पुलिस के अनुसार पिंटू सेंगर 20 जून, 2020 को अपनी इनोवा कार से जेके कालोनी आशियाना स्थित समाजवादी पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष चंद्रेश सिंह के घर जाने के लिए निकला था. कार को उस का ड्राइवर रूपेश चला रहा था. चंद्रेश के घर के सामने पहुंचने पर फोन पर बात करते हुए पिंटू सेंगर अपनी कार से नीचे उतर गया और फिर सड़क के किनारे खड़े हो कर बात करने लगा.
इसी बीच 2 बाइकों पर सवार हो कर आए 4 बदमाशों ने पिंटू सेंगर पर चारों तरफ से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हेलमेट लगाए हमलावरों ने करीब 15 फायर सीधेसीधे पिंटू सेंगर के ऊपर किए. गोली लगने के बाद लहूलुहान हो कर पिंटू सेंगर जमीन पर गिर पड़ा.
इस के बाद चारों बदमाश जाजमऊ की ओर फरार हो गए थे. वहीं इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल छा गया था. चालक रूपेश के शोर मचाने पर आगे आए लोग आननफानन में सेंगर को निजी अस्पताल ले गए, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था.
मृतक नरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सेंगर पर चकेरी, किदवई नगर और कोहना थाने में कुल 28 केस दर्ज थे. पिंटू सेंगर गैंगस्टर और गुंडा एक्ट की काररवाई के साथ भूमाफिया भी घोषित हो चुका था. उस पर हत्या के प्रयास, प्रौपर्टी हथियाने, हत्या, रंगदारी जैसे संगीन धाराओं में केस दर्ज थे. पिंटू सेंगर ने 2007 में बसपा से विधायक का चुनाव लड़ा था, हालांकि उसे चुनाव में हार मिली थी. पिंटू सेंगर ने राजनीति में अच्छी पकड़ बना रखी थी और उस ने अपने विरोधियों की करोड़ों की प्रौपर्टी जब्त कराई थी.
नरेंद्र सिंह 4 भाइयों में सब से बड़ा था. उस का छोटा भाई धर्मेंद्र एयरफोर्स से रिटायर्ड था. उस से छोटा भाई देवेंद्र उर्फ बबलू भारतीय सेना में था और सब से छोटा भाई शैलेंद्र फील्ड गन फैक्ट्री में काम करता था. पिंटू सेंगर के पिता सोने सिंह भी फील्ड गन फैक्ट्री से रिटायर्ड थे.
पिंटू सेंगर हत्याकांड की सुपारी 40 लाख रुपए में तय हुई थी. इस में राशिद कालिया को 10 लाख रुपए मिलने थे. पुलिस का दबाव बढऩे पर वह बिना पैसा लिए ही फरार हो गया था.
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मायावती को चांद पर जमीन दी थी नरेंद्र सेंगर ने
राशिद कालिया द्वारा गोली से ढेर हुए कानपुर के बसपा नेता नरेंद्र सिंह सेंगर उर्फ पिंटू सेंगर ने 15 जनवरी, 2010 को बसपा सुप्रीमो मायावती को चांद पर जमीन देने का बेशकीमती तोहफा दिया था. उस ने 16 जनवरी, 2010 को मीडिया से बातचीत में बताया था कि उस ने अमेरिका स्थित लुनर रिपब्लिक सोसाइटी से चांद पर 3 एकड़ का टुकड़ा खरीदा था.
पिंटू सेंगर ने पत्रकारों को जमीन खरीद संबंधी कागजात भी दिखाए थे, जिस पर लुनर रिपब्लिक सोसाइटी की सचिव हेड्स बार्टन के हस्ताक्षर थे. कागजात पर जमीन की कीमत का जिक्र नहीं था. उस समय पिंटू सेंगर ने संवाददाताओं को जानकारी देते हुए बताया था कि जब मैं बहनजी को यह उपहार दे रहा हूं तो कीमत मेरे लिए मायने नहीं रखती.
हालांकि मायावती के लिए चांद पर जमीन खरीदने की बात कह कर पिंटू सेंगर को पार्टी से निकाल दिया था. बाद में पिंटू सेंगर ने दोबारा पार्टी जौइन कर ली थी. यह भी कहा जाता था कि पिंटू सेंगर सांसद रही फूलन देवी का भी बहुत करीबी था. वर्ष 2010 में वह भोगनीपुर से विधायक का चुनाव लडऩे की तैयारी में था.
राशिद कालिया जिस पिंटू सेंगर की हत्या में वांछित था, उसे 20 जून, 2020 को कानपुर के थानाक्षेत्र में कत्ल किया गया था. इस मामले में पुलिस ने 15 आरोपियों को जेल भेजा था. इन में से कक्कू नाम के आरोपी की जेल में ही मौत हो गई थी. पिंटू सेंगर को मारने के लिए 4 शूटर पलसर और केटीएम बाइकों पर सवार हो कर आए थे.
पुलिस के मुताबिक पलसर बाइक को अहसान कुरैशी चला रहा था जबकि उस के पीछे राशिद कालिया बैठा था. वहीं केटीएम बाइक फैसल कुरैशी चला रहा था और उस के पीछे आरोपी सलमान बैठा था. उन चारों ने मिल कर स्वचालित हथियारों से एक साथ गोलियां बरसा कर पिंटू सेंगर को मौत के घाट उतार दिया था.
कानपुर के चर्चित बसपा नेता पिंटू सेंगर मर्डर केस के मुख्य शूटर राशिद कालिया का एनकाउंटर होने के बाद पिंटू सेंगर परिवार ने राहत की सांस ली थी. पिंटू सेंगर के मर्डर के बाद उन का पूरा परिवार दहशत में था. पिंटू सेंगर के घर वालों को कभी मुकदमा वापस लेने तो कभी पैरवी नहीं करने की धमकियां कई बार मिली थीं, लेकिन परिवार कभी भी पीछे नहीं हटा था.
इस संबंध में मृतक पिंटू सेंगर के भाई धर्मेंद्र सेंगर ने मीडिया से बातचीत में कहा, ”मेरे सगे भाई पिंटू सेंगर की हत्या 20 जून, 2010 को दिनदहाड़े गोलियों से भून कर कर दी गई थी.
”शूटर राशिद कालिया और उस के गैंग ने पप्पू स्मार्ट से सुपारी ले कर इस निर्मम हत्या को अंजाम दिया था. पप्पू स्मार्ट गिरोह के मुख्य शूटर राशिद कालिया को झांसी में उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने एनकाउंटर में मार गिराया.
”उस की मौत की खबर मिलने के बाद अब हमारे पूरे परिवार ने चैन की सांस ली है. इस गैंग के मुखिया पप्पू स्मार्ट और सभी सदस्यों का इसी तरह से एनकाउंटर होना चाहिए. हमारे परिवार के लोग दहशत के चलते ठीक से जी नहीं पा रहे थे.’’
बसपा नेता पिंटू सेंगर की मौत के बाद उस के भाई धर्मेंद्र सिंह केस की पैरवी कर रहे हैं. उन्होंने खुद आरोपियों को फांसी की सजा तक पहुंचाने के लिए कानून की पढ़ाई की. मौजूदा समय में धर्मेंद्र सिंह सेंगर एलएलबी फाइनल ईयर में हैं.
धर्मेंद्र का कहना है कि वह केस की अच्छी तरह से पैरवी कर के एकएक आरोपी को फांसी की सजा तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे, ऐसा दृढ़ निश्चय उन्होंने कर रखा है. इसीलिए वह कानून की पढ़ाई कर रहे हैं.
वहीं दूसरी ओर पिंटू सेंगर का केस लड़ रहे वकील संदीप शुक्ला ने राशिद कालिया के एनकाउंटर के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी है.
संदीप शुक्ला ने कहा, ”राशिद कालिया ने भाड़े पर इतने मर्डर किए कि उस का पुलिस रिकौर्ड कहीं भी दर्ज तक नहीं है, आज तक उन का खुलासा भी नहीं हो पाया है. इस तरह के शूटर का एनकाउंटर जनता के लिए राहत की बात है. इस तरह के अपराधियों को पालने वाले पप्पू स्मार्ट जैसे अपराधियों को संरक्षण देने वालों के खिलाफ भी कड़ी से कड़ी काररवाई होनी चाहिए.’’
(कहानी पुलिस सूत्रों पर आधारित, कथा में मनोहर नाम परिवर्तित है.)
सुपारी किलर राशिद कालिया मूलरूप से उत्तर प्रदेश के शहर महोबा का रहने वाला था, लेकिन कानपुर में ही उस का बचपन बीता था और कानपुर से ही उस ने अपराध जगत में अपना पहला कदम रखा था.
उस का बचपन कानपुर बेगमपुरवा के जम्मे वाली पार्क से क्रिकेट खेलने से शुरू हुआ था. कुछ मोहल्ले की आबोहवा ऐसी थी कि अपनी दबंगई से राशिद उर्फ कालिया ने बम बनाना सीखा और फिर यहीं से उस के अपराध की दुनिया में कदम रखा था.
राशिद की लंबाई जब औसत से कुछ ज्यादा हुई तो लोग उसे राशिद ऊंट के नाम से जानने लगे. बातबात पर बमबाजी और गोली चलाना उस का शौक बन गया था. यहीं से उस की दहशत का दौर शुरू हुआ और उस के बाद उसे चरस, स्मैक की लत लग गई.
तब उस समय के क्रिमिनल शफीक बोल्ट, सरताज चिट्ठा, पप्पू चिकना और रईस हनुमान का उस ने साथ पकड़ लिया. कुछ दिनों तक इन शातिर अपराधियों की शागिर्दी करने के बाद राशिद का कद बढ़ता चला गया.
राशिद कालिया के खिलाफ 20 साल पहले कानपुर के चकेरी थाने में पहला मुकदमा दर्ज हुआ था. इस के 15 साल के बाद झांसी में मोहसिन के अपहरण के बाद हत्या से उस का नाम चर्चा में आया था. अपराध की दुनिया में उस ने फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और एक के बाद एक हत्याएं करता चला गया. कई हत्याओं में तो पुलिस उस का सुराग भी नहीं लगा सकी.
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प्रेमिका के पिता के साथ बनाया था भोर के लुटेरों का गैंग
राशिद कालिया की इसी बीच रेलवे कालोनी में रहने वाले एक अपराधी से नजदीकियां बढ़ीं और उस के घर आनेजाने के दौरान उस की बेटी से मोहब्बत शुरू हो गई. उस के बाद राशिद ने अपनी प्रेमिका के पिता के साथ ही भोर के लुटेरों का गैंग खड़ा कर दिया था.
चुन्नीगंज बस अड्डे से निकलने वाले कारोबारी, रेलवे स्टेशन से निकलने वाले यात्रियों से लूटपाट करने वाले इस राशिद के गैंग ने पुलिस की नाक में दम कर के रख दिया था.
वेश बदलने में माहिर प्रेमिका के पिता और राशिद ने मिल कर माल रोड पर विल्स सिगरेट कंपनी के कैश को लूटा. इस के बाद इस गैंग ने पीछा कर के दोपहिया वाहनों की लूट और चेन स्नैचिंग की ताबड़तोड़ कई वारदातों को अंजाम दिया.
राशिद उर्फ कालिया के खिलाफ सब से पहला मुकदमा चकेरी थाने में 2003 में दर्ज हुआ था. इसी साल दूसरा मुकदमा भी चकेरी थाने में, फिर 2006 में रेलबाजार थाने और फिर एक के बाद एक 13 मुकदमे राशिद कालिया के खिलाफ दर्ज हो गए थे.
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10 जिलों में थी राशिद कालिया की दहशत, उस के बाद पेशेवर शूटर बन गया
यूपी एसटीएफ के अनुसार छोटेमोटे अपराध करने वाले राशिद कालिया की 2009 में झांसी में मोहसिन के अपहरण और हत्या के बाद पेशेवर शूटर के रूप में उस की पहचान उभरने लगी. एक के बाद एक उस ने भाड़े में कई हत्याओं को अंजाम दिया.
कानपुर, झांसी से ले कर उत्तर प्रदेश के 10 से ज्यादा जिलों में उस ने कई हत्याएं कीं और फिर फरार हो गया. कोई पता ही नहीं लगा सका था कि आखिर ये हत्याएं किस ने की थीं.
शार्प शूटर राशिद उर्फ कालिया इतने शातिराना अंदाज में वारदात को अंजाम देता था कि उस का सुराग लगाना पुलिस के लिए बड़ा मुश्किल हो जाता था. यही वजह है कि राशिद कालिया ने दरजनों मर्डर किए, लेकिन उन के सुराग पुलिस की लिखापढ़ी में आज भी दर्ज तक नहीं हैं.
एक से 10 लाख रुपए में राशिद कालिया हत्या की सुपारी ले लिया करता था. पिंटू सेंगर का प्रोफाइल बड़ा होने के कारण उस ने 10 लाख रुपए की सुपारी ली थी और अपने गैंग के साथ पिंटू सेंगर को बीच चौराहे पर घेर कर हत्या कर के फरार हो गया था.
ठिकाने बदलने में माहिर था राशिद कालिया
उत्तर प्रदेश के झांसी में हुए एसटीएफ के एनकाउंटर में मारा गया राशिद कालिया बिना मोबाइल और सोशल मीडिया एकांउट के भी अपराध के कौन्ट्रैक्ट ले लेता था. उस ने शहर में 4 ठिकाने बना रखे थे, जहां से वह सुपारी उठाता था. इन ठिकानों पर ही उसे कौन्ट्रैक्ट मिलते थे और फिर वहीं पर उसे रकम भी मिल जाती थी. अपराध से कमाई गई रकम राशिद उर्फ कालिया अपने ससुराल वालों व घर वालों के बीच बांट दिया करता था.
वह अपना कोई भी फोन नहीं रखता था लेकिन कौन्ट्रैक्टर को पता रहता था कि राशिद के लिए मैसेज कहां भेजना है. राशिद कालिया के इन ठिकानों के बारे में एसटीएफ ने उत्तर प्रदेश पुलिस को जानकारी दी है. उस के बाद उन पर विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है.
राशिद की एक खास बात और थी कि वह घटना को अंजाम दे कर दोबारा फिर उसी ठिकाने पर पहुंच जाता था और वहां से कौन्ट्रैक्ट देने वालों से पैसे लेने के बाद फिर से अंडरग्राउंड हो जाता था.
शहर में उस ने बाबूपुरवा, बजरिया, चिश्ती नगर और चमनगंज में ठिकाने बना रखे थे. एसटीएफ के प्रवक्ता के अनुसार सन 2004 में बाबूपुरवा क्षेत्र में एक हत्या हुई थी, उस में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी. उस केस में पुलिस को राशिद के शामिल होने की पूरी आशंका थी, मगर पुलिस को राशिद के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले थे.
लगभग 8-9 साल पहले लखनऊ के चिनहट में राशिद कालिया ने एक डकैती की घटना को अंजाम दिया था, मगर इस मामले में वह दूसरे नाम से जेल चला गया था. बाद में पुलिस को इस बात की जानकारी हुई, मगर तब तक वह जमानत पर बाहर आ गया था.
आपराधिक घटनाओं में राशिद हर महीने लाखों रुपए कमा लेता था, मगर खुद पर उस का केवल हजार रुपए माह का खर्चा था. राशिद का ससुर बस चलाता था. राशिद और उस के ससुराल वाले घर बदलने में बड़े माहिर थे. हर 3-4 महीने में वह अपने ठिकाने बदल लेते थे, ताकि पुलिस उन्हें परेशान न कर सके.
40 लाख में ली थी बसपा नेता नरेंद्र सेंगर की सुपारी
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के जन्मदिन पर चर्चा में आए बसपा नेता नरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सेंगर जिस ने मायावती को चांद पर जमीन उपहार में देने की बात कही थी, उस की 20 जून, 2020 की दोपहर को हत्या कर दी गई थी.
मूलरूप से गोगूमऊ निवासी नरेंद्र सिंहउर्फ पिंटू सेंगर चकेरी के मंगला विहार में परिवार के साथ रहता था और छात्र राजनीति के बाद राजनीतिक दलों में सक्रिय हो गया था. बसपा की सीट पर पिंटू सेंगर छावनी क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव लड़ा था. उस समय उस की मां शांति देवी गजनेर की कठेठी से जिला पंचायत सदस्य थीं और पिता सोने सिंह गोगूमऊ के प्रधान थे.
गैंगस्टर रहे पिंटू सेंगर की हत्या (Pintu Sengar Murder) जिन 4 शूटरों ने की थी, उन में राशिद कालिया (Rashid Kalia) मुख्य आरोपी था. सवा लाख के इनामी बदमाश राशिद कालिया ने ही कट्टा अड़ा कर आखिरी गोली दागी थी पिंटू सेंगर को. पिंटू को कुल 19 गोलियां मारी गई थीं.
वारदात में 4 शूटरों राशिद कालिया उर्फ वीरू के अलावा सलमान बेग, फैसल कुरैशी और एहसान शामिल थे. चारों अपराधी पिंटू पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा कर जब भाग रहे थे, तभी पिंटू सेंगर को जमीन से खड़ा होते देख बाइक सवार राशिद कालिया (Sharp Shooter Rashid Kalia) दोबारा पिंटू सेंगर के पास आया और उस के सीने पर कट्टा सटा कर उसे आखिरी गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया था.
उत्तर प्रदेश एसटीएफ (UP STF) के एनकाउंटर स्पैशलिस्ट (Encounter Specialist) इंसपेक्टर घनश्याम यादव (Inspector Ghanshyam Yadav) एक विशेष गश्त पर थे, तभी उन का मोबाइल फोन बजने लगा. इंसपेक्टर यादव ने मोबाइल पर नंबर देखा तो वह उन के विश्वस्त मुखबिर मनोहर (परिवर्तित नाम) का नंबर था.
”हां, कहो मनोहर कैसे फोन किया?’’ इंसपेक्टर यादव ने फोन रिसीव करते हुए कहा.
”हुजूर एक खास खबर है,’’ मनोहर ने फुसफुसाते हुए कहा.
”खबर क्या है बताओ न!’’ इंसपेक्टर ने पूछा.
”साहब, खबर बहुत बड़ी और बहुत गोपनीय है. मिल कर ही बता सकता हूं. आप बताइए, आप अभी कहां पर हैं?’’ मनोहर ने कहा.
इंसपेक्टर घनश्याम यादव ने मुखबिर को अपने पास बुला लिया. थोड़ी ही देर बाद मनोहर ने पहुंच कर जो खबर इंसपेक्टर यादव को दी, वह भी सुन कर एकदम चौंक से गए थे.
इंसपेक्टर धनश्याम यादव ने तुरंत मनोहर को अपनी गाड़ी में बिठाया और सीधे डीएसपी संजीव कुमार दीक्षित के पास ले गए. संजीव दीक्षित ने जब यह खबर सुनी तो फिर सीधे एसटीएफ के अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) अमिताभ यश तक पहुंच गई. उन्होंने इस खबर का तत्काल संज्ञान लेने के लिए उचित दिशानिर्देश जारी कर दिए.
पिछले काफी समय से एसटीएफ के अपर पुलिस महानिदेशक अमिताभ यश (ADG Amitabh Yash) के निर्देश पर इनामी और भाड़े पर हत्या करने वाले दुर्दांत अपराधियों की धरपकड़ के लिए एक विशेष अभियान चला रहे थे, जिस के सुखद परिणाम सामने भी आ रहे थे.
कानपुर में 3 साल पहले बीएसपी नेता और प्रौपर्टी डीलर पिंटू सेंगर की हत्या में राशिद कालिया उर्फ घोड़ा का नाम आया था. एफआईआर में राशिद कालिया आरोपी भी था. लंबे समय से पुलिस को उस की तलाश थी, लेकिन सफेदपोशों के तगड़े नेटवर्क के कारण राशिद कालिया हर बार पुलिस से बचता चला आ रहा था.
इस दुर्दांत अपराधी की खबर सुनने के बाद एसटीएफ के डिप्टी एसपी संजीव दीक्षित और इंसपेक्टर घनश्याम यादव ने मऊरानी पुलिस टीम के साथ झांसी में डेरा डाल दिया. 18 नवंबर, 2023 मंगलवार की सुबह मुखबिर की सटीक सूचना पर जब उत्तर प्रदेश की एसटीएफ ने पुलिस टीम के साथ झांसी के मऊरानीपुर में जब राशिद उर्फ कालिया की चारों तरफ से घेराबंदी की तो दुर्दांत अपराधी राशिद ने एसटीएफ की टीम पर ही गोलियों की बौछार कर दी.
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बदमाश की तरफ से चलाई गोली टीम का नेतृत्व कर रहे डिप्टी एसपी संजीव कुमार दीक्षित और एसटीएफ के इंसपेक्टर घनश्याम यादव को लगी. दोनों ही अधिकारी चूंकि बुलेटप्रूफ जैकेट पहने हुए थे, इसलिए उन्हें ज्यादा नुकसान नहीं हुआ. दोनों पुलिस अधिकारी घायल हो गए.

इस के बाद एसटीएफ ने स्वचालित हथियारों से राशिद पर फायरिंग करनी शुरू कर दी. एसटीएफ की तरफ से की गई फायरिंग में गोली राशिद कालिया को लग गई और वह जमीन पर गिर पड़ा.
गंभीर हालत में राशिद कालिया को उपचार के लिए मऊरानीपुर सीएचसी ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद डाक्टरों ने उसे झांसी मैडिकल कालेज के लिए रेफर कर दिया. झांसी मैडिकल कालेज में डाक्टरों ने राशिद उर्फ कालिया को मृत घोषित कर दिया.
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लखनऊ में एसटीएफ के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) अमिताभ यश ने मीडिया को विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि राशिद उर्फ कालिया की पहचान सुनिश्चित करना बड़ा मुश्किल था, क्योंकि उत्तर प्रदेश पुलिस के पास पिछले 20 सालों से राशिद उर्फ कालिया की कोई तसवीर नहीं थी. पुलिस कई वर्षों से इस अज्ञात अपराधी का पीछा कर रही थी.
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों की मदद से कालिया की पहचान का पता लगाया गया, जिन्होंने उस की पहचान की और 18 नवंबर शनिवार सुबह करीब 7 बजे झांसी के मऊरानीपुर इलाके के पास उस के स्थान और गतिविधि के बारे में जानकारी दी, जहां पर वह एक व्यक्ति को मारने की सुपारी लेने के बाद उसे निशाना बनाने आया था.
राशिद उर्फ कालिया अपने खतरनाक मंसूबे में एक बार फिर कामयाब होता, इस से पहले ही एसटीएफ ने उस की घेराबंदी कर दी.
एडीजी अभिताभ यश ने कहा कि मारे गए बदमाश राशिद कालिया पर 40 हत्याओं सहित कई आपराधिक मामले थे और उस पर कानपुर पुलिस कमिश्नरेट से एक लाख रुपए का और झांसी पुलिस की ओर से 25 हजार रुपए का इनाम घोषित था. उन्होंने कहा कि कालिया के आपराधिक रिकौर्ड में कई हाईप्रोफाइल मामले शामिल थे.
इस में सब से उल्लेखनीय मामला वर्ष 2020 में कुख्यात गैंगस्टर से राजनेता बने पिंटू सेंगर की हत्या का था. एडीजी ने बताया कि राशिद कालिया कानून से बचने के लिए हमेशा लोप्रोफाइल रहता था, इस में उसे विशेषज्ञता हासिल थी. उस के नाम अकेले कानपुर में 13 गंभीर अपराध दर्ज थे.
राशिद कालिया महोबा का मूल निवासी था, लेकिन वह कानपुर, लखनऊ और झांसी में भी सक्रिय था. गिरफ्तारी से बचने के लिए वह अकसर अपना स्थान बदलता रहता था.
उन्होंने कहा कि आरोपी के पास से पुलिस ने एक फैक्ट्री निर्मित पिस्तौल, 2 बुलेट मैगजीन, एक देसी बंदूक और साथ ही उस के पास से कारतूस और एक बाइक बरामद की. यह वही बाइक थी, जिस पर राशिद कालिया मुठभेड़ के समय सवार था.
यूपी एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश राशिद कालिया एनकाउंटर के बाद फिर सुर्खियों में आ गए. अब तक अमिताभ यश ने डकैत ददुआ और विकास दुबे सहित कई नामी अपराधियों को मार गिराने में सफलता अर्जित की है. माफिया अतीक अंसारी के बेटे का एनकाउंटर करने में भी वह काफी चर्चा में आए थे.
पिछले साल उत्तर प्रदेश में 8 आईपीएस अधिकारियों का तबादला और प्रमोशन किया गया था, जिन में अमिताभ यश भी शामिल थे. पहले आईजी के पद पर रह चुके अमिताभ यश को 2022 में एसटीएफ (स्पैशल टास्क फोर्स) का चीफ नियुक्त किया गया था.