हैवानियत की हद पार : एक डाक्टर ने इंसानियत पर किया वार

याद है न बदन में सिरहन पैदा कर देने वाला निठारी कांड? साल था 2006 और जगह थी नोएडा का निठारी गांव. वहां की कोठी नंबर डी-5 दूसरी आम कोठियों की तरह ही थी. लेकिन जब इस कोठी के आसपास से नरकंकाल मिलने शुरू हुए, तो पूरा देश सकते में आ गया था. सीबीआई को जांच के दौरान इनसानी हड्डियों के हिस्से और 40 ऐसे पैकेट मिले थे, जिन में इनसानी अंगों को भर कर जमीन में गाड़ दिया था या पास के नाले में फेंक दिया था.

इस के बाद कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और उस के नौकर सुरेंद्र कोली को पुलिस ने धर दबोचा. इस तरह से निठारी के कांड का काला सच सब के सामने आ गया. सुरेंद्र कोली के मुताबिक उस का मालिक (मोनिंदर सिंह पंढेर) कई वेश्याएं घर पर लाया करता था. उन्हें आतेजाते देखते हुए उस के मन में सैक्स और इनसानी शरीर को काटने की प्रबल इच्छा पैदा होने लगी.

बाद में खुलासा हुआ कि सुरेंद्र कोली अपने शिकारों को पहले फंसाता था, फिर पीड़ित को बेहोश कर देता था. उस के बाद रेप की कोशिश करता था. आखिर में पीड़ित को मार कर उस के शरीर के टुकड़ेटुकड़े कर देता था, फिर उन्हें जमीन में गाड़ देता था या नाले में बहा देता था.

पहले तो सीबीआई ने मई, 2007 में मोनिंदर सिंह पंढेर को अपनी चार्जशीट में एक पीड़िता रिम्पा हलदर के अपहरण, बलात्कार और हत्या के मामले में आरोपमुक्त कर दिया था, पर इस के 2 महीने बाद अदालत की फटकार के बाद सीबीआई ने मोनिंदर सिंह पंढेर को इस मामले में सहआरोपी बनाया था.

तब इस मामले में इनसानी अंगों की तस्करी का मुद्दा भी उछला था. अब फिर एक दिल दहला देने वाला कांड सामने आया है और इसे अंजाम देने वाला कोई कसाई नहीं, बल्कि एक डाक्टर है जिस पर दूसरों की जान बचाने की जिम्मेदारी होती है.

इस डाक्टर का नाम देवेंद्र शर्मा है, पर है पूरा सीरियल किलर. उस ने कबूल किया है कि साल 2002 से 2004 के बीच दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में अब तक वह 100 से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है, जिन में से ज्यादातर को उस ने उत्तर प्रदेश की एक नहर में मौजूद मगरमच्छों का खाना बना दिया.

गुरुग्राम किडनी कांड में शामिल अलीगढ़ के डाक्टर देवेंद्र शर्मा को हाल ही में दिल्ली से पकड़ा गया गया था. इस से पहले वह किडनी केस में पिछले 16 साल से सजा काट रहा था और अब परोल पर बाहर था. मियाद पूरी होने के बाद उसे वापस जेल जाना था, लेकिन वह अंडरग्राउंड हो गया था. पर अब पकड़े जाने के बाद उस की काली करतूतों की परतें खुल रही हैं.

ऐसे बना अपराधी…

कोई डाक्टर अपराधी कैसे बन गया? यह सवाल अब हर किसी के मन में उठ रहा है. जानकारी हासिल हुई है कि एक निवेश में धोखे के बाद देवेंद्र शर्मा ने जुर्म का रास्ता चुना था, फिर वह डाक्टरी के साथसाथ किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट, फर्जी गैस एजेंसी भी चलाने लगा था. इतना ही नहीं वह चोरी की गाड़ियां भी बेचता था. अपनी फर्जी गैस एजेंसी के लिए जब उसे सिलेंडर चाहिए होते थे, तब वह गैस डिलीवरी वाले ट्रक लूट लेता था और उस के ड्राइवर को मार देता था.

यह भी खुलासा हुआ है कि दिल्ली से उत्तर प्रदेश जाने के लिए डाक्टर देवेंद्र शर्मा के गैंग के लोग जिस टैक्सी को बुक करते थे बाद में उसे ही लूट लेते थे. हाल ही में पकड़े जाने के बाद डाक्टर देवेंद्र शर्मा ने बताया कि उस ने ज्यादातर लाशों को उत्तर प्रदेश के कासगंज इलाके की हजारा नहर में फेंक दिया था. इस नहर में बड़ी तादाद में मगरमच्छ रहते हैं.

डाक्टर देवेंद्र शर्मा को बुधवार, 29 जुलाई को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था. वह कोई एमबीबीएस डाक्टर नहीं था, बल्कि साल 1984 में उस ने बिहार के सिवान से बैचलर औफ आयुर्वेद मैडिसिन ऐंड सर्जरी की डिगरी पूरी कर के राजस्थान में क्लिनिक खोला था, फिर साल 1994 में उस ने गैस एजेंसी के लिए एक कंपनी में 11 लाख रुपए लगाए थे, लेकिन वह कंपनी अचानक गायब हो गई. इस नुकसान के बाद उस ने साल 1995 में एक फर्जी गैस एजेंसी खोल ली थी.

बनाया अपना गैंग…

इस के बाद डाक्टर देवेंद्र शर्मा ने एक गैंग बनाया जो एलपीजी सिलेंडर ले कर जाते ट्रकों को लूट लेता था. इस के लिए वे लोग ड्राइवर को मार देते थे और ट्रक को भी कहीं ठिकाने लगा देते थे. इस दौरान उस ने अपने गैंग के साथ मिल कर तकरीबन 24 लोगों का खून किया था. फिर देवेंद्र शर्मा किडनी ट्रांसप्लांट गिरोह में शामिल हो गया था और उस ने 5 लाख से 7 लाख रुपए प्रति ट्रांसप्लांट के हिसाब से 125 ट्रांसप्लांट करवाए थे.

इतना ही नहीं, ये लोग कैब ड्राइवरों को मार कर उन की कैब लूट लेते थे और ड्राइवर की लाश को नहर में फेंक देते थे. बाद में कैब को सैकंडहैंड कार बता कर बेच दिया जाता था. इस के बाद साल 2004 में डाक्टर देवेंद्र शर्मा पकड़ा गया था और 16 साल जयपुर जेल में रहा था, फिर अच्छे बरताव के लिए उसे जनवरी, 2020 को 20 दिन की परोल मिली थी, लेकिन वह भाग कर अंडरग्राउंड हो गया था.