Murder Story : बेइज्‍जती का बदला लेने के लिए गर्लफ्रैंड के भाई को नदी में डुबो कर मार डाला

Murder Story : अजमल आलम ने कल्लू का अपहरण कर के उसे मार डाला था. उस की लाश अजमल ने सतलुज नदी में बहा दी थी निस्संदेह यह बड़ा अपराध था, लेकिन यह भी सच है कि अजमल को ऐसा जघन्य अपराध करने का मौका लल्लू के मातापिता ने ही दिया था, अगर वे समय रहते…

काफी हताश होने के बाद आखिर कन्नू लाल ने तय कर लिया कि अब वह अपने बेटे लल्लू को तलाश करने में समय बरबाद नहीं करेगा और इस के लिए पुलिस की मदद भी लेगा. यह बात उस ने अपनी पत्नी और रिश्तेदारों को भी बताई. फिर उसी शाम वह अपने पड़ोसी भानु को ले कर लुधियाना के थाना डिवीजन नंबर-2 की पुलिस चौकी जनकपुरी जा पहुंचा. कन्नू लाल मूलरूप से गांव मछली, जिला गोंडा, उत्तर प्रदेश का रहने वाला था. कई साल पहले वह काम की तलाश में अपने किसी रिश्तेदार के साथ लुधियाना आया था और काम मिल जाने के बाद यहीं का हो कर रह गया था. काम जम गया तो कन्नू लाल ने गांव से अपनी पत्नी कंचन और बच्चों को भी लुधियाना बुला लिया था.

लुधियाना में वह इंडस्ट्रियल एरिया में लक्ष्मी धर्मकांटा के पास अजीत अरोड़ा के बेहड़े में किराए का कमरा ले कर रहने लगा था. कन्नू लाल के 4 बच्चे थे, 2 बेटे और 2 बेटियां. बड़ी बेटी कुसुम 20 साल की थी और शादी के लायक थी. कन्नू लाल का सब से छोटा बेटा वरिंदर उर्फ लल्लू 11 साल का था, जो कक्षा-4 में पढ़ता था. 27 जुलाई, 2017 को लल्लू दोपहर को अपने स्कूल से लौटा और खाना खाने के बाद गली में बच्चों के साथ खेलने लगा. यह उस का रोज का नियम था. कन्नू की पत्नी कंचन और बाकी बच्चे घर में सो रहे थे. शाम करीब 4 बजे कंचन ने चाय बना कर लल्लू को बुलाने के लिए आवाज दी.

लेकिन लल्लू गली में नहीं था. लल्लू हमेशा अपने घर के आगे ही खेलता था, दूर नहीं जाता था. कंचन ने गली में खेल रहे बच्चों से पूछा तो सभी ने बताया कि लल्लू थोड़ी देर पहले तक उन के साथ खेल रहा था, पता नहीं बिना बताए कहां चला गया. चाय पीनी छोड़ कर सब लल्लू की तलाश में जुट गए. शाम को जब लल्लू को पिता कन्नू लाल काम से लौट कर घर पहुंचा तो वह भी बेटे की तलाश में जुट गया. पूरी रात तलाशने के बाद भी लल्लू का कहीं पता नहीं चला. सभी यह सोच कर हैरान थे कि आखिर 11 साल का बच्चा अकेला कहां जा सकता है. इस के पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था.

अगला दिन भी लल्लू की तलाश में गुजरा. शाम को कन्नू लाल ने लल्लू की गुमशुदगी पुलिस चौकी में दर्ज करा दी. ड्यूटी अफसर हवलदार भूपिंदर सिंह ने धारा 146 के तहत कन्नू की गुमशुदगी दर्ज कर के यह सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी. साथ ही लल्लू का हुलिया और उस का फोटो आसपास के सभी थानों में भेज दिया गया. लल्लू की तलाश में न तो पुलिस ने कोई कसर छोड़ी और न उस के मातापिता और रिश्तेदारों ने. पर लल्लू का कहीं से कोई सुराग नहीं मिला. कन्नू लाल गरीब मजदूर था, जो दिनरात मेहनत कर के अपने बच्चों का पालनपोषण करता था, इसलिए फिरौती का तो सवाल ही नहीं था. हां, दुश्मनी की बात सोची जा सकती थी.

दुश्मनी के चक्कर में कोई लल्लू को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकता था, इसीलिए पुलिस बारबार कन्नू से यह पूछ रही थी कि उस का किसी से लड़ाईझगड़ा तो नहीं है. लल्लू को गुम हुए एक सप्ताह गुजर चुका था पर कहीं से भी उस का कोई सुराग नहीं मिला. घटना के 9 दिन बाद अचानक कन्नू लाल के मोबाइल फोन पर एक शख्स का फोन आया. फोन करने वाले का कहना था कि लल्लू उस के कब्जे में है. अगर बेटा सहीसलामत और जिंदा चाहिए तो 2 लाख रुपया बैंक एकाउंट नंबर 0003333 में डलवा दो. लल्लू मिल जाएगा. कन्नू लाल ने तुरंत इस फोन की सूचना पुलिस को दे दी. अब मामला केवल लल्लू की गुमशुदगी का नहीं रह गया था. उस का अपहरण फिरौती के लिए किया गया था सो पुलिस हरकत में आ गई.

एडीसीपी गुरप्रीत सिंह के सुपरविजन में एक टीम का गठन किया गया, जिस का इंचार्ज एसीपी वरियाम सिंह को बनाया गया. पुलिस ने पहले दर्ज मामले में धारा 365 और 384 भी जोड़ दीं. अपहरण के 9 दिन बाद 4 अगस्त को लल्लू के पिता कन्नू लाल के मोबाइल पर फोन कर के 2 लाख रुपए फिरौती मांगने के बाद फोनकर्ता ने नंबर स्विच्ड औफ कर दिया था. जांच आगे बढ़ाते हुए कन्नू लाल के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई गई. साथ ही उस के फोन को सर्विलांस पर भी लगा दिया गया. काल डिटेल्स से पता चला कि कन्नू लाल को स्थानीय बसअड्डे से फोन किया गया था. यह सोच कर तुरंत एक पुलिस टीम वहां भेजी गई कि हो न हो कोई संदिग्ध मिल जाए, क्योंकि बसअड्डा क्षेत्र काफी बड़ा और भीड़भाड़ वाला इलाका था. पास में ही रेलवे स्टेशन भी था. लेकिन वहां पुलिस को कुछ नहीं मिला.

पुलिस यह मान कर चल रही थी कि लल्लू का अपहरणकर्ता जो भी रहा हो, वह कन्नू लाल का कोई नजदीकी या फिर रिश्तेदार ही होगा. क्योंकि अपहरणकर्ता ने जो 2 लाख रुपए की फिरौती मांगी थी, वह कन्नू लाल की हैसियत देख कर ही मांगी थी. भले ही कन्नू लाल गरीब था, पर अपने बच्चे के लिए 2 लाख का इंतजाम तो कर ही सकता था. इस के लिए उसे गांव की जमीन भी बेचनी पड़ती तो वह भी बेच देता. अपहर्त्ता जो भी था, कन्नू के परिवार को गांव तक जानता था. इस सोच के बाद पुलिस ने कन्नू लाल और उस के परिवार के हर छोटेबड़े सदस्य से पूछताछ की. कुछ खबरें पड़ोसियों से भी ली गईं. मुखबिरों का भी सहारा लिया गया. आखिर अंदर की बात पता चल ही गई. इस से पुलिस को लगने लगा कि अब वह जल्द ही अपरहणकर्ता तक पहुंच कर लल्लू को सकुशल बचा लेगी.

कन्नू लाल के परिवार से पता चला कि कुछ दिन पहले उन का अजमल आलम से झगड़ा हुआ था. 30 वर्षीय अजमल आलम उन के पड़ोस में ही रहता था और कपड़े पर कढ़ाई का बहुत अच्छा कारीगर था. उस की कमाई भी अच्छी थी और उस का कन्नू के घर काफी आनाजाना था. वह उस के परिवार के काफी करीब था और सभी बच्चों से घुलामिला हुआ था. खासकर कन्नू की बड़ी बेटी कुसुम से. 7 साल पहले जब अजमल आलम की उम्र करीब 22-23 साल थी और कुसुम की 14 साल तभी दोनों एकदूसरे के करीब आ गए थे.  अजमल मूलरूप से गांव भयंकर दोबारी, जिला किशनगंज, बिहार का रहने वाला था. 7 साल पहले उस ने खुद को अविवाहित बता कर कुसुम को अपने प्रेमजाल में फांस लिया था.

इस के 2 साल बाद उस ने कुसुम से शादी करने का झांसा दे कर उस से शारीरिक संबंध भी बना लिए थे. यह सिलसिला अभी तक चलता रहा था. कह सकते हैं कि उस ने 7 वर्ष तक कुसुम का इस्तेमाल अपनी पत्नी की तरह किया था. अजमल से कुसुम के संबंध कितने गहरे हैं, यह बात कन्नू और उस की पत्नी कंचन को भी पता थी. उन की नजरों में अजमल अविवाहित था और अच्छा कमाता था. वह कुसुम से बहुत प्यार करता था और शादी करना चाहता था. कन्नू लाल और उस की पत्नी कंचन को इस पर कोई ऐतराज नहीं था. फलस्वरूप जैसा चल रहा था, उन्होंने वैसा चलने दिया. उन लोगों ने न कभी बेटी पर कोई अंकुश लगाया और न अजमल को अपने घर आने से रोका.

जून 2018 में अचानक किसी के माध्यम से कंचन और कुसुम को पता चला कि अजमल पहले से ही शादीशुदा और 2 बच्चों का बाप था. इतनी बड़ी बात छिपा कर वह कुसुम के साथ लगातार 7 सालों तक दुष्कर्म करता रहा था. हकीकत जान कर मांबेटी के होश उड़ गए. उस समय अजमल अपने कमरे पर ही था. कुसुम और कंचन ने जा कर उस के साथ झगड़ा किया और उस की खूब पिटाई की. यह बात मोहल्ले की पंचायत तक भी पहुंची. पंचायत के कहने पर कंचन ने अजमल को धक्के मार कर मोहल्ले से बाहर निकाल दिया. अजमल ने भी वहां से चुपचाप चले जाने में ही अपनी भलाई समझी. क्योंकि मोहल्ले वालों के सामने हुई जबरदस्त बेइज्जती के बाद वह वहां नहीं रह सकता था, इसलिए वह अपना सामान लिए बिना मोहल्ले से चला गया था.

यह कहानी जान लेने के बाद पुलिस को लगा कि लल्लू के अपहरण के पीछे अजमल का ही हाथ हो सकता है. कुसुम वाले मामले में उस की काफी बेइज्जती हुई थी. यहां तक कि उसे अपना घर भी छोड़ कर भागना पड़ा था. बदला लेने के लिए वह कुछ भी कर सकता था. कन्नू के परिवार के पास अजमल का फोन नंबर था. पुलिस ने वह नंबर सर्विलांस पर लगवा दिया और उस की लोकेशन ट्रेस करने की कोशिश करने लगी. कन्नू को किए गए पहले फोन के 2 दिन बाद फोन कर के उस से दोबारा पैसों की मांग की गई. इस बार फोन कैथल, हरियाणा से आया था. पुलिस टीम फोन की लोकेशन ट्रेस करते हुए जब कैथल पहुंची तो कन्नू को दिल्ली से फोन किया गया.

इस बार फोन करने वाले ने रुपयों की मांग के साथ कुसुम से बात करने की भी इच्छा जताई तो साफ हो गया कि लल्लू के अपरहण में अजमल का ही हाथ है. इस के बाद वह कन्नू को बारबार मैसेज करता रहा. अजमल को पकड़ने के लिए पुलिस की टीमों ने कैथल व दिल्ली में एक साथ 15 जगह रेड डाली लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा. अब तक की जांच में सामने आया कि जो बैंक खाता नंबर उस ने फिरौती के पैसे डलवाने के लिए दिया था, वह लुधियाना के एक युवक का था. खास बात यह कि उस युवक से अजमल की दूरदूर तक कोई जानपहचान नहीं थी. फिर भी पुलिस ने उसे शक के दायरे में ही रखा. आखिर लंबे चले इस चोरसिपाही के खेल के बाद पुलिस ने अजमल की फोन लोकेशन का पीछा करते हुए उसे 8 अगस्त को दिल्ली से धर दबोचा.

अगले दिन 9 अगस्त को पुलिस ने अजमल को अदालत में पेश कर के लल्लू की बरामदगी और आगामी पूछताछ के लिए उसे 5 दिन के पुलिस रिमांड पर ले लिया. पूछताछ के दौरान अजमल ने बताया कि लल्लू की हत्या उस ने उसी दिन यानी 27 जुलाई को ही कर दी थी और उस की लाश को सतलुज नदी में बहा दिया था. उस ने बताया कि मोहल्ले से बेइज्जत होने के बाद वह अपनी बहन के पास कैथल चला गया था. लेकिन कुसुम के बिना उस का मन नहीं लग रहा था. उस ने कुसुम से प्यार किया था और वह भी उसे प्यार करती थी, लेकिन अब उस ने बेवफाई की थी. उस का मन बारबार कहता था कि कुसुम और उस की मां से बेइज्जती का हिसाब लिया जाए.

इस के लिए वह लुधियाना छोड़ कर जाने के डेढ़ महीने बाद 27 जुलाई को ट्रेन से लुधियाना आया. दोपहर को जब लल्लू स्कूल से वापस घर जा रहा था तो उस ने उसे रोक कर साथ चलने को कहा, लेकिन उस ने मना कर दिया और घर जा कर अपनी बहन को उस के आने की सूचना दी. बाद में जब लल्लू खेलने के लिए घर से बाहर निकला तो उस ने लल्लू को घुमाने का लालच दिया और आटो में बिठा कर सतलुज नदी पर ले गया. नदी पर पहुंच कर अजमल ने लल्लू को नदी में नहाने और तैरना सिखाने के लिए उकसाया. जब लल्लू नहाने के लिए कपड़े उतार कर अजमल के साथ दरिया में घुसा तो अजमल ने नहाते समय लल्लू की गरदन पकड़ कर उसे पानी में डुबो कर मार दिया और उस की लाश पानी में बहा कर बस द्वारा वापस कैथल चला गया. बाद में वह दिल्ली पहुंच गया था. वहीं से वह कन्नू को फोन पर एसएमएस भेजता था.

अजमल की निशानदेही पर पुलिस ने सतलुज में गोताखोरों की टीम को उतारा. पर लल्लू की लाश नहीं मिली. बरसात के दिन होने के कारण नदी में पानी का तेज बहाव था. ऐसे में संभव था कि लाश पानी में तैरती हुई कहीं दूर निकल गई हो. पुलिस लल्लू की लाश को कई दिनों तक नदी में दूरदूर तक तलाशती रही लेकिन लाश नहीं मिली. रिमांड की अवधि खत्म होने के बाद 13 अगस्त, 2018 को अजमल को फिर से अदालत में पेश कर के न्यायिक हिरासत में जिला जेल भेज दिया गया. खेलखेल में लल्लू की गुमशुदगी से शुरू हुआ यह ड्रामा अंत में इतने भयानक अंजाम तक पहुंचेगा, इस बात की किसी ने कल्पना तक नहीं की थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कुसुम परिवर्तित नाम है.

 

Punjab Crime : चचेरी बहन से संबंध बनाता और ब्लैकमेल करके पैसे वसूलता

Punjab Crime : आस्ट्रेलिया जाते समय राहुल ने अपने चाचा के बेटे रिशु ग्रोवर पर विश्वास कर के अपनी मां ऊषा और बहन हिना की देखभाल की जिम्मेदारी उसे सौंप दी थी. रिशु इतना बदकार निकलेगा, राहुल ने सोचा तक नहीं था. उस का विश्वास तो टूटा ही, मां और बहन भी…  

10 सितंबर, 2018 को लुधियाना के जिला एडिशनल सेशन जज अरुणवीर वशिष्ठ की अदालत में अन्य दिनों की अपेक्षा कुछ ज्यादा भीड़ थी. वजह यह थी कि उस दिन लुधियाना शहर के एक ऐसे दोहरे मर्डर केस का फैसला सुनाया जाना था, जिस ने पूरे शहर में सनसनी फैला दी थी. इस में हतप्रभ कर देने वाली बात यह थी कि आरोपी रिशु ग्रोवर मृतकों के परिवार का ही सदस्य था और उस परिवार की हर तरह से देखरेख करता थाइस के बावजूद उस ने मां और बेटी की इतनी वीभत्स तरीके से हत्या की थी कि उन की लाशें देख कर पुलिस तक का कलेजा कांप उठा था. यह केस लगभग 5 सालों तक न्यायालय में चला, जिस में 23 गवाहों ने अपने बयान दर्ज कराए.

इन गवाहों में एक गवाह ऐसा भी था, जिस ने आरोपी को घटनास्थल से फरार होते देखा था. अभियोजन पक्ष ने इस केस में पुलिस वालों, फोटोग्राफर, फिंगरप्रिंट एक्सर्ट्स, पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों आदि के बयान भी अदालत में दर्ज कराए थे. निर्धारित समय पर जिला एडिशनल सेशन जज अरुणवीर वशिष्ठ के अदालत में बैठने के बाद जिला अटौर्नी रविंदर कुमार अबरोल ने कहा कि आरोपी रिशु ग्रोवर ने अपनी ताई और उन की बेटी की खंजर से बेहद क्रूरतम तरीके से हत्या की थी. लिहाजा ऐसे आरोपी को फांसी की सजा मिलनी चाहिए. वहीं बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि ये दोनों मर्डर किसी और ने किए हैं. हत्याएं करने के बाद हत्यारा खून से दीवार पर एक नाम भी लिख कर गया था.

खून से दीवार पर जिस का नाम लिखा गया था, पुलिस को उस शख्स से सख्ती से पूछताछ करनी चाहिए थी. लेकिन पुलिस ने उस शख्स को बचा कर सीधेसादे रिशु ग्रोवर को फंसा कर जेल में डाल दिया. रिशु पर लगाए गए सारे आरोप निराधार हैं. लिहाजा उसे इस केस से बाइज्जत बरी किया जाना चाहिए. जिला एडिशनल सेशन जज ने तमाम गवाहों के बयान, सबूतों और वकीलों की जिरह के बाद आरोपी रिशु ग्रोवर को दोषी करार दिया और सजा सुनाने के लिए 13 सितंबर, 2018 का दिन नियत कर दिया. आखिर ऐसा क्या हुआ था कि इस हत्याकांड के फैसले पर लुधियाना के लोगों के अलावा वकीलों और मीडिया तक की निगाहें जमी थीं. सनसनी फैला देने वाले इस केस को समझने के लिए हमें घटना की पृष्ठभूमि में जाना होगा.

लुधियाना के बाबा थानसिंह चौक के निकट मोहल्ला फतेहगंज में बलदेव राज अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी ऊषा के अलावा 2 बेटियां आशना हिना के अलावा एक बेटा राहुल था. बड़ी बेटी आशना की वह शादी कर चुके थे. शादी के लिए 2 बच्चे और बचे थे. वह उन की शादी की भी तैयारी कर रहे थे, लेकिन इस से पहले ही उन की मृत्यु हो गई. बलदेव राज की मृत्यु के बाद घर की जिम्मेदारी ऊषा के ऊपर गई थी. खेती की जमीन से वह परिवार का गुजरबसर करने लगीं. पंजाब के तमाम लोग विदेशों में काम कर के अच्छा पैसा कमा रहे हैं. ज्यादा पैसे कमाने की चाह में राहुल भी अपने एक जानकार की मदद से आस्ट्रेलिया चला गया. वहां उसे अच्छा काम मिल गया था.

राहुल समझ नहीं पाया चचेरे भाई को  राहुल के आस्ट्रेलिया जाने के बाद लुधियाना में उस के घर में 55 वर्षीय मां ऊषा और 21 वर्षीय बहन हिना ही रह गई थीं. उन का ध्यान रखने के लिए राहुल अपनी बहन आशना और बहनोई विकास मल्होत्रा को कह गया था. इस के अलावा उस ने अपने चाचा के बेटे रिशु ग्रोवर से भी मांबहन का ध्यान रखने को कहा थारिशु टिब्बा रोड के इकबाल नगर में रहता था. वैसे भी ऊषा का घर बाबा थानसिंह चौक पर ऐसी जगह रास्ते में था कि रिशु आतेजाते अपनी ताई ऊषा का हालचाल जान लिया करता था. जब रिशु ऊषा के यहां आनेजाने लगा तो ऊषा उस से घर के छोटेमोटे काम करा लिया करती थीं.

इस में रिशु के मातापिता को भी कोई ऐतराज नहीं था. कुछ समय और बीता तो ताई के कहने पर रिशु कभीकभी रात को भी उन के घर रुकने लगा था. इसी बीच एक यह परेशानी सामने आई कि बाबू नाम का एक लड़का हिना के पीछे पड़ गया. बाबू का सेनेटरी का काम था. हिना जब भी घर से बाहर निकलती, बाबू उस का रास्ता रोक कर उस से छेड़छाड़ करता था. इस से परेशान हो कर हिना ने इस की शिकायत पहले रिशु से की और बाद में यह बात अपनी बहन और जीजा को भी बता दीरिशु ने अपने तरीके से बाबू को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माना.

कोई हल निकलता देख हिना के बहनोई विकास ने इस की शिकायत थाना डिवीजन नंबर-3 में कर दी. पुलिस ने बाबू को थाने बुला कर धमका दिया. इस के बावजूद वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आया. यह सन 2012 की बात है. इस बीच राहुल आस्ट्रेलिया से लुधियाना लौटा तो यह बात उसे भी पता चली. लगभग 2 महीने लुधियाना में रहने के बाद जब वह वापस आस्ट्रेलिया लौटा तो अपनी मां ऊषा और बहन हिना की जिम्मेदारी वह रिशु को सौंप गया. आगे चल कर यही राहुल की सब से बड़ी भूल साबित हुई. रिशु एक आवारा, बदचलन और बेहद गिरा हुआ इंसान था. सिगरेट, शराब, जुए से ले कर कोई ऐसा गलत ऐब नहीं बचा था, जो रिशु में नहीं था.

ऊषा और हिना का ध्यान रखने की आड़ में वह ऊषा के घर पर ही अपना डेरा जमाए बैठा था. दरअसल, रिशु के खुराफाती दिमाग में एक भयानक षड्यंत्र ने जन्म ले लिया था. उस का सीधा निशाना हिना थी जो इस बात से बिलकुल अनजान थी. नाजायज रिश्ते, नाजायज तरीके. कब किसी इंसान को गुनाह के रास्ते पर ला कर खड़ा कर दें, कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. जिस भाई को राहुल मां और बहन की देखभाल की जिम्मेदारी सौंप गया था, उसी भाई के मन में एक अपराध ने जन्म ले लिया था.

अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए रिशु ने अपनी ताई की बेटी हिना को अपने जाल में फंसाना शुरू कर दिया. जल्दी ही वह अपने मकसद में कामयाब भी हो गया. उस ने हिना के साथ नाजायज रिश्ता कायम कर लिया. बाद में वह इसी नाजायज रिश्ते की आड़ ले कर उसे ब्लैकमेल कर पैसे ऐंठने लगा. उस से मिले पैसों का इस्तेमाल वह अपने सपने पूरे करने में खर्च करता था. ताज्जुब की बात यह थी कि उसी घर में रहते हुए भी ऊषा को इस सब की भनक तक नहीं लग पाई थी. इस की वजह यह थी कि रिशु अपनी ताई को खाने में नींद की गोलियां दे देता था. गोलियों के नशे को ऊषा अपनी उम्र का रोग समझती थीं.

शुरूशुरू में तो हिना रिशु के आकर्षण में फंस गई थी पर जब तक उसे उस की नीयत का पता चला, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. लेकिन अब पछताने से कोई फायदा नहीं था. क्योंकि वह सिर से ले कर पांव तक रिशु के चंगुल में फंसी हुई थी, जहां से अकेले बाहर निकलना उस के बूते की बात नहीं थी. अंत में हार कर हिना ने अपने भाई राहुल को आस्ट्रेलिया में फोन कर के यह बात बता दिया. यहां हिना ने एक बार फिर बड़ी गलती की. वह राहुल से अपने और रिशु के शारीरिक संबंधों और रिशु द्वारा ब्लैकमेल करने की बात छिपा गई थी. यह बात फरवरी 2013 की है.

अपनी बहन की बात सुन राहुल आस्ट्रेलिया से लुधियाना आया और उस ने रिशु को आड़े हाथों लिया. रिशु के मातापिता ने भी उस की अच्छी खबर ली. आखिर अपनी करनी से शर्मिंदा हो कर रिशु ने राहुल के अलावा अन्य सभी रिश्तेदारों से माफी मांग ली थी. रिशु बुनता रहा तानाबाना  बात तो यहीं खत्म हो गई थी पर राहुल कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था. उस ने हिना की शादी करने के लिए लड़के की तलाश शुरू कर दी और लुधियाना के पखोवाल रोड निवासी सौरव के साथ हिना की मंगनी कर के शादी पक्की कर दी. शादी की तारीख 20 नवंबर, 2013 तय कर दी गई. इस बार राहुल ने बहन की शादी की जिम्मेदारी अपनी बहन आशमा और जीजा विकास मल्होत्रा को सौंपी

यह सब कर के वह 24 अप्रैल, 2013 को आस्ट्रेलिया लौट गया. आस्ट्रेलिया जा कर उस ने वहां से 4 लाख रुपए और करीब 100 डौलर अपनी मां को भेजे. मां ने शादी की तैयारियां शुरू कर दी थीं. राहुल समयसमय पर अपनी मां को फोन कर के बात करता रहता था. 21 मई, 2013 को राहुल ने आस्ट्रेलिया से अपनी मां को फोन कर के हालचाल पूछना चाहा तो मां का फोन बंद मिला. उस ने 2-3 बार मां को फोन मिलाया, पर हर बार फोन बंद ही मिला. उस ने 22 मई को फिर से मां को फोन किया. उस दिन भी उन का फोन स्विच्ड औफ था. बहन हिना का फोन भी बंद रहा था. राहुल परेशान था कि दोनों के फोन क्यों नहीं मिल रहे.

फिर उस ने अपने जीजा विकास मल्होत्रा को फोन कर कहा, ‘‘जीजाजी, पता नहीं क्यों मां और हिना का फोन नहीं मिल रहा है. मैं कल से कोशिश कर रहा हूं. आप वहां जा कर पता तो करें, क्या बात है?’’

‘‘ऐसी तो कोई बात नहीं है. मैं और आशमा कल रात को वहीं थे. हो सकता है वे लोग सो रहे हों या कोई सामान खरीदने बाजार गए हों. फिर भी मैं जा कर देखता हूं.’’ विकास ने कहा. उस के बाद विकास अपनी पत्नी आशमा को ले कर ससुराल गया. दोनों ने वहां जा कर देखा तो मकान का मुख्य दरवाजा बंद जरूर था पर उस में कुंडी नहीं लगी थी. असमंजस की हालत में विकास ने अंदर जा कर देखा तो नीचे वाले कमरे में बैड पर सास ऊषा की खून से लथपथ लाश पड़ी थीमां की लाश देख कर आशमा की चीख निकल गई. विकास भी घबरा गया और सोचने लगा कि हिना कहां है. इस के बाद उस ने ऊपर के फ्लोर पर जा कर देखा तो बाथरूम के बाहर हिना की भी खून सनी लाश पड़ी थी. उस की लाश के पास दीवार पर खून सेबाबलिखा हुआ था. बाब यानी बाबू.

शक के दायरे में आया बाबू विकास को यह समझते देर नहीं लगी थी कि ये दोनों हत्याएं बाबू सेनेटरी वाले ने ही की है. क्योंकि वह हिना को अकसर परेशान करता था. विकास ने इस की सूचना थाना डिवीजन-3 को दे दी. साथ ही उस ने फोन द्वारा राहुल को भी बता दिया. सूचना मिलते ही इंसपेक्टर बृजमोहन, एसआई प्रीतपाल सिंह, एएसआई राजवंत पाल, हवलदार वरिंदर पाल सिंह, सरजीत सिंह और सिपाही राजिंदर सिंह के साथ बताए गए पते की तरफ रवाना हो गएघटनास्थल पर पहुंच कर उन्होंने लाशों का मुआयना किया तो पता चला कि उन की हत्या किसी धारदार हथियार से की गई थी. मौके पर उन्होंने क्राइम टीम को बुलवाया. कई जगह से फिंगरप्रिंट और खून के सैंपल लिए और दोनों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भेज दिया.

प्राथमिक पूछताछ में विकास मल्होत्रा से यह बात भी पता चली थी कि वारदात को अंजाम देने के बाद हत्यारे घर में रखे 4 लाख रुपए, 100 डौलर और सोने की एक चेन भी ले गए थे. विकास के बयानों के आधार पर पुलिस ने इस दोहरे हत्याकांड का मुकदमा आईपीसी की धारा 302, 460 के तहत दर्ज कर के तफ्तीश शुरू कर दी. विकास ने इस हत्याकांड का शक बाबू पर जाहिर किया था और दीवार पर भी खून सेबाबलिखा हुआ था, इसलिए इंसपेक्टर बृजमोहन ने बाबू को हिरासत में ले कर पूछताछ शुरू कर दी.

सख्ती से पूछताछ करने पर भी बाबू इस हत्याकांड के बारे में कुछ नहीं बता पाया था. उस का कहना था कि वह हिना का पीछा जरूर करता था पर इन हत्याओं में दूरदूर तक भी उस का कोई हाथ नहीं है. अचानक पुलिस को यह शक हुआ कि कहीं पैसों के लालच में विकास ने ही तो इस घटना को अंजाम नहीं दिया क्योंकि उसे भी पता था कि घर में इतना कैश रखा है. फोरेंसिक रिपोर्ट में यह बताया गया था कि घटनास्थल से मिले खून के सैंपल के साथ एक किसी तीसरे आदमी का भी खून था, जो शायद हत्यारे का थाइन्हीं आशंकाओं को देखते हुए पुलिस ने विकास से पूछताछ की. विकास ने भी खुद को बेकसूर बताया. उस से की गई पूछताछ के बाद भी पुलिस को हत्यारों से संबंधित कोई सुराग नहीं मिला.

संभावनाओं का पिटारा पुलिस के सामने खुला हुआ था. लेकिन अभी तक कोई ठोस लीड नहीं मिल रही थी. तफ्तीश के दौरान पुलिस को एक ऐसा शख्स मिला, जिस ने हत्यारे को घर से निकलते देखा था और वह उसे अच्छी तरह से पहचानता भी थाइस के बाद पुलिस ने अन्य सबूत जुटाने के लिए हिना के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवा कर खंगाली. उस में कई संदिग्ध नंबर थे. उन सभी नंबरों में एक नंबर ऐसा भी था जिस पर हिना की सब से ज्यादा बातें होती थीं. वह नंबर हिना के चचेरे भाई रिशु ग्रोवर का थाफोन की काल डिटेल्स से सामने आया रिशु का नाम इस हत्याकांड के 2 दिन बाद राहुल भी आस्ट्रेलिया से गया.

25 मई को ही वह इंसपेक्टर बृजमोहन से मिला. राहुल ने बताया कि रिशु ने उस की बहन हिना से नाजायज संबंध बना लिए थे. इतना ही नहीं वह हिना को ब्लैकमेल कर उस से पैसे भी ऐंठता रहता था. राहुल के बयानों ने इस केस का पासा पलट दिया और कातिल सामने गया. पता चला कि हिना और ऊषा का हत्यारा कोई और नहीं बल्कि रिशु ग्रोवर था. पुलिस ने रिशु को हिरासत में ले लिया. रिशु के खून की जांच कराई गई तो वह उसी खून से मैच कर गया जो घटनास्थल पर मृतकों के अलावा मिला था. रिशु से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस की निशानदेही पर इंसपेक्टर बृजमोहन ने नाले से हत्या में इस्तेमाल खंजर, प्लास्टिक के दस्ताने और एक रूमाल बरामद किया.

पुलिस ने हत्या के बाद लूटे हुए पैसों में से 2 लाख 11 हजार रुपए और 100 डौलर भी बरामद कर लिए. काररवाई पूरी करने के बाद रिशु को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था. तफ्तीश पूरी करने के बाद इंसपेक्टर बृजमोहन ने एक महीने बाद इस केस की चार्जशीट अदालत में दाखिल कर दी थी. पुलिस ने अदालत में तमाम गवाह पेश किए. उन में एक ऐसी महिला गवाह थी जिस ने इस हत्याकांड को अंजाम देने के बाद रिशु को घटनास्थल से फरार होते देखा था. दरअसल वह महिला रोज तड़के ढाई बजे सेवा करने के लिए गुरुद्वारा साहिब जाती थी. उसी समय उस ने रिशु को ऊषा के घर से निकलते देखा था.

अदालत ने उस महिला की गवाही को अहम माना. तमाम गवाहों और सबूतों के आधार पर एडिशनल सेशन जज अरुणवीर वशिष्ठ ने रिशु ग्रोवर को दोषी ठहरायारिशु को दोषी ठहराने के बाद लोगों के जेहन में एक ही सवाल घूम रहा था कि पता नहीं 13 सितंबर को जज साहब उसे कौन सी सजा सुनाएंगे. लोगों के 3 दिन इसी ऊहापोह की स्थिति में गुजरे. आखिर वो दिन भी गया जो माननीय जज ने सजा सुनाने के लिए मुकर्रर किया थाआखिर गया फैसले का दिन13 सितंबर को तमाम लोग बड़ी बेताबी के साथ कोर्टरूम में पहुंच गए थे. सुबह ठीक 10 बजे माननीय जज अदालत में बैठे.

उन्होंने केस फाइल पर नजर डालते हुए कहा कि जिला अटौर्नी रविंदर कुमार अबरोल की दलीलों, गवाहों के बयानों और मौके पर मिले अन्य साक्ष्यों से यह बात पूरी तरह साबित हो जाती है कि रिशु ग्रोवर ने अपनी ताई और हिना को खंजर से ताबड़तोड़ वार कर के बेरहमी से मार डाला थारिशु चचेरी बहन से अवैध संबंध बना कर उसे ब्लैकमेल कर पैसे वसूलता था, जबकि 6 महीने बाद उस की शादी तय थी. लिहाजा ब्लैकमेलिंग का धंधा पैसा मिलना बंद होने की रंजिश में ही उस ने दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया था और हिना की शादी के लिए घर में रखा सारा पैसा लूट लिया था.

रिशु इतना शातिरदिमाग था कि दोहरे हत्याकांड को अंजाम देने के बाद उस ने पुलिस को गुमराह करने के लिए घर में रखे गहने कैश भी गायब कर दिए थे. साथ ही दीवार पर खून सेबाबलिख दिया था, जिस से पुलिस उस तक पहुंच सके. दोषी की घृणित मानसिकता से यह बात भी स्पष्ट हो जाती है कि उस ने जघन्यतम अपराध किया है. ऐसे आदमी को समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है. अभियोजन पक्ष ने अपनी चार्जशीट में आरोपी पर जो आरोप लगाए हैं, वह उन्हें पूरी तरह से साबित करने में सक्षम रहा है.

आरोपी का दोष पूरी तरह से साबित होता है, लिहाजा भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के अंतर्गत दोषी रिशु ग्रोवर को अदालत मृत्युदंड की सजा सुनाती है. अपना फैसला सुनाने के बाद न्यायाधीश अरुणवीर वशिष्ठ ने अपनी कलम की निब तोड़ दी और उठ कर अपने चैंबर में चले गए. रिशु ग्रोवर को फांसी की सजा सुनाए जाने पर आशमा और उस के पति विकास ने संतोष व्यक्त किया.