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पुलिस ने तीनों से अलगअलग पूछताछ की तो पारसनाथ पाल ने कहा, ‘‘हां साहब, रागिनी मेरी ही बेटी थी. लेकिन उस ने हमें समाजबिरादरी में कहीं जीने लायक नहीं छोड़ा था. उस के कारण लोग हम पर थूथू कर रहे थे. लेकिन उस की हत्या मैं ने नहीं की है. उसे मेरे बेटे सिकंदर पाल ने अपने किसी दोस्त के साथ मिल कर मार डाला है.’’

इस के बाद एसओ अरुण पवार ने सिकंदर पाल से पूछताछ की तो उस ने बिना किसी हीलाहवाली के अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस ने बताया कि रागिनी की हत्या में उस के मांबाप की कोई भूमिका नहीं थी.

उस ने अपने दोस्त कामदेव सिंह निवासी व्यासनगर जंगल के साथ मिल कर उसे ठिकाने लगाया था. उस के बाद पुलिस ने व्यासनगर जंगल स्थित कामदेव के घर दबिश दी. कामदेव घर पर नहीं मिला. वह घटना के बाद से ही फरार चल रहा था. 2 दिनों के अथक प्रयास के बाद पुलिस ने उसे शाहपुर से गिरफ्तार कर लिया. उस ने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया. सिकंदर पाल और कामदेव से की गई पूछताछ के बाद रागिनी पाल की हत्या की जो कहानी सामने आई, चौंकाने वाली निकली—

रागिनी पाल मूलरूप से गोरखपुर के गुलरिहा इलाके की शिवपुर सहबाजगंज की रहने वाली थी. उस के पिता पारसनाथ पाल एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करता था. पारसनाथ के परिवार में पत्नी के अलावा 3 बेटियां और एक बेटा सिकंदर था. अपनी सामर्थ्य के अनुसार उस ने सभी बच्चों को पढ़ाया.

समय बीतने के साथ जैसेजैसे बच्चे जवान होते गए, वह उन की शादी करता गया. बड़ी बेटियों प्रमिला और सरिता के उस ने हाथ पीले कर दिए थे. सब से छोटी बेटी रागिनी अभी पढ़ रही थी.

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