कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

हमजा और अयान पास की ही कनफैक्शनरी की दुकान से केक लेने गए थे. काफी देर होने के बाद भी वे घर नहीं लौटे तो मां आसिफा परेशान हो उठीं. घर से दुकान ज्यादा दूर नहीं थी. उतनी देर में बच्चों को आ जाना चाहिए था. वे कहीं खेलने तो नहीं लगे, यह सोच कर वह कनफैक्शनरी की दुकान की ओर चल पड़ी. उसे रास्ते में ही नहीं, दुकान पर भी बच्चे दिखाई नहीं दिए.

उस ने दुकानदार से बच्चों के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि उस के बच्चे तो दुकान पर आए ही नहीं थे. यह सुन कर आसिफा के पैरों तले से जमीन खिसक गई. क्योंकि बच्चे घर से शाम सवा 5 बजे निकले थे और उस समय 6 बज रहे थे. उसे बताए बगैर उस के बच्चे कहीं नहीं जाते थे. वह परेशान हो गई कि बच्चे कहां चले गए.

आसिफा के पति सऊदी अरब में थे. घर पर वह अकेली ही थी. इसलिए बच्चों के न मिलने से वह परेशान थी. उस ने बच्चों को इधरउधर गलियों में ढूंढ़ने के अलावा रिश्तेदारों और जानकारों को फोन कर के पूछा. लेकिन कहीं से भी उसे बच्चों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. यह 24 नवंबर, 2013 की बात है.

आसिफा के बच्चों के लापता होने की बात थोड़ी ही देर में मोहल्ले भर में फैल गई. हमदर्दी में सभी लोग अपनेअपने स्तर से बच्चों को इधरउधर ढूंढ़ने लगे. लेकिन तमाम कोशिश के बावजूद किसी को भी पता नहीं चल सका कि दुकान तक गए बच्चे आखिर कहां चले गए. बच्चों की तलाश कर के थक हार कर आसिफा मोहल्ले के लोगों के साथ रात 8 बजे के आसपास मुरादाबाद शहर की कोतवाली जा पहुंची. क्योंकि वह रेती स्ट्रीट मोहल्ले में रहती थी और यह मोहल्ला कोतवाली के अंतर्गत आता था.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 12 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...