MP Crime News : सैक्स की चाहत के लिए किया गया प्रेम न केवल अनैतिक और विरोध का तानाबाना बुन लेता है, बल्कि प्रेमी युगल को नाजायज और नापाक राह पर ले जाता है. ऐसा ही कुछ 21 वर्षीय रानू मेहर और रामनिवास सोलंकी के साथ हुआ, जिस के बाद…
रामनिवास सोलंकी अपने घर की छत पर अकेला बैठा था. शाम का अंधेरा घिरने में अभी वक्त था. एकदम तन्हाई में डूबा हुआ था. सामने दूर तक गांव का नजारा वहां से दिख रहा था. उस की पतली पगडंडियों पर गाहेबगाहे उस की नजर ठहर जाती थी. वहां इक्कादुक्का लोगों का आनाजाना हो रहा था. उन में अधिकतर गांव की ओर आने वाले ही थे.
अचानक उस की निगाह कंधे से बैग लटकाए एक युवती पर ठहर गई. वह उस की जानीपहचानी थी और गांव से बाहर जाती दिख रही थी. वह उस के बारे में सोचने लगा, ‘रानू मायके कब आई थी? अब कहां जा रही है?…शायद ससुराल?…आई थी तब उस ने मुझे कौल क्यों नहीं की?…पता लगाना होगा कि क्या बात है?’
रामनिवास चाहता तो वहीं से उसे आवाज दे सकता था, लेकिन उस ने अपने मोबाइल से उसे कौल कर दिया. कुछ सेकेंड तक रिंग जाने के बाद कौल डिसकनेक्ट हो गई. उस ने सोचा कि शायद उस का मोबाइल बैग में होगा. उस का अनुमान सही था. देखा युवती कुछ सेकेंड में ही अपने बैग से मोबाइल निकाल चुकी थी.
अगले पल रामनिवास के फोन पर रिंग बजने लगी थी. उस ने तुरंत कौल रिसीव कर ली.
”हां जानू! तुम कब आई…बताया नहीं… मिले बगैर जा रही हो!’’
”आज ही दिन में आई थी…जल्दी लौटना है…फिर आऊंगी.’’ जवाब देने वाली युवती रानू मेहर रामनिवास के गांव की ही थी. तालाब के दूसरी छोर पर उस का मायका था. उन की पुरानी और गहरी जानपहचान थी. उन के बीच सालों से प्रेम संबंध में ताजगी बनी हुई थी, जबकि युवती पास के ही गांव में ब्याही थी. शादीशुदा हो कर भी उस का दिल और दिमाग रामनिवास के दिल में ही अटका हुआ था.
”तो फिर मिली क्यों नहीं?’’ रामनिवास ने मायूसी से शिकायत की.
”क्या करती मिल कर, तुम मेरी बात मानते ही नहीं.’’
”कैसे मान लूं, तुम अब दूसरे की हो!’’
”चलो, अब फोन काटो,’’ बोलते हुए रानू ने कौल डिसकनेक्ट कर दी.
रानू का अचानक फोन कट जाने पर रामनिवास दुखी महसूस करने लगा. सोचने लगा कि आखिर वह उस से चाहती क्या है? मई की तपिश का महीना था. उस की इच्छा हुई कि तालाब के ठंडे पानी में नहा लिया जाए. इसी के साथ उस के मन में कई तरह के खयाल आते रहे. उन में बारबार रानू का चेहरा भी घूमता रहा. उस के साथ गुजारे गए हसीन लम्हों को याद करने लगा. तालाब में तैरते वक्त उसे याद आया कि कैसे उस ने इसी तालाब में रानू को तैरना सिखाने की पहल की थी.
बात 4 साल पहले की है. बरसात का मौसम था. रामनिवास सोलंकी गांव के तालाब में तैराकी कर रहा था. कुछ देर बाद जब वह तालाब से बाहर निकला, तब उस ने देखा कि उसे गांव की ही लड़की रानू मेहर निहार रही है. वह झेंप गया, लेकिन लड़की बोल पड़ी, ”तुम तो बहुत अच्छा तैरना जानते हो… मुझे भी तैरने का बहुत शौक है.’’
”तो सीख लो, किस ने रोका है.’’
”कैसे सीखूं…कोई लड़की तुम्हारी तरह अच्छी तैराक नहीं है.’’
”मैं सिखा दूं?’’
”हां, तुम सिखा दोगे मुझे तैरना!’’ रानू बोली.
”फीस लगेगी.’’ रामनिवास गमछे से अपना अधनंगा बदन पोंछता हुआ बोला.
”क्या फीस लोगे?’’
”तैराकी सिखाने के बाद बताऊंगा.’’
”बाद में मेरी जान मांग ली तो!’’
”तुम जैसी सुंदर लड़की की भला जान कौन मांगेगा?’’
”तो क्या मांगोगे?’’
”दिल?’’
”चल हट… बड़ा आया दिल लेने वाला!’’ रानू बोलती हुई शरमा गई थी.
”तैरना सीखना है तो बोलो, अभी से ही ट्रेनिंग शुरू कर देता हूं.’’
”हांहां सीखना है न, लेकिन डर लगता है…बाबू को मालूम हो गया तो वह मेरा गला घोंट देगा!’’ रानू आशंका जताती हुई बोली.
”बाबू को मालूम होगा तब न! दोपहर में सिखाऊंगा जब बाबू खेतों पर गए होंगे. चलो आ जाओ… पानी में उतरो.’’
”दूसरे कपड़े ले कर आती हूं.’’ रानू बोल कर अपने घर की ओर दौड़ पड़ी.
कुछ मिनटों में ही रानू पौलीथिन बैग में कपड़े ले कर तालाब के किनारे लौट आई थी. चंचल रानू को संभालता हुआ रामनिवास कमर तक पानी में उतर गया था. उस ने उस के दोनों हाथों को पकड़ कर एक झटके में डुबकी लगाई, जिस के लिए रानू शायद पहले से तैयार नहीं थी. जिस से उस के नाकमुंह में पानी घुस गया था. अपना हाथ छुड़ाती हुई दोनों हथेलियों से नाकमुंह में घुस आए पानी को साफ किया. चेहरा पोंछती हुई बोली, ”ऐसे तो तुम मुझे मार ही डालोगे…सांस नहीं ले पा रही थी.’’
”इतने में घबरा गई…यह तुम्हारा पहला सबक था. उस में पास हो गई…अब अगले स्टेप के लिए तैयार हो जाओ!’’ रामनिवास प्यार से बोला.
”लेकिन अचानक से पानी में डुबो दिया था!’’ रानू बोली. उस का कोई जवाब दिए बगैर रामनिवास ने उस की कमर में हाथ डाला और उसे अपनी दोनों हथेलियों पर उठा लिया. अब उस का चेहरा आसमान की ओर था.
”अपना सिर पानी में डूबने से बचाना है और दोनों पैरों को पानी पर पटकना है…’’
रानू इस निर्देश का पालन करने लगी. कुछ देर बाद रामनिवास ने उसे अचानक छोड़ दिया. तब तक वह और गहरे पानी तक चली गई थी. सीने तक पानी में गिर पड़ी. किसी तरह उस ने खुद को संभाला और रामनिवास से लिपट गई. उसे अजीब सी अनुभूति हुई. किसी मर्द की बाहों में आना 17 साल की रानू का पहला अनुभव था. रामनिवास के लिए भी गीले बदन में रानू को पकड़े रहने का पहला अनुभव था. दोनों कुछ कम पानी में आ गए थे. रामनिवास उस की कमर और पीठ को सहला रहा था, किंतु जल्द ही रानू उस से अलग हो कर पानी से बाहर आ गई. अपने कपड़ों की थैली उठाई और पास की झाड़ी के पीछे चली गई. ओट में जा कर अपने कपड़े बदले और जाने लगी.
कपड़े बदल कर जब वह निकली तो रामनिवास बोला, ”अब और नहीं सीखना है?’’
”आज नहीं.’’ कहती हुई रानू चली गई. उस के जाने के काफी देर बाद तक रानू के शरीर स्पर्श को वह याद करता रहा.
इसी के साथ एक सच यह भी था कि रानू और रामनिवास के दिलों की धड़कनें एकदूसरे के लिए धड़कने लगी थीं.
उस के बाद दोनों का दोपहर में घंटे दो घंटे तक तालाब के पानी में तैरना सीखनेसिखाने का सिलसिला चल पड़ा. वह समय उन के लिए एकदूसरे के साथ पानी में रोमांस करने का भी था. रानू कुछ हफ्ते में ही तैरना सीख चुकी थी. वह रामनिवास की ऐहसानमंद थी कि बगैर कोई फीस दिए उस ने उस से तैरना सीख लिया है. उस के प्रति प्रेम की कोमलता के एहसास से भर गई थी. रामनिवास का भी कमोबेश यही हाल था, लेकिन उस के दिल में प्यार का मतलब रानू की कमसिन देह भर से था. वह उस मौके की ताक में रहने लगा था कि कब रानू उसे अपना सर्वस्व समर्पित कर दे.
जल्द ही उसे वह मौका भी मिल गया. एक दफा जब दोनों एकांत में एकदूसरे की तारीफ करते हुए रोमांस की बातों में मशगूल थे, तब रामनिवास ने अपनी वासना की प्यास बुझाने के लिए रानू को राजी कर लिया था. उस रोज दोनों ने साथ जिएंगे साथ मरेंगे की कसमें भी खाईं. रामनिवास ने रानू के सिर पर हाथ रख कर परिवार और गांव के समाज के विरोध का सामना कर शादी रचाने की सौंगंध ली. उन के बीच महीने 2 महीने नहीं, बल्कि 4 साल तक प्रेम संबंध कायम रहे. हालांकि उन के बारे में गांव में चर्चा भी होने लगी थी, लेकिन कोई खुल कर उन का विरोध नहीं जताता था.
इस दौरान जब भी रानू रामनिवास से मिलती, तब छूटते ही शादी की बात छेड़ देती थी…और फिर उन के बीच एक खटास की भावना भर जाती थी. हालांकि रामनिवास प्रेमिका रानू को शादी का आश्वासन दे कर नई उम्मीद से भर देता था.
इसी बीच दोनों के प्रेम संबंध की सूचना रानू के परिवार तक जा पहुंची. उस के मम्मीपापा रानू के इस व्यवहार से खफा हो गए और वे जल्द से जल्द उस की शादी रचाने की कोशिश में लग गए. पापा ने उस के घर से निकलने पर पाबंदी लगा दी थी. उन का प्रयास सफल हुआ और रानू की शादी पास के गांव गरोठ में रहने वाले एक युवक से कर दी गई. शादी के बाद भी विवाहिता रानू मेहर का दिल रामनिवास सोलंकी में लगा रहा. वह चाहती थी कि वही उस का जीवनसाथी बने. जबकि रामनिवास गांव और परिवार में अपनी इज्जत बनाए रखना चाहता था. वह नहीं चाहता था कि उस के प्यारमोहब्बत के चलते 2 परिवारों के बीच तनाव का महौल कायम हो जाए.
रानू मेहर के मायके में सभी इस बात से निश्चिंत हो गए थे कि रानू का घर बस गया है. उस ने कुंवारेपन में जो गलतियां कीं, अब उस के गांव के रामनिवास से मिलने में किसी को कोई आपत्ति नहीं थी. वह बेरोकटोक रामनिवास के घर चली जाती, उस की फेमिली वालों के साथ हंसीमजाक करती. इसी तरह रामनिवास भी रानू के मायके आने के बाद उस के घर जा कर एक बार जरूर मिल आता या फिर वे अपने पुराने प्रेम को ताजा करने के लिए तालाब के किनारे घंटों समय गुजार लते थे.
दूसरी तरफ रानू मेहर इसी उम्मीद में रहती थी कि एक न एक दिन रामनिवास सोलंकी जरूर उस के साथ शादी रचाएगा. इस उम्मीद के साथ वह अपने गांव आती रहती थी और रामनिवास से शादी करने का दबाव बनाती थी. जबकि वह कई बार उस से कन्नी काट चुका था. उस के रानू से बचने का कारण भी था. बातोंबातों में वह कई बार धमकी भी दे चुकी थी. वह बोल चुकी थी कि अगर उस ने शादी नहीं की, तब पुलिस के पास चली जाएगी. रेप का मुकदमा कर देगी. हालांकि उस ने बात को संभाल लिया और बोली कि वह मजाक कर रही है. ऐसा वह उस के साथ हरगिज नहीं करेगी.
उस रोज तो बात आईगई हो गई थी, लेकिन रामनिवास के दिमाग में रेप में फंसाए जाने की आशंका के कीड़े ने काटना शुरू कर दिया था. यही कारण था कि वह उस से दूरी बनाए रखना चाहता था. वह रानू को भूलने की कोशिश तो कर रहा था, लेकिन जब वह मायके आती थी, तब उस के उस साथ गुजारे हसीन रोमांस की यादें ताजा हो जाती थीं. उस रोज भी वैसा ही कुछ हुआ था, जब रामनिवास छत पर तन्हा बैठा था और उस से मिले बगैर रानू चली गई थी. वह मन मसोस कर रह गया था. उस के ठीक एक हफ्ते बाद ही 25 मई को रानू फिर मायके आई थी. आते ही सीधे रामनिवास को फोन किया. उसे तुरंत मिलने के लिए बुलाया.
उस वक्त रामनिवास गांव से बाहर गया हुआ था. उस ने 2 घंटे बाद आने को कहा, लेकिन रानू ने मिलने की बेसब्री दिखाई और कहा कि घर से बाहर किसी एकांत जगत पर मिलना चाहती है. इस पर रामनिवास ने तालाब के किनारे रात होने पर मिलने को कहा. उस ने समय तय कर लिया और छिप कर आने को कहा.
रानू ने ऐसा ही किया. वह गांव वालों की नजरों से बचती हुई 25 मई, 2025 की रात करीब 10 बजे तालाब के किनारे ओट ले कर बैठ गई. जल्द ही रामनिवास भी वहां पहुंच गया. आते ही मजाक किया, ”जानू! तैरने चलें!’’
”मजाक मत करो, आज में बहुत सीरियस मूड में हूं.’’
”क्यों, क्या बात हुई, पति से झगड़ कर आई हो?’’ रामनिवास बोला.
पति से तो नहीं, लेकिन तुम से जरूर झगडऩे आई हूं.’’ रानू बोली.
उस के बोलने के अंदाज से रामनिवास को लगा कि उस की मजाक का उस ने गंभीरता से जवाब दिया है. वह कुछ पल के सन्न सा रह गया.
”क्यों तुम से नहीं झगड़ सकती? मैं तुम से बहुत नाराज हूं. तुम से बहुत शिकायत है…’’ रानू बिफरती हुई बोली.
”शिकायत? किस बात की?…मेरी बीवी हो जो तुम्हारी शिकायतों को दूर करूं?’’ रामनिवास भी उसी के लहजे में बोला.
”तुम्हारी यही बात मुझे पसंद नहीं आती…मैं तुम्हारी प्रेमिका हूं…पहली प्रेमिका…मैं ने तुम्हें अपना सब कुछ सुपुर्द कर दिया…और तुम कहते हो मैं क्यों तुम्हारी शिकायत सुनूं?’’ रानू बोली.
”यही कहने के लिए बुलाया था?’’
”किस से कहूं अपने दिल की बात?’’
”पति से?’’
”उसे पसंद नहीं करती! तुम को मेरा पति बनना होगा, वरना मैं तूफान मचा दूंगी….अब और बहाना नहीं चलेगा? बहुत हो गया तुम्हारा आश्वासन!’’ रानू मेहर बोले जा रही थी.
”इस तरह से बात करने की जरूरत नहीं है. मेरी भी मजबूरी है. अभी तुम से शादी नहीं कर सकता. मेरा कोई ठोस काम नहीं है. मुझे गांव में ही रहना है. खेती से आमदनी करनी है. अगर कहीं दूसरे शहर में कामधंधा मिल जाए, तब शादी की बात सोची जा सकती है.’’
”आज तुम अपने वादे से भी मुकर गए.’’
”ऐसा ही समझो…इसी में हम दोनों की भलाई है. हम लोग एक ही गांव के हैं. हम लोगों का घर 10-12 घरों के अंतर पर है. शादी कर हम लोग इसी गांव में कैसे रह पाएंगे? तुम अब शादीशुदा हो. मैं किसी ब्याहता को कैसे अपनी पत्नी बना सकता हूं. तुम्हारे मायके और ससुराल वाले हम पर मुकदमा ठोक देंगे, तब क्या होगा… कोर्टकचहरी के चक्कर में नहीं पडऩा चाहता.’’ रामनिवास ने अपने मन की बात कह दी. उस ने एक तरह से अपना फैसला ही सुना दिया कि वह अब उस के साथ शादी नहीं कर सकता.
”कोर्टकचहरी के चक्कर में तो ऐसे भी आ जाओगे…उस रोज मजाक में बोली थी, आज वैसा नहीं है…तुम पर रेप का मुकदमा कर दूंगी. सीधे जेल जाओगे.’’ रानू गुस्से में आ गई थी और वहां से जाने के लिए उठ खड़ी हुई थी.
उस की तल्ख बातें सुन कर रामनिवास का दिमाग भन्ना गया था. दिलोदिमाग में तेजाबी तूफान उमडऩे लगा था. उस ने महसूस किया कि उस के हाथपैर बेकाबू हो गए हैं. अगले ही पल रामनिवास के दोनों हाथ रानू मेहर की गरदन को दबोच चुके थे. अचानक इस हमले के लिए रानू तैयार नहीं थी. अपने दोनों हाथों से रामनिवास की पकड़ से मुक्त होने की कोशिश करने लगी, लेकिन उस की बलिष्ठ भुजाओं की मजबूती के आगे असफल रही.
कुछ सेकेंड में ही उस की गरदन झूल गई. उस की मिमियाती आवाज भी बंद हो गई. रामनिवास के हाथों की पकड़ ढीली हुई, तब रानू जमीन पर धड़ाम से गिर पड़ी. सामने गिरी रानू की लाश को रामनिवास ने 2 बार ठोकरें मारी और भुनभुनाया, ”बड़ा आई थी मुझे जेल भेजने…’’
अगले रोज रानू के अचानक लापता हो जाने पर उस के मायके वाले परेशान हो गए. उस के बारे में पता लगाना शुरू किया. उन्हें आश्चर्य हुआ कि वह कभी भी इस तरह घर से बिना कहे कहीं नहीं जाती थी. गांव वालों से पूछताछ की गई. किसी ने उस के बारे में कुछ नहीं बताया. उस के पापा को बहुत चिंता हुई. उन्होंने रानू की ससुराल वालों से उस की तहकीकात की. उन्होंने उस के ससुराल में नहीं होने की पुष्टि की. उस के पति ने गरोठ थाने पर रानू मेहर की गुमशुदगी की सूचना लिखवा दी. जिस के बाद फेमिली वाले और पुलिस उस की तलाश में जुट गए. रानू के घर से लापता होने के 4 दिन बाद भी कहीं पता नहीं चला.
अचानक 29 मई, 2025 को गांधी सागर जलाशय के बैकवाटर से एक अज्ञात महिला की लाश मिली. पुलिस को शक हुआ कि लाश मृतका रानू मेहर की हो सकती है. लाश की पहचान के लिए पुलिस ने मृतका के घर वालों को बुलाया, लेकिन शव की स्थिति इतनी खराब थी कि वे उसे नहीं पहचान पा रहे थे. इसलिए पुलिस ने फेमिली वालों के डीएनए से मृतका के डीएनए की जांच करवाई. रिपोर्ट आने के बाद मृतका की पहचान हो पाई. पहचान होते ही मृतका के पापा ने गांव के ही रामनिवास सोलंकी पर हत्या की आशंका जताई, क्योंकि रानू के गायब होने के बाद से वह भी गांव से गायब था. पुलिस ने जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर उस से सख्ती से पूछताछ की, जिस पर आरोपी ने मृतका की हत्या करना कबूल किया.
आरोपी रामनिवास सोलंकी ने बताया कि रानू मेहर शादीशुदा होते हुए भी उस से शादी कर साथ रहने को कहती थी. जबकि वह अविवाहित था, लेकिन सामाजिक बंधन के चलते उस का रानू से शादी करना संभव नहीं था. इसलिए रानू की जिद से परेशान हो कर उस ने उस की हत्या कर दी. इस के बाद शव को पानी में फेंक दिया था. पुलिस ने आरोपी रामविलास सोलंकी पर हत्या की धाराओं में मामला दर्ज कर उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. इस मामले की जांच गरोठ थाने के एसएचओ हरीश मालवीय कर रहे थे. MP Crime News