मौडलिंग की दुनिया से निराश ज्योति एक बार में डांस का काम करने लगी. उसे भीमराव रोड स्थित एक बार में डांसर की नौकरी मिल गई थी. कमसिन ज्योति की अदाओं ने लोगों पर ऐसा जादू चलाया कि उस की एक थिरकन पर नोटों की बरसात होने लगती. इस के बाद उस ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.
प्रीतेश अमीर बाप का बेटा था, पैसे के नशे में डूबा हुआ
गांव टिंबा के रहने वाले 30 वर्षीय प्रीतेश पटेल के पिता विदेश में रह कर नौकरी करते थे. विदेश की कमाई से ही उन्होंने करोड़ों की संपत्ति अर्जित की थी. गांव में प्रीतेश का जलवा था, उस के पास पैसों की कोई कमी नहीं थी. वह मांबाप का एकलौता बेटा था. मातापिता का जो कुछ भी था, उसी का था. इसलिए वह यारदोस्तों पर पानी की तरह पैसा बहाता था.
प्रीतेश शादीशुदा था. प्रीतेश के पिता जब भी विदेश से सूरत आते थे, उन्हें मुंबई एयरपोर्ट पर उतरना पड़ता था. मुंबई से प्रीतेश उन्हें अपनी स्विफ्ट डिजायर कार से टिंबा ले आता था. जब वह विदेश वापस जाते तब भी वह उन्हें मुंबई एयरपोर्ट तक छोड़ने जाता था.
प्रीतेश जब भी पिता को मुंबई पहुंचाने जाता, मनोरंजन के लिए बार डांस क्लब जरूर जाता. जब पहली बार उस ने स्टेज पर थिरकती ज्योति को देखा तो उस की कमसिन जवानी उस की आंखों में बस गई. छरहरे बदन की खूबसूरत ज्योति रंगीन रोशनी की लहरों के बीच किसी हूर सी लग रही थी. वह पहली ही नजर में प्रीतेश के दिल की गहराइयों में उतर गई. उस दिन तो वह घर वापस लौट आया, लेकिन उस दिन के बाद ज्योति के दीदार के लिए वह बुरी तरह छटपटाने लगा. सोतेजागते, उठतेबैठते उस की आंखों के सामने ज्योति का सलोना चेहरा नाचता रहता था.
प्रीतेश ज्योति के दीदार के लिए अकसर मुंबई आनेजाने लगा. वह बार में बैठा ज्योति को अपलक निहारता रहता. उस पर पानी की तरह पैसा बहाता. इस बीच ज्योति की निगाह जब भी प्रीतेश से टकराती, वह दांतों तले होंठ दबा कर मुसकरा देती. ज्योति कई दिनों से देख रही थी कि वह जब भी आता है तो उसे आशिकी भरी निगाहों से निहारता है.
ज्योति की कातिल निगाहों से घायल प्रीतेश पटेल ने बार डांसर का नाम पता किया. उस के बाद प्रीतेश ज्योति तक पहुंच गया. धीरेधीरे दोनों में परिचय हुआ. यह परिचय पहले दोस्ती में बदला, फिर यह दोस्ती प्यार में बदल गई. प्रीतेश जब मुंबई आता, ज्योति से जरूर मिलता. यही नहीं उस पर लाखों रुपए उड़ा देता.
महत्वाकांक्षी ज्योति बार डांसर थी. उसे किसी की भावनाओं से कोई सरोकार नहीं था. उस का दीनईमान केवल पैसा था. वह इतना पैसा कमाना चाहती थी कि जीवन ठाठ से गुजरे. प्रीतेश के रूप में उसे सोने का अंडा देने वाली मुर्गी मिल गई थी. वह जो भी फरमाइश करती, प्रीतेश उसे पूरी करने से पीछे नहीं हटता.
ज्योति और प्रीतेश को मिलते और एकदूसरे से प्यार करते करीब डेढ़ साल बीत गया. वह शादीशुदा था, यह अलग बात है. हालांकि उस ने ज्योति से कुछ नहीं छिपाया था. ज्योति को उस के शादीशुदा होने से कोई ऐतराज भी नहीं था. प्रीतेश की हकीकत जान कर पीछे हटने के बजाय वह उस पर और भी ज्यादा मरमिटने लगी थी.
प्रीतेश और ज्योति की प्रेम कहानी
एक दिन प्रीतेश ज्योति से मिलने मुंबई गया था. वह उसे ले कर काफी संजीदा था. उसे ले कर कई दिनों से उस के मन में एक सवाल उथलपुथल मचा रहा था. सवाल था उसे अपनी बनाने का. मौका देख कर आखिर उस ने अपने मन की बात ज्योति से कह दी, ‘‘ज्योति, तुम्हें लेकर मेरे मन में कई दिनों से एक सवाल उथलपुथल मचाए हुए है. मैं अपने मन की बात कह कर मन हल्का करना चाहता हूं.’’
‘‘तो कह डालो, मना किस ने किया है. मन की बात मन में रखने से मन और दिल दोनों पर बोझ बढ़ता है. समझे मिस्टर लल्लू.’’ ज्योति अदा के साथ बोली.
‘‘पता नहीं, मुझे ले कर तुम्हारे मन में कैसी फीलिंग होती है, पर मैं तुम्हें ले कर एकदम संजीदा हूं.’’ कहतेकहते प्रीतेश गंभीर हो गया.
‘‘यह तो तुम्हारी बातों से ही झलकता है. अब बता भी दो प्रीतेश, तुम क्या कहना चाहते हो?’’
‘‘मैं तुम से शादी करना चाहता हूं ज्योति. जब से तुम्हें देखा है, मेरी रातों की नींद और दिन का चैन सब हराम हो गया है. मैं तुम्हारे बिना जिंदा नहीं रह सकता.’’ हिम्मत जुटा कर प्रीतेश ने अपने मन की बात कह दी. उस की बात सुन कर ज्योति गंभीर हो गई.
वह कुछ नहीं बोली तो प्रीतेश ने आगे कहा, ‘‘जितना तुम से दूर जाने के बारे में सोचता हूं, उतना ही खुद को तुम्हारे करीब पाता हूं.’’ प्रीतेश की यह बात सीधे ज्योति के दिल में घर कर गई.
‘‘दोबारा ऐसा मत कहना.’’ ज्योति ने प्रीतेश के होंठों पर अंगुली रख दी, फिर बोली, ‘‘मैं भी तुम्हारे बिना जिंदा नहीं रह सकती प्रीतेश. बहुत प्यार करती हूं तुम से. लेकिन क्या है कि हमारे रास्ते में एक बाधा है.’’ ज्योति उस की आंखों में झांकते हुए बोली.
‘कैसी बाधा?’’
‘‘तुम यह भूल रहे हो कि घर में तुम्हारी पत्नी भी है. उस के रहते हम दोनों कभी एक नहीं हो सकते. उस का क्या करोगे तुम?’’
प्रीतेश ज्योति का चेहरा दोनों हाथों में समेट कर बोला, ‘‘तुम शादी करने के लिए तैयार हो तो मैं उसे तलाक दे दूंगा.’’
‘‘सच में तुम ऐसा कर सकते हो?’’
‘‘तुम्हें मेरी बातों पर यकीन नहीं है.’’
‘पूरा यकीन है. तुम जो कहते हो उसे करते भी हो. तुम्हारी यही अदा तो मुझे भा गई थी, जो तुम से दिल लगा बैठी.’’
‘‘वैसे भी वाइफ को मेरे और तुम्हारे रिश्तों के बारे में पता चल चुका है. इसे ले कर घर में हम दोनों के बीच आए दिन झगड़े होते हैं. मैं ने उसे साफ कह दिया है कि मैं तुम्हें तलाक दे कर ज्योति से शादी कर लूंगा.’’
‘‘तो ठीक है. बात जब यहां तक पहुंच चुकी है तो मैं तुम से शादी करने के लिए तैयार हूं. पर एक शर्त है?’’
‘‘कैसी शर्त?’’
‘‘यही कि तुम पहले उसे तलाक दोगे. फिर मैं तुम से शादी करूंगी.’’
‘‘ठीक है, मुझे तुम्हारी यह शर्त मंजूर है. मैं पत्नी से तलाक ले कर ही तुम से शादी करूंगा. लेकिन मेरी भी एक शर्त है, जिसे तुम्हें मानना होगा.’’
‘‘कैसी शर्त?’’