कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

मुरादाबाद हो कर दिल्ली जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-24 से करीब डेढ़ किलोमीटर अंदर कांठ तहसील स्थित खुशहालपुर की बैंक कालोनी में 5 मई की रात 11 बजे के बाद चहलपहल कम हो गई थी. इक्कादुक्का लोगों का ही आवागमन था. इस संभ्रांतकालोनी में ज्यादातर सरकारी कर्मचारियों और रिटायर्ड लोगों के मकान हैं. उन्हीं में एसडीएम के ड्राइवर जयदेव सिंह का भी 2 मंजिला मकान है.

इस कालोनी में सुरक्षा के लिए सभी जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, यहां तक कि लोगों ने अपनेअपने घरों में भी सीसीटीवी कैमरे लगा रखे हैं और उसे मोबाइल से कनेक्ट कर रखा है. उस के जरिए दूर रह कर भी लोग अपनेअपने घरों पर नजर रखते हैं. फिर भी रात के वक्त कालोनी की चौकसी गार्ड को सौंपी हुई है.

5 मई की रात को 12 बजे के करीब कालोनी में गश्त लगाता हुआ सुरक्षा गार्ड जब जयदेव सिंह के मकान के आगे से गुजरा तब मेन गेट खुला देख कर भुनभुनाने लगा, “लोग कितने बेफिक्र हो गए हैं, सीसीटीवी कैमरा लगा लेने का मतलब यह तो नहीं कि घर का मेन गेट ही खुला छोड़ दो.”

इसी के साथ उस ने लोहे के गेट को 3-4 बार डंडे से पीटा. आवाज लगाई, “अरे कोई है घर में? मेन गेट अंदर से बंद कर लो, रात हो चुकी है.”

यह कहता हुआ गार्ड थोड़ी देर वहीं रुका रहा. भीतर से जब कोई आवाज नहीं आई, तब उस ने दोबारा गेट पर 3-4 बार डंडे मारे. पहले से तेज आवाज सुन कर थोड़ी दूरी पर लेटा कुत्ता भौंकने लगा.

“तू क्यों भौंक रहा है?” गार्ड उस की ओर मुंह कर वहीं जमीन पर डंडा पीटता हुआ बोला.

इसी बीच जयदेव सिंह के मकान के भीतर से आवाज आई, “आती हूं… क्या बताऊं, मैं आज गेट बंद करना ही भूल गई थी.”

कुछ सेकेंड में गेट बंद करने आई युवती को गार्ड ने हिदायत दी, “आप यहां नईनई आई हो… गेट अंदर से हमेशा बंद रखा करो… आवारा कुत्ते भीतर घर में भी घुस जाते हैं.”

“जी गार्ड अंकल,” कहती हुई युवती ने भीतर से मेन गेट की सांकल लगा ली और घर के भीतर चली गई. युवती जयदेव सिंह की दूसरी पत्नी दीपा थी, जो पिछले साल उस की पहली पत्नी के हार्ट अटैक से मृत्यु के बाद ब्याह कर आई थी.

घर में जयदेव सिंह के 3 बच्चे भी हैं, लेकिन उन में 17 साल का बड़ा बेटा हरनाम सिंह साथ में नहीं रहता था. वह पढ़ाई के सिलसिले में रुद्रपुर में अपने बड़े चाचा कृष्णपाल के साथ रहता है. पिता से उस की नहीं बनती थी, लेकिन बीचबीच में घर आताजाता रहता है. 2 बच्चों बेटा हरमिंदर व बेटी जासमीन और पति के साथ दीपा घर में रहती थी. वह एक हाउसवाइफ है.

जयदेव सिंह के मकान का गेट बंद हो जाने के बाद गार्ड कालोनी में दूसरे मकानों की निगरानी के लिए आगे बढ़ गया. चहलकदमी करता हुआ वह बीचबीच में जमीन पर डंडे भी पीट देता था. अभी कुछ दूर ही गया होगा कि जयदेव सिंह के मकान से चीखपुकार की आवाजें आने लगीं…

जयदेव का हो गया मर्डर

“मार डाला… मार डाला, मेरे पति को मार डाला… कोई बचाओ! जल्दी अस्पताल ले चलो…” चीखनेचिल्लाने की यह आवाज दीपा की थी. वह चीखती हुई बेतहाशा अपने घर से बाहर सडक़ पर आ चुकी थी. तब तक गार्ड भी उस के पास पहुंच गया था.  पूछने लगा,

“क्या हुआ? किसे मारा? किस ने मारा… ड्राइवर साहब को क्या हुआ?”

शोरगुल सुन कर जयदेव सिंह के दोनों बच्चे भी पहली मंजिल से नीचे भागेभागे आए. आसपास के घरों के कुछ लोग भी निकल आए. दीपा रोती हुई बोली कि किसी ने उस के पति को मार डाला है और वह अपने कमरे में बैड पर बुरी तरह से घायल पड़ा है. कुछ लोग कमरे में गए. वहां जयदेव सिंह खून से लथपथ बेजान पड़ा था.

गार्ड उस की नाक के आगे हथेली ले गया. उस के सांस की गति चैक की. किसी से कुछ बोले बगैर उस ने मझोला थाने में फोन कर इस वारदात की सूचना पुलिस को दे दी. गार्ड के चेहरे के भाव से वहां मौजूद लोग समझ गए कि जयदेव की मौत हो चुकी है.

घर मे कोहराम मच गया. बच्चे और दीपा का रोरो कर बुरा हाल था. उस की एक साल पहले ही शादी हुई थी. दीपा की हालत विक्षिप्तों जैसी हो गई थी. बच्चे उसे पकड़ कर रो रहे थे. गमगीन माहौल को देख कर उपस्थित हर कोई हैरान था. वे स्तब्ध हो गए थे. कुछ लोग भावुकता से दीपा और बच्चों को सांत्वना देने की कोशिश कर रहे थे.

जयदेव सिंह के मर्डर की सूचना पा कर मझोला थाने के एसएचओ विप्लव शर्मा कुछ मिनटों में ही घटनास्थल पर पहुंच गए थे. जांचपड़ताल शुरू करने से पहले उन्होंने घटना की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दे दी. सूचना मिलते ही मुरादाबाद के एसएसपी हेमराज मीणा, एसपी (सिटी) अखिलेश भदौरिया, सीओ (सिविल लाइंस) भी घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया.

घटना की जानकारी पाते ही जयदेव का बड़ा बेटा हरनाम सिंह भी रुद्रपुर से घर आ गया. हरनाम सिंह रुद्रपुर में अपने बड़े चाचा कृष्णपाल सिंह के पास रहता था. वह भी भतीजे के साथ आए. उन्होंने ही अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करवा दिया. पुलिस जांच टीम के साथ आई फोरैंसिक टीम ने भी जयदेव को मृत घोषित कर दिया और लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

सीसीटीवी कैमरे मिले बंद

मुरादाबाद के एसपी (सिटी) अखिलेश भदौरिया को एसडीएम के ड्राइवर की हत्या के इस केस का जल्द से जल्द खुलासा करने के निर्देश जारी किए. जांच की जिम्मेदारी एसएसपी हेमराज मीणा ने उन्हें दी. उन्होंने जांच के शुरुआती दौर में ही अनुमान लगा लिया था कि जयदेव हत्याकांड का राज घर में है. घर के सदस्यों से गहन पूछताछ कर के सफलता मिल सकती है.

अखिलेश भदौरिया ने अपने नेतृत्व में एक टीम का गठन किया, जिस में एसएचओ विप्लव शर्मा और सीओ (सिविल लाइंस) समेत अर्पित कपूर आदि को शामिल किया गया. पूछताछ की शुरुआत जयदेव सिंह की पत्नी दीपा से हुई. इसी बीच पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई.

रिपोर्ट के अनुसार सोते हुए में जयदेव के सिर पर किसी भारी वस्तु से हमला किया जाना बताया गया. हमले से ही जयदेव के सिर की हड्ïडी टूट गई थी. सिर से काफी मात्रा में खून बह गया था, जिस कारण जयदेव सिंह की दम घुटने से मौत हो गई थी.

भदौरिया ने दीपा से पहला सवाल यही किया कि जयदेव की किसी के साथ दुश्मनी तो नहीं थी? इस के जवाब में दीपा ने जयदेव के भाइयों का नाम लिया. साथ ही बताया कि उन से पति का जमीन को ले कर विवाद चल रहा है. पति की महंगी जमीन हड़पना चाहते हैं. एक तरह से दीपा ने जयदेव की हत्या का आरोप सीधे जयदेव के भाइयों पर ही मढ़ दिया. इसी के साथ दीपा ने पासपड़ोस या उन के जानपहचान वालों में किसी से कोई दुश्मनी नहीं होने का दावा किया.

पूछताछ के बाद जांच की अगली कड़ी सीसीटीवी कैमरे की थी. जांच टीम ने घर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकलवाई. जांच टीम तब चौंक गई, जब पाया कि घटना वाले दिन घर में लगे सीसीटीवी कैमरे 5 मई, 2023 की शाम 8 बजे से ही बंद थे. उस दिन जयदेव शाम 6 बजे ही अपने घर आ गया था. दीपा के मुताबिक वह खाना खा कर सो गया था. कैमरे अगले रोज 6 मई की सुबह खुले. हत्याकांड के जांच की सूई घटना के समय बंद कैमरे के कारण और समय पर अटक गई.

                                                                                                                                 क्रमशः

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...