ईमानदारी के वजूद पर वार

चंद्रलोक कालोनी चौराहा इंदौर का पौश इलाका है. यहां की 4 लेन पर स्थित एक बहुमंजिला बिल्डिंग रवि अपार्टमेंट के भूतल पर इंटेक्स टैक्नोलौजी इंडिया लिमिटेड का औफिस है. इस औफिस में इंटेक्स के  मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रभारी ताहिर हुसैन डार बैठते थे. 24 जून, 2014 को करीब साढ़े 12 बजे भी ताहिर हुसैन रोजाना की तरह अपने औफिस में बैठे थे.

उसी समय इंटेक्स का एक पुराना एजेंट गोविंद वर्मा कंपनी के औफिस आया और अपने परिचित कर्मचारियों को हाय हैलो करता हुआ ताहिर हुसैन के केबिन में चला गया. गोविंद चूंकि वहां अकसर आता रहता था, इसलिए कंपनी के सभी 18 कर्मचारी उसे अच्छी तरह जानते थे.

गोविंद जब ताहिर हुसैन के केबिन में पहुंचा तो वहां एक आदमी पहले ही बैठा हुआ था. अतिरिक्त कुरसी एक ही थी जिस पर पहले आया व्यक्ति बैठा था. गोविंद को आया देख ताहिर हुसैन ने घंटी बजा कर औफिस बौय संजू को बुलाया और उस से कुरसी लाने को कहा. संजू कुरसी लेने चला गया.

उसी वक्त केबिन में तेज धमाके की आवाज के साथ चीख की आवाज उभरी. इस से बाहर बैठे कर्मचारियों ने समझा कि ताहिर साहब के केबिन में कंप्यूटर का सीपीयू फट गया होगा. इसी बीच कुरसी ले कर आए संजू ने केबिन का दरवाजा अंदर की ओर धकेला तो गोविंद हाथ में तमंचा लिए बाहर निकला. उस के साथ एक आदमी और भी था.

बाहर निकलते ही गोविंद ने तमंचा लहराते हुए कहा, ‘‘अगर कोई बीच में आया तो बेमौत मारा जाएगा.’’ इस के साथ ही उस ने एक फायर भी कर दिया. उस के तमंचे से निकली गोली शीशे के मुख्य द्वार को भेद कर बाहर निकल गई.

गोविंद का यह रूप देख सभी कर्मचारी बुरी तरह डर गए. डर के मारे कई कर्मचारी तो अपनी मेजों के नीचे छिप गए थे. ताहिर हुसैन के पास जो आदमी पहले से बैठा था, वह गोविंद का ही साथी था और उस के साथ ही बाहर आ गया था. उस के हाथ में भी तमंचा था. गोविंद और उस का साथी कांच का मुख्य द्वार खोल कर बाहर निकल गए.

गोविंद और उस के साथी के बाहर जाते ही कंपनी के कर्मचारी केबिन की ओर दौड़े. केबिन में खून से लथपथ ताहिर हुसैन फर्श पर पड़े कराह रहे थे. उन्हें कंधे में गोली लगी थी जो पार निकल गई थी. कंपनी के कर्मचारी उन्हें निजी वाहन से पास के सीएचएल अस्पताल में ले गए. जहां तुरंत उन का इलाज शुरू कर दिया गया. इस बीच इस मामले की सूचना थाना पलासिया को दे दी गई थी.

खबर मिलते ही पलासिया के थानाप्रभारी शिवपाल सिंह कुशवाह सबइंसपेक्टर के.एन. सिंह व 2 हवलदारों के साथ मौका ए वारदात पर पहुंच गए. उन्होंने घटना की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दे दी थी.

चूंकि वारदात कंपनी के एक बड़े अधिकारी के साथ हुई थी इसलिए थोड़ी देर में वहां पुलिस वालों की अच्छी भली भीड़ एकत्र हो गई. पुलिस ने फोरेंसिक अधिकारी डा. सुधीर शर्मा को भी मौके पर बुला लिया था.  पुलिस की एक टीम ने घटनास्थल का मुआयना किया और दूसरी टीम सीएचएल अस्पताल पहुंच गई ताकि ताहिर हुसैन का बयान लिया जा सके. लेकिन वह बयान देने की स्थिति में नहीं थे.

ताहिर हुसैन डार मूलत: कश्मीर के जिला श्रीनगर के गांव सोनवार के रहने वाले थे. उन के बड़े भाई शब्बीर और पिता गुलाम मोहम्मद डार सोनवार में अपना प्रोवीजनल स्टोर चलाते थे. ताहिर ने इंदौर स्थित इंटेक्स टैक्नोलौजी इंडिया लिमिटेड में 3 साल पहले बतौर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ प्रभारी के रूप में पद संभाला था. यहां वह अपनी पत्नी नाजनीन और डेढ़ वर्षीय बेटे अयान के साथ निपानिया टाउनशिप स्थित नरीमन प्वाइंट बिल्डिंग के फ्लैट नंबर 428 में रहते थे. उन के मातापिता कश्मीर स्थित अपने गांव में ही रह रहे थे.

खुशमिजाज और मिलनसार स्वभाव के ताहिर हुसैन की पत्नी नाजनीन भी कश्मीर की ही रहने वाली थीं. उन के पिता जबलपुर के बिजली विभाग में औडीटर थे, जिस की वजह से उन का पूरा परिवार ग्वालियर शिफ्ट हो गया था.  नाजनीन ने दिल्ली में पढ़ाई की थी, उस के बाद वह सीए की पढ़ाई के लिए भोपाल आ गई थीं. उस समय ताहिर हुसैन भोपाल में अपनी बुआ के बेटे डा. रईस खान के कोहेफिजा स्थित घर पर रह कर एमबीए की पढ़ाई कर रहे थे.

भोपाल में ही नाजनीन और ताहिर हुसैन की मुलाकात हुई. दोनों हमवतन भी थे और आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक भी. पहले दोनों में जानपहचान हुई, फिर दोस्ती. वक्त के साथ दोस्ती प्यार में बदली और बात शादी तक जा पहुचीं. इस शादी में दोनों के ही परिवारों को कोई ऐतराज नहीं था.

भोपाल से एमबीए करने के बाद ताहिर हुसैन को चंडीगढ़ की एक टायर कंपनी में जौब मिल गया तो वह चंडीगढ़ चले गए. लेकिन वहां उन्हें ज्यादा दिन नहीं रहना पड़ा. इसी बीच उन्हें मोबाइल कंपनी इंटेक्स की इंदौर स्थित ब्रांच इंटेक्स टैक्नोलौजी इंडिया लिमिटेड में नौकरी मिल गई थी. इस ब्रांच में उन्हें मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया गया. यह 3 साल पहले की बात है.

इंदौर में नौकरी करते हुए ही ताहिर हुसैन ने नाजनीन से शादी की. शादी के लिए दोनों के परिवार इंदौर में ही एकत्र हुए. शादी के बाद ताहिर हुसैन ने निपानिया टाउनशिप की नरीमन प्वाइंट बिल्डिंग में फ्लैट ले लिया था और पत्नी के साथ वहीं रहने लगे थे. शादी के करीब डेढ़ साल बाद नाजनीन अयान की मां बनी. बेटे के जन्म के बाद नाजनीन और ताहिर हुसैन खूब खुश थे.

ताहिर हुसैन का काम था, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के अलगअलग शहरों में लोगों को इंटेक्स मोबाइल की फेंचाइजी देना. इस के लिए वसूली जाने वाली रकम और एजेंट का कमीशन वही तय करते थे. कंपनी के काम के अधिकार प्राप्त लोग जितना अधिक काम देते थे, उन्हें उसी हिसाब से कमीशन दिया जाता था. ये सारे अधिकार ताहिर हुसैन के पास थे.

गोविंद वर्मा ने इंदौर के यशवंत प्लाजा, स्टेशन रोड के भूतल पर साईंनाथ मोबाइल सेंटर के नाम से सर्विस सेंटर खोल रखा था. यह सेंटर गोविंद की बहन नीतू के नाम पर था. गोविंद के पास यूं तो कई मोबाइल कंपनियों की फेंचाइजी थी, लेकिन उसे सब से ज्यादा लाभ इंटेक्स से होता था1

ताहिर हुसैन को कुछ महीने पहले जब  गोविंद वर्मा द्वारा इंटेक्स के नाम पर हेराफेरी किए जाने की बात पता चली तो उन्होंने उसे दी गई फे्रंचाइजी वापस ले ली. यह बात गोविंद को अच्छी नहीं लगी. उस ने कई बार इंटेक्स टैक्नोलौजी इंडिया लिमिटेड के औफिस जा कर इस बारे में ताहिर हुसैन से बात की. फे्रंचाइजी वापस लिए जाने के बावजूद ताहिर हुसैन उस से पूर्ववत ही बात करते थे. उन के औफिस के कर्मचारी भी गोविंद से पहले की तरह ही पेश आते थे.

अलबत्ता ताहिर हुसैन ने उसे पुन: फ्रेंचाइजी देने से साफ इनकार कर दिया था. इस से गोविंद काफी बौखलाया हुआ था.   उस की बौखलाहट की वजह यह भी थी कि ताहिर हुसैन ने उस की फे्रंचाइजी समाप्त करने की वजह और उस की हेराफेरी की रिपोर्ट अपने दिल्ली स्थित हेड औफिस को भेज दी थी और कंपनी ने उसे हमेशा के लिए ब्लैकलिस्टेड कर दिया था. हालांकि गोविंद की हर कोशिश बेकार गई थी, इस के बावजूद वह ताहिर हुसैन से मिलने उन के औफिस आता रहता था.

जब गोविंद को लगा कि अब कुछ नहीं होने वाला है तो उस ने ताहिर हुसैन से बदला लेने की एक खतरनाक योजना बनाई. इस के लिए उस ने न केवल 2 तमंचों की व्यवस्था की बल्कि अपने एक दोस्त राजेंद्र वर्मा को भी लालच दे कर अपनी येजना में शामिल कर लिया. 24 जून को राजेंद्र और गोविंद दोनों ही ताहिर हुसैन के औफिस आए थे और उन्होंने ही इस घटना को अंजाम दिया था. ये बातें पुलिस की प्राथमिक जांच में सामने आई.

पुलिस ने गोविंद और उस के दोस्त के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर के दोनों की तलाश शुरू कर दी थी. बाद में जब उसी शाम ताहिर हुसैन की मृत्यु हो गई तो इस मामले को हत्या की धारा में तबदील कर दिया गया.

उधर पति की हत्या की बात सुन कर नाजनीन का रोरो कर बुरा हाल हो गया. उस की तो दुनिया ही उजड़ गई थी. इंदौर में उस का अपना भी कोई नहीं था जो उसे संभालता. खबर मिलने पर उसी रात भोपाल से ताहिर के फुफेरे भाई डा. रईस खान और उन की पत्नी नाहिदा इंदौर पहुंचे और उन्होंने नाजनीन को संभाला. उसी रात नाजनीन के मातापिता भी जबलपुर से इंदौर पहुंच गए थे.

श्रीनगर से ताहिर हुसैन के बुजुर्ग मातापिता का आना संभव नहीं था. विचारविमर्श के बाद डा. रईस खान और नाजनीन के पिता ने तय किया कि ताहिर के शव को श्रीनगर ही ले जाएं. उन के आग्रह पर अस्पताल के डाक्टरों ने ऐसी व्यवस्था कर दी कि अगले 2 दिनों तक शव खराब न हो. अंतत: 26 जून को ताहिर हुसैन के शव को वायु मार्ग से श्रीनगर ले जाया गया, वहां से सड़क मार्ग से उन के गांव सोनवार. उसी दिन उन्हें सुपुर्द ए खाक भी कर दिया गया.

उधर पुलिस गोविंद को खोज रही थी जबकि उस का कोई पता नहीं चल रहा था. वह अपने विजय नगर स्थित घर से फरार था. उस पर दबाव बनाने के लिए पुलिस उस के पिता और बहन नीतू को थाने उठा लाई. इस का नतीजा यह हुआ कि 29 जून की रात 10 बजे गोविंद अपने एक दोस्त मयूर के साथ थाना पलासिया पहुंचा और दोनों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. उस वक्त दोनों नशे में चूर थे. थानाप्रभारी शिवपाल सिंह कुशवाह उस वक्त थाने में नहीं थे.

उन्हें सूचना दी गई तो वह तत्काल थाने पहुंच गए. शिवपाल सिंह ने दोनों को हवालात से निकलवा कर पूछताछ की तो मयूर ने बताया कि घटना वाले दिन वह गोविंद के साथ नहीं था. उसे तो गोविंद चाकू की नोक पर धमका कर थाने लाया है. उस का कहना था कि हत्या के समय गोविंद के साथ वह नहीं बल्कि भूरा था.

पूछताछ में गोविंद ने ताहिर हुसैन की हत्या की वजह बताते हुए कहा कि उस ने इंटेक्स की फे्रंचाइजी के बूते पर ही यशवंत प्लाजा के ग्राउंड फ्लोर पर 20 हजार रुपए किराए पर दुकान ली थी. साथ ही 3 लाख रुपए कर्ज ले कर पूरा सेटअप भी तैयार किया था. लेकिन जब फ्रेंचाइजी वापस ले ली गई तो उस का पूरा धंधा चौपट हो गया. इस के लिए वह 3 महीने तक ताहिर हुसैन के पास चक्कर लगाता रहा, लेकिन वह नहीं माने. इस से उसे बहुत गुस्सा आया और उस ने उन्हें ठिकाने लगाने का फैसला कर लिया.

गोविंद ने हत्या की बात जरूर कुबूल ली थी, लेकिन वह अभी भी झूठ बोल रहा था.  उस ने जहां तमंचा छिपाने की बात बताई थी वहां तमंचा भी नहीं मिला था. अलबत्ता पुलिस ने यह जरूर पता कर लिया था कि घटना के समय उस के साथ राजेंद्र वर्मा था. गोविंद से वह तमंचा बरामद करना जरूरी था जिस से उस ने ताहिर हुसैन की हत्या की थी. इसलिए 30 जून को पुलिस ने उसे अदालत में पेश कर के उस का 6 दिन का पुलिस कस्टडी रिमांड ले लिया.

अगले दिन शिवपाल कुशवाह को एक मुखबिर से सूचना मिली कि गोविंद का साथी राजेंद्र वर्मा ग्वालियर की अशोक कालोनी में रहने वाले अपने भाई के यहां छिपा हुआ है. शिवपाल सिंह ग्वालियर में तैनात रह चुके थे. उन्होंने उसी समय ग्वालियर के उस क्षेत्र के थानाप्रभारी को फोन कर के कहा कि वह ग्वालियर पहुंच रहे हैं. तब तक राजेंद्र वर्मा के भाई के घर पर ध्यान रखें.

शिवपाल सिंह की टीम ने उसी दिन ग्वालियर जा कर राजेंद्र वर्मा को गिरफ्तार कर लिया. राजेंद्र को इंदौर ला कर पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार किया कि वह गोविंद के साथ न केवल इंटेक्स के औफिस गया था बल्कि ताहिर हुसैन पर गोली भी उसी ने चलाई थी. यह बात चौंकाने वाली इसलिए थी क्योंकि गोविंद के अनुसार ताहिर हुसैन पर गोली उस ने चलाई थी.

जब यह बात राजेंद्र से पूछी गई तो वह बोला, ‘‘गोविंद मुझे बचाने के लिए मेरा जुर्म स्वीकार रहा है.’’ वह ऐसा क्यों कर रहा है, यह पूछने पर राजेंद्र ने बताया कि गोविंद ने जब उसे इस योजना में शामिल किया था तो वादा किया था कि कहीं भी उस का नाम नहीं आने देगा. अगर नाम आ भी गया तो वह उस का जुर्म अपने सिर ले लेगा.

गोविंद, राजेंद्र और मयूर से पूछताछ में यह बात साबित हो गई कि मयूर इस मामले में कहीं शामिल नहीं था. गोविंद उसे पैसे दे कर और शराब पिला कर थाने लाया था ताकि वह ताहिर हुसैन की हत्या का जुर्म अपने सिर ले ले. इस सिलसिले में एक बेकुसूर को फंसाने की साजिश के लिए गोविंद के खिलाफ एक केस और दर्ज किया गया. मयूर को पुलिस ने छोड़ दिया.

गोविंद और राजेंद्र की निशानदेही पर पुलिस ने 5 जुलाई को उन के घर के पास बहने वाले गंदे नाले के किनारे वाली झाडि़यों से वे दोनों तमंचे भी बरामद कर लिए जिन्हें वारदात में इस्तेमाल किया गया था. साथ ही उन की वे दोनों मोटरसाइकिल भी पुलिस ने अपने कब्जे में ले लीं जिस पर बैठ कर वे इंटेक्स के औफिस गए थे.

गोविंद और राजेंद्र से पूछताछ में इस बात का भी खुलासा हुआ कि इन लोगों ने ताहिर हुसैन की हत्या की योजना परदेसीपुरा स्थित बमचक बाबा के आश्रम में बैठ कर बनाई थी इस योजना में गोविंद और राजेंद्र के अलावा नंदनगर का शिवम उर्फ भैय्यू तथा नंदनगर का ही उमाशंकर उर्फ भूरा भी शामिल थे.

भैय्यू और भूरा अपराधी प्रवृत्ति के थे. इन दोनों ने ही गोविंद को खरगौन के एक व्यक्ति से 2 तमंचे खरीदवाए थे. घटना वाले दिन गोविंद और राजेंद्र के साथ ये दोनों भी इंटेक्स के औफिस गए थे. लेकिन भैय्यू और भूरा अंदर न जा कर मोटरसाइकिल लिए बाहर ही खड़े रहे थे. हत्या के बाद ये चारों जने मोटर साइकिलों पर बैठ कर फरार हो गए थे. गोविंद ने भैय्यू और भूरा को 50-50 हजार रुपए दिए थे. साथ ही यह आश्वासन भी कि उन का नाम कहीं नहीं आएगा.

यह भी पता चला कि घटना वाले दिन भी ये चारों बमचक बाबा के आश्रम में एकत्र हुए थे और फूलप्रूफ योजना बनाने के बाद वहीं से इंटेक्स के औफिस गए थे. वहां गोविंद और राजेंद्र अंदर गए और ताहिर हुसैन की हत्या कर के बाहर आ गए. इस के बाद चारों वहां से फरार हो गए थे. हकीकत पता चलने पर पुलिस ने शिवम उर्फ भैय्यू को भी उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. लेकिन उमाशंकर उर्फ भूरा पुलिस के हाथ नहीं आया.

पुलिस ने 10 जुलाई, 2014 को गोविंद, राजेंद्र और शिवम उर्फ भैय्यू को अदालत में पेश किया जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. मुखबिर की सूचना पर उमाशंकर उर्फ भूरा को भी 18 जुलाई, 2014 को गिरफ्तार कर पूछताछ के बाद जेल भेज दिया.

अगर इस पूरे मामले को देखा जाए तो गोविंद की बददिमागी ही उभर कर सामने आती है. उन की भूल थी तो सिर्फ यह कि फे्रंचाइजी खत्म होने के बाद भी उन्होंने गोविंद को अपने केबिन में आने से कभी नहीं रोका. बदमजगी होने के बाद भी वह उसे सम्मान से अपने सामने बैठाते और चाय पिलाते रहे.

बहरहाल, ताहिर हुसैन नहीं रहे. उन के न रहने से जहां उन की पत्नी नाजनीन की दुनिया उजड़ गई, वहीं उन के बूढ़े मांबाप का सहारा भी छिन गया. देखना यह है कि कानून गोविंद और उस के साथियों को क्या सजा देता है.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित