Extramarital Affair : पत्नी के प्रेमी की हत्या कर लाश संदूक में छिपाई

Extramarital Affair : रौंग काल से पैदा हुआ प्यार शादीशुदा नरगिस और महबूब को उस मुकाम तक ले गया जिस की दोनों ने कल्पना तक नहीं की थी. फिर एक दिन ऐसा क्या हुआ कि नरगिस के घर संदूक में महबूब की लाश मिली…

18 सितंबर, 2020 को देर रात थाना कांठ के थानाप्रभारी अजय कुमार गौतम के मोबाइल पर किसी अंजान व्यक्ति का फोन आया. फोन करने वाले ने बताया, ‘‘सर, मैं ऊमरी कलां के पास पाठंगी गांव के प्रधान शहजाद का छोटा भाई नौशाद बोल रहा हूं. सर, हमारे घर में एक युवक की मौत हो गई है. आप जल्द आ जाइए.’’

‘‘मौत कैसे हो गई, क्या हुआ था उसे?’’ अजय कुमार गौतम ने उस युवक से पूछा.

‘‘सर, संदूक में दम घुटने से…’’ युवक ने जबाव दिया. यह जानकारी देने के बाद नौशाद ने काल डिसकनेक्ट कर दी. नौशाद की बात सुनते ही थानाप्रभारी को समझते देर नहीं लगी कि मामला कुछ गड़बड़ है. लिहाजा कुछ पुलिसकर्मियों को साथ ले कर वह पाठंगी गांव जा पहुंचे. जिस वक्त गांव में पुलिस पहुंची, अधिकांश लोग सो चुके थे. फिर भी गांव में देर रात पुलिस की गाड़ी देख कर कुछ लोग एकत्र हो गए. पुलिस की जिप्सी रुकते ही सब से पहले नौशाद पुलिस के सामने हाजिर हुआ. वह बोला, ‘‘सर, मेरा नाम ही नौशाद अली है. मैं ने ही आप को फोन किया था. आइए सर, मैं आप को युवक की लाश दिखाता हूं.’’ कह कर नौशाद अली पुलिसकर्मियों को अपने घर के अंदर ले गया.

घर के अंदर जाते ही नौशाद ने अपने घर में रखा संदूक खोला. संदूक खुलते ही बदबू का गुबार निकला. जिस की वजह से पुलिस का वहां रुकना मुश्किल हो गया. बदबू कम हुई तो पुलिस ने मृतक की लाश देखी. फिर लोगों की मदद से लाश को संदूक से बाहर निकलवाया. मृतक हृष्टपुष्ट युवक था. जांचपड़ताल के दौरान पता चला कि उस के शरीर पर तमाम चोटों के निशान थे. उस के सिर से काफी खून भी निकल कर जम गया था. संभवत: ज्यादा खून बहने से ही उस की मौत हुई थी. थानाप्रभारी गौतम ने इस मामले की जानकारी सीओ बलराम सिंह को भी दे दी थी. सूचना मिलते ही सीओ साहब भी पाठंगी गांव पहुंच गए और वहां मौजूद लोगों से पूछताछ की. फोरैंसिक टीम ने भी घटनास्थल पर पहुंच कर साक्ष्य एकत्र किए.

नौशाद के घर से ही पुलिस को मृतक का एक बैग भी मिला, जिस में से पुलिस को शराब की एक बोतल के साथसाथ 2 बीयर की बोतलें, मृतक का आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज भी मिले. आधार कार्ड पर नाम महबूब आलम पुत्र शमशाद, निवासी मोड़ा पट्टी, कांठ लिखा था. पुलिस ने नौशाद से मृतक युवक के बारे में पूछा तो उस ने बताया, ‘‘सर, मैं पानीपत में काम करता हूं. घर पर मेरे बीवीबच्चे रहते हैं. इसलिए मैं इस के बारे में नहीं जानता. लेकिन पत्नी नरगिस ने बताया कि यह उस का दूर का रिश्तेदार है. मैं पानीपत में था तो आज सुबह मेरी बीवी नरगिस का फोन आया. उस ने फोन पर बताया कि घर पर कुछ अनहोनी हो गई है. इसलिए जितनी जल्दी हो सके, फौरन घर पहुंचो.’’

नौशाद ने बताया कि बीवी की बात सुनते ही वह अपना कामधंधा छोड़ कर तुरंत घर चला आया था. घर आने पर पत्नी ने बताया कि महबूब उस का दूर का रिश्तेदार था. 17 सितंबर, 2020 की देर रात वह हमारे घर पहुंचा. उस वक्त तीनों बच्चे सो चुके थे. लेकिन बड़ा बेटा अचानक जाग गया. बेटे के डर की वजह से महबूब घर में रखे संदूक में छिप कर बैठ गया. बेटा 2 घंटे बाद सोया तो मैं ने संदूक खोल कर देखा. तब तक दम घुटने से वह मर चुका था. नौशाद ने पुलिस को बताया कि घर में किसी व्यक्ति की मौत हो जाने की बात सुनते ही उस के हाथपांव फूल गए. संदूक में पड़ी लाश के बारे में सोचसोच कर उस का सिर फटा जा रहा था.

उसे अपनी बीवी पर भी कुछ शक हुआ. वह समझ नहीं पा रहा था कि अगर लड़का सोते से उठ गया तो उसे संदूक में छिपने की क्या जरूरत थी. इस घटना से उसे बीवी पर बहुत गुस्सा आया. लेकिन घर में जो बला पड़ी थी, पहले उस से कैसे निपटा जाए, वह उसे ले कर परेशान था. दोपहर से शाम तक उस ने कई बार उस की लाश को ठिकाने लगाने की योजना बनाई, लेकिन वह किसी भी योजना में सफल नहीं हो पा रहा था. घर की बदनामी को देखते हुए वह न तो इस बात का जिक्र अपने घर वालों से कर सकता था और न ही खुद कोई निर्णय ले पा रहा था. जब इस मामले में उस के दिमाग ने बिलकुल काम करना बंद कर दिया तो उस ने पुलिस को सूचना देने का फैसला लिया. उस के बाद ही उस ने पुलिस को फोन कर घटना की जानकारी दी.

जब पुलिस इस मामले की जांचपड़ताल में लगी थी, नरगिस घर के आंगन में ही डरीसहमी सी बैठी थी. नौशाद की बताई कहानी से पुलिस को मामला समझने में देर नहीं लगी. लेकिन हैरत की बात यह थी कि 2 घंटे संदूक में बंद रहने से उस की मौत कैसे हो गई. क्योंकि बक्सा काफी बड़ा भी था और खाली भी था. सवाल यह था कि मृतक के शरीर पर चोटों के निशान कहां से आए. पुलिस को मृतक की जेब से एक मोबाइल मिला, जो उस वक्त बंद था. पुलिस ने उसे औन कर के उस की जांच की तो पता चला कि उस के फोन पर नरगिस ने ही आखिरी काल की थी.

इस मामले को ले कर पुलिस ने नरगिस से भी पूछताछ की. पुलिस पूछताछ के दौरान नरगिस ने अपने पति की बताई रटीरटाई बात दोहरा दीं. उस वक्त तक रात के 12 बज चुके थे. पुलिस युवक की मौत की जांच में लगी थी. उसी दौरान मृतक के मोबाइल पर शमशाद नामक व्यक्ति का फोन आया.

फोन थानाप्रभारी गौतम ने रिसीव किया. जैसे ही उन्होंने हैलो कहा तभी दूसरी तरफ से आवाज आई, ‘‘अरे बेटा, मैं तुम्हारा अब्बू बोल रहा हूं. तुम कहां हो? कल से तुम्हारा फोन बंद आ रहा है.’’

‘‘शमशाद जी, आप कहां से बोल रहे हैं और आप का बेटा कहां गया हुआ है?’’ अजय कुमार गौतम ने शमशाद से प्रश्न किया. आवाज उन के बेटे की नहीं थी. मोबाइल किसी और के रिसीव करने से शमशाद हुसैन चिंतित हो उठे. वह तुरंत बोले, ‘‘आप कौन बोल रहे हैं? यह नंबर तो मेरे बेटे महबूब आलम का है. आप के पास कहां से आया?’’

‘‘मैं कांठ थाने का थानेदार अजय कुमार गौतम बोल रहा हूं.’’

पुलिस का नाम सुनते ही शमशाद अहमद घबरा गए. उन के दिमाग में तरहतरह शंकाएं घूमने लगीं. जब उन्हें यह जानकारी मिली कि बेटे का मोबाइल पुलिस के पास है तो वे किसी अनहोनी की आशंका से परेशान हो गए. तभी अजय कुमार गौतम ने शमशाद हुसैन को बताया कि उन के बेटे के साथ एक अनहोनी हो गई है. वह तुरंत पाठंगी गांव आ जाएं. पुलिस द्वारा जानकारी मिलने पर शमशाद हुसैन अपने घर वालों के साथ पाठंगी गांव जा पहुंचे. वहां पहुंचने पर उन्हें जानकारी मिली कि उन का बेटा महबूब अब इस दुनिया में नहीं रहा. उस की संदूक में बंद होने के कारण दम घुटने से मौत हो गई है.

यह जानकारी मिलते ही शमशाद हुसैन के परिवार में मातम छा गया. घटनास्थल की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक की गला घोंट कर हत्या करने की बात सामने आई. मृतक के शरीर पर भी चोटों के काफी निशान पाए गए थे, जिन से साफ जाहिर था कि मृत्यु से पहले उस के साथ मारपीट की गई थी और मृतक ने हमलावरों से काफी संघर्ष किया था. इस केस में मृतक के पिता शमशाद हुसैन की तहरीर पर पुलिस ने नरगिस, उस के पति नौशाद, ग्रामप्रधान शहजाद और दिलशाद के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.

पुलिस ने आरोपी नरगिस को उस के घर से ही गिरफ्तार कर लिया. नरगिस को थाने लाते ही पुलिस ने उस से कड़ी पूछताछ की तो उस ने अपना गुनाह कबूल कर लिया. नरगिस और महबूब के घर वालों से पूछताछ के बाद इस केस की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—

जिला मुरादाबाद में कांठ मिश्रीपुर रोड पर स्थित है गांव मोड़ा पट्टी. शमशाद हुसैन इसी गांव में अपने परिवार के साथ रहता था. शमशाद हुसैन पेशे से कारपेंटर था. उस की आर्थिक स्थिति शुरू से ही मजबूत थी. उस के 6 बच्चों में महबूब आलम तीसरे नंबर का था. इस समय उस के पांचों बेटे कामधंधा कर कमाने लगे थे. महबूब ने कांठ में ही स्टील वेल्ंडिग का काम सीख लिया था. काम सीखने के बाद उस ने ठेके पर काम करना शुरू किया. धीरेधीरे शहर के आसपास उस की अच्छी जानपहचान हो गई थी. लगभग 3 साल पहले की बात है. नरगिस अपने पति नौशाद को फोन मिला रही थी. लेकिन गलती से फोन किसी और के नंबर से कनेक्ट हो गया. बातों में पता चला कि वह नंबर गांव मोड़ा पट्टी निवासी महबूब का है. महबूब से बात करना उसे अच्छा लगा.

महबूब को भी उस की बातें अच्छी लगीं. बात खत्म हो जाने के बाद महबूब ने उसी वक्त नरगिस के नंबर को अपने मोबाइल में सेव कर लिया था. उस के कई दिन बाद महबूब ने फिर से वही नंबर ट्राई किया तो फोन नरगिस ने ही उठाया. उस के बाद महबूब ने नरगिस को विश्वास में लेते हुए उस के घर की पूरी हकीकत जान ली. एक बार दोनों के बीच मोबाइल पर बात करने का सिलसिला चालू हुआ तो दोस्ती पर ही जा कर रुका. दोनों के बीच प्रेम कहानी शुरू हुई तो महबूब नरगिस के घर तक पहुंच गया. महबूब पहली बार नरगिस के घर जा कर उस से मिला तो उस ने उस का परिचय अपने बच्चों व ससुराल वालों से अपने दूर के खालू के लड़के के रूप में कराया. उस के बाद महबूब का नौशाद की गैरमौजूदगी में आनाजाना बढ़ गया. उसी आनेजाने के दौरान महबूब और नरगिस के बीच अवैध संबंध भी बन गए.

नौशाद अकसर काम के सिलसिले में घर से बाहर ही रहता था. उस के तीनों बच्चे स्कूल जाने लगे थे. वैसे भी महबूब का घर नरगिस के गांव से करीब 7 किलोमीटर दूर था. जब कभी नरगिस घर पर अकेली होती तो वह महबूब को फोन कर के बुला लेती. फिर दोनों मौके का लाभ उठाते हुए अपनी हसरतें पूरी करते. दोनों के बीच यह सिलसिला काफी समय तक चलता रहा. इसी दौरान महबूब कांठ छोड़ कर काम करने गोवा चला गया. महबूब के गोवा जाते ही नरगिस खोईखोई सी रहने लगी. इस के बाद भी दोनों के बीच मोबाइल पर प्रेम कहानी चलती रही. गोवा में स्टील वेल्डिंग का काम कर के महबूब ने काफी पैसे कमाए. उस कमाई का अधिकांश हिस्सा वह नरगिस पर खर्च करता.

महबूब जब कभी गोवा से अपने घर कांठ आता तो वह नरगिस के साथसाथ उस के बच्चों के लिए भी काफी गिफ्ट ले कर आता था. वह सारी रात उसी के पास सोता और फिर दिन निकलते ही अपने गांव मोड़ा पट्टी चला जाता था. महबूब का नरगिस के साथ करीब 3 साल से प्रेम प्रसंग चल रहा था, लेकिन उस ने इस बात की भनक अपने परिवार वालों को नहीं लगने दी थी. लेकिन नरगिस के ससुराल वाले जरूर महबूब और नरगिस के रिश्ते को ले कर शक करने लगे थे. नौशाद का भाई शमशाद ग्रामप्रधान था. नरगिस के क्रियाकलापों की वजह से गांव में उस की बहुत बदनामी हो रही थी. उस के सभी भाई परेशान थे.

नौशाद का परिवार अलग घर में रहता था. उस के भाई अपनेअपने घरों में रहते थे. जिस के कारण वह महबूब और नरगिस को रंगेहाथों पकड़ने में असफल हो रहे थे. महबूब अगस्त के महीने में घर आया और फिर गोवा वापस चला गया था. गोवा जाते ही घर पर उस की शादी की बात चली. बात तय हो जाने के बाद 18 सितंबर को रिश्ता होने की बात पक्की हो गई. जिस के लिए मजबूरी में उसे फिर से गोवा से गांव आना पड़ा. 15 सितंबर, 2020 को महबूब ने अपने भाई शकील के मोबाइल पर बात कर कहा था कि 18 सितंबर की सुबह वह घर पहुंच जाएगा. 16 सितंबर को वह गोवा से चल कर देर रात दिल्ली पहुंचा. दिल्ली के कीर्ति नगर में उस के जीजा गुड्डू रहते थे. वह सीधे अपने जीजा के पास चला गया.

16 सितंबर की रात को उस ने नरगिस से फोन पर बात की तो उसे पता चला कि उस का पति पानीपत, हरियाणा काम करने गया हुआ है. यह जानकारी मिलने पर उस ने सीधे नरगिस के घर जाने की योजना बना ली. उसी योजना के मुताबिक महबूब 17 सितंबर की देर रात दिल्ली से नरगिस के गांव पाठंगी पहुंचा. उस वक्त तक उस के बच्चे सो चुके थे. लेकिन नौशाद के बड़े भाई ग्राम प्रधान शहजाद को इस बात का पता चल गया था. भले ही नरगिस ने महबूब को अपना रिश्तेदार बता रखा था. लेकिन उस का वक्तबेवक्त आनाजाना ससुराल वालों को खलने लगा था. गांव में हो रही बदनामी से बचने के लिए ग्राम प्रधान शहजाद और उस का छोटा भाई दिलशाद महबूब को सबक सिखाने का मौका तलाश रहे थे.

17 सितंबर की रात नरगिस के ससुराल वालों को महबूब के आने का पता चल गया था. वे देर रात तक नरगिस के बच्चों के सोने का इंतजार करते रहे. जैसे ही उन्हें आभास हुआ कि बच्चे सो चुके हैं, दोनों भाई मौका पाते ही नौशाद के घर में घुस कर छिप गए. रात में उन्होंने नरगिस और महबूब को आपतिजनक स्थिति में देख लिया. दोनों को उस स्थिति में देखते ही शहजाद और दिलशाद का खून खौल उठा. नरगिस को उन्होंने बुरी तरह से मारापीटा. उस के बाद दोनों ने महबूब को डंडों से मारमार कर अधमरा कर दिया. कुछ ही देर में महबूब की मौत हो गई. इस के बाद उन्होंने उस की लाश छिपाने के उद्देश्य से घर में रखे संदूक में डाल दी. फिर वे उस की लाश ठिकाने लगाने की जुगत मे लग गए.

लेकिन उन्हें लाश ठिकाने लगाने का मौका नहीं मिला तो नरगिस को वही पाठ पढ़ा कर घर से गायब हो गए, जो उस ने अपने पति और पुलिस वालों को बताया था. उधर 17 सितंबर, 2020 को महबूब ने अपने घर फोन कर जानकारी दी थी कि वह गोवा से दिल्ली गुड्डू जीजा के घर आ गया है और कल सुबह गांव पहुंच जाएगा. उस के बाद उस का मोबाइल फोन बंद हो गया था. घर वालों ने सोचा कि शायद उस के मोबाइल की बैटरी डिस्चार्ज हो गई होगी. फिर भी उन्हें तसल्ली इस बात की थी कि वह गोवा से ठीकठाक दिल्ली पहुंच गया था. उस के बाद भी उस के परिवार वाले बीचबीच में उस का नंबर मिलाते रहे. लेकिन उस से बात नहीं हो पा रही थी.

जब काफी समय बाद भी महबूब से बात नहीं हो सकी. तो शमशाद हुसैन ने अपने दामाद गुड्डू को फोन किया. गुड्डू ने बताया कि महबूब उन के घर 16 सितंबर की रात पहुंचा था और 17 सितंबर की दोपहर में ही वह घर जाने की बात कह कर चला गया था. यह सुन कर घर वाले परेशान थे. पुलिस द्वारा फोन करने पर ही उन्हें हत्या की जानकारी हुई. इस केस के खुलते ही पुलिस ने शमशाद की तहरीर पर मृतक महबूब की प्रेमिका नरगिस, उस के पति नौशाद, जेठ शहजाद तथा दिलशाद के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज किया. हालांकि नरगिस और उस के पति नौशाद ने स्वयं स्वीकार किया था कि हत्या से उन का कोई लेनादेना नहीं है. नौशाद ने बताया कि हत्या वाली रात वह पानीपत में था. जांच में बेकुसूर पाए जाने पर पुलिस ने नौशाद को छोड़ दिया.

18 सितंबर को पुलिस ने नरगिस को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया था. अन्य अभियुक्तों की तलाश जारी थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Madhya Pradesh Crime : इंस्टाग्राम प्रेमिका की दगाबाजी

Madhya Pradesh Crime : मुकेश लोधी ने अपनी 2 प्रेमिकाओं के साथ मिल कर पदम सिंह के इकलौते बेटे अभिषेक लोधी को प्यार के जाल में फांस कर बंधक बना लिया था. बेटे को रिहा करने के एवज में उस ने पदम सिंह से 20 लाख रुपए की फिरौती मांगी. मुकेश को यह रकम मिली या कुछ और? पढि़ए, यह दिलचस्प कहानी.

13 दिसंबर, 2024 को सुबह के यही कोई 6 बजे का समय रहा होगा. तभी मुरैना (मध्य प्रदेश) के कस्बा पोरसा के गांव परदूपुरा निवासी वीरपाल के मोबाइल की घंटी बज उठी. सिरहाने रखा मोबाइल फोन उठा डिसप्ले पर आए नंबर को ध्यान से देखा. वह नंबर पोरसा के परदूपुरा में रहने वाले रिश्तेदार पदम सिंह लोधी का था. फौरन वह काल रिसीव करते हुए बोला, ”हैलो पदम सिंहजी, इतनी सुबहसुबह कैसे याद किया?’’

अरे, कुछ जरूरी बात करनी थी आप से.’’ 

बताओ, क्या बात करनी है? आप की आवाज कुछ भर्राई हुई क्यों है?’’ 

अरे वीरपालजी, बड़ी परेशानी में हूं बेटे को ले कर. अभिषेक कहीं तुम्हारे घर तो नहीं आया?’’ 

वह अभी तक तो मेरे यहां पर नहीं आया.’’ वीरपाल ने बताया.

दरअसल, वह 11 दिसंबर की सुबह ग्वालियर से जरूरी काम से मुरैना जाने की बात कह कर निकला था. उस ने जाते समय अपने साथ रहने वाले रूममेट को बताया था कि वह शाम तक हर हाल में वापस आ जाएगा, लेकिन उसे गए 3 दिन बीत गए…’’ पदम सिंह ने बताया. पदम सिंह ने आगे कहा, ”वह कमरे पर वापस लौट कर नहीं आया और न ही उस से फोन पर संपर्क हो पाया तो उस के रूममेट ने इस की जानकारी मुझे दी. तभी से घर के सभी लोग दरवाजे की तरफ टकटकी लगा कर उस के लौट कर आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. उस का मोबाइल फोन भी स्विच्ड औफ आ रहा है. इस वजह से मन में तरहतरह के खयाल आ रहे हैं.’’

वीरपाल ने अपने रिश्तेदार को तसल्ली देते हुए कहा, ”आप चिंता मत करो. अभिषेक जल्द ही घर लौट आएगा, वह कोई छोटा बच्चा नहीं है. फिर भी मैं अपने स्तर पर जानकारी जुटाता हूं.’’

इस के बावजूद अभिषेक के फेमिली वालों को चैन कहां था. वो अभिषेक को सगेसंबंधियों से ले कर रिश्तेदारियों और परिचितों में खोजते रहे. अभिषेक के दोस्तों से भी पदम सिंह ने पूछताछ कर ली थी.  दोस्तों ने एक ही उत्तर दिया कि 11 दिसंबर के बाद से उन की अभिषेक से कोई बात नहीं हुई. 3 दिन तक अभिषेक के पेरेंट्स ने अपने स्तर से उस का पता लगाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन उन के बारे में जब कुछ भी पता नहीं चला तो वह 14 दिसंबर को दोपहर के डेढ़ बजे के करीब मुरैना के गोला का मंदिर थाने पहुंच गए.

पदम सिंह ने एसएचओ हरेंद्र शर्मा से मिल कर उन्हें अपने 25 वर्षीय बेटे अभिषेक के गायब होने की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अभिषेक ग्वालियर की रणधीर कालोनी में किराए का कमरा लेकर पीजीडीसीए की पढ़ाई कर रहा था. एसएचओ हरेंद्र शर्मा ने पदम सिंह की बात गौर से सुनी. अभिषेक लोधी की गुमशुदगी दर्ज कर ली. अभिषेक का फोटो, मोबाइल नंबर और उस के हुलिए से संबंधित जानकारी लेने के बाद एसएचओ ने उन से कहा, ”यदि किसी प्रकार का धमकी भरा फोन आप के पास आए तो बिना घबराए इस की सूचना तुरंत थाने में देना.’’ 

एसएचओ से मिले आश्वासन के बाद पदम सिंह अपने घर तो लौट आए थे, लेकिन उन के मन में बेटे को ले कर एक भय बना हुआ था.

उधर गुमशुदगी दर्ज करने के बाद पुलिस ने उस का पता लगाने में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई. इस की अहम वजह यह थी कि अभिषेक कोई मासूम बच्चा तो था नहीं, जो उस के किडनैप की आशंका होती. एसएचओ ने सोचा कि वह अपनी किसी सहपाठी के साथ कहीं प्रेम प्रसंग में डूबा होगा या फिर किसी के साथ बैठ कर अपनी पढ़ाई से संबंधित नोट्स आदि बना रहा होगा. वह अपने आप ही घर पर लौट आएगा.

किस की थी नहर में मिली लाश

इसी बीच 14 दिसंबर, 2024 की सुबह 10 बजे के करीब मुरैना जिले के  दिमनी थाना क्षेत्र में आने वाले बड़ागांव व महादेव पुरा के बीच बहने वाली नहर के किनारे बनी सड़क से हो कर गुजर रहे ग्रामीणों को बीच नहर में एक युवक की लाश तैरती हुई दिखाई दी, जिस के पैर और आंखें लाल रंग के स्टोल से बंधी हुई थीं. नहर में लाश पड़ी होने की खबर से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई. लाश को करीब से देखने के लिए वहां पर लोगों का जमघट लगने लगा. इसी बीच किसी ने इस की सूचना दिमनी थाने को दे दी. कुछ ही देर में एसएचओ शशिकुमार कुछ सिपाहियों को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए.

पुलिस के पहुंचने तक घटनास्थल पर अच्छाखासा जमावड़ा लग चुका था. मृतक को ले कर लोग तरहतरह की चर्चा कर रहे थे. मौके पर मौजूद लोगों में यह जानने की बेहद लालसा थी कि आखिरकार मृतक युवक कौन है?

एसएचओ शशिकुमार भीड़ को हटवा कर नहर के पास पहुंचे तो पता चला कि लाश किसी नवयुवक की है. शशिकुमार ग्रामीणों की मदद से युवक की डैडबौडी नहर से निकलवा कर उस का निरीक्षण कर ही रहे थे कि उन्हीं की सूचना पर एडिशनल एसपी गोपाल सिंह धाकड़, एसडीपीओ विजय सिंह भदौरिया भी घटनास्थल पर पहुंच गए. दोनों पुलिस अधिकारियों ने भी बारीकी से लाश का निरीक्षण किया. मृतक की उम्र 24-25 साल रही होगी. वह काले रंग की जैकेट और नीले रंग की जींस पहने हुए था. डैडबौडी देख कर ही लग रहा था कि यह हत्या का मामला है. क्योंकि उस के पैरों और आंखों पर लाल रंग का स्टोल बंधा था.

एसएचओ शशि कुमार ने वहां मौजूद भीड़ से लाश की शिनाख्त करानी चाही, लेकिन कोई भी डैडबौडी की शिनाख्त नहीं कर सका. मृतक के पास से कोई पहचान पत्र, पर्स या और कोई ऐसी चीज बरामद नहीं हुई, जिस से उस की शिनाख्त करने में मदद मिलती. मौके की काररवाई निपटा कर एसएचओ ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए  भिजवा दिया. थाने लौट कर उन्होंने अज्ञात के खिलाफ धारा 103(1) बीएनएस के तहत मुकदमा दर्ज करा कर मामले की जांच शुरू कर दी. 

हत्या के इस मामले की जांच के लिए लाश की शिनाख्त जरूरी थी, इसलिए जांच टीम ने मृतक की लाश के फोटो और उस का हुलिया ग्वालियर, चंबल संभाग के सभी पुलिस थानों में ईमेल और वायरलेस द्वारा भेज दिया और उन से पूछा कि इस तरह के हुलिया के किसी नवयुवक की गुमशुदगी किसी थाने में दर्ज तो नहीं है. यह सूचना जैसे ही गोला का मंदिर थाने के एसएचओ ने वायरलेस पर सुनी, उन्होंने टेबल की दराज में संभाल कर रखे गुमशुदा युवक के फोटो को निकाल कर देखा. वह फोटो पदम सिंह ने अपने 25 वर्षीय बेटे अभिषेक की गुमशुदगी की सूचना लिखवाते वक्त उन्हें दिया था. उस से उस की कदकाठी मेल खा रही थी.

उन्होंने तुरंत दिमनी थाने के एसएचओ को फोन कर बताया कि 14 दिसंबर, 2024 की दोपहर इस हुलिए के एक युवक, जिस का नाम अभिषेक लोधी है, की गुमशुदगी की सूचना मुरैना जिले के ही थाना गोला का मंदिर के गांव परदूपुरा निवासी पदम सिंह लोधी ने कराई थी. इस जानकारी के मिलते ही दिमनी थाने के एसएचओ शशिकुमार ने पोरसा के परदूपुरा निवासी पदम सिंह लोधी से उन के मोबाइल पर संपर्क कर एक युवक की लाश बरामद होने की सूचना देते हुए उन्हें थाने बुलाया. पदम सिंह अपने एक करीबी रिश्तेदार को ले कर दिमनी थाने पहुंच गए. एसएचओ शशिकुमार ने उन्हें नहर से बरामद लाश के फोटो दिखाए तो फोटो देखते ही वह फफक कर रोने लगे.

कौन निकला अभिषेक का हत्यारा

शशिकुमार ने किसी तरह उन्हें दिलासा दे कर शांत कराया. तब पदम सिंह लोधी ने एसएचओ को बताया कि जब मेरे बेटे की हत्या हो चुकी है तो फिर उस के मोबाइल से मेरे मोबाइल पर 20 लाख रुपए की फिरौती मांगने के मैसेज कौन भेज रहा है

शशिकुमार ने इस बात का जल्द पता लगाने का आश्वासन देते हुए एसआई और कांस्टेबल के साथ पदम सिंह को मुरैना के जिला चिकित्सालय की मोर्चरी भेज दिया. वहां डीप फ्रीजर में रखी डैडबौडी पदम सिंह को दिखाई तो उन्होंने उसे देखते ही कहा, ”हां, यह लाश मेरे बेटे अभिषेक की ही है.’’

लाश की शिनाख्त हो गई तो पुलिस को यह पता लगाना था कि हत्या किस ने और क्यों की? तथा मृतक के मोबाइल से उस के पापा को वाट्सऐप मैसेज कौन भेज रहा है?

उधर इस सनसनीखेज हत्या की घटना को गंभीरता से लेते हुए मुरैना के एसपी समीर सौरभ द्वारा कत्ल की घटना का शीघ्र खुलासा करने के लिए 2 पुलिस टीमें गठित कर दीं. अभिषेक हत्याकांड का परदाफाश करने वाली टीम में एसएचओ शशिकुमार के साथ एसआई अभिषेक जादौन, सौरभ पुरी, प्रताप सिंह, हैडकांस्टेबल रघुनंदन, सुदेश, मंगल सिंह, योगेंद्र, रामकिशन, दुष्यंत, गिरजेश आदि को शामिल किया गया. दोनों टीमें एडिशनल एसपी गोपाल सिंह धाकड़ एवं एसडीपीओ (हैडक्वार्टर) विजय सिंह भदौरिया व दिमनी थाने के एसएचओ शशिकुमार के निर्देशन में इस मामले की तह में जा कर हत्यारे को खोजने में जुट गई. 

शशिकुमार मुखबिरों से पलपल की खबर ले रहे थे. इस काम में उन्हें एक सप्ताह का समय तो लगा, लेकिन उन्होंने इस ब्लाइंड मर्डर को हल करने के लिए जरूरी सबूत जुटा लिए. पुलिस ने अभिषेक लोधी का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगा दिया. इसी के साथ उन्होंने उस की काल डिटेल्स भी निकलवा ली, ताकि यह पता लगाया जा सके कि अंतिम बार उस की किस से बात हुई थी और उस की आखिरी लोकेशन कहां की थी. पुलिस ने काल डिटेल्स और इंस्टाग्राम अकाउंट को खंगाला तो पायल राजपूत नाम की किसी युवती से वक्तबेवक्त बात करने की जानकारी मिली. अभिषेक के लापता होने वाले दिन भी पायल राजपूत ने अभिषेक को इंस्टाग्राम पर मैसेज भेज कर अपने पास मुरैना बुलाया था, जिस पर वह राजी हो गया.

पुलिस टीम ने जांच का सिलसिला घटनास्थल से शुरू करते हुए मृतक के फेमिली वालों से पूछताछ करने के बाद हत्यारे तक पहुंचने के लिए तमाम तकनीकों का इस्तेमाल किया. इस से पुलिस टीम को जल्द ही सफलता मिल गई. मर्डर के इस मामले में 3 लोगों के नाम सामने आए, जिन में एक युवक मुकेश लोधी का भी नाम था. मुकेश का नाम ही नहीं आया, बल्कि पुलिस ने उसे ही अभिषेक हत्याकांड का मास्टरमाइंड बताया. लोगों को हैरानी तब हुई, जब पुलिस को मालूम हुआ कि इस वारदात को अंजाम देने में मुकेश की प्रेमिका शशि और पायल उर्फ काजल भी शामिल रहीं.

एसएचओ शशि कुमार अवंतीबाई कालोनी, रामनगर में इसी केस के सिलसिले में लोगों से पूछताछ कर रहे थे, उसी दौरान उन्हें एक व्यक्ति अपने गले में लाल रंग का स्टोल बांधे हुए दिखाई दिया. उक्त स्टोल देखने में मृतक के पैर और आंखों से बंधे स्टोल से मेल खा रहा था. इस के अलावा उस शख्स की गतिविधियां भी संदिग्ध लग रही थीं. क्योंकि वह लगातार पुलिस टीम की गतिविधियों पर चौकस निगाहें रखे हुए था. उक्त शख्स के बारे में मुखबिर से जानकारी लेने पर पता चला कि उस का नाम मुकेश लोधी है. वह अवंतीबाई कालोनी में शशि लोधी नाम की शादीशुदा युवती के साथ लिवइन रिलेशन में रह रहा है. क्योंकि शशि ने अपने पति को छोड़ रखा है. 

मुकेश कुछ साल पहले तक दिल्ली में रह कर ओला की टैक्सी चलाता था. दिल्ली से आने के बाद वह ग्वालियर के गोले का मंदिर इलाके में कियोस्क सेंटर चलाने लगा था. इसी दौरान उसे औनलाइन सट्टा खेलने का चस्का लग गया, जिस के चलते वह मोटी रकम सट्टे में हार गया तो उस ने कियोस्क सेंटर को बंद कर दिया और मुरैना में किराए पर कमरा ले कर प्रेमिका शशि के साथ रहने लगा. उस ने परिस्थितियों से निकलने का कतई प्रयास नहीं किया, बल्कि अपनी प्रेमिका शशि और पायल उर्फ काजल के साथ शानोशौकत से रहने के लिए ब्याज पर परिचितों से काफी पैसा ले लिया, जिस से वह कर्जदार हो गया था. इस कर्ज से छुटकारा पाने के लिए ही उस ने शशि और पायल के साथ मिल कर एक गंभीर अपराध को अंजाम दिया.

मर्डर के बाद क्यों मांगी जा रही थी फिरौती

14 दिसंबर, 2024 का दिन था. पदम सिंह लोधी अपने बेटे अभिषेक की तलाश में जाने के लिए तैयार हो रहे थे कि अचानक उन के मोबाइल फोन की घंटी बजने लगी. जब तक वह काल रिसीव करते, घंटी बंद हो गई थी. मोबाइल फोन की स्क्रीन पर उन्होंने नजर डाली तो पता चला कि काल बेटे के मोबाइल नंबर से आई थी. उन्होंने बेटे के नंबर पर कालबैक कर बात करना उचित समझा. उन्होंने जैसे ही काल रिसीव की, दूसरी तरफ से आवाज आई, ”हैलो, पदम सिंह लोधी बोल रहे हैं?’’

जी बोल रहा हूं. आप कौन?’’ पदम सिंह ने कहा.

काल करने वाले की बात उन्हें थोड़ी अटपटी लगी, फिर भी उन्होंने सोचा कि अभिषेक का कोई दोस्त होगा. इस से ज्यादा कुछ और पूछ पाते कि दूसरी तरफ से फोन करने वाले ने तपाक से अपनी बात कह डाली, ”सुनो, मैं कौन बोल रहा हूं, कहां से बोल रहा हूं, यह सब पता चल जाएगा. पहले जो मैं कह रहा हूं उसे ध्यान से सुनो. तुम्हारा बेटा अभिषेक हमारे कब्जे में है, यदि उस को सहीसलामत हमारी गिरफ्त से आजाद कराना चाहते हो तो 20 लाख रुपए का इंतजाम कर लो, वरना अंजाम बहुत बुरा होगा. हां, एक बात और याद रखना, ज्यादा चालाक बनने की कोशिश मत करना और पुलिस को भूल कर भी मत बताना अन्यथा अंजाम इतना बुरा होगा, जिस की कल्पना भी तुम नहीं कर सकते…’’

इतना सुनते ही सर्द मौसम के बावजूद पदम सिंह को पसीना आ गया. वह अपनी जेब से रूमाल निकाल कर पसीना पोंछ भी नहीं पाए थे कि बेटे के मोबाइल फोन से वाट्सऐप कालिंग करने वाले ने फिर धमकी देते हुए कहा, ”सुनो, फिरौती की रकम कब, कहां और कैसे देनी है, मैं तुम्हें बाद में वाट्सऐप काल कर के बताऊंगा. लेकिन एक बात ध्यान देना कि मैं ने जो भी कहा है, उसे हलके में मत लेना, वरना अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना.’’ इतना कह कर उस ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

अपने बेटे को बंधक बनाने और उस की सकुशल वापसी के एवज में 20 लाख रुपए की फिरौती मांगी जाने से पदम सिंह के होश उड़ गए. वह अपना माथा पकड़ कर बैठ गए. उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उन के साथ यह हो क्या रहा है. उन्होंने और उन के बेटे अभिषेक ने तो किसी का कुछ बिगाड़ा नहीं था और न ही उन का और बेटे का किसी से कोई झगड़ा हुआ था. फिर बेटे को बंधक बना कर क्यों रखा है.

सिर पकड़ कर वह इसी सोच में उलझे हुए थे कि तभी अचानक घर के भीतर से उन की पत्नी ने आवाज लगाई, ”अरे, आप अभी तक यहीं बैठे हुए हैं. आप तो बेटे को ढूंढने जा रहे थे फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि सिर पकड़ कर बैठ गए. कोई बात है क्या?’’ पत्नी का इतना कहना था कि पदम सिंह फफक पड़े और पूरी आपबीती सुना दी. पति के मुंह से बेटे के किडनैप की बात सुन कर पत्नी के भी होश उड़ गए. वह भी सिर पकड़ कर बैठ गई थी.

पतिपत्नी को अब कुछ सूझ नहीं रहा था कि वह क्या करें? काफी देर तक दोनों मौन रह कर एक ही कमरे में बैठे रहे. वे इसी सोच में उलझे हुए थे कि बेटे को बंधक बना कर रखने की हरकत किस ने की है?

यही सब सोच कर जहां उन का भीतर से तनमन कांपे जा रहा था, वहीं वे दोनों शंकाओंआशंकाओं से उलझे हुए थे. कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करें. फिरौती की मांग करने वाले ने कहा था कि पुलिस को इस बारे में कुछ बताया तो अपने इकलौते बेटे को हमेशा के लिए खो बैठोगे. इसलिए पदम सिंह ने बेटे की गुमशुदगी दर्ज कराते वक्त वाट्सऐप पर हुई बातचीत का कतई जिक्र नहीं किया था.

उधर शातिरदिमाग मुकेश लोधी ने अभिषेक की हत्या के बाद उस का मोबाइल अपने पास रख लिया था. लेकिन जैसे ही  अभिषेक की लाश नहर से बरामद हुई और पुलिस ने उसके हत्यारे की तलाश तेज की तो  मुकेश लोधी ने मृतक के मोबाइल से पदम सिंह को वाट्सऐप मैसेज भेज कर बता दिया कि अभिषेक की हत्या हो चुकी है. यदि अब यह जानना चाहते हो कि उस की हत्या किस ने की और किस के कहने पर की है तो तुरंत 5 लाख रुपए अपने बेटे के मोबाइल पर फोनपे के माध्यम से भेज दो. ध्यान रहे, पुलिस हमारे बारे में कुछ भी पता नहीं कर सकती, क्योंकि हम सैकड़ों किलोमीटर दूर निकल चुके हैं. इस सनसनीखेज हत्याकांड के पीछे जो कहानी बताई, वह चौंकाने वाली थी.

प्रेमिका को योजना में क्यों किया शामिल

20 दिसंबर को मध्य प्रदेश के शहर मुरैना के एसपी समीर सौरभ और दिमनी के एसएचओ शशिकुमार ने पत्रकार वार्ता में घटना में शामिल तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी देते हुए बताया कि अभिषेक लोधी की हत्या भिंड के रावतपुरा निवासी मुकेश लोधी (23 वर्ष) ने अपनी 2 प्रेमिकाओं शशि लोधी (21 वर्ष) निवासी परदूपुरा और पायल उर्फ काजल लोधी (23 वर्ष) निवासी सिरमिती हाल निवासी बड़ोखर के साथ मिल कर की थी. 

पायल लोधी ग्वालियर में अपने मामा के घर पर रह कर पीएससी की तैयारी कर रही थी. इसी दौरान मुकेश लोधी ने प्रेमिका पायल लोधी के माध्यम से पैसे वाले किसी युवक को प्रेम जाल में फंसा कर पैसा कमाने की योजना बनाई, क्योंकि उस पर 5 लाख रुपए का कर्ज हो गया था. अत: उस ने प्रेमिका काजल लोधी की पायल राजपूत के नाम से फरजी ईमेल आईडी बना कर इंस्टाग्राम के माध्यम से अभिषेक लोधी से जानपहचान की. फिर 8 दिसंबर, 2024 को काजल ने इंस्टाग्राम पर मैसेज भेज कर अभिषेक को मुलाकात के लिए मुरैना बुलाया. लेकिन उस दिन अभिषेक अपने एक फ्रेंड को साथ ले कर उस की कार से मुरैना पहुंचा तो पायल (काजल) ने उस फ्रेंड की मौजूदगी में अभिषेक से मुलाकात करने में असमर्थता जताई. तब अभिषेक उस से बिना मिले ही वापस लौट गया.

11 दिसंबर को पायल (काजल) ने फिर इंस्टाग्राम पर मैसेज भेज कर अभिषेक को अकेले में मिलने के बहाने मुरैना बुलाया. काजल ने अपने मैसेज में यह भी लिखा कि इस बार ग्वालियर से बस में बैठ कर मुरैना आना, मैं बसस्टैंड पर खड़ी मिल जाऊंगी. बसस्टैंड से मैं सीधे तुम्हें अपनी सहेली शशि के वडोखर स्थित कमरे पर ले चलूंगी. शशि इन दिनों अपने प्रेमी मुकेश के साथ मौजमस्ती करने मुरैना से बाहर गई हुई है, इसलिए उस के कमरे में एकांत में बैठ कर आराम से बिना किसी हिचकिचाहट के प्रेमालाप करेंगे. 

प्लान के अनुसार, शशि के कमरे में छिप कर पहले से ही शशि और उस का प्रेमी मुकेश रसोई घर में बैठ गए थे. अपनी प्रेमिका पायल का इंस्टाग्राम पर मैसेज देख कर अभिषेक बस में बैठ कर मुरैना पहुंच गया.  बस से उतर कर जैसे ही अभिषेक ने अपनी नजर घुमाई, पायल उर्फ काजल इंतजार में खड़ी दिखाई दे दी. वह अभिषेक को अपनी स्कूटी पर बैठा कर सीधे शशि के कमरे पर ले गई और कमरे का ताला खोल कर अभिषेक से कहा कि तुम तसल्ली के साथ पलंग पर बैठो, मैं तुम्हारे और अपने लिए गरमागरम चाय और नाश्ता ले कर आती हूं. फिर चाय की चुस्की के साथ नाश्ते का लुत्फ उठाते हुए जम कर मौजमस्ती करेंगे. 

पायल ने योजना को अंजाम देने के लिए मुकेश के कहने पर अभिषेक की चाय में नशीला पाउडर मिला दिया. चाय पीतेपीते कुछ देर तक तो अभिषेक पायल (काजल) से बातचीत करता रहा, लेकिन चाय खत्म होने से पहले ही उसे अपना सिर चकराता हुआ महसूस हुआ. उस के होश कब गुम हो गए, उसे पता ही नहीं चला. उस के बेहोशी की हालत में पहुंचते ही मुकेश और शशि ने अभिषेक के हाथपैर और आंखें काजल के स्टोल से बांध दीं. तकरीबन 3 घंटे बाद जैसे ही नशा कम हुआ, उस ने काजल से पूछा, ”क्या यही सब हरकतें करने के लिए तुम ने मुझे ग्वालियर से बुलाया था?’’ 

इसी बीच शशि का प्रेमी मुकेश कमरे में आ धमका. वह बोला, ”चल, तेरे हाथ खोले देता हूं. अपने बाप को फोन लगा कर बोल कि मुझे कुछ लोगों ने बंधक बना लिया है. आप मेरी जिंदगी बचाना चाहते हो तो मेरे फोनपे के माध्यम से फिरौती कि रकम 20 लाख रुपए भेज दो.’’ 

इतना सुनते ही अभिषेक ने शोर मचाना शुरू कर दिया. उस के ऐसा करने से घबरा कर शशि रसोई से बेलन उठा लाई और अभिषेक के सिर पर उस से ताबड़तोड़ वार कर दिए. तब अभिषेक अपनी जान बचाने के लिए जोरजोर से बचाओ…बचाओचिल्लाने लगा. मुकेश और काजल को लगा कि यदि कमरे से बाहर किसी ने अभिषेक की आवाज सुन ली तो उन की सारी योजना पर तो पानी फिर ही जाएगा, साथ ही उन सभी को जेल की हवा भी खानी पड़ेगी. अत: मुकेश और काजल ने ताकिए से अभिषेक का मुंह दवा दिया, जिस से उस की दम घुटने से उस की मौत हो गई. 

उस की मौत के बाद तीनों के हाथपांव फूल गए. डर के मारे मुकेश, शशि और काजल 12 नवंबर की रात तक अभिषेक की लाश के साथ कमरे में ही रहे. फिर लाश को ठिकाने लगाने के लिए ग्वालियर से सेल्फ ड्राइविंग पर 24 घंटे के लिए कार भाड़े पर ला कर 13 दिसंबर की रात को अभिषेक की लाश को इसी कार में रख कर बड़ागांव और महादेवपुरा के बीच बहने वाली नहर में फेंक दी. लाश ठिकाने लगाने के बाद मुकेश, शशि और काजल उसी कार से दिल्ली चले गए. फिर 14 दिसंबर की सुबह यह पता करने  के लिए मुरैना वापस लौट आए कि इस मामले में पुलिस क्या कर रही है. दिल्ली से लौट कर मुकेश लोधी और उस के साथ लिवइन में रहने वाली शशि ने वह कमरा खाली कर के दूसरी जगह कमरा ले लिया था.

वैसे मुकेश, शशि और पायल उर्फ काजल का जुर्म की दुनिया से कोई वास्ता नहीं था, लेकिन तीनों ने पेशेवर हत्यारों को भी मात दे दी थी. तीनों ने फुलप्रूफ मर्डर की प्लानिंग बड़ी होशियारी से की थी. लेकिन उन की सारी चालाकी धरी की धरी रह गई. पुलिस ने 21 दिसंबर, 2024 को इस हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता मुकेश लोधी सहित इस अपराध में शामिल उस की प्रेमिका शशि लोधी और अभिषेक की इंस्टाग्राम प्रेमिका पायल उर्फ काजल लोधी को न्यायालय में पेश कर 3 दिनों के रिमांड पर लिया.

रिमांड अवधि में मुकेश के पास से अभिषेक का मोबाइल फोन सहित अन्य सबूत हासिल किए. फिर तीनों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया. 

डेटिंग ऐप का शौक पड़ा भारी

अभिषेक के रूम पार्टनर ने पुलिस को बताया कि अभिषेक अपने अकेलेपन और पढ़ाई के उबाऊ बोझ को कम करने के लिए डेटिंग ऐप का सहारा लिया करता था. कुछ वक्त के लिए औनलाइन डेटिंग की दुनिया में तफरीह कर वह अपने आप को तरोताजा महसूस करता था. दरअसल, उसे एक गर्लफ्रेंड की तलाश थी क्योंकि अभी तक उस की कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी. इस के चलते उस ने तमाम सारे डेटिंग ऐप पर अपने अकाउंट खोल रखे थे. उन पर उस की प्रोफाइल के मुताबिक किसी वैसी लड़की से दोस्ती नहीं हो पाई थी, जिस की उस ने कल्पना कर रखी थी. 

एक दिन उस की नजर इंस्टाग्राम पर पायल राजपूत नाम से रजिस्टर्ड आईडी पर पड़ी. उस ने फटाफट पायल को अपने अकाउंट से जोडऩे के लिए रिक्वेस्ट भेज दी. कुछ ही सेकेंड में पायल ने उसे एक्सेप्ट भी कर लिया. अभिषेक ने उसे ओके कर दिया, फिर उस से उस की चैटिंग के साथ डेटिंग शुरू हो गई. वे डिजिटल जमाने के प्रेमी थे, अत: उन के डेटिंग मैसेज बौक्स में गुडमौर्निंग और गुडनाइट से होती थी. पायल और अभिषेक इंस्टाग्राम के माध्यम से अपने दिल की भावनाएं एकदूसरे से जाहिर करते रहते थे. दोनों में देर रात तक चैटिंग होती रहती थी. 2-3 दिनों की लुभावनी और मजेदार चैटिंग के बाद पायल ने अभिषेक को फंसाने के लिए एक साथ अपने तमाम सारे सैक्सी फोटो भी भेज दिए थे. 

पायल के जाल में अभिषेक के फंसते ही पायल बहुत खुश हुई. फिर पायल ने अपने प्रेमी मुकेश के कहने पर 11 दिसंबर की सुबह इंस्टाग्राम पर अभिषेक को मैसेज भेज कर कहा कि यदि मुझ से रूबरू मुलाकात करना चाहते हो तो बस में बैठ कर मुरैना आ जाओ. इस मैसेज को पढ़ कर अभिषेक पायल से मुलाकात के लिए मुरैना चला गया. मुरैना पहुंचने के बाद उस के संग जो कुछ घटा, उस का जिक्र कथा में किया जा चुका है.

कथा लिखे जाने तक मुकेश लोधी, शशि लोधी और पायल उर्फ काजल लोधी जेल की सलाखों के पीछे थे. उन्हें अभिषेक की हत्या का जरा भी मलाल नहीं था. दिमनी थाने के एसएचओ शशिकुमार द्वारा अभिषेक हत्याकांड की विवेचना की जा रही थी. वह जांच पूरी कर शीघ्र ही अदालत में चार्जशीट भेजने की तैयारी कर रहे थे.

पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

 

सूटकेस में मिली लाश का रहस्य

सूटकेस में मिली लाश का रहस्य – भाग 3

हेमंत का गृहस्थ जीवन ठीकठाक गुजर रहा था कि एक रात यह गृहस्थ जीवन पूरी तरह छिन्नभिन्न हो गया.

12 नवंबर, 2021 की शाम को हेमंत घर पहुंचा. रितु खाना बना कर उसी के आने का इंतजार कर रही थी. हेमंत के आते ही रितु ने उस से शराब की बोतल ले ली और गिलास ले कर पैग बनाने लगी.

रितु पति के साथ पीती थी शराब

हेमंत ने हाथमुंह धोए और रितु के पास आ कर बैठ गया. रितु ने शराब का गिलास उस की तरफ बढ़ाया और अपने गिलास को उठा कर गट गट शराब पी गई.

“यह क्या रितु, तुम ने आज चीयर्स भी नहीं किया.” हेमंत ने हैरानी से कहा.

“मुझे जोरों की तलब लगी है हेमंत, चीयर्स करने में मैं समय बरबाद नहीं करना चाहती थी, इसलिए बगैर चीयर्स किए पी गई.” अपने लिए दूसरा पैग तैयार करते हुए रितु ने कहा.

“यह असभ्यता है,” हेमंत मुंह बिगाड़ कर बोला.

रितु ने दूसरा पैग गले में उड़ेलते हुए हेमंत को घूरा, बोली कुछ नहीं. इस के बाद उस ने 3 पैग और बनाए और पी गई. उस पर नशा हावी होने लगा था. हेमंत हैरानी से उसे देख रहा था. रितु ने उस के लिए आज एक ही पैग बनाया था. खुद ही पैग बनाबना कर पी रही थी.

कहीं रितु को शराब का नशा ज्यादा न हो जाए, यह सोच कर उस ने रितु के सामने से शराब की बोतल उठा लेनी चाही. उस ने जैसे ही बोतल पकड़ी रितु भडक़ गई, “ऐ बोतल नीचे रख.”

“कैसे बोल रही हो रितु ..?”

“ठीक बोल रही हूं, तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे सामने से बोतल उठाने की, हरामी की औलाद.”

“रितूऽऽ” हेमंत गुस्से से चीखा.

“चिल्ला मत भड़वे…” रितु उस से तेज चीखी, “अपनी औकात जानता है न तू, कल तक मेरी चौखट पर नाक रगड़ा करता था.”

हेमंत का रोम रोम गुस्से से सुलग गया. उस ने रितु के गाल पर 3-4 थप्पड़ जड़ दिए. रितु शेरनी की तरह बिफर गई. वह हेमंत पर झपट पड़ी. दोनों में हाथापाई होने लगी. हेमंत के नथुने क्रोध से फडक़ने लगे, उस ने रितु को नीचे पटक दिया और उस के गले पर पंजे कस कर पूरी ताकत से दबाने लगा. रितु हलाल होती मुरगी की तरह फडफ़ड़ा गई और कुछ ही देर में उस की सांसें उखड़ गईं.

रितु के शरीर में हलचल न होती देख कर हेमंत चौंका. उस ने रितु को हिलाया, लेकिन उस का शरीर बेजान हो चुका था. हेमंत घबरा कर खड़ा हो गया. काफी देर तक उस की समझ में नहीं आया कि वह क्या करे. जब कुछ होश आया तो उस ने अपने जीजा ललित कुमार को फोन मिला कर कांपती आवाज में बताया, “जीजा, मेरे हाथ से रितु की हत्या हो गई है.”

“कैसे?” ललित की चौंकती हुई आवाज आई.

हेमंत ने कुछ देर पहले घटा सब कुछ विस्तार से अपने जीजा को बता दिया. ललित ने कुछ क्षण सोच लेने के बाद हेमंत को सलाह दी कि वह रितु की लाश ले कर उस के घर आल्हापुर आ जाए.

घर वालों के सहयोग से सूटकेस में भरी लाश

हेमंत ने बाहर निकल कर देखा. बाहर सन्नाटा था. सर्दी होने की वजह से सभी पड़ोसियों के घरों के दरवाजे बंद हो गए थे. हेमंत ने अपने घर के साथ वाले घर में रह रहे अपने पिता राजेंद्र और मां सीमा देवी को यह जानकारी दी कि क्रोध में उस ने रितु की हत्या कर दी है. लाश को वह अपनी बहन नीतू और जीजा ललित के घर ले कर जा रहा है. लाश को सूटकेस में पैक करने में उस की मदद करें.

उस के पिता और मां ने रितु की लाश को घर में रखे बड़े सूटकेस में पैक करवाने में बेटे हेमंत की मदद की. हेमंत ने पिता के सहयोग से सूटकेस अपनी स्कूटी के पीछे बांधा और स्कूटी से वह अपने जीजा के घर आल्हापुर आ गया.

ललित ने सूटकेस अपनी कार की डिक्की में रखवा लिया और मथुरा की तरफ रवाना हो गया. मथुरा के छाता में छाता नहर की तरफ सन्नाटा रहता था. नहर के पास पहुंच कर ललित ने हेमंत की मदद से सूटकेस छाता नहर में फेंक दिया. सूटकेस में ऐसा कुछ भी सूत्र नहीं छोड़ा गया था कि पुलिस रितु के विषय में या हेमंत के विषय में जान सके. आज 2 साल हो गए हैं. अब तक तो रितु का नामोनिशान मिट गया होगा.

सीआईए प्रभारी इलियास और उन की टीम हेमंत की कहानी सुन कर हैरान रह गए. यदि हेमंत उन के हाथ नहीं लगता तो रितु की हत्या का राज राज ही रह जाता.

प्रभारी इलियास ने छाता कोतवाली में फोन मिला कर 2 साल पहले 12 या 13 नवंबर को किसी सूटकेस में युवती की लाश मिलने की बाबत मालूम किया तो उन्हें बताया गया कि 13 नवंबर, 2021 को छाता नहर से एक सूटकेस मिला था, जिस में युवती की लाश थी. उसे गला घोंट कर मारा गया था. युवती की लंबे समय तक पहचान न होने पर यह केस बंद कर दिया गया था. युवती का सरकारी खजाने से दाह संस्कार करवा दिया गया था.

पुलिस ने 5 आरोपी किए गिरफ्तार

मोहम्मद इलियास ने छाता कोतवाली को खुशखबरी दे कर उस युवती के हत्यारे हेमंत वर्मा के पकड़े जाने की जानकारी दे दी.

दूसरे ही दिन छाता कोतवाली पुलिस ने आ कर हेमंत वर्मा, उस के जीजा ललित, उस की पत्नी नीतू, हेमंत के पिता राजेंद्र और मां सीमा को हिरासत में ले लिया. इन सभी ने हेमंत को रितु की लाश ठिकाने लगाने में सहयोग किया था. छाता कोतवाली पुलिस सभी गुनहगारों को छाता ले गई. सीआईए प्रभारी मोहम्मद इलियास पकड़े गए ठगों को सजा दिलाने के लिए चार्जशीट तैयार करने में लग गए.

इस दोहरी सफलता के लिए डीसीपी (पलवल) संदीप मोर ने प्रैस कौन्फ्रेंस बुला कर सीआईए प्रभारी मोहम्मद इलियास के नेतृत्व में ठगों का गिरोह पकडऩे और 2 साल पहले छाता नहर में फेंके गए सूटकेस से बरामद हुई युवती की लाश का जिक्र करते हुए बताया कि हत्या का मुजरिम हेमंत वर्मा को पकडऩे का श्रेय भी सीआईए प्रभारी मोहम्मद इलियास और उन की टीम को जाता है. मैं इन्हें दिल से शाबासी देता हूं. मुजरिमों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने की भी कोशिश की जाएगी.

छाता कोतवाली पुलिस ने सभी आरोपियों से पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में रितु, जयपाल और भीकू परिवर्तित नाम हैं.

सूटकेस में मिली लाश का रहस्य – भाग 2

आधी रात को आल्हापुर गांव के एक मकान को सीआईए प्रभारी मोहम्मद इलियास के नेतृत्व में गई टीम ने घेर लिया. मोहम्मद इलियास के साथ उन का खास मुखबिर था. उसी ने वह घर चिह्निïत किया था. एक एसआई ने आगे बढ़ कर मकान का दरवाजा खटखटाया.

अंदर से थोड़ी देर बाद किसी महिला का स्वर उभरा, “कौन है बाहर?”

“दरवाजा खोलो, गांव के एक घर में आग लग गई है.” एसआई ने घबराए हुए स्वर में कहा.

“यह बहाना काम कर गया. मकान का दरवाजा तुरंत खुला और एक महिला बाहर निकल कर बोली, “किस के मकान में आग लगी है.”

“अभी बता देंगे.” एक हैडकांस्टेबल ने उस की कनपटी पर रिवौल्वर सटाते हुए गुर्रा कर कहा. बाकी टीम धड़धड़ाती हुई अंदर घुस गई. अंदर 2 पुरुष थे. उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

मकान की तलाशी ली गई. वहां से काफी मात्रा में नकदी, 3 मोबाइल फोन, एक चिटफंड सोसायटी के फार्म, बैंकों की पासबुकें और लोन एप्लाई करने वाले लोगों के नाम की लिस्ट बरामद की गई. सभी सामान जब्त कर के तीनों पुरुषमहिला को सीआईए के औफिस में लाया गया.

पुलिस की गिरफ्त में आए ठग

पूछताछ में उन के नाम ललित कुमार, अजीत कुमार और भावना मालूम हुए. रात भर उन्हें लौकअप में रखा गया. तीनों को दूसरे दिन न्यायालय में पेश कर के रिमांड पर ले लिया गया.

रिमांड में जब उन से सख्ती से पूछताछ शुरू हुई तो एक ठग का नाम सामने आया हेमंत वर्मा. हेमंत वर्मा पकड़ में आए ललित कुमार का साला था. वह पलवल में कृष्णा कालोनी में रहता था. सीआईए की टीम ने कृष्णा कालोनी में हेमंत वर्मा के घर पर दबिश दी.

हेमंत वर्मा उन्हें घर में ही मिल गया. उसे गिरफ्तार कर के सीआईए के औफिस में लाया गया, वहां पहले से मौजूद अपने साथियों को देख कर हेमंत वर्मा को समझते देर नहीं लगी कि उन का ठगी के धंधे का भंडाफोड़ हो गया है. वह गहरी सांस ले कर रह गया.

उसे भी कोर्ट में पेश कर के रिमांड पर ले लिया गया. पूछताछ में सभी ने यह कुबूल लिया कि वह मध्यम वर्ग के लोगों को लोन दिलाने का झांसा दे कर फंसाते थे. बैंक से लोन पास करवाने के नाम पर उन से रुपया ऐंठा जाता. फार्म भरवाए जाते. लोन पास नहीं होता तो वह कागजों में कमी होने की बात कह कर उन्हें टरका देते. इस तरह वह सैकड़ों लोगों को फांस कर उन का पैसा डकार गए थे.

सीआईए टीम ने उन से उन के दूसरे किसी अपराध में फंसे होने की बात पूछना शुरू की तो हेमंत वर्मा ने एक ऐसा खुलासा किया, जिस ने टीम के लोगों को बुरी तरह चौंका दिया.

ठग हेमंत ने पत्नी की हत्या का जुर्म भी कुबूला

हेमंत वर्मा ने बताया कि उस ने 2021 में अपनी पत्नी रितु की गला घोंट कर हत्या की थी. लाश को उस ने अपने जीजा ललित के सहयोग से एक सूटकेस में भर कर मथुरा के छाता शहर की छाता नहर में फेंक दिया था.

उस ने पत्नी की हत्या क्यों की? इस विषय में पूछताछ की गई तो उस ने रितु के साथ अपनी प्रेम कहानी और उसे पत्नी बनाने की जो कथा बयान की, वह इस प्रकार है—

हरियाणा के शहर पलवल की कृष्णा कालोनी में रहने वाला हेमंत वर्मा आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी था. उसे आधुनिक फैशन के कपड़े पहनने और बनसंवर कर रहने का शौक था. वह दिलफेंक युवक था. दिल को हथेली पर ले कर घूमता था. उस की युवा जिंदगी में एक नहीं अनेक लड़कियां आईं. हेमंत उन से दिल बहलाता. उन के साथ मौजमस्ती करता.

गले में हड्डी लटकाने की उस की आदत नहीं थी. उस की सोच थी, हड्डी चूसो और उसे फंक दो. हेमंत यही करता था. जो लडक़ी उस के संपर्क में आती, उस से किसी न किसी तरह जिस्मानी संबंध बनाता. जब उस से दिल भर जाता तो उस से किनारा कर के दूसरी लडक़ी की तलाश में निकल जाता.

पिता संपन्न व्यक्ति थे. हेमंत खुद कमाताधमाता नहीं था, पिता की दौलत पर मौजमस्ती करता घूम रहा था. उस की ऐशभरी रसिक जिंदगी में तब बड़ा मोड़ आया, जब वह अपने एक दोस्त के साथ दिल्ली घूमने गया. उस का दोस्त उसे दिल्ली घुमाने के बाद शाम ढलने पर जीबी रोड पर ले गया.

जीबी रोड पर कोठा संचालिका से उन्होंने 2 युवतियों का पूरी रात का सौदा किया. हेमंत वर्मा का दोस्त अपनी पार्टनर को ले कर एक केबिन में चला गया तो हेमंत भी अपनी पार्टनर का हाथ पकड़ कर एक खाली केबिन में आ गया.

जीबी रोड की वेश्या रितु से हुआ प्यार

उस ने अपने लिए जो युवती पसंद की थी, उस का नाम रितु था. गोरे रंग, तीखे नयननक्श वाली रितु का अंगअंग सांचे में ढला था. वह कोठे पर कैसे आई, इस का उसे खुद पता नहीं. उस ने बताया कि उसे चाहने वाला एक आशिक, जिसे वह सच्चा प्यार करती थी, बहका कर दिल्ली लाया था.

एक होटल में उस की अस्मत लूट लेने के बाद उस ने नशीला पदार्थ खाने में मिला कर उसे बेहोश कर दिया था. उसी बेहोशी में वह उसे इस कोठे पर बेच कर चला गया था. जीबी रोड के कोठे पर पहुंच कर रितु ऐसे पिंजरे में आ फंसी थी, जिस में वह फडफ़ड़ा सकती थी, चीख सकती थी, लेकिन उस पिंजरे से बाहर नहीं निकल सकती थी.

शुरू में उस ने अपने जिस्म पर हाथ नहीं रखने दिया, लेकिन यह कोठा था, यहां अडिय़ल से अडिय़ल युवतियों को रूह कंपा देने वाली यातना दे कर जिस्म बेचने को मजबूर कर दिया जाता है. रितु पर भी यातना के पहाड़ तोड़े गए, घबरा कर वह जिस्म बेचने को मजबूर हो गई.

हेमंत पूरी रात रितु के जिस्म से लिपटा रहा. रितु उसे इतना पसंद आई कि वह कई रात दिल्ली में रुक कर रितु के साथ रात गुजारने के लिए कोठे पर जाता रहा. रितु भी उस की मर्दानगी की दीवानी हो चुकी थी. हेमंत ने उसे अपने साथ जिंदगी गुजारने का औफर दिया तो वह तैयार हो गई.

अब तक हेमंत अपने जीजा ललित के साथ मिल कर ठगी का धंधा करने लगा था. उस को इस धंधे में मोटा हिस्सा मिल रहा था. रितु की मालकिन से उस ने रितु को अपने लिए मोटी कीमत चुका कर हमेशा के लिए खरीद लिया.

हेमंत ने रितु से कर ली शादी

यह जनवरी, 2021 की बात है. रितु को कोठे से लाने के बाद उस ने उस से लव मैरिज कर ली और उसे दुलहन बना कर अपने घर कृष्णा कालोनी में ले आया. रितु अब हेमंत के साथ उस की पत्नी बन कर रहने लगी. वह एक सुघड़ गृहिणी की तरह हेमंत का घर संभालने लगी.

और तो सब सामान्य था, लेकिन रितु को शराब पीने की बुरी लत थी. रोज रात शुरू होने पर वह शराब के 2-4 पैग गले में उड़ेलती, फिर खाना खा कर सो जाती. हेमंत को उस ने गृह प्रवेश वाले दिन ही अपनी इस आदत के विषय में बता दिया था.

रितु की चाहत में दीवाना बने हेमंत को रितु की इस आदत पर ऐतराज नहीं था, वह शाम को घर लौटता था तो स्वयं एक अंगरेजी शराब का अद्धा खरीद कर ले आता था. रितु के साथ वह बैठ कर शराब पीता. रितु साकी बन कर उस के लिए और अपने लिए पैग बनाती थी. पीने के बाद दोनों खाना खाते फिर एकदूसरे के आगोश में लिपट कर सो जाते.

सूटकेस में मिली लाश का रहस्य – भाग 1

भीकू और जयपाल बचपन के गहरे दोस्त थे. दोनों की शादी हो गई थी. इस के बाद भी उन की दोस्ती कायम रही. लोग उन्हें लंगोटिया यार कहते थे. बात 13 नवंबर, 2021 की है. सुबहसुबह भीकू ने जयपाल के दरवाजे पर दस्तक दी तो अंदर से जयपाल का अलसाया हुआ स्वर उभरा, “सुबहसुबह कौन आ गया?”

“मैं भीकू हूं जयपाल.”

“ठहरो, मैं दरवाजा खोलता हूं.” जयपाल ने कहा, फिर रजाई से निकल कर उस ने दरवाजा खोला. जयपाल अधेड़ उम्र का था. भीकू को देखते ही जयपाल बोला, “सुबहसुबह कैसे आना हुआ भीकू.. सब ठीक तो है न?”

“सब ठीक है यार. आज छुट्टी की है मैं ने, तुम कई दिनों से मछली पकडऩे चलने को कह रहे थे, सोचा आज तुम्हारी इच्छा पूरी कर देता हूं, पहले एक कप चाय पिलाओ, फिर चलने की तैयारी करो.”

“बैठो, मैं फ्रैश हो कर तुम्हारे लिए चाय बनाता हूं.”

“क्यों, क्या तुम ने चाय पीनी छोड़ दी है?” भीकू ने हैरानी से पूछा.

“नहीं दोस्त, अब तुम्हारे लिए चाय बनाऊंगा तो एक कप मैं भी पी लूंगा.”

भीकू हंस पड़ा, “मान गया तुम्हें, तुम्हारी कंजूसी की आदत कभी जाएगी नहीं.”

जयपाल मुसकराता हुआ फ्रैश होने चला गया. फ्रैश होने के बाद उस ने चाय बनाई. चाय पीने के बाद मछली पकडऩे का कांटा ले कर दोनों मछली पकडऩे के लिए छाता नहर की तरफ पैदल ही चल पड़े. जयपाल जिस कालोनी में रहता था, वहां से छाता नहर कोई एकडेढ़ किलोमीटर पर ही थी. थोड़ी ही देर में वह सडक़ रास्ते से छाता नहर पर पहुंच गए.

सडक़ छोड़ कर दोनों नहर के किनारे की कच्ची पगडंडी से होते हुए एक जगह पहुंच कर रुक गए. यहां के कुछ हिस्से पर झाडिय़ां नहीं थीं. अकसर दोनों यहां मछली पकडऩे आते रहते थे. उन्होंने नहर के किनारे फैली झाडिय़ों को इस जगह से हटा कर अपने बैठने की जगह बना ली थी. दोनों किनारे पर बैठ गए और कांटा तैयार कर के दोनों ने अपने कांटे नहर के पानी में डाल दिए. काफी देर हो गई. उन के कांटों में मछली नहीं फंसी.

“सुबहसुबह तुम्हारी मनहूस सूरत देखी है मैं ने. आज एक भी मछली कांटे में नहीं फंसेगी.” जयपाल खीझ कर बोला.

“फंसेगी यार, धीरज रख कर बैठ. देख कांटा हिल रहा है, शायद कोई मछली चारे में मुंह मार रही है.”

कांटा वाकई हिलने लगा था. जयपाल ने कांटे की डोर मजबूती से पकड़ ली. उस की नजरें कांटे पर जमी थीं. तभी उस के कान में भीकू की हैरत में डूबी आवाज पड़ी, “जयपाल वो देख सूटकेस…” जयपाल ने देखा.

नहर की धारा में बहता हुआ एक सूटकेस उन्हीं की ओर आ रहा था. वह चौंक कर बोला, “नहर में सूटकेस…”

भीकू ने सिर खुजाया, “लगता है, किसी ने चोरी का माल नहर में बहा दिया. इस सूटकेस को बाहर निकाल कर देखते हैं

जय…”

“उतर जा नहर में.”

सूटकेस देख नहर में कूद गया भीकू

भीकू तुरंत नहर में उतर गया. उस ने सूटकेस को पास आने दिया. जैसे ही सूटकेस पास आया, उस ने सूटकेस को पकड़ लिया और उसे खींच कर किनारे पर ले आया. उस ने ऊपर आ कर सूटकेस बाहर खींचा तो वह नहीं खींच पाया. जयपाल ने सूटकेस बाहर निकालने में उस की मदद की.

“बहुत भारी है यार, लगता है नोटों से भरा हुआ है.” भीकू सांसें दुरुस्त करता हुआ बोला.

“खोल कर देख.”

भीकू ने सूटकेस के लौक देखे. दोनों लौक खुले हुए थे. उस ने लौक सरका कर जैसे ही ढक्कन उठाया, उस के मुंह से चीख निकल गई. जयपाल भी उछल कर खड़ा हो गया. सूटकेस में एक जवान युवती की लाश थी.

दोनो थरथर कांपने लगे. थोड़ा संयत होने पर भीकू होंठों पर जुबान घुमा कर बोला, “पुलिस को बताना पड़ेगा.”

“क्यों मुसीबत मोल ले रहा है… चुपचाप यहां से निकल चल.”

“ऐसा करेंगे तो, हम ही फंस जाएंगे जयपाल. हमारे पांव के निशान कच्ची पगडंडी और यहां भी बन गए हैं. बस्ती वाले बहुत से लोग यह जानते हैं कि हम दोनों यहां मछली पकडऩे आते हैं. पुलिस को थोड़ा सा भी सुराग लगा तो हमें धर दबोचेगी. भलाई इसी में है कि हम खुद इस लाश के मिलने की सूचना पुलिस को दे दें.”

“ठीक है.” जयपाल ने सिर हिला कर कहा, “करो पुलिस को फोन.”

भीकू ने अपने मोबाइल से पुलिस कंट्रोल रूम का नंबर मिला कर सूटकेस में लाश मिलने की सूचना दे दी.

कंट्रोल रूम ने यह सूचना संबंधित थाना छाता कोतवाली को दे दी. वहां से एसएचओ प्रदीप कुमार पुलिस टीम को ले कर छाता नहर की ओर रवाना हो गए. जब वह छाता नहर पर पहुंचे, उन्हें भीकू और जयपाल सूटकेस के साथ वहीं बैठे मिले.

सूटकेस में जवान और खूबसूरत युवती की लाश थी. युवती के पैर घुटनों से मोड़ कर उसे जबरन सूटकेस में ठूंसा गया था. युवती के शरीर पर लाल रंग का कुरता और सलवार थी. उस के हाथों में उसी रंग की चूडिय़ां और पैरों में बिछुए थे, इस से इस युवती के शादीशुदा होने का पता चलता था.

युवती की लाश को सूटकेस से निकाल कर बारीकी से उस की पहचान के लिए सूत्र तलाशा गया, लेकिन एसएचओ को ऐसा कोई सूत्र युवती की लाश के पास से नहीं मिला, जिस से उस की पहचान हो सके. प्रदीप कुमार ने एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर को इस लाश की जानकारी दे दी. साथ ही फोरैंसिक जांच टीम घटनास्थल पर बुलवा ली. कुछ ही देर में एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर और फोरैंसिक जांच टीम के लोग वहां पहुंच गए.

सूटकेस में मिली लाश का किया निरीक्षण

एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर ने लाश का निरीक्षण किया. फोरैंसिक टीम अपने काम में लग गई थी. सूटकेस पानी में भीगा हुआ था. गनीमत थी कि पानी सूटकेस में नहीं गया था, इस कारण युवती की लाश को नुकसान नहीं पहुंचा था. युवती के गले पर लाल निशान थे, इस से अनुमान लगाया गया कि उसे गला घोंट कर मारा गया है.

फोरैंसिक जांच टीम ने बारीक से बारीक साक्ष्य एकत्र किए. लाश के विभिन्न कोणों से फोटो लिए गए. डा. गौरव ग्रोवर ने एसएचओ प्रदीप कुमार की ओर देख कर कहा, “इस युवती की पहचान का कोई सूत्र नहीं मिल रहा है, आप आसपास के थानों में पता करवाइए कि इस हुलिए की किसी युवती की गुमशुदगी दर्ज करवाई गई है या नहीं. इस की पहचान के लिए इश्तहार और अन्य उपाय भी करिए. इस की पहचान होगी, तभी हत्यारे तक पहुंचा जा सकता है, आप समझ रहे हैं न?”

“जी सर,” प्रदीप कुमार ने सिर हिलाया, “मैं पूरी कोशिश करूंगा सर. इस के हत्यारे तक पहुंचने की.”

एसएसपी अन्य निर्देश दे कर वापस चले गए तो एसएचओ प्रदीप कुमार ने लाश की कागजी काररवाई पूरी कर के वह पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी. इस युवती की शिनाख्त के लिए कोतवाली छाता के प्रभारी प्रदीप कुमार की ओर से अनेक उपाय किए गए, लेकिन युवती की पहचान नहीं हो पाई, न यह मालूम हो सका कि इस की हत्या करने वाला कौन व्यक्ति है. इस हत्या के लिए अज्ञात हत्यारे के खिलाफ केस दर्ज किया गया.

यह लाश 13 नवंबर, 2021 को छाता नहर से सूटकेस में मिली थी. जब काफी भागदौड़ के बाद भी इस के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिली तो इस हत्या को ब्लाइंड मर्डर मान कर इस केस की फाइल बंद कर दी गई.

ठगों की गिरफ्तारी की बनाई योजना

2 साल ऐसे ही गुजर गए. 3 जुलाई, 2023 सीआईए प्रभारी मोहम्मद इलियास ने अपने कक्ष में सीआईए के 8 चुनिंदा एसआई और हैडकांस्टेबल्स की मीटिंग बुलाई. सभी उन के कक्ष में पहुंच गए तो ऐहतियात के लिए कक्ष का दरवाजा बंद कर दिया गया.

प्रभारी मोहम्मद इलियास ने सभी पर बारीबारी से नजरें डालने के बाद कहना शुरू किया, “आप सभी ने सुना होगा, कुछ लोग लोन दिलाने के नाम पर लोगों को ठग रहे हैं. कितने ही लोगों ने अपने ठगे जाने की रिपोर्ट विभिन्न थानों में दर्ज भी करवाई है. पुलिस इस मामले में जांच कर रही है, किंतु अभी तक वह उन शातिर ठगों तक नहीं पहुंच पाई है, जो यह ठगी का धंधा कर कर रहे हैं.”

कुछ क्षण रुकने के बाद मोहम्मद इलियास ने कहा, “मुझे अपने मुखबिर द्वारा यह सूचना मिली है कि वह शातिर ठग यहां आल्हापुर गांव में हैं. यहीं से वह ठगी का नेटवर्क चला रहे हैं. मैं चाहता हूं आज रात को ही हम आल्हापुर गांव में रेड डालें और उन ठगों को गिरफ्तार करें.”

“ओके सर. हम सब रेड के लिए तैयार हैं.” एक एसआई ने जोश भरे स्वर में कहा.

“हम रात के अंधेरे में आल्हापुर के लिए निकलेंगे, आप लोग तब तक रेड की पूरी तैयारी कर लें.”

“जी सर.” सभी ने एक स्वर में कहा.

सभी कक्ष से बाहर निकल गए. मोहम्मद इलियास मुखबिर को फोन लगा कर आवश्यक निर्देश देने लगे थे.