भोपाल और इंदौर में बैठे लोगों के मोबाइल पर पैसा निकलते ही मैसेज आने लगे तो लोग चौंक गए कि वह तो कभी दिल्ली गए ही नहीं और एटीएम उन की जेब में है. ऐसे में दिल्ली के एटीएम से किस ने उन के पैसे निकाल लिए. इस के बाद 15 दिन के भीतर 100 से ज्यादा लोगों ने साइबर फ्रौड की शिकायतें इंदौर-भोपाल में कीं.
12वीं पास आयोनियल साइबर फ्रौड करने के मामले में इतना शातिर था कि वह स्कीमर से एटीएम के क्लोन बना लेता था. एटीएम के जरिए किसी के अकाउंट से पैसे निकालने के लिए पासवर्ड जानने के लिए उस ने फिरोज के जरिए एटीएम मशीन के कीपैड के ऊपर लगने वाले कई प्लेट्स मंगवाए. इन प्लेट्स के बीच में स्पैशल कैमरा फिट किया.
ये कैमरा एक माइक्रो एसडी कार्ड और छोटी बैटरी से कनेक्टेड था. आयोनियल ने कैमरे से लैस प्लेट्स को एटीएम मशीन के कीपैड पर कुछ इस तरह सेट किया कि सीधे इस की नजर पासवर्ड वाले नंबर्स पर ही पड़े.
इस के बाद दोनों सुबह से शाम तक उस एटीएम के बाहर ही भटकते रहते थे, जहां ये डिवाइस फिट करते थे. दोनों कैमरे की बैटरी खत्म होने से पहले ही प्लेट निकाल लेते थे. इस के बाद ट्रांजैक्शन टाइमिंग के हिसाब से हिडन कैमरे में रिकौर्डेड कोड को मैच करते थे. जिस कार्ड का पास कोड मैच होता, उस का क्लोन तैयार कर के रख लेते थे.
आरोपी ने भोपाल आ कर बैंक औफ बड़ौदा के एटीएम बूथों की रेकी की. फिर सुनसान जगह पर लगे बूथ में स्कीमिंग डिवाइस के साथ हिडन कैमरे फिट किए. इस के जरिए उन्होंने डाटा चुराया. इस के बाद वह पुराने गिफ्ट कार्ड का इंतजाम करते थे, इस में चुराए गए खाताधारक का डाटा डिजिटल एमएसआर (एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार करने वाली मशीन) से उस में भर देते थे.
इस काम में आयोनियल मिउ माहिर था.उस ने रोमानिया में ही यह सब सीखा था. बाद में हिडन कैमरे की मदद से पिन नंबर हासिल कर लेते थे और फिर क्लोन कर बनाए नए एटीएम से बूथ में जा कर रुपए निकालते थे.
रोमानियन नागरिक आयोनियल मिउ मईजून महीने में भोपाल आया था. इस दौरान रातीबड़ के गांव मैंडारा में औनलाइन ऐप का उपयोग कर वह होम स्टे में रुका था. उसे रुकवाने और कार का इंतजाम फिरोज ही करवाता था. वह अपने ही दस्तावेज उस के नाम के साथ लगाया करता था.
आयोनियल मिउ का पासपोर्ट और वीजा तो पुलिस के पास 6 साल से जब्त है. मिउ पर 2017 में 2 साइबर अपराध मुंबई में दर्ज हैं, फिलहाल वह जमानत पर है, उस की जमानत भी फिरोज ने करवाई थी.
मास्टरमाइंड आयोनियल मिउ रोमानिया और यूरोपियन जालसाजों के गिरोह में रह कर काम कर चुका है. वह विदेश से क्लोनिंग मशीन और हिडन कैमरे ले कर आया था. उक्त क्लोनिंग कियोस्क पुरानी तकनीक की हैं, जो मैग्नेटिक एटीएम कार्ड का डाटा ही कैप्चर कर सकती हैं. बैंक औफ बड़ौदा की कुछ पुरानी एटीएम मशीनें हैं. जालसाज के पास जो मशीनें थीं, वह पुरानी डिजाइंस के एटीएम मशीनों में ही लग सकती थी, इस कारण वह बैंक औफ बड़ौदा के एटीएम कियोस्क को चुनता था.
रोमानिया के आयोनियल के पास जो स्कीमर मशीन थी, वह चिप वाले एटीएम डिवाइस का क्लोन तैयार नहीं कर सकती थी. बैंक औफ बड़ौदा के कुछ खाताधारक अब भी पुराने ढर्रे के एटीएम काड्र्स उपयोग कर रहे थे. पुराने एटीएम कार्ड में चिप नहीं लगी थी, इन के पीछे ब्लैक कलर की एक मैग्नेटिक स्ट्रिप होती थी, जिसे एटीएम मशीन रीड करती थी.
इस के अलावा जिन एटीएम कियोस्क में डिवाइस फिट किए गए, वो भी अपडेटेड नहीं थी. इस कारण यहां से डाटा चुराना आसान था. यही कारण था कि आयोनियल ने बैंक औफ बड़ौदा को चुना.
जालसाज गिफ्ट वाउचर वाले कार्ड को एमएसआर मशीन से एटीएम के रूप में बनाता था. स्कीमिंग डिवाइसेस से एटीएम कार्ड की जानकारी लेता था. उसी समय ग्राहक द्वारा डाले गए पिन नंबर की जानकारी वह मशीन की स्क्रीन के ऊपर लगाए गए हाई रिजोल्यूशन कैमरे से निकाल लेता था. दोनों के डाटा को मैच करने के बाद वह एसएमआर मशीन से उक्त डाटा को गिफ्ट वाउचर के कार्ड में डालता था, जिस के बाद एटीएम कार्ड के रूप में इस्तेमाल कर पैसे निकालता था.
पूछताछ में पता चला है कि जालसाज आयोनियल मिउ ड्रग्स का आदी था. वह रोज 40 से 50 हजार रुपए की कोकीन या अन्य सिंथेटिक ड्रग्स का सेवन करता था. डीसीपी ने बताया कि हैवी ड्रग एडिक्ट होने के कारण भोपाल में जब रहने आया तो करीब एक महीने के उपयोग के लिए अपने साथ दिल्ली से ही बड़ी मात्रा में कोकीन ले कर आया था. बिना पासपोर्ट वीजा का एक अंतरराष्ट्रीय जालसाज भोपाल में किराए के कमरे में एक महीने रहा.
आयोनियल मिउ का पासपोर्ट जब्त होने के कारण भोपाल में फिरोज ने अपने दस्तावेज से मकान किराए पर लिया था.
19 अगस्त, 2023 को भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा ने बैंक औफ बड़ौदा ठगी मामले का खुलासा एक प्रैस कौन्फ्रैंस में करते हुए बताया कि रोमानिया का रहने वाला आयोनियल केवल कैश में डील करता था. उस का कोई बैंक अकाउंट नहीं है.
पुलिस को फिरोज के कुछ बैंक डिटेल्स हाथ लगे हैं. उस की छानबीन की जा रही है. वहीं दोनों ने फरजी तरीके से 16 लाख रुपए जमा किए थे, जो दोनों ने अय्याशी में उड़ा दिए. दोनों के हर दिन का खर्चा करीबन 60 हजार रुपए था.
दोनों दिल्ली के महंगे होटलों में अय्याशी करने ही पहुंचे थे, लेकिन पकड़े गए. आयोनियल मिउ कोकीन और दूसरे नशे का भी आदी है, उसे ठीक से अंगरेजी नहीं आती, इसलिए पूछताछ में पुलिस को परेशान होना पड़ा.
भोपाल, इंदौर के साथ कई शहरों में जालसाजी करने के बाद वह अपने साथी फिरोज के साथ जयपुर में ठगी करने के लिए ही जाने वाला था. दोनों राजस्थान के जयपुर में रैकी भी कर चुके थे, लेकिन उस से पहले ही दबोच लिए गए. भोपाल पुलिस ने दोनों से पूछताछ करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
भोपाल पुलिस की टीम जब कंपनी के बताए हुए एड्रेस पर पहुंची तो घर के मकान मालिक ने बताया कि यहां पर फिरोज और आयोनियल मिउ नाम के 2 लोग रहते थे. उन्होंने कुछ दिन पहले ही घर छोड़ा है. इस के बाद पुलिस उस घर की तलाशी में जुटी तो तलाशी के दौरान टीम के एक सदस्य की नजर घर के दरवाजे के पीछे रखे एक डस्टबिन पर गई.
सबूत की उम्मीद में डस्टबिन को पलटा तो उस में एक फूड डिलीवरी की परची मिली. उस परची पर एक मोबाइल नंबर लिखा हुआ था. पुलिस जांच में सामने आया कि वह मोबाइल नंबर फिरोज नाम के शख्स का ही दूसरा नंबर था, जिस की लोकेशन उस समय मुंबई की थी.
टीम ने कुछ दिन दिल्ली में रुक कर दोनों की और जानकारी खंगालनी शुरू कर दी. मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगाया तो 2-3 दिन बाद फिरोज का लोकेशन अलर्ट मिला. वह मुंबई से दिल्ली आ चुका था. वह दिल्ली के पहाडग़ंज के किसी होटल में ठहरा हुआ था.
भोपाल पुलिस की टीम सक्रिय हुई और सीधे उस होटल में दबिश दी. पुलिस टीम को होटल में 2 लोग मिले, जब उन से पूछताछ की तो एक ने अपना नाम फिरोज दूसरे ने अपना नाम आयोनियल मिउ बताया. आयोनियल रोमानिया का रहने वाला था.
पता चला कि फिरोज दिल्ली में किसी लडक़ी से मिलने आया था और आयोनियल भी उस के साथ ठहरा हुआ था. ठगी के दोनों आरोपियों को पुलिस 18 अगस्त, 2023 को दिल्ली से भोपाल ले कर आई और उन से सख्ती से पूछताछ की तो बैंक खातों से ठगी के एक नए तरीके की कहानी सामने आई.
जालसाजों ने भोपाल में इस तरह से बैंक औफ बड़ौदा के 75 खाताधारकों के एटीएम की स्कीमिंग कर दिल्ली के 9 एटीएम बूथों से करीब 16-17 लाख रुपए निकाले. जालसाज लगातार रोमानिया के कई लोगों से संपर्क में था. उस ने एटीएम कार्ड बनाने की विधि औनलाइन सीखी. वह पहले रोमानिया और यूरोपीय देशों में सक्रिय साइबर फ्रौड करने वाले गिरोह के साथ काम करता था.
पुलिस पूछताछ में 50 साल के आयोनियल ने कुबूल किया कि वह 2015 में टूरिस्ट वीजा पर भारत घूमने आया था. उसे भारत में उपयोग हो रहे एटीएम और उस की पुरानी तकनीक की पूरी जानकारी थी. उस ने बाकायदा इस पर एक स्टडी की हुई थी. वह रोमानिया से सब से पहले मुंबई पहुंचा था. आयोनियल मिउ की मुलाकात जब फिरोज से हुई थी, उस ने टूटीफूटी हिंदी में फिरोज से कहा, ‘‘मुझे रहने के लिए रूम चाहिए.’’
‘‘मैं आप के लिए अपने घर का रूम रेंट पर देने को तैयार हूं.’’ फिरोज ने उसे समझाते हुए कहा.
फिरोज ने यह सोच कर रूम किराए पर दे दिया कि विदेशी नागरिक से अच्छाखासा किराया वसूल कर लेगा. उस ने फिरोज का घर किराए पर लिया था. फिरोज को तब आयोनियल के मंसूबों के बारे में कुछ भी पता नहीं था.
आयोनियल को हिंदी और अंगरेजी ठीक से नहीं आती थी. उसे अपने फ्रौड के काम के लिए भारत में किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी, जो उस के लिए सारी व्यवस्थाएं आसानी से कर दे. उस ने इस के लिए फिरोज को राजी किया. फिरोज के पास उस समय कोई काम नहीं था, तब आयोनियल मिउ ने उसे समझाया, ‘‘मेरे काम में सहयोग करो तो तुम्हें मैं रातोंरात अमीर बना दूंगा.’’
फिरोज के राजी हो जाने के बाद उस ने फिरोज को अपना पूरा प्लान टूटीफूटी भाषा में समझाया. जल्दी अमीर बनने के चक्कर में फिरोज उस का हर तरह से साथ देने को तैयार हो गया था. सब से पहले दोनों ने मुंबई में फ्रौड की शुरुआत की, लेकिन कुछ महीनों के बाद आयोनियल को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार कर उस का पासपोर्ट जब्त कर लिया.
बिना पासपोर्ट के वह रोमानिया नहीं जा सका. उसे पैसों की जरूरत थी. वह दूसरा कोई काम भी नहीं जानता था, इस के बाद उस ने फिरोज के साथ मिल कर फुलप्रूफ प्लान बनाया. फिरोज उस के लिए गाड़ी, होटल से ले कर और तमाम व्यवस्थाएं जुटाता था.
फिरोज का काम एटीएम बूथों में डिवाइस लगाने, उन्हें निकालने, पैसे निकालने, मकान बुक करने, कार व आटो बुक करने, बाजार से सामान लाने का था. आयोनियल मिउ किसी से फोन पर ज्यादा बात नहीं करता था, वह सिर्फ फिरोज से ही बात करता है, बाकी किसी से संपर्क नहीं रखता, ताकि वह कौन है और क्या करता है, किसी को पता न चल सके.
आयोनियल मिउ रैकी कर टारगेट तय करता था. क्लोनिंग से प्राप्त डाटा को मशीन और लैपटाप के जरिए मिलान करना और मशीन के जरिए नया एटीएम कार्ड बनाने का काम करता था. कई बार वह एटीएम बूथ में जा कर पैसे निकालने का काम भी खुद करता था.
साल 2015 में रोमानिया से भारत आ कर वह दिल्ली में रुका. 2015 में ठाणे के पैठ बाजार थाना क्षेत्र में उस ने इसी तरह की धोखाधड़ी की और गिरफ्तार हो गया. इस के बाद उस ने 2017 में मुंबई में धोखाधड़ी की और फिर पकड़ा गया. गिरफ्तारी के बाद उस का पासपोर्ट जब्त हो जाने के कारण वह अब अवैध रूप से भारत में रह रहा था.
फिलहाल वह दोनों मामलों में जमानत पर है. 2018 में उस का परिवार भारत मिलने आया था. वह नाइजीरिया के कई लोगों से लगातार फोन से संपर्क में रहता था.
मई 2023 में फिरोज और आयोनियल दोनों भोपाल आए, मुंबई निवासी फिरोज अहमद ने अपने पहचान पत्र से भोपाल के डोरा क्षेत्र में औनलाइन एक मकान किराए पर लिया, जिस में दोनों जालसाज करीब एक महीने तक ठहरे थे.
दोनों ने भोपाल में रेकी कर बैंक औफ बड़ौदा के पुराने तकनीक वाले 3 एटीएम बूथों को पहचान कर उन में एटीएम क्लोनिंग मशीन लगाई और मशीन के ऊपर हाई रिजोल्यूशन कैमरे लगाए. वह एटीएम में सुबह आटो से जाते और क्लोनिंग मशीन और कैमरे लगा कर चले आते थे. शाम को जा कर उपकरण निकाल लाते थे. इस की मदद से लोगों के एटीएम की डिटेल्स और पासवर्ड पता किए.
इस के बाद दोनों 25 जून को इंदौर पहुंचे और यही काम यहां के 2 एटीएम के साथ किया. 3 और 4 जुलाई के दौरान दोनों दिल्ली पहुंचे और वहां कुछ एटीएम कार्ड के क्लोन तैयार किए. इस के बाद 10 जुलाई के बाद दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित एटीएम से पैसे निकाल लिए.
डिजिटल तकनीक के इस युग में बैंक अकाउंट में सेंध लगाने वाले जालसाज भी नईनई तरकीबें अपना रहे हैं. इन जालसाजों का नेटवर्क भारत में ही नहीं विदेशों में भी फैला हुआ है. रोमानिया के एक जालसाज ने भोपाल और इंदौर के ग्राहकों के बैंक अकाउंट से दिल्ली के एटीएम बूथों से लाखों रुपए उड़ा दिए. भोपाल क्राइम ब्रांच की टीम ने एक महीने तक दिल्ली शहर में रुक कर इन जालसाजों को आखिर कैसे खोज निकाला?
भोपाल के रहने वाले सैयद फारुख अली ने बैंक औफ बड़ौदा की ब्रांच में लगी पासबुक प्रिंटिंग मशीन में अपनी पासबुक डाली तो कुछ ही देर में उन की पासबुक प्रिंट हो कर बाहर निकल आई. बैंक से बाहर निकल कर उन्होंने पासबुक चैक की तो एक एंट्री देख कर वह चौंक पड़े.
इसी साल जुलाई की 9 तारीख को उन के बैंक खाता नंबर 3537010000xxxx से 75 हजार रुपए की रकम की निकासी एटीएम कार्ड के जरिए होनी दिखाई गई थी. सैयद फारुख अली को आश्चर्य इस बात पर हो रहा था कि उन्होंने यह रकम निकाली ही नहीं थी. वह हैरान थे कि यदि किसी और ने यह रकम निकाली है तो उन के मोबाइल पर ओटीपी क्यों नहीं आया. फारुख अली ने फिर से बैंक काउंटर पर जा कर इस की शिकायत की तो बैंक क्लर्क ने उन्हें डपटते हुए कहा, ‘‘आप ने एटीएम कार्ड से रुपए निकाले हैं, इस में बैंक क्या कर सकता है.’’
सैयद फारुख अली मुंह लटकाए अपने घर आ गए. वह प्रौपर्टी के कारोबार से जुड़े हुए हैं. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की बीडीए कालोनी कोहेफिजा में रहने वाले 38 वर्षीय सैयद फारुख अली जानना चाहते थे कि उन के खाते से ये पैसे किस ने निकाले हैं. लिहाजा 10 जुलाई, 2023 को वह साइबर क्राइम ब्रांच में एक शिकायत ले कर पहुंच ही गए.
थोड़ी देर इंतजार कर वह साइबर क्राइम ब्रांच के डीसीपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी के पास पहुंचे तो अरजी ले कर उन के सामने हाजिर फरियादी को देखते ही डीसीपी बोले, ‘‘कहिए, क्या समस्या है?’’
फारुख अली ने कागज पर लिखी अरजी उन की टेबल पर रखते हुए कहा, ‘‘साहब, मेरे बैंक खाते से 75 हजार रुपए किसी जालसाज ने निकाल लिए हैं, जबकि मैं ने ऐसा कोई ट्रांजैक्शन नहीं किया है.’’
‘‘कौन से बैंक में है आप का अकाउंट?’’
‘‘जी सर, बैंक औफ बड़ौदा में मेरा अकाउंट है.’’ फारुख अली ने बताया.
‘‘किसी को ओटीपी तो नहीं बताया, मोबाइल पर किसी लिंक पर क्लिक तो नहीं किया?’’ डीसीपी सोमवंशी ने फारुख से पूछा.
‘‘नहीं सर, न तो कोई ओटीपी आया और न ही किसी लिंक पर मेरे द्वारा क्लिक किया गया है,’’ फारुख हाथ जोड़ कर बोले.
डीसीपी सोमवंशी ने सैय्यद फारुख की अरजी को ले कर उन्हें भरोसा दिलाया कि जल्द ही साइबर पुलिस जांच कर के जालसाज तक पहुंचेगी और उन के अकाउंट से फरजी तरीके से निकाली गई रकम उन्हें वापस दिलाई जाएगी.
डीसीपी सोमवंशी के निर्देश पर फारुख अली की तरफ से अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420 के तहत मामला दर्ज किया कर लिया गया.
इस शिकायत के अगले दिन अशोका गार्डन, भोपाल के विनोद सहदेव और सतीश बजरंगी ने भी अपने बैंक अकाउंट से रुपए निकाले जाने की शिकायत थाने में दर्ज कराई. फारुख अली की शिकायत के बाद 5 दिन के भीतर ही भोपाल के अलगअलग पुलिस थानों में 53 लोगों ने अपने साथ हुए इसी तरह के फ्रौड की शिकायतें दर्ज कराईं.
इसी तरह इंदौर के विभिन्न थानों में अनेक शिकायतें दर्ज हुईं. ताज्जुब की बात यह थी कि ये सारे फ्रौड बैंक औफ बड़ौदा के ग्राहकों के साथ ही हुए थे.
2023 के जुलाई महीने में हुए इस फ्रौड को पुलिस और बैंक अधिकारी भी नहीं समझ पा रहे थे. शिकायतकर्ताओं का कहना था कि न उन के पास कोई ओटीपी आया, न कोई काल आई, न ही कोई लिंक आया, न ही कहीं एटीएम में कार्ड यूज किया, न ही फोन पर उन्होंने कोई ऐप डाउनलोड किया, इस के बावजूद उन के अकाउंट से लाखों रुपए निकाल लिए गए.
मामले की गंभीरता को देखते हुए भोपाल के पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा के निर्देश पर एक पुलिस टीम बनाई. एसआई रमन शर्मा के नेतृत्व में टीम दिल्ली पहुंची. टीम में हैडकांस्टेबल, आदित्य साहू, कांस्टेबल तेजराम सेन, प्रताप सिंह, सुनील कुमार को शामिल किया गया था. जांच में पुलिस टीम को यह जानकारी मिली कि ज्यादातर पैसे दिल्ली में स्थित एटीएम कियोस्क से निकले हैं, इसलिए टीम दिल्ली पहुंच गई.
टीम को पता चला कि जालसाजों ने दिल्ली के अलगअलग क्षेत्रों में स्थित 9 एटीएम कियोस्कों से पैसे निकाले थे, इसलिए टीम ने सब से पहले उन 9 एटीएम कियोस्कों के सीसीटीवी कैमरे खंगाले, जहां से जालसाजों द्वारा पैसे निकाले गए थे. ये एटीएम कियोस्क ग्रेटर कैलाश, चाणक्यपुरी और नेहरू प्लेस में स्थित थे. जिन खाताधारकों के फोन पर एटीएम से पैसे निकालने के मैसेज आए थे. पुलिस को उन की टाइमिंग मैच करते हुए आसपास के 200 सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखे, मगर कोई भी क्लू हाथ नहीं आ रहा था.
इस की वजह यह थी कि आरोपी एटीएम से रुपए निकालते वक्त पहचान छिपाने के लिए टोपी और स्कार्फ से खुद को ढंक लेते थे. रुपए निकाल कर वे आटो से या पैदल आते और गलियों में गायब हो जाते थे.
भोपाल क्राइम ब्रांच की टीम को दिल्ली में आरोपियों की पतासाजी करते हुए 20 दिन से अधिक हो गए थे. अपने घरपरिवार से दूर रहते हुए पुलिस टीम के सदस्यों को घर की याद भी सता रही थी.
एक दिन हैडकांस्टेबल आदित्य साहू अपने टीम लीडर एसआई रमन शर्मा से बोले, ‘‘सर, हम ने दिल्ली के सैकड़ों एटीएम बूथों को चैक कर लिया है, लेकिन आरोपियों का कुछ पता नहीं चल रहा है. अब तो हमें वापस लौटना चाहिए.’’
‘‘सभी लोग कुछ दिन और धैर्य रखें, हमारी मेहनत जरूर सफल होगी, कोई न कोई क्लू हमें अपराधियों तक जरूर पहुंचाएगा.’’ एसआई रमन शर्मा बोले.
इस के बाद टीम फिर नए जोश के साथ आरोपियों की पतासाजी में जुट गई. पुलिस टीम जब दिल्ली के नेहरू प्लेस के कैमरों की आखिरी फुटेज देख रही थी तो इस फुटेज के आखिरी कुछ सेकेंड्स में हर बार पैदल या आटो से रवाना हो जाने वाले ये लोग एक टैक्सी में बैठ कर जाते दिखे. इस फुटेज में टैक्सी का नंबर भी साफ दिख रहा था.
टैक्सी के इसी नंबर के सहारे पुलिस टैक्सी प्रोवाइडर कंपनी रंजीत ब्रदर्स के औफिस पहुंच गई. वहां पुलिस टीम को बताया गया कि इस टैक्सी को फिरोज नाम के किसी शख्स ने बुक किया था. कंपनी से पुलिस को टैक्सी बुक करने वाले का मोबाइल नंबर और घर का पता भी मिल गया. जब पुलिस ने उस मोबाइल पर काल करने की कोशिश की तो वह नंबर बंद था.