होम डिलीवरी में मिला प्यार

होम डिलीवरी में मिला प्यार – भाग 3

राकेश ड्यूटी जाता तो कृष्ण आ जाता. कईकई घंटे दोनों बंद दरवाजे के पीछे रहते. उस दिन भी वह कृष्ण के साथ कमरे में बंद हो कर वासना का अनैतिक खेल खेल रही थी कि पति राकेश तबीयत खराब होने पर घर आ गया. पूजा ने कृष्ण को भाग निकलने में पूरी होशियारी दिखाई. यही नहीं, राकेश के आगे टेसुए बहा कर उस का गुस्सा भी शांत कर दिया. राकेश को लगा, उस ने खामखां पूजा पर शक किया, वह तो नेक, शरीफ और पतिव्रता है. वह शांत मन से ड्यूटी पर जाता रहा.

लेकिन पूजा और कृष्ण कुमार मीणा का प्रेम प्रसंग लोगों की नजरों से छिप न सका. एक दिन किसी जानकार ने उसे बताया कि उस की पत्नी पूजा किसी युवक के साथ इश्क लड़ाती घूम रही है, उस ने 2-3 बार पूजा को पार्क और एक होटल में देखा है. यह सुन कर राकेश को लगा कि जैसे किसी ने उसे बीच चौराहे पर नंगा कर के जूते मारे हों. वह भारी कदमों से शराब के ठेके पर गया और शराब पी कर घर आया.

उस रात उस ने पूजा की जम कर धुनाई कर दी. वह पूरी रात पूछता रहा कि वह किस के साथ पार्कों और होटलों में घूमती है. लेकिन पूजा ने अपने आशिक का नाम नहीं बताया. उस दिन के बाद से यह रोज का किस्सा बन गया. उन में रोज पूजा के तथाकथित प्रेमी को ले कर कलह होने लगी. राकेश ने पूजा का घर से निकलना भी बंद कर दिया. रोजरोज के झगड़े ने पूजा के मन में पति के प्रति नफरत पैदा कर दी.

चाचा ने लिखाई रिपोर्ट…

थाना शिवदासपुर (जयपुर दक्षिण) के एसएचओ हरिपाल सिंह के पास 25 फरवरी, 2023 को 2 व्यक्ति आए. इन में एक व्यक्ति बाबूलाल मीणा, 53 साल और दूसरा सीताराम मीणा, 34 साल था. दोनों गांव झुंझनूं, थाना वौली, जिला सवाई माधोपुर के रहने वाले थे. बाबूलाल ने एक प्रार्थनापत्र एसएचओ को दिया. एसएचओ ने वह प्रार्थनापत्र पढ़ा तो वह गंभीर हो गए. उन्होंने बाबूलाल मीणा के चेहरे पर नजरें गड़ा कर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, ‘‘आप का भतीजा राकेश मीणा 5 फरवरी से लापता है और आप अब थाने आ रहे हैं?’’

“साहब, मुझे गांव में 2 दिन पहले ही अपने भतीजे राकेश के गुम हो जाने की बात पता चली. मैं शिवदासपुर में अपने भतीजे के घर आया और बहू पूजा उर्फ फूला से राकेश के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि वह कंपनी के काम से कहीं गए हैं. मैं ने कंपनी में पूछताछ की तो वहां से बताया गया कि 20 दिन से राकेश ड्यूटी पर नहीं आ रहा है.’’

“इस का मतलब आप की बहू पूजा झूठ बोल रही है.’’

“जी साहब.’’ बाबूलाल ने सिर हिलाया, ‘‘बहू का कृष्ण कुमार मीणा नाम के युवक से अवैध रिश्ता बना हुआ है. राकेश और पूजा के बीच इसी बात को ले कर झगड़ा चल रहा था. मुझे शक है कि पूजा ने ही कृष्ण कुमार के द्वारा मेरे भतीजे राकेश की हत्या कर दी है और उस की लाश किसी कुएं में डलवा दी है. आप आसपास के कुओं में तलाश कीजिए.’’

“आप को पूजा और कृष्ण के बीच अवैध संबंध होने की बात किस ने बताई है? और आप को यह क्यों शक है कि राकेश की लाश किसी कुएं में ही है?’’

“साहब, 5 फरवरी को मेरा भतीजा झुंझनूं गांव में मुझ से मिलने आया था, उस ने बहू पूजा की कृष्ण कुमार से अवैध रिश्ते की बात बता कर यह भी बताया था कि पूजा उसे मरवा कर किसी कुएं में फेंकने की बात करती है.’’

“ठीक है, मैं जांच करवाता हूं.’’ एसएचओ हरिपाल सिंह ने कहा और एसआई कैलाश चंद को बुला कर बाबूलाल मीणा की शिकायत दर्ज करने तथा पूजा को पकड़ कर थाने लाने का आदेश दिया.

पुलिस ने बाबूलाल मीणा की तरफ से भादंवि की धारा 364, 302, 201, 120बी के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली. पूजा को वसुंधरा कुटुंब सोसायटी के फ्लैट से गिरफ्तार कर के एसआई कैलाश चंद थाने ले लाए और उस से सख्ती से उस के पति राकेश मीणा के बारे में पूछताछ की तो उस ने बड़ी आसानी से बता दिया कि कृष्ण कुमार मीणा ने राकेश मीणा की हत्या कर के लाश मोहनपुरा में चंदलाई रोड स्थित कुएं में डाल दी है.

कुएं में मिली लाश…

जयपुर (शिवदासपुर) एसएचओ हरिपाल सिंह पुलिस टीम ले कर चंदलोई रोड पहुंच गए. उन के साथ राकेश मीणा के चाचा बाबूलाल और गांव से साथ में आया सीताराम भी था. थाने से चलते वक्त एसएचओ ने उच्च अधिकारियों को भी घटना से अवगत कर दिया था.

एडिशनल डीसीपी भरतलाल मीणा (जयपुर दक्षिण) एवं डा. संध्या यादव के अलावा एसएसपी चाकसू फोरैंसिक टीम को ले कर चंदलोई रोड स्थित कुएं पर पहुंच गए. कुआं सूखा हुआ था, उस में एक नर कंकाल पड़ा हुआ था. उसे बाहर निकाला गया. बाबूलाल मीणा ने कंकाल के हाथ की घड़ी और अंगूठी से पहचान कर के बताया कि यह शव उन के भतीजे राकेश मीणा का ही है. फोरैंसिक जांच टीम ने उस कंकाल का निरीक्षण किया. इस के बाद उस कंकालनुमा शव को पोस्टमार्टम हेतु महात्मा गांधी अस्पताल सीतापुरा (जयपुर) में भेज दिया गया.

कुएं में राकेश मीणा की लाश मिलने की खबर चारों ओर फैल गई. एडिशनल डीसीपी भरतलाल ने हत्यारे कृष्ण मीणा की गिरफ्तारी के लिए एसआई आशुतोष, कांस्टेबल संदीप, राजेश, जीतसिंह, भरतसिंह, प्रेम राज की एक टीम गठित कर दी. उन्होंने एसीपी (चाकसू) के नेतृत्व में दूसरी टीम में एसएचओ हरिसिंह, एसआई कैलाशचंद, हुसैन अली, हैडकांस्टेबल राजवीर, लोकेश, बन्नालाल और कांस्टेबल कानाराम की शामिल किया. पूजा उर्फ फूला से कृष्ण कुमार के घर का पता पूछ कर उस के घर पर दबिश दी गई, लेकिन वह पूजा के गिरफ्तार होने की भनक पा कर फरार हो गया था.

कृष्ण कुमार मीणा हुआ गिरफ्तार…

पुलिस टीम ने पूजा से कृष्ण का मोबाइल नंबर ले कर उसे सर्विलांस पर लगा दिया. कृष्ण का मोबाइल फोन बंद था, लेकिन जैसे ही उस ने कुछ देर के लिए उसे चालू किया, पुलिस को उस की लोकेशन मिल गई. दोनों टीमों ने उसे उस लोकेशन पर ढूंढ कर गिरफ्तार कर लिया.

थाने में उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि पूजा ने परेशान हो कर अपने पति कृष्ण कुमार का मर्डर कराया था. उस ने कहा कि राकेश को ठिकाने लगा दो. इस के बाद कृष्णकुमार ने अपने जानकार दिलखुश मीणा, विजय मीणा और ड्राइवर विजेंद्र उर्फ विजय को राकेश की हत्या करने के लिए राजी किया.

प्लान के मुताबिक, कृष्ण ने 5 फरवरी, 2023 को राकेश को फोन कर के कहा, ‘‘बड़े भाई, मैं पूजा से रिश्ता खत्म करना चाहता हूं और मुझ से जो गलती कर हो चुकी है, उस की माफी मांगने के लिए आप से एक बार मिलना चाहता हूं. आप मोहनपुरा में आ जाएंगे तो अच्छा रहेगा.’’ राकेश ने कृष्ण कुमार की बातों पर विश्वास कर लिया और वह अपनी बाइक से मोहनपुरा आ गया. कृष्ण योजनानुसार अपने साथियों के साथ पहले से वहां मौजूद था. राकेश के पहुंचते ही सभी ने उसे दबोच लिया और गला घोट कर उस की हत्या करने के बाद लाश को चंद्रलोई स्थित कुएं में डाल दी.

कृष्ण कुमार के द्वारा जुर्म कुबूल कर लेने के बाद उस के साथियों को भी पुलिस टीम ने गिरफ्तार कर लिया. कृष्ण कुमार मीणा से राकेश मीणा की बाइक आरजे-25एस पी6942 भी पुलिस ने बरामद कर ली. पूजा सहित हत्या में शामिल सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया.

पोस्टमार्टम के बाद राकेश के शव को उस के चाचा बाबूराम मीणा को सौंप दिया गया, जिस का अंतिम संस्कार करने के लिए वह उसे पैतृक गांव झुंझनूं ले कर चले गए. पूजा ने अपने तनिक सुख के लिए एक हंसतेखेलते घर को बरबाद कर दिया था. अब उस की आंखों में पश्चाताप के आंसू थे.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

होम डिलीवरी में मिला प्यार – भाग 2

मां बनने के बाद पूजा का यौवन ताजे गुलाब की भांति खिल गया था, वह सुंदर तो थी ही, उस का रूप अब और निखर आया था. पति राकेश को टिफिन तैयार कर के ड्यूटी पर भेजने के बाद कमरे की साफसफाई और 2-4 जोड़ी कपड़े धोने का काम ही बचता था, जिसे निपटा लेने के बाद पूजा के पास आराम करने, टीवी देखने के अलावा कोई काम नहीं रह जाता था. बेटा एक साल का था, इसलिए नहलाने और पेट भर दूध पिलाने के बाद वह आराम से घंटों सोता रहता था. रोजरोज एक ही तरह का काम करना पड़े तो आदमी ऊब जाता है. पूजा अब आराम करने या टीवी देखने से ऊबने लगी थी.

फ्लैटों में आसपड़ोस से ज्यादा वास्ता रखने का चलन नहीं होता है. सभी अपने फ्लैट का दरवाजा बंद कर रखते हैं. पूजा को भी दरवाजा बंद कर के रहना पड़ता था. पड़ोसियों से अधिक बोलचाल न होने से पूजा दिन भर बोर होती रहती थी. शाम को राकेश लौटता था, तभी उस के चेहरे पर रौनक आती थी. रात राकेश की बांहों में गुजर जाती थी, दूसरा दिन फिर बोरियत भरा. वह क्या करे, क्या न करे इसी सोच में थी कि एक दिन सुबह 10 बजे उस के घर की कालबेल बजी. राकेश तो ड्यूटी पर चला गया है, इस वक्त कौन आया होगा? सोच में डूबी पूजा दरवाजे पर आ गई.

“कौन है?’’ पूजा ने दरवाजे के पीछे से ऊंची आवाज में पूछा, ‘‘जी, मैं आप की वाशिंग मशीन ले कर आया हूं, दरवाजा खोलिए.’’ बाहर से बताया गया.

“लेकिन हम ने तो वाशिंग मशीन नहीं मंगवाई है.’’ पूजा ने हैरानी से कहा.

“यह राकेश मीणा जी का ही घर है न?’’

“बेशक! यह मेरे पति राकेश मीणा का ही घर है.’’

“आप के पति राकेशजी ने हमारी कंपनी को फोन कर के वाशिंग मशीन घर में भेजने को कहा है. आप अपने पति राकेशजी से पूछ लीजिए.’’

पूजा ने तुरंत पति राकेश को फोन मिला दिया और पूछा, ‘‘क्या आप ने वाशिंग मशीन खरीदी है?’’

“ओह!’’ राकेश चौंकता हुआ बोला, ‘‘मैं तुम्हें फोन करना भूल गया था पूजा. देखो कंपनी से कोई वाशिंग मशीन ले कर आएगा, उसे अपने हिसाब से लगवा लेना.’’

“कंपनी ने वाशिंग मशीन भेज दी है, मेरे भुलक्कड़ पति.’’ पूजा मुसकरा कर बोली, ‘‘मैं उसे रिसीव कर रही हूं.’’ पूजा ने फोन काटने के बाद दरवाजा खोल दिया. दरवाजे पर 2 युवक एलजी की आटोमैटिक वाशिंग मशीन के साथ खड़े थे. दोनों पसीने से भीगे थे.

“सौरी.’’ पूजा झेंपते हुए बोली, ‘‘मेरे पति मुझे पहले ही बता देते तो मैं आप को इतनी देर इंतजार नहीं करवाती. आप तो जानते ही हैं, ऐसी जगह पर बहुत सावधानी से रहना पड़ता है.’’

“कोई बात नहीं जी.’’ उन दोनों में से एक युवक जो देखने में स्मार्ट दिखाई पड़ रहा था, हंस कर बोला, ‘‘पहले आप ठंडा पानी पिलाइए. फिर मैं आप की पसंद से मशीन सैट कर दूंगा.’’

“जी हां,’’ पूजा जल्दी से बोली, ‘‘आप दोनों अंदर आ जाइए और पंखे में पसीना सुखा लीजिए. मैं आप के लिए शरबत बना कर लाती हूं.’’ पूजा रसोई में चली गई.

वह नींबू का शरबत बना कर 2 गिलास ट्रे में ले कर आई तो दोनों युवक ड्राइंगरूम में बैठे पसीना सुखा रहे थे. “आज बहुत गरमी है.’’ पूजा ने कहा और दोनों को शरबत दे दिया.

“आप अपने लिए शरबत नहीं लाई भाभीजी.’’ उस स्मार्ट से नजर आने वाले युवक ने पूछा. भाभी का संबोधन सुन कर पूजा मुसकराने लगी, ‘‘आप ने तो रिश्ता भी जोड़ लिया जी.’’

“मेरा नाम कृष्ण कुमार मीणा है.’’ उस हैंडसम युवक ने बगैर हिचके कहा, ‘‘मीणा जाति से हूं तो आप के पति का मैं छोटा भाई बन गया और आप का देवर, इस नाते से आप मेरी भाभी लगीं.’’

“बातें बनाने में माहिर लगते हो,’’ पूजा हंसते हुए बोली, ‘‘चलो शरबत पी कर वाशिंग मशीन सैट करवा दो.’’ कृष्ण और उस के साथी ने शरबत पी लिया और पूजा के द्वारा बताई जगह पर वाशिंग मशीन लगा कर उस के प्रयोग का तरीका भी समझा दिया. पूजा ने महसूस किया कि वाशिंग मशीन लगाने के दौरान कृष्ण मीणा उसे चोर नजरों से निहार रहा था.

पूजा के दिल में इस बात से गुदगुदी होने लगी. पहली मुलाकात थी, इसलिए संकोचवश वह ज्यादा नहीं बोली. कृष्ण मीणा ने जाते समय अपना मोबाइल नंबर पूजा के मोबाइल में फीड करवा दिया और यह कह कर पूजा का मोबाइल नंबर ले लिया कि 2 दिन बाद उस से वाशिंग मशीन के विषय में पूछताछ करेगा. यदि मशीन की कोई कंप्लेन हो तो वह बेहिचक उसे फोन कर के बता सकती हैं.

दिल में बस गया कृष्ण कुमार…

कृष्ण मीणा चला गया तो पूजा उसी के विषय में दिन भर सोचती रही. शाम को राकेश लौट कर आया तो पूजा के दिमाग से कृष्ण मीणा का खयाल निकल गया. वह पति की सेवा में लग गई. पूजा कृष्ण मीणा को भूल ही गई थी. 2 दिन बाद कृष्ण मीणा ने उस का नंबर मिला दिया. पूजा ने काल रिसीव की तो कृष्ण मीणा का चहकता स्वर उभरा, ‘‘कैसी हो भाभी, पहचाना या भुला दिया अपने देवर को?’’

पूजा उसे तुरंत पहचान गई थी, वह मुसकरा कर बोली, ‘‘भूली नहीं हूं देवरजी, बताओ कैसे हो?’’

“ठीक नहीं हूं भाभी. जब से तुम्हारे घर से लौटा हूं, कुछ अच्छा नहीं लग रहा है.’’ कृष्ण ने दूसरी तरफ से आह भरते हुए बताया.

“अरे तो किसी अच्छे डाक्टर को दिखलाओ.’’

“जो रोग लग गया है, वह किसी डाक्टर से ठीक होने वाला नहीं है,’’ कृष्ण ने दूसरी ओर ठंडी सांस भरी, ‘‘उस का इलाज तुम्हारे पास है भाभी.’’

कृष्ण की बात का मतलब समझते ही पूजा के दिल की धडक़नें बढ़ गईं. वह खुद को संभालते हुए अनजान बन कर बोली, ‘‘मेरे पास भला तुम्हारी बीमारी का क्या इलाज है?’’

“मुझे नींद नहीं आ रही है भाभी. जब से तुम्हारी मोहिनी सूरत देखी है, रात भर जागता रहता हूं, तुम अपने पहलू में थपकी दे कर सुलाओगी तो नींद आ जाएगी.’’

पूजा का तनमन रोमांच से भर गया. कृष्ण उस पर दिलोजान से फिदा हो गया है, यह सोच कर ही उस के दिल में घंटियां बजने लगीं. उस ने मादक अंगड़ाई ली और इस प्रकार फुसफुसाई जैसे कोई पास में खड़ा हो और उस की बात सुन लेगा, ‘‘कल वह ड्यूटी चले जाएंगे तो आ जाना. कोशिश करूंगी कि तुम्हें मीठी नींद आ जाए.’’ कहने के बाद पूजा ने तुरंत फोन काट दिया. अपनी बात पर वह खुद शरमा गई थी. यानी डिलीवरी बौय कृष्ण कुमार मीणा से उसे प्यार हो गया था.

हो गए अवैध संबंध…

दूसरे दिन राकेश टिफिन ले कर ड्यूटी पर चला गया तो 10 मिनट बाद ही कृष्ण ने आ कर कालबेल बजा दी. पूजा ने समझा राकेश कुछ भूल गया है वही लौटा है. लेकिन दरवाजा खोलने पर कृष्ण नजर आया तो वह चौंक कर बोली, ‘‘क्या राकेश के घर से निकलने की राह ही देख रहे थे.’’

“ऐसा ही समझ लो भाभी,’’ कहने के साथ ही कृष्ण ने पूजा को बाहों मे भर लिया.

“बड़े बेसब्र हो देवरजी, तुम्हें अंगुली भी नहीं पकड़ाई, तुम ने सीधे पोंचा ही पकड़ लिया. दरवाजा तो बंद करने देते.’’ पूजा कसमसा कर बोली तो कृष्ण ने उसे छोड़ दिया. पूजा ने दरवाजा बंद कर दिया और कृष्ण की बांह पकड़ कर उसे बैडरूम में ले आई. कृष्ण ने उसे बांहों मे समेटा तो पूजा ने कृष्ण को पति के बैड पर वह सब सौंप दिया, जिस पर केवल उस के पति का अधिकार था. वह तनमन से कृष्ण की हो गई. अर्थात अवैध संबंध कथा की शुरुआत हो चुकी थी. कृष्ण से अवैध संबंध कायम हुए तो पूजा ने उसी के साथ जीनेमरने की कसमें खा लीं.

होम डिलीवरी में मिला प्यार – भाग 1

राकेश मीणा अपने औफिस में तो आ गया था, लेकिन उस का मन काम में नहीं लग रहा था. सुबह से ही उस के सिर में दर्द था और बदन भी गरम लग रहा था. वह औफिस आना नहीं चाहता था, लेकिन एक जरूरी फाइल मालिक को कंप्लीट कर के देनी थी, इसलिए औफिस आना जरूरी हो गया था. जैसेतैसे राकेश ने फाइल का काम पूरा किया. दोपहर में लंच का टाइम हो गया था, लेकिन उस की इच्छा लंच करने की नहीं हुई. उस ने फाइल मालिक की मेज पर रख कर उन से अपनी तबीयत खराब होने की बात बता आधे दिन की छुट्ïटी ले ली.

स्कूटर से घर की ओर लौटते वक्त उस ने रास्ते में पडऩे वाले एक कैमिस्ट से सिर दर्द की दवा खरीदी और घर पहुंच गया. पत्नी पूजा भरा हुआ टिफिन देख कर नाराज होगी, यह बात राकेश मीणा अच्छी तरह जानता था. पूजा ने आज बड़े प्यार से लंच के लिए बैंगन का भरता और परांठे बना कर दिए थे, तबीयत खराब हो जाने की वजह से वह टिफिन वापस ले आया था.

“ऊंह! पूजा नाराज होगी तो वह उसे मना लेगा.’’ सोचते हुए राकेश ने स्कूटर स्टैंड पर खड़ा किया और दरवाजे की तरफ कदम बढ़ा दिए. दरवाजा अंदर से बंद था. राकेश ने कालबेल बजाई तो काफी देर बाद उस की 24 वर्षीय पत्नी पूजा ने दरवाजा खोला. सामने पति को खड़ा देख कर उस के चेहरे का रंग उड़ गया. वह आश्चर्य से बोली, ‘‘आप, इस समय?’’

पत्नी पर हुआ शक…

राकेश ने गौर से पत्नी की तरफ देखा, पूजा के बाल बिखरे हुए थे. माथे का सिंदूर फैला हुआ था. कपड़े भी अस्तव्यस्त थे. माथे पर छलका पसीना और उखड़ी हुई सांसें बयां कर रही थीं कि बंद दरवाजे के पीछे वह किसी अनैतिक कार्य में लिप्त रही है. राकेश का माथा ठनका. उस ने अपने कदम आगे बढाए ही थे कि पूजा ने खुद को संभालते हुए उस के गले में प्यार से बाहें डाल दीं और उस से सट कर कामुक स्वर में बोली, ‘‘बहुत मौके से आए हैं आप, मैं अभी नींद में आप का ही सपना देख रही थी.’’

“अंदर कौन है पूजा?’’ राकेश ने पत्नी की बाहें गले में से निकालने का प्रयास करते हुए तीखे स्वर में पूछा.

“अंदर कौन होगा जी!’’ पूजा ने चौंकने का नाटक करते हुए हैरानी से कहा, ‘‘आइए देख लीजिए, अंदर तो मैं ही थी.’’

राकेश को खुद से चिपकाए हुए पूजा उसे कमरे में ले आई. राकेश को कमरे में कोई नजर नहीं आया. उस ने पूजा को परे धकेल कर पलंग के नीचे और अलमारी के पीछे अच्छी तरह देखा, वहां भी कोई नहीं था. राकेश की नजर पलंग पर गई. पलंग की चादर बुरी तरह मसली हुई नजर आ रही थी, यह इस बात की ओर इशारा कर रही थी कि पलंग पर 2 जिस्मों ने अपनी अधूरी हसरतें पूरी करने के लिए खूब उछलकूद की है. राकेश पत्नी को जलती आंखों से घूरने लगा.

“आप मुझे इस तरह क्यों घूर रहे हैं?’’ पूजा मासूमियत से बोली, ‘‘आप ने कमरे की छान तो कर ली है.’’

“तुम्हारी हालत, तुम्हारे अस्तव्यस्त कपड़े और पलंग की यह मसली हुई चादर तो यही इशारा कर रही है कि मेरे आने से पहले तुम किसी की बाहों में कैद हो कर अनैतिक खेल खेल रही थी.’’

“छि” पूजा ने मुंह बना कर कहा, ‘‘आप को ऐसी बात कहते हुए जरा भी शरम नहीं आ रही. मैं एक बेटे की मां हूं राकेश… तुम मुझ पर ऐसी तोहमत लगा रहे हो,’’ कह कर पूजा रोने लगी.

आंसुओं से बह गया गुस्सा…

औरत के आंसू पुरुष को कमजोर करने का घातक हथियार होते हैं. पूजा को रोते देख कर राकेश का गुस्सा उड़ गया. वह पूजा के पास आ कर उस के आंसू पोंछते हुए प्यार से बोला, ‘‘मैं तुम्हें रोते हुए नहीं देख सकता पूजा, आंसू पोंछो और मेरे लिए चाय बना कर लाओ, मेरे सिर में भयंकर दर्द हो रहा है.’’

“अच्छा, कैसे?’’ पूजा जल्दी से आंसू पोंछ कर परेशान स्वर में बोली, ‘‘इसीलिए आप घर आ गए हैं. आप लेट जाइए, मैं आप के लिए चाय बना कर लाती हूं.’’ पूजा ने पलंग की चादर ठीक कर के पति राकेश को लिटा दिया और रसोई में चली गई. गैस पर चाय का पानी चढ़ा कर उस ने चोली में से मोबाइल निकाल कर एक नंबर मिला दिया. दूसरी ओर घंटी बजी, तुरंत ही किसी ने काल अटैंड कर ली.

“सब ठीक है न पूजा?’’ दूसरी ओर से पुरुष का सहमा हुआ स्वर उभरा, ‘‘तुम्हारे पति को तुम पर शक तो नहीं हुआ?’’

“आज तो वह मेरी जान ही ले लेता कृष्ण. वह अचानक ही घर आ गया, यदि तुम्हें वह कमरे में पकड़ लेता तो मेरी गरदन दबा देता.’’ पूजा ने अपने प्रेमी कृष्ण को बताया.

“तुम ने बहुत समझदारी से काम लिया पूजा. अपने पति को बाहों में इस तरह जकड़ लिया कि उस की पीठ मेरी तरफ हो गई. तुम्हारा इशारा पा कर मैं उस की पीठ के पीछे से चुपचाप निकल भागा. और लिफ्ट से नीचे उतर गया. आगे मिलन के समय हमें बहुत सावधानी बरतनी पड़ेगी कृष्ण.’’

“ठीक कहती हो पूजा.’’ कृष्ण का गंभीर स्वर उभरा, ‘‘अब हम किसी होटल का कमरा बुक कर के अपनी हसरतें पूरी कर लिया करेंगे.’’

“यही मैं भी सोच रही थी,’’ पूजा ने खुश हो कर कहा, ‘‘फोन काट रही हूं, उसे चाय बना कर देनी है.’’ पूजा ने इतना कह कर फोन काट दिया. चाय उबल गई थी, चाय कप में छान कर राकेश को देने के लिए वह कमरे में आ गई. राकेश आंख बंद किए लेटा था. पूजा के होंठों पर कुटिल मुसकराहट तैर गई. उस ने राकेश को त्रियाचरित्र के जाल में फंसा कर खुद और प्रेमी कृष्ण को साफ बचा लिया था.

डिलीवरी बौय कृष्ण कुमार से लड़े नैना…

राकेश मीणा शिवदासपुर की वसुंधरा कुटुंब सोसायटी के सी-24 नंबर के फ्लैट में चौथे माले पर अपनी पत्नी पूजा उर्फ फूला और 2 वर्षीय बेटे के साथ किराए पर रहता था. पूजा के साथ राकेश की शादी 3 साल पहले गांव झुंझनूं, थाना वौली, जिला सवाई माधोपुर के अपने पैतृक घर से हुई थी.

चूंकि राकेश मीणा शिवदासपुर (जयपुर दक्षिण) की एक कंपनी में अधिकारी के पद पर नियुक्त था, इसलिए शादी के 10 दिन बाद ही वह झुंझनूं से शिवदासपुर लौट आया था. यहां शादी से पहले ही राकेश ने एक सोसायटी में फ्लैट किराए पर ले लिया था. पूजा के साथ उस ने अपनी गृहस्थी की शुरुआत इसी किराए के फ्लैट से की. शादी के एक साल बाद ही पूजा ने बेटे को जन्म दिया, दोनों पतिपत्नी अपने बेटे को बहुत प्यार करते थे. उन की जिंदगी के दिन खुशहाली से बीत रहे थे कि पूजा के कदम बहक गए और इस खुशहाल जिंदगी में स्याह रंग घुलना शुरू हो गया.