डाक्टर का प्रेम नर्स की खुदकुशी

डाक्टर का प्रेम नर्स की खुदकुशी – भाग 3

उस रोज गुस्से में सुरेंद्र के जाने के बाद प्रेम नारायण ने अपनी पत्नी के साथ मिल कर निशा की समस्या के बारे में प्यार से बात की. तब बातचीत में निशा ने बताया कि सुरेंद्र उसे हमेशा छेड़ता रहता था, इस कारण उस ने उस के साथ आनाजाना बंद कर दिया. इस कारण ही वह नाराज हो गया है. वह अकसर उस के स्वास्थ्य केंद्र पर आ कर भी उसे परेशान करता रहता है. सीनियर अधिकारी होने के कारण वह उस के स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंच जाता है और गालियों के साथ अश्लील और अभद्र बातें करता है.

एक दिन तो उस ने हद ही कर दी. रास्ते में रोक कर वह उस के साथ जबरदस्ती करने पर उतारू हो गया. निशा के विरोध करने पर उसे जान से मारने की धमकी दे डाली. उसे संदेह था कि उस की गालीगलौज की बातें निशा के मोबाइल में रिकौर्ड हैं, इसलिए घर आ कर उस ने मोबाइल तोड़ डाला.

सुरेंद्र की हरकत के बारे में जान कर प्रेम नारायण ने बेटी को थाने में शिकायत दर्ज करवाने की सलाह दी. पिता के कहे मुताबिक, निशा ने 31 मई, 2022 को सिविल लाइंस थाने में सुरेंद्र के खिलाफ शिकायत की, जिस पर पुलिस ने भादंवि की धारा 354 में केस दर्ज कर लिया. इसे ले कर जब पुलिस ने पूछताछ की, तब वह भीगी बिल्ली बन गया. वह निशा के सामने भी गिडग़ड़ाने लगा कि शिकायत वापस ले कर समझौता कर ले, लेकिन निशा ने शिकायत वापस लेने से मना कर दिया.

सुरेंद्र निशा से बारबार माफी मांगने लगा और यह कहने पर कि अब वह उस के रास्ते में कभी नहीं आएगा, निशा ने उसे माफ कर दिया. उन के बीच थाने में राजीनामा हो गया. कुछ दिनों तक सुरेंद्र शांत रहा. निशा को लगा कि सुरेंद्र से उसे अब कोई नुकसान नहीं होगा, तब वह पहले की तरह डा. सुरेंद्र से बातचीत करने लगी. कुछ दिन बाद सुरेंद्र की फिर से हरकतें शुरू हो गईं. वह फिर अपने पुराने रंगरूप में आ गया और निशा को परेशान करने लगा.

डा. सुरेंद्र का टौर्चर बढऩे पर निशा ने पहले की तरह नाराजगी दिखाई और थाने में दोबारा शिकायत दर्ज करवाने की धमकी दी, किंतु सुरेंद्र पर तो निशा के साथ जबरदस्ती करने का फितूर सवार था. वह बोला, ‘‘अगर तूने मेरी बात नहीं मानी तो तेरे बाप और तेरे बेटे को जान से मार दूंगा. अब तू नौकरी कर के देख ले…’’ इस तरह सुरेंद्र उसे नौकरी से हटाने तक की धमकी देने लगा. निशा सुरेंद्र की इस धमकी से काफी परेशान हो गई और डर कर उस ने बस से आनाजाना शुरू कर दिया.

परेशान हो कर निशा ने 21 जून, 2022 को एसपी औफिस जा कर उस की शिकायत कर दी. सुरेंद्र की हरकतें कम होने का नाम नहीं ले रही थीं. इस पर निशा ने एक बार फिर सिविललाइंस थाने में शिकायत दर्ज करवा दी. पुलिस ने सुरेंद्र के खिलाफ धाराएं तो बढ़ा दीं, लेकिन उस के खिलाफ सख्त काररवाई नहीं की, जिस से उस की हिम्मत और बढ़ गई. सुरेंद्र से परेशान निशा ने अपना ट्रांसफर कहीं और करवाने की भी कोशिश की. उस ने 28 जुलाई, 2022 को सीएमएचओ को ट्रांसफर के लिए आवेदन दिया. वह चाहती थी कि उस की पोस्टिंग सागर जिले के शहर मंडी बामोरा के कस्बा सिहोरा में हो जाए, जहां उस के मामा रहते हैं.

निशा ने डा. सुरेंद्र के खिलाफ थाने में जो शिकायतें की थीं, उन से वह बहुत परेशान हो गया था. वह दिन भर उसे फोन किया करता था. राजीनामे के लिए उस पर फिर से दबाव बनाने लगा था. एक तरफ पुलिस सुरेंद्र के खिलाफ कोई काररवाई नहीं कर रही थी, दूसरी तरफ परिवार के भरणपोषण के लिए निशा नौकरी करने के लिए मजबूर थी. वह जब कभी सुरेंद्र का फोन उठाती तो वह उस से बहुत ही गंदे तरीके से बात करने लगता. गालियां बकता, फिर अश्लील बातों के साथसाथ उस के घर वालों को जान से मारने की भी धमकी देता था.

सुरेंद्र ने निशा को इतना परेशान किया कि 24 दिसंबर, 2022 को उस ने मानसिक तनाव में आत्महत्या करने की कोशिश की. इस का पता चलते ही घर वाले उसे मैडिकल कालेज ले गए. वहां पर उसे भरती कर लिया गया. इस की जानकारी डा. सुरेंद्र को भी हो गई. वह रात में अस्पताल पहुंचा और उसे जबरन घर ले आया. घर पर ही उसे बोतल चढ़वाई. उस के बाद उस की तबीयत में सुधार हो गया. उस के बाद से निशा का जीवन नीरस हो गया था. वह गुमसुम रहने लगी थी. बस बच्चों की खातिर नौकरी कर रही थी. सुरेंद्र उस की खामोशी का फायदा उठाने लगा.

एक दिन सुरेंद्र ने उसे कई बार फोन किया. तब एक काल रिसीव करने पर वह बड़ी बदतमीजी से निशा से बात करने लगा. उस ने निशा को धमकी दी कि वह घर आ कर उस के साथ कुछ भी कर सकता है. उस के अगले दिन 28 फरवरी, 2023 को वह निशा के घर गया. उस ने निशा के साथ फिर से दुर्व्यवहार किया, जिस के बाद ही निशा पंखे से लटकी मिली. पुलिस ने अब तक मिले सबूतों के आधार पर नर्स खुदकुशी मामले में डा. सुरेंद्र के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज कर लिया था.

कथा लिखने तक डा. सुरेंद्र की गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी. वह अपने घर से फरार हो चुका था. नर्स निशा और डा. सुरेंद्र प्रकरण में इन दोनों के संबंध केवल दोस्ती तक ही रहे होंगे, ऐसा विश्वास नहीं हो रहा. क्योंकि वह जितना हक निशा पर जताता था, वह केवल दोस्ती में संभव नहीं. वह संबंध क्या थे, यह बात तो डा. सुरेंद्र की गिरफ्तारी के बाद ही सामने आ सकेगी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

डाक्टर का प्रेम नर्स की खुदकुशी – भाग 2

एक दिन योगेश ने निशा और अपने ससुर से कहा कि वह अपने पैतृक घर सागर चला जाएगा, वहीं कुछ करेगा. ससुराल में रहते हुए खुले मन से कुछ नहीं कर पाएगा. उस के बाद वह निशा और बच्चों को ले कर सागर आ गया. विदिशा और सागर के बीच सडक़ मार्ग से करीब 112 किलोमीटर की दूरी है. निशा अस्पताल की नौकरी नहीं छोडऩा चाहती थी. इस पर पति ने उसे सागर से डेली अप-डाउन करने की सलाह दी. निशा इस पर राजी हो गई और सागर में रहते हुए नौकरी के लिए विदिशा आने लगी. इस दरम्यान वह जरूरत के मुताबिक कभी विदिशा तो कभी सागर में ठहर जाती थी.

इस तरह से निशा शनिवार को सागर आ जाती थी और रविवार को रह कर अगले रोज सोमवार को विदिशा चली जाती थी. एक दिन योगेश ने निशा से कहा कि उसे विदिशा में रुकने की जरूरत नहीं है. वह सागर से विदिशा रोज आनाजाना करे. निशा को यह बात पसंद नहीं आई. इस का मुख्य कारण था, रोज आनेजाने पर आने वाला खर्च. उस का वेतन बहुत ही साधारण था. उस में से उसे घरेलू खर्चे भी करने होते थे और आनेजाने के किराए पर भी खर्च करना था. इस पर निशा ने मना कर दिया. फिर क्या था, योगेश आगबबूला हो गया. उस ने नाराजगी दिखाते हुए चेतावनी दी कि वह गलत कर रही है. अपने पति की बातों की उपेक्षा करना ठीक नहीं है.

निशा और योगेश के बीच नौकरी पर सागर से विदिशा आनेजाने को ले कर आए दिन तकरार होने लगी. इस की जानकारी जब प्रेम नारायण को हुई, तब उन्होंने योगेश को समझाने की कोशिश की और सलाह दी कि वह पहले की तरह परिवार समेत विदिशा शहर में ही रहे. किंतु जब योगेश ने अपने ससुर के प्रस्ताव को सिरे से इनकार कर दिया, तब दोनों के बीच विवाद काफी बढ़ गया. उन के बीच आए दिन झगड़े होने लगे. जबकि प्रेम नारायण ने योगेश से पूछा कि रोजरोज यहां से ड्ïयूटी पर जानाआना आसान नहीं है. निशा नौकरी कर रही है तो फिर दिक्कत क्या है, वह आखिर चाहता क्या है?

इस पर योगेश ने साफ लहजे में कह दिया कि अगर निशा उस की बात नहीं मानती है तो वह उस से तलाक चाहता है. प्रेम नारायण ने जब योगेश के इस फैसले के बारे में निशा से बात की तब निशा ने भी कहा कि अगर पति तलाक चाहता है तब वह भी इस के लिए राजी है.

निशा और डा. सुरेंद्र आए नजदीक…

आपसी रजामंदी से साल 2018 में योगेश और निशा का तलाक हो गया. इस के बाद निशा हौस्पिटल में काम करती रही और विदिशा अपने मायके के घर में आ कर रहने लगी. नौकरी के साथ उस ने पढ़ाई भी जारी रखी. इस दौरान उस का चयन औग्जिलरी नर्स मिडवाइफरी (एएनएम) के लिए भी हो गया और उसे सरकारी अस्पताल में नौकरी मिल गई. संयोग से उस की नियुक्ति विदिशा शहर के अहमद नगर स्वास्थ्य केंद्र में हो गई.

सरकारी नौकरी मिलते ही निशा के फिर से अच्छे दिन आ गए. उस ने स्कूटी खरीद ली और विदिशा से स्कूटी से अहमद नगर जाने लगी. उस के पिता विदिशा में रहते हुए टीवी आदि इलेक्ट्रौनिक्स सामानों की मरम्मत का काम करते थे, जबकि उस की मां विदिशा जिले के लटेरी कस्बे में स्थित महिला एवं बाल विकास विभाग में सुपरवाइजर थी. ऐसे में निशा पर ही घर की पूरी जिम्मेदारी थी. उसे अपने तीनों बच्चों की देखभाल के साथसाथ अपने मातापिता की जरूरतों का भी खयाल रखना था. वह घर देखने के साथ ही नौकरी भी करने लगी थी.

निशा की पोस्टिंग अहमद नगर में थी, और उसी के आगे पीपलधार में कम्युनिटी हेल्थ औफिसर (सीएचओ) के पद पर डा. सुरेंद्र किरार तैनात था. डा. सुरेंद्र भी विदिशा से ही रोज अपडाउन किया करता था. एक ही फील्ड में होने के कारण निशा और डा. सुरेंद्र की जानपहचान हो गई थी. एक दिन सुरेंद्र ने कहा कि वे अपनीअपनी गाड़ी से ड्यूटी पर आते हैं तो क्यों न वे एक ही गाड़ी से आएं और पैट्रोल का खर्च आधाआधा कर लें. निशा को डा. सुरेंद्र की बात पसंद आई. वैसे भी वह उस से सीनियर पोस्ट पर था और निशा के लिए अच्छी बात यह थी कि एक अधिकारी से उस की अच्छी जानपहचान हो गई थी. भविष्य में इस का लाभ मिलने की उम्मीद के साथ निशा उस के साथ आनाजाना करने लगी.

सुरेंद्र सुबह निशा को घर से ले लेता और शाम को घर पर ही छोड़ देता था. यह सब एक रूटीन के मुताबिक करीब 2 साल तक अच्छी तरह से चलता रहा. अचानक उन के बीच मतभेद हो गए और वे अपनीअपनी गाड़ी से ड्यूटी पर जाने लगे. इस बारे में पिता प्रेम नारायण ने निशा से पूछा भी, लेकिन उस ने कोई विशेष कारण नहीं बताया. प्रेम नारायण ने इसे सीनियर जूनियर स्टाफ के बीच का मामला समझ कर नजरंदाज कर दिया. जबकि उन्होंने महसूस किया कि निशा मानसिक तनाव में रहने लगी है.

निशा पर जमाने लगा अधिकार…

प्रेम नारायण चिंतित हो गए. उन्होंने महसूस किया कि उन की बेटी के मन पर जरूर कोई बोझ आ चुका है. जबकि निशा अपने काम पर ध्यान दिए हुए थी. प्रेम नारायण की यह आशंका एक दिन तब सही साबित हुई, जब उन्हें मालूम हुआ कि डा. सुरेंद्र उन के घर आ कर निशा से झगड़ पड़ा. उन के बीच झगड़ा भी कोई ऐसावैसा नहीं, बल्कि सुरेंद्र निशा को गालियां देने लगा.

यह वाकया तब हुआ, जब प्रेम नारायण घर पर ही थे. डा. सुरेंद्र घर आया और सीधे ऊपर उस के कमरे में चला गया. आते ही उस ने निशा के साथ बदतमीजी करते हुए गालियां देनी शुरू कर दीं, ‘कुतिया, हरामजादी… रंडी.’ कहते हुए उस का मोबाइल छीन लिया और वहीं जमीन पर पटक कर तोड़ दिया.उस वक्त वह गुस्से में था. बके जा रहा था, ‘‘हरामजादी मेरी रिकौर्डिंग करती है! देख, अब मैं तेरा क्या हाल करता हूं. तू मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती.’’

डाक्टर का प्रेम नर्स की खुदकुशी – भाग 1

विदिशा के हाजी बली तालाब मोहल्ले में रहने वाले प्रेम नारायण सोनी 28 जनवरी, 2023 को रोज की तरह टीवी मरम्मत करने के लिए अपनी दुकान पर चले गए थे. जबकि उन की पत्नी सुबहसुबह ही बागेश्वर धाम के लिए रवाना हो चुकी थी. उस दिन शनिवार था. दोपहर तक अपना काम निपटा कर घर लौटे तो बेटी की गाड़ी बाहर खड़ी देख कर चौंक गए, ‘‘इतनी जल्द ड्यूटी से आ गई निशा! शनिवार है… शायद छुट्टी हो!’’ अपने आप से बोलते हुए वह नहाने चले गए. खाना खाया और घर के बाहर धूप में जा कर बैठ गए. कुछ देर बाद डा. सुरेंद्र आया और सीधे ऊपर चला गया. वहीं निशा का कमरा था, जहां वह अपने 3 बच्चों के साथ रहती थी. उस का पति से तलाक हो चुका था, इसलिए वह अपने मायके में ही रह रही थी.

डा. सुरेंद्र को बेटी के कमरे की तरफ जाते देख कर प्रेम नारायण एक बार फिर चौंक पड़े. उस से बात करने से पहले उन्होंने अपने आप से सवाल किया, ‘‘एक महीने बाद ये (डा. सुरेंद्र) मेरे घर फिर से क्यों आया है?’’ तब तक सुरेंद्र तेजी से सीढिय़ां चढ़ता हुआ ऊपर चला गया. लेकिन तुरंत वापस भी उतनी ही तेजी से लौट आया और कुछ कहे बगैर वहां से चला गया. सुरेंद्र का इस तरह से आना और बगैर कुछ बोले, बात किए चले जाना, प्रेम नारायण को कुछ अच्छा नहीं लगा. उन के मन में शंका हुई. वह थोड़ी देर बाद ऊपर गए, जहां निशा का कमरा था. उस का कमरा भीतर से लौक था. उन्होंने आवाज लगाई,

‘‘निशा, ओ निशा, दरवाजा खोलो. डाक्टर साहब आए थे.’’

सुर्खियों में आ गया निशा हैंगिंग केस…

प्रेम नारायण की 2-3 आवाजों के बाद भी निशा ने कोई जवाब नहीं दिया था. उन्होंने फिर से आवाज लगाई, ‘‘अरी ओ निशा, डाक्टर साहब आए थे, वह तुरंत क्यों चले गए? क्या बात हो गई?’’ तभी भीतर मोबाइल फोन की घंटी बजने लगी थी. फोन लगातार बज रहा था, भीतर कमरे में निशा न तो फोन रिसीव कर रही थी और न ही दरवाजा खोल रही थी.

प्रेम नारायण के दिल की धडक़नें बढ़ती जा रही थीं. मोबाइल पर कई बार रिंग बज कर बंद हो चुकी थी. वह बाहर से आवाज भी लगा रहे थे. इस बीच 3-4 बार नीचे भी उतर कर दोबारा निशा के कमरे के बाहर भी जा चुके थे. करीब आधे घंटे तक परेशान होने के बाद उन्होंने अपने नाती को आवाज लगाई. वह तुरंत नीचे से ऊपर आ गया. नाती ने कहा, ‘‘नानाजी, मैं दरवाजा खोलता हूं. मुझे भीतर से बंद दरवाजा खोलने की तरकीब मालूम है.’’

यह कहते हुए निशा के बेटे ने खिडक़ी से हाथ डाल कर भीतर से बंद दरवाजा खोल दिया और भीतर चला गया. भीतर पहुंचते ही वह जोर से चीखा, ‘‘मां टंगी है… मां टंगी है नाना…’’ नाती की चीख सुनते ही प्रेम नारायण का दिल बैठ गया. घबराए हुए वह कमरे में गए. देखा, बेटी निशा पंखे से लटक रही थी. वह यह दृश्य देख कर हैरान रह गए. किसी तरह खुद को संभाला और बेटी के पैरों को पकड़ कर ऊपर की ओर उठाने की कोशिश करने लगे. सोचा, शायद उस की सांसें अभी उखड़ी न हों, किंतु बेटी के हाथपैर कडक़ हो चुके थे.

उन्हें कुछ समझ में नहीं आया. वहीं सिर पकड़े बैठ गए. पास में ही नाती भी मां को इस हालत में देख कर रोने लगा था. उन्होंने उस के आंसू पोंछे, चुप करवाया और फोन लाने को कहा. फिर छोटी बेटी लक्ष्मी और उस के पति को फोन कर पूरी बात बताई. दोनों उसी शहर में रहते थे. वे भागेभागे आ गए और पुलिस को सूचना दी. कुछ देर बाद पुलिस भी दलबल के साथ आ गई. पुलिस ने निशा को पंखे से उतार कर पंचनामा तैयार किया और पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवा दिया.

पति को छोड़ मायके में रहने लगी निशा…

निशा प्रेम नरायण सोनी की बड़ी बेटी थी. 1999 में मध्य प्रदेश के सागर शहर के रहने वाले योगेश सोनी के साथ उस की शादी हुई थी. जबकि छोटी बेटी लक्ष्मी का विवाह विदिशा में ही हुआ था. निशा की ससुराल में सब कुछ अच्छा था. सुखीसंपन्न परिवार पा कर निशा जितनी खुश थी, उतने ही संतुष्ट और खुश प्रेम नारायण और उन की पत्नी थी. ससुराल में निशा की सास एक स्कूल चलाती थीं. पढ़ाई में रुचि रखने वाली निशा के मन की मुराद पूरी हो गई थी. ससुराल में उस ने सास के साथ स्कूल के काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया था. इस काम में उस का पति योगेश भी सहयोग करने लगा था.

समय बीतने के साथ निशा 2 बेटियों और एक बेटे की मां बन गई. इसी दरम्यान उस की सास का निधन हो गया. घरेलू कामकाज बढ़ जाने के कारण स्कूल की देखरेख में बाधा आ खड़ी हो गई. अकेली निशा उसे संभाल नहीं पाई, जिस से स्कूल बंद हो गया. दूसरी तरफ पति योगेश की कोई नियमित आय नहीं थी. वह एक तरह से बेरोजगार था. इस कारण बच्चों की परवरिश की पूरी जिम्मेदारी निशा पर आ गई थी. आय का कोई ठोस साधन नहीं होने के कारण निशा अपने पति योगेश और बच्चों के साथ विदिशा आ गई. वहीं रह कर उन्होंने कोई कामधंधा करने की योजना बनाई.

प्रेम नारायण ने उन्हें अपने ही घर के ऊपर वाले कमरे में रहने को जगह दे दी. निशा का परिवार वहीं शिफ्ट हो गया. परिवार पालने के लिए निशा ने इंदु जैन हौस्पिटल में नर्स की नौकरी कर ली. इस के विपरीत योगेश बेरोजगार बना रहा. नौकरी तलाश करता रहा, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पाई थी. वह निठल्ले की तरह घर पर पड़ा रहता था. सुबहशाम खाना और घूमनाफिरना, यही उस की दिनचर्या बन चुकी थी. घरेलू खर्च के लिए गाहेबगाहे निशा के पिता ही उस की मदद करते रहते थे.

एक दिन प्रेम नारायण ने योगेश को कोई कामधंधा करने की सलाह दी. उन्होंने प्राइवेट नौकरी के लिए कहीं बात करने के बारे में भी कहा. इस पर योगेश बोला कि वह कोई ऐसावैसा काम नहीं करेगा. क्योंकि वह जीवन में कुछ बड़ा करना चाहता है. योगेश की बातें दिन में देखे गए सपने जैसे ही थीं. जबकि निशा नौकरी करने के साथसाथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी करने लगी थी. उस ने 2-3 परीक्षाएं भी दीं, लेकिन उस में सफल नहीं हो पाई. फिर भी वह तैयारी करती रही.