महिला सिपाही की खून से लथपथ लाश फर्श पर पड़ी थी. किसी ने बिस्तर से चादर उठा कर लाश के ऊपर डाल दी थी. पते की बात यह थी कि उस का पति कमरे या आसपास कहीं नजर नहीं आ रहा था.

बिस्तर पर महिला सिपाही की वरदी और एक बैग पड़ा हुआ था. नीचे फर्श पर एक मीटर के इर्दगिर्द में सिंदूर बिखरा पड़ा था. वरदी पर लगी नेमप्लेट से मृतका का नाम शोभा कुमारी पता चला. और तो और वरदी के पास ही 2 कट्टे (तमंचे) पड़े थे, जबकि नीचे फर्श पर एक कारतूस का खोखा पड़ा था.

पुलिस ने इसी से अनुमान लगाया कि हत्यारे ने इसी कट्टे से गोली मार कर इस की हत्या की होगी. पुलिस ने दोनों कट्टे और फायरशुदा खोखा अपने कब्जे में ले लिया.

20 अक्तूबर, 2023 की सुबह के 10 बज रहे थे. पटना में स्टेशन रोड पर स्थित होटल मीनाक्षी के कमरा नंबर-305 के मुसाफिर संजय कुमार अपना कमरा चेकआउट करने के लिए तैयार थे.

उन्होंने रिसैप्शन पर फोन कर के मैनेजर को बता दिया था कि एक बार आ कर वह कमरा चैक कर लें, वह रूम छोड़ रहे हैं. मैनेजर विकास ने कहा कि परेशान न हों, मैं अपने कर्मचारी को कमरे में भेज रहा हूं. वह चैक कर लेगा. फिलहाल थोड़ी देर के लिए कमरे से कहीं जाइएगा मत.

कुछ देर बाद कुछ सोच कर मैनेजर विकास कुमार किसी और को न भेज कर खुद ही कमरा चैकआउट करने तीसरी मंजिल पर स्थित कमरा नंबर-305 की ओर लिफ्ट में सवार हो कर पहुंचा, जहां लिफ्ट थी. वहां से कमरा नंबर-305 करीब 5 मीटर दूर पश्चिम की ओर था. वहां गैलरी से हो कर जाना होता था. उस गैलरी से हो कर मैनेजर जब आगे बढ़ा तो देखा कमरा नंबर-303 का दरवाजा अधखुला था.

भीतर कोई हलचल होती न देख कर मैनेजर विकास कुमार को कुछ शक हुआ तो वह कमरे में दाखिल हुआ. कमरे में महिला सिपाही की नग्नावस्था में खून से सनी लाश फर्श पर पड़ी हुई थी. उस की वरदी बिस्तर पर पड़ी थी.

होटल मीनाक्षी स्टेशन रोड स्थित कोतवाली थाने में पड़ता है. मैनेजर विकास ने फोन कर के घटना की सूचना कोतवाली थाने के इंसपेक्टर कौशलेंद्र सिंह को दे दी थी. घटना की सूचना मिलते ही वह आननफानन में कुछ पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. घटनास्थल पहुंच कर इंसपेक्टर सिंह ने सब से पहले कमरे का मुआयना किया.

किस ने की सिपाही की हत्या

पता चला कि कमरा 19 अक्तूबर को किसी गजेंद्र कुमार यादव ने अपने और अपनी पत्नी शोभा कुमारी के नाम पर बुक कराया था, जो जहानाबाद जिले के काको थानाक्षेत्र के दमुआ गांव का निवासी था.

इस के बाद इंसपेक्टर सिंह ने जिले के सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को यह जानकारी दे दी थी. घटना की सूचना पा कर एसपी (सिटी) वैभव शर्मा, डीएसपी (कानून व्यवस्था) कृष्ण मुरारी प्रसाद मौके पर पहुंच गए थे. मौके से मृतका का पति गजेंद्र फरार था. इस से यही अनुमान लगाया जा रहा था कि घटना को अंजाम देने में उसी का हाथ होगा.

पुलिस ने काररवाई पूरी कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेजवा दिया और अज्ञात हत्यारे के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया और गजेंद्र की तलाश के लिए एक पुलिस टीम गठित कर के जहानाबाद भेज दी. खोजबीन करती हुई पटना पुलिस 22 अक्तूबर, 2023 को काको थाने पहुंची. काको थानेदार अजीत कुमार के साथ आरोपी गजेंद्र के घर दमुआ में दबिश दी. गजेंद्र घर पर नहीं मिला.

बताते चलें कि गजेंद्र यादव के पिता रामाशीष यादव पहले गांव के चौकीदार थे. उन को कैंसर हो गया था. वे ज्यादातर बेडरेस्ट पर रहते थे.

रामाशीष ने बताया, ”साहब, वह मेरे लिए कैंसर की दवा लेने के लिए 17 अक्तूबर को दिल्ली चला गया था और दवा ले कर 1-2 दिन में आ जाएगा.’

पुलिस ने बताया कि वह अपनी पत्नी की हत्या करने के बाद फरार है. पुलिस द्वारा बहू की हत्या की जानकारी मिलते ही घर में कोहराम मच गया. घर में रोनाधोना शुरू हो गया.

पुलिस ने पकड़ी गजेंद्र की दुखती नस

फिलहाल गजेंद्र के न मिलने पर पटना पुलिस जहानाबाद से पटना खाली हाथ वापस लौट आई, लेकिन काको थाने को उस पर कड़ी नजर रखने को कह दिया.

करीब सप्ताह भर बाद यानी 28 अक्तूबर, 2023 को पुलिस ने कैंसर से पीडि़त पिता को हिरासत में ले लिया. पिता को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर ले जाने की सूचना किसी तरह गजेंद्र तक पहुंच गई तो उस ने 30 अक्तूबर, 2023 को जहानाबाद की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया.

आरोपी गजेंद्र के आत्मसमर्पण करने की सूचना मिलते ही पहली नवंबर, 2023 को पटना पुलिस टीम जहानाबाद के लिए रवाना हो गई और आरोपी गजेंद्र को अदालत के सामने पेश कर उसे ट्रांजिट रिमांड पर ले कर वहां से पटना के लिए वापस रवाना हो गई. 2 घंटे तक चली कड़ी पूछताछ में आरोपी गजेंद्र ने पुलिस के सामने घुटने टेक दिए और अपना जुर्म कुबूल कर लिया.

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पुलिस द्वारा पूछताछ में इस हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, उस से यही पता चलता है कि शोभा ने अपने हाथों खुद ही अपनी बदनसीबी की दर्दनाक पटकथा लिखी थी, जो इस तरह थी—

इस तरह हुआ गजेंद्र को शोभा से प्यार

30 वर्षीय गजेंद्र यादव मूलरूप से बिहार के जहानाबाद जिले के काको थानाक्षेत्र के गांव दमुआ का रहने वाला था. अपने 2 भाइयों में गजेंद्र बड़ा था. जितना पढऩे में गजेंद्र अव्वल था, उतना ही अपने अच्छे व्यवहार से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में महारथी था.

अपनी अलग पहचान बनाने के लिए उस ने घर से कुछ दूर कुर्था मोहल्ले में कोचिंग सेंटर खोल दिया. उस समय उस की उम्र 23-24 साल के आसपास रही होगी. उस का कोचिंग सेंटर चल निकला. बच्चों को वह मैथ और साइंस की कोचिंग देता था.

उस के कोचिंग सेंटर में मोहल्ले के अनेक लड़के लड़कियां कोचिंग के लिए आने लगे. शोभा भी गजेंद्र की कोचिंग सेंटर में आती थी. यह बात साल 2018 के आसपास की थी. उसी दौरान उसे शोभा से प्यार हो गया.

गजेंद्र जैसे प्रेमी को पा कर शोभा बहुत खुश थी और उस से शादी करने के लिए तैयार हो गई थी. एक दिन समय देख कर गजेंद्र ने अपने पिता से अपने और शोभा के रिश्ते की जानकारी दे कर शादी करने की अपनी इच्छा जाहिर की तो उन्होंने इजाजत दे दी. लेकिन उस के सामने एक शर्त यह रखी कि शादी के बाद पत्नी को ले कर यहां पुश्तैनी मकान में नहीं रहोगे.

गजेंद्र ने अपने प्यार को पाने के लिए पिता की इस शर्त पर अपनी स्वीकृति की मोहर लगा दी और शोभा से कोर्ट मैरिज कर के शहर में किराए का कमरा ले कर उस के साथ रहने लगा.

गजेंद्र का किस ने और क्यों किया अपहरण

गजेंद्र के पिता रामाशीष यादव की ऐसा करने के पीछे एक बड़ी और खास वजह थी. दरअसल, जब गजेंद्र 13 साल का था तो उस का अपहरण हो गया था. अपहरण एक लड़की के पिता ने किया था अपनी बेटी से शादी करने के लिए. बिहार में आज भी यह प्रचलन जारी है कि लोग अच्छे परिवार के लड़के का अपहरण कर अपनी बेटी के साथ जबरन उस की शादी कर देते हैं.

गजेंद्र की भी जबरन शादी करा दी गई थी. शादी कराने के बाद लड़की के घर वालों ने उसे उस के घर तक पहुंचा दिया था. समाज के रीतिरिवाजों को मानने वाले रामाशीष ने भी इस शादी पर मोहर लगा दी थी और लड़की को बहू का दरजा दे दिया था, जबकि गजेंद्र के दिल को इस घटना से ठेस पहुंची थी. उसे पत्नी नहीं स्वीकार किया था. इस से उस के पिता काफी नाराज रहते थे.

इस बात को ले कर बापबेटे के बीच काफी रस्साकशी भी चलती रही. बाद के दिनों में गजेंद्र और उस की पत्नी के बीच तलाक हो गया था. तलाक के बाद दोनों अलगअलग हो गए थे.

शोभा अतिमहत्त्वाकांक्षी युवती थी. गजेंद्र उस की महत्त्वाकांक्षाओं को अच्छी तरह पहचानता था. इसी बीच गजेंद्र एक बेटी का पिता बना. बेटी के आने से घर में खुशहाली आ गई.

उन दिनों बिहार में पुलिस की बड़ी पैमाने पर वैकेंसी निकली थी. गजेंद्र ने पत्नी शोभा को अप्लाई करा दिया. उस की मेहनत से बिहार पुलिस में वह भरती हो गई. इस के लिए गजेंद्र ने अपने हिस्से की 5 बीघा जमीन भी बेच दी थी. अपना कारोबार और अपना जीवन सब कुछ दांव पर लगा दिया था.

उस का सोचना था कि उस की भी प्राइवेट जौब है. अगर दोनों में से किसी एक की भी सरकारी नौकरी हो जाए तो जीवन सरल हो जाएगा. यही सोच कर उस ने पत्नी को नौकरी के लिए प्रेरित किया था.

शोभा की टे्रनिंग पटना में हो रही थी.  बेटी दादा दादी के पास रहती थी. उसे जब ट्रेनिंग से थोड़ा वक्त मिलता तो 1-2 दिन के लिए बेटी से मिलने जहानाबाद स्थित घर आ जाया करती थी या फिर गजेंद्र ही पत्नी से मिलने पटना चला जाया करता था.

ट्रेनिंग के दौरान ही शोभा को वहीं पर एसएसबी की तैयारी कर रहे धीरज से प्यार हो गया. यह घटना से करीब एक साल पहले की बात है. शोभा अपने परिवार के प्रति अति लापरवाह होती जा रही थी. शोभा की ये बातें पता नहीं क्यों गजेंद्र को अजीब लग रही थीं. वह सोचता कि ऐसी कौन सी मां होगी जो अपने बच्चे से मिलने तक के लिए वक्त नहीं निकाल सकती.

बात पहली जुलाई, 2023 की है. गजेंद्र किसी काम से पटना आया था. उस ने यह बात पत्नी को नहीं बताई थी. दोपहर के वक्त गजेंद्र ने देखा एक बाइक पर किसी युवक के साथ उस की पत्नी कहीं जा रही थी. जिस युवक के साथ वह जा रही थी, उस का न तो गजेंद्र के साथ कोई रिश्ता था और न ही वह उस कोई रिश्तेदार ही था. यह देख उस का माथा ठनक गया.

शोभा के इस कदम से गजेंद्र डिप्रेशन में चला गया और बुझाबुझा सा रहने लगा. गजेंद्र इस कदर डिप्रेशन में चला गया था कि खुद को अकेला समझने लगा था. गजेंद्र डिप्रेशन से बिलकुल टूट चुका था. अब उस में पत्नी की बेवफाई का दर्द सहने की क्षमता रह नहीं गई थी, इसलिए वह जल्द से जल्द किसी नतीजे पर पहुंच जाना चाहता था.

इसी बीच गजेंद्र ने एक खतरनाक फैसला ले लिया था कि अगर शोभा मेरी नहीं हुई तो उसे किसी और की भी नहीं होने देगा. उसे मरना ही होगा.

अक्तूबर के महीने में दुर्गा पूजा थी. टे्रनिंग के दौरान शोभा की ड्यूटी कोतवाली क्षेत्र में लगी थी. यह बात गजेंद्र को पता चल चुकी थी. 17 अक्तूबर, 2023 को गजेंद्र पिता के कैंसर की दवा लेने के लिए जहानाबाद से दिल्ली के लिए निकला, लेकिन दिल्ली जाने के बजाय वह पटना आ गया. बेटी को उस ने छोटे भाई की जिम्मेदारी पर छोड़ दिया था.

होटल में दोनों के बीच क्या हुआ

19 अक्तूबर को वह पटना आ गया. पटना में उस ने स्टेशन रोड पर मीनाक्षी होटल में एक कमरा पतिपत्नी के नाम बुक कराया. उसे ठहरने के लिए कमरा नंबर-303 मिला. उस के पास एक पिट्ठू बैग था. उस में एक जोड़ी कपड़ा रखे थे. उन्हीं कपड़ों के बीच लोडेड 2 देसी तमंचे रख लिए थे.

रात में जब वह घूमफिर कर होटल लौटा तो 9 बजे के करीब उस ने पत्नी शोभा को फोन किया और उस का हालचाल लिया. उस ने उस से कहा कि वह स्टेशन रोड के होटल में ठहरा हुआ है. थोड़ी ही देर के लिए होटल में आ जाए. पति के कई बार आग्रह पर शोभा ने सुबह मिलने के लिए कह दिया.

अगली सुबह 8 बजे शोभा होटल पहुंची. उस समय गजेंद्र पूरी तरह तैयार हो चुका था और बैग से दोनों तमंचे निकाल कर कमर में खोंस लिए थे. शोभा कमरे में जैसे ही घुसी उसे बिना सिंदूर के देख उस का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया. इस बात को ले कर दोनों के बीच विवाद छिड़ गया.

गजेंद्र अपने साथ सिंदूर की डिबिया भी ले कर गया था. वह अपने हाथों से पत्नी की मांग में सिंदूर भरना चाहता था, लेकिन शोभा तैयार नहीं हुई और दोनों के बीच हाथापाई होने लगी. इसी दौरान गजेंद्र के हाथ से सिंदूर की डिबिया छूट कर नीचे फर्श पर जा गिरी और सिंदूर फर्श पर बिखर गया.

यह देख कर तो गजेंद्र एकदम पागल सा हो गया. उस ने आव देखा न ताव, कमर में खोंस रखा कट्टा निकाला और उस के सीने पर गोली मार दिया. गोली लगते ही शोभा नीचे फर्श पर जा गिरी और काल के गाल में समा गई.

इस के बाद उस ने दोनों असलहे बिस्तर पर रख दिए और पत्नी की वरदी उस के जिस्म से उतार कर बैड पर रख दी. फिर कमरे से 9 बज कर 32 मिनट पर बड़े आराम से अपना बैग ले कर दिल्ली के लिए रवाना हो गया.

गजेंद्र से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे जेल भेज दिया. कथा लिखने तक पुलिस गजेंद्र के खिलाफ आरोप पत्र तैयार कर न्यायालय में पेश करने की तैयारी में थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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