एक हत्या ऐसी भी

कत्ल का मुकदमा चल रहा हो तो उस का फैसला जानने के लिए काफी लोग उत्सुक रहते हैं. 12 मार्च, 2018 को चंडीगढ़ के सेशन जज बलबीर सिंह की अदालत के भीतरबाहर तमाम लोग एकत्र थे. वजह यह थी कि उन की अदालत में चल रहा कत्ल का एक मुकदमा अपने आखिरी पड़ाव पर आ पहुंचा था. लोग इस केस का फैसला सुनने को बेकरार थे.

इस केस की शुरुआत कुछ यूं हुई थी.

उस दिन किसी केस की छानबीन के सिलसिले में चंडीगढ़ के थाना सेक्टर-31 की महिला एसएचओ जसविंदर कौर अपने औफिस में मौजूद थीं. रात में ही करीब 45 वर्षीय शख्स ने आ कर उन से कहा, ‘‘मैडम, मेरा नाम दुर्गपाल है और मैं रामदरबार इलाके के फेज-2 के मकान नंबर 2133 में रहता हूं.’’

‘‘जी बताइए, थाने में कैसे आना हुआ, वह भी इस वक्त?’’ इंसपेक्टर जसविंदर कौर ने उस व्यक्ति को गौर से देखते हुए पूछा.

‘‘ऐसा है मैडमजी,’’ खुद को दुर्गपाल कहने वाले शख्स ने बताना शुरू किया, ‘‘हम 4 भाई हैं और मैं सब से बड़ा हूं. मेरी मां शारदा देवी मेरे से छोटे भाई राजबीर के साथ ग्राउंड फ्लोर पर रहती हैं. फर्स्ट फ्लोर पर मेरा सब से छोटा भाई विजय रहता है. मैं और तीसरे नंबर का भाई उदयवीर अपनीअपनी फैमिली के साथ टौप फ्लोर पर रहते हैं.’’

‘‘ठीक है, आप समस्या बताइए.’’

‘‘मैडम, हमारे घर के टौप फ्लोर पर 4 कमरे हैं. वहां सीढि़यों की तरफ वाले 2 कमरे मेरे पास हैं और उस के आगे वाले 2 कमरे मेरे भाई उदयवीर के पास.’’

‘‘आप के मकान और कमरों की बात तो हो गई, वह बताइए जिस के लिए आप को थाने आना पड़ा?’’ थानाप्रभारी जसविंदर कौर ने अपना लहजा थोड़ा बदला. लेकिन उस शख्स ने जैसे कुछ सुना ही नहीं.

उस ने अपनी बात बेझिझक जारी रखी, ‘‘मेरा भाई उदयबीर अपनी पत्नी प्रतिभा के साथ रहता था. दोनों की शादी को अभी कुल डेढ़ साल हुआ है. 10 जून, 2017 को मेरे पिता जंडियाल सिंह की मौत हो गई थी. कल मैं और मेरे तीनों भाई कुछ रिश्तेदारों के साथ हरिद्वार में पिताजी की अस्थियों का विसर्जन कर के रात करीब साढ़े 8 बजे घर लौटे थे.’’

‘‘आगे बताइए,’’ अब इंसपेक्टर जसविंदर कौर ने दुर्गपाल की बात में रुचि लेते हुए कहा.

‘‘हम लोग थकेहारे थे. घर आ कर खाना खाने के बाद सो गए थे. मैं घर के टौप फ्लोर पर बने कमरों के आगे गैलरी में सो रहा था. रात के एक बजे जब मैं गहरी नींद में था, तभी शोरशराबा सुन कर अचानक मेरी आंखें खुल…’’

दुर्गपाल की बात अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि इंसपेक्टर जसविंदर कौर ने हाथ के इशारे से उसे रोक दिया. दरअसल, थानाप्रभारी के लिए कंट्रोलरूम से फोन आया था. इंसपेक्टर जसविंदर ने काल रिसीव की तो दूसरी तरफ से पीसीआर कांस्टेबल ओमप्रकाश था.

society

उस ने कहना शुरू किया, ‘‘मैडम, रामदरबार इलाके से किसी के छत से गिराने की काल आई है. मौके पर पहुंच कर पता चला कि छत से गिरने वाले को अस्पताल ले जाया चुका था, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. उसे गिराने वाला फरार है. शुरुआती छानबीन में ही मामला कत्ल का लग रहा है, जिस के पीछे की वजह इश्क हो सकती है. केस आप के ही इलाके का है.’’

‘‘मरने वाले और मारने वाले के नाम वगैरह के बारे में पता चला?’’ इंसपेक्टर जसविंदर ने पूछा.

‘‘जी मैडम, सब पता कर लिया है. मरने वाले का नाम उदयवीर है और उसे छत से गिरा कर मारा है उस की पत्नी के कथित प्रेमी सतनाम ने.’’

‘‘ओके, तुम लोग अभी वहीं रुको, मैं पहुंचती हूं वहां.’’ कहते हुए इंसपेक्टर जसविंदर ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.

उन्होंने सामने बैठे दुर्गपाल की ओर देख कर पूछा, ‘‘आप के भाई उदयवीर को सतनाम नामक शख्स ने छत से नीचे गिरा कर मार दिया और आप…’’

‘‘जी मैडम.’’ इंसपेक्टर जसविंदर की बात पूरी होने से पहले ही दुर्गपाल ने कहा.

‘‘तुम वहां रुकने के बजाय थाने चले आए?’’

‘‘मैडम, मैं ने तुरंत 100 नंबर पर फोन कर के घटना के बारे में बता दिया था. साथ ही आटोरिक्शा से भाई को सेक्टर-32 के सरकारी अस्पताल में पहुंचा भी दिया था. फिर यह सोच कर कि इस तरीके से पुलिस पता नहीं कब पहुंचेगी, मैं अपने दूसरे भाइयों को वहीं रुके रहने को बोल कर थाने चला आया.’’

‘‘कोई बात नहीं, पुलिस ने वहां पहुंच कर अपनी काररवाई शुरू कर दी है. तुम भी चलो हमारे साथ.’’ इस के बाद इंसपेक्टर जसविंदर कौर सबइंसपेक्टर राजवीर सिंह और सिपाही प्रमोद व नवीन के अलावा दुर्गपाल सिंह को साथ ले कर सरकारी गाड़ी से रामदरबार की ओर रवाना हो गईं.

घटनास्थल पर काफी भीड़ एकत्र थी. पीसीआर वाले भी वहीं थे. उन से जरूरी जानकारी लेने के बाद उन्हें वहां से रुखसत कर दिया गया. साथ ही सिपाही नवीन को वहां तैनात कर के इंसपेक्टर जसविंदर कौर अन्य लोगों के साथ सेक्टर-32 के सिविल अस्पताल चली गईं.

वहां उदयवीर को पहले ही मृत घोषित किया जा चुका था. थाना पुलिस ने अपनी आगे की काररवाई शुरू कर दी. एसआई राजबीर सिंह शव का पंचनामा बनाने लगे और जसविंदर कौर ने दुर्गपाल से उस की तहरीर ले कर एफआईआर दर्ज करवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी. दुर्गपाल ने अपनी तहरीर के शुरुआती हिस्से में वही सब दोहराया, जो वह पहले ही थाने में थानाप्रभारी जसविंदर कौर को बता चुका था. आगे उस ने जो कुछ बताया, वह कुछ इस तरह था—

शोरशराबा सुन कर जब मेरी आंखें खुलीं तो मैं ने देखा कि बहलाना में रहने वाला एक लड़का सतनाम सिंह अपने हाथ में बेसबाल बैट पकड़े मेरे भाई उदयवीर से लड़ता हुआ छत पर जा पहुंचा था. वह उदयवीर से मारपीट करते हुए उसे घसीट कर छत पर ले गया था. बीचबीच में उदयवीर भी उस का मुकाबला करने का प्रयास करते हुए उस पर हाथपैर से वार कर रहा था.

यह सब देख मैं भी तेजी से उन के पीछे छत पर चला गया. तब तक वे दोनों लड़ते हुए कौर्नर के मकानों की छत पर जा पहुंचे थे. ऐसा इसलिए था कि हमारी लाइन के मकानों व बैकसाइड वाले मकानों की छतें आपस में मिली हुई हैं. जिस वक्त वे दोनों लड़ते हुए मकान नंबर 2088 की छत पर पहुंचे तो मैं भी उन्हें छुड़ाने के लिए वहां जा पहुंचा. अभी मैं उन से थोड़े फासले पर था, जब मेरे कानों में सतनाम की आवाज पड़ी.

वह मेरे भाई से कह रहा था कि प्रतिभा हमेशा से उस की प्रेमिका रही है, उसे मजबूरी में उस से शादी करनी पड़ी थी. अब वह उसे आजाद कर दे, वरना वह उस की (मेरे भाई उदयवीर की) जान ले लेगा.

इस से पहले कि मैं भाई की मदद के लिए उस के पास पहुंच पाता, वह दीवार के एक कोने की तरफ हुआ और तभी सतनाम ने मौका देख कर उसे धक्का दे कर नीचे गिरा दिया. सतनाम सिंह ने मेरे भाई की पत्नी प्रतिभा के साथ लव अफेयर के चलते मेरे भाई को रास्ते से हटाने के लिए जान से मार दिया. उस के खिलाफ मामला दर्ज कर के सख्त काररवाई की जाए.

उसी रोज यह प्रकरण थाना सेक्टर-31 में भादंवि की धाराओं 302 एवं 456 के तहत दर्ज हो गया. यह 14 जून, 2017 की बात है. मौके की अन्य काररवाइयां पूरी कर के थाने लौटने के बाद पुलिस ने सतनाम सिंह को काबू करने की योजनाएं बनानी शुरू कीं. वारदात को अंजाम देने के बाद वह मौके से फरार होने में सफल हो गया था. लेकिन अपराध कर के भागने के 8 घंटे के भीतर ही पुलिस ने एक गुप्त सूचना के आधार पर उसे गिरफ्तार कर लिया.

अगले दिन अदालत से उस का कस्टडी रिमांड हासिल कर के उस से विस्तार से पूछताछ की गई. इस पूछताछ में उस ने बताया कि वह चंडीगढ़ के गांव बहलाना के मकान नंबर 74 का रहने वाला था. यहीं की रहने वाली लड़की प्रतिभा से उसे प्यार हो गया था. मगर यह एकतरफा प्यार था, जिस में प्रतिभा ने कभी कोई रुचि नहीं दिखाई थी.

सतनाम सिंह ने उसे अपनी प्रेमिका घोषित करते हुए उस का पीछा नहीं छोड़ा था. इस से प्रतिभा खुद तो परेशान थी ही, उस के घर वाले भी फिक्रमंद होने लगे थे. उन के मन में यह भय समा गया था कि कहीं सतनाम उन की बेटी को उठा न ले जाए. इस की वजह यह भी थी कि सतनाम अपराधी किस्म का लड़का था. आखिर प्रतिभा के घर वालों ने रामदरबार के रहने वाले उदयवीर से उस की शादी कर दी.

सतनाम के बताए अनुसार प्रतिभा के घर वालों का डर एकदम सही निकला. वह वाकई उन की लड़की को अपहृत करने के प्रयास में था. यह अलग बात है कि अभी तक उसे सफलता नहीं मिल पाई थी. प्रतिभा की शादी के बाद तो उस के लिए यह काम और भी मुश्किल हो गया था.

देखतेदेखते इस शादी को डेढ़ साल गुजर गया. लेकिन सतनाम इस बीच प्रतिभा को भूल नहीं पाया. इस बीच उस ने एक दुस्साहस भरा काम यह भी किया कि उदयवीर से मिल कर उस से सीधे ही कह दिया, ‘‘प्रतिभा मेरी प्रेमिका थी और हमेशा रहेगी. तुम ने उस की मजबूरी का फायदा उठा कर उस की इच्छा के विरुद्ध शादी की है. तुम्हारी भलाई इसी में है कि उस से तलाक ले कर उसे मेरे हवाले कर दो, वरना मुझे तुम्हारा खून करना पड़ेगा.’’

उदयवीर ने इस बारे में अपने भाइयों को भी बताया और प्रतिभा से भी बात की. प्रतिभा ने पति को समझाया कि उस का सतनाम से प्रेमप्यार जैसा कभी कोई रिश्ता नहीं था. वह उस के पीछे पड़ कर नाहक उसे परेशान करता था. इस पर उदयवीर ने सतनाम को फोन कर के उसे लताड़ दिया.

बकौल सतनाम उस ने भी तय कर लिया कि आगे उसे कुछ भी करना पड़े, वह प्रतिभा को उठा ले जाएगा. बस, मौका मिलने भर की देर थी. यह मौका भी उसे जल्दी ही मिल गया. उदयवीर के पिता का देहांत हो गया और उन की अस्थियों को गंगा में विसर्जित करने उसे अपने भाइयों व परिजनों के साथ हरिद्वार जाना पड़ा.

सतनाम ने पुलिस को बताया कि उसे 13 जून, 2017 की रात में प्रतिभा के घर पर अकेली होने की जानकारी मिली. आधी रात के बाद वह घर के पिछवाड़े से उस के पास जा पहुंचा. वहां जा कर देखा तो उस का पति भी उस की बगल में लेटा था. लेकिन सतनाम ने परवाह नहीं की और प्रतिभा के मुंह पर हाथ रख कर उसे कंधे पर लाद लिया. जब वह प्रतिभा को ले जाने लगा तो उदयवीर की आंखें खुल गईं. वह सतनाम पर झपटा तो प्रतिभा उस की पकड़ से छूट गई.

इस के बाद सतनाम और उदयवीर गुत्थमगुत्था हो गए. संभव था कि उदयवीर सतनाम पर हावी हो जाता और इस बीच उस के परिजन भी उस की मदद को आ जाते. लेकिन पता नहीं कैसे वहां पड़ा बेसबाल बैट सतनाम के हाथ लग गया और वह उसी से उदयवीर को पीटते हुए छत पर ले गया. वहां से सतनाम ने उसे नीचे गिरा दिया. वह मुंह के बल आ कर गिरा था.

सेक्टर-32 के सिविल अस्पताल के डा. मंडर रामचंद सने व डा. गौरव कुमार ने उदयवीर के शव का पोस्टमार्टम किया. उन्होंने उस के जिस्म पर छोटीबड़ी 10 चोटों का उल्लेख करते हुए मौत का कारण मानसिक आघात और फेफड़ों का बायां हिस्सा नष्ट होना बताया.

खैर, कस्टडी रिमांड की अवधि समाप्त होने पर पुलिस ने सतनाम को फिर से अदालत में पेश कर के न्यायिक हिरासत में बुड़ैल जेल भेज दिया गया. इस के बाद समयावधि के भीतर उस के विरुद्ध आरोपपत्र तैयार कर 8 गवाहों की सूची के साथ प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी गीतांजलि गोयल की अदालत में पेश कर दिया. इस के बाद यह केस सेशन कमिट हो कर चंडीगढ़ के जिला एवं सत्र न्यायाधीश बलवीर सिंह की अदालत में विधिवत रूप से चला.

विद्वान न्यायाधीश ने दोनों पक्षों को गौर से सुनने और उपलब्ध साक्ष्यों की गहराई से जांच करने के बाद बचावपक्ष के वकील व पब्लिक प्रौसीक्यूटर के बीच हुई बहस के मुद्दों पर भी पूरा ध्यान दिया.

बहस के दौरान पब्लिक प्रौसीक्यूटर राजेंद्र सिंह ने दूसरे की औरत को अपना बनाने की एवज में उस के पति का कत्ल करने को ले कर जहां इसे अमानवीय एवं घिनौना अपराध बताया, वहीं बचावपक्ष के वकील यादविंदर सिंह संधू ने अपनी दलील से अभियोजन पक्ष का रुख पलटने का प्रयास किया. वकील संधू का कहना था कि मृतक के पिता की मौत के बाद संपत्ति विवाद को ले कर उस का अपने भाइयों से झगड़ा हो गया था. उन्होंने ही उसे छत से गिरा कर मौत के घाट उतारा है. सतनाम सिंह को इस केस में नाहक फंसा दिया है.

लेकिन एक अलग बात यह भी रही कि जहां अभियोजन पक्ष की ओर से 8 गवाह अदालत में पेश हुए, वहीं बचावपक्ष एक गवाह भी पेश नहीं कर पाया. बहरहाल, माननीय न्यायाधीश बलवीर सिंह ने 12 मार्च, 2018 को अभियुक्त सतनाम सिंह को भादंवि की धाराओं 302 एवं 456 का दोषी करार देते हुए अपना फैसला सुना दिया. इस केस में दी जाने वाली सजा की घोषणा 14 मार्च, 2018 को की गई.

14 मार्च को दोषी को सजा सुनाए जाने से पहले सजा के मुद्दे को सुना गया. दोषी ने बताया कि उस की मां की मौत हो चुकी है और अपने वृद्ध पिता हरबंस सिंह का वही अकेला सहारा है. वैसे भी वह अपनी बीए की पढ़ाई कर रहा था, जो पूरी कर के उसे नौकरी की तलाश करनी थी. इसलिए उसे कम से कम सजा सुनाई जाए.

जज साहब ने यह सब शांति से सुना, मगर उसी दिन दोपहर बाद अपना 27 पृष्ठ का फैसला सुनाते हुए दोषी सतनाम सिंह को धारा 302 के तहत उम्रकैद व 5 हजार रुपए जुरमाने और धारा 456 के अंतर्गत एक साल कैद की सजा सुनाई. दोषी ने जुरमाना भरने में अपने को असमर्थ बताया तो उस की कैद की सजा में 6 महीने की बढ़ोत्तरी कर दी गई.

जिस दिन सतनाम सिंह को न्यायिक हिरासत के तहत जेल भेजा गया था, तब से वह चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल में ही बंद था. उस की जमानत नहीं हो पाई थी. अब उसे अदालत के फैसले के बाद फिर से उसी जेल में भेज दिया गया.

– कथा पुलिस सूत्रों एवं अदालत के फैसले पर आधारित

प्यार नहीं जुनून में हुए खून

राजमिस्त्री का काम करने वाले विजयपाल ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उस की दुनिया में ऐसा भयानक तूफान आएगा कि उस में सब कुछ नष्ट हो जाएगा. विजयपाल बचपन से ही अपनी ननिहाल गांव हसनपुर नंगला, पलवल, हरियाणा में रहता था. लगभग 22 साल पहले उस की शादी उत्तर प्रदेश के जिला गौतमबुद्ध नगर के कस्बा जेवर की राधा के साथ हुई थी.

राधा दुलहन बन कर हसनपुर आ गई तो विजयपाल के जीवन में बहार आई. शादी के बाद चूंकि खर्चे बढ़ गए थे, इसलिए वह अब और ज्यादा मेहनत करने लगा था. फिर राधा ने पूनम को जन्म दिया. पिता बन चुके विजयपाल के पैर जमीन पर ही नहीं पड़ते थे. सभी कुछ अच्छा हो रहा था.

एक आम आदमी की तरह विजयपाल दिन भर मेहनत करता और रात में उसी बिल्डिंग में अपने मजदूरों के साथ सो जाता. वह दूरदराज के ठेके लेने के कारण कईकई दिनों तक घर नहीं आ पाता था. पर उसे विश्वास था कि उस की पत्नी बच्चों की परवरिश भलीभांति कर लेगी.

समय बीतता गया और पूनम के अलावा राधा 4 और बच्चों की मां बन गई. अब विजयपाल को घर के बढ़ते खर्चे और बच्चों की पढ़ाई की चिंता होने लगी. पिछले कुछ दिनों से राधा पति से जिद करने लगी थी कि हरियाणा में रहने से तो अच्छा है कि उन्हें अब अपनों के बीच रहना चाहिए, क्योंकि विजयपाल जो अपने नानानानी के यहां रहता था, वे भी चल बसे थे. पत्नी की बात विजयपाल की भी समझ में आ गई.

उस ने अपने एक दोस्त से बात की, जो अलीगढ़ जिले के गांव सालपुर में रहता था. दोस्त ने उस से कहा कि वह उस के रहने और काम की व्यवस्था कर देगा. दोस्त से बात करने के बाद विजय ने राहत की सांस ली. वह कुछ साल पहले अपनी पत्नी और बच्चों के साथ गांव सालपुर में आ कर बस गया. यह गांव अलीगढ़ जिला मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूर है. वहीं आसपास वह मकान बनाने के ठेके लेने लगा.

सालपुर से विजय की ससुराल करीब 25 किलोमीटर दूर थी. अत: विजयपाल इस बात से भी आश्वस्त था कि उस का परिवार अब अपनों के काफी करीब है. यह मानवीय सोच है कि हर कोई अपनों से सहायता और सहयोग की उम्मीद रखता है पर अपनों के बीच आने का फैसला विजयपाल को इतना महंगा पड़ेगा, उस ने कभी भी नहीं सोचा था.

विजयपाल अपने बच्चों को पढ़ालिखा कर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करना चाहता था. उस की बड़ी बेटी पूनम पढ़ाई में काफी अच्छी थी. काम की वजह से विजयपाल कईकई दिनों बाद ही घर आ पाता था.

उस के पीछे उस के घर में क्या हो रहा था, उसे कुछ पता नहीं था. वह एकदो दिन के लिए घर आता तो उसे घर पर सब कुछ सामान्य ही दिखता था. इस से उसे लगता कि सब कुछ ठीक चल रहा है. पर घर पर उस की बड़ी बेटी पूनम का अपनी मां राधा से जो टकराव पैदा हो गया था, वह आने वाले वक्त में क्या गुल खिलाएगा, यह कोई नहीं जान सका था.

4-5 साल पहले विजय का परिवार सालपुर में आ कर बस गया था. तब से पूनम यह महसूस कर रही थी कि उस की मां जब चाहे तब अपने मायके चली जाती है. कभीकभी पूनम को अपनी मां की हरकतों पर शक होता, लेकिन अभी वह बहुत छोटी थी इसलिए मां से कुछ कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाती थी इतना ही नहीं, वह मां के बारे में पिता को कुछ नहीं बता पाती थी. पर उस के मन में मां के प्रति नफरत के बीज अंकुरित हो चुके थे.

society

पूनम ने इंटरमीडिएट की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास करने के लिए अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगा दिया था, पर समय कब करवट ले ले, पता ही नहीं चलता. पूनम पिछले कुछ समय से गांव में पड़ोस में रहने वाले प्रवेश कुमार को पसंद करने लगी थी. वह बीए तृतीय वर्ष में पढ़ रहा था. पढ़ाई के साथसाथ वह एक कोचिंग सेंटर में नौकरी भी करता था.

पूनम की मेहनत रंग लाई. उस ने इंटरमीडिएट की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास कर ली और उसे भी उसी कोचिंग सेंटर में काम मिल गया, जहां प्रवेश पढ़ाता था. पूनम भी एक तरह से अब एक टीचर बन गई थी.

पूनम और प्रवेश धीरेधीरे काफी करीब आने लगे थे. घर के माहौल से तंग आ कर पूनम जब प्रवेश कुमार के साथ थोड़ा समय बिता लेती तो खुद को सामान्य महसूस करती. पर प्रवेश को लगता कि पूनम किसी बात को ले कर परेशान रहती है. अभी तक पूनम और उस के बीच इतनी नजदीकियां नहीं थीं कि वह उस के मन की बात समझ पाता.

दरअसल पिछले कुछ समय से पूनम ने अपनी मां के व्यवहार में काफी बदलाव देखा. एक दिन जब वह कोचिंग सेंटर से घर लौटी तो देखा प्रताप उर्फ डिंपल और उस का भाई प्रभात उस के घर में बैठे हुए थे और उस की मां उन के साथ हंसहंस कर बातें कर रही थी. उन दोनों को देख कर पूनम सीधे अपने कमरे में चली गई तो राधा ने उस के कमरे में आ कर कहा, ‘‘क्या पढ़ाईलिखाई ने इतनी भी तमीज नहीं सिखाई कि मामा लोगों को नमस्ते भी कर लो.’’

‘‘कौन मामा?’’ पूनम ने गुस्से में कहा, ‘‘वो मेरे मामा कैसे हो सकते हैं, मैं सब कुछ जानती हूं मम्मी, तुम इन्हीं से मिलने के लिए जेवर जाती हो.’’

‘‘हां तो क्या मैं अपने मुंहबोले भाइयों से मिल भी नहीं सकती.’’

‘‘मुंहबोले भाई! मम्मी क्यों हमें धोखा दे रही हो. मैं इन्हें अच्छी तरह जानती हूं और फिर तुम्हारे क्या भाई नहीं हैं जो तुम ने इन को भाई बना लिया. देखो मम्मी, तुम जेवर जाती हो, खूब जाओ, पर इन का यहां आनाजाना मुझे पसंद नहीं है.’’ पूनम ने मन में दबी बात कह डाली. बेटी की बात सुन कर राधा हैरान रह गई और बाहर आ कर उस ने प्रताप से कहा, ‘‘पूनम काफी थकी हुई है, इसलिए मैं तुम लोगों के लिए चाय बना कर लाती हूं.’’

प्रताप उर्फ डिंपल और प्रभात सालियान निवासी खुशीराम के बेटे थे. खुशीराम बीडीओ था. प्रताप और प्रभात दोनों ही वैद्य थे, साथ ही दोनों भाई तंत्रमंत्र क्रियाओं से बीमार लोगों का इलाज करने का भी दावा करते थे. प्रभात ने तो मथुरा के गांव बाजना में किराए का मकान ले कर अपना धंधा जमा लिया था जबकि प्रताप ने सालपुर में अपनी दुकान खोल ली थी.

उस दिन के बाद दोनों भाइयों का राधा के पास आनाजाना होने लगा. वे उस की आर्थिक मदद भी करते रहते थे. राधा के उन दोनों भाइयों के साथ अवैध बन गए थे. पूनम को ये दोनों भाई फूटी आंख नहीं भाते थे. उस ने मां से कह भी दिया था कि इन का घर में आनाजाना ठीक नहीं है. पर मां ने उसे डांटते हुए कह दिया कि वह उस के जीवन में दखल न दे और केवल अपने काम से काम रखे.

मां की हरकतें पूनम के दिलोदिमाग में हलचल मचाए हुए थीं. ऐसे में वह क्या करे, यह उस की समझ में नहीं आ रहा था. पर हद तो तब हो गई जब एक दिन प्रताप ने पूनम के पास आ कर अचानक उस के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘हम में क्या बुराई है, जो तुम हम से दूर भागती हो?’’

प्रताप की इस हरकत पर पूनम को गुस्सा आ गया. वह अपनी मां से चिल्ला कर बोली, ‘‘मम्मी, अपने इस भाई को समझा लो वरना बहुत बुरा होगा.’’

प्रताप ने हैरानी से पूनम को देखा और बोला, ‘‘बड़ी चरित्रवान बनती है. तू क्या समझती है कि हमें तेरे बारे में कुछ पता नहीं है.’’

‘‘क्या पता है तुम्हें? और पता भी होगा तो फिर क्या कर लोगे तुम? देखो, जो तुम मेरी मां के भाई बनने का ढोंग कर रहे हो, वो सब मैं अच्छी तरह जानती हूं. तुम दोनों भाई मेरे परिवार से दूर ही रहो तो अच्छा है नहीं तो मैं अपने पापा को सब बता दूंगी.’’ पूनम गुस्से में बोली.

पूनम के तेवर देख प्रताप स्तब्ध रह गया लेकिन पूनम की बात पर उस की मां को गुस्सा आ गया. राधा ने पूनम को 2-4 तमाचे जड़ दिए. वह बोली, ‘‘तूने 2-4 किताबें क्या पढ़ लीं, अपनी औकात ही भूल गई.’’ पूनम भी कहां चुप रहने वाली थी. उस ने मां को फिर चेताया, ‘‘मम्मी, इन दोनों भाइयों से तुम दूर ही रहो तो अच्छा होगा वरना एक दिन तुम्हारे चालचलन ही हमें ले डूबेंगे.’’

उस दिन प्रताप और प्रभात तो वहां से चले गए पर जल्द ही उन्हें पता चल गया कि पूनम गांव के ही प्रवेश कुमार नाम के एक युवक से प्यार करती है. वे समझ गए कि प्रवेश ही पूनम की ताकत है. दोनों भाइयों को लगा कि राधा के साथ उन का जो खेल चल रहा है, उस में पूनम और प्रवेश कुमार सब से बड़ी बाधा हैं और वे दोनों उन के लिए खतरा हो सकते हैं. इसलिए जरूरी है कि उन दोनों को बदनामी का डर दिखा कर दूर कर दिया जाए.

एक दिन प्रवेश कुमार ने पूनम से कहा, ‘‘कल मुझे प्रताप ने रास्ते में रोक कर कहा था कि तू हमारी भांजी पूनम से मिलनाजुलना छोड़ दे वरना जिंदा नहीं छोड़ेंगे.’’

उस की बात पर मुझे गुस्सा आ गया था. तब मैं ने उस का गिरेबान पकड़ कर कह दिया था कि तुम दोनों भाई किस नीयत से राधा आंटी के पास जाते हो, इस की जानकारी मुझे है, पर पूनम को तुम दोनों ने कोई नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो मैं तुम दोनों को छोड़ूंगा नहीं.

‘‘मेरे तेवर देख कर प्रताप को शायद महसूस हो गया कि अगर राधा के साथ बने अवैध संबंधों की पोल खुल गई तो उन की सभी जगह बदनामी होगी. फिर उन की तंत्रमंत्र और वैद्य की दुकान भी बंद हो जाएगी. इस के बाद प्रताप मुझे देख लेने की धमकी दे कर चला गया.’’

प्रवेश ने अपनी प्रेमिका पूनम से कहा कि वह इन दोनों भाइयों से सतर्क रहे और अगर ये दोनों तुम्हें तंग करें तो तुम अपनी मां से शिकायत जरूर करना. इन से डरने की जरूरत नहीं है. पूनम जानती थी कि मां से शिकायत कर के कोई फायदा नहीं, क्योंकि वह जब मां के सामने ही उस के साथ छेड़छाड़ कर रहे थे तो उस समय भी मां ने उन से कुछ नहीं कहा था. इसलिए पूनम मां से चिढ़ती थी. पूनम ने तय कर लिया कि ऐसे माहौल में उसे खुद ही सतर्क रहना होगा.

मांबेटी दोनों के बीच काफी रस्साकशी चल रही थी. एक दिन राधा ने पूनम से कहा, ‘‘प्रवेश के साथ तेरी दोस्ती हमें पसंद नहीं है. वह अच्छा लड़का नहीं है.’’ गुस्से में भरी पूनम ने तय कर लिया कि इस बार वह अपने पापा को सब कुछ बता देगी पर काफी सोचविचार के बाद उसे लगा कि यदि मां ने उन्हें प्रवेश के साथ उस के संबंधों की बात बता दी तो पापा क्या करेंगे, इस की कल्पना करना भी मुश्किल था.

विजयपाल अपने घर से काफी दूर रह कर काम कर रहा था. उसे नहीं मालूम था कि उस के घर में क्या चल रहा है. मां और बहन की लड़ाई में छोटे बच्चे भी काफी सहमे रहते थे. इसी बीच एक रात प्रताप और प्रभात राधा के घर में ही रुक गए. तब पूनम ने राधा से कहा, ‘‘मां, ये तुम्हारे भाई लोग यहां रात में क्या कर रहे हैं?’’

राधा ने कहा, ‘‘तुझे शायद यह पता नहीं है कि जिन मामा लोगों से तू नफरत करती है न, वही हमारी जरूरतें पूरी कर रहे हैं. तेरे बाप जितने पैसे भेजते हैं, उस से घर का खर्च नहीं चल पाता.’’

‘‘मम्मी, तुम बहुत बुरी हो.’’ कह कर पूनम अपने कमरे में चली गई पर उस दिन प्रताप का इरादा कुछ दूसरा ही था. खाना खाने के बाद वह पूनम का हाथ पकड़ कर उस के साथ छेड़छाड़ करने लगा. गुस्से में भरी पूनम ने मां से कहा, ‘‘यही हैं तुम्हारे भाई. जैसा ये तुम्हारे साथ करते हैं, वही मेरे साथ करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन मैं ऐसा नहीं होने दूंगी.’’

कह कर पूनम ने एक जोरदार थप्पड़ प्रताप के गाल पर जड़ दिया. इस के बाद उस ने अपने कमरे में जा कर अंदर से कुंडी लगा ली. वह खूब रोई. फिर उस ने अपने प्रेमी प्रवेश को फोन कर के सारी बात बता दी.

पूनम की इज्जत खतरे में है, यह सोच कर प्रवेश गुस्से में भर उठा. वह सोचने लगा कि ऐसे में उसे क्या करना चाहिए. अगले दिन प्रताप प्रवेश को रास्ते में मिल गया. उस ने प्रवेश से कहा, ‘‘तू हमारी भांजी से दूर नहीं रहा तो तेरे लिए बहुत बुरा होगा. तेरे 10 अप्रैल को होने वाले इम्तिहान से पहले ही हम तुझे ऐसी सजा देंगे कि तू याद रखेगा. याद रखना कि हम तुझे इम्तिहान में नहीं बैठने देंगे.’’

प्रवेश की समझ में यह आने लगा था कि यदि वह खामोशी से बैठा रहा तो जरूर दोनों मौका पाते ही उसे कोई बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं. प्रवेश ने उसी समय तय कर लिया कि उस की प्रेमिका पर बुरी नजर रखने वालों को वह जिंदा नहीं छोड़ेगा.

इस के बाद उस ने एक देशी कट्टा और कारतूसों का इंतजाम किया. उस के सिर पर खून सवार था. वह पूनम से बहुत प्यार करता था. दोनों एक ही जाति के थे. अत: दोनों अपनी दुनिया बसाना चाहते थे. ऐसे में कोई उस की प्रेमिका के साथ छेड़छाड़ करे, यह बरदाश्त करना उस के लिए बहुत मुश्किल था.

पूनम मां और उस के मुंहबोले भाइयों से परेशान थी. चूंकि दोनों भाई उस की मां के प्रेमी थे, इसलिए वह उन के खिलाफ कुछ भी सुनना नहीं चाहती थी. प्रवेश ने जो योजना बना रखी थी, उस के बारे में किसी को कुछ पता नहीं था. उस के सिर पर तो खून सवार था.

27-28 मार्च, 2018 की रात को वह बिना किसी को कुछ बताए अपनी मोटरसाइकिल से मथुरा जिले के बाजना में पहुंच गया, जहां प्रभात उर्फ मोनू अपना क्लिनिक चलाता था और गांधी चबूतरा स्थित मुरारीलाल के मकान में किराए पर रहता था. सुबह 4 बजे के करीब प्रवेश ने प्रभात के दरवाजे पर दस्तक दी तो प्रभात ने दरवाजा खोला. सामने प्रवेश को देखते ही उसे पसीना आ गया. वह डर के मारे अंदर की ओर भागा. प्रवेश भी उस के पीछे भागा. भागते हुए ही उस ने प्रभात पर फायर कर दिया.

गोली की आवाज सुन कर सुबहसुबह टहलने के लिए जाने वाले लोग इकट्ठा हो गए. उन्हें देख कर प्रवेश वहां से भाग निकला. उसी समय किसी ने पुलिस को सूचना दे दी तो पुलिस भी वहां पहुंच गई. गोली लगने से घायल हो चुके प्रभात को वह एस.एन. मैडिकल कालेज ले गई. पुलिस ने अस्पताल में उसे भरती कर आवश्यक काररवाई शुरू कर दी.

लेकिन प्रवेश को अभी 2 खून और करने थे. वह मोटरसाइकिल से कुछ ही देर में राधा के घर पहुंच गया, जहां प्रताप उर्फ डिंपल और राधा आंगन में ही सो रहे थे. उस ने पहले गहरी नींद में सोए प्रताप को गोली मारी. गोली की आवाज से राधा की नींद खुल गई. प्रवेश को देख कर वह जान बचाने के लिए बाहर की ओर भागी पर प्रवेश ने उस के बाल पकड़ कर उस के सिर से तमंचा सटा कर उसे भी गोली मार दी.

फायरिंग की आवाज से पूरा मोहल्ला जाग गया और प्रवेश अपनी मोटरसाइकिल तेजी से चला कर कोतवाली टप्पल पहुंच गया,जहां मौजूद मुंशी से उस ने कहा कि कोतवाल साहब को बुलाओ, मुझे उन से बात करनी है. प्रवेश के हाथ में तमंचा देख कर मुंशी समझ गया कि यह कोई अपराध कर के आया है.

मुंशी ने उस का तमंचा एक तरफ रखवा कर उसे सामने की बेंच पर बैठा दिया. फिर मुंशी ने थानाप्रभारी प्रदीप कुमार सिंह को फोन कर के सारी बात बता दी. कुछ ही देर में थानाप्रभारी वहां आ गए. प्रवेश कुमार ने उन से कहा, ‘‘साहब, मैं 2 खून कर के आ रहा हूं. तीसरा मरा है या बच गया, मुझे पता नहीं.’’

उस समय प्रवेश के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी. थानाप्रभारी ने उस से पूछताछ की तो उस ने उन्हें सारी कहानी बता दी. इस के बाद थानाप्रभारी ने उसे हिरासत में ले लिया और वाकए से अपने उच्चाधिकारियों को भी सूचित कर दिया. इस के बाद थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए, जहां हायतौबा मची हुई थी. प्रताप उर्फ डिंपल की खून से लथपथ लाश चारपाई पर पड़ी हुई थी और राधा का शव आंगन में पड़ा हुआ था.

घटना की जानकारी मिलते ही आईजी डा. संजीव गुप्ता, एसएसपी राजेश पांडे, एसपी (देहात) यशवीर सिंह और खैर के विधायक अनूप सिंह भी मौके पर पहुंच गए.पुलिस ने जरूरी काररवाई कर के लाशें पोस्टमार्टम के लिए भेज दीं. पुलिस ने इस बारे में गांव वालों से भी पूछताछ की लेकिन गांव वाले मुंह खोलने को तैयार नहीं थे. पर मुखबिरों के जरिए पुलिस के सामने सारी कहानी आ गई.

सूचना मिलने पर घर पहुंचे विजयपाल से जब पुलिस ने पूछताछ की तो उस ने बताया कि उसे कुछ पता नहीं कि उस के घर में क्या खिचड़ी पक रही थी. घटना के 3 दिन बाद मृतक प्रताप उर्फ डिंपल के भाई राहुल ने इस हत्याकांड में राधा की बेटी पूनम की साजिश होने की बात बताई. उस ने यह भी कहा कि उस के भाइयों के राधा के साथ नाजायज संबंध होने वाली बात सरासर गलत है.  उस के भाइयों ने तो प्रवेश को पूनम से दूर रहने की चेतावनी दी थी.

एसएसपी ने बताया कि यह बात जांच के बाद ही पता चल सकेगी कि इस दोहरे हत्याकांड में पूनम की कोई भूमिका है भी या नहीं. पुलिस जांच में यह बात सामने आ चुकी थी कि प्रवेश ने मथुरा जा कर जिस प्रभात उर्फ मोनू को गोली मार कर घायल किया था, वह आपराधिक छवि वाला है. अलीगढ़ की क्राइम ब्रांच की टीम नौहझील (बाजना) की पुलिस के साथ मिल कर जांच कर रही थी.

   – कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित