Crime Stories : 20 साल में एक-एक कर 5 कत्ल करने वाला कातिल

Crime Stories : उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के मुरादनगर से सटा गांव है बसंतपुर सैंथली. यहां भी तेजी से शहरीकरण के चलते जमीनों के दाम आसमान छूने लगे हैं. बिल्डर आते हैं, किसानों को लुभाते हैं और उस भाव में खेतीकिसानी की जमीनों के सौदे करते हैं, जिस की उम्मीद किसानों ने कभी सपने में भी नहीं की होती. एक बीघा के 50 लाख से ले कर एक करोड़ रुपए सुन कर किसानों का मुंह खुला का खुला रह जाता है कि इतना तो वे सौ साल खेती कर के भी नहीं कमा पाएंगे. और वैसे भी आजकल खेतीकिसानी खासतौर से छोटी जोत के किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित होने लगी है.

लिहाजा वे एकमुश्त मिलने वाले मुंहमांगे दाम का लालच छोड़ नहीं पाते और जमीन बेच कर पास के किसी कसबे में बस जाते हैं. इसी गांव का एक ऐसा ही किसान है 48 वर्षीय लीलू त्यागी, जिस के हिस्से में पुश्तैनी 15 बीघा जमीन में से 5 बीघा जमीन आई थी. बाकी 10 बीघा 2 बड़े भाइयों सुधीर त्यागी और ब्रजेश त्यागी के हिस्से में चली गई थी. जमीन बंटबारे के बाद तीनों भाई अपनीअपनी घरगृहस्थी देखने लगे और जैसे भी हो खींचतान कर अपने घर चलाते बच्चों की परवरिश करने लगे. बंटवारे के समय लीलू की शादी नहीं हुई थी, लिहाजा उस पर घरगृहस्थी के खर्चों का भार कम था.

गांव के संयुक्त परिवारों में जैसा कि आमतौर पर होता है, दुनियादारी और रिश्तेदारी निभाने की जिम्मेदारी बड़ों पर होती है, इसलिए भी लीलू बेफिक्र रहता था और मनमरजी से जिंदगी जीता था. साल 2001 का वह दिन त्यागी परिवार पर कहर बन कर टूटा, जब सुधीर अचानक लापता हो गए. उन्हें बहुत ढूंढा गया पर पता नहीं चला कि उन्हें जमीन निगल गई या आसमान खा गया. कुछ दिनों की खोजबीन के बाद त्यागी परिवार ने तय किया कि उन की गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज करा दी जाए. लेकिन इस पर लीलू बड़ेबूढ़ों के से अंदाज में बोला, ‘‘इस से क्या होगा. उलटे हम एक नई झंझट में और फंस जाएंगे.

पुलिस तरहतरह के सवाल कर हमें परेशान करेगी. हजार तरह की बातें समाज और रिश्तेदारी में होंगी. उस से तो अच्छा है कि उन का इंतजार किया जाए. हालांकि वह किसी बात को ले कर गुस्से में थे और मुझ से यह कह कर गए थे कि अब कभी नहीं आऊंगा.’’

परिवार वालों को लीलू की सलाह में दम लगा. वैसे भी अगर सुधीर के साथ कोई अनहोनी या हादसा हुआ होता तो उन की लाश या खबर मिल जानी चाहिए थी और वाकई पुलिस क्या कर लेती. वह कोई दूध पीते बच्चे तो थे नहीं, जो घर का रास्ता भूल जाएं.  यह सोच कर सभी ने मामला भगवान भरोसे छोड़ दिया.  उन्हें चिंता थी तो बस उन की पत्नी अनीता और 2 नन्हीं बेटियों पायल और पारुल की, जिन के सामने पहाड़ सी जिंदगी पड़ी थी. यह परेशानी भी वक्त रहते दूर हो गई, जब गांव में यह चर्चा शुरू हुई कि अब सुधीर के आने की तो कोई उम्मीद रही नहीं, अनीता कब तक उस की राह ताकती रहेगी. इसलिए अगर लीलू उस से शादी कर ले तो उन्हें सहारा और बेटियों को पिता मिल जाएगा. घर की खेती भी घर में रहेगी.

गांव और रिश्ते के बड़ेबूढ़ों का सोचना ऐसे मामले में बहुत व्यावहारिक यह रहता है कि जवान औरत कब तक बिना मर्द के रहेगी. आज नहीं तो कल उस का बहकना तय है इसलिए बेहतर है कि अगर देवरभाभी दोनों राजी हों तो उन की शादी कर दी जाए. बात निकली तो जल्द उस पर अमल भी हो गया. एक सादे समारोह में लीलू और अनीता की शादी हो गई जो कोई नई बात भी नहीं थी. क्योंकि गांवों में ऐसी शादियां होना आम बात है, जहां देवर ने विधवा भाभी से शादी की हो. इतिहास भी ऐसी शादियों से भरा पड़ा है. देखते ही देखते अपने देवर की पत्नी बन अनीता विधवा से फिर सुहागन हो गई और वाकई में पारुल और पायल को चाचा के रूप में पिता मिल गया.

इस के बाद तो बड़े भाई सुधीर की जमीन भी लीलू की हो गई. जल्द ही लीलू और अनीता के यहां बेटा पैदा हुआ, जिस का नाम विभोर रखा गया. घर में सब उसे प्यार से शैंकी कहते थे. कभीकभार जरूर गांव के कुछ लोगों में यह चर्चा हो जाती थी कि चलो जो हुआ सो अच्छा  हुआ, लेकिन कभी सुधीर अगर वापस आ गया तो क्या होगा. मुमकिन है जी उचट जाने से वह साधुसंन्यासियों की टोली में शामिल हो गया हो और वहां से भी जी उचटने के कारण कभी घर आ जाए. फिर अनीता किस की पत्नी कहलाएगी? सवाल दिलचस्प था, जिस का मुकम्मल जबाब किसी के पास नहीं था. पर एक शख्स था जो बेहतर जानता था कि सुधीर अब कभी वापस नहीं आएगा. वह शख्स था लीलू.

5 साल गुजर गए. अब सब कुछ सामान्य हो गया था, लेकिन कुछ दिनों बाद ही साल 2006 में पारुल की मृत्यु हो गई. घर और गांव वाले कुछ सोचसमझ पाते, इस के पहले ही लीलू ने कहा कि उसे किसी जहरीले कीड़े ने काट लिया था और आननफानन में उस का अंतिम संस्कार भी कर दिया. गांवों में ऐसे यानी सांप वगैरह के काटे जाने के हादसे भी आम होते हैं, इसलिए कोई यह नहीं सोच पाया कि यह कोई सामान्य मौत नहीं, बल्कि सोचसमझ कर की गई हत्या है. और आगे भी त्यागी परिवार में ऐसी हत्याएं होती रहेंगी, जो सामान्य या हादसे में हुई मौत लगेंगी और हैरानी की बात यह भी रहेगी किसी भी मामले में न तो लाश मिलेगी और न ही किसी थाने में रिपोर्ट दर्ज होगी.

इस के 3 साल बाद ही पायल भी रहस्यमय ढंग से गायब हो गई तो मानने वाले इसे होनी मानते रहे. लेकिन अनीता अपनी दोनों बेटियों की मौत का सदमा झेल नहीं पाई और बीमार रहने लगी, जिस का इलाज भी लीलू ने कराया. अब सुधीर की जमीन का कोई वारिस नहीं बचा था, सिवाय अनीता के जो अब हर तरह से लीलू और बड़े होते शैंकी की मोहताज रहने लगी थी. लीलू की तो जान ही अपने बेटे में बसती थी और वह उसे चाहता भी बहुत था. लेकिन यह नहीं देख पा रहा था कि उस के लाड़प्यार के चलते शैंकी गलत राह पर निकल पड़ा है. और देख भी कैसे पाता क्योंकि वह खुद ही एक ऐसे रास्ते पर चल रहा था, जिसे कलयुग का महाभारत कहा जा सकता है और वह उस का धृतराष्ट्र है, जो पुत्र मोह में अंधा हो गया था.

इसी अंधेपन का नतीजा था कि बीती 9  जुलाई को लीलू गाजियाबाद के सिहानी गेट थाने में पुलिस वालों के सामने खड़ा गिड़गिड़ा रहा था कि शैंकी मेरा इकलौता बेटा है, आप जितने चाहो पैसे ले लो लेकिन उसे छोड़ दो. बेटा छूट जाए, इस के लिए वह 10 लाख रुपए देने को तैयार था. लेकिन जुर्म की दुनिया में दाखिल हो चुके बिगड़ैल शैंकी ने जुर्म भी मामूली नहीं किया था, लिहाजा उस का यू छूटना तो नामुमकिन बात थी. दरअसल, शैंकी ने केन्या की एक लड़की, जिस का नाम रोजमेरी वाजनीरू है, से 7 जुलाई को 12 हजार रुपए नकद और एक मोबाइल फोन लूटा था. रोजमेरी से उस का संपर्क सोशल मीडिया के जरिए हुआ था.

जब वह दिल्ली आई तो शैंकी बहाने से उसे अपनी कार में बैठा कर गाजियाबाद ले गया और हथियार दिखा कर लूट की इस वारदात को अंजाम दिया. दूसरे दिन सुबह रोजमेरी ने सिहानी गेट थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई तो शैंकी पकड़ा गया. वारदात में उस का साथ देने वाला शुभम भी गिरफ्तार किया गया था. वह भी मुरादनगर का रहने वाला है. दोनों से वारदात में इस्तेमाल किए गए हथियार, 11 हजार रुपए नकद और वह कार भी बरामद की गई थी, जिस में बैठा कर रोजमेरी से लूट की गई थी. कुछ दिनों बाद दोनों को अदालत से जमानत मिल गई थी. लेकिन अब खुद जेल में बंद लीलू को जमानत मिल पाएगी, इस में शक है. क्योंकि उस के गुनाहों के आगे तो बेटे का गुनाह कुछ भी नहीं.

बीती 24 सितंबर को लीलू को गाजियाबाद पुलिस ने अपने भतीजे रेशू की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया तो सख्ती से पूछताछ में उस ने खुलासा किया कि उस ने कोई एकदो नहीं बल्कि 20 साल में एकएक कर 5 हत्याएं की हैं. और ये पांचों ही उस के खून के रिश्तेदार हैं. यह सुन कर पुलिस वालों के मुंह तो खुले के खुले रह गए, साथ ही जिस ने भी सुना उस के भी होश उड़ गए कि कैसा कलयुग आ गया है, जिस में जमीन के लालच में एक सगे भाई ने दूसरे सगे बड़े भाई और 2 भतीजियों जो अनीता से शादी के बाद उस की बेटियां हो गई थीं, सहित 2 सगे भतीजों को भी इतनी साजिशाना और शातिराना तरीके से मारा कि किसी को उस पर शक भी नहीं हुआ.

रेशू की हत्या के आरोप में वह कैसे पकड़ा गया, इस से पहले यह जान लेना जरूरी है कि इस के पहले की 4 हत्याएं उस ने कैसे की थीं. इन में से 2 का जिक्र ऊपर किया जा चुका है. अपने बड़े भाई सुधीर की हत्या लीलू ने एक लाख की सुपारी दे कर मेरठ में करवाई थी और लाश को नदी में बहा दिया था. इसलिए अनीता से शादी करने के बाद वह बेफिक्र था कि सुधीर आएगा कहां से, उसे तो मौत की नींद में वह सुला चुका है  यह कातिल कितना खुराफाती है, इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह 20 साल पहले ही अपने गुनाहों की स्क्रिप्ट लिख चुका था और हरेक कत्ल के बाद किसी को शक न होने पर उस के हौसले बढ़ते जा रहे थे.

जब शैंकी पैदा हुआ तो उसे लगा कि सुधीर की जमीन उस की बेटियों के नाम हो जाएगी, लिहाजा पहले उस ने पारुल को खाने में जहर दे कर मारा और फिर पायल की भी हत्या कर उस की लाश को नदी में बहा दिया. इस दौरान जमीनजायदाद का धंधा करने के लिए उस ने अपने हिस्से की जमीन बेच दी और मुरादनगर थाने के सामने एक आलीशान मकान भी बनवा लिया. जब इस निकम्मे और लालची से दलाली का धंधा नहीं चला तो उस की नजर दूसरे भाई ब्रजेश की जमीन पर जा टिकी. उसे लगा कि अगर ब्रजेश और उस के बेटों व पत्नी को भी इसी तरह ठिकाने लगा दिया जाए तो उस की ढाई करोड़ की जमीन भी उस की हो जाएगी.

नेकी तो नहीं बल्कि बदी और पूछपूछ की तर्ज पर उस ने साल 2013 में  ब्रजेश के छोटे बेटे 16 वर्षीय नीशू की भी हत्या कर लाश नदी में बहा दी और अपनी गोलमोल बातों से पुलिस में रिपोर्ट लिखाने से ब्रजेश को रोक लिया था. यह उस के द्वारा की गई चौथी हत्या थी. अब तक उसे समझ आ गया था कि और साल, 2 साल या 4 साल लगेंगे, लेकिन जमीन तो उस की हो ही जाएगी. असल में वह चाहता था कि पूरे कुटुंब की जमीन उस के बेटे शैंकी को मिल जाए, जिस से उसे जिंदगी में मेहनत ही न करनी पड़े जैसे कि उसे नहीं करनी पड़ी थी. जाहिर है रेशू की हत्या के बाद वह ब्रजेश और उन की पत्नी को भी ऊपर पहुंचा देने का मन बना चुका था.

ब्रजेश का बेटा 24 वर्षीय रेशू बीती 8 अगस्त को गायब हो गया था. यह उन के लिए एक और सदमे वाली बात थी. क्योंकि नीशू को गुजरे 8 साल बीत गए थे, अब रेशू ही उन का आखिरी सहारा बचा था जिस की सलामती के लिए वे दिनरात दुआएं मांगा करते थे. लेकिन यह अंदाजा दूसरों की तरह उन्हें भी नहीं था कि परिवार को डसने वाला सांप आस्तीन में ही है. लीलू ने इस बाबत और लोगों को भी अपनी साजिश में शामिल कर लिया था. उस ने योजना के मुताबिक रेशू को फोन कर गांव के बाहर मिलने बुलाया और घूमने चलने के बहाने कार में बैठा लिया. इस आई ट्वेंटी कार में इन दोनों के अलावा विक्रांत, सुरेंद्र त्यागी, राहुल और लीलू का भांजा मुकेश भी मौजूद थे.

चलती कार में ही इन लोगों ने रेशू की हत्या रस्सी और लोहे की जंजीर से गला घोंट कर दी और उसे सीट पर जिंदा लोगों की तरह बिठा कर बुलंदशहर की तरफ चल पड़े. कहीं किसी को शक न हो जाए, इसलिए कुछ दूर जंगल में इन्होंने रेशू की लाश को कार की डिक्की में डाल दिया. असल काम हो चुका था, बस लाश और ठिकाने लगाना बाकी था. इस के लिए मूड बनाने इन लोगों ने बुलंदशहर में विक्रांत के ट्यूबवैल पर जोरदार पार्टी की. जब रात गहराने लगी तो इन वहशियों ने रेशू की लाश को एक बोरे में ठूंसा और पहासू इलाके में ले जा कर गंगनहर में बहा दिया. इस के बाद सभी अपनेअपने रास्ते हो लिए. आरोपियों में से सुरेंद्र त्यागी हापुड़ का रहने वाला है और पुलिस में दरोगा पद से रिटायर हुआ है जबकि राहुल उस का नौकर था.

लीलू ने सुरेंद्र को रेशू की हत्या की सुपारी दी थी, जिस ने बुलंदशहर के आदतन अपराधी विक्रांत को भी इस वारदात में शामिल कर लिया था.  इन दोनों का याराना विक्रांत के एक जुर्म में जेल में बंद रहने के दौरान हुआ था. लीलू ने हत्या के एवज में 4 लाख रुपए नकद दिए थे और बाकी बाद में एक बीघा जमीन बेचने के बाद देने का वादा किया था. रेशू के लापता होने के बाद ब्रजेश ने बेटे को काफी खोजा और फिर थकहार कर 15 अगस्त को मुरादनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी. हालांकि लीलू ने इस बार भी उन्हें यह कह कर रोकने की कोशिश की थी कि पुलिस में रिपोर्ट लिखाने से क्या फायदा होगा. लेकिन फायदा हुआ. 24 सितंबर को वह पकड़ा गया और अपने साथियों सहित जेल में है. लीलू इत्तफाकन पकड़ा गया, नहीं तो पुलिस भी हार मान चुकी थी कि अब रेशू नहीं मिलने वाला.

पुलिस के पास रेशू को ढूंढने का कोई सूत्र नहीं था, सिवाय इस के कि उस के और लीलू के फोन की लोकेशन एक ही जगह की मिल रही थी, जो उसे हत्यारा मानने के लिए पर्याप्त नहीं था. लेकिन इनवैस्टीगेशन के दौरान एक औडियो रिकौर्डिंग पुलिस के हत्थे लग गई, जिस में लीलू रेशू की हत्या का प्लान बाकी चारों में से किसी को बता और समझा रहा था. फिर उस ने 5 हत्याओं की बात कुबूली. हत्याओं में 2-3 साल का गैप वह इसीलिए रखता था कि हल्ला न मचे और लोग पिछली हत्या का दुख भूल जाएं. पुलिस हिरासत में लीलू कभी यह कहता रहा कि उसे उन हत्याओं का कोई मलाल नहीं. तो कभी यह कहता रहा कि सजा भुगतने के बाद वह भाईभाभी की सेवा कर प्रायश्चित करना चाहता है.

हैरानी की बात सिर्फ यह है कि 5 हत्याओं का यह गुनहगार लीलू जेल से छूट जाने की उम्मीद पाले बैठा है. वह शायद इसलिए कि 5 में से एक भी लाश बरामद नहीं कर सकी. लेकिन अब लोगों की मांग है कि ऐसे आस्तीन के सांप का जिंदा रहना ठीक नहीं है, लिहाजा उसे फांसी की सजा मिलनी चहिए. यदि ऐसा नहीं हुआ तो यह जरूर एक बड़ी कानूनी खामी साबित होगी. Crime Stories

 

देवरानी-जेठानी की शातिर चाल

देवरानी-जेठानी की शातिर चाल – भाग 3

हत्या के लिए दी 2 लाख की सुपारी…

इरफान को एक दिन संगीता घर ले आई. उस ने ससुर कमलेश्वर और पति को बताया कि इरफान पहुंचा हुआ तांत्रिक है. वह सुजीत और अजीत की शराब छुड़वा देगा. शुरू में कमलेश्वर ने इरफान पर विश्वास किया. जब बारबार इरफान तंत्र क्रियाएं करने के बहाने उन के घर आने लगा तो कमलेश्वर और अजीत को बुरा लगने लगा. लेकिन वह इरफान को घर आने से नहीं रोक पाए.

सुजीत की हत्या से 20 दिन पहले भी संगीता ने इरफान को अपने घर बुलाया था. इरफान ने सुजीत की फोटो रख कर तांत्रिक क्रियाएं कीं. अजीत घर में था, उसे संगीता ने बुलाया लेकिन वह तांत्रिक अनुष्ठान में नहीं आया. इरफान ने सुजीत की पैंट सामने रख कर उस पर कुछ फेंका तो वह जलने लगी. इरफान ने विमला को विश्वास दिलाया कि आज के बाद सुजीत शराब को हाथ नहीं लगाएगा.

लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सुजीत पहले की तरह शराब पी कर आता और बातबात पर विमला की पिटाई कर देता. इस से विमला पूरी तरह सुजीत की दुश्मन बन गई. उस ने जेठानी संगीता से कहा कि शराबी पति सुजीत की हत्या कराकर उसे छुटकारा दिलवा दे. वह इस के लिए लाख-2 लाख खर्च कर देगी.

संगीता ने इरफान को सुजीत की हत्या करने के लिए उकसाया तो उस ने 2 लाख रुपए की सुपारी मांगी. संगीता ने स्वीकार कर लिया. वह सुपारी देकर हत्या कराने को तैयार हो गई. विमला ने इरफान को पेशगी के 23 हजार रुपए दे दिए. तीनों ने एक दिन सिर जोड़ कर प्लान बनाया कि सुजीत को कैसे खत्म करना है.

सुजीत का एक दोस्त था नींबू. संगीता ने इरफान को नींबू से दोस्ती कर के सुजीत तक पहुंचने का रास्ता सुझाया. विमला ने अपने पति सुजीत का मोबाइल नंबर इरफान को दे दिया. इरफान ने नींबू से दोस्ती करने के लिए उस के पास आनाजाना शुरू कर दिया. वह नींबू के लिए शराब ले जाता था. धीरेधीरे नींबू ने इरफान की दोस्ती कुबूल कर ली.

22 जनवरी को इरफान ने नींबू से सुजीत को फोन करवाया कि उस का दोस्त आज शराब की दावत दे रहा है. उसे लेने वह घर आ रहा है. सुजीत शराब की दावत होने की बात से खुश हो गया. वह नींबू का इंतजार करने लगा. प्लान के अनुसार इरफान अपने एक साथी रामरतन के साथ उस के पास आ गया. उस ने बताया कि नींबू ने उसे लेने के लिए भेजा है.

“नींबू कहां पर है?’’ सुजीत ने पूछा.

“उसे बोतल खरीदने के लिए ठेके पर भेजा है. चलो, वह हमें ठेके पर मिल जाएगा.’’ रामरतन ने कहा. सुजीत फंस गया जाल में वह इको कार ले कर आए थे. सुजीत उस कार में बैठ गया. कार में पहले से ही पुष्पेंद्र, वतन सिंह और आरिफ बैठे हुए थे. इरफान के इशारे पर कार को वारहपत्थर के एक ढाबे पर ले गए. वहीं पर शराब का ठेका था. नींबू को देखने के बहाने से पुष्पेंद्र का साढ़ू रामरतन ठेके पर गया और 3 बोतल शराब खरीद लाया. उस ने एक बोतल में नशे की 15 गोलियां डाल दीं. ये गोलियां पुष्पेंद्र दातागंज के एक कैमिस्ट से पहले ही खरीद कर ले आया था और रामरतन को दे दी थी.

ढाबे पर आ कर बोतलें खोली गईं. ढाबे से चिकन खरीदा गया. उन्होंने पार्टी शुरू की. रामरतन ने सुजीत को उसी बोतल की शराब पिलाई, जिस में नशे की गोलियां मिलाई गई थीं. जब शराब पी कर सुजीत बेहोश हो गया तो वे लोग उसे कार में बिठा कर फरीदपुर की ओर ले गए. कार में ही बेसुध पड़े सुजीत की गला घोट कर हत्या कर दी गई.रात गहराने लगी थी. उन लोगों ने पचौली फाटक के पास रेलवे लाइन पर सुजीत की लाश को डाल दिया और अपनेअपने घर चले गए.

सुजीत की हाथ कटी लाश 23 जनवरी को थाना जलालाबाद की पुलिस ने बरामद की थी. थाना जलालाबाद में संगीता और विमला ने सुजीत की हत्या इरफान द्वारा करने की बात कुबूल कर ली थी. देवरानी जेठानी से पूछताछ करने के बाद थाने की पुलिस टीम ने हत्यारों की धरपकड़ के लिए उन के घरों पर दबिश दी तो इरफान, रामरतन, वतन सिंह उर्फ विनीत, पुष्पेंद्र उर्फ राहुल, संगीता, विमला को गिरफ्तार कर लिया. सभी पकड़ में आ गए. आरिफ इरफान का भाई है.

संगीता और विमला से मिलने वाले 2 लाख रुपए का लालच दे कर पुष्पेंद्र, वतन सिंह, आरिफ और रामरतन को इरफान ने सुजीत हत्याकांड में शामिल किया था. अब आरिफ को छोड़ कर सभी जेल में पहुंच गए थे. आरिफ की तलाश में पुलिस टीम छापेमारी कर रही थी. कथा लिखी जाने तक वह पकड़ में नहीं आया था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

देवरानी-जेठानी की शातिर चाल – भाग 2

एसएचओ सोलंकी ने उन के कंधे पर सहानुभूति से हाथ रख कर कहा, ‘‘हिम्मत रखिए, आप की दी गई जानकारी से ही हम हत्यारे तक पहुंच कर उसे फांसी के फंदे तक पहुंचा सकते हैं. आप इरफान पर शक जाहिर कर रहे हैं, मुझे उस का पता ठिकाना बताइए.’’

“मैं नहीं जानता साहब, जानता तो अभी तक उसे पकड़ कर सुजीत को लापता करने की वजह पूछ लेता. बड़ी बहू और छोटी बहू ने भी चुप्पी साध रखी है. वही इरफान तक आप को पहुंचा सकती हैं.’’

“ठीक है, मैं संगीता और विमला को थाने बुलवा लेता हूं. देखता हूं कितनी देर तक चुप्पी साध कर रह सकती हैं.’’ एसएचओ सोलंकी ने गंभीरता से कहा और कांस्टेबल सोनवीर, अंकित, अशोक और महिला कांस्टेबल ममता को एसआई चमन सिंह के साथ संगीता और विमला को थाने लाने के लिए भेज दिया. कमलेश्वर सिंह ने उन्हें अपने घर का पता बता दिया था. प्रवीण सोलंकी ने कमलेश्वर सिंह को अपने पास ही रोक लिया था. वह इरफान की उन के घर में घुसपैठ और बहुओं से उस की पहचान के पीछे की कहानी जान लेना चाहते थे.

एक घंटे में ही एसआई चमन सिंह के साथ गई पुलिस टीम कमलेश्वर सिंह की बहुओं संगीता और विमला को थाने ले कर आ गई. वे दोनों काफी डरी हुई लग रही थीं. अपने ससुर को थाने में बैठा देख कर वे दोनों समझ गईं कि ससुर ने उन के विषय में बहुत कुछ बता दिया है. एसएचओ सोलंकी ने दोनों को जलती आंखों से घूर कर देखते हुए कडक़ स्वर में पूछा, ‘‘मुझे मालूम हो गया है कि तुम ने इरफान के साथ साजिश रच कर सुजीत की हत्या करवा दी है.’’

संगीता ने थूक निगला, ‘‘यह झूठ है साहब, जरूर आप को हमारे ससुर ने हमारे खिलाफ उलटा सीधा भडक़ा दिया है.’’

“तुम्हारे ससुर ने अपना बेटा खोया है, तुम दोनों ने क्या खोया? सुजीत 3 दिन से घर नहीं लौटा, तुम दोनों को चिंता नहीं हुई?’’

“चिंता तो बहुत हुई है साहब, लेकिन मैं औरत जात हूं, अपने देवर को कहां जा कर ढूंढती.’’

“क्यों इरफान ने तुम्हें नहीं बताया कि उस ने तुम्हारे देवर सुजीत को पचोली गांव में ले जा कर मार डाला है. इरफान ने तो यह कुबूल कर लिया है कि तुम्हारे कहने पर ही उस ने हत्या की है.’’ थानाप्रभारी सोलंकी ने अंधेरे में तीर चलाया. संगीता के चेहरे का रंग उड़ गया. वह बौखला कर बोली, ‘‘मुझे तो विमला ने सुजीत को रास्ते से हटाने को कहा था साहब. इसी ने ऐसा करने के लिए इरफान को 2 लाख रुपए देना कुबूल किया था.’’

विमला को काटो तो खून नहीं. उस का चेहरा सफेद पड़ गया. वह जेठानी को फाड़ खाने वाली नजरों से देख कर चीख पड़ी, ‘‘तू खुद भी तो चाहती थी कि मेरा पति सुजीत मर जाए. तू अपने पति अजीत को भी इरफान के हाथों खत्म करवाने की फिराक में है, ताकि ससुर की जमीनजायदाद पर ऐश कर सके.’’

“मैं अकेली ऐश करूंगी, तू क्या नहीं करेगी?’’ संगीता भी चीख कर तैश में बोली, ‘‘सुजीत की जगह मैं तुझे मरवा देती तो क्लेश ही खत्म हो जाता.’’

जलालाबाद के सुजीत हत्याकांड का खुलासा अब हो चुका था. एसएचओ सोलंकी और अन्य पुलिस वाले दोनों देवरानीजेठानी द्वारा ही गुनाह कुबूल कर लेने पर मुसकरा रहे थे. उन दोनों को चुप करने के लिए लौकअप में अलगअलग बंद करवा दिया. कमलेश्वर लज्जित सिर झुकाए बैठे थे. दोनों बहुओं ने आज उन के घर की इज्जत को नीलाम कर दिया था. वह सिर उठा कर किसी से बात करने के काबिल नहीं रह गए थे.

लखनऊ जिले के गौसनगर गांव में निवास करता था ठाकुर कमलेश्वर सिंह. उस के पास पुश्तैनी जमीन तो थी ही, वह मैरिज लान का संचालन भी करता था. कमलेश्वर के परिवार में पत्नी के अलावा 3 बेटे अजीत, सुजीत और सुधीर थे. अजीत और सुजीत जवान हो कर पुश्तैनी काम में लग गए तो कमलेश्वर ने रूपापुर (जलालाबाद) के ठाकुर हरपाल सिंह की बेटी संगीता को अजीत के लिए और शाहजहांपुर के गांव लस्करपुर के ठाकुर चंद्रभाल की बेटी विमला को सुजीत के लिए पसंद कर लिया.

संगीता और तांत्रिक के अवैध संबंध ने बिगाड़ा खेल…

वह दोनों बेटों की शादी धूमधाम से कर के लाए तो उन की साख गांव गौसनगर में और ज्यादा बढ़ गई. वह सिर उठा कर गांव में शान से चलने लगे. उन्हें तब नहीं मालूम था कि एक दिन यही दोनों बहुएं उन के मुंह पर ऐसी कालिख पोतेंगी कि वह शरम से पानीपानी हो जाएंगे.

समय का पहिया घूमता रहा. संगीता 2 बेटों की मां बन गई और विमला ने भी 3 बच्चों को जन्म दे कर अपना परिवार पूरा कर लिया. 5-7 साल दोनों के परिवार खुशहाल रहे, लेकिन काम की थकान उतारने के नाम पर जब अजीत और सुजीत ने शराब पीनी शुरू की तो उन के घर में कलह शुरू हो गई. अजीत तो कम पीता था लेकिन सुजीत तो पियक्कड़ था. विमला उस से लड़ती तो ठाकुरों वाला रौब दिखाने के लिए सुजीत विमला को रुई की तरह धुन देता. संगीता पर भी अजीत हाथ छोडऩे लगा था, इस से वह भी दुखी रहने लगी थी.

एक दिन किसी पड़ोसन के कहने पर संगीता अपने पति अजीत और देवर सुजीत को सही राह पर लाने के लिए तथाकथित तांत्रिक इरफान से जा कर मिली. इरफान तंत्रमंत्र विद्या का जानकार था. उस ने दावा किया कि चुटकी बजाते ही उन की परेशानी दूर कर सकता है, ऐसा उस पड़ोसन ने बताया था. कभी उस पड़ोसन ने अपने पियक्कड़ पति को रास्ते पर लाने के लिए इरफान से तांत्रिक अनुष्ठान करवाया था. अनुष्ठान के बाद उस के पति ने पीना छोड़ दी थी.

संगीता अकेली ही जा कर इरफान से मिली और उसे अपनी समस्या बताई तो इरफान ने उसे पति और उस ने देवर का फोटो ले कर दूसरे दिन आने को कह दिया. संगीता दूसरे दिन पति अजीत और देवर सुजीत के फोटो ले कर तांत्रिक इरफान के पास गई तो उस ने अनुष्ठान के बहाने संगीता को हर वीरवार को अपने कार्यालय में बुलाना शुरू कर दिया.

इस बहाने वह संगीता से रुपएपैसे तो ऐंठता ही था, वह संगीता की सुंदरता पर मन ही मन मर मिटा था. 2 बच्चों की मां बन चुकी संगीता 35 वर्ष की हो गई थी, लेकिन अभी उस की जवानी उस पर कायम थी.  जब इरफान उसे अनुष्ठान के नाम पर बहाने से छू लेता था तो संगीता की वासना अंगड़ाई लेने लगती थी. इमरान को शह देने के लिए वह उस से और सट जाती. इस से इरफान की हिम्मत बढ़ गई. एक दिन इरफान ने संगीता को बांहों में भरा तो संगीता ने कोई ऐतराज नहीं किया. फिर क्या था, संगीता के तांत्रिक से अवैध संबंध स्थापित हो गए.

देवरानी-जेठानी की शातिर चाल – भाग 1

23 जनवरी, 2023 की सुबह थाना जलालाबाद के लिए एक बुरी खबर ले कर आई. बरेली राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की ओर से थाने में किसी ने फोन किया कि दिल्लीलखनऊ रेलवे ट्रैक के फरीदपुर स्टेशन के करीब पडऩे वाले पचोली गांव के फाटक के पास एक व्यक्ति का हाथ कटा शव पड़ा है. शायद वह किसी ट्रेन की चपेट में आ गया है.

थाना जलालाबाद उत्तर प्रदेश के जिला शाहजहांपुर में पड़ता है, इसलिए सूचना मिलते ही वहां के एसएचओ प्रवीण सोलंकी अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. फाटक पचोली के करीब रेलवे लाइन की दाईं ओर एक व्यक्ति का शव पड़ा हुआ था. उस से कुछ दूरी पर उस का कटा हुआ हाथ भी पड़ा दिखाई दे रहा था. शव के पास फैला खून जम कर काला पड़ चुका था, इसी से एसएचओ ने अनुमान लगाया कि उस व्यक्ति की मौत करीब 7-8 घंटे पहले हुई है.

चूंकि रात को इधर कोई आया नहीं होगा, इस कारण यहां शव पड़े होने की जानकारी रात को नहीं मिल सकी. सुबह बरेली जीआरपी की गश्त करने वाली टीम इधर से गुजरी, तब यहां शव पड़े होने की जानकारी थाने में दी गई. एसएचओ सोलंकी ने शव का मुआयना किया. वह 34-35 वर्ष की उम्र का था, उस ने पैंट पहनी हुई थी. शव की जेबें टटोली गईं तो जेबों में से ऐसा कोई सामान नहीं मिला जिस से उस की पहचान हो सके. पैंटशर्ट पर किसी टेलर का लेबल भी नहीं था.

अब तक हलकी धूप निकल आई थी और पचोली गांव के लोग दिशामैदान के लिए रेलवे ट्रैक की तरफ आने लगे थे. जैसे ही उन्हें रेलवे लाइनों में किसी व्यक्ति की लाश मिलने की जानकारी हुई, वे वहां एकत्र होने लगे. खबर गांव में पहुंची तो पूरा गांव ही वहां उमड़ आया. इन में महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे भी थे. सभी की नजरें उस व्यक्ति के शव पर थीं. पुलिस ने उन से रेलवे लाइनों में पड़ी लाश को पहचानने के लिए कहा, लेकिन किसी ने भी उस व्यक्ति को नहीं पहचाना.

किसी भी तरीके से उस व्यक्ति की शिनाख्त न होने से एसएचओ प्रवीण सोलंकी ने आवश्यक काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी. जलालाबाद थाने के एसएचओ प्रवीण सोलंकी के लिए सब से पहले उस व्यक्ति की शिनाख्त होनी जरूरी थी. उन्हें विश्वासथा कि कोई न कोई इस व्यक्ति की गुमशुदगी के लिए जरूर आएगा. अपनी ओर से सोलंकी ने आसपास के थानों में उस व्यक्ति के शव का फोटो वाट्सऐप से भेज कर उस की गुमशुदगी दर्ज होने के बारे में पूछा तो पता चला कि उन के यहां उस हुलिए के शख्स की गुमशुदगी दर्ज नहीं थी.

2 दिन बीत गए. प्रवीण सोलंकी उस वक्त ज्यादा परेशान हो गए, जब उन की मेज पर उस व्यक्ति की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पहुंची. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया कि उस की हत्या गला दबा कर की गई थी. हत्या करने से पहले उसे शराब में नशे की गोलियां भी मिला कर दी गई थीं. एसएचओ अभी तक यही मान कर चल रहे थे कि वह व्यक्ति नशे में रेलवे ट्रैक पर आ गया था, किसी ट्रेन की चपेट में वह आया तो हाथ कट गया, वह बेहोश हो गया. अधिक खून बहा जिस से उस की मौत हो गई. लेकिन उस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से कहानी दूसरी ही सामने आई.

यह दुर्घटना नहीं, हत्या की सोचीसमझी साजिश थी. रात के अंधेरे में हत्यारा यह नहीं देख पाया कि उस ने उसे ट्रैक पर डाला है या साइड में. साइड में लाश होने की वजह से उस का एक हाथ ही कटा, पूरा शरीर नहीं. पुलिस ने अज्ञात हत्यारे के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 और 120बी के तहत मामला दर्ज कर लिया.

एसपी (ग्रामीण) एस. आनंद ने इस मामले के खुलासे के लिए अपर पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार वाजपेयी के निर्देशन में थाना जलालाबाद के एसएचओ प्रवीण सोलंकी को यह केस हल करने के लिए नियुक्त कर दिया. उन के नेतृत्व में एक टीम गठित कर दी गई, जिस में इंसपेक्टर चमन सिंह, खालिक खान, कांस्टेबल अंकित, सोनवीर, आशीष, विपिन कुमार, दीपेंद्र और सुमित कुमार को शामिल किया गया.

लाश की हो गई शिनाख्त…

2 दिन बीत गए, लेकिन उस अज्ञात लाश की शिनाख्त नहीं हो सकी थी. जब तक उस की शिनाख्त नहीं होती, जांच आगे नहीं बढ़ सकती थी. एसएचओ ने उस व्यक्ति की लाश के फोटो आसपास के गांव के आनेजाने वाले रास्तों पर चिपकवा दिए थे. उन की यह युक्ति काम कर गई. तीसरे दिन ही सुबह मोहल्ला गोसनगर निवासी कमलेश्वर सिंह ठाकुर अपने बेटे की तलाश में थाना जलालाबाद आ गए. वह काफी घबराए हुए थे.

एसएचओ के सामने आते ही कमलेश्वर सिंह रो देने वाले स्वर में बोले, ‘‘साहब, मैं लाश का फोटो देख कर यहां दौड़ा चला आया हूं. साहब, मेरा बेटा सुजीत 22 जनवरी, 2023 से लापता है. जो पोस्टर में लाश की फोटो लगाई गई है, वह मेरे बेटे सुजीत से मिलती है.’’

“हम ने लाश को मोर्चरी में रखवा रखा है, आप पहले लाश देख लीजिए. कई बार फोटो देख कर आंखें धोखा भी खा जाती हैं.’’ एसएचओ सोलंकी ने कहा और कमलेश्वर सिंह को कांस्टेबल अंकित के साथ मोर्चरी भेज दिया.  मोर्चरी में जो लाश रखी गई थी, कमलेश्वर सिंह ने उस की पुष्टि अपने बेटे सुजीत के रूप में कर ली. लाश देख कर कमलेश्वर रोने लगे. सांत्वना देने के बाद कांस्टेबल अंकित उन्हें वापस थाने में ले आया. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद एसएचओ ने चैन की सांस ली. कमलेश्वर उस समय भी रो रहे थे.

बहू पर जताया हत्या का शक…

एसएचओ सोलंकी ने उन्हें पानी पीने को दिया. जब वह पानी पी चुके तो एसएचओ ने गंभीर स्वर में कहा, ‘‘मुझे आप के बेटे सुजीत की मौत का गहरा दुख है. उस की लाश हमें फरीदपुर के गांव पचोली के फाटक के पास रेलवे लाइन पर मिली थी.

क्या आप बताएंगे, सुजीत वहां क्या करने गया था?’’

कमलेश्वर सुन कर रुआंसे स्वर में बोले, ‘‘मेरे बेटे का पचोली गांव से कोई संबंध नहीं था साहब. हत्यारों ने उसे मार कर वहां रेलवे लाइन पर फेंका होगा.’’

“मुझे भी ऐसा ही शक है.’’ सोलंकी सिर हिला कर बोले.

“क्या आप को किसी पर शक है?’’

“हां साहब, मुझे इरफान और अपनी दोनों बहुओं पर शक है. मेरी छोटी बहू विमला अपने पति सुजीत को पसंद नहीं करती थी. तांत्रिक इरफान मेरी बड़ी बहू संगीता से अच्छी तरह परिचित है. वह तंत्रमंत्र जानता है. बड़ी बहू संगीता ने उसे कई बार घर बुला कर अपने पति अजीत और देवर सुजीत को वश में करने के लिए इरफान से तांत्रिक क्रियाएं करवाई थीं. 22 जनवरी, 2023 को इरफान के बुलाने पर ही सुजीत घर से गया था, वह वापस नहीं लौटा. लौटा है तो लाश के रूप में.’’ कह कर कमलेश्वर सुबकने लगे.