बैठक में सब सामान्य था. वहां सामने 2 कमरों के दरवाजे नजर आ रहे थे. इंसपेक्टर धर्मपाल ने बाईं ओर के दरवाजे की तरफ कदम बढ़ा दिए. वह बैडरूम था. इंसपेक्टर धर्मपाल ने जैसे ही कमरे में कदम रखा. तेज बदबू का झोंका उन की नाक से टकराया. रुमाल नाक पर होने के बावजूद इंसपेक्टर धर्मपाल का दिमाग झनझना उठा. उन्होंने रुमाल को नाक पर लगभग दबा ही लिया. उन की नजर बैड पर पड़ी तो वह पूरी तरह हिल गए.
बैड पर एक महिला का शव पड़ा हुआ था, जो काफी हद तक सड़ चुकी थी. नजदीक आ कर इंसपेक्टर धर्मपाल ने लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. महिला के माथे पर गहरा सुराख नजर आ रहा था, जिस के आसपास खून जम कर काला पड़ गया था. लाश सड़ जाने के कारण चेहरा काफी बिगड़ गया था और उस की पहचान कर पाना मुश्किल था.
लाश के पास ही एक रिवौल्वर रखा हुआ था. स्पष्ट था इसी रिवौल्वर से महिला के सिर में गोली मारी गई थी, जिस से इस की मौत हो गई है. उन के इशारे पर एक पुलिसकर्मी ने रिवौल्वर पर रुमाल डाला और उसे अपने कब्जे में ले लिया.
लाश 2-3 दिन पुरानी लग रही थी. उस में से असहनीय बदबू उठ रही थी. घटनास्थल की बारीकी से जांच कर लेने के बाद इंसपेक्टर धर्मपाल कमरे से बाहर आ गए.
‘‘यह लाश किस की है?’’ उन्होंने बैठक में खड़े दक्ष से सवाल किया.
‘‘यह मेरी मौम की लाश है.’’ दक्ष ने सपाट स्वर में कहा, ‘‘इन्हें मैं ने गोली मारी है.’’
इंसपेक्टर धर्मपाल ने हैरानी से दक्ष की तरफ देखा. उन्हें विश्वास नहीं हुआ, 16 साल का यह लडक़ा बड़ी सरलता से अपनी मां को गोली मार देने की बात स्वीकार कर रहा है, क्या यह सच बोल रहा है?
‘‘तुम ने अपनी मां को गोली मारी है?’’ इंसपेक्टर हैरानी से बोले, ‘‘क्या तुम ठीक कह रहे हो?’’
‘‘मैं झूठ नहीं बोल रहा हूं सर. मैं ने ही अपनी मौम को गोली मारी है.’’ दक्ष बेहिचक बोला.
‘‘तुम ने अपनी मां को गोली क्यों मारी और यह रिवौल्वर तुम कहां से लाए हो?’’ इंसपेक्टर धर्मपाल ने रुमाल में बंधा रिवौल्वर दिखा कर पूछा.
‘‘रिवाल्वर मेरे डैड का है सर. इस का लाइसेंस है डैड के पास. यह रिवौल्वर उन्होंने सुरक्षा के लिए घर में ही रखा हुआ था. मौम मुझे पबजी गेम खेलने से मना करती थी. बातबात पर मुझे पीटती रहती थी. मैं कब तक सहन करता सर… इसलिए शनिवार और रविवार की रात को मौम को गोली मार दी थी.’’
‘‘यानी 3 जून और 4 जून, 2023 की रात को तुम ने अपनी मां की गोली मार कर हत्या कर दी. हत्या किए हुए कई दिन हो गए, क्या तुम इतने समय तक इसी घर में मां की लाश के साथ रहे?’’
‘‘और कहां जाते सर. मैं और मेरी बहन प्रियांशी हत्या के बाद से घर में ही हैं.’’
इंसपेक्टर धर्मपाल को दक्ष की बेबाकी और हिम्मत दिखाने पर हैरानी हो रही थी. मां की हत्या कर के यह लडक़ा अपनी बहन के साथ सड़ती जा रही लाश के साथ बड़ी बेफिक्री से अपने घर में ही जमा रहा है, यह हैरानी की ही बात है. यदि पड़ोसी इस असहनीय बदबू की सूचना पुलिस को नहीं देते तो न जाने कब तक दोनों भाई बहन लाश के साथ घर में ही रहते.
इंसपेक्टर धर्मपाल घर से बाहर आ गए. बाहर आसपास के लोग एकत्र हो कर नवीन कुमार सिंह के घर में आई पुलिस के बाहर आने का बेचैनी से इंतजार कर रहे थे. वे लोग यह जानने को उत्सुक थे कि नवीन कुमार सिंह के घर में ऐसी कौन सी चीज सड़ रही है, जिस की बदबू ने सभी को परेशान करके रख छोड़ा है.
‘‘क्या इस बदबू का राज मालूम हुआ सर?’’ शर्माजी ने आगे बढ़ कर इंसपेक्टर धर्मपाल से पूछा.
‘‘हां, दक्ष ने अपनी मां की गोली मार कर 3 दिन पहले हत्या कर दी है. लाश सड़ गई है, यही यहां फैल रही बदबू का कारण है.’’ इंसपेक्टर धर्मपाल ने बताया.
उन की बात सुन कर सभी हैरान रह गए.
‘‘दक्ष की मां का नाम बताएंगे आप?’’ इंसपेक्टर धर्मपाल ने शर्माजी से पूछा.
‘‘साधना सिंह था दक्ष की मां का नाम.’’ शर्माजी बोले.
‘‘आप इन के पति का फोन नंबर जानते हैं तो मेरी बात करवाइए शर्माजी.’’
‘‘ठीक है सर.’’ कहने के बाद शर्माजी ने नवीन कुमार सिंह का मोबाइल नंबर अपने मोबाइल से निकाल कर मिलाया. घंटी बजते ही दूसरी तरफ से नवीन कुमार सिंह ने काल रिसीव कर ली, ‘‘हैलो शर्माजी… मेरी पत्नी साधना आप को नजर आ गई हो तो.. मेरी बात करवाइए प्लीज.’’ नवीन कुमार सिंह के स्वर में बहुत उतावलापन था.
‘‘वह अब इस दुनिया में नहीं रही नवीनजी. मैं ने पुलिस को इनफौर्म कर दिया है. लीजिए इंसपेक्टर साहब से बात कीजिए.’’ शर्माजी ने मोबाइल इंसपेक्टर धर्मपाल की तरफ बढ़ा दिया.
‘‘मिस्टर नवीन कुमार सिंह, मैं इंसपेक्टर धर्मपाल बोल रहा हूं. आप के लिए बड़ी बुरी खबर है, आप के बेटे दक्ष ने आप की पत्नी साधना सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी है.’’
‘‘मेरे बेटे दक्ष ने…ओह!’’ दूसरी तरफ से नवीन कुमार सिंह का घबराया हुआ स्वर उभरा, ‘‘मुझे ऐसा ही लग रहा था सर..यह दक्ष किसी दिन ऐसा कदम उठा सकता है… मेरा तो सब कुछ उजड़ गया.’’
‘‘आप यहां आ जाइए नवीनजी…’’ इंसपेक्टर धर्मपाल गंभीर हो गए, ‘‘मुझे आप के बेटे को पुलिस कस्टडी में लेना पड़ेगा. वह अपना गुनाह कुबूल कर रहा है.’’
‘‘जैसा आप उचित समझें इंसपेक्टर, मैं लखनऊ आ रहा हूं.’’ नवीन सिंह ने आहत स्वर में कहा और संपर्क काट दिया.
इंसपेक्टर धर्मपाल अपने उच्चाधिकारी को इस घटना की जानकारी देने के लिए अपने मोबाइल से नंबर मिलाने लगे थे. साधना सिंह की लाश को फोरैंसिक जांच करने के बाद पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया गया था.