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SEO Keywords: मीरजापुर मर्डर

Extramarital affairs : पत्नी ने चचेरे देवर के संग मिलकर पति को उतारा मौत के घाट

Extramarital affairs : पत्नी ने चचेरे देवर के संग मिलकर पति को उतारा मौत के घाट

Extramarital affairs : जब कोई पूरी योजना बना कर किसी की हत्या करता है, उस की सोच यह होती है कि वह पकड़ा नहीं जाएगा. लेकिन कानून के शिकंजे से बचना आसान नहीं होता. सरिता और बलराम ने भी…

उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जिले में मीरजापुरइलाहाबाद मार्ग से सटा एक गांव है-महड़ौरा. विंध्यक्षेत्र की पहाड़ी से लगा यह गांव हरियाली के साथसाथ बहुत शांतिप्रिय गांवों में गिना जाता है. इसी गांव के रहने वाले बंसीलाल सरोज ने रेलवे की नौकरी से रिटायर होने के बाद बड़ा सा पक्का मकान बनवाया, जिस में वह अपने पूरे परिवार के साथ रहते थे. उन के भरेपूरे परिवार में पत्नी, 2 बेटे, एक बेटी और बहू थी. गांव में बंसीलाल सरोज के पास खेती की जमीन थी, जिस पर उन का बड़ा बेटा रणजीत कुमार सरोज उर्फ बुलबुल सब्जी की खेती करता था. खेती के साथसाथ रणजीत अपने मामा के साथ मिल कर होटल भी चलाता था.

जबकि छोटा राकेश सरोज कानपुर में बिजली विभाग में नौकरी करता था. वह कानपुर में ही रहता था. महड़ौरा में 9-10 कमरों का अपना शानदार मकान होने के साथसाथ बंसीलाल के पास गांव से कुछ दूर सरोह भटेवरा में दूसरा मकान भी था. रात में वह उसी मकान में सोया करते थे. बंसीलाल के परिवार की गाड़ी जिंदगी रूपी पटरी पर हंसीखुशी से चल रही थी. घर में किसी चीज की कमी नहीं थी. दोनों बेटे अपनेअपने पैरों पर खड़े हो चुके थे, जबकि वह खुद इतनी पेंशन पाते थे कि अकेले अपने दम पर पूरे परिवार का खर्च उठा सकते थे.

बड़ा बेटा रणजीत कुमार सुबह होने पर खेतों पर चला जाता था, फिर दोपहर में उसे वहां से होटल पर जाना होता था. जहां से वह रात में वापस लौटता था और खापी कर सो जाता था. यह उस की रोज की दिनचर्या थी. रणजीत की 3 बेटियां थीं. 10 साल की माया, 7 साल की क्षमा और 3 साल की स्वाति. वह अपनी बेटियों को दिलोजान से चाहता था और उन्हें बेटों की तरह प्यार करता था. उस की बेटियां भी अपनी मां से ज्यादा पिता को चाहती थीं. व्यवहारकुशल, मृदुभाषी रणजीत गांव में सभी को अच्छा लगता था. वह जिस से भी मिलता, हंस कर ही बोलता था. खेतीकिसानी और होटल के काम से उसे फुर्सत ही नहीं मिलती थी. उसे थोड़ाबहुत जो समय मिलता था, उसे वह अपने बीवीबच्चों के साथ गुजारता था.

सोमवार 19 मार्च, 2018 का दिन था. रात होने पर रणजीत कुमार रोज की तरह होटल से घर आया तो उस की पत्नी सरिता उसे खाने का टिफिन पकड़ाते हुए बोली, ‘‘लो जी, दूसरे मकान पर बाबूजी को खाना दे आओ. आज काफी देर हो गई है, बाबूजी इंतजार कर रहे होंगे. आप खाना दे कर आओ तब तक मैं आप के लिए खाने की थाली लगा देती हूं.’’

पत्नी के हाथ से खाने का टिफिन ले कर रणजीत दूसरे मकान पर चला गया, जहां उस के पिता बंसीलाल रात में सोने जाया करते थे. उन का रात का खाना अकसर उसी मकान पर जाता था. रणजीत उन्हें खाना दे कर जल्दी ही लौट आया और घर आ कर खाना खाने बैठ गया. खाना खाने के बाद वह अपने कमरे में सोने चला गया. रणजीत की मां, पत्नी सरिता, बहन सोनी और रणजीत की तीनों बेटियां बरांडे में सो गईं. रणजीत बना निशाना रणजीत सोते समय अपने कमरे का दरवाजा खुला रखता था. उस दिन भी वह अपने कमरे का दरवाजा खुला छोड़ कर सोया था. देर रात पीछे से चारदीवारी फांद कर किसी ने रणजीत के कमरे में प्रवेश किया और पेट पर धारदार हथियार से वार कर के उसे मौत की नींद सुला दिया.

उस पर इतने वार किए गए थे कि उस की आंतें तक बाहर आ गई थीं. रणजीत की मौके पर ही मौत हो गई थी. आननफानन में घर वाले उसे अस्पताल ले कर भागे, लेकिन वहां डाक्टरों ने रणजीत को देखते ही मृत घोषित कर दिया. भोर में जैसे ही इस घटना की सूचना पुलिस को मिली वैसे ही विंध्याचल कोतवाली प्रभारी अशोक कुमार सिंह पुलिस टीम के साथ गांव पहुंच गए. वहां गांव वालों का हुजूम लगा हुआ था. अशोक कुमार सिंह ने इस घटना की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को भी दे दी. इस के बाद उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया. घर के उस कमरे में जहां रणजीत सोया हुआ था, काफी मात्रा में खून पड़ा हुआ था. मौकाएवारदात को देखने से यह साफ हो गई कि जिस बेदर्दी के साथ रणजीत की हत्या की गई थी, संभवत: वारदात में कई लोग शामिल रहे होंगे.

यह भी लग रहा था कि या तो हत्यारों की रणजीत से कोई अदावत रही होगी या किसी बात को ले कर वह उस से खार खाए होंगे. इसी वजह से उसे बड़ी बेरहमी से किसी धारदार हथियार से गोदा गया था. खून के छींटे कमरे के साथसाथ बाहर सीढि़यों तक फैले थे. इंसपेक्टर अशोक कुमार सिंह ने आसपास नजरें दौड़ा कर जायजा लिया तो देखा, जिस कमरे में वारदात को अंजाम  दिया गया था, वह कमरा घर के पीछे था. संभवत हत्यारे पीछे की दीवार फांद कर अंदर आए होंगे और (Extramarital affairs) हत्या कर के उसी तरह भाग गए होंगे. इसी के साथ उन्हें एक बात यह भी खटक रही थी कि हो न हो इस वारदात में किसी करीबी का हाथ रहा हो. घटनास्थल की वस्तुस्थिति और हालात इसी ओर इशारा कर रहे थे. ताज्जुब की बात यह थी कि इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी घर के किसी मेंबर को कानोंकान खबर नहीं हुई थी.

बहरहाल, अशोक कुमार सिंह ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा कर मृतक रणजीत के बारे में जानकारी एकत्र की और थाने लौट आए. उन्होंने रणजीत के पिता बंसीलाल सरोज की लिखित तहरीर के आधार पर अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत केस दर्ज कर के जांच शुरू कर दी. रणजीत की हत्या होने की खबर आसपास के गांवों तक पहुंची तो तमाम लोग महड़ौरा में एकत्र हो गए. हत्या को ले कर लोगों में आक्रोश था. आक्रोश के साथसाथ भीड़ भी बढ़ती गई. महिलाएं और बच्चे भी भीड़ में शामिल थे.

आक्रोशित भीड़ ने गांव के बाहर मेन रोड पर पहुंच कर इलाहाबाद मीरजापुर मार्ग जाम कर दिया. दोनों तरफ का आवागमन बुरी तरह ठप्प हो गया. गुस्से के मारे लोग पुलिस के विरोध में नारे लगाने के साथ मृतक के हत्यारों को गिरफ्तार करने और उस की बीवी को मुआवजा दिलाने की मांग कर रहे थे. धरना बना जी का जंजाल इस की जानकारी मिलने पर विंध्याचल कोतवाली की पुलिस वहां पहुंच गई, जहां भीड़ जाम लगाए हुए थी. जाम के चलते इंसपेक्टर अशोक कुमार सिंह ने धरने पर बैठे गांव वालों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे किसी भी सूरत में पीछे हटने को तैयार नहीं थे. अपना प्रयास विफल होता देख उन्होंने अपने उच्चाधिकारियों को वहां की स्थिति बता कर पुलिस फोर्स भेजने को कहा, ताकि कोई अप्रिय घटना न घट सके.

वायरलैस पर सड़क जाम की सूचना प्रसारित होते ही पड़ोसी थानों जिगना, गैपुरा और अष्टभुजा पुलिस चौकी के अलावा जिला मुख्यालय से पहुंची पुलिस और पीएसी ने मौके पर पहुंच कर मोर्चा संभाल लिया. कुछ ही देर में पुलिस अधीक्षक आशीष तिवारी सहित अन्य पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए. अधिकारियों ने ग्रामीणों को विश्वास दिलाया कि रणजीत के हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा. काफी समझाने के बाद ग्रामीण मान गए और उन्होंने धरना समाप्त कर दिया. इस के साथ ही धीरेधीरे जाम भी खत्म हो गया.

जाम समाप्त होने के बाद विंध्याचल कोतवाली पहुंचे पुलिस अधीक्षक आशीष तिवारी ने रणजीत के हत्यारों को हर हाल में जल्दी से जल्दी गिरफ्तार कर के इस केस को खोलने का सख्त निर्देश दिया. पुलिस अधीक्षक के सख्त तेवरों को देख कोतवाली प्रभारी अशोक कुमार और उन के मातहत अफसर जीजान से जांच में जुट गए. अशोक कुमार सिंह ने इस केस की नए सिरे से छानबीन करते हुए मृतक रणजीत के पिता बंसीलाल से पूछताछ करनी जरूरी समझी. इस के लिए वह महड़ौरा स्थित बंसीलाल के घर पहुंचे, जहां उन्होंने बंसीलाल से एकांत में बात की.

इस बातचीत में उन्होंने रणजीत से जुड़ी छोटी से छोटी जानकारी जुटाई. बंसीलाल से हुई बातों में एक बात चौंकाने वाली थी जो रणजीत की पत्नी सरिता से संबंधित थी. पता चला उस का चालचलन ठीक नहीं था. इस संबंध में रणजीत के पिता बंसीलाल ने इशारोंइशारों में काफी कुछ कह दिया था. पिता से मिला क्लू बना जांच का आधार इस जानकारी से इंसपेक्टर अशोक कुमार सिंह की आंखों में चमक आ गई. उन्होंने पूछताछ के लिए मृतक रणजीत की पत्नी सरिता और उस के चचेरे भाई बलराम सरोज को थाने बुलाया. लेकिन इन दोनों ने कुछ खास नहीं बताया. दोनों बारबार खुद को बेगुनाह बताते रहे.

बलराम रणजीत का भाई होने का तो सरिता पति होने का वास्ता देती रही. दोनों के घडि़याली आंसुओं को देख कर इंसपेक्टर अशोक कुमार ने उस दिन उन्हें छोड़ दिया, लेकिन उन पर नजर रखने लगे. इसी बीच उन के एक खास मुखबिर ने सूचना दी कि सरिता और बलराम भागने के चक्कर में हैं. मुखबिर की बात सुन कर अशोक कुमार सिंह ने बिना समय गंवाए 29 मार्च को महड़ौरा से सरिता को थाने बुलवा लिया. साथ ही उस के चचेरे देवर बलराम को भी उठवा लिया. थाने लाने के बाद दोनों से अलगअलग पूछताछ की गई. पूछताछ के लिए पहला नंबर सरिता का आया. वह पुलिस को घुमाने का प्रयास करते हुए अपने सुहाग का वास्ता दे कर बोली, ‘‘साहब, आप कैसी बातें कर रहे हैं, भला कोई अपने ही हाथों से अपने सुहाग को उजाड़ेगा? साहब, जरूर किसी ने आप को बहकाया है. आखिरकार मुझे कमी क्या थी, जो मैं ऐसा करती?’’

उस की बात अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि इंसपेक्टर अशोक कुमार सिंह बोले, ‘‘देखो सरिता, तुम ज्यादा सती सावित्री बनने की कोशिश मत करो, तुम्हारी भलाई इसी में है कि सब कुछ सचसच बता दो वरना मुझे दूसरा रास्ता अख्तियार करना पड़ेगा.’’ लेकिन सरिता पर उन की बातों का जरा भी असर नहीं पड़ा. वह अपनी ही रट लगाए हुई थी. अशोक कुमार सिंह सरिता के बाद उस के चचेरे देवर बलराम से मुखातिब हुए, ‘‘हां तो बलराम, तुम कुछ बोलोगे या तुम से भी बुलवाना पड़ेगा.’’

‘‘म…मम…मतलब. मैं कुछ समझा नहीं साहब.’’

‘‘नहीं समझे तो समझ आओ. मुझे यह बताओ कि तुम ने रणजीत को क्यों मारा?’’

‘‘साहब, आप यह क्या कह रहे हैं, रणजीत मेरा भाई था, भला कोई अपने भाई की हत्या क्यों करेगा? मेरी उस से खूब पटती थी. उस के मरने का सब से ज्यादा गम मुझे ही है. और आप मुझे ही दोषी ठहराने पर तुले हैं.’’

उस की बात अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि अचानक इंसपेक्टर अशोक कुमार का झन्नाटेदार थप्पड़ उस के गाल पर पड़ा. वह अपना चेहरा छिपा कर बैठ गया. अभी वह कुछ सोच ही रहा था कि इंसपेक्टर अशोक कुमार सिंह बोले, ‘‘बलराम, भाई प्रेम को ले कर तुम्हारी जो सक्रियता थी, वह मैं देख रहा था. तुम्हारा प्रेम किस से और कितना था, यह सब भी मुझे पता चल चुका है. तुम ने रणजीत को क्यों और किस के लिए मारा, वह भी तुम्हारे सामने है.’’

उन्होंने सरिता की ओर इशारा करते हुए कहा तो बलराम की नजरें झुक गईं. उसे इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि उस की बनाई कहानी का अंत इतनी आसानी से हो जाएगा और पुलिस उस से सच उगलवा लेगी. तीर निशाने पर लगता देख इंसपेक्टर अशोक कुमार सिह ने बिना देर किए तपाक से कहा, ‘‘अब तुम्हारी भलाई इसी में है, दोनों साफसाफ बता दो कि रणजीत की हत्या क्यों और किसलिए की, वरना मुझे दूसरा तरीका अपनाना पड़ेगा.’’

खुल गया रणजीत की हत्या का राज सरिता और बलराम ने खुद को चारों ओर से घिरा देख कर सच्चाई उगलने में ही भलाई समझी. पुलिस ने दोनों को विधिवत गिरफ्तार कर के पूछताछ की तो रणजीत के कत्ल की कहानी परत दर परत खुलती गई. बलराम ने अपना जुर्म कबूल करते हुए बताया कि न जाने कैसे रणजीत को उस के और सरिता के प्रेम संबंधों की जानकारी मिल गई थी. फलस्वरूप वह उन दोनों के संबंधों में बाधक बनने लगा. यहां तक कि उस ने बलराम को अपनी पत्नी से मिलने के लिए मना कर दिया था. इसी के मद्देनजर सरिता और बलराम ने योजनाबद्ध तरीके से रणजीत की हत्या की योजना बनाई. योजना के मुताबिक बलराम ने घर में घुस कर बरामदे में सोए रणजीत की चाकू घोंप कर हत्या कर दी.

बलराम की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल किया गया चाकू घर से 2 सौ मीटर दूर गेहूं के खेत से बरामद कर लिया. सरिता और बलराम ने स्वीकार किया कि जिस चाकू से रणजीत की हत्या की गई थी, उसे बलराम ने हत्या से एक दिन पहले ही गांव के एक लोहार से बनवाया था. पुलिस ने उस लोहार से भी पूछताछ की. उस ने इस की पुष्टि की. पुलिस लाइन में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान पुलिस अधीक्षक आशीष तिवारी ने खुलासा करते हुए बताया कि रणजीत सरोज की पत्नी के अवैध संबंध उस के चचेरे भाई बलराम से पिछले 5 वर्षों से थे. रणजीत ने दोनों को एक बार रंगेहाथों पकड़ा था. उस वक्त घर वालों ने गांव में परिवार की बदनामी की वजह से इस मामले को घर में ही दबा दिया था. साथ ही दोनों को डांटाफटकारा भी था.

रणजीत ने बलराम को घर में आने से मना भी कर दिया था. इस से सरिता अंदर ही अंदर जलने लगी थी. उसे चचेरे देवर से मिलने की कोई राह नहीं सूझी तो उस ने बलराम के साथ मिल कर पति की हत्या की योजना तैयार की ताकि पिछले 5 सालों से चल रहे प्रेम संबंध चलते रहें. पकड़े जाने पर दोनों ने पुलिस और मीडिया के सामने अपना जुर्म कबूल करते हुए अवैध संबंधों (Extramarital affairs) में हत्या की बात मानी. दोनों ने पूरी घटना के बारे में विस्तार से बताया. रणजीत हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने के बाद पुलिस ने पूर्व  में दर्ज मुकदमे में अज्ञात की जगह सरिता और बलराम का नाम शामिल कर के दोनों को जेल भेज दिया.

 

Posted on January 23, 2025Author संतोष देव गिरिCategories फैमिली क्राइमTags crime stories, crimes in family, dream like love story, family dispute, famous family murder stories, Firozabad murder, full story of love story, Illegal Relationship, love crime stories, love short story, Mirzapur crime, Mirzapur murder, murder case, online love story, recent family murder cases in India 2025, Romantic love story in Hindi, stories in hindi, today's family murder case, True Love Story, Uttar Pradesh murder, Uttar Pradesh murder case, wife got husband killed, wife illegal relationshipLeave a comment
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