
इमारत के अंदर कैसे दाखिल होना है, इस की पहले से ही रेकी की गई थी. इस में सीधे तो घुसा नहीं जा सकता था, क्योंकि अंदर कदम रखते ही कैमरों की नजर में आ जाते. इसलिए अंदर जाने के लिए इन लोगों ने बगल वाली इमारत का सहारा लिया. बगल वाली इमारत और डायमंड सेंटर के बीच ज्यादा फासला नहीं था. इसलिए उस इमारत पर ऊपर चढ़ कर एक पाइप के सहारे वे चारों डायमंड सेंटर की बालकनी तक पहुंच गए.
इस के बाद इन लोगों को अंदर दाखिल होना था. यह पहले से ही तय था कि अंदर दाखिल होते ही सब से पहले उस जगह की लाइट काटनी थी, जहां तिजोरी रखी थी. क्योंकि पूरी बिल्डिंग में कैमरे और सेंसर लगे थे. इन से बचने का उन के पास यही सब से उत्तम तरीका था.
इस के लिए इन्हें एक खिड़की खोलनी थी. उसी खिड़की से अंदर जाना था. एक बात और थी और वह यह थी कि जहां तिजोरी रखी थी, वहां एक लाइट जलती थी और उसी के साथ एक कैमरा भी लगा था.
इस का मतलब यह था कि उस तिजोरी के पास जैसे ही कोई जाता, उस कैमरे द्वारा रिकौर्ड होने के साथसाथ मौनिटरिंग करने वाला उसे देख भी लेता. इस से बचने के लिए अंधेरे में ही सब कुछ करना था यानी अंधेरे में ही अंदर जाना था, अंधेरे में ही तिजोरी खोलनी थी और अंधेरे में ही माल समेट कर बाहर आना था.
चारों ने खिड़की से अंदर प्रवेश किया. ये अंदर इस तरह घुसे कि सामने वाला कैमरा इन्हें रिकौर्ड नहीं कर सका. इन्हें पता था कि सेंसर बौडी टेंपरेचर से काम करता है, इसलिए ये हेयर स्प्रे साथ ले कर आए थे. अंदर जा कर इन्होंने दूर से ही सेंसर पर हेयर स्प्रे डाल दिया, जिस से उस ने काम करना बंद कर दिया. ऐसा ही उन्होंने अलार्म के साथ भी किया यानी सेंसर और अलार्म ने काम करना बंद कर दिया तो वे तिजोरी के पास जा पहुंचे.
कोड से पहले इन्होंने अंधेरे में ही बाहर वाला दरवाजा खोला. उस के बाद दूसरा दरवाजा था, जो एक फुट की चाबी से खुलता था, लेकिन इस के पहले इन्हें सेंसर और अलार्म बंद करना था. इन्होंने दूर से ही हेयर स्प्रे का उपयोग कर के सेंसर और अलार्म बंद किए. उस के बाद इन्होंने वह दरवाजा भी खोल लिया, जो एक फुट की चाबी से खुलता था.
अब इन के सामने वे लौकर थे, जिन में गोल्ड और हीरे रखे थे. इन्होंने लौकर खोलने शुरू किए. एकएक लौकर खोल कर उन में रखा गोल्ड और हीरे साथ लाए बैग में भरने शुरू कर दिए. यह सारा काम करने में इन्हें एक घंटा लग गया. चोरी करने के बाद ये जिस रास्ते से अंदर गए थे, उसी रास्ते से बाहर आ गए.
3 साल की योजना कैसे हुई सफल
बाहर डायमंड सेंटर से थोड़ी दूरी पर कार लिए लियोनार्डो इन का इंतजार कर ही रहा था. चारों चोरी का माल ले कर उस कार में सवार हो गए तो लियोनार्डो ने कार आगे बढ़ा दी. अब तक सुबह के 5 बज चुके थे. शहर की सड़कों पर आवाजाही शुरू हो चुकी थी. इसलिए लियोनार्डो कार ले कर सीधे हाईवे पर आ गया.
इन लोगों ने रात में कुछ खाया नहीं था, इसलिए सभी को भूख लगी थी. लियोनार्डो ने हाईवे के एक रेस्त्रां पर कार रोक कर सैंडविच खरीदे, जिस के पैसे उसी ने दिए. इस के बाद वे कार ले कर एक सुनसान जगह पर पहुंचे, जहां सभी ने अपने वे कपड़े, पहने हुए दस्ताने और चेहरे पर जो मास्क लगाए थे, सब कुछ जला दिए. पर इन में से एक व्यक्ति ने अपना कुछ भी नहीं जलाया.
उस ने कहा कि उस की तबीयत ठीक नहीं है, वह अपना सब कुछ बाद में जला देगा. उस ने सैंडविच का एक टुकड़ा भी वहां छोड़ दिया था. शायद वह इतनी बड़ी चोरी कर के बहुत घबराया हुआ था. वह अपना कुछ भी जलाए बिना वहां से चला गया. बाकी लोग भी यहीं से अलगअलग दिशाओं में चले गए.
सवेरा होने पर जब इस चोरी का पता चला तो पूरे देश में हड़कंप मच गया. पता चला कि पूरे 8 अरब के हीरे और गोल्ड की चोरी हुई थी. चारों ओर हंगामा मच गया. न जाने कितने लोग इस चोरी से बरबाद हो गए थे. पुलिस ने जांच शुरू की.
सीसीटीवी कैमरे देखे जाने लगे. इस में एक गाड़ी पर शक हुआ. यह वही गाड़ी थी, जो लियोनार्डो बाहर लिए बैठा था और चोरी करने के बाद सभी उसी से गए थे. पता चला कि वह कार हाईवे की ओर गई है. इस के बाद पुलिस उस रेस्त्रां तक पहुंची, जहां से लियोनार्डो ने सैंडविच खरीदे थे. वहां कुछ नहीं मिला.
पुलिस आगे बढ़ी तो उसे वह जगह भी मिल गई, जहां लियोनार्डो और उस के साथियों ने कपड़े आदि जलाए थे. सैंडविच का वह टुकड़ा और बिल मिला, जिस में लियोनार्डो का नाम लिखा था. उसे उस के उस साथी ने वहां छोड़ा था, जो बीमार था.
इस से साफ हो गया कि ये वही लोग थे, जिन्होंने डायमंड सेंटर में चोरी के बाद सैंडविच खरीद कर खाया था. नतीजतन, लियोनार्डो बेल्जियम से निकल पाता, उस के पहले ही पकड़ लिया गया. वह इटली भाग जाना चाहता था, लेकिन संयोग से पकड़ा गया. परंतु उस का एक भी साथी नहीं पकड़ा गया. लियोनार्डो ने भी उन के बारे में कुछ नहीं बताया. चोरी गए हीरे और गोल्ड भी नहीं बरामद किया जा सका.
इस मामले में लियोनार्डो को 10 साल की सजा हुई, जिसे काट कर वह बाहर आ गया है. मजे की बात यह है कि आज तक न तो लियोनार्डो के उन साथियों के बारे में पता चला है, जो इस चोरी में शामिल थे और न ही उन हीरों और गोल्ड के बारे में पता चला है, जो इन्होंने चुराया था.
चोरी के बाद हीरे कहां बेचे गए, उस से कितना पैसा मिला, वह पैसा कहां गया, इस बात की भी जानकारी नहीं हो पाई है. यहां तक कि पुलिस को लियोनार्डो के चोर साथियों के नाम भी आज तक पता नहीं चल पाए हैं.
व्यापारी बन कर पहुंचा लियोनार्डो
लियोनार्डो इसी कौफी शौप में बैठ कर एंटवर्प डायमंड सेंटर और उस में आनेजाने वालों को देखा करता था. वह देखता कि लोग पूरे दिन बैग या जेब में हीरे ले कर आते हैं या ले कर जाते हैं. वह हर चीज को गौर से देखता और समझने की कोशिश करता.
लियोनार्डो उस कौफी शौप पर महीनों बैठ कर यह सब देखता और समझता रहा. दिन में ही नहीं, रात में जब डायमंड सेंटर बंद हो जाता, तब भी वह वहां जा कर उसी कौफी शौप में बैठ कर देखता कि रात में यहां कैसी हलचल रहती है. कई महीने उस ने सिर्फ इस डायमंड सेंटर पर नजर रखने में बिता दिए.
इतने दिन बीत जाने के बाद उसे लगा कि बिना इस डायमंड सेंटर के अंदर दाखिल हुए इस के बारे में जानना और चोरी करना संभव नहीं है. क्योंकि सेंटर के अंदर की कोई भी जानकारी उसे नहीं मिल पा रही थी. उसे लगा कि अब इस के अंदर जाना ही पड़ेगा.
उस ने पता किया कि इस के अंदर कैसे जाया जा सकता है? उसे पता चला कि इस के अंदर हीरा व्यापारी बन कर ही जाया जा सकता है और इस के लिए सेंटर में एक दुकान या औफिस लेना पड़ेगा.
डायमंड सेंटर के अंदर प्रवेश करने के लिए लियोनार्डो ने हीरा व्यापारी बन कर एक छोटा सा औफिस किराए पर ले लिया. अंदर जाने पर हीरा व्यापारी सेंटर में कहीं भी आ और जा सकते थे, लेकिन वे कैमरा या मोबाइल बिलकुल नहीं ले जा सकते थे. वे कोई फोटो वगैरह भी नहीं खींच सकते थे.
हीरा व्यापारी बन कर लियोनार्डो सेंटर के अंदर पहुंच गया. अंदर पहुंच कर उस ने आसपड़ोस के दुकानदारों, आनेजाने वाले लोगों तथा सिक्युरिटी वालों से बातचीत शुरू की. धीरेधीरे उस ने सब से ऐसा परिचय बना लिया कि लोग अब उस पर हर तरह का विश्वास करने लगे. अन्य लोगों से ही नहीं, उस ने सेंटर के मालिक तक से अच्छी जानपहचान कर ली.
इस का उसे यह फायदा मिला कि वह सेंटर में कहीं भी आताजाता, लोग उस पर ध्यान नहीं देते थे. यही वजह थी कि जमीन के अंदर बनी दोमंजिला इमारत में रखी तिजोरी को भी वह कई बार देख आया.
लेकिन देखने भर से लियोनार्डो का काम नहीं होने वाला था. उसे तो वह पूरी जानकारी चाहिए थी कि तिजोरी तक कैसे पहुंचा सकता है, उसे खोला कैसे जा सकता है, माल ले कर निकला कैसे जा सकता है. इस के लिए वहां का नक्शा होना बहुत जरूरी था, लेकिन न तो अंदर कैमरा ले जाया सकता था और न मोबाइल फोन. यह बात उसे पहले से ही पता थी.
पेनकैम से हुआ काम आसान
लियोनार्डो ने इस के लिए भी पहले से ही सोच लिया था कि इस के लिए उसे क्या करना है. इसीलिए जब से वह सेंटर के अंदर जाने लगा था, अपनी योजना के अनुसार ऐसी शर्ट पहन कर जाता था, जिस में ऊपर जेब होती थी और उस जेब में एक पेन लगा होता था. कैमरा अंदर ले जाना मना था, इस के लिए उस ने हाईरेजुलेशन का एक पेनकैम खरीदा.
चूंकि वह रोजाना उसी ड्रेस में जेब में पेन लगा कर जाता था, इसलिए जब वह पेनकैम लगा कर सेंटर के अंदर जाने लगा तो न तो किसी ने उस की चैकिंग की और न उस पेनकैम के बारे में पूछा. कोई चौंका भी नहीं, क्योंकि वह रोजाना उसी वेशभूषा में आताजाता था. वह आराम से पेनकैम के साथ सेंटर में प्रवेश कर गया. अब वह रोजाना पेनकैम जेब में लगा कर सेंटर में आनेजाने लगा.
उस ने सेंटर में घूमघूम कर फोटो लेने शुरू कर दिए. वह वीडियो भी रिकौर्ड कर लेता था. धीरेधीरे वह वाल्ट यानी तिजोरी की ओर भी जाने लगा. उस ने वाल्ट के ही नहीं, वाल्ट के कोड तक की फोटो और वीडियो बना ली.
अब बचा मुख्य दरवाजा, जिस के कोड का न फोटो लेना आसान था और न ही वीडियो बनाना. मुख्य गेट का कोड चीफ सिक्युरिटी अफसर के पास होता था. सुबह वही दरवाजा खोलता था और शौप को बंद भी वही करता था.
वह इस तरह कोड डालता था कि कहीं भी खड़े हो कर उस का न तो फोटो लिया जा सकता था और न ही वीडियो बनाई जा सकती थी. लियोनार्डो ने मुख्य दरवाजे का कोड पता करने की बहुत कोशिश की, लेकिन कोई जुगाड़ सेट नहीं हो रहा था. उसे न काटा जा सकता था और न तोड़ा जा सकता था.
आखिर एक दिन लियोनार्डो को एक ऐसी जगह मिल गई, जहां पेनकैम लगाने पर मुख्य दरवाजे का कोड रिकौर्ड किया जा सकता था. वह जगह उसी गेट के सामने ऊपर बनी एक दोछत्ती थी.
मौका मिलते ही यानी रात को जब सभी चले गए तो लियोनार्डो ने अपना पेनकैम उस जगह फिक्स कर दिया. अगले दिन उस ने आ कर देखा तो उस पेनकैम में कोड रिकौर्ड हो चुका था. अब उस के पास सब कुछ आ चुका था, यानी उसे सेंटर की एकएक चीज की जानकारी हो चुकी थी.
योजना में 4 अन्य लोगों को किया शामिल
लेकिन यह सारा काम वह अकेले नहीं कर सकता था. इस के लिए उसे कुछ साथियों की जरूरत थी. उस ने साथियों की तलाश शुरू की. आखिर उसे इस तरह के 4 लोग मिल गए, जो अपनेअपने क्षेत्र के माहिर थे. पहले उस ने उन चारों लोगों को अपनी पूरी योजना बताई.
पूरी योजना जान कर वे उस का साथ देने को तैयार हो गए. मजे की बात यह थी कि लियोनार्डो ने इन चारों के अलगअलग कोड नाम रखे थे. वे नाम थे स्पीडी, द मौंस्टर, द जीनियस, किंग औफ कीज. यह सभी अलगअलग कामों के एक्सपर्ट थे. इन में कोई इलैक्ट्रिक के काम में माहिर था तो कोई चाबी बनाने का एक्सपर्ट था तो कोई पूरे अलार्म सिस्टम का जानकार. इन में एक सेंसर को खराब करने वाला भी था.
लियोनार्डो ने खूब सोचसमझ कर साथी चुने थे. उस ने इन चारों से कहा था कि अगर हम कामयाब हो गए तो हो सकता है यह दुनिया की सब से बड़ी चोरी हो. जिस के बाद हमारी 7 पीढिय़ां बैठ कर खाएंगी.
इस तरह लियोनार्डो को मिला कर कुल 5 लोग हो गए. अब इन्हें एक स्थानीय आदमी की जरूरत थी, जिस का तिजोरी का काम हो. जल्दी ही इन्हें एक लालची आदमी मिल गया. लेकिन इन्होंने उसे यह नहीं बताया था कि यह काम करना कब है.
चोरों ने सेंसर सिस्टम कैसे किया फेल
इस के बाद उन्होंने उस तिजोरी वाले को सेंटर की तिजोरी के फोटो दिखा कर एक गोडाउन के अंदर हूबहू वैसी ही तिजोरी तैयार कराई, जैसी सेंटर के अंदर रखी थी. उस में उसी तरह कोड नंबर लगाए गए. लियोनार्डो ने देखा तो वह तिजोरी हूबहू वैसी ही थी, जैसी डायमंड सेंटर में रखी थी.
इस के बाद उसी तरह सेंसर और अलार्म भी फिट किए गए, जैसे सेंटर में थे. इस के बाद लियोनार्डो ने अपने उन चारों महारथियों से कहा कि अब वे अपना अपना खेल दिखाएं. इस तरह पूरी तैयारी हो गई. उस दिन तारीख थी 15 फरवरी, 2003. लियोनार्डो ने एक कार ली और उस कार को डायमंड सेंटर से थोड़ी दूरी पर खड़ी कर के उस में खुद बैठ गया. जबकि उस के चारों साथियों स्पीडी, द मौंस्टर, द जीनियस और किंग औफ कीज को डायमंड सेंटर में चोरी के लिए दाखिल होना था.
इन लोगों ने अपना चेहरा छिपाने के लिए चेहरे पर मुखौटा लगा लिया था. कहीं अंगुलियों के निशान न आने पाएं, इस के लिए दस्ताने पहन लिए थे.
सब कुछ तैयार हो गया था. सभी ने कई कई बार एंटवर्प डायमंड सेंटर (Antwerp Diamond Centre) की रेकी भी कर ली. यह सब करने में लियोनार्डो (Leonardo) को 3 साल लग गए. इस बीच लियोनार्डो ने कहीं कुछ नहीं किया था. केवल चोरी करने के तरीके पर इन्वेस्ट किया था और चोरी की तैयारी की थी. सारी तैयारी पूरी हो गई थी. अब बाकी था, दुनिया की सब से बड़ी डायमंड की चोरी करना.
इस सेंटर में जो सिक्युरिटी गार्ड थे, वे यहूदी थे. वे सभी शाम के समय अपनी धार्मिक प्रार्थना करते थे. यह उन की धार्मिक प्रार्थना थी. इस के अलावा शनिवार और रविवार को यहां गार्ड कम होते थे. इस की वजह यह थी कि डायमंड सेंटर का सिक्युरिटी सिस्टम इतना मजबूत था कि किसी को जरा भी भ्रम नहीं था कि यहां कभी चोरी भी हो सकती है. इसलिए सभी बेफिक्र रहते थे.
इसी का लाभ उठाते हुए लियोनार्डो ने शनिवार का दिन चुना और समय वो चुना, जब सेंटर के गार्ड प्रार्थना करते थे.
यह एक ऐसे चोर की कहानी है, जिस ने सदी की सब से बड़ी हीरे और गोल्ड की चोरी की थी, वह भी फुलप्रूफ योजना बना कर. यह एक ऐसा चोर था, जिस की बात ही कुछ अलग थी. इटली (Italy) का रहने वाला यह चोर जब बच्चा था, यानी मुश्किल से 4 साल का रहा होगा, तभी एक दुकान में कुछ सामान लेने गया था. संयोग से उस समय दुकानदार को नींद आ गई थी.
इसी उम्र में इस ने दुकान का पूरा गल्ला साफ कर दिया था. लौट कर वह घर आया तो मां ने डांटा, पर मां की इस डांट का उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा था. स्कूल पहुंचा तो साथियों के पैसे चुराने लगा और कालेज में गया तो टीचरों की जेबें खाली करने लगा. इस की वजह यह थी कि उसे चोरी करने में मजा आता था यानी उसे चोरी करने की लत लग गई थी.
सदी की सबसे बड़ी चोरी करने वाला चोर लियोनार्डो
एक दिन वह एक ज्वैलरी की दुकान के सामने से गुजर रहा था तो दुकान में सजे गहनों को देख कर उस का जी ललचा उठा. उसे लगा कि ये रुपए पैसे की चोरी बेकार की चीज है. इस में कुछ नहीं रखा. अगर चोरी ही करनी है तो गहनों की चोरी की जाए, जिस में माल हाथ लगा तो एक ही बार में मोटी कमाई हो जाएगी. इस के बाद वह इटली के अलगअलग शहरों में जाने लगा. वहां जा कर वह सब से पहले शहर की अच्छी से अच्छी दुकान की तलाश करता. फिर दुकान के पास किसी गेस्टहाउस में ठहर जाता.
2-4 दिन बाहर से रेकी करने के बाद ग्राहक बन कर उस ज्वैलरी की दुकान में जाता और एकएक चीज को गौर से देखता. अपनी नजरों से सब कुछ भांप लेता और मौका देख कर रात को उस दुकान का माल साफ कर देता. माल हाथ लगते ही वह रात को ही उस शहर को छोड़ देता था.
वह कभी एक शहर में नहीं टिकता था. चोरी का माल भी वह इधरउधर यानी हर जगह नहीं बेचता था. उस के 2-3 बहुत खास दुकानदार थे. वह चोरी चाहे जिस शहर में करता, चोरी का माल ला कर उन्हीं के पास बेचता था. क्योंकि उसे पता था कि चोरी कर के तो बचा जा सकता है, पर माल पकड़ा गया तो बचना मुश्किल है. इसलिए चोरी का माल बेचने में बहुत सावधानी बरतता था.
धीरेधीरे वह इस खेल में माहिर होता गया. इसी तरह चोरी करते करते उसे पता चला कि बेल्जियम में हीरों का अरबों खरबों का कारोबार होता है. वहां एक बहुत बड़ा डायमंड सेंटर है, जिस में रोजाना अरबों रुपए के तराशे, बगैर तराशे, बिना कटिंग किए हीरे लाए जाते हैं और बेचे जाते हैं.
उसे लगा कि छोटीमोटी चोरी के लिए यहांवहां बेकार ही भटकता फिरता है, क्यों न वहां जा कर बड़ा हाथ मारा जाए, जिस से एक ही बार चोरी कर के आराम की जिंदगी बिताई जाए. उस ने सोचा, चलो बेल्जियम चलते हैं, जहां एक बार माल हाथ लग गया तो जिंदगी सुधर जाएगी.
बस, फिर क्या था, वह बेल्जियम पहुंच गया. बेल्जियम जाने वाले इस चोर का नाम था लियोनार्डो नोटारबार्टोलो. यह इटली का रहने वाला था. दुनिया की सब से बड़ी चोरी करने के लिए वह बेल्जियम जा पहुंचा. यह 1998-1999 की बात है. चोरी से खूब पैसे कमाए थे, जो उस के पास थे. इसलिए खर्च की उसे कोई चिंता ही नहीं थी.
सेंटर से होता था हीरों का आयातनिर्यात
बेल्जियम (Belgium) का सब से बड़ा डायमंड सेंटर है एंटवर्प डायमंड सेंटर (Antwerp Diamond Centre). यह एक बहुत बड़ी इमारत है, जो बहुत ज्यादा भीड़भाड़ वाले इलाके में है. यहां हीरों का बहुत बड़ा कारोबार होता था. हीरों का आयातनिर्यात का यह बहुत बड़ा सेंटर था. इसलिए पूरी दुनिया से यहां लोग हीरे बेचने और खरीदने आते थे. इन में खरीदने वाले और बेचने वाले भी होते थे.
एंटवर्प डायमंड सेंटर
पूरे दिन इस इमारत में कारोबार होता था और जब रात को यह इमारत बंद होती थी तो सारे हीरे और गोल्ड इसी इमारत में बने 2 मंजिले तहखाने में बनी अतिसुरक्षित तिजोरी के लौकरों में रख दिए जाते थे. इस इमारत की खासियत यह है कि यहां इंसान के शरीर के टेंपरेचर (तापमान) से भी अलार्म बजने लगते.
जहां सारे हीरे और गोल्ड रखा जाता था, उस के सामने एक बहुत मोटा और भारी स्टील का दरवाजा था. कहा जाता है कि इस दरवाजे को इस तरह बनाया गया था कि पहली बात तो कोई यहां तक पहुंच ही नहीं सकता. अगर किसी तरह कोई यहां तक पहुंच भी जाए और इस दरवाजे को ड्रिल मशीन से काटने लगे तो इसे काटने में पूरे 8 घंटे लगेंगे. यह दरवाजा चाबी से नहीं खुलता. इस में कोड नंबर है 1 से ले कर 99 तक, जो समयसमय पर बदलता रहता है. अगर यह दरवाजा किसी तरह खुल भी जाए तो अंदर एक और दरवाजा था, जिस की चाबी करीब एक फुट की थी.
इस के अंदर जाने पर कैमरे हैं, सेंसर और अलार्म थे. यही नहीं, इस के अलावा बंदूकधारी सिक्युरिटी गार्ड भी. जहां इतनी सख्त सिक्युरिटी हो, भला वहां कोई चोर तिजोरी तक कैसे पहुंच सकता है.
इस सब के अलावा इस सेंटर के अंदर जाने वाला कोई भी व्यक्ति, भले ही इस सेंटर के अंदर उस की दुकान ही क्यों न हो, वह फोन या कैमरा कतई नहीं ले सकता. इस की वजह यह है कि लोगों को डर था कि कहीं कोई तिजोरी तक जाने के रास्ते की फोटो न खींच ले.
इतनी सख्त सिक्युरिटी के बाद भी लियोनार्डो वहां चोरी करने पहुंच गया था. उस ने धीरेधीरे वहां के लोगों से घुलमिल कर इस डायमंड सेंटर की जानकारी जुटानी शुरू कर दी थी. एंटवर्प डायमंड सेंटर के ठीक सामने एक कौफी शौप था, जिस के अंदर बैठ कर वह इस डायमंड सेंटर को ही नहीं, उस के अंदर आनेजाने वालों को भी आराम से देख सकता था.