नशीले कारोबार के लिए नेपाल और सिक्किम से मजदूर बुलाने की राय भी उसे लियोन ने ही दी. यहां तक कि उदयपुर में फैक्ट्री लगाने की सलाह भी उस ने यह कह कर दी थी कि यह शांत और सुरक्षित जगह है. साथ ही तुम्हारी जन्मभूमि भी. लोगों में तुम्हारा सम्मान है, कोई तुम पर शक नहीं करेगा.
ड्रग्स तस्करी की दुनिया के सब से बड़े मामले को ले कर कानूनी पेच में फंसे सुभाष दूदानी का हौसला चौंकता है. अदालत में पेश किए जाने के बाद कोर्ट के बाहर उस ने अपनी पत्नी से कहा कि मैं ही जल्दी बाहर आऊंगा. कोई कुछ भी साबित नहीं कर पाएगा. उस का यह भी कहना था कि मुझे किसी वकील की जरूरत नहीं है. अपना केस मैं खुद हैंडल करूंगा.
यह बात दो तरह से चौंकाती है. पहली यह कि अपराध की गंभीरता को ले कर उस में जो बेफिक्रापन नजर आता था, वह. और दूसरा यह कि जिस स्त्री से उस का तलाक हो चुका था, वह अदालत में क्यों मौजूद थी? मौजूद थी भी तो सुभाष दूदानी का उसे तसल्लीबख्श बात कहने का क्या मतलब?
बावजूद इस के मुंबई से उस की पैरवी करने आए एनडीपीएस मामलों के विशेषज्ञ वकील चंद्रभूषण मिश्रा का कथन भी कुछ ऐसा ही है. उन्होंने कहा, ‘अदालत में प्रस्तुत दस्तावेजों से कुछ भी साबित नहीं हो पाएगा. दूदानी को छलपूर्वक फंसाया गया है.’
बहरहाल, सूत्रों के मुताबिक अंडरवर्ल्ड की इन सरगोशियों को भी खारिज नहीं किया जा सकता कि जिस के पीछे डौन दाऊद इब्राहीम हो, उसे कौन फंसा सकता है.
तलाकशुदा जिंदगी
विज्ञान से स्नातक डिग्रीधारी सुभाष दूदानी की काबिलियत समझें तो उस ने एक किताब भी लिखी है. जानकार सूत्रों का कहना है कि उस की शादी ज्यादा दिन नहीं चली. हालांकि उस की पत्नी एक बैंक अधिकारी है और उस की 2 बच्चे भी हैं. लेकिन बाद में दोनों का तलाक हो गया. दरकता दांपत्य जीवन ही उसे गलत धंधों की राह पर ले गया. बाद में उस ने उदयपुर में ही टाटा कंपनी में कार्यरत अपने भतीजे रवि दूदानी को भी अपने धंधे में उतार दिया.
सुभाष का सामाजिक रुतबा भी कम नहीं था. अनेक धार्मिक संस्थानों का ट्रस्टी होने के अलावा उस ने अपने समुदाय के लिए भी अच्छीखासी आर्थिक मदद की थी. इस मामले का खुलासा होने से कुछ दिन पहले उस ने एक शिव मंदिर के निर्माण के लिए 8 लाख रुपए की राशि दान की थी.
रवि दूदानी कलड़वास के औद्योगिक क्षेत्र में बनी फैक्ट्री का काम संभालता था. रात को जब वह फैक्ट्री की तरफ जाता था तो सिक्किमी और नेपाली मजदूर भी उस के साथ होते थे. डीआरडीआई टीम के अधिकारियों ने इस बात पर गहरा आश्चर्य जताया है कि आखिर पुलिस ने इस भेद को क्यों नहीं टटोला कि उदयपुर की फैक्ट्री में स्थानीय श्रमिकों के बजाए बाहरी मजदूर क्यों थे.
डीआरडीआई टीम के अधिकारियों ने इस गोरखधंधे में स्थानीय रसूखदारों का हाथ होने की पूरी आशंका जताई है. उन का कहना था कि इस काम में 10 करोड़ जैसा भारीभरकम निवेश किया गया था. दुबई से करोड़ों की मशीनें आई थीं. स्थानीय मैकेनिक बायलर सरीखे उपकरण भी तैयार कर रहे थे. यहां तक कि दुबई से एंथ्रालिक सरीखा संदिग्ध एसिड भी आ चुका था. इस के बावजूद किसी को जरा भी संदेह क्यों नहीं हुआ.
एंथ्रालिक एसिड मंगवाने के लिए सुभाष दूदानी ने गुजरात के नडियाड में माल रखने के लिए एक शेड किराए पर लिया था, जहां से उसे टाइल एडिसिव की आड़ में नशीली दवाओं का जखीरा निर्यात करना था. जानकार सूत्रों के मुताबिक दूदानी कुल 8 हिस्सों में तैयारशुदा माल को बाहर भेजना चाहता था. इस लिहाज से प्रति खेप ढाई टन माल बाहर भेजा जाना था. इस के लिए नए जहाज का बंदोबस्त भी कर लिया गया था. माल किसे भेजना है, इस के लिए रेडिमिक्स एडीसन टेक्नोलौजी नाम की फरजी फर्म भी बना ली गई थी.
उधड़ रही हैं परतें
नशीली गोलियों के इस नेटवर्क से अंतरराष्ट्रीय तस्करों के साथ मुंबई के नामचीन व्यापारी भी जुड़े रहे हैं. उदयपुर में बड़ी खेप पकड़े जाने के बाद से जांच में जुटी डीआरडीआई ने सुभाष दूदानी से संपर्क रखने वाले परमेश्वर व्यास और अतुल म्हात्रे को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया है. परमेश्वर व्यास दूदानी का वित्तीय सलाहकार भी था और उसे कच्चा माल भी सप्लाई करता था. फिलहाल डीआरडीआई टीम म्हात्रे की पूरी जन्मकुंडली खंगाल रही है कि इस काम में उस ने किसकिस से मदद ली.
इस मामले में ताजा गिरफ्तारी मलकानी की है. जयपुर स्थित प्रतापनगर से गिरफ्तार किए गए मलकानी की सुभाष दूदानी के कारोबार में 5 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी. कारोबार के मुख्य शेयरधारक के रूप में दुबई निवासी धनकानी के नाम का भी खुलासा हुआ है. मलकानी सुभाष दूदानी का दोस्त भी है. मलकानी दूदानी के बंद हुए सीडी प्रोजेक्ट से भी जुड़ा रहा था.
इस काले कारोबार का खुलासा होने के बाद से सब से ज्यादा सवाल इस बात को ले कर उठ रहे हैं कि यह गोरखधंधा उदयपुर में पिछले 7 सालों से चल रहा था, लेकिन इंडस्ट्री के लिए जिम्मेदार रीको, जिला उद्योग केंद्र, सेल्स टैक्स, ड्रग कंट्रोलर, फैक्ट्री ऐंड बायलर तथा प्रदूषण नियंत्रण महकमे को भनक क्यों नहीं लगी?
हालांकि रीको के प्रभारी अफसर एम.के. शर्मा यह कह कर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं कि किसी उद्योग पर नजर रखना या काररवाई करने का अधिकार हमें नहीं है. ड्रग कंट्रोलर का कहना है कि जब इस फैक्ट्री ने कोई लाइसेंस ही नहीं लिया तो जांच किस बात की करते.
अलबत्ता भारी मात्रा में मेंड्रेक्स और मेथाक्यूलिन का जखीरा हाथ लगने के बाद विश्व पटल पर बदनाम हुए उदयपुर के औषधि नियंत्रण विभाग की हकीकत समझें तो विभागीय नुमाइंदे ऐसे पदार्थ की प्रकृति और बिक्री से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं. इस पूरे मामले में गुजरात के 4 शीर्ष अधिकारियों के नामों का भी खुलासा हुआ है.
ड्रग्स बनाने का काम काफी जटिल और उबाऊ था. लेकिन सूत्र कहते हैं कि सुभाष दूदानी ने इस में भी कसर नहीं छोड़ी. मेथाक्यूलिन से मेंड्रेक्स बनाने के लिए उसे धोने और सुखाने तक का काम उस ने खुद किया. इस के लिए उस ने फ्लूइड बेड ड्रायर काम में लिया. दूदानी इस सूखे मेथाक्यूलिन पाउडर को स्टार्च और मैग्नीशियम स्टीरेट व डाईकैल्शियम फास्फेट मिला कर मशीनों से प्रैस कर के इसे गोलियों की शक्ल देता था. फिर उन पर मुसकराहट का चिह्न भी लगाता था.
पुलिस के निशाने पर आने के बाद अभिनेत्री ममता कुलकर्णी अपनी सफाई में बहुत कुछ कह चुकी है, मसलन मुझे आश्चर्य है कि मेरा नाम ड्रग तस्करी से जोड़ा जा रहा है, लेकिन दूदानी के साथ उजागर हुए नए रिश्तों ने एक बार फिर ममता और विक्की को कटघरे में खड़ा कर दिया है. अब जबकि सुभाष दूदानी अपने भतीजे रवि दूदानी के साथ गिरफ्त में आ गया है तो पुलिस को ममता और विक्की की भी बेसब्री से तलाश है.
जानकार सूत्रों की मानें तो सुभाष दूदानी की गिरफ्तारी के बाद इस बात का भी खुलासा हुआ है कि राजस्थान के पुष्कर में अकसर होने वाली रेव पार्टियों में मेंड्रेक्स की सप्लाई भी दूदानी द्वारा ही की जा रही थी. इस में कोई शक नहीं कि पुलिस ने रेव पार्टियों में नशेबाज पर्यटकों की धरपकड़ तो की, लेकिन नशे की सप्लाई के स्रोत को खंगालने में पूरी कोताही बरती.
दूदानी से पूछताछ में नशीली दवाओं के कारोबार की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जितनी लंबीचौड़ी चेन का खुलासा हुआ है, वह स्तब्ध करने वाला है. दिलचस्प बात यह है कि इन का नेटवर्क यूके, यूएस और दक्षिणी अफ्रीका समेत कई देशों में फैला हुआ है. यानी उदयपुर जैसे शांत शहर से नशे की इतनी बड़ी खेप भारत के विभिन्न इलाकों के अलावा नाइजीरिया और मंगोलिया आदि देशों तक जा रही थी.
नशे के जहरीले कारोबार की बखिया उधेड़ने में जुटी डीआरडीआई की टीम ने सुभाष दूदानी से संपर्क रखने वाले मुंबई निवासी परमेश्वर व्यास और अतुल म्हात्रे को भी दबोच लिया है. जानकार सूत्रों के मुताबिक परमेश्वर व्यास पिछले 20 सालों से सुभाष दूदानी का मित्र होने के अलावा उस का वित्तीय और रासायनिक सलाहकार बना हुआ था. म्हात्रे से की गई पूछताछ में उस ने स्वीकार किया है कि वो कैमिकल इंजीनियर होने के नाते ड्रग्स के निर्माण के लिए तकनीकी सलाह देता था.
इस खुलासे के रहस्यों का पिटारा तो बहुत बड़ा है, लेकिन फिलहाल डीआरडीआई ने उदयपुर के इर्दगिर्द वह ‘स्वर्ण गलियारा’ खोज लिया है, जिसे सुभाष दूदानी ने अभिनेत्री ममता कुलकर्णी और उस के कथित पति विक्की गोस्वामी की मदद से मेंड्रेक्स सरीखी नशीली ड्रग की तस्करी का ट्रांजिट पौइंट बना दिया था. सुभाष दूदानी द्वारा केक और टैबलेट्स की शक्ल में तैयार की गई ड्रग्स को निर्विघ्न रूप से विदेशों में अपने कारोबारी संपर्कों तक भेजा जाना था.
इस के खुलासे से जो बातें पता चली हैं, उस से जाहिर होता है कि उस का इरादा खुफिया एजेंसियों की चौकसी को अंडरएस्टीमेट कर के अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकने का था. इसी मुगालते में दूदानी द्वारा ड्रग्स की तस्करी को पुलिस की निगाहों से बचाने के लिए मौकड्रिल की जा रही थी.
पूछताछ में दूदानी ने बताया कि ड्रग्स बनाने की मशीनरी को समुद्री रास्ते से आयात किए जाने के दौरान ही उसे यह उपाय सूझा था. यानी एक तरफ ड्रग्स तैयार की जा रही थी तो दूसरी तरफ समुद्री रास्ते से सीमेंट और लाइम स्टोन पाउडर केक की शक्ल में बाहर भेजा जा रहा था.
यह मौकड्रिल खुफिया एजेंसियों के अफसरों को भ्रम में डालने के लिए थी ताकि जब भी वह ड्रग्स को केक की शक्ल में भेजे तो यह भ्रम ड्रग्स कारोबार को परदेदारी का अचूक हथियार बना रहे. इस योजना के तहत ही सुभाष दूदानी अडानी पोर्ट से 2 बार दिखावटी केक भेजने के बाद एक बार 5 मीट्रिक टन नशीली गोलियां भेजने में सफल भी रहा था. इस निर्विघ्न मौकड्रिल ने उस के हौसले बुलंद कर दिए थे.
इसी के चलते इस बार वह 24 टन की तैयारशुदा नशीली खेप भेजने की तैयारी में था. पूछताछ में सुभाष दूदानी ने बताया कि यह आखिरी खेप थी. इस के बाद उदयपुर की फैक्ट्री को बंद कर दिया जाता. उधर राजस्व अधिकारियों का कहना है कि ड्रग्स की यह बड़ी खेप अगर विदेशों में पहुंच जाती तो सुभाष दूदानी को लागत का चार गुना मुनाफा मिल जाता. इस के बाद संभवत: उसे कुछ करने की जरूरत नहीं रह जाती.
डीआरआई टीम ने जब फैक्ट्री पर छापा मारा, तब तक सारी मशीनें उखाड़ी जा चुकी थीं. कलपुर्जे अलगअलग कर के कबाड़ के भाव बेचे जा चुके थे. इस तोड़फोड़ का किसी को पता तक नहीं चला था. जेसीबी मशीन चला कर मशीनरी की बुनियाद तक को बराबर कर दिया गया था. सब कुछ नेस्तनाबूद करने का काम सिर्फ घोईदा फैक्ट्री में ही हो पाया था. गुडली और कलड़वास का माल भेजने के बाद वहां भी फैक्ट्रियों का भी नामोनिशान मिटा दिया जाता था, लेकिन उस से पहले ही दूदानी के काले कारनामों का परदाफाश हो गया.
दिलचस्प बात यह है कि इन फैक्ट्रियों की बुनियाद सन औप्टिकल और सीडी बनाने के नाम पर डाली गई थी. लेकिन सौ करोड़ की लागत की फैक्ट्रियों में कुछ दिन ही उत्पादन हो पाया. धंधे में आई मंदी के कारण इस काम को बंद करना पड़ा.
इस काम के लिए सुभाष दूदानी इंडियन ओवरसीज बैंक से 21 करोड़ का कर्ज ले चुका था, लेकिन भुगतान का सिलसिला कुछ समय तक ही चला. बाद में नुकसान बता कर दूदानी ने रकम चुकाने से इनकार कर दिया था. नतीजतन बैंक फैक्ट्री को सीज कर के नीलामी की तैयारी कर रहा था. लेकिन बैंक अधिकारी उस समय हैरान रह गए जब उन्हें सीज फैक्ट्री में काला कारोबार चलने की खबर मिली.
बहरहाल, सुभाष दूदानी शिकंजे में आया भी तो इसी वजह से. सीबीआई इंडियन ओवरसीज बैंक के कर्ज अदायगी के मामले में पहले ही सुभाष दूदानी के मुंबई स्थित ठिकाने पर छापा मार चुकी थी. उस ने यह काररवाई बैंक की शिकायत पर की थी.
शिकायत में कहा गया था कि दूदानी ने कर्ज में ली गई रकम निश्चित उद्देश्य पर खर्च करने के बजाय इधरउधर कर दी है. जिन कार्यों में रकम का निवेश बताया गया है, उस के कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए हैं. बैंक अधिकारियों ने माल निर्यात के बिलों और बिल्टियों को भी संदिग्ध बताया था. यह भी एक वजह रही कि सीबीआई के संदेह के घेरे में आ जाने के कारण सुभाष दूदानी बचा हुआ तैयारशुदा माल निर्यात करने में विफल रहा.
सुभाष दूदानी को विदेशों में ड्रग्स भेजने के तरीके और ठौरठिकानों का मशविरा भी दुबई का तस्कर लियोन देता था. पकड़ा गया माल मोजांबिक और मालवाई भिजवाना था. सूत्रों की मानें तो वर्ष 2004-05 के दरमियान दूदानी ने दुनिया में प्लेनेट औप्टिकल डिस्क बनाने का प्लांट लगाया था. इस प्लांट से उस ने काफी पैसा कमाया. नतीजतन उत्कर्ष के उस दौर में उसे प्रमुख उद्योगपति का सम्मान भी मिला. किंतु वर्ष 2010 में उस का धंधा चौपट हो गया.
तबाही के इस दौर में ही उस की मुलाकात लियोन से हुई थी. दूदानी को नशे के काले कारोबार में धकेलने का काम भी उसी ने किया. लियोन का उसे दिया गया व्यावसायिक मंत्र था ‘कौडि़यों के खर्च में करोड़ों का मुनाफा कमाओ’. उसी ने दूदानी का ज्ञानार्जन किया कि मेथाक्यूलिन से ड्रग्स कैसे बनाई जाती है.
2016 के अप्रैल माह में जब महाराष्ट्र की ठाणे पुलिस ने सोलापुर में एक फार्मा कंपनी ‘एवान लाइफ साइंसेज लिमिटेड’ पर छापा मार कर तकरीबन 2 हजार करोड़ की नशीली ड्रग एफिड्रिन की 20 करोड़ की खेप बरामद की थी तो आरोपियों में गुजरे जमाने की अभिनेत्री ममता कुलकर्णी और उस के तथाकथित पति अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्कर विक्की गोस्वामी का नाम सामने आया था.
इस मामले में जांच के बाद जून 2016 में इस रैकेट के सरगना मनोज जैन समेत 5 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी. तब पुलिस ने कल्पना तक नहीं की थी कि इस रैकेट के तार राजस्थान के शहर उदयपुर से भी जुड़े हो सकते हैं. ज्ञातव्य हो कि एफिड्रिन का इस्तेमाल एक्सटेसी जैसी उच्चकोटि की नशीली टैबलेट बनाने में किया जाता है. कनाडा और अमेरिका के छात्रों और खिलाडि़यों के बीच इस की मांग ज्यादा है.
केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड के खुफिया निदेशालय डीआरडीआई ने जब मध्य अक्तूबर में उदयपुर जिले के कलड़वास औद्योगिक क्षेत्र की एक फैक्ट्री के गोदाम पर छापा मार कर लगभग 7 हजार करोड़ रुपए मूल्य की तकरीबन 24 टन नशीली ड्रग्स मेंड्रेक्स और मेथाक्यूलिन की गोलियां बरामद कीं तो राज्य की वसुंधरा सरकार के होश फाख्ता हो गए. इसे अब तक की दुनिया की सब से बड़ी बरामदगी बताया गया है. राज्य सरकार में गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया इसी शहर के रहने वाले हैं. अपने शहर में इतने बड़े रैकेट के खुलासे से वह स्तब्ध हैं.
घटना से जुड़े 2 बड़े खुलासों ने मुंबई अंडरवर्ल्ड को भी हैरानी में डाल दिया है. पहला यह कि समाजसेवी का मुखौटा ओढ़ कर सुभाष दूदानी और उस के भतीजे रवि दूदानी ने न केवल नशे का इतना बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया बल्कि अंडरवर्ल्ड डौन दाऊद इब्राहीम सरपरस्ती भी हासिल कर ली. और दूसरा यह कि इस रैकेट के दूसरे सिरे की डोर 90 के दशक की खूबसूरत, बोल्ड और सैक्स सिंबल कही जाने वाली अभिनेत्री ममता कुलकर्णी और उस के कथित प्रेमी विक्की गोस्वामी ने थाम रखी थी. डीआरडीआई के दावे को सही मानें तो ममता कुलकर्णी इंटरनेशनल ड्रग्स सिंडिकेट में भी शामिल है.
ममता कुलकर्णी और विक्की गोस्वामी के साथ सुभाष दूदानी की कारोबारी डोर जुड़ने की कहानी को समझने के लिए हमें नब्बे के दशक की शुरुआत में जाना होगा. उन दिनों विक्की गोस्वामी जब शराब तस्करी के धंधे में उलझा हुआ था, तभी उस की मुलाकात विपिन पांचाल नाम के शख्स से हुई. उस ने विक्की को ड्रग कारोबार की अहमियत समझाते हुए उस का परिचय मेंड्रेक्स और मेथाक्यूलिन से करवाया. इस के बाद वह विपिन पांचाल के साथ मिल कर ड्रग्स का धंधा करने लगा.
1993 में जब पांचाल पकड़ा गया तो कारोबार की पूरी बागडोर विक्की के हाथों में आ गई. विक्की ने मुंबई में पैर जमा कर इस कारोबार को पंख लगा दिए. ड्रग्स के कारोबार के चलते उस ने पहले तो अंडरवर्ल्ड में अपनी पैठ बनाई, फिर अपने बूते पर डौन दाऊद इब्राहीम तथा छोटा राजन से करीबी रिश्ते कायम कर लिए.
हाईप्रोफाइल पार्टियों की जान समझी जाने वाली मेंड्रेक्स की सप्लाई के दम पर उस ने कई फिल्मी हस्तियों से अपने नजदीकी ताल्लुकात बना लिए. इसी दौरान विक्की की जानपहचान ममता कुलकर्णी से हुई. दोनों के बीच कुछ ऐसी पटरी बैठी कि जल्दी ही दोनों रिलेशनशिप में साथसाथ रहने लगे. यहां द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट का हवाला देना जरूरी होगा, जिस में कहा गया था कि नब्बे के दशक की शुरुआत के साथ ही हाईप्रोफाइल तबके में ड्रग पार्टियां सब से चर्चित सेनेरियो बन चुकी थीं.
दिलचस्प बात यह है कि यह वह दौर था, जब ममता और विक्की गोस्वामी मुंबई की हाईप्रोफाइल पार्टियों में दूदानी द्वारा निर्मित ड्रग्स टैबलेट सप्लाई करते थे. कहा जाता है कि इस खेल को निर्विघ्न बनाए रखने में गुजरात के 4 वरिष्ठ अधिकारियों की भी पूरी शह थी.
सुभाष दूदानी ड्रग कारोबार में कैसे आया, इस की शुरुआत भी नब्बे के दशक में हुई थी. दूदानी ने अपनी कारोबारी शुरुआत फिल्म ‘विकल्प’ के निर्माण से की, लेकिन फिल्म फ्लौप हो गई. अलबत्ता फिल्म निर्माण से उस के परिचय के दायरे में नामचीन फिल्मी हस्तियां जरूर आ गईं. उन में ममता कुलकर्णी भी शामिल थी. कहते हैं, ममता कुलकर्णी ने ही उस की मुलाकात विक्की गोस्वामी से कराई. तब तक विक्की गोस्वामी जांबिया शिफ्ट हो चुका था और कुछ रसूखदार लोगों की मदद से मेंड्रेक्स बनाने की फैक्ट्री लगाने की फिराक में था. लेकिन बात नहीं बनी.
इस बीच वह पुलिस की निगाहों में चढ़ चुका था. इसी वजह से उस ने फैक्ट्री लगाने का इरादा छोड़ दिया और साथ ही जांबिया भी. जांबिया से भाग कर उस ने दुबई में पनाह ले ली. इस बीच वह सिर्फ इतना ही कर सका कि उस ने मेंड्रेक्स बनाने की पूरी योजना सुभाष दूदानी के हवाले कर दी.
कहा तो यहां तक जाता है कि दूदानी को मेंड्रेक्स की सप्लाई चेन उपलब्ध कराना भी विक्की गोस्वामी का ही काम था. फिलहाल भले ही ममता कुलकर्णी और विक्की गोस्वामी का ठिकाना केन्या में बताया जाता है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि अगर दूदानी के कारोबार में लगातार बरकत हुई है तो उस की वजह विक्की और ममता कुलकर्णी के साथ उस का गठजोड़ है.
जिस समय दूदानी डीआरडीआई की गिरफ्त में आया, उस दौरान वह सप्लाई को सुलभ बनाने के लिए एक नया प्रयोग कर रहा था. उस ने सोचा था कि ड्रग्स को अगर केक की शक्ल में बना कर भेजा जाए तो संदेह की गुंजाइश कम हो सकती है. लेकिन वह अपनी योजना पर अमल कर पाता, इस से पहले ही वह डीआरडीआई की गिरफ्त में आ गया. सूत्रों के मुताबिक, जब्त किया गया 24 टन माल केक के रूप में बाहर भेजने की तैयारी थी. इसे मोजांबिक और मालवाई भेजा जाना था.
ड्रग तस्करी के कारोबार के लिए दूदानी के 3 ठिकाने थे मुंबई, दुबई और उदयपुर. उदयपुर उस का स्थाई निवास होने के कारण मेंड्रेक्स के निर्माण और तस्करी के लिहाज से सर्वाधिक सुरक्षित था. सुभाष दूदानी को मेंड्रेक्स बनाने का मशविरा दुबई के तस्कर लियोन ने भी दिया था. लियोन ने इस काम में तकनीकी मदद के लिए उसे सीरिया निवासी एक डाक्टर से भी मिलवाया था.
वह डाक्टर सुभाष दूदानी के मकसद में काफी मददगार साबित हुआ. लियोन ने दूदानी को मेंड्रेक्स बनाने का रासायनिक फार्मूला तो दिया ही, साथ ही 10 करोड़ की मशीनें लगाने के लिए फाइनेंसर से भी मिलवा दिया. लियोन का मशविरा दूदानी को इसलिए भी पसंद आया था, क्योंकि उस के कहे मुताबिक मेंड्रेक्स और मेथाक्यूलिन ड्रग्स खाड़ी देशों और यूके में सब से ज्यादा प्रचलित ड्रग हैं. लियोन का कहना था कि भले ही इस का उत्पादन खर्चीला है, लेकिन इस में मुनाफा भारीभरकम मिलता है.