
योजना के मुताबिक, सब से पहले वंदना कलिता ने अपने पति अमर ज्योति डे को रास्ते से हटाने की योजना बनाई, जिस की तिथि 26 जुलाई, 2022 तय की. उस दिन वंदना कलिता पति के साथ घर में अकेली थी. उस ने प्रेमी धनजीत को फोन कर के बता दिया कि शिकार हलाल होने के लिए तैयार है, आ जाओ. प्रेमिका की ओर से हरी झंडी मिलते ही धनजीत अपने दोस्त अरुप डेका के साथ शाम 7 बजे घर पहुंचा.
प्रेमी के साथ कर दी हत्या घर पर पत्नी के आशिक को देख कर अमर ज्योति का दिमाग सातवें आसमान पर चढ़ गया. गुस्से के मारे वह पत्नी के ऊपर चढ़ बैठा. अपनी प्रेमिका को पति के हाथों पिटता देख धनजीत की आंखों में खून उतर आया. उस ने आव देखा न ताव, घर में रखे लोहे की रौड से उस के पीछे सिर पर ऐसा जोरदार वार किया कि वह चक्कर खा कर नीचे फर्श पर जा गिरा और तड़प कर शांत हो गया.
अमर ज्योति डे की मौत हो चुकी थी. वंदना ने पति की लाश घर में छिपा दी थी. फिर बाजार से 2 बड़े प्लास्टिक के बैग खरीद कर ले आई. अगले दिन तेजधार वाले फलदार चाकू से वंदना कलिता, धनजीत डेका और अरुप डेका तीनों ने मिल कर लाश के 5 टुकड़े किए और 2 अलगअलग पैकेटों में पैक कर के गुवाहाटी से करीब 200 किमी दूर मेघालय राज्य के चेरापूंजी जिले में स्थित दाऊकी की 60 मीटर गहरी खाई में फेंक कर इत्मीनान से घर लौट आए. वे लाश को धनजीत की कार में ले कर गए थे.
चूंकि अमर ज्योति मां शंकरी से अलग मकान में रहता जरूर था, लेकिन उस की मां से दिन में 1-2 बार बातचीत हो ही जाती थी. इधर पिछले एक सप्ताह बीत चुका था, मगर अमर ज्योति का न तो फोन आया था और न ही उस का फोन ही लग रहा था. यह जान कर शंकरी डे बुरी तरह परेशान थीं कि आखिर अचानक बेटा कहां चला गया. जिस को मां से बात करने की फुरसत तक नहीं, उन्हें क्या पता था कि नफरत की चाशनी में डूबी उस की बहू ने बेटे को मौत के घाट उतार कर लाश टुकड़ेटुकड़े कर खाई में फेंक चुकी है.
खैर, शंकरी डे ने बेटे के बारे में बहू वंदना कलिता से फोन कर कई बार पूछा, लेकिन वह इस बारे में कोई खास जवाब नहीं दे पाई थी. पता नहीं क्यों बहू के जवाब से शंकरी संतुष्ट नहीं हो पा रही थीं. इधर बहू को लग रहा था कि सास को उस पर शक हो गया है. इस से पहले कि सास कोई ठोस कदम उठा पातीं, वंदना ने सास को भी निबटा कर राज बना देने की ठान ली.
ठीक 23 दिनों बाद यानी 17 अगस्त, 2022 को शंकरी डे अपने चांदमारी के फ्लैट में सोफे पर बैठी आराम फरमा रही थीं, उसी वक्त वंदना कलिता फ्लैट पर पहुंची. उसे देख कर शंकरी का खून खौल उठा और उन्होंने बहू को खरीखोटी सुना कर उसे वहां से वापस लौट जाने को कहा.
सास का घोट दिया गला…
इस बात को ले कर सास और बहू आपस में गुत्थमगुत्था हो गईं. इस गुत्थमगुत्था में कलयुगी बहू वंदना कलिता सास पर भारी पड़ी और तकिया नाक पर तब तक दबाए रखी, जब तक उन की जान नहीं चली गई. इत्तफाक तो देखिए, हर वक्त बहन की छाया बन कर रहने वाला भाई राजेश उस समय घर पर था ही नहीं.
फिर सास की हत्या करने की जानकारी वंदना ने अपने प्रेमी धनजीत डेका को दे दी तो वह दोस्त अरुप डेका को ले कर वंदना के फ्लैट पर पहुंच गया. वंदना अपने दोनों साथियों के साथ लाश कार में डाल कर अपने कमरे नरेंगी ले आई और धनजीत डेका और अरुप की मदद से सास के 3 टुकड़े कर उसे 3 दिन बड़े फ्रिज में रखा. फिर चौथे दिन फिर मेघालय के चेरापूंजी जिले के तिनसुनिया जंगल में फेंक आए.
बड़ी चालाकी से वंदना कलिता ने पति और सास की हत्या कर दोनों लाशें करीब 200 किलोमीटर दूर फेंक कर अपने रास्ते के कांटे को हटा दिया था. अभी कहानी यहीं खत्म नहीं हुई, शातिर कलयुगी बहू वंदना कलिता चाहती थी कि उस पर कोई शक करे. इस के लिए उस ने घटना के 12 दिनों बाद यानी 29 अगस्त, 2022 को नूनमति थाने में पति और सास के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज करा दी थी.
3 महीना बीत जाने के बाद जब भांजे और बहन का कहीं पता नहीं चला तो अमर ज्योति के मामा राजेश डे को बहू पर शक हो गया. क्योंकि जिस का पति और सास लापता हो, उस को अपनों के बिछुडऩे का कोई गम नहीं था, वंदना के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी. वंदना कलिता समझ गई थी कि उस पर मामा राजेश को शक हो गया है, इसलिए वंदना ने राजेश को भी अपने रास्ते से हटाने की चाल चल दी थी, क्योंकि अब वही उस के रास्ते का रोड़ा बन रहे थे.
फिर उस ने मामा पर ही सास के बैंक खाते से रुपए निकालने का आरोप लगाते हुए उन के खिलाफ नूनमति थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी थी, लेकिन यह रिपोर्ट दर्ज कराना ही उस के गले की हड्ïडी बन गई थी और वह इस तरह 7 महीने बाद खुला हत्या का राज. फिर कलयुगी बहू वंदना अपने साथियों के साथ जेल पहुंच गई. इस घटना की जानकारी जब वंदना कलिता के पिता को हुई तो वह शर्म से पानीपानी हो गए और नफरत से हुंकार भरते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी औलाद से बेऔलाद होना अच्छा था. बेटी ने जो अपराध किया है, उस का तो एनकाउंटर कर देना चाहिए.
बहरहाल, गुवाहाटी में मांबेटे की हत्या की आरोपी वंदना कलिता और उस के साथी धनजीत और अरुप जेल में बंद थे. उन की शिनाख्त पर शंकरी डे की कुछ अस्थियां, कपड़े और कंबल बरामद किए थे और अमर ज्योति की लाश कथा लिखने तक बरामद नहीं हुई थी.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
पति का साथ छूट जाने के बाद परिवार की सारी जिम्मेदारी शंकरी के ही कंधों पर आ गई. तब उन का भाई राजेश ही उन का सहारा बना था. उन की परछाई बन कर उन्हें हौसला दिया था. उन के हर दुखसुख में वह खड़ा रहता था. भाई का उन के जीवन पर बहुत एहसान था, इसीलिए वह उसे अपने साथ हमेशा रखती रहीं.
करोड़ों की संपत्ति देख हुआ हरामखोर…
अमरज्योति शंकरी डे का इकलौता बेटा था. घर में पैसों की तो कोई कमी थी नहीं. मां सरकारी विभाग की मुलाजिम थीं. किराए के रूप में एक अच्छी मोटी रकम भी घर में आ ही रही थी. यह देख कर अमरज्योति का मन बदल गया था. उस ने नौकरी अथवा व्यापार करने की कभी सोची ही नहीं. वह तो ये सोचता था कि मांबाप की धनदौलत आखिर उसे ही तो मिलनी है, फिर नौकरी कर के क्या होगा. यही सोच कर अमर ज्योति ने नौकरी करने के बारे में कभी सोचा तक नहीं.
शादी के बाद भी अमर ज्योति कीसोच में कोई बदलाव नहीं आया था. वंदना कलिता पति को कुछ कामधाम करने को कहती थी तो वह उस पर गुस्सा हो जाता था. वो पत्नी से भी वही बातें कहता कि आखिर मां की कमाई का सुख भोग कौन करेगा? अगर तुम्हें खानेपीने और पहननेओढऩे के लिए न मिले तो मैं दोषी हूं. फिर जब सब कुछ तुम्हें मिल ही रहा है तो इस में हायतौबा मचाने की जरूरत ही क्या है, क्यों खुद परेशान रहती हो और दूसरों को भी परेशान किए रहती हो.
इस पर वंदना कलिता का तर्क था कि पति की कमाई पर जितना हक बनता है, उतना दूसरों की कमाई पर नहीं. उन के सामने हाथ फैलाना भीख मांगने के समान था. ऐसा वह हरगिज नहीं कर सकती. वंदना कलिता खुले विचारों वाली आधुनिक किस्म की औरत थी. उस के अपने कई तरह के खर्च थे. वह सादगी से जीने वाली औरतों में से नहीं थी. उस के उन शौकों को पूरा करने के लिए मोटी रकम की जरूरत पड़ती थी. उस की ये जरूरतें पूरी करने में पति सक्षम नहीं था.
इस बात को ले कर धीरेधीरे पतिपत्नी के बीच लड़ाईझगड़ा होने लगा था. दोनों के सिर से प्रेम का भूत उतर चुका था. अपनी जरूरतें पूरी न हो पाने की दशा में वंदना कलिता पति से रोज ही लडऩे लगी थी. वह इस बात पर पति से और भी झगडऩे लगी थी कि फ्लैटों का किराया मामा क्यों वसूल करते है. वह क्यों नहीं करता है, अगर वो किराया वसूलता तो पैसे उन के हाथों में आते और उन पैसों को वे अपने तरीके से खर्च करते. लेकिन उस का सपना धरा का धरा रह गया. अमरज्योति ने ऐसा करने से इंकार कर दिया था. इस बात से भी वंदना पति से चिढ़ गई थी.
एक वह भी वक्त था जब वंदना कलिता अपने पति पर जान छिडक़ती थी. उस के प्यार में बुरी तरह पागल थी. तब वह उस की छोटीछोटी जरूरतों को पूरी करने में तनिक भी हिचकिचाता नहीं था, लेकिन अब वह उस का तनिक भी खयाल नहीं रखता था.
वंदना कलिता का धीरेधीरे पति से मोह भंग होता चला जा रहा था. जब से उस के जीवन में प्रेमी धनजीत डेका ने कदम रखा था. पेशे से टैक्सी ड्राइवर धनजीत डेका दोहरे बदन वाला युवक था. जातेआते रास्ते में दोनों की मुलाकात हुई थी और उनके प्रेम संबंध हो गए. इस प्रेम ने ही वंदना के मन में पति के प्रति नफरत के बीज बो दिए थे. पति की उपेक्षा कर अब वह अपने प्रेमी धनजीत डेका पर ज्यादा लट्टू हुई जा रही थी.
वंदना को मिला प्रेमी…
वंदना कलिता के जीवन में जब से धनजीत ने कदम रखा था, तब से उस के दिन ही बदल गए थे. बातबात में वह पति से लड़तीझगड़ती थी. पत्नी में आए इस बदलाव से अमर ज्योति परेशान हो गया था कि अचानक उस में यह बदलाव कैसे आ गया. जल्द ही अमर ज्योति ने पता लगा लिया था कि पत्नी का किसी अन्य मर्द से अवैध संबंध है. जैसे ही पत्नी की सच्चाई अमरज्योति के सामने आई तो वह आगबबूला हो गया.
पति अमरज्योति यह कतई बरदाश्त नहीं करता था कि उस की पत्नी किसी दूसरे मर्द की बाहों में झूले. उस दिन के बाद से पतिपत्नी के बीच के रिश्तों में और भी दरारें पडऩे लगी थीं. नौबत तलाक तक आ पहुंची थी और उन का केस अदालत में पंजीकृत हो गया था.
इसी दौरान दिल्ली के श्रद्धा मर्डर केस ने देश को हिला कर रख दिया था. वंदना कलिता ने भी श्रद्धा मर्डर केस की खबर टीवी पर देखी थीं. वह आफताब के क्राइम रिएक्शन से काफी प्रभावित थी. चूंकि उस के पति के साथ के रिश्ते बुरी तरह से बिगड़ चुके थे और वे रिश्ते खत्म होने के कगार पर भी पहुंच चुके थे, इसलिए उस के मन में ऐसी खतरनाक योजना ने जन्म लिया कि लोगों की रूह कांप उठे.
योजना यह थी पति और सास की हत्या कर के उन के शरीर के टुकड़े कर के शहर से इतनी दूर किसी जंगल में फेंक दें, जहां पुलिस किसी कीमत पर भी न पहुंच सके. लेकिन यह काम वह अकेली नहीं कर सकती थी, इस योजना में उस ने अपने प्रेमी धनजीत डेका को शामिल कर लिया. वंदना कलिता ने धनजीत डेका को यह लालच दिया था कि पति और सास के मरने के बाद सास की करोड़ों की बिल्डिंग उस के नाम हो जाएगी. फिर बाद में उसे बेच कर किसी दूसरे शहर में हम बस जाएंगे और शादी कर के अपना नया जीवन जिएंगे, जहां हमें कोई नहीं पहचान सकेगा.
प्रेमिका की योजना धनजीत डेका के दिल में अच्छी तरह घर कर गई थी. उस ने अपनी इस योजना में अपने दोस्त अरुप डेका को भी शामिल कर लिया और पूरी योजना उसे समझा दी. प्यार और लालच में अंधी हुई वंदना ने पति अमर ज्योति डे और सास शंकरी डे की हत्या की पूरी योजना तैयार हो चुकी थी. मगर मांबेटे को तनिक भी भनक नहीं लग सकी कि बहू के रूप में यमराज उन के प्राण हरण करने वाले हैं. अब उन की सांसें कुछ ही दिनों की मेहमान हैं.
जब दोनों का कहीं पता नहीं चला तो उन्होंने भी थाने में उन के लापता होने की सूचना दर्ज कराई. अब एक ही मामले के 2 अलगअलग थानों में सूचना दर्ज हो चुकी थी. फिर भी पुलिस ने मामले को ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया था. इस बीच जिले की पुलिस की रूटीन ट्रांसफर पोस्टिंग होती रही. इसी दौरान पुलिस कमिश्नर दिगंता बाराह की जिले में पोस्टिंग हुई थी.
पुलिस कमिश्नर दिगंता बाराह ने जिले की कमान संभालने के बाद पुराने और पेंडिंग केसों की एनालिसिस के लिए उन की फाइलें मंगवाईं. उन्हीं फाइलों के बीच में धूल फांक रही अमर ज्योति डे और शंकरी डे की गुमशुदगी की भी फाइलें पड़ी मिली थीं, जिस में एक ही गुमशुदगी की घटना 2 अलगअलग थानों में दर्ज थी, जोकि पुलिस के सामने चुनौती बनी हुई थी. धीरेधीरे 6 महीने का समय बीत गया. जांच के नाम पर पुलिस जहां थी, घूमफिर कर फिर वहीं आ कर खड़ी थी. मतलब 6 महीने बाद भी अमर ज्योति डे और शंकरी डे केस का कोई हल नहीं निकल सका था.
मामा के खिलाफ लिखाई रिपोर्ट…
जनवरी 2023 के प्रथम सप्ताह में वंदना कलिता ने नूनमति थाने में तहरीर दे कर सास शंकरी डे के ममेरे भाई यानी राजेश डे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग की. वंदना ने रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि उस के ममेरे ससुर राजेश डे ने सास शंकरी डे के एकाउंट से एक बड़ी रकम निकाली है. ये सुन कर पुलिस के होश उड़ गए. इंसपेक्टर दीपक ने इस चौंकाने वाली घटना की जानकारी पुलिस कमिश्नर दिगंता बाराह को दी तो उन्होंने मामले की जांच कर उन्हें रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया.
अपने मुखिया के आदेश का पालन करते हुए दीपक ने जांच की काररवाई आगे बढ़ाई. जांच के दौरान उन्हें चौंका देने वाली एक ऐसी जानकारी मिली कि उन के पैरों तले से जमीन जैसे खिसक गई थी. सहसा इंसपेक्टर दीपक को भी उस पर विश्वास नहीं हो रहा था कि कोई ऐसा कैसे कर सकता है.
दरअसल, वंदना कलिता ने ममेरे ससुर राजेश डे पर जो आरोप लगाया था, वह उलटा पाया गया. गुमशुदा शंकरी डे के बैंक एकाउंट से राजेश ने नहीं, बल्कि खुद वंदना कलिता ने एटीएम कार्ड के जरिए 5 लाख रुपए निकाले थे. पुलिस समझ नहीं पा रही थी कि वंदना ने राजेश पर यह इल्जाम क्यों लगाया? कुछ तो गड़बड़ है. ये बात जब उन्होंने पुलिस कमिश्नर को बताई तो वह भी चौंके बिना नहीं रह सके थे. अब वंदना कलिता पुलिस के शक की निगाहों में आ गई थी. पुलिस उस की गतिविधियों पर नजर रखने लगी थी. यही नहीं, पुलिस राजेश की उस तहरीर पर भी अब ध्यान देने लगी, जिस में उन्होंने भांजे और बहन शंकरी की गुमशुदगी में अपना शक बहू वंदना कलिता पर जाहिर किया था कि बहू ने दोनों की हत्या करवा दी होगी.
अपने ही जाल में फंसी वंदना…
तब पुलिस के पास वंदना के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं था, जिस से उसे गिरफ्तार किया जा सके, लेकिन एटीएम से निकाले जाने वाली रुपए की घटना ने उसे उसी के जाल में फंसा दिया था. अब चौकन्नी हुई गुवाहाटी पुलिस ने वंदना का इतिहास और भूगोल खंगाला तो उस पर जाहिर शक सच साबित होता दिखने लगा था. मतलब पति और सास के गायब होने के पीछे वंदना कलिता का हाथ होना दिखने लगा था. फिर क्या था? पुलिस कमिश्नर दिगंता बाराह के आदेश पर इंसपेक्टर दीपक ने 19 फरवरी, 2023 को अमरावती अपार्टमेंट, एमटी शेड के उस के फ्लैट नंबर- 11 से उसे दोपहर करीब 2 बजे उस वक्त गिरफ्तार कर लिया, जब वह घर पर आराम कर रही थी.
इंसपेक्टर दीपक वंदना कलिवा को गिरफ्तार कर थाने ले आए और उस से 2 दिनों तक कड़ाई से पूछताछ की. पहले तो वह इधरउधर टरकाती रही, लेकिन जब वह समझ गई कि अब पुलिस के शिकंजे से बचना नामुमकिन है तो उस ने पुलिस अधिकारियों के सामने घुटने टेक दिए और अपना जुर्म कुबूल कर लिया कि उसी ने अपने प्रेमी धनजीत डेका और उस के दोस्त अरुप डेका की मदद से पति अमर ज्योति डे और सास शंकरी डे की 7 महीने पहले में करवाई थी. उस ने हत्या की जो वजह बताई, उसे सुन कर पुलिस दांतों तले अंगुलियां दबाने के लिए मजबूर हो गई.
खैर, पुलिस ने आरोपी कलयुगी बहू वंदना कलिता की निशानदेही पर उसी रात को तिनसुकिया से धनजीत डेका को और खानापाड़ा से उस के दोस्त अरुप डेका को गिरफ्तार कर लिया. तीनों आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने गुवाहाटी से करीब 200 किलोमीटर दूर मेघालय के चेरापूंजी की करीब 60 मीटर गहरी खाई से शंकरी डे के हाथ, पैर और धड़ से कमर की हड्डियों के कुछ अवशेष बरामद कर लिए, लेकिन अमरज्योति की लाश बरामद नहीं हुई थी.
उस के अगले दिन यानी 21 फरवरी, 2023 को पुलिस कमिश्नर दिगंता बाराह ने पुलिस लाइंस में पत्रकार वार्ता आयोजित कर 7 माह से रहस्य बने अमर ज्योति डे और शंकरी डे प्रकरण का परदाफाश कर दिया. इस दोहरे हत्याकांड में गुवाहाटी की बिगड़ैल बहू वंदना कलिता ने दिल्ली की बहुचर्चित श्रद्धा वालकर हत्याकांड की रिमेक की थी और हत्याकांड के सारे सबूत मिटाने की कोशिश की थी. लेकिन वह अपने इरादों में सफल नहीं हो पाई और खुद के बुने जाल में फंस गई.
पुलिस पूछताछ के बाद गुवाहाटी के अमरज्योति डे, शंकरी डे दोहरे हत्याकांड की दिल दहला देने वाली कहानी इस तरह से सामने आई—
35 वर्षीय अमर ज्योति डे मूलरूप से असम राज्य के गुवाहाटी जिले के नरेंगी के फ्लैट नंबर-11 में पत्नी वंदना कलिता के साथ हंसीखुशी से रहता था. यह इलाका नूनमति थाने के अंतर्गत पड़ता था. जबकि अमर ज्योति की मां शंकरी डे इसी थाना क्षेत्र के चांदमारी स्थित फ्लैट नंबर-6 में अकेली रहती थीं.
5 मंजिला इमारत के सब से ऊपर वाले फ्लैट में वह खुद अकेली रहती थीं, जबकि 4 फ्लैट किराए पर दे रखे थे. यह इमारत उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से बनवाई थी. उन की देखरेख लिए उन का ममेरा भाई राजेश डे उन के साथरहता था और किराया भी वही वसूल करता था.
जिस फ्लैट में पत्नी वंदना कलिता के साथ अमर ज्योति रह रहा था, उस फ्लैट को भी शंकरी डे ने ही बनवाया था और वह बेटे के नाम पर कर दिया था. उन का सोचना था कि आज भी उसी का है और कल भी उसी का होगा तो धीरेधीरे सारी चलअचल संपत्ति उस के नाम कर गंगा नहाने चली जाऊंगी. आखिर यह धनदौलत किस के लिए कमाई है.
शंकरी डे असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड में बतौर हैडक्लर्क पद पर तैनात थीं. यह नौकरी उन्होंने अपनेपति के स्थान पर पाई थी. जब उस के पिता की अचानक मृत्यु हुई थी, तब अमरज्योति बहुत छोटा था.
“वंदना, जी चाहता है कि इन नीलीनीली झील सी गहरी आंखों में डूब जाऊं.’’ अमर ज्योति डे अपनी प्रेमिका वंदना कलिता के खूबसूरत मुखड़े को निहारते हुए आशिकाना अंदाज में बोला.
“डूब जाओ, मना किस ने किया है.’’ मिश्री सी मीठी आवाज में वंदना कलिता ने कहा, ‘‘कब से प्यासी मैं तुम्हारी बांहों में झूलने के लिए बेताब खड़ी हूं और तुम हो…’’
“तुम्हें देखा तो ऐसा लगा जैसे कोई खिलता कमल हो.’’
“क्या बात है जनाब, आज तो बड़े शायराना मूड में हैं आप. तारीफ पर तारीफ ही किए जा रहे हैं.’’
“तुम हो ही इतनी खूबसूरत कि कोई भी तुम्हारी तारीफ किए बिना नहीं रह सकता.’’
“सचऽऽ’’
“हां, बेशक, तुम खूबसूरती की मिसाल हो.’’
“तुम्हारी जुबान से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुन कर मेरा दिल बागबाग हो उठा. जी चाहता है कि तुम ऐसे ही मेरे कसीदे गढ़ते रहो और मैं तुम्हारी बाहों के झूलों में ऐसे ही झूलती रहूं. अमर, तुम कितने अच्छे हो.’’
“तुम भी बहुत अच्छी हो वंदना,’’ कह कर अमर ज्योति ने वंदना को अपनी मजबूत बाहों में कस कर भर लिया तो वंदना भी उसे अपनी बाहों भर कर प्यार करने लगी. क्षण भर बाद वंदना अमर की बाहों से आजाद हुई तो आगे बोली, ‘‘अब तुम से अलगाव मुझ से बरदाश्त नहीं होता अमर. कब तक हम यूं ही छिपछिप कर मिलते रहेंगे. हम शादी क्यों नहीं कर लेते?’’
“हम शादी भी करेंगे और साथसाथ रहेंगे भी. बस थोड़ा और वक्त दे दो ताकि मां से अपने प्यार वाली बातें बता कर उन्हें शादी के लिए राजी कर सकूं. तुम तो जानती ही हो कि मां के अलावा दुनिया में मेरा कोई नहीं है. पापा बहुत पहले ही हमें छोड़ कर हमेशाहमेशा के लिए चले गए. मां ने ही बाप बन कर हमें पालापोसा. अगर उन की मरजी के बिना हम ने शादी कर ली तो उन्हें बहुत दुख होगा. क्या हम अपने वैवाहिक जीवन का सुख भोग पाएंगे, तुम बताओ क्या मैं ने कुछ गलत कहा?’’
“सो तो ठीक है, तुम सच कहते हो अमर, मांबाप के आशीर्वाद के बिना हमारी शादी या हमारी गृहस्थी सफल नहीं हो सकती. अच्छा यह बताओ कि हम शादी कब करेंगे?’’ वंदना कलिता ने फिर से सवाल किया.
“कहा न मैं ने. हम शादी भी करेंगे और अपनी गृहस्थी भी बसाएंगे. बस थोड़ा समय और दे दो, मां से बात कर के जल्द ही तुम्हें बताता हूं.’’ अमर ज्योति डे ने प्रेमिका वंदना कलिता को समझाया. फिर उस ने अपनी मां शंकरी डे से अपने प्यार की बात की. उस ने वंदना से चल रहे अपने प्रेम संबंधों के बारे में मां को बता दिया.
अमर ज्योति की मां शंकरी डे एक खुले विचारों वाली और जुझारू महिला थीं. पति का साथ छूट जाने के बाद उन के मजबूत कंधों पर इकलौते बेटे और घरगृहस्थी की जिम्मेदारी आ गई थी. उन्होंने बड़े ही धैर्य और साहस के साथ अपनी जिम्मेदारियों को निभाया. बेटे को अच्छी शिक्षा और अच्छे संस्कार दिए थे. उन के अच्छे संस्कार की ही देन थी कि आधुनिक विचारों वाला अमर मांबाप का सम्मान करता था. तभी तो उस ने प्रेमिका को भरोसा दिया था कि मां की मरजी के बिना वह उस से शादी नहीं कर सकता.
बेटे के प्यार पर लगा दी मोहर…
बेटे के विचारों से शंकरी डे बेहद खुश थीं कि उस में उन के दिए संस्कार अभी भी जिंदा हैं. उन्होंने भी यही सोचा कि अमर आखिर में है उन की इकलौती संतान. उस की खुशी में ही उन की खुशी है. अगर उस ने अपने लिए कोई जीवनसाथी पसंद कर ली है तो उसे आशीर्वाद दे देना चाहिए. फिर उन्होंने बेटे की पसंद पर अपनी स्वीकृति की मोहर लगा दी थी. शंकरी डे के आशीर्वाद के बाद 2 प्रेमी पतिपत्नी बन चुके थे.
अमर ज्योति डे और वंदना कलिता का सालों का प्यार साकार हो चुका था. प्रेमी से पतिपत्नी बने दंपत्ति एकदूसरे को जीवनसाथी बना कर बेहद खुश थे. सब से ज्यादा वंदना अपनी छोटी और साधनसंपन्न ससुराल पा कर खुश थी. पति के अलावा घर में बस सास ही थीं. वह भी पति की जगह मिली सरकारी नौकरी से रिटायर हो कर साल भर से पैंशन ले रही थीं. सब कुछ बड़े मजे से चल रहा था. अचानक एक दिन वंदना कलिता की जिंदगी में ऐसा भयानक तूफान आया कि सब कुछ तहसनहस हो गया.
बात 17 अगस्त, 2022 की थी. शाम के वक्त रहस्यमय तरीके से वंदना कलिता का पति अमर ज्योति डे और सास शंकरी डे गायब हो गए. उस ने अपने जानपहचान वालों और पति के नातेरिश्तेदारों से संपर्क कर उन के वहां आने की जानकारी ली तो सभी ने अनभिज्ञता जताई. वंदना यह सोचसोच कर परेशान थी कि अचानक पति और सास कहां लापता हो गए. 12 दिनों तक तलाश करने पर जब पति और सास का कहीं पता नहीं चला तो वंदना ने 29 अगस्त, 2022 को नूनमति थाने में दोनों की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा दी. ये घटना असम राज्य के गुवाहाटी जिले की है.
मांबेटे के अचानक से गायब होने की खबर मिलते ही गुहावटी जिले में सनसनी फैल गई थी. करीब 35 साल का अमर ज्योति था तो 61 साल की उस की मां शंकरी डे थीं. दोनों ही मानसिक रूप से स्वस्थ और तंदुरुस्त थे. ऐसे में उन का गायब होना हर जुबान पर चर्चा का विषय बन गया था. उन की किसी से दुश्मनी भी नहीं थी.
खैर, मांबेटे की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करने के बाद नूनमति थाने के इंसपेक्टर दीपक डेका ने मामले की छानबीन शुरू कर दी. इस केस की मौनिटरिंग पुलिस कमिश्नर दिगंता बाराह की निगरानी में हो रही थी, धीरेधीरे पुलिस की छानबीन आगे बढ़ी. महीने बढ़े मगर इस का रिजल्ट जीरो रहा. कहने का मतलब ये है कि कई महीने बीत जाने के बाद भी मांबेटे का कहीं पता नहीं चला कि उन्हें जमीन निगल गई या आसमान खा गया. आखिर दोनों गए तो गए कहां? पुलिस के सामने ये बड़ा सवाल था, जिस का जवाब उन्हें ढूंढना था. पुलिस के साथसाथ लापता अमरज्योति के मामा राजेश डे अपनी फुफेरी बहन और भांजे के अचानक गायब होने से परेशान थे. धीरेधीरे 3 महीने बीत गए थे दोनों के लापता हुए.