बरखास्त सिपाही बना एटीएम बाबा

इस बार होली का त्यौहार खत्म होते ही बिहार में पंचायत चुनाव की गहमागहमी तेज हो चुकी थी. छपरा के रहने वाले सुधीर मिश्रा की 30 वर्षीया पत्नी रेखा मिश्रा पर भी चुनाव लडऩे की सनक सवार थी. वह छपरा में मोहब्बत परसा गांव से मुखिया के लिए चुनाव लडऩे पर अड़ी हुई थी. वह पूरे गांव के लोगों को अपनी तरफ करने के लिए हर तरह की जोरआजमाइश कर रही थी.

उस के समर्थक चाहते थे कि उस की तरफ से गांव के लोगों को ‘भोजभात’ करवाया जाए. रेखा के देवर नीरज और भाई भास्कर ओझा समेत गांव के कुछ लोग भी इस के पक्ष में थे. उन का मानना था कि बहुमत वाली जाति से अधिक जरूरी छोटीछोटी जातियों के समर्थन का था. महादलित के वोट से उन की जीत को कोई नहीं रोक सकता था. इसलिए वह उन के सभी टोले के लोगों के लिए मीटचावल का भोजभात करवाना चाहती थी.

चुनाव जीतने की बनाई प्लानिंग

रेखा ने अपने लोगों के साथ बैठ कर इस के लिए मीटिंग की. सभी ने एकजुट में कहा कि उन्हें एक नहीं 2 भोजभात करवाने होंगे. एक ऊंची जाति के लोगों के लिए और दूसरा सभी अनुसूचित जाति के लोगों के लिए होना चाहिए. महादलित औरतों को साड़ी भी बंटवानी होगी. साड़ी तो सवर्ण जाति की महिलाओं को भी देनी होगी. रेखा चाहती थी कि गांव के पोखर की भी साफसफाई अभी ही करवा दे, ताकि छठ आने तक उस में बारिश का साफ पानी जमा हो सके.

“इन सब पर कितना खर्चा आ जाएगा?” रेखा ने सवाल किया.

“भाभी, खर्चा तो लाखों में आएगा, लेकिन वोट भी तो हजारों में मिलेंगे.” रेखा का देवर नीरज बोला.

“तो फिर भाई को बोलो न,” रेखा ताना मारते हुए बोली.

उसी वक्त सुधीर मिश्रा वहां आ पहुंचा. उस ने भी अपनी नेताइन पत्नी रेखा का व्यंग्य सुना.

उसी के लहजे में वह बोला, “पैसे की बात आती है तब सुधीर मिश्रा. मुझे एटीएम समझ रखा है क्या?”

“अरे हां, तुम हमारे एटीएम नहीं तो और क्या हो? सिर्फ तुम्हारी जेब में हाथ डालनी होती है.” रेखा का यह कहना था कि वहां मौजूद सभी खिलखिला कर हंस पड़े.

“अरे जीजाजी, तभी तो लोग आप को ‘एटीएम बाबा’ कहते हैं,” सुधीर का साला भास्कर बोला.

“एटीएम मेरी जेब में लगा है क्या?” सुधीर व्यंग्य से बोला.

“जेब में नहीं लगा है, लेकिन कहीं और तो लगा है न…” भास्कर बोला.

“क्या मतलब है तुम्हारा?” सुधीर नाराजगी के साथ बोला.

“मैं नहीं जानती, एटीएम कहां लगा है कहां नहीं. मुझे तो भोजभात के खर्च का इंतजाम चाहिए. अब तुम जहां से करवा दो.” रेखा बोली.

“भैया, लखनऊ में तो आप के बहुत जानपहचान वाले हैं, क्यों नहीं उन से बात करते हैं. आप को मदद करने में वे कभी पीछे नहीं हटेंगे.” नीरज बोला.

“कहता तो ठीक है, मेवात वाले से भी बात करता हूं.” अब तक सुधीर गंभीर हो गया था, “अब बीवी ने चुनाव जीतने की सौगंध खा ली है तो मेरा भी तो उस का साथ देने का फर्ज बनता है.”

“फर्ज की बात करते हो, सरकारी ठेका आएगा तो सब से पहले तुम्हीं हाथ पसारे आओगे.” रेखा बोली.

“भाभी, वह तो बाद की बात है. अगर भैया को ठेका मिलेगा तो घी कहां गिरेगा दाल में ही न!” नीरज बोला.

“हां दीदी, हमें मत भूलना.” भास्कर बोला.

“चलो मीटिंग खत्म करो, तुम लोग अभी से ही खयाली पुलाव पकाने लगे. पहले सब मिल कर पैसे का इंतजाम करो, बाकी आगे मैं सब कुछ संभाल लूंगी.” रेखा बोली और मीटिंग से जाने के लिए अपनी कुरसी से उठ कर खड़ी हो गई.

उस के साथ सहयोगी महिला रजिस्टर संभालती हुई बोली, “हमें पंडिताइन के दालान में भी मीटिंग में जाना है. वहां 150 से अधिक महिलाएं पहुंच चुकी हैं. फोन आया था.”

“अरे हां, मैं तो भूल ही गई थी. ठीक है, चलो, चलो जल्दी करो.”

एटीएम काट कर निकाले 40 लाख रुपए

बात 3 अप्रैल, 2023 की है. लखनऊ के सुशांत लोक थाने में सुबह करीब 10 बजे किसी ने फोन कर बताया कि उन के इलाके का एसबीआई एटीएम टूटा पड़ा है. लगता है उसे काट कर पैसे निकाल लिए गए हैं. इस सूचना पर एसएचओ शैलेंद्र गिरि तुरंत अपने कुछ सहयोगियों के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे.

एटीटीएम थाने से 2 किलोमीटर दूर खुरदही बाजार में था. शैलेंद्र गिरि के साथ हैडकांस्टेबल अमरनाथ और 3 सिपाहियों में रामायण भारती, चंद्रप्रकाश सिंह और धर्मेंद्र भी थे. घटनास्थल पर टूटे एटीएम को देख कर अनुमान लगाया गया कि इसे रात में गैस कटर से गया है. उस में से निकाले गए पैसों की जानकारी उस में दर्ज रिकौर्ड से हुई, जो 39.58 लाख थे.

एसएचओ ने वारदात का खाका खींचने के बाद वहां लगे सीसीटीवी कैमरे पर नजर दौड़ाई, जिसे खोल लिया गया था. उस की आसपास खोज की गई. एटीएम बूथ और उस के आसपास काफी छानबीन के बाद कैमरे एक दुकान के चबूतरे के नीचे मिले.

इस घटना की जांच को ले कर थाने में पुलिस अधिकारियों की गहन बैठक हुई. कई कोणों से इस तरह की बढ़ती घटना की तह में जाने के लिए जौइंट कमिश्नर निलाब्ज चौधरी के निर्देश पर 5 टीमें बनाई गईं. उन को सर्विलांस से ले कर अपराधियों की गिरफ्तारी और पैसे की बरामदगी तक की जिम्मेदारी सौंपी गई. एक टीम ने सीसीटीवी कैमरो में मिली लोकेशन का अध्ययन किया. जिस से मालूम हुआ कि लुटेरे नीले रंग की कार से आए थे और घटना को अंजाम देने के बाद वे उसी से वापस चले गए थे.

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सर्विलांस टीम (दक्षिणी) के सदस्यों में एसआई सुमित बालियान, हैडकांस्टेबल मंजीत सिंह, बद्री विशाल तिवारी, सौरभ दीक्षित, सिपाही गिरीश चौधरी और रविंद्र सिंह को एसएचओ ने शहर के चारों दिशाओं में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, आगरा एक्सप्रैसवे, सीतापुर लखनऊ राजमार्ग, सुलतानपुर अयोध्या राजमार्ग, बुंदेलखंड एक्सप्रैसवे के बौर्डर पर लगा दिया. वे टोल प्लाज केंद्रों पर तैनात कर दिए गए थे.

वहां लगे हुए सीसीटीवी कैमरों को खंगाला गया. पूर्वांचल एक्सप्रैसवे पर एक नीले रंग की कार जाती दिख गई. साथ ही टोल प्लाजा पर फास्टटैग चुकाते समय उस की लोकेशन भी मिल गई. टोल प्लाजा से मिला सुराग जांच की कड़ी को जोडऩे के लिए महत्त्वपूर्ण साबित हुआ. उस से गाड़ी का नंबर मिल गया और लुटेरों तक पहुंचने की कुछ उम्मीद जाग गई.

लेकिन इस जांच मेंं जल्द ही निराशा भी हाथ लगी. पूर्वांचल एक्सप्रैसवे पर ही गोसाईगंज, लखनऊ में टोल प्लाजा पर लगे सीसीटीवी में उसी गाड़ी का नंबर दूसरा था. इस का मतलब साफ था कि वारदात करने वालों ने गोसाईगंज टोल प्लाजा पर पहुंचने से पहले गाड़ी की नंबर प्लेट बदल दी थी. किंतु वहां से वह मारुति बलेनो कार पूर्वांचल एक्सप्रैसवे की सीमा से लगे हैदरगंज बाराबंकी की ओर जाती हुई दिखाई दी.

सीसीटीवी कैमरों के सहारे आगे बढ़ी जांच

उस के बाद हैदरगंज बाराबंकी में लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच की गई तो वहां कार का नंबर बदला हुआ पाया गया. उस नंबर से कार बिहार की थी. उस नंबर की जांच में पाया गया कि कार छपरा (बिहार) निवासी वितेश कुमार के नाम दर्ज है. इस छोटे से सुराग के सहारे दक्षिण जोन के डीसीपी विनीत जायसवाल ने जौइंट पुलिस कमिश्नर क्राइम (उत्तर प्रदेश) के निर्देश पर एडिशनल डीसीपी, एसीपी (गोसाईंगंज) सुश्री स्वाति चौधरी तथा डीसीपी (दक्षिणी जोन) के सर्विलांस की 2 अलगअलग टीमों का गठन किया गया.

दोनों टीमें सुशांत गोल्फ सिटी के एसएचओ शैलेंद्र गिरि के नेतृत्व में बनाई गई थीं, जिन्हें बिहार भेज दिया गया. छपरा में यूपी पुलिस की मेहनत रंग लाई. उन्होंने बलेनो कार के मालिक वितेश कुमार को ढूंढ निकाला. उस ने बताया कि 3 अपै्रल, 2023 को सुधीर मिश्रा उस के घर आया था. उसे लोग बुलबुल मिश्रा के नाम से भी जानते हैं, लेकिन एटीएम बाबा के रूप में वह लोकप्रिय है. सुधीर मिश्रा के बारे में तहकीकात से पता चला कि वह बिहार पुलिस का एक बरखास्त सिपाही है.

वितेश ने उत्तर प्रदेश पुलिस को बताया कि 3 अप्रैल को सुधीर उस के पास आ कर बोला कि उस की पत्नी की तबियत काफी बिगड़ गई है, उसे अस्पताल ले जाना है, इसलिए उस की बलेनो कार की जरूरत है. शैलेंद्र गिरि के लिए इस जानकारी में चौंकाने वाली एक बात उस का चर्चित नाम ‘एटीएम बाबा’भी था.

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वह सोच में पड़ गए कि उसे लोग आखिर इस नाम से क्यों पुकारते होंगे? क्या वह एटीएम इस्तेमाल के बारे में जानकारी रखता था? इस के इस्तेमाल के तरीके के बारे में लोगों को गाइड करता था? या फिर उस की सुरक्षा में लगा हुआ था? इन्हीं सवालों में एक और सवाल मन में आया कि कहीं वह किसी एटीएम लुटेरों के गैंग से तो नहीं जुड़ा था?

एसएचओ ने इन सवालों का जवाब पाने के लिए उन्होंने सर्विलांस टीम को सुधीर मिश्रा के बारे में पूरी जानकारी मालूम करने के लिए लगा दिया. इस जांच में पता चला कि सुधीर एटीएम लुटेरों के गैंग में शामिल था, जिस का खास सदस्य विजय पांडेय और देवेश पांडेय हैं. दोनों इंजीनियर हैं और संत कबीरनगर में रहते हैं.

दोनों एटीएम में कैश लोड करने का काम करते थे और एटीएम के एक्सपर्ट थे. दोनों गोमती विहार के सरयू अपार्टमेंट में किराए के फ्लैट में रहते थे. उन्हें पुलिस गिरफ्तार तो नहीं कर पाई, पर इतना जरूर पता चला कि वे सुधीर मिश्रा के छोटे भाई नीरज मिश्रा के संपर्क में थे.

पुलिस को नीरज मिश्रा तक पहुंचने में ज्यादा मुश्किल नहीं हुई. वह छपरा में दबोच लिया गया. उस की गिरफ्तारी होते ही सुधीर मिश्रा समेत पंकज, राज, भीम के अलावा 4 मेवात के लुटेरे भी पकड़ लिए गए. उन से पूछताछ करने पर मालूम हुआ कि एटीएम लूट को उन्होंने ही सुधीर मिश्रा के इशारे पर अंजाम दिया था. इस की साजिश सुधीर मिश्रा ने ही रची थी. जिस एटीएम को निशाना बनाया गया, उस की रेकी देवेश व विजय ने ही करवाई थी.

बड़ी आसानी से काट लिया एटीएम

पूछताछ में वारदात के सरगना सुधीर मिश्रा ने बताया कि एटीएम के भीतर घुसते ही उन्होंने पहले सीसीटीवी पर काली स्याही डाल दी थी. इस से वे कैमरे में कैद नहीं हो पाए थे. बाहर के फुटेज और गाड़ी नंबर के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की थी. घटनास्थल पर 3 मोबाइल नंबर सक्रिय मिले थे. इन की मदद से गिरोह तक पुलिस पहुंच पाई थी.

जांच में पता चला कि सरगना सुधीर मिश्रा व उस के गिरोह के सदस्यों पर दरजनों केस दर्ज हैं. कुछ लोगों पर हत्या व लूट के केस भी हैं. सुधीर पर एटीएम काटने संबंधी 12 केस हैं. वह पहले भी जेल जा चुका है, इसलिए वह एटीएम बाबा के नाम से मशहूर है. वह खुद बिहार में बैठ कर अलगअलग राज्यों में मेवातियों की मदद से वारदात को अंजाम देता रहा है.

एटीएम में चोरी करने की रिपोर्ट हितांक्षी पेमेंट सर्विसेज (सीएमएस) प्राइवेट लिमिटेड के लीगल एडवाइजर एडवोकेट मोहम्मद सलमान ने 3 अप्रैल, 2023 को भादंवि की धारा 457/380 के अंतर्गत दर्ज करवा दी. उन के बारे में पूरी कहानी 8 मई, 2023 को विजय पांडेय उर्फ सर्वेश की गिरफ्तारी के बाद सामने आई. इस में सुधीर की पत्नी रेखा मिश्रा का नाम सामने आया तो वह फरार हो गई थी. पकड़े गए सभी अभियुक्तों से 14 लाख 63 हजार रुपए रकम बरामद हुई.

गिरफ्तार किए गए सभी 11 आरोपियों की अपनीअपनी क्राइम हिस्ट्री थी, जिन का सरगना बरखास्त सिपाही सुधीर मिश्रा ही था. लखनऊ के नए स्थापित थाना गोल्फ सिटी से करीब 25 किलोमीटर दूर सुलतानपुर रोड पर खरदही बाजार है. यह शहर के बाहरी इलाके में है. यहां अंसल ग्रुप द्वारा सुशांत गोल्फ सिटी कई दूसरी नई कालोनियां विकसित की गई हैं. यहीं पराग दूध डेरी (फैक्ट्री), पुलिस विभाग का डीजीपी कार्यालय और पुलिस विभाग का हेल्पलाइन मुख्यालय भी बनाए गए हैं.

दूसरी तरफ सुधीर मिश्रा की पत्नी रेखा मिश्रा एक समाजसेवी महिला होने के कारण लोकल राजनीति में सक्रिय थी. उसे नेतागिरी का जबरदस्त चस्का लगा हुआ था. उसे पति सुधीर मिश्रा समेत परिवार के दूसरे सदस्यों की शह मिली थी. सभी उस की महत्त्वाकांक्षा को हवा देने में उस से चार कदम आगे रहते थे. वे उस की बदौलत भविष्य में सरकारी ठेका हासिल करने का मंसूबा रखते थे.

रेखा देख रही थी विधायक बनने का सपना

आजादखयालों वाली रेखा का सपना एक दिन विधायक बनने का भी था. वह बीते 2 सालों से 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव के लिए जमीन तैयार करने में जुटी हुई थी. गांव के हर सामाजिक आयोजनों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती थी. किसी के घर में शादीब्याह होने पर उपहार के साथ वरवधू को आशीर्वाद देने पहुंच जाती थी. किसी का निधन होने पर बगैर बुलाए वहां जा कर उस के दुख में शामिल हो जाती थी. अपनी महत्त्वाकांक्षाओं की संतुष्टि के लिए ही उस ने पति सुधीर मिश्रा से चुनाव लडऩे की पेशकश की थी.

कहने को तो सुधीर मिश्रा बिहार पुलिस में सिपाही था, लेकिन उस के संबंध अपराधी तत्त्वों से भी बने हुए थे. उन की संगति में ही वह कई वैसे गिरोहों के संपर्क में था, जो चोरी और एटीएम लूट आदि का काम करते थे. इस की न केवल पुलिस के बड़े अधिकारियों को भनक लगी, बल्कि एक एटीएम लूट में उस का नाम भी आ गया तो उसे बरखास्त कर दिया गया.

वह पंचायत चुनाव लडऩे के लिए पत्नी के दबाव में धन जुटाने की तैयारी में लग गया था. सब से पहले उस ने अपने भाई नीरज मिश्रा को साथ ले कर योजना बनाई. उस ने ही कुछ अन्य साथियों के साथ विजय पांडेय से संपर्क किया. वह हितांक्षी पेमेंट सर्विस (सीएमएस) प्राइवेट लिमिटेड द्वारा एटीएम को सप्लाई करने वाली नकद करेंसी का काम करता था.

हालांकि वह अपनी संदिग्ध गतिविधियों के चलते कंपनी से निष्कासित हो चुका था. नीरज के कहने पर वह उस के गैंग में शामिल हो गया था. उस के साथ राज तिवारी, पंकज कुमार पांडेय, कुमार भास्कर ओझा और सुधीर मिश्रा भी थे. सुधीर मिश्रा पहले भी कुछ आपराधिक गतिविधियों के चलते जेल जा चुका था, जहां राजस्थान के मेवाती गैंग के संपर्क में आ गया था और अपने भाई नीरज के साथ मिल कर नया गैंग बना लिया था.

नीरज मिश्रा ने लखनऊ के खुरदही बाजार में एटीएम की पलसर बाइक से रेकी कर मालूम कर लिया कि 3 अप्रैल की रात ही उस में 39 लाख रुपए की रकम डाली गई है. उस ने तुरंत अपने साथी गैंग के सभी सदस्यों को अलर्ट कर उन्हें एटीएम के पास बुला लिया. राज तिवारी, पंकज कुमार पांडेय, कुमार भास्कर ओझा गैस कटर ले कर आ गए. उन्होंने फटाफट एटीएम काटी और रकम निकाल कर नीले रंग की बलेनो कार से रात के डेढ़ बजे लखनऊ आ गए.

बाद में पुलिस ने बरखास्त सिपाही सुधीर मिश्रा की पत्नी रेखा मिश्रा को भी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में लुटेरों ने बताया कि पहले वे बगैर सिक्योरिटी गार्ड वाले एटीएम को टारगेट बनाया करते थे. गार्ड नहीं होने की वजह से उस का शटर गिरा कर टेक्निकल सदस्य बन कर काम करते थे. इस दौरान सुधीर खुद बाहर रखवाली किया करता था. वे बाहर से सीसीटीवी कैमरों पर ब्लैक पेंट कर दिया करते थे.

आरोपियों से पूछतछ के बाद उन की निशानदेही पर 14.63 लाख रुपए नकद के अलावा, 2 फरजी नंबर प्लेट, मारुति बलेनो कार, पलसर बाइक, 6 आरी, गैस पाइप, सिलेंडर, रेग्युलेटर, पेचकस, प्लास आदि सामान बरामद हुआ.

सभी आरोपियों से पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया.