प्यार का ऐसा भयानक अंजाम

नींद न आने की वजह से सुशीला बेचैनी से करवट बदल रही थी. जिंदगी ने उसे एक ऐसे मुकाम पर ला खड़ा किया था, जहां वह पति प्रदीप से जुदा हो सकती थी. चाहत हर किसी की कमजोरी होती है और जब कोई इंसान किसी की कमजोरी बन जाता है तो वह उस से बिछुड़ने के खयाल से ही बेचैन हो उठता है. सुशीला और प्रदीप का भी यही हाल था.

प्रदीप उसे कई बार समझा चुका था, फिर भी सुशीला उस के खयालों में डूबी रातरात भर बेचैनी से करवट बदलती रहती थी. उस रात भी कुछ वैसा ही था. रात में नींद न आने की वजह से सुबह भी सुशीला के चेहरे पर बेचैनी और चिंता साफ झलक रही थी. उसे परेशान देख कर प्रदीप ने उसे पास बैठाया तो उस ने उसे हसरत भरी निगाहों से देखा. उस की आंखों में उसे बेपनाह प्यार का सागर लहराता नजर आया.

कुछ कहने के लिए सुशीला के होंठ हिले जरूर, लेकिन जुबान ने साथ नहीं दिया तो उस की आंखों में आंसू उमड़ आए. प्रदीप ने गालों पर आए आंसुओं को हथेली से पोंछते हुए कहा, ‘‘सुशीला, तुम इतनी कमजोर नहीं हो, जो इस तरह आंसू बहाओ. हम ने कसम खाई थी कि हर पल खुशी से बिताएंगे और एकदूसरे का साथ नहीं छोड़ेंगे.’’

‘‘साथ ही छूटने का तो डर लग रहा है मुझे.’’ सुशीला ने झिझकते हुए कहा.

‘‘सच्चा प्यार करने वालों की खुशियां कभी अधूरी नहीं होतीं सुशीला.’’

‘‘मैं तुम्हारे बिना जिंदा नहीं रह सकती प्रदीप. तुम मेरी जिंदगी हो. यह जिस्म मेरा है, दिल मेरा है, लेकिन मेरे दिल की हर धड़कन तुम्हारी नजदीकियों की मोहताज है.’’

सुशीला के इतना कहते ही प्रदीप तड़प उठा. अपनी हथेली उस के होंठों पर रख कर उस ने कहा, ‘‘मुझे कुछ नहीं होगा सुशीला. मैं तुम्हें सारे जहां की खुशियां दूंगा. तुम्हारे चेहरे पर उदासी नहीं, सिर्फ खुशी अच्छी लगती है, इसलिए तुम खुश रहा करो. इस फूल से खिलते चेहरे ने मुझे हमेशा हिम्मत दी है, वरना हम कब के हार चुके होते.’’

‘‘मैं ने सुना है कि मेरे घर वालों ने धमकी दी है कि वे हमें जिंदा नहीं छोड़ेंगे?’’ सुशीला ने चिंतित हो कर पूछा.

‘‘अब तक कुछ नहीं हुआ तो आगे भी कुछ नहीं होगा, इसलिए तुम बेफिक्र रहो. अब तो हमारे प्यार की एक और निशानी जल्द ही दुनिया में आ जाएगी. हम हमेशा इसी तरह खुशी से रहेंगे.’’ प्रदीप ने कहा.

पति के कहने पर सुशीला ने बुरे खयालों को दिल से निकाल दिया. नवंबर के पहले सप्ताह की बात थी यह. अगर सुशीला ने प्रदीप से प्यार न किया होता तो उसे यह डर कभी न सताता. प्यार के शिखर पर पहुंच कर दोनों खुश थे. यह बात अलग थी कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने काफी विरोध का सामना किया था.

उन्होंने ऐसी जगह प्यार का तराना गुनगुनाया था, जहां कभी सामाजिक व्यवस्था तो कभी गोत्र तो कभी झूठी शान के लिए प्यार को गुनाह मान कर अपने ही खून के प्यासे बन जाते हैं.

प्रदीप हरियाणा के सोनीपत जिले के खरखौदा कस्बे के बरोणा मार्ग निवासी धानक समाज के सुरेश का बेटा था. वह मूलरूप से झज्जर जिले के जसौर खेड़ी के रहने वाले थे, लेकिन करीब 17 साल पहले आ कर यहां बस गए थे. उन के परिवार में पत्नी सुनीता के अलावा 2 बेटे एवं एक बेटी थी. बच्चों में प्रदीप बड़ा था. सुरेश खेती से अपने इस परिवार को पाल रहे थे.

3 साल पहले की बात है. प्रदीप जिस कालेज में पढ़ता था, वहीं उस की मुलाकात नजदीक के गांव बिरधाना की रहने वाली सुशीला से हुई. सुशीला जाट बिरादरी के किसान ओमप्रकाश की बेटी थी. दोनों की नजरें चार हुईं तो वे एकदूसरे को देखते रह गए. इस के बाद जब भी सुशीला राह चलती मिल जाती, प्रदीप उसे हसरत भरी निगाहों से देखता रह जाता.

सुशीला खूबसूरत थी. उम्र के नाजुक पायदान पर कदम रख कर उस का दिल कब धड़कना सीख गया था, इस का उसे खुद भी पता नहीं चल पाया था. वह हसीन ख्वाबों की दुनिया में जीने लगी थी. प्रदीप उस के दिल में दस्तक दे चुका था.

सुशीला समझ गई थी कि खुद उसी के दिल की तरह प्रदीप के दिल में भी कुछ पनप रहा है. दोनों के बीच थोड़ी बातचीत से जानपहचान भी हो गई थी. यह अलग बात थी कि प्रदीप ने कभी उस पर कुछ जाहिर नहीं किया था. वक्त के साथ आंखों से शुरू हुआ प्यार उन के दिलों में चाहत के फूल खिलाने लगा था.

एक दिन सुशीला बाजार गई थी. वह पैदल ही चली जा रही थी, तभी उसे अपने पीछे प्रदीप आता दिखाई दिया. उसे आता देख कर उस का दिल तेजी से धड़कने लगा. वह थोड़ा तेज चलने लगी. प्रदीप के आने का मकसद चाहे जो भी रहा हो, लेकिन सामाजिक लिहाज से यह ठीक नहीं था.

प्रदीप ने जब सुशीला का पीछा करना काफी दूरी तक नहीं छोड़ा तो वह रुक गई. उसे रुकता देख कर प्रदीप हिचकिचाया जरूर, लेकिन वह उस के निकट पहुंच गया. सुशीला ने नजरें झुका कर शोखी से पूछा, ‘‘मेरा पीछा क्यों कर रहे हो?’’

‘‘तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है?’’ प्रदीप ने सवाल के जवाब में सवाल ही कर दिया.

‘‘इतनी देर से पीछा कर रहे हो, इस में लगने जैसा क्या है.’’

‘‘तुम से बातें करने का दिल हो रहा था मेरा.’’ प्रदीप ने कहा.

‘‘इस तरह मेरे पीछे मत आओ, किसी ने देख लिया तो…’’ सुशीला ने कहा.

प्रदीप उस दिन जैसे ठान कर आया था, इसलिए इधरउधर नजरें दौड़ा कर उस ने कहा, ‘‘अगर किसी से 2 बातें करने की तड़प दिल में हो तो रहा नहीं जाता सुशीला. तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. तुम पहली लड़की हो, जिसे मैं प्यार करने लगा हूं.’’

सुशीला ने उस की बातों का जवाब नहीं दिया और मुसकरा कर आगे बढ़ गई. हालांकि प्रदीप की बातों से वह मन ही मन खुश हुई थी. वह भी प्रदीप को चाहने लगी थी. उस रात दोनों की ही आंखों से नींद गायब हो गई थी.

इस के बाद उन की मुलाकात हुई तो सुशीला प्रदीप को देख कर नजरों में ही इस तरह मुसकराई, जैसे दिल का हाल कह दिया हो. इस तरह प्यार का इजहार होते ही उन के बीच बातों और मुलाकातों का सिलसिला चल निकला. प्यार के पौधे को रोपने में भले ही वक्त लगता है, लेकिन वह बढ़ता बहुत तेजी से है.

यह जानते हुए भी कि दोनों की जाति अलगअलग हैं, वे प्यार के डगर पर चल निकले. सुशीला प्रदीप के साथ घूमनेफिरने लगी. प्यार अगर दिल की गहराइयों से किया जाए तो वह कोई बड़ा गुला खिलाता है. दोनों का यह प्यार वक्ती नहीं था, इसलिए उन्होंने साथ जीनेमरने की कसमें भी खाईं.

समाज प्यार करने वालों के खिलाफ होता है, यह सोच कर उन के दिलों में निराशा जरूर काबिज हो जाती थी. यही सोच कर एक दिन मुलाकात के क्षणों में सुशीला प्रदीप से कहने लगी, ‘‘मैं हमेशा के लिए तुम्हारी होना चाहती हूं प्रदीप, लेकिन शायद ऐसा न हो पाए.’’

‘‘क्यों?’’ कड़वी हकीकत को जानते हुए भी प्रदीप ने अंजान बन कर पूछा.

‘‘मेरे घर वाले शायद कभी तैयार नहीं होंगे.’’

‘‘बस, तुम कभी मेरा साथ मत छोड़ना, मैं तुम्हारे लिए हर मुश्किल पार करने को तैयार हूं.’’

‘‘यह साथ तो अब मरने के बाद ही छूटेगा.’’ सुशीला ने प्रदीप से वादा किया.

प्यार उस शय का नाम है, जो कभी छिपाए नहीं छिपता. सुशीला के घर वालों को जब बेटी के प्यार के बारे में पता चला तो घर में भूचाल आ गया. ओमप्रकाश के पैरों तले से यह सुन कर जमीन खिसक गई कि उन की बेटी किसी अन्य जाति के लड़के से प्यार करती है. उन्होंने सुशीला को आड़े हाथों लिया और डांटाफटकारा, साथ ही उस की पिटाई भी की. उन्होंने जमाना देखा था, इसलिए उस पर पहरा लगा दिया.

शायद उन्हें पता नहीं था कि सुशीला का प्यार हद से गुजर चुका है. इस से पहले कि कोई ऊंचनीच हो, ओमप्रकाश ने उस के लिए लड़के की तलाश शुरू कर दी. सुशीला ने दबी जुबान से मना किया कि वह शादी नहीं करना चाहती, लेकिन उस की किसी ने नहीं सुनी.

प्यार करने वालों पर जितने अधिक पहरे लगाए जाते हैं, उन की चाहत का सागर उतना ही उफनता है. सुशीला के साथ भी ऐसा ही हुआ. एक दिन किसी तरह मौका मिला तो उस ने प्रदीप को फोन किया. उस से संपर्क न हो पाने के कारण वह भी परेशान था.

फोन मिलने पर सुशीला ने डूबे दिल से कहा, ‘‘मेरे घर वालों को हमारे प्यार का पता चल गया है प्रदीप. अब शायद मैं तुम से कभी न मिल पाऊं. वे मेरे लिए रिश्ता तलाश रहे हैं.’’

यह सुन कर प्रदीप सकते में आ गया. उस ने कहा, ‘‘ऐसा नहीं हो सकता सुशीला. तुम सिर्फ मेरा प्यार हो. तुम जानती हो, अगर ऐसा हुआ तो मैं जिंदा नहीं रहूंगा.’’

‘‘उस से पहले मैं खुद भी मर जाना चाहती हूं. प्रदीप जल्दी कुछ करो, वरना…’’ सुशीला ने कहा और रोने लगी.

प्रदीप ने उसे हौसला बंधाते हुए कहा, ‘‘मुझे सोचने का थोड़ा वक्त दो सुशीला. पहले मैं अपने घर वालों को मना लूं.’’

दोनों के कई दिन चिंता में बीते. प्रदीप ने अपने घर वालों को दिल का राज बता कर उन्हें सुशीला से विवाह के लिए मना लिया. जबकि सुशीला का परिवार इस रिश्ते के सख्त खिलाफ था. उन्होंने उस पर पहरा लगा दिया था. मारपीट के साथ उसे समझाने की भी कोशिश की गई थी, लेकिन वह प्रदीप से विवाह की जिद पर अड़ी थी.

सुशीला बगावत पर उतर आई थी, क्योंकि प्रदीप के बिना उसे जिंदगी अधूरी लग रही थी. कई दिनों की कलह के बाद भी जब वह नहीं मानी तो उसे घर वालों ने अपनी जिंदगी से बेदखल कर के उस के हाल पर छोड़ दिया.

प्रदीप ने भी सुशीला को समझाया, ‘‘प्यार करने वालों की राह आसान नहीं होती सुशीला. हम दोनों शादी कर लेंगे तो बाद में तुम्हारे घर वाले मान जाएंगे.’’

एक दिन सुशीला ने चुपके से अपना घर छोड़ दिया. पहले दोनों ने कोर्ट में, उस के बाद सादे समारोह में शादी कर के एकदूसरे को जीवनसाथी चुन लिया. इसी के साथ परिवार से सुशीला के रिश्ते खत्म हो गए.

सुशीला और प्रदीप ने प्यार की मंजिल पा ली थी. इस बीच प्रदीप ने एक फैक्ट्री में नौकरी कर ली. एक साल बाद प्यार की निशानी के रूप में सुशीला ने बेटी को जन्म दिया, जिस का नाम उन्होंने प्रिया रखा. वह 3 साल की हो चुकी थी. अब एक और खुशी उन के आंगन में आने वाली थी.

इतने दिन हो गए थे, फिर भी एक अंजाना सा डर सुशीला के दिल में समाया रहता था. इस की वजह थी उस के परिवार वाले. उन से उसे धमकियां मिलती रहती थीं. उस दिन भी सुशीला इसीलिए परेशान थी. सुशीला के घर वालों की नाराजगी बरकरार थी.

अपने रिश्ते को उन्होंने सुशीला से पूरी तरह खत्म कर लिया था. एक बार प्रदीप की होने के बाद सुशीला भी कभी अपने मायके नहीं गई थी. उसे मायके की याद तो आती थी, लेकिन मजबूरन अपने जज्बातों को दफन कर लेती थी. उस ने सोच लिया था कि वक्त के साथ सब ठीक हो जाएगा.

प्रदीप और सुशीला अपने घर में नए मेहमान के आने की खुशी से खुश थे, लेकिन जिंदगी में खुशियों का स्थाई ठिकाना हो, यह जरूरी नहीं है. कई बार खुशियां रूठ जाती हैं और वक्त ऐसे दर्दनाक जख्म दे जाता है, जिन का कोई मरहम नहीं होता. सुशीला और प्रदीप की भी खुशियां कितने दिनों की मेहमान थीं, इस बात को कोई नहीं जानता था.

18 नवंबर की रात की बात है. प्रदीप के घर के सभी लोग सो रहे थे. प्रदीप और सुशीला बेटी के साथ अपने कमरे में सो रहे थे, जबकि उस के मातापिता सुरेश और सुनीता, भाई सूरज अलग कमरे में सो रहे थे. बहन ललिता अपने ताऊ के घर गई थी. समूचे इलाके में खामोशी और सन्नाटा पसरा था. तभी किसी ने प्रदीप के दरवाजे पर दस्तक दी. प्रदीप ने दरवाजा खोला तो सामने कुछ हथियारबंद लोग खड़े थे.

प्रदीप कुछ समझ पाता, उस से पहले ही उन्होंने उस पर गोलियां चला दीं. गोलियां लगते ही प्रदीप जमीन पर गिर पड़ा. सुशीला बाहर आई तो उसे भी गोली मार दी गई. प्रदीप के पिता सुरेश और मां सुनीता के बाहर आते ही हमलावरों ने उन पर भी गोलियां चला दीं. सूरज की भी आंखें खुल गई थीं. खूनखराबा देख कर उस के होश उड़ गए. हमलावरों ने उसे भी नहीं बख्शा.

गोलियों की तड़तड़ाहट से वातावरण गूंज उठा था. आसपास के लोग इकट्ठा होते, उस के पहले ही हमलावर भाग गए थे. घटना की सूचना स्थानीय थाना खरखौदा को दी गई. थानाप्रभारी कर्मबीर सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर आ पहुंचे. पुलिस आननफानन घायलों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गई. तीनों की हालत गंभीर थी, लिहाजा प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें रोहतक के पीजीआई अस्पताल रेफर कर दिया गया.

उपचार के दौरान सुरेश, सुनीता और प्रदीप की मौत हो गई, जबकि डाक्टर सुशीला और सूरज की जान बचाने में जुट गए. सूरज के कंधे में गोली लगी थी और सुशीला की पीठ में. डाक्टरों ने औपरेशन कर के गोलियां निकालीं. सुरक्षा के लिहाज से अस्पताल में पुलिस तैनात कर दी गई थी. सुशीला गर्भ से थी. उस के शिशु की जान को भी खतरा हो सकता था.

डाक्टरों ने उस की सीजेरियन डिलीवरी की. उस ने स्वस्थ बेटे को जन्म दिया. डाक्टरों ने दोनों को खतरे से निकाल लिया था. पति और सासससुर की मौत ने उसे तोड़ कर रख दिया था. सुशीला बहुत दुखी थी. अचानक हुई घटना ने उस के जीवन में अंधेरा ला दिया था. वह दर्द और आंसुओं की लकीरों के बीच उलझ चुकी थी.

घायल सूरज ने पुलिस को जो बताया था, उसी के आधार पर अज्ञात हमलावरों के खिलाफ हत्या और हत्या के प्रयास का मुकदजा दर्ज किया गया. एसपी अश्विन शैणवी ने अविलंब आरोपियों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए. 3 लोगों की हत्या से क्षेत्र में दहशत फैल गई थी.

अगले दिन एसपी अश्विन शैणवी और डीएसपी प्रदीप ने भी घटनास्थल का दौरा किया. उन के निर्देश पर पुलिस टीमों का गठन किया गया. एसआईटी इंचार्ज राज सिंह को भी टीम में शामिल किया गया. पुलिस ने जांच शुरू की तो सुशीला और प्रदीप के प्रेम विवाह की बात सामने आई.

पुलिस ने सुशीला से पूछताछ की, लेकिन वह सही से बात करने की स्थिति में नहीं थी. फिर भी उस ने हमले का शक मायके वालों पर जताया. मामला औनर किलिंग का लगा. पुलिस ने सुशीला के पिता के घर दबिश दी तो वह और उन के बेटे सोनू एवं मोनू फरार मिले.

इस से पुलिस को विश्वास हो गया कि हत्याकांड को इन्हीं लोगों के इशारे पर अंजाम दिया गया था. पुलिस के हाथ सुराग लग गया कि खूनी खेल खेलने वाले कोई और नहीं, बल्कि सुशीला के घर वाले ही थे. पुलिस सुशीला के पिता और उस के बेटों की तलाश में जुट गई.

उन की तलाश में झज्जर, बेरी, दादरी, रिवाड़ी और बहादुरगढ़ में दबिशें दी गईं. पुलिस ने उन के मोबाइल नंबर हासिल कर के जांच शुरू कर दी. 22 नवंबर को पुलिस ने सुशीला के एक भाई सोनू को गिरफ्तार कर लिया. उस से पूछताछ की गई तो नफरत की जो कहानी निकल कर सामने आई, वह इस प्रकार थी—

दरअसल, सुशीला के अपनी मरजी से अंतरजातीय विवाह करने से पूरा परिवार खून का घूंट पी कर रह गया था. सोनू और मोनू को बहन के बारे में सोच कर लगता था कि उस ने उन की शान के खिलाफ कदम उठाया है. उन्हें सब से ज्यादा इस बात की तकलीफ थी कि सुशीला ने एक पिछड़ी जाति के लड़के से शादी की थी.

उन के दिलों में आग सुलग रही थी. मोनू आपराधिक प्रवृत्ति का था. उस की बुआ का बेटा हरीश भी आपराधिक प्रवृत्ति का था. हरीश पर हत्या का मुकदमा चल रहा था और वह जेल में था. समय अपनी गति से बीत रहा था. समाज में भी उन्हें समयसमय पर ताने सुनने को मिल रहे थे. जब भी सुशीला का जिक्र आता, उन का खून खौल उठता था.

मोनू ने मन ही मन ठान लिया था कि वह अपनी बहन को उस के किए की सजा दे कर रहेगा. उस के इरादों से परिवार वाले भी अंजान नहीं थे. जुलाई में मोनू की बुआ का बेटा हरीश पैरोल पर जेल से बाहर आया तो वह मोनू का साथ देने को तैयार हो गया. मोनू लोगों के सामने धमकियां देता रहता था कि वह बहन को तो सजा देगा ही, प्रदीप से भी अपनी इज्जत का बदला ले कर रहेगा.

मोनू शातिर दिमाग था. वह योजनाबद्ध तरीके से वारदात को अंजाम देना चाहता था. उस ने छोटे भाई सोनू को सुशीला के घर भेजना शुरू कर दिया. इस के पीछे उस का मकसद यह जानना था कि वे लोग कहांकहां सोते हैं, कोई हथियार आदि तो नहीं रखते. इस बीच जबजब सुशीला को पता चलता कि मोनू प्रदीप और उस के घर वालों को मारने की धमकी दे रहा है, वह परेशान हो उठती थी.

मोनू का भाई सोनू और पिता भी इस खतरनाक योजना में शामिल थे. जब मोनू पहली प्लानिंग में कामयाब हो गया तो उस ने वारदात को अंजाम देने की ठान ली. हरीश के साथ मिल कर उस ने देशी हथियारों के साथ एक कार का इंतजाम किया. इस के बाद वह कार से अपने साथियों के साथ रात में सुशीला के घर जा पहुंचा और वारदात को अंजाम दे कर फरार हो गया.

एक दिन बाद पुलिस ने सुशीला के षडयंत्रकारी पिता ओमप्रकाश को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के बाद दोनों आरोपियों को पुलिस ने अदालत में पेश कर के न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. इस बीच खरखौदा थाने का चार्ज इंसपेक्टर प्रदीप के सुपुर्द कर दिया गया. वह मुख्य आरोपी मोनू की तलाश में जुटे हैं.

सुशीला ने सोचा भी नहीं था कि उसे प्यार करने की इतनी बड़ी सजा मिलेगी. ओमप्रकाश और उस के बेटे ने सुशीला के विवाह को अपनी झूठी शान से न जोड़ा होता तो शायद ऐसी नौबत न आती. सुशीला का सुहाग उजाड़ कर वे सलाखों के पीछे पहुंच गए हैं. कथा लिखे जाने तक आरोपियों की जमानत नहीं हो सकी थी और पुलिस मोनू और उस के अन्य साथियों की सरगर्मी से तलाश कर रही थी.

कनाडा से बुला कर शादी, फिर हत्या

कनाडा से बुला कर शादी, फिर हत्या – भाग 2

दूसरी तरफ सुनील मोनिका की खुबसूरती, स्वभाव, आचरण और व्यवहारिकता पर मर मिटा था. वह गांव की हो कर भी शहरी वातावरण में आसानी से फिट हो जाती थी. धाराप्रवाह अंगरेजी बोलना सीख गई थी. कंप्यूटर, इंटरनेट सर्फिंग, सोशल साइटों से संबंधित बारीकियां और दूसरी टेक्निकल जानकारियां भी हासिल कर चुकी थी. मोनिका अगर अपने करिअर के प्रति महत्त्वाकांक्षी बनी हुई थी तो सुनील उसे लाइफ पार्टनर बनाने का मन बना चुका था. दोनों का प्रेम प्रसंग बढ़ता जा रहा था.

पढ़ाई के लिए कनाडा पहुंची मोनिका

समय अपनी गति से चल रहा था तो वहीं मोनिका भी अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रही थी. उस ने बीए की पढ़ाई पूरी करने के अलावा आइलेट्स की परीक्षा भी पास कर ली. उसे 2 सफलताएं एक साथ मिल गई थीं, जिस से उस के विदेश जाने की राह और आसान हो गई थी.

हालांकि इस के लिए उस के मौसेरे भाई विकास ने भी तैयारी की थी, लेकिन वह आइलेट्स की परीक्षा पास नहीं कर पाया था, जिस से उसे कनाडा का वीजा नहीं मिल पाया. फिर भी उसे खुशी इस बात की थी कि बहन मोनिका को स्टूडेंट वीजा मिल गया था. उसे वहां बिजनैस मैनेजमेंट यानी एमबीए की पढ़ाई करनी थी.

उन की इस खुशी में सुनील भी शामिल था, लेकिन उस के मन में एक टीस भी थी कि मोनिका कनाडा चली जाएगी और जब उसे उस की याद सताएगी तब क्या करेगा? वह एक तरह से उस की गैरमौजूदगी में अपनी तन्हाई को ले कर चिंतित हो गया था. उस ने भारी मन से 5 जनवरी, 2022 को दिल्ली के अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट से मोनिका को कनाडा के लिए विदा कर दिया था.

मोनिका के परिवार वालों के लिए संतोष और बेहद खुशी की बात थी कि कनाडा में उस की पढ़ाई का सारा इंतजाम हो गया था. उस के सुनहरे भविष्य को ले कर उस का भाई विकास समेत मौसामौसी और मम्मीपापा सभी खुश थे. इसे वे गर्व की बात समझते थे और परिचितों को बताने से नहीं चूकते थे. इस से उन की सामाजिक मानमर्यादा बढ़ गई थी. गांव के लोगों के बीच उन की प्रतिष्ठा भी बढ़ गई थी.

अगर कोई उदास था तो वह था सुनील. मोनिका के जाने के बाद वह उस के प्रेम की रूमानियत और रोमांस में खोया रहने लगा था. मोनिका की यादें उसे सताती रहती थीं. वैसे वह उस से फोन पर बातें कर लिया करता था, लेकिन वहां मोनिका पढ़ाई की व्यस्तता और रातदिन में समय के फर्क के कारण ज्यादा समय तक बात नहीं कर पाती थी. जबकि सुनील चाहता था कि वह उस से लंबी बातें करे. अपने दिल की बात उसे सुनाए. उस की यादों में खोए हुए अपने गम के हाल बताए.

कुछ ऐसा ही मोनिका के घर वालों के साथ भी था, लेकिन वे उस की पढ़ाई और व्यस्तता को समझते हुए कुछ सेकेंड के लिए ही सही, हर रोज हालसमाचार ले लिया करते थे. समय बीतता रहा और मोनिका से फोन पर संपर्क होने का समय भी बढ़ता चला गया. घर वालों की उस से 2-3 दिन में बातें होने लगीं. धीरेधीरे कर हफ्ते में और फिर 2 हफ्ते में बात होने लगी.

एक समय ऐसा भी आया, जब मोनिका की घर वालों से 2-2 हफ्ते तक बात नहीं हो पाई. यह सिलसिला हफ्ते से महीने में बदल गया. लेकिन जून, 2022 के बाद घर के किसी भी सदस्य से मोनिका की बात नहीं हो पाई. जबकि इस से पहले परिवार में किसी न किसी सदस्य से मोनिका की थोड़ी ही सही, मगर हालचाल, पढ़ाई या जरूरतें आदि की बात हो जाती थी. इस तरह से उस की कुशलता की खबर पूरे परिवार को मिल जाती थी.

अचानक बंद हो गया मोनिका से संपर्क

जून, 2022 के बाद जब मोनिका की कोई काल नहीं आई और उस के घर वालों द्वारा काल किए जाने पर भी उस से बात नहीं हो पाई, तब वे चिंतित हो गए. वे समझ नहीं पा रहे थे कि अचानक क्या हो गया, जो कनाडा गई मोनिका से भारत में किसी से बात नहीं हो पा रही है. न तो फोन काल और न ही वाट्सऐप मैसेज. उस से संपर्क एकदम से खत्म गया था.

इस तरह 5 महीने निकल गए थे और मोनिका का भारत में किसी से संपर्क नहीं हो पा रहा था. आखिरकार, उस के घर वालों ने गन्नौर थाने में 26 अक्तूबर, 2022 को मोनिका के अपहरण की शिकायत दर्ज करवा दी. पुलिस द्वारा अपहरण के लिए किसी पर संदेह की बात पूछे जाने पर घर वालों ने सुनील का नाम ले लिया था, जिस से कुछ महीने में अच्छी दोस्ती हो चुकी थी.

मोनिका के घर वाले 2 दिनों तक गन्नौर पुलिस की काररवाई से संतुष्ट नहीं हुए. वे 28 अक्तूबर, 2022 को एसपी से मिले. फिर भी उन्हें मोनिका के बारे में कोई सूचना नहीं मिल पाई. दूसरी तरफ मोनिका के अपहरण में सुनील का नाम आने से वह नाराज हो गया था. गुस्से में उस ने मोनिका के मौसामौसी के गुमड़ी गांव स्थित घर पर 2 नवंबर, 2022 को काफी हंगामा किया. यहां तक कि उस के आदमियों ने परिवार के सदस्यों पर हमले भी किए. यह सब सीसीटीवी कैमरे में रिकौर्ड हो चुका था.

काफी प्रयास के बाद 16 नवंबर, 2022 को सुनील के खिलाफ मोनिका के अपहरण का केस दर्ज हो पाया. फिर भी उस के खिलाफ पुलिस ने कोई सख्त काररवाई नहीं की, गिरफ्तारी तो दूर की बात थी. आखिरकार मोनिका के परिजनों ने हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज से मिल कर न्याय की गुहार लगाई.

इस का असर यह हुआ कि मोनिका के गायब होने की जांच रोहतक रेंज के आईजी को सौंप दी गई. उन्होंने तुरंत मामले की गंभीरता को देखते हुए मोनिका की तलाशी के लिए सीआईए-2 की टीम को इस मामले की जांच के निर्देश दिए.

घर वालों ने सुनील पर जताया शक

मोनिका की तलाशी के सिलसिले में पुलिस के लिए एकमात्र संदिग्ध सुनील ही था. उस के घर वालों के अलावा गांव के कुछ लोगों ने बताया की मोनिका को अकसर सुनील के साथ देखा गया था. वह उस की गाड़ी से ही कालेज या कोचिंग के लिए दिल्ली जाती थी. वापस भी उसी के साथ आती थी. गांव वालों की निगाह में सुनील उस के साथ बहन का रिश्ता बनाए हुए था. सुनील की लंबी चमकती गाड़ी वीआईपी नंबर की थी, जिसे हर कोई पहचानता था.

पूछताछ से पहले पुलिस ने उस के आपराधिक रिकौर्ड की छानबीन की. पता चला कि सुनील पहले भी आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त पाया गया था. उस के खिलाफ थाना गन्नौर में मारपीट, अवैध हथियार, जान से मारने का प्रयास आदि के 7 मुकदमे दर्ज थे. उस के खिलाफ नया मामला मोनिका के अपहरण का दर्ज हो चुका था, जिस के लिए उसे भादंवि की धारा 365 का आरोपी बनाया गया था.

 

कनाडा से बुला कर शादी, फिर हत्या – भाग 1

मूलरूप से हरियाणा के रोहतक की रहने वाली मोनिका बेहद खूबसूरत थी. लेकिन फिलहाल अपने मम्मीपापा के साथ सोनीपत के गांव गुमड़ी में रह रही थी. वह दिल्ली विश्वविद्यालय में बीए की छात्रा थी. क्लास के लिए वह गुमड़ी से बस से दिल्ली आतीजाती थी.

छुट्टी के दिनों को छोड़ कर करीब 40 किलोमीटर का सफर वह अकेली तय करती थी. उस पर पढ़ाई का भूत सवार था. वह फाइनल ईयर में थी. आगे वह सीधे विदेश में जा कर पढ़ाई करने का मन बना चुकी थी. वहां मैनेजमेंट का कोई अच्छा कोर्स करने की महत्त्वाकांक्षा थी. उस की तमन्ना पूरी करने के लिए 2 परिवारों का साथ भी मिला हुआ था.

उन में एक उस के अपने मम्मीपापा का परिवार था और दूसरा परिवार उस के मौसामौसी का भी था, जहां वह रहती थी. वह 2 मौसेरे भाइयों की दुलारी, प्यारी इकलौती बहन थी. उस की मौसी ने उस की मां से मांग कर अपनी बेटी का नाम दे दिया था.

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. मोनिका बीए की पढ़ाई के साथसाथ आइलेट्स अर्थात इंटरनैशनल इग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम कंप्यूटर के लिए कोचिंग भी कर रही थी. इस तरह से उस पर पढ़ाई का काफी बोझ था. ऊपर से बस से थका देने वाला सफर भी तय करना होता था.

एक बार कालेज जाते समय उसे अमीर नौजवान सुनील ने देख लिया था. वह बस में थी, जबकि सुनील अपनी महंगी गाड़ी में था. दोनों की मंजिल दिल्ली की तरफ ही थी. दरअसल, सुनील उस की मौसी का पड़ोसी था और वह अपनी भाभी की बदौलत उसे जानतापहचानता था. उसे अपने बिजनैस के सिलसिले में गुडग़ांव और दिल्ली नियमित जाना होता था.

उस के बारे में पड़ोसी भाभी सोनिया ने बताया था. साथ ही सुझाव दिया था कि वह चाहे तो बस के बजाय उस की गाड़ी से दिल्ली जा सकती है. उसे कोई आपत्ति नहीं होगी. हालांकि मोनिका ने इस तरह से किसी का एहसान लेना ठीक नहीं समझते हुए बस से ही आनाजाना रखा. एक दिन सुनील उर्फ शिल्ला अपनी गाड़ी से जाते हुए मोनिका से टकरा गया.

संयोग से उस दिन मोनिका जिस बस में सवार थी, उस में कुछ खराबी आ गई थी और सभी यत्रियों के साथ वह भी सडक़ के किनारे दूसरी बस के इंतजार में थी. बेचैन और चिंतित मोनिका से एक सहयात्री महिला कंधे पर हाथ रख कर बताया कि उधर पीछे की गाड़ी से कोई आवाज दे कर उसे बुलाने का इशारा कर रहा है.

मोनिका ने उस ओर देखा, तब तक एक कार उस के पास आ कर ही रुक गई थी. दूसरी तरफ ड्राइविंग सीट पर बैठे युवक ने अपना परिचय सुनील के रूप में दिया और उसे गाड़ी में बैठने को कहा. मोनिका हिचकिचाई. उस के कुछ बोलने से पहले ही सुनील ने मोबाइल फोन का स्पीकर औन कर उस के सामने कर दिया. दूसरी तरफ से आवाज आ रही थी. ‘‘हैलो, सुनील, बोलो क्या बात है?’’

“भाभीजी, मोनिका से बात कीजिए…’’

“मोनिका…तुम्हारे पास?’’ उधर से चिंतातुर आवाज आई.

“जी भाभी, उस की बस खराब हो गई है, दूसरी बस का इंतजार कर रही है. मैं उसे अपनी गाड़ी में लिफ्ट देने के लिए बोल रहा हूं, लेकिन वह हिचकिचा रही है. शायद मुझे नहीं पहचानती है.’’ सुनील बोला.

दूसरी तरफ से उस की भाभी सोनिया की आवाज आई, ‘‘अरे उसे फोन तो दो, मैं बात करती हूं. तुम्हारे बारे में बताती हूं.’’

“फोन का स्पीकर औन है, आप बोलिए वह सुन रही है.’’ सुनील बोला. तब तक मोनिका भी सोनिया की आवाज पहचान चुकी थी. वह बोली, ‘‘भाभीजी नमस्ते, आप ने इन के बारे में ही बताया था क्या?’’

“अरे हां मोनिका. यही तो मेरा प्यारा देवर है. बहुत अच्छा लडक़ा है. तुम्हें अपनी गाड़ी से कालेज तक छोड़ देगा. साथ चली जाओ. कोई चिंता की बात नहीं है. समझो, जैसा तुम्हारा भाई विकास वैसा ही सुनील.’’ सोनिया उसे समझाती हुई बोली. तब तक सुनील गाड़ी का गेट खोल चुका था. एक हाथ से साथ वाली सीट पर रखी फाइल और डायरी को आगे डैशबोर्ड पर रखते हुए बैठने के लिए इशारा कर दिया. मोनिका तब तक आश्वस्त हो चुकी थी और पीठ से अपना बैग उतार कर गाड़ी में बैठ गई.

पहली मुलाकात का हुआ दिल पर असर

इस तरह से मोनिका और सुनील की पहली मुलाकात हुई थी. कुछ समय तक दोनों शांत बैठे रहे. थोड़ी देर में बातचीत का सिलसिला सुनील ही शुरू करते हुए बोला, ‘‘मोनिकाजी, मैं आप को अच्छी तरह जानता हूं. शायद आप मुझे नहीं पहचानती हैं, इसलिए गाड़ी में बैठने से झिझक रही थीं. मैं आप के मौसामौसी के पड़ोस में रहता हूं. सुबहसुबह ही काम के सिलसिले में दिल्ली एनसीआर को निकल पड़ता हूं. आप को मैं ने कई बार पैदल जाते हुए और बस का इंतजार करते देखा था. सोचता था कि आप को साथ लेता चलूं, लेकिन मैं यही सोच कर नहीं बोल पाता था कि आप कुछ गलत न समझ लें…’’

मौन बनी मोनिका सुनील की बात सुन रही थी. गाड़ी अपनी गति से सडक़ पर अपनी लेन में चल रही थी. सुनील बोला, ‘‘आप चाहें तो लौटते वक्त मुझे फोन कर दीजिएगा. मैं उधर से भी आप को साथ ले लूंगा. मेरा फोन नंबर नोट कीजिए 97xxxxxxxx’’ सुनील फोन नंबर बोलने लगा.

मोनिका बगैर कुछ बोले, अपने मोबाइल पर उस का नंबर टाइप करने लगी. तुरंत उसी नंबर पर उस ने काल भी कर दी. सुनील के मोबाइल पर इनकमिंग काल आ चुकी थी.

“आप का नंबर है? लास्ट डिजिट 34 है न?’’ सुनील ने कहा.

“जी…मुझे हुडा सिटी सेंटर मेट्रो पर उतार दीजिएगा. वहां से यूनिवर्सिटी की मेट्रो ले लूंगी.’’ मोनिका बोली.

“ठीक है, वापसी भी वहीं से होगी न? मुझे काल कर देना मैं मेट्रो के पास आ जाऊंगा.’’

“देखती हूं…’’

इस तरह से मोनिका और सुनील की पहली जानपहचान से अच्छी दोस्ती में बदलने में ज्यादा देर नहीं लगी. उन की अकसर मुलाकातें होने लगीं. मोनिका और सुनील साथ गाड़ी में आनेजाने लगे. समय बचता तो वे गुडग़ांव के किसी काफी होम या रेस्टोरेंट में कुछ समय साथ भी गुजारने लगे थे.

यह कहना गलत नहीं होगा कि दोनों के दिल में प्रेम अगन सुलग चुकी थी. कुंवारे और अमीर सुनील को पा कर मोनिका अच्छे भविष्य के सपने देखने लगी थी. उसे एहसास होने लगा था कि उस ने विदेश में पढ़ाई करने के जो सपने देखे हैं, उसे पूरा करने में सुनील की मदद उसे अवश्य मिलेगी.

 

कनाडा से बुला कर शादी, फिर हत्या – भाग 4

सुनील ने बताया कि वह अपनी हर बात मोनिका पर थोप देता था. अपनी बात मानने का उस पर दबाव डालता था. भावनात्मत्क उत्पीडऩ करने के साथसाथ शारीरिक तकलीफें भी देने लगा था. यहां तक कि उस की बात नहीं मानने पर अपनी लाइसेंसी पिस्तौल भी दिखा चुका था. पूछताछ के सिलसिले में उस ने कुबूल कर लिया कि मोनिका के कनाडा जाने के अगले रोज से ही वह उसे पाने के लिए बेचैन हो गया था.

वह एक विक्षिप्त प्रेमी की तरह बन चुका था. ठीक उसी तरह जैसे प्यार में लोग कभीकभी सारी हदें पार कर देते हैं. उस ने भी वही सब किया. उस ने मोनिका के प्यार में जीनेमरने की कसमें खाई थीं और उस से हर हाल में शादी रचाना चाहता था.

इस के चलते ही मोनिका के कनाडा जाने के कुछ दिनों बाद ही उस ने परिवार में एक हादसा होने का बहाना बना कर उसे वापस भारत बुलवा लिया. वहां से उस ने उसे अपने परिजनों के पास जाने नहीं दिया. जबरन अपने बनाए ठिकाने पर ले कर चला गया.

सुनील और मोनिका ने कर ली थी शादी

मोनिका 5 जनवरी, 2022 को कनाडा बिजनैस मैनेजमेंट का कोर्स करने गई थी, लेकिन सुनील ने 22 जनवरी को ही कनाडा से उसे वापस भारत बुला लिया था. इस के बाद उन्होंने 29 जनवरी, 2022 को गाजियाबाद के आर्यसमाज मंदिर में शादी कर ली थी.

शादी के बाद 30 जनवरी को मोनिका फिर कनाडा चली गई थी, लेकिन सुनील ने उसे फिर भारत बुला लिया और कनाडा वापस जाने नहीं दिया. इस दौरान मोनिका के कनाडा आनेजाने का सारा खर्च सुनील ने ही उठाया था. सुनील मोनिका को अपने साथ ले गया था, दोनों अलगअलग जगहों पर रहने लगे थे. कुछ दिनों बाद उन के बीच अनबन होने लगी.

सुनील ने पुलिस को बताया कि मोनिका कहती कि उस ने अगर शादी की है, तब इसे सार्वजनिक करे और लोगों के सामने पतिपत्नी की तरह रहे. इस पर सुनील अपनी पहली पत्नी का हवाला देता था और उस से तलाक लेने का आश्वान देता रहा. जबकि मोनिका अलग रहते हुए सुनील के बदले तेवर से परेशान हो चुकी थी. उस की कोई वैध शादी नहीं थी, जो वह कानून का सहारा लेती. सुनील उस पर मानसिक दबाव बनाए हुए था.

विरोध करने पर उस के घर वालों को जान से मारने की धमकी दे कर उसे चुप करा देता था. जिस के चलते उन के बीच झगड़ा होने लगा था. जून में ही जब सुनील मोनिका को अपने साथ कार में बैठा कर गड़ी झंझारा स्थित फार्महाउस की तरफ जा रहा था तो रास्ते में उन का फिर किसी बात को ले कर झगड़ा हो गया. इस पर सुनील ने तैश में आ कर मोनिका की कार में ही अवैध पिस्तौल से 2 गोलियां मार कर हत्या कर दी थी.

गोली मार कर मोनिका की हत्या करने के बाद शाम को सुनील उस के शव को कार में ही ले कर फार्महाउस पहुंच गया था. जिस के बाद उस ने मोनिका के शव को फार्महाउस में ही गड्ïढा खोद कर उस में दबाने की योजना बनाई, लेकिन अकेला वह गड्ढा खोदने में असमर्थ था. इस कारण उस ने मोनिका के शव को कार में छोड़ कर उसे पूरी तरह से ढंक दिया.

फार्महाउस में दफना दी गई मोनिका

अगली सुबह उस ने मजदूरों को बुलाया और सेफ्टी टैंक का निर्माण करवाने की बात कह कर उन से कई फीट गहरा गड्ढा खुदवा दिया. मजदूरों के चले जाने के बाद शाम के समय उस ने मोनिका के शव को कार से निकाल कर उसे गड्ढे में दबा दिया. गड्ढे की मिट्टी को पूरी तरह से समतल करने के बाद सुनील ने उस के ऊपर घास भी लगवा दी, ताकि किसी को इस बारे में शक न हो. इस तरह सुनील बेफिक्र हो गया था.

सुनील द्वारा मोनिका के अपहरण और उस की हत्या की बात कुबूल करने के बाद मोनिका मर्डर केस का खुलासा हो चुका था. भिवानी सीआईए-2 प्रभारी रविंद्र कुमार ने उस के बयान को कलमबद्ध करने के बाद अदालत में पेश कर दिया. वहां से उसे 10 दिन के रिमांड पर ले लिया गया. रिमांड अवधि के दौरान पुलिस सुनील से वारदात में इस्तेमाल अवैध हथियार और कार को भी बरामद करने के प्रयास में जुट गई.

मोनिका हत्याकांड के मामले में आरोपी सुनील ने मोनिका की हत्या की असली वजह बता दी थी. शादी के बाद वह मोनिका के साथ कनाडा जा कर वहीं शिफ्ट होना चाहता था, लेकिन वह गन्नौर में ही रहने की जिद पर अड़ गई थी. मोनिका उसे उस की पहली पत्नी सोनिया को छोडऩे के लिए मजबूर कर रही थी.

मोनिका उस के बच्चों के साथ उस के घर में ही रहना चाहती थी. सुनील ने उसे समझाने की कोशिश की कि वह दूसरा घर खरीद लेंगे और उस में रहेंगे, लेकिन वह नहीं मानी. इसी बात पर उन का झगड़ा हो गया और विवाद इतना बढ़ गया कि उस ने उस की हत्या कर दी.

वह मोनिका की हत्या करने के बाद समालखा, उत्तर प्रदेश में अलगअलग ठिकाने बदलता रहा. मोनिका की लाश को गड्ढा खुदवा कर निकाल लिया गया. पोस्टमार्टम के दौरान मोनिका की खोपड़ी में फंसी गोली मिल गई. पुलिस ने गड्ढे से बरामद युवती के अवशेषों का डीएनए का सैंपल भी जांच के लिए भिजवा दिया.

जांच में पाया गया कि उस की कार गन्नौर अथारिटी में रजिस्टर्ड है. पुलिस ने सुनील से वह देशी पिस्तौल भी बरामद कर ली, जिस से उस ने मोनिका की हत्या की थी. उस के बारे में उस ने बताया कि उस ने पिस्तौल सहारनपुर में रहने वाले अपने एक दोस्त से ली थी. इस जानकारी के बाद पुलिस अब उस के दोस्त के बारे में भी पता लगाने में जुट गई थी.

कथा लिखे जाने तक मोनिका का पासपोर्ट, लैपटाप, सोने की अंगूठी, कपड़ों से भरे बैग, सोने की चेन बरामद नहीं हो पाई थी. मृतका के मौसेरे भाई प्रदीप ने बताया कि उन्होंने भिवानी की सीआईए-2 को जिन संदिग्ध व्यक्तियों के नाम दिए हैं, उन से उन्हें जान का खतरा है. उन्हें उन व्यक्तियों द्वारा उसे व उस के घर वालों पर हमला होने का डर सता रहा है. इसे ले कर उस ने पुलिस आयुक्त से मिल कर सुरक्षा की मांग की.

कनाडा से बुला कर शादी, फिर हत्या – भाग 3

पहली पूछताछ में सुनील ने मोनिका के साथ गहरी जानपहचान होने की बात स्वीकार कर ली. साथ ही उस ने यह भी बताया कि वह उस से प्रेम करता है. उस के कनाडा से लौटने का उसे इंतजार है. उस से पूछताछ करते समय कई बातें जांच अधिकारी को संदिग्ध लगीं, जिस से जांच अधिकारी को शक हुआ कि वह मोनिका के बारे में बहुत सी बातें छिपा रहा है.

उस ने अपने बारे में जो कुछ बताया था, उस में भी कई बातें गलत निकली थीं. जैसे उस ने खुद को अविवाहित बताया था. पुलिस को ग्रामीणों से मालूम हुआ था कि सुनील न केवल विवाहित है, बल्कि उस के बच्चे भी हैं. यहीं से पुलिस को उस पर संदेह गहरा गया.

मोनिका के बारे में कई बार पूछताछ हुई. उस से आखिरी मुलाकात से ले कर आखिरी बार फोन पर हुई बातचीत को ले कर सवाल किए गए. उस के जवाब के संदर्भ में जब तहकीकात की गई और मोनिका के परिजनों से पूछताछ की गई, तब कई विरोधाभासी जवाब मिले. हर बार वह यही कहता रहा कि उस के कनाडा जाने के बाद उस की काफी समय से बात नहीं हुई थी.

मोनिका के घर वालों को लगता था कि उन की बेटी कनाडा में है, लेकिन उस से होने वाली फोन पर बातचीत के बारे में पुलिस को दिए बयान की सच्चाई कुछ और थी. मोनिका के मौसेरे भाई ने बताया कि उस ने अप्रैल में मोनिका से वीडियो काल पर बात की थी, तब उसे पंखा चलता दिखाई दिया. उस समय कनाडा में कड़ाके की ठंड थी. उस ने जब मोनिका से पंखा चलने के बारे में पूछा तो मोनिका ने फोन काट दिया और उस का नंबर भी ब्लैकलिस्ट में डाल दिया.

इस के बाद भी घर वाले मोनिका के कनाडा में होने की ही बात मान कर उस से बात करते रहे. बाद में जब मोनिका ने घर वालों के फोन उठाने बंद किए, तब उन्हें शक हुआ. खैर, पुलिस ने जांच प्रक्रिया को नया मोड़ देते हुए सुनील और मोनिका के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. उस के अनुसार भी सुनील की कई बातें गलत निकलीं, जो उस ने पूछताछ में बताई थी.

उस ने मोनिका से आखिरी काल की जो तारीख बताई थी, वह दोनों के काल डिटेल्स से मैच नहीं करती थी. साथ ही पुलिस के कान तब खड़े हो गए, जब उस ने बताया कि दोनों की फोन पर जनवरी से जून 2022 के बाद कोई बात नहीं हुई थी.

यह बात भी पुलिस के लिए संदेह पैदा करने वाली थी कि जब मोनिका 5 जनवरी को कनाडा चली गई थी, तब उस के बाद के काल इंटरनैशनल क्यों नहीं थे? साथ ही जून, 2022 के बाद सुनील ने पहले की तरह मोनिका को कोई काल क्यों नहीं किया? या फिर मोनिका द्वारा भी कोई काल क्यों नहीं की गई?

इन सवालों के साथ पुलिस ने मोनिका के घर वालों से भी पूछताछ की. उन्होंने बताया कि मोनिका उन के साथ बहुत कम समय के लिए बात करती थी, लेकिन जून 2022 के बाद उस के फोन ही बंद हो गए थे.

सुनील पुलिस को देता रहा गच्चा

अपना संदेह दूर करने के लिए पुलिस ने सुनील को थाने बुलवाया, किंतु उस ने थाने आने में असमर्थता जताई. उस ने बहाना बना दिया और कहा कि वह अपने काम के सिलसिले में पंजाब जा चुका है. वैसे पुलिस को बाद में आने का आश्वासन दिया. पुलिस को भरोसा देने के लिए उस ने मोनिका के बारे में भी तहकीकात की और कहा कि उस की कोई जानकारी मिलने पर वह पुलिस को सूचित किया जाए.

उस के बाद पुलिस द्वारा सुनील को कई बार थाने बुलाया गया, लेकिन वह नहीं आया और हर बार कोई न कोई बहाना बना दिया. तब तक जांच अधिकारी समझ चुके थे कि वह पूछताछ से बचना चाह रहा है और अपने झूठ के जाल में फंस चुका है.

उस के गांव में दबिश दी गई तो पता चला कि वह कई हफ्ते से अपने घर आया ही नहीं है. ग्रामीणों ने बताया कि उस की खास नंबर की गाड़ी भी नहीं नजर आई. इस का मतलब साफ था कि वह फरार हो चुका था. फिर क्या था, पुलिस उसे एक फरार अभियुक्त की तरह तलाश करने लगी. उस की पत्नी से भी पूछताछ हुई. इस में कुछ और महीने निकल गए. मोनिका के साथसाथ उस की भी खोजखबर लेने के लिए मुखबिर लगा दिए थे.

जांच अधिकारी को अनुमान था कि उस के पकड़े जाने पर मोनिका का पता चल सकता है. उस के द्वारा मोनिका को कहीं छिपाए ठिकाने का पता लगने की उम्मीद थी. फिर भी न मोनिका का कोई सुराग मिल पा रहा था और न ही सुनील का. उस का मोबाइल नंबर भी ट्रैकिंग में नहीं आ पा रहा था.

जबकि मामला भिवानी सीआईए-2 के पास पहुंचने के बाद से सीआईए पुलिस लगातार सुनील का पता लगाने का प्रयास कर रही थी. वारदात को अंजाम देने के बाद सुनील उर्फ शिल्ला लगातार फरार चल रहा था. आखिरकार सीआईए पुलिस ने 2 अप्रैल, 2023 को सुनील को मुजफ्फरनगर से गिरफ्तार कर लिया.

गिरफ्तारी के बाद उस से सख्ती से पूछताछ की जाने लगी. साथ ही उस पर मोनिका की गुमशुदगी के मामले में पुलिस का साथ नहीं देने और फरार हो जाने का भी आरोप लगा दिया. जैसे ही पुलिस ने गन्नौर थाने में दर्ज उस के सभी 7 पुराने आपराधिक रिकौर्ड का हवाला दिया, जब पुलिस ने बताया उस के कुछ मामले गैरजमानती हैं और उन की जांच होने पर तुरंत जेल जा सकता है.

सुनील आपराधिक प्रवृत्ति का है. उस के पास एक लाइसेंसी पिस्तौल भी थी, लेकिन जून में ही खुद की लाइसेंसी पिस्तौल से अचानक गोली चलने से घायल हो गया था. इस के बाद उस की लाइसेंसी पिस्तौल पुलिस ने जब्त कर ली थी. इतना सुनते ही वह डर गया और मोनिका जांच में पूरी तरह से सहयोग करने को राजी हो गया.

लंबी चली कड़ी पूछताछ में सुनील ने अपने सारे राज खोल दिए. मोनिका से दोस्ती गांठने, समाज की नजर में उस का भाई बने रहने और अंदर ही अंदर उस से मोहब्बत करने के साथ उस के साथ शादी रचाने के सपने देखने की बात स्वीकार कर ली. उस ने यह भी बताया कि वह यह सब विवाहित होने के बावजूद कर रहा था, जिसे ले कर पत्नी और मोनिका को भी अपत्ति थी.