मजे मजे की आशिकी में गयी जान

मजे मजे की आशिकी में गयी जान – भाग 3

मध्य दिल्ली की डीसीपी श्वेता चौहान ने हत्या का यह मामला संज्ञान में आने के बाद एसीपी नरेश खनका के निर्देशन में एसएचओ नबी करीम अशोक कुमार को इस केस का नेतृत्व सौंप कर एक जांच टीम का गठन कर दिया. इस टीम में इंसपेक्टर शिवकरण, एसआई हर्ष, हैडकांस्टेबल पप्पू लाल, वीरेंद्र, जिले सिंह, ताराचंद, कांस्टेबल विजय और सीताराम को शामिल किया गया.

पुलिस टीम ने उस जगह का निरीक्षण किया, जहां पर जतिन को चाकू मारा गया था. यह पहाडग़ंज का आकांशा रोड था. भगवती मैडिकल स्टोर के पास काफी खून फैला था. यहीं पर रात करीब एक बजे स्कूटी से शादी समारोह में शामिल होने जा रहे जतिन उर्फ जूड़ी को चाकू मार कर खत्म कर दिया गया था. शायद उस वक्त यहां कोई चश्मदीद नहीं रहा होगा, जिस ने हत्यारे को देखा हो. हत्या के बाद कोई यहां से गुजरा तब उस ने जतिन को अस्प्ताल पहुंचाया और उस के घर वालों को सूचित किया.

पुलिस ने वहां आसपास सीसीटीवी कैमरों के लिए नजरें दौड़ाईं, उन्हें वहीं रोड पर 2-3 सीसीटीवी कैमरे नजर आ गए. उन की फुटेज चैक की गई. एक कैमरे में उन्हें 3 व्यक्ति नजर आ गए. उन्होंने जतिन को पकड़ रखा था और उन में से एक जतिन के सीने पर चाकू से वार कर रहा था.

“इन तीनों व्यक्तियों की तसवीर ले कर यहां के रहने वालों को दिखाओ, ये जतिन के हत्यारे हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि ये यहीं की किसी बस्ती में रहते होंगे.’’ एसएचओ अशोक ने अपनी टीम को निर्देश दिया तो पुलिस टीम काम में जुट गई. तीनों हत्यारों के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से फोटो निकाल कर उन्हें पुलिस टीम ने अपनेअपने मोबाइल में अपलोड कर लिया. फिर उन की जानकारी हासिल करने के लिए बस्ती की ओर निकल गई.

सौरभ व अक्षय हुए गिरफ्तार

थानाप्रभारी ने अपने खास मुखबिर भी जतिन मर्डर केस के काम में लगा दिए. एक घंटे बाद ही एक मुखबिर ने फोन पर बता दिया कि तीनों हत्यारे नबी करीम के मुल्तानी ढांढा में रहते हैं. इन के नाम अक्षय, सौरभ और रजनीकांत हैं. उन के घर दबिश दी जाए तो वे पकड़ में आ सकते हैं.

एसएचओ ने अपनी टीम को तुरंत वापस बुला लिया और मुखबिर द्वारा बताए घरों पर दबिश दी तो घर से वे तीनों गायब मिले. उन की पत्नियां और बच्चे घर पर थे. पुलिस ने सौरभ की पत्नी मीना से पूछताछ की तो उस ने बताया कि अक्षय उस के जेठ हैं और रजनीकांत रिश्तेदार हैं, लेकिन ये तीनों इस समय कहां हैं, इस का पता नहीं.

पुलिस टीम ने मीना से उन तीनों के खास रिश्तेदारों, मित्रों की जानकारी ली. उन तीनों के मोबाइल नंबर भी ले कर सर्विलांस पर लगवा दिए. सौरभ और रजनीकांत की लोकेशन ट्रेस होने लगी. वे दोनों सुलतानपुरी दिल्ली में थे. पुलिस टीम ने उन की गिरफ्तारी के लिए सुलतानपुरी में दबिश दी. वहां वे एक रिश्तेदार के घर में छिपे हुए मिल गए. दोनों को पकड़ कर नबी करीम थाने लाया गया. उन दोनों से पूछताछ हुई तो सौरभ से जतिन उर्फ जूड़ी की हत्या के पीछे जो कहानी बताई, उसे सुन कर सभी हैरत में पड़ गए.

सौरभ ने बताया कि उस की पत्नी मीना की मुलाकात काफी दिनों पहले जतिन से हुई थी. जतिन और मीना का यह प्यार सभी सीमाएं लांघ गया. दोनों के विषय में मुझे मालूम हुआ तो मैं ने उन्हें समझाया किंतु दोनों ही एकदूसरे के प्यार में इस कदर पागल हो गए थे कि मेरी बात को उन्होंने अनसुना कर दिया.

मुझे मालूम हुआ कि जतिन मेरी पत्नी मीना को भगा कर ले जाने वाला है. वह उस से दूर जा कर शादी करने का मन चुका था, मुझे इस पर गुस्सा आ गया. मैं ने सोचा कि अगर जतिन को रास्ते से हटा दिया जाए तो मीना खामोश बैठ जाएगी. मैं ने अपने भाई अक्षय और मीना के रिश्तेदार रजनीकांत को जतिन की हत्या करने के लिए राजी कर लिया.

27 जनवरी को जतिन को एक शादी समारोह में जाना था. हम ने वही दिन उपयुक्त मान कर रात को जतिन को घेर लिया और चाकू मार कर पत्नी के प्रेमी की हत्या कर दी. सौरभ का बयान दर्ज कर लिया गया. रजनीकांत ने भी जुर्म कुबूल कर लिया. अक्षय फरार था. उस ने अपना मोबाइल बंद कर रखा था.

एसएचओ ने अक्षय की पत्नी और उस की सास यानी सौरभ, अक्षय की मम्मी के मोबाइल सर्विलांस पर लगा दिए. अब इंतजार था अक्षय के द्वारा अपना मोबाइल औन करने का.

अभियुक्तों ने स्वीकारा जुर्म

अक्षय बेहद चालाक था. उस ने किसी दूसरे व्यक्ति के फोन से 30 जनवरी, 2023 को अपनी पत्नी को फोन मिला कर बात की. उस ने बताया कि पुलिस से बचने के लिए वह गुजरात भाग गया है, अभी वडोदरा में है. एसएचओ अशोक ने उस की सारी बातें रिकौर्ड कर लीं. उन्होंने अक्षय की मां और पत्नी को विश्वास में ले कर अक्षय को कहलवाया कि वह दिल्ली आ जाए, पुलिस ने सौरभ को गिरफ्तार कर लिया है क्योंकि उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है. अब पुलिस तुम्हें कुछ नहीं कहेगी. तुम घर लौट आओ.

अक्षय घर आने को राजी हो गया. उस ने वडोदरा से एक ट्रैवल एजेंसी से एक हजार रुपए में टिकट खरीदा और बस में सवार हो गया. उस ने यह जानकारी अपनी पत्नी को दे दी. एसएचओ मुसकराए कि शिकार अब पिंजरे में आने के लिए तैयार है. उन्होंने वडोदरा की उस ट्रैवल एजेंसी से बस का नंबर और ड्राइवर का मोबाइल नंबर हासिल कर लिया. वह बस के ड्राइवर से फोन पर संपर्क बनाए हुए यह जानकारी लेते रहे कि उस की बस कहां तक पहुंची है.

जब बस ड्राइवर से मालूम हुआ कि वह बस ले कर गुरुग्राम में प्रवेश कर चुका है तो एसएचओ अशोक पुलिस टीम के साथ गुरुग्राम पहुंच गए. वह बस नजर आई तो उसे रुकवा लिया गया. अक्षय बस में था, उसे गिरफ्तार कर लिया गया. थाने में उस ने भी जतिन की हत्या में शामिल होने का जुर्म कुबूल कर लिया.

उन तीनों को अदालत में पेश कर के 2 दिन की पुलिस रिमांड पर ले लिया गया. रिमांड के दौरान पुलिस ने जतिन की हत्या में प्रयोग किया गया चाकू, स्कूटी और एक बाइक बरामद की. रिमांड अवधि खत्म हो जाने पर तीनों अभियुक्तों को फिर से अदालत में पेश किया गया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में मीना और सोनिया परिवर्तित नाम हैं.

मजे मजे की आशिकी में गयी जान – भाग 2

पति को उस ने जैसेतैसे नाश्ता करवा कर उस का टिफिन तैयार कर दिया था और वहीं किचन में खड़ी हो कर उस युवक के खयालों को उधेड़बुन कर रही थी. कभी मन कहता कि उस हैंडसम युवक से दोस्ती कर ले, कभी मन कहता कि अब तू सुहागन है, किसी की पत्नी है, तेरी जिंदगी में अब ऐसे पराए मर्द से दोस्ती करने की कोई जगह नहीं है.

“ऊंह!’’ मीना ने मन के तानेबाने से खुद को उबार कर गरदन झटकी, ‘दोस्ती हीतो कर रही हूं, उसे अपना शौहर थोड़ी न बना रही हूं.’

मीना हो गई बेचैन

उस युवक के लिए दोस्ती की चाह मन में पैदा हुई तो मीना उस युवक की तलाश करने के लिए उतावली हो गई. ‘कहां मिल सकता है वह, कल तो अपनी बात कह कर वह एकदम गायब हो गया था. कौन है, कहां रहता है? कुछ भी तो मालूम नहीं हो सका था उस के बारे में. फिर आज वह उसे कैसे ढूंढ पाएगी?’

“सोनिया की मदद लेती हूं,’’ मीना ने निर्णय लिया. मीना ने सोनिया को फोन मिला दिया. सोनिया की आवाज में वही शोखी और शरारती भरी थी, ‘‘क्यों मेरी जान, नींद नहीं आई क्या रात भर, कैसे आएगी शन्नो रानी? वह अजनबी दिल निकाल कर जो ले गया.’’

सोनिया के ये शब्द सुन कर मीना का दिल धक से रह गया. सोचने लगी कि इस चुड़ैल ने कैसे अंदाजा लगा लिया कि मेरे दिल में क्या पक रहा है?

“बोलती क्यों बंद हो गई यार?’’ दूसरी ओर से सोनिया चहकी, ‘‘मैं ने कोई गलत थोड़ी कहा है.’’

“तुम ने कैसे अंदाजा लगा लिया?’’ मीना ने धडक़ते दिल से कहा, ‘‘मैं ने तो तुझे अभी कुछ बताया ही नहीं है.’’

“मैं उड़ती चिडिय़ा के पर गिन लेती हूं, मेरी बिल्लो. कल शौपिंग के वक्त वह छेड़छाड़ कर के गायब हो गया था, तभी से तू उस के लिए बेचैन नजर आ रही थी.’’ सोनिया ने कहने के बाद पूछा, ‘‘बता तू उसी के लिए परेशान है न?’’

“हां यार,’’ मीना ने गहरी सांस भर कर कहा, ‘‘कमबख्त का चेहरा रहरह कर आंखों के आगे घूम रहा है. सोच रही हूं कि उसे तलाश कर लूं.’’

“तलाश कर के क्या करेगी?’’

“दोस्ती के काबिल है वह, बस दोस्ती करूंगी. दिन भर जो बोरियत होती है, वह खत्म हो जाएगी.’’

“उसे अब तलाश कहां करोगी?’’

“तू है न, तू उसे तलाश करने में मेरी मदद कर सकती है.’’

“तू आराम से उस के सपने देख लाडो,’’ सोनिया गंभीर हो गई, ‘‘मैं शाम तक तुझे वह युवक तलाश कर के देती हूं.’’ कह कर सोनिया ने काल डिसकनेक्ट कर दी. मीना ने चैन की सांस ली. उसे सोनिया पर पूरा भरोसा था. वह जो कह रही है, कर के दिखा भी सकती है. मीना इस विश्वास को मन में ले कर घर के काम निपटाने में व्यस्त हो गई.

उस अजनबी युवक का नाम जतिन था. सोनिया ने उसे शाम तक ढूंढ निकाला था, उस का मोबाइल नंबर भी ले लिया था और अपनी सहेली मीना को यह जानकारी दे कर चौंका दिया.

प्यार में बदल गई दोस्ती

सोनिया ने बताया था कि जतिन ने उन्हें सौरभ की दुकान पर देखा था. जिस प्रकार वह लोग सौरभ से बातें कर रही थीं, जतिन ने अनुमान लगा लिया था कि सौरभ ही मीना का पति है. उसे विश्वास था कि मीना अपने पति सौरभ की दुकान पर दूसरे दिन भी आ सकती है, इसलिए वह दूसरे दिन शाम को पालिका बाजार में पहुंचा था. सोनिया इसी अनुमान के आधार पर उस से मिली थी. अपनी सहेली मीना की तड़प का जिक्र कर के उस ने युवक का नामपता और मोबाइल नंबर हासिल कर लिया था.

मीना को उस युवक का मोबाइल नंबर मिला तो उस ने धडक़ते दिल से उसे फोन मिला दिया. फोन पर जतिन की आवाज सुनाई दी तो मीना ने दिल थाम लिया.

“कैसी हो मीनाजी,’’ जतिन के स्वर में कशिश थी, ‘‘मुझे मालूम था आप मेरी तरफ दोस्ती का हाथ जरूर बढ़ाएंगी, में रात भर आप का खयाल कर के बेचैन रहा हूं.’’

“मैं भी रात भर सो नहीं पाई थी जतिन,’’ मीना ने ठंडी सांस भरी, ‘‘पता नहीं उस अजनबी मुलाकात में क्या जादू कर गए थे

आप, दिल आप के लिए रात भर तड़पा है.’’

“तो आप को मेरी दोस्ती कुबूल है?’’ खुश हो कर जतिन ने पूछा.

“न होती तो आप की तलाश अपनी सहेली से नहीं करवाती. मुझे आप की प्यारभरी दोस्ती कुबूल है.’’

“तब इस दोस्ती को सेलिब्रेट कहां करना चाहोगी?’’

“जहां आप चाहें.’’

“कल दोपहर पहाडग़ंज के किसी रेस्तरां में आ जाइए आप, वहां कुछ मीठा हो जाएगा.’’ मीना ने अपना प्रस्ताव बेहिचक रखा, जिसे जतिन ने हंसते हुए स्वीकार कर लिया.

दूसरे दिन निर्धारित समय पर दोनों पहाडग़ंज की चूनामंडी के एक रेस्टोरेंट में मिले. हायहैलो के बाद जतिन ने कोल्डड्रिंक और समोसे मंगवाए. दोनों एकदूसरे को अपने विषय में बताते हुए इस पहली मुलाकात का सेलिब्रेशन करते रहे. इस पहली मुलाकात के बाद मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो गया. उन के बीच आप की दीवार ढह गई.

अब दोनों एकदूसरे को तुम कह कर पुकारने लगे थे. उन की दोस्ती इन मुलाकातों के कुछ दिनों बाद प्यार में बदल गई. मीना को जतिन इतना पसंद आया कि वह उसे सौरभ की जगह रख कर प्यार लुटाने लगी, जिस पर केवल सौरभ का अधिकार था. जतिन भी मीना को टूट कर चाहने लगा था. वह भूल गया था कि मीना किसी की ब्याहता है, उस से प्यार करना उस के लिए गुनाह है. इस का परिणाम उस के लिए घातक भी हो सकता है.

बस, दोनों सारी सीमाएं, सारी मर्यादाएं लांघ कर दिल्ली के रेस्तरां, पिकनिक स्पाट और होटलों के बाद कमरों में मिलने लगे थे. उन का प्यार दिनोंदिन परवान चढ़ रहा था, जिस की चर्चा अब धीरेधीरे मीना के घर तक पहुंचने लगी थी. मीना को इस की परवाह नहीं थी या वह परवाह करना नहीं चाहती थी. जतिन उस के मन का मीत जो बन गया था.

जतिन की हत्या की मिली खबर

27 जनवरी, 2023 को मध्य दिल्ली के थाना नबी करीम को लेडी हार्डिंग अस्पताल से सूचना दी गई कि यहां एक युवक को लाया गया है, जिस के सीने में चाकू घोंपा गया है. उस युवक की मौत हो गई है. एसएचओ अशोक कुमार सूचना पा कर एसआई हर्ष को साथ ले कर लेडी हार्डिंग अस्पताल पहुंच गए. जिस युवक को चाकू मारा गया था, अभी वार्ड में उस का शव पड़ा हुआ था. जिस बैड पर उसे लिटाया गया था, उस की चादर खून से भीग गई थी. युवक के सीने में बाईं ओर गहरा जख्म था. खून अधिक बह जाने के कारण उस की मौत हो गई थी.

लेडी हार्डिंग में ड्ïयूटी पर तैनात कांस्टेबल ने नबी करीम थाने में सूचना दी थी, क्योंकि उस युवक को नबी करीम इलाके से उपचार के लिए उस के घर वाले लाए थे. इमरजेंसी विभाग के डाक्टरों ने उसे देखते ही मृत घोषित कर दिया था. एसएचओ ने मृतक का नाम मालूम किया तो उस के भाई ने उस का नाम जतिन बताया.

“इसे चाकू कहां मारा गया है?’’ एसएचओ ने पूछा.

“पहाडग़ंज के आकर्षण रोड पर हमें इस की लाश मिली है सर. मेरा भाई रात को अपने दोस्त की शादी में शामिल होने के लिए घर से निकला था.’’ उस युवक ने बताया.

एसएचओ अशोक कुमार ने लाश की अच्छे से जांच की. उस चाकू के जख्म के अलावा जतिन के शरीर पर किसी प्रकार के मारपीट के निशान नहीं थे. एसएचओ ने आवश्यक काररवाई निपटा कर अपने उच्चाधिकारियों को इस हत्या की जानकारी दे दी. उन के आदेश पर जरूरी काररवाई करने के बाद जतिन की लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

मजे मजे की आशिकी में गयी जान – भाग 1

20 वर्षीया मीना बहुत देर से महसूस कर रही थी कि एक युवक काफी समय से उसे ही देख रहा है. वह जहां जा रही है, वह भी वहीं उस के पीछेपीछे पहुंच रहा है. मीना जब उस युवक को देखती तो वह उसे कनखियों से देख कर धीरे से मुसकरा देता था. उस की चोरी पकड़ी जाती तो वह चेहरा घुमा लेता था. वह क्यों उस के पीछे लगा है, यही जानने के लिए मीना ने साथ आई अपनी सहेली से कहा, ‘‘सोनिया, उसे देख रही है?’’

“किसे?’’ सहेली बोली.

“अरे वह, जो सामने की कल्पना शर्ट शौप पर खड़ा है.’’

सोनिया ने उस दुकान की ओर नजरें गड़ा दीं. वहां खड़े एक युवक को देख कर उस ने होंठों को गोल सिकोड़ कर अंदर सांस खींचते हुए आह भरी, ‘‘वाव, क्या हैंडसम सिंगल पीस है. यार मीना, तेरी पसंद तो बहुत लाजवाब है.’’

“पागल, वह मेरी पसंद नहीं है.’’ मीना झल्ला कर बोली, ‘‘वह मेरे पीछेपीछे आ रहा है.’’

“किस्मत वाली हो यार,’’ सोनिया ने ठंडी सांस भरी, ‘‘काश! वह मेरे पीछेपीछे आता, रुमाल में लपेट कर पर्स में डाल लेती.’’

“क्या अनापशनाप बक रही है,’’ मीना उस के कंधे पर हाथ मार कर झुंझलाए स्वर में बोली, ‘‘जो कह रही हूं, वह समझ.’’

“समझ गई हूं मेरी जान,’’ सोनिया ने फिर मसखरी की, ‘‘वह जवान और हैंडसम है, तुम भी किसी हसीना से कम नहीं हो. तुम उसे अच्छी लगी हो, इसीलिए तो पीछे लग गया है.’’

“मैं तेरा मुंह नोच लूंगी,’’ चिढ़ कर मीना बोली, ‘‘मैं उस की हरकत से परेशान हूं और तू है कि कुछ दूसरा पुलाव पका रही है.’’ इस बार सोनिया सीरियस हो गई, ‘‘यार, अगर वह हमारे पीछे लगा है तो लगा रहने दे. यह मर्दों की फितरत होती है, कोई सुंदर चीज उसे पसंद आती है तो उसे पाने को मचल उठता है, चाहे वह उस के हाथ में आए या न आए. यहां भी ऐसा ही है, हम यहां पालिका बाजार में कितनी देर के लिए आए हैं घंटा दो घंटा. इतनी देर में वह पीछे लगता है तो लगा रहने दो. हम शौपिंग कर के चले जाएंगे तो वह भी अपने रास्ते चला जाएगा.’’

“फिर भी, उसे इस तरह हमारे पीछे नहीं लगना चाहिए.’’

“यार मीना, तू बेकार की टेंशन ले बैठती है, मस्त हो कर खरीदारी कर. वह क्या कर रहा है, क्यों कर रहा है, करने दे.’’ सोनिया ने समझाया. लेकिन मीना कहां समझने वाली थी. वह सहेली सोनिया के साथ शौपिंग करते हुए उसी युवक को देख रही थी. एक कास्मेटिक की दुकान से निकल कर वह दूसरी दुकान की तरफ बढ़ी तो देखा वह युवक उन के पीछे आने लगा. मीना को गुस्सा आ गया. उस ने देखा कि सोनिया अपनी धुन में उस दुकान की तरफ जा रही थी.

मीना अपनी जगह रुक गई तो वह युवक हड़बड़ा गया. वह भी रुक गया और दूसरी ओर देखने लगा. मीना उस के पास आ गई और उस का कंधा थपथपा कर बोली, ‘‘ऐ मिस्टर, यह क्या हरकत है?’’

“जी…’’ वह युवक अचकचा कर बोली, ‘‘आप ने मुझ से कुछ कहा?’’

“हां, तुम से ही कह रही हूं. यह तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हो?’’

युवक बेहिचक मुसकरा कर बोला, ‘‘जो चीज अच्छी लगे उसे देखने में क्या बुराई है? आप बेहद सुंदर हैं, इसलिए मेरी नजर आप पर से हट नहीं पा रही है.’’

“मेरी मांग में तुम्हें सिंदूर दिखाई दे रहा है?’’ मीना झल्ला कर बोली, ‘‘ये मेरे सुहाग की निशानी है.’’

“एक चुटकी सिंदूर ही तो है,’’ युवक मुसकरा कर बेबाकी से बोला, ‘‘यदि इसे धो डालो तो कसम से कोई नहीं कहेगा कि आप सुहागन हैं. आप को कुंवारी समझ कर आप की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाने को कोई भी मचल जाएगा, मुझे तो सिंदूर में भी आप की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाने का मन हो रहा है.’’

मीना उलझ गई अजनबी से

मीना उस की बेबाकी और जिंदादिली पर अवाक रह गई. कुछ कहते नहीं बना. वह कुछ कहती, उस से पहले ही सोनिया उस के पास पहुंच गई, ‘‘यार मीना, तुम भी गजब हो, मैं तुम्हें वहां ढूंढ रही हूं और तुम यहां इन से उलझ रही हो. चलो, मैं ने तुम्हारे लिए एक ब्रेसलेट पसंद किया है.’’

सोनिया उसे बाजू से पकड़ कर घसीटती ले जाने लगी तो उसे उस युवक के ठंडी सांस भर कहे गए शब्द सुनाई दिए, ‘‘अब तो तुम से दोस्ती कर के ही चैन पाऊंगा, मीनाजी.’’

मीना कुछ कह नहीं पाई. सोनिया उसे घसीट कर उस दुकान पर ले आई, जहां पर वह ब्रेसलेट पसंद कर के गई थी. मीना को ब्रेसलेट पसंद आया तो उस ने उसे खरीद लिया. कुछ देर बाद मीना ने पलट कर पीछे देखा तो वह युवक वहां नहीं था. वह बेचैन हो कर उसे इधरउधर तलाश करने लगी, लेकिन शायद वह वहां से जा चुका था. जाने के बाद वह मीना के दिल में अजीब सी हलचल पैदा कर गया था.

मीना अपने पति सौरभ के साथ मध्य दिल्ली में नबी करीम के मुल्तानी ढांढा में रहती थी. सौरभ अभी 23 साल का था. मीना के साथ शादी को अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ था. दोनों एकदूसरे को पा कर खुश थे. सौरभ कनाट प्लेस के पालिका बाजार में टैटू बनाने का काम करता था. अपनी दुकान थी, जिसे वह अपने बड़े भाई अक्षय के साथ चलाता था.

सौरभ की गृहस्थी हंसीखुशी से चल रही थी कि मीना की शौपिंग के दौरान एक युवक से हुई अनजानी मुलाकात से गृहस्थी की खुशियों का रंग, बदरंग होना शुरू हो गया. मीना चाहती तो उस अजनबी युवक से हुई अनजानी मुलाकात को एक इत्तफाक या हादसा मान कर भुला सकती थी, लेकिन मीना उस मुलाकात की गहराई में उतरने की वही भूल कर बैठी, जो अकसर ऐसी मुलाकातों में अन्य महिलाएं कर बैठती हैं.

वह मुझे देख रहा था, मेरा पीछा कर रहा था, देखने में तो ठीक ही था, कहीं से सडक़छाप मजनूं भी नहीं लग रहा था, सभ्य और पढ़ालिखा भी था किंतु था निडर, बेबाक और दिल को हथेली पर ले कर चलने वाला इंसान. बड़े निर्भीक और सहजता से उस ने अपने मन की बात कह दी थी. ऐसे ही विचार मीना के दिमाग में घूम रहे थे.

उस का किसी काम में मन ही नहीं लग रहा था. रहरह कर उस अजनबी युवक का चेहरा उस की आंखों के सामने उभर आता था. उस युवक के चेहरे की लुभावनी मुसकान उसे कल किसी कांटे की तरह चुभ रही थी तो आज उसी मुसकान की वह दीवानी हो कर आहें भर रही थी.