरित्रहीन पत्नी का क्या करे. यदि वह उसे तलाक दे देता है तो उस के तीनों बच्चों का क्या होगा, अपनी मेहनतमजदूरी छोड़ कर वह उन की देखभाल भी नहीं कर सकता था.

मीना ने स्वयं को संभाला और सोचने लगी कि उसे क्या करना चाहिए? पति के द्वारा आपत्तिजनक हालत में रंगेहाथ पकड़े जाने के बाद वह संजय को किसी भी कीमत पर छोडऩा नहीं चाहती थी और चरण सिंह का घर भी नहीं छोडऩा चाहती थी. क्योंकि जो सुखसुविधा चरण सिंह के घर में थी, वह संजय नहीं दे सकता था. फिर कुछ सोच कर उस ने पति के पैरों में सिर रख कर माफी मांगते हुए कहा, ”मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई, अब मैं कसम खाती हूं कि आगे से ऐसी गलती कभी नहीं होगी.’’

चरण सिंह के पास पत्नी को माफ करने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं था, इसलिए उस ने पत्नी को माफ कर दिया. दूसरी ओर संजय की अब मीना से मिलने के लिए उस के पास जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी, लेकिन मीना ने उस से कहा कि वह उस के बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकती. उस के बिना उस का जीवन नीरस हो जाएगा. दोनों ने अब घर के बाहर मेलमिलाप का कार्यक्रम तय किया. बहाना बना कर मीना अपने मायके नयापुरा चली जाती थी, जहां उस से मिलने के लिए संजय आ जाता था.

लेकिन वहां भी वे कई लोगों की निगाहों में आ गए. जिस से चरण सिंह को इस मेलमिलाप के बारे में पता चल गया. उस का भरोसा अपनी पत्नी से उठ गया था, वह शराब पी कर उस के साथ आए दिन मारपीट करने लगा. चरण सिंह से एक दिन बाजार में अचानक मुलाकात होने पर संजय ने उस से अपने डेढ़ लाख रुपए लौटाने को कहा. जबकि चरण सिंह अब उस के रुपए लौटाने के मूड में नहीं था. एक दिन मीना और संजय मिले तो मीना ने कहा, ”संजय, चलो हम कहीं दूर जा कर अपनी दुनिया बसा लेते हैं.’’

”देखो, हम अपनी दुनिया तो बसा लेंगे, लेकिन खाएंगेपहनेंगे क्या? मीना, इस के लिए हमें कुछ और सोचना होगा.’’ संजय बोला.

चरण सिंह की गृहस्थी में ग्रहण लग चुका था. आसपड़ोस के लोग उस की पत्नी की चुगली करते रहते थे, लेकिन चरण सिंह की समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी बेहया पत्नी का क्या करे. उसे अपने बच्चों का भविष्य बरबाद होता दिखाई दे रहा था. पतिपत्नी के बीच आए दिन होने वाले झगड़ों का असर बच्चों पर भी पड़ रहा था. जबकि मीना पति से छुटकारा पाना चाहती थी. उसी बीच एक रात चरण सिंह ने मीना को मोबाइल फोन पर बातें करते हुए देखा तो उस के हाथ से मोबाइल फोन छीन कर नंबर चैक किया तो वह नंबर संजय का निकला. चरण सिंह ने कहा, ”इतना सब होने के बावजूद तुम अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही हो?’’

 

जब मीना ने कोई उत्तर नहीं दिया तो चरण सिंह को गुस्सा आ गया. उस ने मीना के गाल पर थप्पड़ जड़ते हुए कहा, ”चरित्रहीन औरत, अब तू बिलकुल भी भरोसे लायक नहीं रही.’’

इस के बाद उस ने मोबाइल छीन कर तोड़ दिया.

इस पर मीना ने कहा, ”यह तुम ने अच्छा नहीं किया.’’ पति के द्वारा मोबाइल फोन तोड़ देने से तिलमिलाई मीना ने तय कर लिया कि अब वह अपने पति को जिंदा नहीं छोड़ेगी. अगले दिन उस ने अपनी सहेली के मोबाइल से संजय को फोन किया और पूछा, ”अब तुम्हारा क्या इरादा है, मुझे आज साफसाफ बताओ?’’

”मेरी माली स्थिति के बारे में तुम सब कुछ जानती हो. अब मीना तुम्हीं बताओ कि मैं क्या करूं? मैं तुम्हारे पति को उधार दिए डेढ़ लाख रुपए लौटाने के लिए अनेक बार कह चुका, लेकिन वह देने का नाम नहीं ले रहा है. मेरी समझ में नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं?’’

”देखो संजय, मैं तुम्हारी वजह से रोजरोज तो पिट नहीं सकती, इसलिए अब फैसला लेने का वक्त आ गया है. या तो तुम मुझे छोड़ दो या फिर कुछ ऐसा करो कि हम दोनों सुकून से जी सकें.’’

”अब तुम ही बताओ मीना कि मुझे क्या करना चाहिए?’’

”तुम कुछ ऐसा करो कि मुझे हमेशाहमेशा के लिए चरण सिंह से छुटकारा मिल जाए. उस के बाद हम दोनों सुकून की जिंदगी गुजार सकेंगे.’’

”लेकिन यह सब कैसे होगा?’’

”सब आराम से हो जाएगा, क्योंकि यह हमारे बीच दीवार की तरह है. यह अब मुझे सहन नहीं हो रहा है.’’

”चरण सिंह को ठिकाने लगाने के लिए पैसों की जरूरत होगी, जो मेरे पास हैं नहीं.’’

”पैसे में दे दूंगी. पति का डेढ़ लाख रुपया मेरे पास सुरक्षित रखा हुआ है.’’

सौदा कहीं से भी घाटे का नहीं था. संजय मन ही मन खुश हो गया. उधार दिए डेढ़ लाख रुपए भी वापस मिल जाएंगे और प्रेमिका मीना के साथ उस की संपत्ति भी मिल जाएगी. वह मौज करेगा. लेकिन ऐसा नहीं जो सका. उन का गुनाह छिप न सका और दोनों ही पुलिस की पकड़ में आ गए. हत्या के बाद हर कातिल कानून से बचना चाहता है. इश्क में अंधी मीना पति की हत्या के बाद अधूरी खुशियों को पूरा करना चाहती थी, लेकिन उस के यह अरमान धरे के धरे रह गए. उसे क्या पता था कि वह मौज करने के बजाय प्रेमी संजय कुशवाहाा के साथ जेल चली जाएगी. पुलिस ने दोनों आरोपियों को चरण सिंह की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

 

 

मजे मजे की आशिकी में गयी जान

मजे मजे की आशिकी में गयी जान – भाग 3

मध्य दिल्ली की डीसीपी श्वेता चौहान ने हत्या का यह मामला संज्ञान में आने के बाद एसीपी नरेश खनका के निर्देशन में एसएचओ नबी करीम अशोक कुमार को इस केस का नेतृत्व सौंप कर एक जांच टीम का गठन कर दिया. इस टीम में इंसपेक्टर शिवकरण, एसआई हर्ष, हैडकांस्टेबल पप्पू लाल, वीरेंद्र, जिले सिंह, ताराचंद, कांस्टेबल विजय और सीताराम को शामिल किया गया.

पुलिस टीम ने उस जगह का निरीक्षण किया, जहां पर जतिन को चाकू मारा गया था. यह पहाडग़ंज का आकांशा रोड था. भगवती मैडिकल स्टोर के पास काफी खून फैला था. यहीं पर रात करीब एक बजे स्कूटी से शादी समारोह में शामिल होने जा रहे जतिन उर्फ जूड़ी को चाकू मार कर खत्म कर दिया गया था. शायद उस वक्त यहां कोई चश्मदीद नहीं रहा होगा, जिस ने हत्यारे को देखा हो. हत्या के बाद कोई यहां से गुजरा तब उस ने जतिन को अस्प्ताल पहुंचाया और उस के घर वालों को सूचित किया.

पुलिस ने वहां आसपास सीसीटीवी कैमरों के लिए नजरें दौड़ाईं, उन्हें वहीं रोड पर 2-3 सीसीटीवी कैमरे नजर आ गए. उन की फुटेज चैक की गई. एक कैमरे में उन्हें 3 व्यक्ति नजर आ गए. उन्होंने जतिन को पकड़ रखा था और उन में से एक जतिन के सीने पर चाकू से वार कर रहा था.

“इन तीनों व्यक्तियों की तसवीर ले कर यहां के रहने वालों को दिखाओ, ये जतिन के हत्यारे हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि ये यहीं की किसी बस्ती में रहते होंगे.’’ एसएचओ अशोक ने अपनी टीम को निर्देश दिया तो पुलिस टीम काम में जुट गई. तीनों हत्यारों के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से फोटो निकाल कर उन्हें पुलिस टीम ने अपनेअपने मोबाइल में अपलोड कर लिया. फिर उन की जानकारी हासिल करने के लिए बस्ती की ओर निकल गई.

सौरभ व अक्षय हुए गिरफ्तार

थानाप्रभारी ने अपने खास मुखबिर भी जतिन मर्डर केस के काम में लगा दिए. एक घंटे बाद ही एक मुखबिर ने फोन पर बता दिया कि तीनों हत्यारे नबी करीम के मुल्तानी ढांढा में रहते हैं. इन के नाम अक्षय, सौरभ और रजनीकांत हैं. उन के घर दबिश दी जाए तो वे पकड़ में आ सकते हैं.

एसएचओ ने अपनी टीम को तुरंत वापस बुला लिया और मुखबिर द्वारा बताए घरों पर दबिश दी तो घर से वे तीनों गायब मिले. उन की पत्नियां और बच्चे घर पर थे. पुलिस ने सौरभ की पत्नी मीना से पूछताछ की तो उस ने बताया कि अक्षय उस के जेठ हैं और रजनीकांत रिश्तेदार हैं, लेकिन ये तीनों इस समय कहां हैं, इस का पता नहीं.

पुलिस टीम ने मीना से उन तीनों के खास रिश्तेदारों, मित्रों की जानकारी ली. उन तीनों के मोबाइल नंबर भी ले कर सर्विलांस पर लगवा दिए. सौरभ और रजनीकांत की लोकेशन ट्रेस होने लगी. वे दोनों सुलतानपुरी दिल्ली में थे. पुलिस टीम ने उन की गिरफ्तारी के लिए सुलतानपुरी में दबिश दी. वहां वे एक रिश्तेदार के घर में छिपे हुए मिल गए. दोनों को पकड़ कर नबी करीम थाने लाया गया. उन दोनों से पूछताछ हुई तो सौरभ से जतिन उर्फ जूड़ी की हत्या के पीछे जो कहानी बताई, उसे सुन कर सभी हैरत में पड़ गए.

सौरभ ने बताया कि उस की पत्नी मीना की मुलाकात काफी दिनों पहले जतिन से हुई थी. जतिन और मीना का यह प्यार सभी सीमाएं लांघ गया. दोनों के विषय में मुझे मालूम हुआ तो मैं ने उन्हें समझाया किंतु दोनों ही एकदूसरे के प्यार में इस कदर पागल हो गए थे कि मेरी बात को उन्होंने अनसुना कर दिया.

मुझे मालूम हुआ कि जतिन मेरी पत्नी मीना को भगा कर ले जाने वाला है. वह उस से दूर जा कर शादी करने का मन चुका था, मुझे इस पर गुस्सा आ गया. मैं ने सोचा कि अगर जतिन को रास्ते से हटा दिया जाए तो मीना खामोश बैठ जाएगी. मैं ने अपने भाई अक्षय और मीना के रिश्तेदार रजनीकांत को जतिन की हत्या करने के लिए राजी कर लिया.

27 जनवरी को जतिन को एक शादी समारोह में जाना था. हम ने वही दिन उपयुक्त मान कर रात को जतिन को घेर लिया और चाकू मार कर पत्नी के प्रेमी की हत्या कर दी. सौरभ का बयान दर्ज कर लिया गया. रजनीकांत ने भी जुर्म कुबूल कर लिया. अक्षय फरार था. उस ने अपना मोबाइल बंद कर रखा था.

एसएचओ ने अक्षय की पत्नी और उस की सास यानी सौरभ, अक्षय की मम्मी के मोबाइल सर्विलांस पर लगा दिए. अब इंतजार था अक्षय के द्वारा अपना मोबाइल औन करने का.

अभियुक्तों ने स्वीकारा जुर्म

अक्षय बेहद चालाक था. उस ने किसी दूसरे व्यक्ति के फोन से 30 जनवरी, 2023 को अपनी पत्नी को फोन मिला कर बात की. उस ने बताया कि पुलिस से बचने के लिए वह गुजरात भाग गया है, अभी वडोदरा में है. एसएचओ अशोक ने उस की सारी बातें रिकौर्ड कर लीं. उन्होंने अक्षय की मां और पत्नी को विश्वास में ले कर अक्षय को कहलवाया कि वह दिल्ली आ जाए, पुलिस ने सौरभ को गिरफ्तार कर लिया है क्योंकि उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है. अब पुलिस तुम्हें कुछ नहीं कहेगी. तुम घर लौट आओ.

अक्षय घर आने को राजी हो गया. उस ने वडोदरा से एक ट्रैवल एजेंसी से एक हजार रुपए में टिकट खरीदा और बस में सवार हो गया. उस ने यह जानकारी अपनी पत्नी को दे दी. एसएचओ मुसकराए कि शिकार अब पिंजरे में आने के लिए तैयार है. उन्होंने वडोदरा की उस ट्रैवल एजेंसी से बस का नंबर और ड्राइवर का मोबाइल नंबर हासिल कर लिया. वह बस के ड्राइवर से फोन पर संपर्क बनाए हुए यह जानकारी लेते रहे कि उस की बस कहां तक पहुंची है.

जब बस ड्राइवर से मालूम हुआ कि वह बस ले कर गुरुग्राम में प्रवेश कर चुका है तो एसएचओ अशोक पुलिस टीम के साथ गुरुग्राम पहुंच गए. वह बस नजर आई तो उसे रुकवा लिया गया. अक्षय बस में था, उसे गिरफ्तार कर लिया गया. थाने में उस ने भी जतिन की हत्या में शामिल होने का जुर्म कुबूल कर लिया.

उन तीनों को अदालत में पेश कर के 2 दिन की पुलिस रिमांड पर ले लिया गया. रिमांड के दौरान पुलिस ने जतिन की हत्या में प्रयोग किया गया चाकू, स्कूटी और एक बाइक बरामद की. रिमांड अवधि खत्म हो जाने पर तीनों अभियुक्तों को फिर से अदालत में पेश किया गया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में मीना और सोनिया परिवर्तित नाम हैं.

मजे मजे की आशिकी में गयी जान – भाग 2

पति को उस ने जैसेतैसे नाश्ता करवा कर उस का टिफिन तैयार कर दिया था और वहीं किचन में खड़ी हो कर उस युवक के खयालों को उधेड़बुन कर रही थी. कभी मन कहता कि उस हैंडसम युवक से दोस्ती कर ले, कभी मन कहता कि अब तू सुहागन है, किसी की पत्नी है, तेरी जिंदगी में अब ऐसे पराए मर्द से दोस्ती करने की कोई जगह नहीं है.

“ऊंह!’’ मीना ने मन के तानेबाने से खुद को उबार कर गरदन झटकी, ‘दोस्ती हीतो कर रही हूं, उसे अपना शौहर थोड़ी न बना रही हूं.’

मीना हो गई बेचैन

उस युवक के लिए दोस्ती की चाह मन में पैदा हुई तो मीना उस युवक की तलाश करने के लिए उतावली हो गई. ‘कहां मिल सकता है वह, कल तो अपनी बात कह कर वह एकदम गायब हो गया था. कौन है, कहां रहता है? कुछ भी तो मालूम नहीं हो सका था उस के बारे में. फिर आज वह उसे कैसे ढूंढ पाएगी?’

“सोनिया की मदद लेती हूं,’’ मीना ने निर्णय लिया. मीना ने सोनिया को फोन मिला दिया. सोनिया की आवाज में वही शोखी और शरारती भरी थी, ‘‘क्यों मेरी जान, नींद नहीं आई क्या रात भर, कैसे आएगी शन्नो रानी? वह अजनबी दिल निकाल कर जो ले गया.’’

सोनिया के ये शब्द सुन कर मीना का दिल धक से रह गया. सोचने लगी कि इस चुड़ैल ने कैसे अंदाजा लगा लिया कि मेरे दिल में क्या पक रहा है?

“बोलती क्यों बंद हो गई यार?’’ दूसरी ओर से सोनिया चहकी, ‘‘मैं ने कोई गलत थोड़ी कहा है.’’

“तुम ने कैसे अंदाजा लगा लिया?’’ मीना ने धडक़ते दिल से कहा, ‘‘मैं ने तो तुझे अभी कुछ बताया ही नहीं है.’’

“मैं उड़ती चिडिय़ा के पर गिन लेती हूं, मेरी बिल्लो. कल शौपिंग के वक्त वह छेड़छाड़ कर के गायब हो गया था, तभी से तू उस के लिए बेचैन नजर आ रही थी.’’ सोनिया ने कहने के बाद पूछा, ‘‘बता तू उसी के लिए परेशान है न?’’

“हां यार,’’ मीना ने गहरी सांस भर कर कहा, ‘‘कमबख्त का चेहरा रहरह कर आंखों के आगे घूम रहा है. सोच रही हूं कि उसे तलाश कर लूं.’’

“तलाश कर के क्या करेगी?’’

“दोस्ती के काबिल है वह, बस दोस्ती करूंगी. दिन भर जो बोरियत होती है, वह खत्म हो जाएगी.’’

“उसे अब तलाश कहां करोगी?’’

“तू है न, तू उसे तलाश करने में मेरी मदद कर सकती है.’’

“तू आराम से उस के सपने देख लाडो,’’ सोनिया गंभीर हो गई, ‘‘मैं शाम तक तुझे वह युवक तलाश कर के देती हूं.’’ कह कर सोनिया ने काल डिसकनेक्ट कर दी. मीना ने चैन की सांस ली. उसे सोनिया पर पूरा भरोसा था. वह जो कह रही है, कर के दिखा भी सकती है. मीना इस विश्वास को मन में ले कर घर के काम निपटाने में व्यस्त हो गई.

उस अजनबी युवक का नाम जतिन था. सोनिया ने उसे शाम तक ढूंढ निकाला था, उस का मोबाइल नंबर भी ले लिया था और अपनी सहेली मीना को यह जानकारी दे कर चौंका दिया.

प्यार में बदल गई दोस्ती

सोनिया ने बताया था कि जतिन ने उन्हें सौरभ की दुकान पर देखा था. जिस प्रकार वह लोग सौरभ से बातें कर रही थीं, जतिन ने अनुमान लगा लिया था कि सौरभ ही मीना का पति है. उसे विश्वास था कि मीना अपने पति सौरभ की दुकान पर दूसरे दिन भी आ सकती है, इसलिए वह दूसरे दिन शाम को पालिका बाजार में पहुंचा था. सोनिया इसी अनुमान के आधार पर उस से मिली थी. अपनी सहेली मीना की तड़प का जिक्र कर के उस ने युवक का नामपता और मोबाइल नंबर हासिल कर लिया था.

मीना को उस युवक का मोबाइल नंबर मिला तो उस ने धडक़ते दिल से उसे फोन मिला दिया. फोन पर जतिन की आवाज सुनाई दी तो मीना ने दिल थाम लिया.

“कैसी हो मीनाजी,’’ जतिन के स्वर में कशिश थी, ‘‘मुझे मालूम था आप मेरी तरफ दोस्ती का हाथ जरूर बढ़ाएंगी, में रात भर आप का खयाल कर के बेचैन रहा हूं.’’

“मैं भी रात भर सो नहीं पाई थी जतिन,’’ मीना ने ठंडी सांस भरी, ‘‘पता नहीं उस अजनबी मुलाकात में क्या जादू कर गए थे

आप, दिल आप के लिए रात भर तड़पा है.’’

“तो आप को मेरी दोस्ती कुबूल है?’’ खुश हो कर जतिन ने पूछा.

“न होती तो आप की तलाश अपनी सहेली से नहीं करवाती. मुझे आप की प्यारभरी दोस्ती कुबूल है.’’

“तब इस दोस्ती को सेलिब्रेट कहां करना चाहोगी?’’

“जहां आप चाहें.’’

“कल दोपहर पहाडग़ंज के किसी रेस्तरां में आ जाइए आप, वहां कुछ मीठा हो जाएगा.’’ मीना ने अपना प्रस्ताव बेहिचक रखा, जिसे जतिन ने हंसते हुए स्वीकार कर लिया.

दूसरे दिन निर्धारित समय पर दोनों पहाडग़ंज की चूनामंडी के एक रेस्टोरेंट में मिले. हायहैलो के बाद जतिन ने कोल्डड्रिंक और समोसे मंगवाए. दोनों एकदूसरे को अपने विषय में बताते हुए इस पहली मुलाकात का सेलिब्रेशन करते रहे. इस पहली मुलाकात के बाद मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो गया. उन के बीच आप की दीवार ढह गई.

अब दोनों एकदूसरे को तुम कह कर पुकारने लगे थे. उन की दोस्ती इन मुलाकातों के कुछ दिनों बाद प्यार में बदल गई. मीना को जतिन इतना पसंद आया कि वह उसे सौरभ की जगह रख कर प्यार लुटाने लगी, जिस पर केवल सौरभ का अधिकार था. जतिन भी मीना को टूट कर चाहने लगा था. वह भूल गया था कि मीना किसी की ब्याहता है, उस से प्यार करना उस के लिए गुनाह है. इस का परिणाम उस के लिए घातक भी हो सकता है.

बस, दोनों सारी सीमाएं, सारी मर्यादाएं लांघ कर दिल्ली के रेस्तरां, पिकनिक स्पाट और होटलों के बाद कमरों में मिलने लगे थे. उन का प्यार दिनोंदिन परवान चढ़ रहा था, जिस की चर्चा अब धीरेधीरे मीना के घर तक पहुंचने लगी थी. मीना को इस की परवाह नहीं थी या वह परवाह करना नहीं चाहती थी. जतिन उस के मन का मीत जो बन गया था.

जतिन की हत्या की मिली खबर

27 जनवरी, 2023 को मध्य दिल्ली के थाना नबी करीम को लेडी हार्डिंग अस्पताल से सूचना दी गई कि यहां एक युवक को लाया गया है, जिस के सीने में चाकू घोंपा गया है. उस युवक की मौत हो गई है. एसएचओ अशोक कुमार सूचना पा कर एसआई हर्ष को साथ ले कर लेडी हार्डिंग अस्पताल पहुंच गए. जिस युवक को चाकू मारा गया था, अभी वार्ड में उस का शव पड़ा हुआ था. जिस बैड पर उसे लिटाया गया था, उस की चादर खून से भीग गई थी. युवक के सीने में बाईं ओर गहरा जख्म था. खून अधिक बह जाने के कारण उस की मौत हो गई थी.

लेडी हार्डिंग में ड्ïयूटी पर तैनात कांस्टेबल ने नबी करीम थाने में सूचना दी थी, क्योंकि उस युवक को नबी करीम इलाके से उपचार के लिए उस के घर वाले लाए थे. इमरजेंसी विभाग के डाक्टरों ने उसे देखते ही मृत घोषित कर दिया था. एसएचओ ने मृतक का नाम मालूम किया तो उस के भाई ने उस का नाम जतिन बताया.

“इसे चाकू कहां मारा गया है?’’ एसएचओ ने पूछा.

“पहाडग़ंज के आकर्षण रोड पर हमें इस की लाश मिली है सर. मेरा भाई रात को अपने दोस्त की शादी में शामिल होने के लिए घर से निकला था.’’ उस युवक ने बताया.

एसएचओ अशोक कुमार ने लाश की अच्छे से जांच की. उस चाकू के जख्म के अलावा जतिन के शरीर पर किसी प्रकार के मारपीट के निशान नहीं थे. एसएचओ ने आवश्यक काररवाई निपटा कर अपने उच्चाधिकारियों को इस हत्या की जानकारी दे दी. उन के आदेश पर जरूरी काररवाई करने के बाद जतिन की लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

मजे मजे की आशिकी में गयी जान – भाग 1

20 वर्षीया मीना बहुत देर से महसूस कर रही थी कि एक युवक काफी समय से उसे ही देख रहा है. वह जहां जा रही है, वह भी वहीं उस के पीछेपीछे पहुंच रहा है. मीना जब उस युवक को देखती तो वह उसे कनखियों से देख कर धीरे से मुसकरा देता था. उस की चोरी पकड़ी जाती तो वह चेहरा घुमा लेता था. वह क्यों उस के पीछे लगा है, यही जानने के लिए मीना ने साथ आई अपनी सहेली से कहा, ‘‘सोनिया, उसे देख रही है?’’

“किसे?’’ सहेली बोली.

“अरे वह, जो सामने की कल्पना शर्ट शौप पर खड़ा है.’’

सोनिया ने उस दुकान की ओर नजरें गड़ा दीं. वहां खड़े एक युवक को देख कर उस ने होंठों को गोल सिकोड़ कर अंदर सांस खींचते हुए आह भरी, ‘‘वाव, क्या हैंडसम सिंगल पीस है. यार मीना, तेरी पसंद तो बहुत लाजवाब है.’’

“पागल, वह मेरी पसंद नहीं है.’’ मीना झल्ला कर बोली, ‘‘वह मेरे पीछेपीछे आ रहा है.’’

“किस्मत वाली हो यार,’’ सोनिया ने ठंडी सांस भरी, ‘‘काश! वह मेरे पीछेपीछे आता, रुमाल में लपेट कर पर्स में डाल लेती.’’

“क्या अनापशनाप बक रही है,’’ मीना उस के कंधे पर हाथ मार कर झुंझलाए स्वर में बोली, ‘‘जो कह रही हूं, वह समझ.’’

“समझ गई हूं मेरी जान,’’ सोनिया ने फिर मसखरी की, ‘‘वह जवान और हैंडसम है, तुम भी किसी हसीना से कम नहीं हो. तुम उसे अच्छी लगी हो, इसीलिए तो पीछे लग गया है.’’

“मैं तेरा मुंह नोच लूंगी,’’ चिढ़ कर मीना बोली, ‘‘मैं उस की हरकत से परेशान हूं और तू है कि कुछ दूसरा पुलाव पका रही है.’’ इस बार सोनिया सीरियस हो गई, ‘‘यार, अगर वह हमारे पीछे लगा है तो लगा रहने दे. यह मर्दों की फितरत होती है, कोई सुंदर चीज उसे पसंद आती है तो उसे पाने को मचल उठता है, चाहे वह उस के हाथ में आए या न आए. यहां भी ऐसा ही है, हम यहां पालिका बाजार में कितनी देर के लिए आए हैं घंटा दो घंटा. इतनी देर में वह पीछे लगता है तो लगा रहने दो. हम शौपिंग कर के चले जाएंगे तो वह भी अपने रास्ते चला जाएगा.’’

“फिर भी, उसे इस तरह हमारे पीछे नहीं लगना चाहिए.’’

“यार मीना, तू बेकार की टेंशन ले बैठती है, मस्त हो कर खरीदारी कर. वह क्या कर रहा है, क्यों कर रहा है, करने दे.’’ सोनिया ने समझाया. लेकिन मीना कहां समझने वाली थी. वह सहेली सोनिया के साथ शौपिंग करते हुए उसी युवक को देख रही थी. एक कास्मेटिक की दुकान से निकल कर वह दूसरी दुकान की तरफ बढ़ी तो देखा वह युवक उन के पीछे आने लगा. मीना को गुस्सा आ गया. उस ने देखा कि सोनिया अपनी धुन में उस दुकान की तरफ जा रही थी.

मीना अपनी जगह रुक गई तो वह युवक हड़बड़ा गया. वह भी रुक गया और दूसरी ओर देखने लगा. मीना उस के पास आ गई और उस का कंधा थपथपा कर बोली, ‘‘ऐ मिस्टर, यह क्या हरकत है?’’

“जी…’’ वह युवक अचकचा कर बोली, ‘‘आप ने मुझ से कुछ कहा?’’

“हां, तुम से ही कह रही हूं. यह तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हो?’’

युवक बेहिचक मुसकरा कर बोला, ‘‘जो चीज अच्छी लगे उसे देखने में क्या बुराई है? आप बेहद सुंदर हैं, इसलिए मेरी नजर आप पर से हट नहीं पा रही है.’’

“मेरी मांग में तुम्हें सिंदूर दिखाई दे रहा है?’’ मीना झल्ला कर बोली, ‘‘ये मेरे सुहाग की निशानी है.’’

“एक चुटकी सिंदूर ही तो है,’’ युवक मुसकरा कर बेबाकी से बोला, ‘‘यदि इसे धो डालो तो कसम से कोई नहीं कहेगा कि आप सुहागन हैं. आप को कुंवारी समझ कर आप की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाने को कोई भी मचल जाएगा, मुझे तो सिंदूर में भी आप की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाने का मन हो रहा है.’’

मीना उलझ गई अजनबी से

मीना उस की बेबाकी और जिंदादिली पर अवाक रह गई. कुछ कहते नहीं बना. वह कुछ कहती, उस से पहले ही सोनिया उस के पास पहुंच गई, ‘‘यार मीना, तुम भी गजब हो, मैं तुम्हें वहां ढूंढ रही हूं और तुम यहां इन से उलझ रही हो. चलो, मैं ने तुम्हारे लिए एक ब्रेसलेट पसंद किया है.’’

सोनिया उसे बाजू से पकड़ कर घसीटती ले जाने लगी तो उसे उस युवक के ठंडी सांस भर कहे गए शब्द सुनाई दिए, ‘‘अब तो तुम से दोस्ती कर के ही चैन पाऊंगा, मीनाजी.’’

मीना कुछ कह नहीं पाई. सोनिया उसे घसीट कर उस दुकान पर ले आई, जहां पर वह ब्रेसलेट पसंद कर के गई थी. मीना को ब्रेसलेट पसंद आया तो उस ने उसे खरीद लिया. कुछ देर बाद मीना ने पलट कर पीछे देखा तो वह युवक वहां नहीं था. वह बेचैन हो कर उसे इधरउधर तलाश करने लगी, लेकिन शायद वह वहां से जा चुका था. जाने के बाद वह मीना के दिल में अजीब सी हलचल पैदा कर गया था.

मीना अपने पति सौरभ के साथ मध्य दिल्ली में नबी करीम के मुल्तानी ढांढा में रहती थी. सौरभ अभी 23 साल का था. मीना के साथ शादी को अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ था. दोनों एकदूसरे को पा कर खुश थे. सौरभ कनाट प्लेस के पालिका बाजार में टैटू बनाने का काम करता था. अपनी दुकान थी, जिसे वह अपने बड़े भाई अक्षय के साथ चलाता था.

सौरभ की गृहस्थी हंसीखुशी से चल रही थी कि मीना की शौपिंग के दौरान एक युवक से हुई अनजानी मुलाकात से गृहस्थी की खुशियों का रंग, बदरंग होना शुरू हो गया. मीना चाहती तो उस अजनबी युवक से हुई अनजानी मुलाकात को एक इत्तफाक या हादसा मान कर भुला सकती थी, लेकिन मीना उस मुलाकात की गहराई में उतरने की वही भूल कर बैठी, जो अकसर ऐसी मुलाकातों में अन्य महिलाएं कर बैठती हैं.

वह मुझे देख रहा था, मेरा पीछा कर रहा था, देखने में तो ठीक ही था, कहीं से सडक़छाप मजनूं भी नहीं लग रहा था, सभ्य और पढ़ालिखा भी था किंतु था निडर, बेबाक और दिल को हथेली पर ले कर चलने वाला इंसान. बड़े निर्भीक और सहजता से उस ने अपने मन की बात कह दी थी. ऐसे ही विचार मीना के दिमाग में घूम रहे थे.

उस का किसी काम में मन ही नहीं लग रहा था. रहरह कर उस अजनबी युवक का चेहरा उस की आंखों के सामने उभर आता था. उस युवक के चेहरे की लुभावनी मुसकान उसे कल किसी कांटे की तरह चुभ रही थी तो आज उसी मुसकान की वह दीवानी हो कर आहें भर रही थी.