3 लव मैरिज के बाद भी बनी रही बेवफा

बेवफाई का सिला कुछ ऐसा मिला

26 जनवरी, 2017 को इलाहाबाद के यमुनानगर इलाके के थाना नैनी में गणतंत्र दिवस के ध्वजारोहण की तैयारी चल रही थी. इंसपेक्टर अवधेश प्रताप सिंह एवं अन्य पुलिसकर्मी सीओ अलका भटनागर के आने का इंतजार कर रहे थे. उसी समय एक दुबलापतला युवक आया और एक सिपाही के पास जा कर बोला, ‘‘स…स… साहब, बड़े साहब कहां हैं, मुझे उन से कुछ कहना है.’’

इंसपेक्टर अवधेश प्रताप सिंह वहीं मौजूद थे. उस युवक की आवाज उन के कानों तक पहुंची तो उन्होंने उसे अपने पास बुला कर पूछा, ‘‘कहो, क्या बात है?’’

‘‘साहब, मेरा नाम इंद्रकुमार साहू है. मैं चक गरीबदास मोहल्ले में मामाभांजा तालाब के पास रहता हूं. मैं ने अपनी पत्नी और उस के प्रेमी को मार डाला है.’’ इंद्रकुमार के मुंह से 2 हत्याओं की बात सुन कर अवधेश प्रताप सिंह दंग रह गए. उन्होंने उस के ऊपर एक नजर डाली, उस के उलझे बाल, लाललाल आंखों से वह पागल जैसा नजर आ रहा था. चेहरे के हावभाव देख लग रहा था कि वह रात भर नहीं सोया था.

वहां मौजूद सभी पुलिसकर्मी इंद्रकुमार को हैरानी से देख रहे थे. थाना पुलिस कुछ करने का सोच रही थी, तभी सीओ अलका भटनागर भी थाना आ पहुंचीं. इंद्रकुमार द्वारा दो हत्याएं करने की बात सुन वह भी दंग रह गईं. सीओ के इशारे पर अवधेश प्रताप सिंह ने उसे हिरासत में ले लिया.

ध्वजारोहण की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद अवधेश प्रताप सिंह इंद्रकुमार को अपनी जीप में बैठा कर उस के घर ले गए. अलका भटनागर भी साथ गईं. इंद्रकुमार पुलिस को उस कमरे में ले गया, जहां पत्नी गीता साहू और उस के प्रेमी रीतेश सोनी की लाशें पड़ी थीं.

पुलिस के पहुंचने पर इस दोहरे हत्याकांड की खबर पासपड़ोस वालों को मिली तो सभी इकट्ठा हो गए. पुलिस दोनों लाशों का बारीकी से निरीक्षण करने लगी. पुलिस अधिकारी यह देख कर हतप्रभ थे कि दोनों लाशों पर नोचखसोट या चोट के कोई निशान नहीं थे. गीता के गले पर लाल धारियां जरूर पड़ी थीं. रीतेश के गले पर भी वैसे ही निशान देख कर लग रह था कि उन की हत्या गला घोंट कर की गई थी.

मोहल्ले वालों से खबर पा कर उस के घर वाले रोतेबिलखते घटनास्थल पर आ गए थे. मौके की जरूरी काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने दोनों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद इंद्रकुमार को थाने ला कर उस से इस दोहरे हत्याकांड के बारे में पूछताछ की तो उस ने पत्नी की बेवफाई की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

इंद्रकुमार साहू उत्तर प्रदेश के जिला इलाहाबाद के थाना नैनी के मोहल्ला गरीबदास में अपनी 32 साल की पत्नी गीता और 4 बच्चों के साथ रहता था. उस की बड़ी बेटी 15 साल की थी. इंद्रकुमार ने अपने मकान के आगे वाले हिस्से में किराना और चायनाश्ता की दुकान खोल रखी थी. उस का काम अच्छा चल रहा था. घर के काम से फारिग होने के बाद गीता भी दुकानदारी के काम में उस का हाथ बंटाती थी.

इंद्रकुमार के घर से कुछ दूरी पर बनारसीलाल सोनी रहता था. उस का बेटा रीतेश सोनी सिगरेट और गुटखा का शौकीन था. इसी वजह से उस का इंद्रकुमार की दुकान पर आनाजाना लगा रहता था. मोहल्ले के रिश्ते से गीता उस की भाभी लगती थी. इसी नाते वह अकसर उस से इंद्रकुमार के सामने ही हंसीमजाक कर लिया करता था.

अपने से 9 साल छोटे रीतेश की बातों का गीता भी हंस कर जवाब दे दिया करती थी. स्वभाव से सीधा और सरल इंद्रकुमार इस का कतई बुरा नहीं मानता था. इंद्रकुमार दुकान का सामान लेने अकसर इलाहाबाद शहर जाता रहता था. ऐसे में गीता ही दुकान संभालती थी.इस बीच रीतेश गीता को रिझाने के लिए उस की तारीफ किया करता था. एक बार उस ने कहा, ‘‘भाभी, तुम्हें देख कर कोई नहीं कह सकता कि तुम 4 बच्चों की मां हो. तुम तो अभी भी जवान दिखती हो.’’

अपनी तारीफ सुन कर गीता गदगद हो गई थी. इस के बाद एक दिन उस ने कहा, ‘‘भाभी, तुम में गजब का आकर्षण है. कहां तुम और कहां इंदर भाई. दोनों की कदकाठी, रंगरूप और उम्र में जमीनआसमान का अंतर है. तुम्हारे सामने तो वह कुछ भी नहीं है.’’

अपनी तारीफ सुन कर गीता अंदर ही अंदर जहां एक ओर फूली नहीं समाई, वहीं दिखावे के लिए उस ने मंदमंद मुसकराते हुए रीतेश की ओर देखते हुए कहा, ‘‘झूठे कहीं के, तुम जरूरत से ज्यादा तारीफ कर रहे हो? मुझे तुम्हारी इस तारीफ में दाल में कुछ काला नजर आ रहा है, तुम्हारे भैया जो मरियल से दिखते हैं, आने दो बताती हूं उन से.’’

इतना कह कर वह जोरजोर से हंसने लगी. हकीकत यह थी कि गीता रीतेश को मन ही मन चाहती थी. उस ने केवल दिखावे के लिए यह बात कही थी. रीतेश हर हाल में उसे पाना चाहता था. गीता के हावभाव से वह समझ चुका था कि गीता भी उसे पसंद करती है. लेकिन वह इजहार नहीं कर पा रही है.

एक दिन दोपहर को गीता के बच्चे स्कूल गए थे. इंद्रकुमार बाजार गया हुआ था. गरमी के दिन थे. दुकान पर सन्नाटा था. रीतेश ऐसे ही मौके की तलाश में था. वह गीता की दुकान पर पहुंच गया. इधरउधर की बातों और हंसीमजाक के बीच रीतेश ने गीता का हाथ अपने हाथ में ले लिया.

गीता ने इस का विरोध नहीं किया. चेहरेमोहरे से गोरेचिट्टे गबरू जवान रीतेश के हाथों का स्पर्श कुछ अलग था. गीता का हाथ अपने हाथ में ले कर रीतेश सुधबुध खो कर एकटक उस के चेहरे पर निगाहें टिकाए रहा. अचानक रीतेश की तंद्रा भंग करते हुए गीता ने कहा, ‘‘अरे ओ देवरजी, किस दुनिया में सो गए. छोड़ो मेरा हाथ. अगर किसी ने देख लिया तो जानते हो कितनी बड़ी बेइज्जती होगी?’’

गीता की बात सुन कर रीतेश ने कहा, ‘‘यहां बाहर कोई देख लेगा तो अंदर कमरे में चलें?’’

‘‘नहीं…नहीं… आज नहीं, अभी उन के आने का समय हो गया है. वह किसी भी समय आ सकते हैं. फिर कभी अंदर चलेंगे.’’ गीता ने कहा तो रीतेश ने उस का हाथ छोड़ दिया.

लेकिन वह मन ही मन बहुत खुश था, क्योंकि उसे गीता की तरफ से हरी झंडी मिल गई थी. इस के बाद मौका मिलते ही दोनों ने मर्यादा की दीवार तोड़ डाली. इस के बाद इंद्रकुमार की आंखों में धूल झोंक कर गीता रीतेश के साथ मौजमस्ती करने लगी. अवैधसंबंधों का यह सिलसिला करीब 3 सालों तक चलता रहा.

अवैध संबंधों को कोई लाख छिपाने की कोशिश क्यों न करे, लेकिन वह छिप नहीं पाते. किसी तरह पड़ोसियों को गीता और रीतेश के अवैध संबंधों की भनक लग गई. इंद्रकुमार के दोस्तों ने कई बार उसे उस की पत्नी और रीतेश के संबंधों की बात बताई, लेकिन वह इतना सीधासादा था कि उस ने दोस्तों की बातों पर ध्यान नहीं दिया. क्योंकि उसे पत्नी पर पूरा विश्वास था. जबकि सच्चाई यह थी कि वह उस के साथ लगातार विश्वासघात कर रही थी.

सही बात तो यह थी कि गीता पति को कुछ समझती ही नहीं थी. आखिर 6 महीने पहले एक दिन इंद्रकुमार ने अपनी पत्नी और रीतेश को अपने ही घर में आपत्तिजनक स्थिति में रंगेहाथों पकड़ लिया. रीतेश ने जब इंद्रकुमार को देखा तो वह फुरती से वहां से भाग गया. उस ने भी उस से कुछ नहीं कहा. पर उस ने गीता को खूब खरीखोटी सुनाई और दोबारा ऐसी हरकत न करने की हिदायत दे कर छोड़ दिया.

उस दिन के बाद से कुछ दिनों तक रीतेश का गीता के यहां आनाजाना लगभग बंद रहा. पर यह पाबंदी ज्यादा दिनों तक कायम न रह सकी. मौका मिलने पर दोनों फिर से इंद्रकुमार की आंखों में धूल झोंकने लगे. पर अब वे काफी सावधानी बरत रहे थे. गीता ने अपने दोनों बड़े बच्चों बेटी और बेटे को पूरी तरह से अपने पक्ष में कर लिया था.

रीतेश भी बच्चों को पैसे और खानेपीने की चीजें ला कर देता रहता था, जिस से बच्चे रीतेश के घर में आने की बात अपने पिता को नहीं बताते थे. इस के बावजूद इंद्रकुमार ने दोनों की चोरी दोबारा पकड़ ली. इस बार उस ने गीता की जम कर धुनाई की और बच्चों को भी डांटाफटकारा.

अब वह गीता पर और ज्यादा निगाह रखने लगा. मगर गीता पर इस का विपरीत असर हुआ. वैसे भी वह पहले ही पति की परवाह नहीं करती थी. अब उस का डर बिलकुल मन से निकल गया था. वह पूरी तरह बेशर्मी पर उतर आई. पति की मौजूदगी में ही वह प्रेमी रीतेश से खुलेआम मिलने लगी.

इंद्रकुमार दुकान पर बैठा रहता तो रीतेश उस के सामने ही घर के अंदर उस की पत्नी के पास चला जाता. वह जानता था कि रीतेश और गीता उस से ज्यादा ताकतवर हैं, इसलिए वह चाह कर भी कुछ नहीं कह पाता था. लाचार सा वह दुकान पर ही बैठा रहता था.

पत्नी पर अब उस का कोई वश नहीं रह गया था. वह 15 साल की बड़ी बेटी की दुहाई देते हुए पत्नी को समझाता, पर पत्नी पर उस के समझाने का कोई फर्क नहीं पड़ता था. बल्कि वह और भी ज्यादा मनमानी करने लगी थी.

अपनी आंखों के सामने अपनी इज्जत का जनाजा उठते देख उस का धैर्य जवाब देने लगा. अब उस से पत्नी की बेवफाई और बेहयाई बिलकुल बरदाश्त नहीं हो रही थी. इसी सब का नतीजा था कि उस ने मन ही मन एक खतरनाक मंसूबा पाल लिया. वह मंसूबा था रीतेश और बेवफा पत्नी की हत्या का.

घटना से 8-10 दिन पहले से ही वह अपने मंसूबे को अमलीजामा पहनाने में लग गया था. मसलन दोनों को मौत के आगोश में सुलाने की उस ने एक खतरनाक योजना बना ली थी. अपनी इस योजना के तहत वह खुद भी पत्नी के प्रेमी रीतेश से ऐसे बातें करने लगा, जैसे कि कुछ हुआ ही न हो.

योजना के अनुसार, 25 जनवरी, 2017 को वह एक मैडिकल स्टोर से नींद की 20 गोलियां खरीद लाया. दोनों बड़े बच्चों को वह उन की मौसी के घर छोड़ आया. जबकि छोटे दोनों बच्चे घर में ही थे.

रात 9 बजे के आसपास उस ने दुकान बंद की. घर के भीतर गया तो देखा गीता खाना बनाने की तैयारी कर रही थी. उस का प्रेमी रीतेश कमरे में बैठा टीवी देख रहा था. उसे देख कर अंदर ही अंदर उस का खून खौल रहा था. हत्या के इरादे से इंद्रकुमार ने खुद ही चाय बनाई और पत्नी तथा रीतेश की चाय में नींद की दवा मिला कर चाय उन्हें दे दी. एक कप में ले कर वह खुद भी चाय पीने लगा.

चाय पीने के बाद भी दोनों बेहोश नहीं हुए तो इंद्रकुमार अवाक रह गया. क्योंकि उस दिन उस ने दोनों को मौत के घाट उतारने की पूरी तैयारी कर ली थी. जब उन दोनों पर नींद की गोलियों का कोई असर नहीं हुआ तो उस ने रीतेश से कहा, ‘‘भाई रितेश कल 26 जनवरी है. कल शराब की सारी दुकानें बंद रहेंगी. आज मेरा मन शराब पीने का कर रहा है. क्यों न आज हम 3-3 पैग लगा लें.’’

इंद्रकुमार की बात पर रीतेश खुश हो गया. उस ने कहा, ‘‘हांहां, क्यों नहीं. जब तक गीता भाभी खाना बना रही हैं, तब तक हम दोनों अपना काम कर लेते हैं.’’ इस के बाद दोनों शराब की दुकान पर गए और वहां से एक बोतल खरीद कर लौट आए. उन के बीच शराब का दौर शुरू हुआ. अब तक गीता और रीतेश पर गोलियों का असर होने लगा था.

बातोंबातों में इंद्रकुमार ने रीतेश को ज्यादा शराब पिला दी. बिना खाएपिए दोनों आधी रात तक शराब पीते रहे. इस बीच गीता को नींद आने लगी. दोनों बच्चों के साथ गीता ने खाना खा लिया. उस ने रीतेश और पति को कई बार खाने को कहा. लेकिन जब उस ने देखा कि दोनों पीने में मस्त हैं तो वह बच्चों के साथ दूसरे कमरे में सोने चली गई. थोड़ी देर बाद नशा हावी होते ही रीतेश भी वहीं पसर गया.

इंद्रकुमार को इसी मौके का इंतजार था. वह रीतेश को खींच कर दुकान के पीछे वाले कमरे में ले गया और पूरी ताकत से उस का गला दबा दिया. थोड़ी देर में उस का शरीर हमेशाहमेशा के लिए शांत हो गया.

इस के बाद वह गीता को भी उसी कमरे में खींच लाया. लेकिन गीता पूरी तरह बेहोश नहीं थी. उस ने इंद्रकुमार से बचने की भरपूर कोशिश की, विरोध भी किया, लेकिन इंद्रकुमार ने दुपट्टे से उस का गला कस दिया. जिस के चलते उस के भी त्रियाचरित्र का अध्याय हमेशा के लिए समाप्त हो गया.

इंद्रकुमार साहू से विस्तार से पूछताछ कर के पुलिस ने भादंवि की धारा 302, 308 के तहत गिरफ्तार कर उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार भेज दिया गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

3 महीने बाद खुला सिर कटी लाश का राज – भाग 3

घटना के दिन भी जब दोनों बच्चे स्कूल चले गए, तब शैलेंद्र ने गुस्से में आ कर राधा को उलाहना देते हुए कहा, ‘‘मैं नौकरी चले जाने की चजह से पैसेपैसे को तरस रहा हूं और तेरा भाई प्लौट के पैसे दबाए बैठा है. उस से पैसे क्यों नहीं मांग लेती?’’

“भाई से पैसे ला कर तुम्हें दे दूं, जिस से तुम गुलछर्रे उड़ा सको. प्लौट के पैसे मैं ने बच्चों की पढ़ाई के लिए जमा कर रखे हैं. उस में से तुम्हें एक पाई भी नहीं दूंगी.’’ राधा ने भी दोटूक जबाब देते हुए कहा. राधा के इस तरह जबाब देने से शैलेंद्र भडक़ गया और गुस्से में आ कर घर के आंगन में रखा फावड़ा पत्नी के सिर पर दे मारा, जिस से राधा के सिर से खून की धारा बहने लगी और कुछ ही देर में उस की मौत हो गई.

यह घटना 7 दिसंबर, 2022 की है. शैलेंद्र ने फावड़े से राधा की हत्या कर दी और दिन भर शव घर में ही रखा. उस ने कपड़ों से आसपास बिखरे खून को साफ कर दिया था. दोनों बच्चों के स्कूल से घर आने के बाद उस ने बड़े बेटे के सामने रोते गिड़गिड़ाते हुए कहा, ‘‘बेटा, आज मुझ से बड़ी गलती हो गई, मैं ने गुस्से में आ कर तेरी मम्मी को मार दिया. अब पुलिस मुझे पकड़ कर ले जाएगी, अब तुम दोनों का क्या होगा?’’

यह सुन कर शौर्य रोने लगा तो शैलेंद्र ने उसे समझाते हुए कहा, ‘‘बेटा, यदि हम तेरी मम्मी की लाश को किसी तरह ठिकाने लगा दें तो किसी को शक नहीं होगा और मैं तुम दोनों बच्चों को अनाथ होने से बचा भी लूंगा.’’

14 साल का मासूम पिता के जेल जाने की सोच कर सहम गया और उसे पिता को बचाने का यही तरीका अच्छा लगा तो उस ने पिता की बात पर सहमति दे दी. रात में उसी दिन अपनी कार में पत्नी राधा की लाश को कपड़े में छिपा कर दोनों हनुमान डोल मंदिर के पास बनी पुलिया पर पहुंच गए और पुलिया के नीचे ले जा कर शव फेंक दिया. वे अपने साथ लोहे की आरी ले कर आए थे.

लाश की पहचान न हो, इस कारण शैलेंद्र ने राधा का सिर अपने बेटे की मदद से आरी से काट कर अलग कर दिया और शव को रेत, पत्थर से ढंक दिया. दोनों अपनी कार में सिर को कपड़े में लपेट कर अपने घर ले आए. फिर बापबेटे ने प्लानिंग कर सिर को नैशनल हाईवे पर शाहपुर के पास ले जा कर एक गड्ïढे में पैट्रोल डाल कर जला दिया.

दोस्त की मदद से काट रहा था फरारी

जैसे ही शैलेंद्र को पता चला कि राधा के भाई दिलीप ने पुलिस में राधा की गुमशुदगी दर्ज कराई है तो शैलेंद्र अपने बच्चों को पास में ही रहने वाली अपनी मां के पास छोड़ कर अपने घर से भाग निकला. नागपुर की तरफ जाते समय उस ने पुणे में रहने वाले अपने दोस्त गोविंद को फोन लगा कर बातचीत की.

“हैलो गोविंद, मैं बैतूल से शैलेंद्र बोल रहा हूं. भाई, मैं बड़े संकट में फंस गया हूं. तेरी मदद की इस समय मुझे सख्त जरूरत है.’’ शैलेंद्र बोला.

“संकट के समय दोस्त ही दोस्त के काम आता है. बताओ शैलेंद्र, मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूं.’’ गोविंद ने उसे भरोसा दिलाते हुए कहा.

“गोविंद कुछ दिनों के लिए मैं तुम्हारे साथ पुणे में रहना चाहता हूं, तुम मुझ पर एक उपकार करोगे तो मैं शायद बड़े संकट से बच जाऊंगा.’’ शैलेंद्र बोला.

“अब पहेलियां न बुझाओ शैलेंद्र, तुम पुणे आ जाओ. मेरे घर के दरवाजे तुम्हारे लिए हर समय खुले हुए हैं.’’ गोविंद ने उसे पुणे आने का न्यौता देते हुए कहा. अंधा क्या चाहे दो आंखें. शैलेंद्र के मन की मुराद पूरी हो गई. वह नागपुर से ट्रेन पकड़ कर पुणे पहुंच गया. पुणे रेलवे स्टेशन पर उतरते ही उस ने गोविंद को फोन लगा दिया. बचपन का दोस्त गोविंद वरकड़े उसे लेने स्टेशन आ गया.

गोविंद ने घर ले जा कर शैलेंद्र को खाना खिलाया और उस से परिवार का हालचाल पूछा तो शैलेंद्र ने घडिय़ाली आंसू बहाते हुए गोविंद को बताया कि पत्नी राधा से झगड़ा होने की वजह से उस ने उसे फावड़ा मार दिया था, जिस से राधा की मौत हो गई. पुलिस से बचने के लिए वह पुणे आया है.

शैलेंद्र का दोस्त भी हुआ गिरफ्तार

गोविंद ने फरारी काटने के लिए शैलेंद्र को अपने घर पर पनाह देते हुए भरोसा दिलाया कि कुछ दिनों में उसे किसी कंपनी में काम दिलवा देगा और यहां पुलिस उसे खोज भी नहीं पाएगी. मगर पुलिस की पकड़ से वह ज्यादा दिनों तक नहीं बच सका. मोबाइल लोकेशन के आधार पर 22 मार्च, 2023 को बैतूल पुलिस टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया. शैलेंद्र को फरारी काटने में मदद करने के आरोप में गोविंद वरकड़े को भी हिरासत में ले लिया.

23 मार्च को बैतूल कंट्रोल रूम में एसपी सिमाला प्रसाद ने प्रेस कौन्फ्रैंस में घटना का खुलासा किया. शैलेंद्र और गोविंद को कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को बैतूल जेल भेज दिया गया. नाबालिग बेटे शौर्य को बाल सुधार गृह भेज दिया गया.

नशाखोरी और अय्याशी की वजह से शैलेंद्र की गृहस्थी उजड़ गई और उसे जेल की हवा खानी पड़ी. गलत रास्ते पर चलने वाले दोस्त को सहयोग करने वाले गोविंद को भी अपनी गलती का खामियाजा भुगतना पड़ा. पढऩेलिखने की उम्र में नाबालिग बेटे को बाल सुधार गृह में जाने को मजबूर होना पड़ा.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, कथा में शौर्य बदला हुआ नाम है.

3 महीने बाद खुला सिर कटी लाश का राज – भाग 2

दिलीप को जब शंका हुई तो उस ने 13 मार्च, 2023 को बैतूल गंज पुलिस थाने में जा कर अपनी बहन राधा की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा दी. उस ने पुलिस को बताया कि उस की बहन राधा और जीजा शैलेंद्र के बीच अकसर विवाद होता रहता था. उसे शंका है कि कहीं उस के जीजा ने बहन के साथ कोई बुरा सुलूक न कर दिया हो.

मोबाइल लोकेशन से मिला सुराग

13 मार्च, 2023 को राधा के भाई दिलीप ने जब राधा की गुमशुदगी दर्ज कराई तो पुलिस ने राधा के पति शैलेंद्र राजपूत व घर वालों को पूछताछ के लिए थाने में तलब किया, मगर शैलेंद्र रंगपंचमी से ही अपने घर से फरार हो गया था. इस से पुलिस का शैलेंद्र पर शक और गहरा गया. पुलिस ने जब शैलेंद्र के पुराने आपराधिक रिकौर्ड की जांच की तो पता चला कि उस की पहली पत्नी कल्पना की मौत आग लगने की वजह से हुई थी. शैलेंद्र की कल्पना से एक बेटी थी, जिस की शादी हो चुकी है. कल्पना की मौत के बाद शैलेंद्र ने राधा से शादी कर ली थी.

कल्पना के मायके वालों ने शैलेंद्र पर कोतवाली थाने में दहेज प्रताडऩा के साथ जला कर मारने का मुकदमा दर्ज कराया था. राधा को भी शैलेंद्र प्रताडि़त करता रहता था, इस बात की जानकारी राधा के भाई दिलीप को भी थी. जब भी दिलीप शैलेंद्र से इस बारे में राधा से बात करता तो राधा भाई को समझा कर कहती, ‘‘भैया, घरगृहस्थी में सब चलता रहता है, अपने बेटों की खातिर मैं पति की प्रताडऩा भी सह लूंगी.’’

भाई ने की लाश की शिनाख्त

राधा के भाई दिलीप डांगी को जब बैतूल के रानीपुर थाना क्षेत्र में 29 दिसंबर, 2022 को मिली एक महिला की सिर कटी लाश की फोटो दिखाई गई तो शरीर की बनावट और कपड़ों से दिलीप ने उस की पहचान राधा के तौर पर की. पुलिस को सिर कटी लाश के पास पैर की अंगुली में पहनी जाने वाली बिछिया मिली थी. जब पुलिस ने राधा के घर की तलाशी ली तो उसी प्रकार की दूसरी बिछिया राधा के सामान में मिली थी. इस से पुलिस को पूरा यकीन हो गया था कि सिर कटी लाश राधा राजपूत की ही है. पति शैलेंद्र के फरार होने के बाद पुलिस का शक पति पर गया और पुलिस ने उस की तलाश शुरू कर दी.

एसपी सिमाला प्रसाद और एडिशनल एसपी नीरज सोनी के निर्देश पर आरोपी की तलाश हेतु थाना रानीपुर की टीआई अपाला सिंह, इंसपेक्टर रविकांत डहेरिया, एसआई आबिद अंसारी, राकेश सरियाम, मोहित दुबे, राजेंद्र राजवंशी, वंशज श्रीवास्तव, एएसआई दीपक मालवीय, हैडकांस्टेबल तरुण पटेल, राजेंद्र धाड़से, हैडकांस्टेबल बलराम राजपूत, दीपेंद्र सिंह आदि की टीम गठित कर दी.

साइबर टीम ने सब से पहले शैलेंद्र के मोबाइल को सर्विलांस पर लगाया तो उस की लोकेशन महाराष्ट्र के पुणे शहर की मिल रही थी. पुलिस टीम ने 8 दिन की मशक्कत के बाद राधा के पति शैलेंद्र को पुणे महाराष्ट्र में श्रीनिवास कंपनी नौलखा उमरी के पास से गिरफ्तार किया. वहां अपने दोस्त गोविंद वरकड़े के साथ रह रहा था. गोविंद बैतूल के कत्लढाना इलाके का रहने वाला था. पुलिस ने शैलेंद्र को पुलिस थाने ला कर पूछताछ की तो पहले तो वह पुलिस को गुमराह करता रहा, लेकिन जब पुलिस ने सख्ती दिखाई तो वह टूट गया.

पति शैलेंद्र और नाबालिग बेटे को किया गिरफ्तार

शैलेंद्र ने पुलिस के सामने अपने नाबालिग बेटे के साथ मिल कर पत्नी की हत्या करने की बात कुबूल कर ली. पुलिस ने हत्या के मामले में आरोपी पति शैलेंद्र राजपूत, नाबालिग बेटे और आरोपी को घर में छिपा कर रखने के मामले में गोविंद वरकड़े को गिरफ्तार कर जब पूछताछ की तो राधा की हत्या की कहानी से परदा उठ गया.

45 साल के शैलेंद्र राजपूत के पिता वन विभाग में बीट गार्ड के पद पर नौकरी करते थे. पिता की मौत के बाद उसे अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति मिल गई. शैलेंद्र आलसी और कामचोर स्वभाव का था. पिता की नौकरी मिलते ही आवारागर्दी करने वाले शैलेंद्र के दिन ही फिर गए. वह अपने ऐशोआराम के लिए नई कार ले आया. नौकरी से मिलने वाला पैसा वह शराब पीने और अय्याशी में खर्च करने लगा. नशे की लत और रंगीनमिजाज होने के कारण गलत तरीके से पैसा कमाने का आदी हो चुका था.

शैलेंद्र जंगल में सागौन की तस्करी करने लगा. कुछ समय पहले जंगल में बंकर बनाने के नाम पर उस ने सागौन की अवैध कटाई कर के लाखों रुपए की लकड़ी की खरीदफरोख्त की थी. बैतूल जिले के इतिहास में पहली बार वन विभाग का बंकर कांड सामने आया था, जिस में बंकर बना कर आरा मशीन लगा कर अवैध सागौन की कटाई की जाती थी. इस की जांच की गई तो उसे कुसूरवार मान कर नौकरी से बरखास्त कर उस के खिलाफ धारा 3.5 लोक संघ निवारण अधिनियम व 379, 120बी भादंवि का मामला दर्ज किया गया था. बैतूल के चिखलार में हुए बंकर कांड में शैलेंद्र को पुलिस ने आरोपी बनाया था, जिस से उसे नौकरी से हाथ धोना पड़ा था.

आशिकमिजाज था शैलेंद्र

शैलेंद्र की आशिकमिजाजी की वजह से पतिपत्नी के बीच अकसर विवाद होता रहता था. राधा के नाम उस के मायके सागर जिले के देवरी में एक प्लौट था, जिसे उस ने अपने भाई दिलीप की मदद से बेच दिया था. राधा पति की पैसे उड़ाने की आदत जानती थी, जिस के कारण मायके में बेचे गए प्लौट के पैसे राधा ने भाई के पास जमा करवा दिए थे, जिस से उस के दोनों बेटों के भविष्य में काम आ सके. इस बात को ले कर अकसर विवाद होता था. यही नहीं, शैलेंद्र के किसी दूसरी महिला से अवैध संबंधों को ले कर भी घर में झगड़े होते थे.

3 महीने बाद खुला सिर कटी लाश का राज – भाग 1

27 दिसंबर, 2022 की बात है. बैतूल के रानीपुर थाना क्षेत्र में वन विभाग के बीट गार्ड शांतिलाल पचोरिया दोपहर के वक्त इलाके में गश्त कर रहे थे. उन्होंने महसूस किया कि हनुमान डोल के आसपास से बदबू आ रही थी. मौके पर जा कर उन्होंने देखा तो एक मरा हुआ बैल दिखाई दिया. उसे देख कर वह वापस लौट आए. दूसरे दिन 28 दिसंबर को जब बदबू ज्यादा आने लगी तो उन्होंने आसपास के इलाकों में सर्च की.

सर्चिंग के दौरान हनुमान डोल मंदिर से करीब 50 मीटर दूर एक पुलिया के नीचे प्लेटफार्म से सटी रेत पर चादर से लिपटा एक शव बीट गार्ड को दिखाई दिया. शव मिलने की सूचना जब तक उस ने थाना रानीपुर को दी, तब तक शाम हो चुकी थी. तीसरे दिन 29 दिसंबर, 2023 को जब रानीपुर पुलिस फोरैंसिक टीम के साथ वहां पहुंची तो देखा कि शव के सिर्फ पैर दिख रहे थे. शव पत्थर और रेत में ढंका हुआ था. जब पुलिस टीम ने शव बाहर निकाला तो एक धड़ मिला, जिस के शरीर से सिर गायब था.

कपड़ों के लिहाज से यह लाश किसी महिला की थी. मौके पर पहुंचे एसडीपीओ रोशन जैन, टीआई अपाला सिंह को महिला का शव जिस हालत में मिला, उस से लग रहा था कि वह किसी मिडिल क्लास परिवार से है. जंगल में लाश मिलने की खबर सोशल मीडिया पर वायरल होते ही इलाके में दहशत का माहौल बन गया. घटना की सूचना तत्काल ही बैतूल जिले के आला अधिकारियों को दी गई.

सूचना मिलते ही जिले की एसपी सिमाला प्रसाद, एडिशनल एसपी नीरज सोनी, एसडीओपी रोशन जैन ने भी घटनास्थल पर पहुंच गए. लाश का मुआयना करने के बाद एसपी ने टीआई को केस का जल्द खुलासा करने के निर्देश दिए. जरूरी काररवाई करने के बाद टीआई अपाला सिंह ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

सिर कटी लाश बनी पहेली

बैतूल जिले की पुलिस के लिए महिला की सिरकटी लाश पहेली बनी हुई थी. सिर न होने से महिला की शिनाख्त नहीं हो पा रही थी. लाश की शिनाख्त के लिए करीब 500 गुम महिलाओं की जानकारी जुटाने की कोशिश की गई, मगर पुलिस को कोई सुराग नहीं मिल रहा था. पुलिस ने इस लाश से जुड़ी जानकारी अन्य थानों में देने के साथ सूचना देने वाले को 10 हजार रुपए का ईनाम देने की घोषणा भी की थी. एसपी सिमाला प्रसाद ने इस मामले में स्पैशल इनवैस्टीगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया.

एसआईटी ने बैतूल और सीमावर्ती जिले होशंगाबाद, छिंदवाड़ा, हरदा, खंडवा, खरगोन के अलावा भोपाल, इंदौर के साथ महाराष्ट्र के सीमावर्ती जिलों से गुम महिलाओं की जानकारी प्राप्त की, जिस में करीब 500 महिलाओं की जानकारी प्राप्त कर शव की पहचान करने की कोशिश की गई, मगर फिर भी कोई पुख्ता सुराग पुलिस को नहीं मिल सका.

राधा की गुमशुदगी से हुआ खुलासा

मध्य प्रदेश के बैतूल में विवेकानंद वार्ड की रहने वाली 41 साल की राधा राजपूत अपने पति और 14 साल के बेटे शौर्य और 9 साल के शक्ति के साथ रहती है. राधा का मायका देवरी जिला सागर में है. पिछले 2 महीनों से राधा का भाई दिलीप डांगी कई बार अपनी बहन राधा से बात करने के लिए संपर्क कर चुका था, लेकिन उस से बात नहीं हो पा रही थी. बहनोई शैलेंद्र को भी वह कई बार फोन कर चुका था, मगर उस का फोन आउट औफ कवरेज रहता था.

होली के दिन की बात है. रात में खाना खा कर दिलीप ने अपने जीजा को फोन मिलाया तो इस बार शैलेंद्र ने फोन काल रिसीव करते हुए पूछा, ‘‘हां बोलो दिलीप भाई, बहुत दिनों के बाद याद किया. क्या हालचाल हैं तुम्हारे?’’

“अरे जीजाजी सब ठीक है, बहुत दिनों से हमारी राधा दीदी से बात नहीं हुई तो सोचा आज होली का त्यौहार है, इसी बहाने उस से बात कर लूं.’’ दिलीप ने शैलेंद्र से कहा.

“लेकिन तुम्हारी जीजी तो 8-10 दिन पहले ही देवरी जाने की बोल कर गई है, क्या तुम्हारे पास नहीं पहुंची?’’ शैलेंद्र ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा.

“अरे जीजा, काहे मजाक कर रहे हो. चलो जल्दी से राधा से बात कराओ,’’ दिलीप बोला.

“अरे भाई, मैं मजाक नहीं कर रहा, सच बोल रहा हूं. राधा घर पर यही बोल कर निकली है कि काफी दिनों से वह अपने मायके नहीं गई है, इसलिए होली पर गुलाल लगाने भाई के घर जा रही है. यकीन न हो तो शक्ति और शौर्य से बात कर लो.’’

शैलेंद्र ने दिलीप को यकीन दिलाते हुए मोबाइल अपने बड़े बेटे शौर्य को पकड़ाते हुए कहा. शौर्य ने दिलीप को बताया, ‘‘मामाजी, मम्मी तो यहां से यही बोल कर गई है कि कुछ दिनों के लिए मामा के यहां जा रही हूं.’’

पड़ोसियों की बातों से बढ़ा शक

दिलीप को काटो तो खून नहीं वह अपनी बहन राधा को ले कर चिंतित हो गया, दिलीप को पता था कि उस का जीजा राधा से पैसों को ले कर आए दिन झगड़ा करता रहता है. राधा के बारे में उस के मन में तरहतरह के खयाल आ रहे थे. दिलीप ने उस के दूसरे रिश्तेदारों से राधा की खैरखबर मांगी, लेकिन उसे निराशा ही हाथ लगी.

आखिर में दिलीप रंगपंचमी पर बहन के घर बैतूल पहुंचा तो उस का जीजा शैलेंद्र घर पर नहीं मिला. अपने भांजे शौर्य और शक्ति से जब बात की तो वे भी कोई संतोषजनक जबाब नहीं दे पाए. राधा के दोनों बेटे भी डरेसहमे से घर पर मिले. पड़ोस में रहने वाली महिलाओं ने बताया कि राधा को उन्होंने करीब 2 माह से नहीं देखा. जब बच्चों से पूछते हैं तो वे यही जबाब देते हैं कि मम्मी मामा के यहां गई हुई हैं.

देवर के चक्कर में पति को हटाया – भाग 3

कमला ने एकांत के क्षणों में रमेश से कहा, ‘‘रमेश, ऐसा करो कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. गिरधारी की मौत भी हो जाए और लगे कि एक्सीडेंट में मौत हुई है.’’

“ऐसी बात है तो मैं गिरधारी की गाड़ी से कुचल हत्या कर डालता हूं और फिर नाता प्रथा के तहत तुम से शादी कर के अपनी गृहस्थी बसा कर मौज से रहेंगे,’’ रमेश ने कहा. सुन कर कमला बोली, ‘‘जल्दी से उस का काम तमाम करो. उसे मैं अब फूटी आंख नहीं देखना चाहती.’’

कमला और रमेश के प्यार में गिरधारी अब बाधा बनने लगा था. वह अपनी पत्नी कमला को रमेश के साथ हंसनेबोलने पर एवं मिलने पर डांटडपट करने लगा था. कमला ने रमेश से कहा कि जल्दी से जल्दी गिरधारी का काम तमाम सावधानी से करो, ताकि गिरधारी की हत्या एक्सीडेंट लगे.

रमेश का एक दोस्त था सुनील गढ़वाल. वह चौमूं के एक प्राइवेट अस्पताल में नौकरी करता था. इसी दोस्ती की कसम दे कर रमेश ने सुनील से मदद मांगी. रमेश ने कहा, ‘‘सुनील, मैं कमला से प्यार करता हूं और कमला भी मुझ से प्यार करती है. हम दोनों शादी करना चाहते हैं. मगर प्यार में उस का पति गिरधारी बाधा बना है. गिरधारी को हम गाड़ी से टक्कर मार कर मार डालते हैं. यह हत्या नहीं पुलिस के लिए एक एक्सीडेंट होगा. बाद में हम दोनों गिरधारी के न रहने पर शादी कर लेंगे.’’

सुनील अपने दोस्त को नाराज नहीं करना चाहता था. उस ने सोचा कि गिरधारी लाल को एक्सीडेंट में मार डालेंगे तो लगेगा ही नहीं कि उस की हत्या की गई है. योजनानुसार सुनील ने अपने परिचित हितेश से कार कुछ समय के लिए जरूरी काम का बहाना कर मांग ली थी. सुनील ने कार का जुगाड़ किया तो रमेश ने 3 फरवरी, 2023 की शाम साढ़े 7 बजे घर से ड्यूटी पर जा रहे गिरधारी लाल को सुनसान सडक़ पर रोक लिया और शराब पीने की इच्छा बताई.

गिरधारी और रमेश मंडा रीको एरिया में बैठ क र शराब पीने लगे. गिरधारी को जानबूझ कर रमेश ने ज्यादा शराब पिलाई. इस के बाद रमेश ने फोन कर सुनील से कहा कि आ जाओ. इशारा मिलते ही सुनील कार ले कर रीको एरिया में पहुंच गया और उस ने गाड़ी गिरधारीलाल पर चढ़ा दी. लेकिन वह मरा नहीं. गिरधारी के दोनों पैर टूट गए. अंधेरे की वजह से गिरधारी का मोबाइल वहीं गिर गया.

घायल गिरधारी लाल को दोनों गाड़ी में डाल कर 2 किलोमीटर दूर रेनवाल थाना क्षेत्र के लालासर गांव के पास ले गए, जहां उस को सडक़ के किनारे पटक दिया और कई बार गाड़ी चढ़ा कर कुचला और फरार हो गए.

हत्यारिन पत्नी और प्रेमी पहुंचे जेल

दोनों अपनेअपने घर चले गए. रमेश ने कमला उर्फ पूजा को यह खबर दे दी कि उन्होंने गिरधारी लाल की हत्या को एक्सीडेंट का रूप दे दिया है. यह खबर सुन कर कमला खुश हो गई. प्रेमी रमेश से पति गिरधारी को मरवा कर कमला को लगा कि उस के रास्ते का पत्थर हट गया है. वह रमेश के संग शादी के सपने जागती आंखों से देखने लगी. मगर जब अगले रोज 4 फरवरी, 2023 को गिरधारी लाल का शव मिला तो पुलिस ने मौकामुआयना किया.

मौका देखने से लग रहा था कि गिरधारी का एक्सीडेंट नहीं हुआ था. उस की गाड़ी से कुचल कर हत्या की गई है. शव मिलने के स्थान से 2 किलोमीटर दूर गिरधारी के मोबाइल का मिलना यह एक और सबूत था कि गिरधारी की यहां हत्या कर के लाश 2 किलोमीटर दूर फेंकी गई है. इस के बाद पुलिस ने जांच की तो सारी कहानी खुल गई.

गोविंदगढ़ थाने की पुलिस टीम ने सुनील की निशानदेही पर वह कार जब्त कर ली, जिस से कुचल कर गिरधारी लाल कीहत्या की गई थी. एफएसएल टीम ने कार की जांच की तथा सबूत जुटाए गए. गिरधारीलाल मर्डर केस का परदाफाश होने एवं तीनों हत्यारोपियों की गिरफ्तारी के बाद एसपी (ग्रामीण) मनीष अग्रवाल ने 5 फरवरी, 2023 को प्रैसवात्र्ता कर गिरधारी लाल हत्याकांड का खुलासा कर दिया.

तीनों गिरफ्तार आरोपियों रमेश कुमार जाट, सुनील कुमार गढ़वाल एवं मृतक की पत्नी कमला उर्फ पूजा देवी को 6 फरवरी, 2023 को गोविंदगढ़ थाना पुलिस ने मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया. जिस पर गौरी का बास निवासी रमेश जाट एवं सुनील गढ़वाल को मजिस्ट्रैट ने पुलिस रिमांड पर सौंप दिया, जबकि कमला उर्फ पूजा को जेल भेज दिया गया. रिमांड अवधि पूरी होने पर पुलिस ने रमेश जाट एवं सुनील गढ़वाल को भी मजिस्ट्रैट के आदेश पर न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित है

देवर के चक्कर में पति को हटाया – भाग 2

कमला ने खुलासा कर दिया कि उस का रमेश से पिछले एक साल से प्रेम प्रसंग चल रहा है. उस ने बताया कि वह अपने पति गिरधारी लाल को पसंद नहीं करती थी. वह रमेश से प्यार करती थी. रमेश भी उस से प्यार करता था. गिरधारी लाल की हत्या दुर्घटना लगे, इस कारण एक्सीडेंट करा कर गिरधारीलाल को मारना चाहते थे, ताकि हत्या न लग कर मौत मात्र दुर्घटना लगे.

कमला और रमेश की योजना थी कि गिरधारी लाल की मौत के बाद उन दोनों की शादी हो जाती. उन दोनों को प्यार मिल जाता और उन के प्यार में रोड़ा बना पति गिरधारी भी नहीं रहता. कमला के गिरधारी लाल हत्याकांड का जुर्म कुबूल करते ही पुलिस ने हत्यारोपी रमेश कुमार ढाका निवासी गौरी का बास, जयपुर (ग्रामीण) और हत्या में सहयोग करने वाले दूसरे आरोपी सुनील गढ़वाल निवासी गौरी का बास, जिला जयपुर (ग्रामीण) को गिरफ्तार कर लिया.

रमेश व सुनील गढ़वाल थाने में पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ की. पूछताछ में गिरधारी लाल की हत्या करने का जुर्म रमेश व सुनील ने कुबूल कर लिया. रमेश कुमार, सुनील गढ़वाल एवं कमला उर्फ पूजा ने पुलिस पूछताछ में जो कहानी बताई, वह एक बीवी के हवस में अंधी हो कर पति के प्राण लेने की खून सनी कहानी है—

देवरभाभी के अवैध संबंध

जयपुर ग्रामीण में थाना गोविंदगढ़ के अंतर्गत एक गांव गौरी का बास आता है. इसी गांव में जीवणराम ढाका का परिवार रहता था. जीवणराम का छोटा बेटा गिरधारी लाल सुंदर व स्मार्ट युवक था. गिरधारी से बड़े भाई मालीराम की शादी होने के बाद जीवणराम जल्द से जल्द छोटे बेटे गिरधारी का विवाह कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते थे. जीवणराम ने गिरधारी के लिए योग्य वधू की खोज की. उन्हें एक रिश्तेदार ने कमला उर्फ पूजा के बारे में बताया.

वह रिश्तेदारी जानीपहचानी थी ही. सन 2019 में गिरधारी लाल की शादी कमला से कर दी. पतिपत्नी एकदूसरे से खूब प्यार करते थे. गिरधारी गांव से 2 किलोमीटर दूर मंडा रीको फैक्ट्री में मशीन औपरेटर के पद पर कार्यरत था. उस की 12 घंटे की ड्यूटी थी. कभी दिन में तो कभी रात में ड्यूटी लगती थी.

गिरधारी लाल पैदल ही गांव से 2 किलोमीटर दूर फैक्ट्री ड्यूटी पर जाता था. कमला और गिरधारी का दांपत्य जीवन खुशहाल बीत रहा था. पिछले साल गिरधारी की मौसी का बेटा रमेश कुमार एक दिन उस के घर आया. गिरधारी ने उस का स्वागत किया. रमेश उसी गांव का रहने वाला था. रमेश कंपिटिशन एग्जाम की तैयारी कर रहा था. इस कारण वह गांव कम ही आता था.

इस अवैध संबंध कथा की बुनियाद तब धरी गई, जब जनवरी 2022 में रमेश गांव आया और मौसी के घर गया, तब उस ने गिरधारी की पत्नी कमला को देखा. वह रिश्ते में रमेश की भाभी लगती थी. गिरधारी ने कमला की मुलाकात रमेश से कराते हुए कहा, ‘‘कमला, यह तेरा लाडला देवर है. मेरी मौसी का बेटा. इस की खातिरदारी में कमी मत रखना. यह प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगा रहता है.’’

पति के मुंह से यह सुन कर कमला ने एक निगाह रमेश पर डाली. रमेश उसी को ताके जा रहा था. कमला चाय बना लाई. चाय के दौरान गपशप होती रही. देवर होने के नाते रमेश ने कमला को छेड़ा भी. कमला भी रमेश को छेडऩे लगी. रमेश उस दिन कमला के घर से गया जरूर, मगर वह अपना दिल कमला भाभी के पास छोड़ गया. ऐसा ही कुछ हाल कमला का भी था. कमला को भी रमेश की बातें व उस की मस्त हंसी उस का दीवाना कर गई थी.

रमेश 2 दिन तक कमला को भुलाने की कोशिश करता रहा, मगर वह भुला नहीं पाया. तब रमेश 2 दिन बाद गिरधारी के ड्यूटी जाने के बाद उस के घर पर आया. उस समय कमला अकेली घर पर थी. कमला ने कहा, ‘‘आइए देवरजी.’’

“गिरधारी भैया नहीं दिख रहे. ड्यूटी पर चले गए क्या?’’ रमेश बोला.

“हां, वे तो ड्यूटी पर चले गए. कहिए उन से कोई काम था क्या?’’ कमला आंखें टेढ़ी कर के बोली.

“ना भाभी, कोई काम नहीं था. वैसे दिख नहीं रहे तब कह रहा हूं.’’

“अच्छा, कहिए क्या लेंगे? चाय या कौफी?’’ कमला ने मनुहार की.

रमेश बोला, ‘‘कुछ नहीं, चाय पी कर आया हूं. आप बैठिए, आप से कुछ बातें करते हैं.’’ इस के बाद दोनों इधरउधर की बातें करने लगे. बातों के दौरान रमेश ने कई बार कमला की सुंदरता की तारीफ की. कहते हैं महिला को अपनी तारीफ बहुत अच्छी लगती हैं. अपनी सुंदरता की तारीफ सुन कर कमला बोली, ‘‘रमेशजी, आप भी तो गबरू जवान हो. कोई सुंदर सी लडक़ी देख कर शादी कर लो.’’

“मुझे तो सुंदर आप लगी हैं और आप ने शादी कर ली. क्या भैया को छोड़ कर आप मेरी बन सकती हो?’’ रमेश ने कहा. सुन कर कमला बोली, ‘‘मैं आप की भाभी हूं. भाभी से प्रेम निवेदन सही नहीं है. अगर मैं चाहूं, तब भी आप से विवाह नहीं कर सकती.’’

“आप एक बार हां कहो तो सही. उस के बाद मैं सारे रास्ते खोल दूंगा. मैं ने जब से आप को देखा है, तब से कुछ भी अच्छा नहीं लगता.’’ रमेश ने कहा. थोड़ी देर तक चुप रहने के बाद कमला व रमेश ने एक होने की कसम खा ली. रमेश ने कमला को बाहुपाश में भर लिया और उस पर चुंबनों की बौछार कर दी. कमला भी रमेश के बाहुपाश में बंध गई.

दोनों के तन पर एकदूसरे के हाथों का स्पर्श बढ़ा तो उन के तन में वासना की आग भडक़ उठी. इस के बाद दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कर लीं. तब जा कर वासना की आग शांत हुई. उस दिन के बाद से कमला उर्फ पूजा और रमेश के अवैध संबंध इस पवित्र रिश्ते की आड़ में पनपते रहे. एक बार देवरभाभी के अवैध संबंध बने तो उसे अकसर दोहराने लगे.

पत्नी ने कराई हत्या

देवरभाभी का प्यार अमरबेल की तरह बढ़ता रहा. शारीरिक संबंध बनाने के बाद भी उन्हें इस की प्यास बनी रहती. रमेश और कमला ने एक साल में तय कर लिया कि वे अब शादी कर के साथ रहेंगे. लेकिन जब तक कमला उर्फ पूजा का पति गिरधारी लाल जीवित था, तब तक उन के लिए शादी करना सपने जैसा था.

देवर के चक्कर में पति को हटाया – भाग 1

शनिवार, 4 फरवरी, 2023 का दिन उदय ही हुआ था. राजस्थान की राजधानी जयपुर जिले के गौरी का बास गांव के रहने वाले गिरधारी लाल ढाका (22 वर्ष) का शव रेनवाल थाने के डंूगरी खुर्द लालासर ग्रेवल सडक़ पर औंधे मुंह पड़ा था. सडक़ मार्ग से गुजर रहे लोगों ने शव पड़े होने की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी.

पुलिस कंट्रोल रूम से यह जानकारी रेनवाल थाने को दे दी गई क्योंकि यह क्षेत्र इसी थाने के अंतर्गत आता है. लाश पड़ी होने की सूचना मिलते ही एसएचओ उमराव सिंह थोड़ी देर में घटनास्थल पर पुलिस टीम के साथ जा पहुंचे. घटनास्थल पर सुरेंद्र करल्या नामक राहगीर भी खड़ा था, जिस ने पुलिस कंट्रोल रूम को लाश पड़ी होने की सूचना दी थी.

एसएचओ ने लाश का मुआयना किया. शव का चेहरा कुचला हुआ था व शरीर पर काफी चोटों के निशान साफ दिख रहे थे. मृतक की शिनाख्त लोगों ने कर ही ली थी. पुलिस को घटनास्थल से करीब 2 किलोमीटर दूर फोरैस्ट चौकी बावड़ी गोपीनाथ कच्चे रास्ते पर मृतक गिरधारीलाल का मोबाइल पड़ा मिला. मोबाइल के पास खून भी बिखरा हुआ था.

पुलिस टीम ने सोचा कि जहां गिरधारी का खून व मोबाइल पड़ा मिला था, वहीं पर हत्यारों ने उसे मार कर लाश 2 किलोमीटर दूर ले जा कर फेंकी होगी. लाश मिलने के स्थान व मोबाइल मिलने वाली जगह पर 4 पहियों वाली छोटी गाड़ी के टायरों के निशान भी साफ दिख रहे थे. ऐसा लग रहा था कि गाड़ी से कुचल कर गिरधारी को मारा गया था.

एसएचओ उमराव सिंह ने गिरधारी लाल ढाका की हत्या की खबर उच्चाधिकारियों को दे दी. घटना की खबर पा कर जोबनेर के डीएसपी मुकेश कुमार चौधरी, एएसपी दिनेश कुमार शर्मा घटनास्थल पर पहुंचे और मौकामुआयना किया. एफएसएल टीम ने मौके पर पहुंच कर साक्ष्य जुटाए. जयपुर (रेनवाल) में गिरधारीलाल हत्याकांड की खबर मीडिया में भी छा गई. सूचना पा कर गिरधारी के घर वाले रोतेबिलखते वहां आ गए थे.

चूंकि पुलिस को उन से पूछताछ करनी थी, इसलिए उन्हें तसल्ली दे कर चुप कराया.एसएचओ के पूछने पर मृतक के भाई मालीराम ने बताया कि शुक्रवार 3 फरवरी, 2023 की शाम साढ़े 7 बजे गिरधारी घर से 2 किलोमीटर दूर मंडा रीको फैक्ट्री जाने के लिए निकला था. वह इस फैक्ट्री में रात 9 से सुबह 9 बजे तक मशीन औपरेटर के रूप में ड्यूटी करता था. इस बीच अज्ञात लोगों ने उस की हत्या कर दी थी. अगले रोज 4 फरवरी को गिरधारी का खून सनीलाश मिली.

लोगों ने किया विरोध प्रदर्शन

पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शव को रेनवाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की मोर्चरी में रखवा दिया. गौरी का बास में जब लोगों को पता चला कि गिरधारी लाल की अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी है और मृतक का शव बरामद हुआ है. इस पर आक्रोशित परिजनों और ग्रामीणों ने चौमू रेनवाल रोड जाम कर दिया. ग्रामीणों की मांग थी कि हत्यारों को जल्द पकड़ा जाए और मृतक के घर वालों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए.

ग्रामीणों ने कहा कि जब तक हमारी मांग पूरी नहीं होगी, तब तक हम धरने पर बैठे रहेंगे. साथ ही परिजनों ने शव भी तब तक नहीं लेने की शर्त रख दी थी. सैकड़ों लोगों द्वारा सडक़ मार्ग जाम करने की खबर पा कर चौमू विधायक रामलाल शर्मा भी वहां पहुंचे. इस के बाद पुलिस के आला अधिकारियों के आश्वासन के बाद 4 घंटे से चला आ रहा धरना व सडक़ जाम खुलवा दिया गया.

मृतक गिरधारी लाल के बड़े भाई मालीराम ने गोविंदगढ़ थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया. पुलिस ने मैडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करा कर गिरधारी लाल का शव उस के घर वालों को सौंपा, जिस के बाद उस का अंतिम संस्कार हुआ.

गिरधारी लाल हत्याकांड मामला एसपी (जयपुर ग्रामीण) मनीष अग्रवाल के संज्ञान में आया तो उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष पुलिस टीम बनाई और टीम को हत्याकांड का खुलासा करने के निर्देश दिए. इस विशेष पुलिस टीम में डीएसपी (गोविंदगढ़) बालाराम, डीएसपी (जोबनेर) मुकेश चौधरी, एसएचओ (गोविंदगढ़) धर्म सिंह, एसएचओ (कालाडेरा) हरवेंद्र सिंह, एसएचओ (रेनवाल) उमराव सिंह, साइबर सेल के सरदार सिंह, लक्ष्मी, मदनलाल, सुभाष, अशोक कुमार, महेश, मोहनलाल, भींवाराम, रामस्वरूप, सीताराम, कविता, भगवती, कैलाशचंद, हरीश कुमार, महेश, मदनलाल और जयप्रकाश को शामिल किया गया.

पुलिस अधिकारियों ने घटना पर विचारविमर्श किया तो लगा कि हत्या का यह मामला भी जर, जोरू और जमीन से ही जुड़ा हुआ हो सकता है. टीम द्वारा गिरधारी लाल के चालचरित्र पर जानकारी इकट्ïठा की गई. तब पुलिस को गिरधारीलाल की पत्नी कमला उर्फ पूजा और मृतक की मौसी के बेटे रमेश कुमार ढाका का चरित्र संदेहास्पद लगा.

पत्नी पर हुआ शक

पुलिस को जानकारी मिली कि गिरधारी का मौसेरा भाई रमेश कुमार अकसर गिरधारी की गैरमौजूदगी में उस के घर पर उस की पत्नी कमला के साथ पिछले कुछ महीनों से देखा जा रहा है. पुलिस के हाथ ये सूत्र लगा तो पुलिस ने कमला उर्फ पूजा के मोबाइल की काल डिटेल्स, सोशल मीडिया मैसेज आदि की जांच की.

जांच में सामने आया कि गिरधारी की पत्नी कमला उर्फ पूजा ने मृतक के मौसेरे भाई रमेश कुमार से जनवरी 2023 महीने में 800 बार बातचीत की थी. सोशल मीडिया पर भी कई बार मैसेज का आदानप्रदान कमला और रमेश के बीच होना सामने आया. पुलिस को अब इन दोनों पर शक ही नहीं, पूरा यकीन हो गया था कि यही गिरधारी लाल हत्याकांड में शामिल हैं. बस फिर क्या था, पुलिस टीम ने मृतक की पत्नी कमला को रविवार 5 फरवरी, 2023 को पुलिस हिरासत में ले कर कड़ी पूछताछ की.

पहले तो वह थोड़ी देर तक नानुकुर करती रही, मगर जब उस के सामने यह सबूत रखा गया कि उस ने रमेश कुमार के साथ जनवरी में फोन पर 800 बार क्या बातचीत की? रमेश के साथ इतनी बातें क्यों करती थी? उस का रमेश से क्या रिश्ता है, जो रात में भी वह घंटों उस से बातें करती थी? यह सुन कर कमला अंदर तक कांप गई. वह समझ गई कि उस की पोल खुल चुकी है. सच्चाई बताने में ही भलाई है.

3 लव मैरिज के बाद भी बनी रही बेवफा – भाग 3

कुहनी पर पट्ïटी देख कर वह विनोद से बोली, ‘‘मैं किस तरह आप का शुक्रिया अदा करूं, आप ने मेरे घायल बेटे की पट्टी करवाई और उसे छोडऩे घर भी आ गए.’’

“मैं ने अपना इंसानी फर्ज निभाया है,’’ विनोद मुसकरा कर बोला, ‘‘वैसे आप का बेटा है बहुत समझदार. छोटा है लेकिन यह बराबर मुझे अपने घर तक ले कर आया है.’’

“इसे स्कूल से घर तक आने का रास्ता बखूबी पता है. रोज पैदल मेरे साथ स्कूल तक आताजाता है इसलिए.’’ महिला मुसकरा कर बोली, ‘‘शायद आज इस की जल्दी छुट्टी हो गई, तभी यह स्कूल से बाहर निकल आया. वैसे 12 बजे मैं इसे लेने स्कूल जाती हूं.’’ महिला ने कहा.

“जी, लेकिन स्कूल वालों की गलती है, जब तक पेरेंट न पहुंचे, बच्चे को अकेले स्कूल से बाहर नहीं आने देना चाहिए.’’

“हां, यह तो आप ठीक कह रहे हैं. मैं कल स्कूल की आया से कहूंगी.’’

“बिलकुल कहना, ताकि वह आगे ऐसी गलती न करे,’’ विनोद ने कहने के बाद अपना स्कूटर स्टार्ट करना चाहा तो महिला

चौंक कर बोली, ‘‘यह क्या कर रहे हैं, यहां तक आए हैं तो एक कप चाय पी कर जाइए.’’

“जी, रहने दीजिए.’’

“नहीं, मैं इस मामले में बहुत सख्त हूं, यदि आप चाय नहीं पी कर जाएंगे तो आप से चाय के 10 रुपए वसूल कर लूंगी.’’ महिला ने इतनी बेबाकी से यह बात कही कि विनोद हंस पड़ा, ‘‘अब तो चाय पीनी ही पड़ेगी, क्योंकि मैं 10 रुपए आप को देने के मूड में नहीं हूं.’’

महिला हंस पड़ी, ‘‘मैं तो मजाक कर रही थी. आइए, मैं चाय बनाती हूं.’’ महिला ने विनोद को आदर से अपने कमरे में बिठाया. चाय बना कर लाने तक विनोद शर्मा से वह ऐसे घुलमिल गई जैसे बरसों की मुलाकात हो. उस ने अपना नाम अफसाना बताया. उस ने विनोद से वादा लिया कि वह वहां आता रहेगा. अफसाना मूलरूप से बिहार के सीतामढ़ी की रहने वाली थी, लेकिन बाद में उस का परिवार का सिद्धार्थ विहार में शिफ्ट हो गया.

विनोद से शादी के बाद बन गई भव्या शर्मा..

विनोद शर्मा ने चाय पीने के बाद यह वादा किया कि वह वहां आदिल से मिलने जरूर आया करेगा. उस ने यह वादा किया तो था हफ्ते में एक बार आने का, लेकिन उसे आदिल से ज्यादा अफसाना से लगाव हो गया था. वह शुरू में हफ्ते में एक बार फिर हर दूसरे दिन अफसाना से मिलने आने लगा. इन मुलाकातों ने दोनों के दिलों में प्यार का बीज बो दिया. वे दोनों एकदूसरे को दिलोजान से चाहने लगे.

दोनों को अब एकदूसरे से मिले बगैर चैन नहीं आता था. एक दिन विनोद शर्मा ने अफसाना के सामने शादी का प्रस्ताव रखा जो उस ने स्वीकार कर लिया. दोनों ने शादी कर ली और आदिल को साथ ले कर दोनों वृंदावन एनक्लेव में एक किराए का कमरा ले कर रहने लगे. विनोदने अफसाना का नाम भव्या शर्मा रख दिया.

पहले विनोद ही काम पर जाता था, उस की तनख्वाह से खर्चे पूरे नहीं होते थे. इसलिए अफसाना उर्फ भव्या शर्मा ने उसे घर बैठा दिया और खुद घर से बाहर कदम बढ़ा दिए. भव्या ने बताया कि वह आयुर्वेदिक दवा सप्लाई करने का काम करती है. इस सिलसिले में वह अकसर गाजियाबाद से बाहर रहती थी. जब लौटती तो ढेरों रुपया उस के पर्स में होते थे. विनोद की आंखें इतने रुपए देख कर चौंधिया जाती थीं. उसे संदेह होता था कि भव्या दवा बेचने की आड़ में कोई और धंधा करती है.

विनोद ने पुलिस को बताया कि वह घर में रहता था, उस का काम आदिल को स्कूल छोडऩा, लाना और उसे खाना बना कर खिलाने का था. भव्या ने एक प्रकार से उसे घर की औरत बना दिया था, इस बात को वह सहन नहीं कर पा रहा था, जिस से वह टेंशन में रहने लगा तो उस ने शराब पीनी शुरू कर दी. विनोद तब हैरान रह गया जब भव्या भी शराब पीने लगी थी. वह बिजनैस टूर कर के लौटती तो पी कर घर आती या घर में बैठ कर उस के सामने ही शराब पीती. उस ने कई बार भव्या को इस के लिए रोका, लेकिन वह नहीं मानी. इस बात पर दोनों में झगड़ा भी होने लगा था.

तीसरा पति बना हत्यारा…

इस बार वह इंदौर गई तो 24 दिसंबर, 2022 की रात को भव्या ने उसे वीडियो काल की. उस के साथ उस का दूसरा पति अनीस भी था. अनीस अंसारी ने विनोद की वीडियो काल पर भद्ïदीभद्ïदी गालियां दीं और विनोद को जान से मारने की धमकी दी. विनोद इसी बात से गुस्से में था कि भव्या ने उस से शादी कर लेने के बाद भी अपने दूसरे पति का साथ नहीं छोड़ा था. उस का वह पति इंदौर में उस के साथ था. इस से विनोद का खून खौल रहा था.

भव्या 25 तारीख को इंदौर से लौट कर आई तो शराब के नशे में थी. उस का विनोद से झगड़ा हुआ. वह गुस्से में उसे उलटासीधा बकने लगी. झगड़ा अनीस अंसारी को ले कर था, भव्या अभी भी उस के साथ मौजमस्ती कर रही थी. विनोद ने आदिल को खिलौना लाने को 100 रुपए दिए, क्योंकि वह भव्या को सबक सिखाना चाहता था.

आदिल खिलौना लाने के लिए बाजार चला गया तो विनोद ने भव्या पर किचन के चाकू से हमला कर के उसे मौत के घाट उतार दिया. फिर उस ने तौलिए से चाकू साफ किया और उसे अलमारी के पीछे डाल दिया. उस ने भव्या के कपड़े भी चेंज किए. खून वाले कपड़े उस ने वाशिंग मशीन में डाल दिए. उस का फोन भी मशीन में डाल दिया.

आदिल बाजार से आया तो विनोद ने उस से कहा कि उस की मां थकी हुई है, सो रही है, उसे डिस्टर्ब न करे. आदिल अपनी चारपाई पर चला गया तो पकड़े जाने के डर से विनोद वहां से भाग गया.

पुलिस ने विनोद की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त चाकू व खून सने कपड़े भी बरामद करा दिए.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

3 लव मैरिज के बाद भी बनी रही बेवफा – भाग 2

घटनास्थल पर इलाके के लोगों की अच्छीखासी भीड़ जमा हो गई थी. भीड़ पुलिस वैन को देख कर इधरउधर हट गई. इंसपेक्टर अनीता चौहान अपनी टीम के साथ उस कमरे में आ गईं, जिस में भव्या की लाश पड़ी हुई थी.

भव्या शर्मा के पेट पर चाकू का गहरा घाव था, जिस से खून बह कर फर्श पर फैल चुका था. उस की लाश पीठ के बल पड़ी हुई थी. इंसपेक्टर अनीता चौहान ने लाश का मुआयना किया. मृतका भव्या चेहरेमोहरे से बेहद खूबसूरत थी, उस की उम्र लगभग 35 वर्ष की लग रही थी. उस के शरीर पर जो सलवारकुरती थी, वह अस्तव्यस्त थी. सलवार का नाड़ा ठीक से नहीं बंधा था.

लाश के पास ही खून सना एक तौलिया पड़ा था. इंसपेक्टर अनीता ने इस हत्या की सूचना अधिकारियों को देने के बाद फोरैंसिक टीम और फोटोग्राफर को घटनास्थल पर आने के लिए फोन कर दिया.

पुलिस जुटी जांच में…

थोड़ी देर में पुलिस के अधिकारी और फोरैंसिक टीम फोटोग्राफर के साथ वहां आ गई. आला अधिकारियों ने लाश का निरीक्षण करने के बाद इंसपेक्टर अनीता चौहान को इस केस का हल करने की जिम्मेदारी सौंप दी. अनीता चौहान के सामने कत्ल करने वाले आरोपी विनोद शर्मा का नाम आ गया था. टीपू ने उसी पर अपना संदेह जताया था.

विनोद शर्मा यहां होगा, यह सोचना भी मूर्खता होती. अकसर कत्ल करने के बाद हत्यारा मौके फरार हो जाता है. विनोद शर्मा भी भाग गया होगा. उस की तलाश करने के लिए उस का हुलिया फोटो और उस के घर वालों तथा यारदोस्तों की जानकारी हासिल करना जरूरी था.

भव्या शर्मा मर्डर का खुलासा हो चुका था, अब उस के आरोपी को गिरफ्तार करना बाकी था. इंसपेक्टर अनीता चौहान ने मृतका के भाई टीपू को बुला कर विनोद शर्मा का हुलिया और एक फोटो हासिल किया. आदिल वहीं खड़ा सुबक रहा था. वह उस के पास आ गईं. आदिल 8 साल का हो गया था, वह नासमझ नहीं था. उस से इस हत्या की बाबत बहुत कुछ जानकारी मिल सकती थी.

उन्होंने उस के सिर पर प्यार से हाथ रख कर पूछा, ‘‘तुम्हारे पापा और मम्मी का क्या अकसर झगड़ा होता रहता था?’’

“हां, पापा मेरी अम्मी को मारतेपीटते भी थे. कुछ दिनों से वह रोज अम्मी से लड़ाई कर रहे थे.’’ आदिल ने सुबकते हुए बताया, ‘‘कल भी अम्मी जब इंदौर से लौट कर घर आई थी, पापा उस से लडऩे लगे थे.’’

“किस बात पर लड़े थे तुम्हारे पापा?’’ इंसपेक्टर अनीता ने पूछा.

“पापा कह रहे थे कि अम्मी मेरे असली पापा के साथ इंदौर में क्यों थी?’’

“तुम्हारे पापा यानी अनीस अंसारी? वह तुम्हारी अम्मी के साथ इंदौर गए थे?’’

“मालूम नहीं, अम्मी तो यहां से अकेली ही इंदौर गई थी. हो सकता है मेरे पापा अनीश वहां मिल गए हों?’’

“क्या तुम्हारी अम्मी बाहर जाती रहती थी?’’

“हां, वह दवा खरीद कर उसे बेचने बाहर जाती रहती थी.’’

“तुम्हारे पापा का कल तुम्हारी अम्मी से झगड़ा हुआ था, तब क्या तुम वहां मौजूद थे?’’

“था, लेकिन विनोद पापा ने मुझे सौ रुपए दे कर खिलौना लाने के लिए बाजार भेज दिया. मुझे चाबी वाली कार चाहिए थी, जिस की मैं कई दिनों से जिद कर रहा था. पापा ने रुपए दिए तो मैं बाजार चला गया. जब मैं वापस आया तो अम्मी फर्श पर मरी पड़ी थी, उन के पेट से खून बह रहा था. पापा वहां नहीं थे. मेरे पापा विनोद ने ही मेरी अम्मी को मारा है.’’

आरोपी विनोद की हुई तलाश…

टीपू पास आ गया था. इंसपेक्टर अनीता ने विनोद के घर वालों और उस के खास दोस्तों के विषय में उस से जानकारी ली. टीपू ने विनोद शर्मा का एक एड्रैस और बताया. वह विजय शर्मा का बेटा था जो ईपी-25/16, नई बस्ती, थाना अर्जुन नगर, जिला गुरुग्राम, हरियाणा में रहते थे. आवश्यक काररवाई निपटा लेने के बाद इंसपेक्टर अनीता चौहान ने भव्या शर्मा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

टीपू के द्वारा वादी के रूप में विजयनगर थाने में उसी दिन भादंवि की धारा 302 के तहत भव्या की हत्या का मामला पंजीकृत कर लिया गया. विनोद शर्मा वांछित अपराधी था. उस के फोटो की कौपियां पुलिस टीम को दे कर उन्हें विनोद की खोज में लगा दिया गया. अनीता चौहान ने अपने खास मुखबिर भी विनोद शर्मा की तलाश में दौड़ा दिए.

गाजियाबाद के बसस्टैंड, रेलवे स्टेशन, ढाबों, होटलों में विनोद शर्मा की तलाश की जाने लगी. पुलिस की एक टीम को उस के पैतृक घर गुडग़ांव भेजा गया. पुलिस की मुस्तैदी और मुखबिरों की भागदौड़ का परिणाम अच्छा ही निकला. 2 दिन बाद एक मुखबिर की सूचना पर पुलिस टीम ने विनोद शर्मा को डीपीएस कट के पास दिन में करीब साढ़े 11 बजे गिरफ्तार कर लिया.

भव्या शर्मा की हत्या 25 दिसंबर, 2022 को रात में की गई थी और 28 दिसंबर, 2022 को दोपहर में विनोद को गिरफ्तार कर लिया गया. यह पुलिस की बहुत बड़ी सफलता थी. विनोद शर्मा को थाना विजयनगर में लाया गया. वह समझ चुका था कि पुलिस ने उस पर हाथ क्यों डाला है. वह अब कुछ भी छिपाना नहीं चाहता था.

अनीता चौहान ने जब उस से सामने बिठा कर पूछताछ शुरू की तो उस ने अपनी पत्नी भव्या शर्मा हत्याकांड के पीछे जो कहानी बताई, वह एक खुद्दार पति के विश्वास और पत्नी के प्रति समर्पण को पूरी तरह ठेस पहुंचाने वाली थी.

इस तरह हुआ अफसाना के घर आनाजाना…

नई बस्ती थाना अर्जुन नगर, गुडग़ांव (हरियाणा) का रहने वाला था विनोद शर्मा. वह दिल्ली से सटे गाजियाबाद में किराए का कमरा ले कर एक फैक्ट्री में काम करता था. शुरू से विनोद को अच्छा पहनने व खाने का शौक था. यहां भी वह जो कमाता था, अपने पहनने खाने पर खर्च कर देता था. कुछ पैसे जोड़ कर उस ने एक स्कूटर खरीद लिया था, उसी से वह अपनी फैक्ट्री आताजाता था.

एक दिन वह अपने काम पर जा रहा था तो उस ने सडक़ किनारे एक बच्चे को रोते हुए देख कर अपना स्कूटर रोक लिया. बच्चे की कुहनी छिली हुई थी, उस में से खून बह रहा था. विनोद ने उस के सिर पर प्यार से हाथ फिराते हुए पूछा, ‘‘क्या हुआ बेटे,

तुम रो क्यों रहे हो?’’

“एक रिक्शे वाला टक्कर मार कर गिरा गया मुझे…’’ बच्चे ने रोते हुए बताया.

“ओह!’’ विनोद ने उसे प्यार से पुचकारा, ‘‘तुम कहां रहते हो?’’

“विजय नगर में. अम्मी मुझे लेने आएंगी.’’

“तुम अपना घर जानते हो?’’

“हां,’’ बच्चे ने सिर हिलाया.

“चलो, पहले मैं तुम्हारी डाक्टर से पट्ïटी करवाता हूं. फिर तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ दूंगा.’’

विनोद ने बच्चे को स्कूटर पर बिठाया और एक डाक्टर के पास ले जा कर उस की कुहनी पर पट्टी करवा दी. इस के बाद बच्चे को ले कर उस के द्वारा बताए एक मकान के सामने पहुंच गया.

“यही है मेरा घर,’’ बच्चा स्कूटर से उतर कर बोला. विनोद ने अपने स्कूटर को जब तक स्टैंड पर खड़ा किया, बच्चा दौड़ कर अपने कमरे में चला गया. जब वह बाहर आया तो उस के साथ एक 30-31 साल की सुंदर महिला थी.

“मुझे यह अंकल ले कर आए हैं अम्मी.’’ बच्चे ने अपनी मासूम आवाज में कहा. महिला ने हैरान नजरों से विनोद को देखा,

‘‘आदिल आप को कहां मिल गया, इसे तो स्कूल में छोड़ा था मैं ने?’’

“जी, यह स्कूल के सामने सडक़ पर खड़ा रो रहा था. कोई रिक्शेवाला इसे टक्कर मार गया होगा, कुहनी से खून बह रहा था. मैं ने डाक्टर से पट्टी करवा दी है.’’

“अरे, यह तो मैं ने देखा ही नहीं.’’ महिला घबराए स्वर में बोली और नीचे झुक कर अपने बेटे आदिल की कुहनी देखने लगी.