बालू के ढूहों के बीच सनसनाती हवा के झकोरों से उठते रेत के बगूलों के थपेडे़ सहती ढाणीनुमा बस्ती बरना के कच्चेपक्के फूस के झोपड़े आसपास भी थे और दूरदूर तक छितराए हुए भी. राजस्थान के रेगिस्तानी जिले जैसलमेर के आखिरी छोर पर बसी इस बस्ती में उस दिन सुबह से ही बादल छाए हुए




