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सपना के परिवार में पिता कुंवरपाल सिंह यादव, मां उर्मिला यादव, 3 बहनें प्रार्थना, मधु और भावना के अलावा 1 छोटा भाई आशीष था. कुंवरपाल का दूध का अच्छाखासा व्यवसाय था. फिरोजाबाद के ही थाना सिरसागंज के गांव सिकरामऊ में उस की खेती की काफी जमीन भी थी. फिरोजाबाद के सुदामानगर की जिस नवनिर्मित कालोनी में कुंवरपाल रहता था, उस में उस की गिनती संपन्न लोगों में होती थी. उस का काफी बड़ा मकान भी था.

कुंवरपाल को राजनीति से लगाव था, इसलिए उस ने तमाम नेताओं से संबंध बना रखे थे. संबंध की ही वजह से उस के यहां तमाम नेताओं का आनाजाना लगा रहता था. सिरसागंज के विधायक से तो कुंवरपाल की दांत काटी दोस्ती थी. कुंवरपाल के 2 साले थे. दोनों ही एक राजनीतिक दल में पदाधिकारी थे. उन का अपने क्षेत्र में खासा रुतबा था. इस का असर उन की बहन यानी कुंवरपाल की पत्नी उर्मिला पर भी था. रौबरुतबे की ही वजह से पतिपत्नी कालोनी में किसी को कुछ नहीं समझते थे. वे जल्दी से किसी से बात भी नहीं करते थे.

सपना ने घर के नजदीक ही स्थित लिटिल ऐंजल्स कान्वेंट स्कूल से इंटर करने के बाद एम.जी. कालेज से ग्रैजुएशन किया. इस के बाद वह कोई प्रोफेशनल कोर्स करना चाहती थी. थोड़ी कोशिश के बाद उस का बीएड में हो गया, जिस के लिए उस ने दाऊदयाल महिला महाविद्यालय में दाखिला ले लिया.

सपना जिन दिनों हाईस्कूल में पढ़ रही थी, उन्हीं दिनों उस की मुलाकात अभिनय राणा से हुई थी. अभिनय सुदामानगर से 2 किलोमीटर दूर स्थित लोहियानगर में रहता था. उस के परिवार में पिता शिशुपाल सिंह जादौन, मां प्रेमा देवी जादौन और एक बड़ा भाई अभिषेक जादौन था. पिता उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही थे. जादौन परिवार के पास काफी पुश्तैनी प्रौपर्टी थी, इसलिए इस परिवार का रहनसहन रईसों जैसा  था. उन दिनों वह बारहवीं में पढ़ रहा था.

एक दिन सपना स्कूटी से कोचिंग से घर जा रही थी, तभी एक बाइक सवार की टक्कर से गिर पड़ी. बाइक सवार तो भाग गया, लेकिन डिवाइडर से टकराने की वजह से सपना के पैर से खून बहने लगा. पीछे से आ रहे अभिनय ने उसे उठाया और मरहमपट्टी करा कर उसे उस के घर पहुंचाया. अभिनय का यह सेवाभाव सपना के दिल को छू गया. उस की छवि उस के दिल में एक अच्छे युवक की बन गई.

सपना जिस कोचिंग में पढ़ती थी, उसी में अभिनय भी पढ़ता था. अभिनय की गिनती कोचिंग इंस्टीट्यूट में अच्छे लड़कों में होती थी. ऐसी ही बातों से वह सपना के दिल की धड़कन बन गया. आमनेसामने पड़ने पर दोनों एकदूसरे को देख कर मुसकरा देते थे. कभीकभार बातचीत भी हो जाती थी. किसी दिन दोनों ने एकदूसरे के मोबाइल नंबर ले लिए तो दोनों के बीच लंबीलंबी बातें होतेहोते प्यार का भी सिलसिला शुरू हो गया.

दोनों में प्यार गहराया तो वे एकदूसरे की पसंद का खयाल रखने लगे. इस तरह प्यार की नाव पर सवार हुए उन्हें एकएक कर के 5 साल बीत गए. इस बीच सपना ने ग्रैजुएशन कर लिया तो अभिनय बीएसपी कर के ठेकेदारी करने लगा. इस समय वह फिरोजाबाद का एक बड़ा शराब व्यवसाई माना जाता है. शहर और कस्बों में उस की अंग्रेजी शराब और देशी शराब की तमाम दुकानें हैं. उस के कई बार भी हैं. अभिनय भले ही शराब का बड़ा कारोबारी बन चुका था, लेकिन सपना के प्रति उस का प्यार वैसा ही था.

सपना ने ग्रैजुएशन कर के बीएड में दाखिला ले लिया था. 5 सालों से उस का जो प्यार चोरीछिपे चल रहा था, अब तक कई लोगों की नजरों में आ चुका था. वे कुंवरपाल के परिचित थे, इसलिए यह बात उस तक पहुंच गई. जानकारी होने पर कुंवरपाल ने सपना को बुला कर अभिनय और उस से प्यार के बारे में पूछा तो उस ने इस बात को इसलिए नहीं छिपाया, क्योंकि अभिनय हर तरह से कुंवरपाल का दामाद बनने लायक था.

लेकिन जब कुंवरपाल को पता चला कि सपना का प्रेमी ठाकुर है तो वह बौखला उठा. उस ने चीखते हुए कहा, ‘‘यादवों ने चूड़ी पहन रखी है क्या, जो ठाकुर का लौंडा उन की लड़कियों के साथ गुलछर्रे उड़ाएगा.’’

बाप के गुस्से को देख कर सपना की समझ में आ गया कि उस का बाप ऊंची जाति से भी उतनी ही नफरत करता है, जितनी नीची जाति वालों से. कुंवरपाल ने उस से साफसाफ कह दिया कि आज से ही वह उस लड़के से सारे संबंध खत्म कर ले. अगर उस के साथ कहीं दिखाई दे गई तो वह उसे काट कर रख देगा.

कुंवरपाल ने भले ही अपना आदेश सुना दिया था, लेकिन सपना को अभिनय के बिना अपनी दुनिया अंधकारमय नजर आ रही थी. इसलिए उस ने भी तय कर लिया कि कुछ भी हो जाए, वह अभिनय का साथ किसी भी हालत में नहीं छोड़ेगी. इसलिए उस ने तुरंत फोन कर के सारी बातें अभिनय को बता दीं. अभिनय ने उस का हौसला बढ़ाते हुए कहा, ‘‘चिंता करने की कोई बात नहीं है. हम दोनों ही बालिग हैं, इसलिए अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेने में सक्षम हैं.’’

प्रेमी की इस बात से सपना को काफी सुकून मिला. लेकिन अब उस के घर से अकेली निकलने पर पाबंदी लगा दी गई. इसी के साथ कुंवरपाल ने उस की शादी के लिए लड़के की तलाश भी जोरशोर से शुरू कर दी. वह बीएड की पढ़ाई पूरी होते ही सपना की शादी कर देना चाहता था.

इधर कुंवरपाल सपना की शादी के लिए लड़का ढूंढ रहा था, उधर उस ने अभिनय से शादी करने का फैसला कर लिया था. यह अप्रैल, 2014 की बात है.

दरअसल, सपना मौका निकाल कर अभिनय से बातें तो कर ही लेती थी, कभीकभार घर वालों की चोरी से मिल भी लेती थी. कुंवरपाल को संदेह था कि बेटी कोई भी उल्टासीधा कदम उठा सकती है, इसलिए उस ने रजिस्ट्रार औफिस के कर्मचारियों से सांठगांठ कर ली थी कि अगर सपना वहां विवाह के लिए आवेदन करती है तो तुरंत उसे इस बात की जानकारी दे दी जाए.

सपना के घर से निकलने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई, जिस से उस का बीएड भी पूरा नहीं हो सका. उस का फोन भी छीन लिया गया था. ऐसे में सपना का साथ उस की छोटी बहन प्रार्थना ने दिया. बहन की भावनाओं का खयाल रखते हुए वह कभीकभार अपने फोन से उस की बात अभिनय से करा देती थी.

29 मई, 2014 को प्रार्थना की मदद से सपना घर से बाहर निकली और वहां पहुंच गई, जहां अभिनय 2-3 महिलाओं और 4-5 पुरुषों के साथ उस का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. उस ने फिरोजाबाद के ही उलाऊखेड़ा प्रांगण में बने आर्यसमाज मंदिर में विधिविधान से विवाह करने की व्यवस्था पहले से ही कर रखी थी, इसलिए सपना को साथ ले कर वह सीधे वहीं पहुंच गया.

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