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राजू सिंह को अमन की गिरफ्तारी की वजह का पता चला तो वह वह उसे समझाबुझा कर घर ले आए. चूंकि अमन इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर चुका था और सरकारी नौकरी के लिए वहां तैयारी कर रहा था, इसलिए चाचा के समझाने पर वह हैदराबाद चला गया, जहां उसे प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिल गई.

हैदराबाद जाने के बाद भी अमन सपना को नहीं भूला. सपना ही उसे कहां भूली थी. दोनों की फोन पर बराबर बातें होती रहती थीं. इसी का नतीजा था कि एक दिन सपना घर से भाग कर अमन के पास हैदराबाद जा पहुंची. वहां मंदिर में दोनों ने शादी कर ली और पतिपत्नी की तरह रहने लगे. दोनों अपने इस फैसले से काफी खुश थे. जबकि दोनों के ही मांबाप उन के इस फैसले से अनजान थे.

सपना के भाग जाने से उस के मांबाप काफी दुखी और परेशान थे. मोहल्ले में उन की काफी बदनामी हुई थी. इस के बावजूद जगदंबा बेटी की खोज में जुटे रहे. आखिर खोजतेखोजते वह हैदराबाद अमन के पास जा पहुंचे, जहां उन्हें सपना मिल गई. सपना को देख कर उन का खून खौल उठा, लेकिन वहां उन्हें गुस्से से नहीं, समझदारी से काम लेना था.

जगदंबा को देख कर अमन और सपना भी हैरान थे. जगदंबा अकेले नहीं थे, उनके साथ उस का साला यानी सपना का मामा संजीव द्विवेदी भी था.

जगदंबा ने बेटी को समझाया कि उसे जो करना था, वह उस ने कर लिया. अब वह घर लौट चले. उन्हें उस के इस फैसले पर कोई ऐतराज नहीं है. वह उन की बड़ी बेटी है, इसलिए वह उस की शादी समाज के सामने धूमधाम से करना चाहते हैं, जिस से उन पर लगा बदनामी का दाग धुल जाए.

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