Bollywood News : कंगना रनौत और उद्धव में टकराव, हीरोइन का 48 करोड़ का औफिस भी गिरा दिया

Bollywood News :  कंगना रनौत एक अच्छी एक्ट्रैस होने के साथसाथ निडर, बेबाक और जुझारू महिला हैं. उन के शब्दबाणों से घायल शिवसेना के नेता इतने विचलित हुए कि उन्हें अपशब्द तो कहे ही, साथ ही ठाकरे सरकार ने बदला लेने के लिए अपनी पावर का गलत इस्तेमाल कर के उन का 48 करोड़ का औफिस भी गिरा दिया. लेकिन कंगना…

16 साल की उम्र में घर छोड़ देने वाली कंगना रनौत मुंबई आ कर यूं ही इतनी बड़ी एक्ट्रेस नहीं बन गईं. इस के लिए उन्होंने कई साल अभावों में गुजारे. दिल्ली में मौडलिंग और थिएटर के नाटकों में हिस्सा ले कर गुजरबसर की. जब लगा दिल्ली में भविष्य नहीं है तो उन्होंने मुंबई की राह पकड़ी. वहां उन्होंने मौडलिंग करते हुए आशा चंद्रा के ड्रामा स्कूल में प्रशिक्षण लिया. इस के बाद कंगना के सामने कांटों भरी राह थी, जिस पर चलते हुए उन्होंने फिल्मी दुनिया के सैकड़ों रंग देखे, जिन में ज्यादातर बदरंग थे. अंतत: अभावों में रह कर भी उन्हें अपने टैलेंट के बूते पर फिल्म मिली और वह हीरोइन बन गईं.

उन की पहली फिल्म थी ‘वो लम्हे’ जिस में उन के अपोजिट थे शाइनी आहूजा. कंगना की दूसरी फिल्म थी ‘गैंगस्टर’ जो भट्ट कैंप ने बनाई थी, जिस में हीरो थे इमरान हाशमी और शाइनी आहूजा. सन 2006 में आई इन दोनों ही फिल्मों के लिए कंगना को जी सिने और फिल्मफेयर के बेस्ट फीमेल डेब्यू अवार्ड मिले. इस के बाद कंगना को फिल्म इंडस्ट्री में पहचाना भी जाने लगा और उन्हें काम भी मिलने लगा. प्रियंका चोपड़ा अभिनीत मधुर भंडारकर की फिल्म ‘फैशन’ में कंगना को दिल्ली की एक मौडल गीतांजलि नागपाल की भूमिका निभाने को मिली, जिस की ड्रग्स की वजह से मौत हो गई थी.

इस भूमिका को रियल बनाने के लिए कंगना अपने कर्ली बाल कटवा कर गंजी हो गई थीं. ‘फैशन’ 2009 में रिलीज हुई और इस के लिए कंगना को नैशनल अवार्ड मिला. अगले चंद सालों में कंगना रनौत बौलीवुड की पहली पंक्ति की हीरोइनों में गिनी जाने लगीं. उन के पास काम की कोई कमी नहीं रही. कंगना को बुलंदियों पर पहुंचाया उन की फिल्म ‘तनु वेड्स मनु’ और इसी की दूसरी कड़ी ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ ने. 2014 में आई कंगना की फिल्म ‘क्वीन’ ने रिकौर्ड तोड़ते हुए कंगना को सचमुच फिल्म इंडस्ट्री की क्वीन बना दिया था. इसी सब की बदौलत कंगना को 3 बार नैशनल अवार्ड मिला.

कंगना पतलीदुबली भले ही थीं, लेकिन थीं दबंग. किसी से न डरने वाली. कंगना जुझारू थीं और कदमकदम पर ठोकरें खाने के बाद इस मुकाम तक पहुंची थीं. अपने साथ कुछ गलत होते देख वह अड़ जाती थीं, इसलिए फिल्म इंडस्ट्री ने उन्हें पंगा गर्ल कहना शुरू कर दिया था. वैसे तो कंगना ने तमाम लोगों से पंगे लिए, लेकिन उन की दबंगई तब मुखर हो कर सामने आई जब उन्होंने रितिक रोशन की फिल्म ‘काइट्स’ के समय की एक बात पर रितिक रोशन और उन के पिता राकेश रोशन को खुला चैलेंज दिया. आखिर इस मामले में रितिक और उन के पिता राकेश रोशन को ही हथियार डालने पड़े.

उसी दौरान कंगना ने करण जौहर जैसे बड़े निर्माता को भी नहीं छोड़ा. कंगना ने करण जौहर पर भाईभतीजावाद का आरोप लगाया. करण ने पलटवार किया भी, लेकिन कंगना न तो डरने वालों में थीं और न पीछे हटने वालों में. उन्होंने दोटूक कह दिया, ‘करण होंगे बडे़ फिल्ममेकर, मुझे नहीं करना उन की फिल्मों में काम. एक फिल्म उंगली में काम किया, जो फ्लौप हो गई.’ सभी बड़े सितारे, निर्मातानिर्देशक ट्विटर पर हैं, लेकिन कंगना ट्विटर पर नहीं थीं. हालांकि वह अपनी बहन रंगोली और अपनी टीम के औफिशियल एकाउंट के जरिए अपनी बात रखती रहती थीं.

सुशांत सिंह की मृत्यु के बाद फिल्म इंडस्ट्री पर नेपोटिज्म के आरोप लगने शुरू हो गए और लोग भाईभतीजावाद को सुशांत की आत्महत्या का कारण बताने लगे. इस से भुक्तभोगी कंगना को लगा कि उन्हें भी अपनी बात रखनी चाहिए. बस, कंगना ने अपना एकाउंट बना कर ट्विटर पर आने का फैसला कर लिया. आखिर 22 अगस्त को वह अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर आ गईं. उन्होंने अपनी पहली ही पोस्ट में लिखा कि सुशांत मामले में मैं ने सोशल मीडिया की ताकत देखी, इसलिए मैं ने ट्विटर पर आने का फैसला किया. इस के बाद कंगना ने सुशांत का पक्ष लेते हुए फिल्म इंडस्ट्री के भाईभतीजावाद की कमजोर नस पर हाथ रख दिया. उन के निशाने पर करण जौहर भी थे. लेकिन इस बार करण ने पलटवार नहीं किया.

बाद में जब एनसीबी की जांच में ड्रग्स ऐंगल सामने आया तब भी कंगना ने अपनी ट्विटर वार जारी रखी. क्योंकि वह फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स की पैठ को जानती हैं. कंगना की ट्विटर वार  कंगना ने बौलीवुड के कुछ लोगों को मूवी माफिया बताते हुए मुंबई पुलिस पर भी वार किया जो सुशांत की मौत से संबंधित जरूरी जांच नहीं कर रही थी. इतना ही नहीं, कंगना ने एनसीबी को बौलीवुड में ड्रग्स लेने वालों और सप्लाई करने वालों के नाम भी बताने को कहा. कंगना ने यहां तक कहा कि वह अगर कमजोर होतीं तो सुशांत की तरह कभी की आत्महत्या कर चुकी होतीं. उन का साफ कहना था कि मुंबई में आउटसाइडर से भेदभाव वाला बरताव किया जाता है. जब यह सब चल रहा था, तब कंगना मनाली स्थित अपने नए घर में थीं.

कंगना की दिलेरी और बेबाक बयानबाजी जगजाहिर है. यही वजह थी कि कंगना ने जब सुशांत की आत्महत्या पर सवाल उठाए तो मीडिया ने उन की आशंकाओं को पूरा महत्त्व दिया, सब से पहले कंगना ने ही आउटसाइडर की बात को सही ठहराते हुए अपना अनुभव सुशांत से रिलेट किया. इसी दौरान उन्होंने महेश भट्ट जैसे सीनियर फिल्मकार पर भी खुलेआम अंगुली उठाई. यह अलग बात है कि रिया वाले मामले में मीडिया महेश भट्ट का नाम पहले ही सार्वजनिक रूप से ले चुका था. सुशांत के मामले में कंगना रनौत ने शुरू से ही जिस उग्र तेवर के साथ बयान दिए, वह बौलीवुड के दिग्गजों को रास नहीं आए. लेकिन कंगना तो कंगना हैं, सब से अलग, बेबाक, जिंदादिल और निडर. उन्हें न तो फिल्ममेकर्स की परवाह है और न बौलीवुड में काम मिलने की. वह अन्य हीरोइनों की तरह बनीबनाई लीक पर चलने वालों में भी नहीं हैं.

उन्होंने तो अपने रास्ते भी खुद बनाए और अपनी मंजिल भी खुद ही निर्धारित की. रानी लक्ष्मीबाई के जीवन से प्रेरित कंगना ने फिल्म ‘मणिकर्णिका: द क्वीन औफ झांसी’ में लक्ष्मीबाई का चरित्र निभाया ही नहीं वरन अपने अंदर हर बाधा को पार करने का हौसला, जज्बा और जुनून भी पैदा किया. कैसे मिली वाई श्रेणी सुरक्षा मुंबई पुलिस की हालत और महाराष्ट्र सरकार की कमजोरी को देख कंगना ने ट्विटर पर मुंबई की तुलना पीओके से कर दी. हालांकि उन का आशय कुछ और था, शिवसेना के नेताओं ने इसे किसी और रूप से लिया. यह 3 सितंबर की बात है. बस फिर क्या था, वाकयुद्ध में शिवसेना कंगना के सामने आ खड़ी हुई. मुंबई में कंगना के खिलाफ प्रदर्शन हुए, जिन में महिलाएं भी थीं. इन प्रदर्शनों में कंगना के पोस्टर जलाए गए, उन के फोटो को चप्पलों से पीटा गया.

बात तब बिगड़ी जब शिवसेना नेता और शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के सर्वेसर्वा संजय राउत ने कंगना को हरामखोर कहा. कंगना ने पलटवार किया तो शिवसेना सरकार और कंगना आमनेसामने आ गए. हालांकि संजय राउत ने अपनी सफाई में कहा कि उन्होंने कंगना को नौटी कहा था. लोगों ने गलत मतलब निकाल लिया. इसी दरमियान संजय राउत ने कंगना को धमकी दी कि हिम्मत है तो मुंबई आ कर दिखाए. कंगना तो कंगना ठहरी, मजबूत इच्छाशक्ति वाली. उन्होंने ऐलान कर दिया कि वह 9 सितंबर को मुंबई पहुंचेंगी, जो रोक सकता है रोक ले. साथ ही यह भी कि मुंबई किसी के बाप की नहीं है.

कंगना ने मुंबई जाने की घोषणा कर दी थी तो उन्हें जाना ही था. खतरे के मद्देनजर वह हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिलीं. कुछ दिन पहले कंगना के मनाली वाले घर के बाहर रात में कुछ लोगों ने फायरिंग की थी, तब मुख्यमंत्री ने उन्हें 2 सुरक्षाकर्मी दिए थे. कंगना ने इस बार भी मुख्यमंत्री के सामने अपना पक्ष रखा तो जयराम ठाकुर ने अपनी रिकमेंडेशन केंद्र सरकार को भेजी. इसी आधार पर गृहमंत्री अमित शाह के आदेश पर कंगना रनौत को 7 सितंबर को वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा दे दी गई, जिस में 2 कमांडो, 2 पीएसओ सहित 11 सुरक्षाकर्मी थे. यह बात शिवसेना सरकार को पता चली तो उस ने केंद्र सरकार की आलोचना शुरू कर दी. अभी तक शिवसेना सरकार यही सोचे बैठी थी कि कंगना शायद ही आए.

लेकिन जब कंगना का आना तय हो गया तो महाराष्ट्र सरकार ने बदले की भावना से बीएमसी को आगे कर दिया. बीएमसी ने 8 सितंबर को कंगना के औफिस में छापा मारा, साथ ही गेट पर नोटिस चिपका दिया कि 24 घंटे में काररवाई होगी. 9 सितंबर को कंगना जब मनाली से मुंबई के लिए रवाना हुईं तो महाराष्ट्र सरकार कट्टर दुश्मनों की तरह बदला लेने पर उतर आई. उधर कंगना ने चंडीगढ़ से मुंबई के लिए उड़ान भरी और इधर बीएमसी बुलडोजर ले कर कंगना के पालीहिल स्थित औफिस पर जा पहुंची. फलस्वरूप कंगना के मुंबई पहुंचने से पहले ही उन का पालीहिल वाला ‘मणिकर्णिका’ औफिस गिरा दिया गया. कंगना ने करीब 48 करोड़ रुपए लगा कर यह औफिस बड़े मन से बनवाया था और रानी झांसी के नाम पर इस का नाम मणिकर्णिका रखा था.

उन के औफिस को तोड़ने के पीछे कारण बताया गया कि इस में कुछ अवैध निर्माण था और इस के लिए बीएमसी द्वारा कंगना को 2 साल पहले नोटिस दिया गया था. यहां स्पष्ट कर दें कि बीएमसी ने कंगना का अवैध निर्माण ही नहीं गिराया था, बल्कि वहां मौजूद महंगी चीजों को भी तहसनहस कर दिया था. हालांकि पालीहिल में ही कई ऐसे औफिस हैं जिन में अवैध निर्माण हुए हैं और उन्हें 2 साल पहले नोटिस भी दिए गए हैं. सवाल यह था कि कंगना का औफिस तोड़ने के लिए 9 तारीख ही क्यों चुनी गई. यह खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली बात थी. कंगना एयरपोर्ट पर हो रहे प्रदर्शनों की परवाह न कर के पूरी सिक्योरिटी में अपने घर पहुंची. घर टूटने का जैसा दर्द सब को होता है, कंगना को भी हुआ.

वह अपनी सिक्योरिटी के साथ अपना टूटा औफिस देखने गईं. लौट कर उन्होंने एक वीडियो रिकौर्ड कर के वायरल कर दिया. वीडियो में उन्होंने सीधा वार महाराष्ट्र सरकार के मुखिया उद्धव ठाकरे पर किया. सरकार पर सीधा वार वीडियो में कंगना ने कहा, ‘उद्धव ठाकरे, तुझे क्या लगता है मूवी माफिया के साथ मिल, मेरा घर तोड़ कर तूने मुझ से बहुत बड़ा बदला ले लिया. आज मेरा घर टूटा है, कल तेरा घमंड टूटेगा. ये वक्त का पहिया है, याद रखना, हमेशा एक जैसा नहीं रहता.’  इस संबंध में शिवसेना ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा और टिप्पणी करने को ले कर कंगना के खिलाफ विक्रोली और दिंडोशी 2 थानों में रिपोर्ट दर्ज कराई. साथ ही महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि कंगना के खिलाफ ड्रग्स से संबंधित रिपोर्ट दर्ज करा कर जांच कराई जाएगी.

आश्चर्य की बात यह कि एक राज्य का गृहमंत्री होते हुए भी देशमुख ने इस का आधार बताया अध्ययन सुमन के कई साल पहले के एक इंटरव्यू को, जिस में उन्होंने कंगना पर तथाकथित रूप से ड्रग देने की बात कही थी. शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ और संजय राउत कंगना पर अमर्यादित टिप्पणियां करते रहे और कंगना और ज्यादा उग्र हो कर ट्विटर पर जवाब देती रहीं, बिना डरे, बिना शिवसेना के डर के. जब तक कंगना मुंबई में रहीं, तब तक मीडिया भी सुशांत सिंह राजपूत की मौत और रिया को भूली रही.  5 दिन मुंबई में रह कर 14 सितंबर को कंगना अपने घर मनाली लौट गईं. क्योंकि औफिस टूट जाने की वजह से वह काम तो कर नहीं सकती थीं. बहरहाल, कंगना और शिवसेना की लड़ाई अभी जारी है.

कंगना सब से अलग हैं, बिना किसी से डरे वह अपनी राह खुद चुनती हैं. कंगना कहती हैं, ‘मैं क्षत्राणी हूं. न किसी से डरूंगी, न झुकूंगी. तब तक लड़ती रहूंगी, जब तक मेरा सिर न कट जाए. एक बात और, मैं किसी भी लड़ाई को शुरू नहीं करती. हां, खत्म मैं ही करती हूं.’  फिलहाल कंगना का ट्विटर वार फिल्म इंडस्ट्री पर भारी पड़ रहा है. हालांकि जया बच्चन द्वारा संसद में उठाए गए फिल्म इंडस्ट्री को बदनाम करने की बात पर कंगना ने जो ट्वीट किया, वह गलत था. उन्हें ट्विटर पर ऐसी बातें नहीं लिखनी चाहिए थी. लेकिन कंगना तो कंगना हैं, कहां अच्छेबुरे की सोचती हैं. हालांकि संसद में जया बच्चन की कही बातें भी बेमानी साबित हुईं, क्योंकि बौलीवुड में अब ड्रग्स से जुड़े जो बडे़बड़े नाम सामने आ रहे हैं, उन्होंने कंगना की बात को सही साबित कर दिया है.

 

रंगबाज सीजन 2 Review : गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की कहानी

रंगबाज सीजन 2 Review : गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की कहानी – भाग 6

एपिसोड- 9

वेब सीरीज ‘रंगबाज फिर से’ के नवें और आखिरी एपिसोड का नाम ‘सरेंडर’ यानी कि आत्मसमर्पण रखा गया है. शुरुआत में पुलिस की जीपें दिखाई गई हैं और बारबार मुख्यमंत्री सावित्री सिंह का यह कथन पहले और बारबार दोहराया गया है कि जो कुछ भी करो, कानून के दायरे में रह कर करना.

मुख्यमंत्री सावित्री सिंह सुंदर सिंह से मिलती है और फिर पुलिस कमिश्नर व संजय मीणा को बुलवा कर आदेश देती है कि अमरपाल का खात्मा कर दो, कानून के दायरे में.

यहां पर लेखक और निर्देशक ने फिर एक एसटीएफ के चीफ संजय मीणा को असहाय सा दिखा डाला है, जो राजनेताओं के आदेश को गवर्नर और न्यायाधीश से भी अधिक तवज्जो देने वाला एक मजबूर पुलिस अधिकारी है, जबकि वह यह काम करने के लिए मना भी कर सकता था.

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यहां पर लेखक और निर्देशक ने यह साफ करने की कोशिश की है कि एसएसपी संजय मीणा शुरू से ही यानी कि छात्र जीवन से ही अमरपाल सिंह का प्रशंसक रहा है, इसलिए समयसमय पर वह उस की मदद करता रहता था. उस के बाद एपिसोड को कास्टिंग शुरू हो जाती है.

अमरपाल और उस के साथी हथियार ले लेते हैं. एसपी मीणा अपने भारी पुलिस दस्ते को किलेनुमा कोठी के चारों ओर और छत पर फैला देता है.

संजय मीणा कोठी में दाखिल होता है तो उसे अमरपाल के वही रूप फिर से सामने आते हैं. छात्रसंघ के अध्यक्ष के रूप में फूल मालाएं पहने, कालेज टौपर की ट्रौफी अपने हाथों में उठाए, आईपीएस का एग्जाम पास करते हुए. तभी अमरपाल एक पुलिसकर्मी को ढेर कर देता है. फिर एसएसपी मीणा अपनी पूरी पुलिस फोर्स को गोली चलाने का आदेश दे देता है. उस के बाद काफी संख्या में पुलिस वाले ढेर हो जाते हैं.

अमरपाल वहां से अनुप्रिया चौधरी को भगा देता है और अंत में अमरपाल के सभी साथी एकएक कर के फोर्स द्वारा मार दिए जाते हैं. अंत में अमरपाल अपने दोनों हाथों में पिस्टल व राइफल लिए एसएसपी मीणा के सामने आ जाता है और फिर एसएसपी मीणा अमरपाल के शरीर को गोलियों से छलनी कर देता है.

अमरपाल मरने से पहले एक बार अपनी बेटी चीकू के कहने पर ही आत्मसमर्पण कर रहा है क्योंकि वह अपने जीवन में अपनी बेटी चीकू से सब से ज्यादा प्यार करता है. उस के बाद अमरपाल सिंह का अंतिम संस्कार होता है, जिस में लाखों की संख्या में भीड़ जमा है.

इस एपिसोड में असली कहानी से लेखक एकदम से भटक गया है. असली कहानी में अमरपाल के शव को उठाने से पुलिस वाले भी डर रहे थे, यह सीन नहीं दिखाया गया है.

असली कहानी से भटक गया लेखक

अमरपाल की हत्या के बाद उस के शव को पूरे 3 हफ्ते डीप फ्रीजर में लोगों के आक्रोश के कारण रखा गया था. उस की हत्या के विरोध में असली कहानी में एक विशाल जनसभा का आयोजन भी इस वेब सीरीज में नहीं दिखाया गया.

असली कहानी में गैंगस्टर अमरपाल सिंह का अंतिम संस्कार पुलिस द्वारा गुपचुप तरीके से करवाया गया था, जबकि यहां पर इस वेब सीरीज में उस का अंतिम संस्कार उस की बेटी और उस के परिजनों की अपार भीड़ की उपस्थिति में दिखाया गया है. यदि असली कहानी को वेब सीरीज में दिखाया जाता तो यह कहानी और बेहतर साबित हो सकती थी.

इस सीरीज में लेखकनिर्देशक ने पूरा प्रयास गैंगस्टर आनंदपाल सिंह को पीडि़त के रूप में चित्रित करने और उस के दोस्तों और परिवार पर दबाब डालने जैसा दिखाया. लेखक व निर्देशक गैंगस्टर पीडि़त हुए निर्दोषों की भावनाओं को पकडऩे में एकदम नाकाम रहे.

एक और समस्या थी इसे बहुत कमजोर बनाना और बेवजह की नाटकीयता पैदा करना. चूंकि यह एक वास्तविक कहानी है, इसलिए लेखक निर्देशक किसी परिकल्पना के आधार पर नाटक बनाने के बजाय इसे प्रामाणिक बनाने के लिए इस वेब सीरीज में काम करना चाहिए था.

अंत में दर्शक अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस करते हैं जैसे किसी ऐसी वेब सीरीज को देख रहे हैं, जहां पर एक गैंगस्टर को हीरो बना कर पेश किया था. एक क्रूर बदसूरत गैंगस्टर को नरम दिल वाले मासूम इंसान के रूप में दिखाया गया था.

जिमी शेरगिल

बौलीवुड अभिनेता जिमी शेरगिल का वास्तविक नाम जसजीत सिंह गिल है. जिमी का जन्म 3 दिसंबर, 1970 को गांव देवकाहिया, सरदार नगर जिला गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था. जिमी शेरगिल के पिता का नाम सत्यजीत सिंह शेरगिल व माताजी का नाम बलराज कौर शेरगिल है. जिमी के एक भाई है जिस का नाम अमन शेरगिल है.

जिमी शेरगिल की पत्नी का नाम प्रियंका पुरी है, जो एक बेटे की मां है. जिमी ने विक्रम कालेज, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला, पंजाब से कौमर्स में स्नातक किया.

जिमी शेरगिल ने अपने फिल्मी करिअर की शुरुआत 1996 की थ्रिलर ‘माचिस’ से की थी. उस की सफलता ब्लौकबस्टर, म्यूजिकल रोमांस ‘मोहब्बतें’ के साथ सामने आई, जो साल की सब से अधिक कमाई करने वाली बौलीवुड फिल्म बन गई, जिस के बाद उस ने ‘मेरे यार की शादी है’, ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ सहित कई अन्य बौक्स औफिस हिट फिल्मों में अभिनय किया.

‘हम तुम’, ‘ए वेडनेसडे’, ‘तनु वेड्स मनु’, ‘स्पैशल 26’, ‘हैप्पी भाग जाएगी’ और ‘दे दे प्यार दे’ रोमांटिक कौमेडी सहित कई फिल्में कीं, इन में से कई फिल्में हिट रहीं.

जिमी ने वर्ष 2005 में ‘यारन लाल बहारन’ से पंजाबी फिल्मों में डेब्यू किया था. पंजाबी सिनेमा में उस के उल्लेखनीय काम में ‘मेल करादे रब्बा’, ‘धरती’, ‘आ गए मुंडे यूके दे’, ‘शारिक’ और ‘दाना पानी’ शामिल हैं. जिमी औसतन एक फिल्म के लिए 1 से 2 करोड़ रुपए तक लेता है. इस की कुल संपत्ति लगभग 68 करोड़ रुपए है.

स्पृहा जोशी

अभिनेत्री स्पृहा जोशी का जन्म 13 अक्तूबर, 1989 को मुंबई में हुआ था. इस के पिता का नाम शिरीष जोशी है, जो ट्रिमैक्स आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर एंड सर्विस लिमिटेड, मुंबई में काम करते हैं. इस का विवाह 2013 में वरद लाघाटे के साथ हुआ था.

स्पृहा जोशी एक भारतीय अभिनेत्री, कवि और लेखिका है. वह बचपन से ही अभिनेत्री बनना चाहती थी. 2004 में उस ने मराठी  फिल्म से शुरुआत की थी. फिल्म ‘माय बाप’ से एक बाल कलाकार के रूप में अपने अभिनय की शुरुआत की थी.

स्पृहा जोशी ने अपनी स्कूली शिक्षा बालमोहन विद्यामंदिर, दादर से पूरी की और फिर रुइया कालेज मुंबई से स्नातक किया. मराठी फिल्म में डेब्यू के बाद उस ने अपनी ग्रैजुएशन पूरी करने के लिए फिल्मों से ब्रेक ले लिया.

जब वह रामनारायण रुइया कालेज में ग्रैजुएशन कर रही थी, तब उस ने गमभाना, युगमक, एक और मय्यत, सांता, एक आशी व्यक्ति, कोई ऐसा, कैनवास और अनन्या जैसे नाटकों (थिएटर) में अभिनय किया.

टेलीविजन पर उस की पहली उल्लेखनीय भूमिका ‘अग्निहोत्र’ में उमा बैंड की की थी. 2011 में उसे अवधूत गुप्ते द्वारा निर्देशित मराठी फिल्म ‘मोरया’ में देखा गया था.

2012 में मराठी फिल्म ‘उंच माजा जोका’ में रमाबाई रानाडे की मुख्य भूमिका निभाई, जिस का निर्देशन वीरेन प्रधान ने किया था.

स्पृहा जोशी ने ‘ए पेइंग घोस्ट’, ‘पैसा पैसा’, ‘माल कहिच मप नौट’, ‘होम स्वीट होम’ में उत्कृष्ट अभिनय किया था. 2019 में स्पृहा जोशी ‘द औफिस इंडिया’ वेब सीरीज में भी काम कर चुकी हैं.

स्पृहा जोशी ने कई लोकप्रिय मराठी गीतों के बोल लिखे हैं, जिन में से प्रमुख ‘डबल सीट’, ‘किती संगायचाय माला’, ‘मुंबई-पुणे-मुंबई 2’, ‘साद ही प्रीतिची’, ‘लास्ट ऐंड फाउंड’ प्रमुख हैं. स्पृहा जोशी ने एक अभिनेत्री, गीतकार व कवि के रूप में कई पुरस्कार जीते हैं.

गुल पनाग

गुल पनाग का जन्म 3 जनवरी, 1979 को चंडीगढ़ में हुआ था. इस के पिता का नाम हरचरणजीत सिंह पनाग और माताजी का नाम गुरजीत कौर है. पिता लेफ्टिनेंट जनरल एच.एस. पनाग रहे हैं और भारतीय सेना में आर्मी कमांडर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं.

पिता के विभिन्न स्थानों पर ट्रांसफर के कारण गुल पनाग ने केंद्रीय विद्यालय सहित 14 स्कूलों में पढ़ाई की थी. गुल पनाग ने पंजाब यूनिवर्सिटी पटियाला से ग्रैजुएशन व राजनीति शास्त्र में परास्नातक की डिग्री हासिल की.

गुलकीत कौर पनाग उर्फ गुल पनाग एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री, वायस ओवर आर्टिस्ट और राजनीतिज्ञ है. वह हिंदी सिनेमा में अपने दमदार किरदार और अभिनय के लिए जानी जाती है.

गुल पनाग ने अपने करिअर की शुरुआत बतौर मौडल से की, उस के बाद उस ने साल 1999 में मिस इंडिया और मिस ब्यूटीफुल का पुरस्कार जीता. उस के बाद उस ने मिस यूनिवर्स में भी भाग लिया, लेकिन वह ज्यादा आगे नहीं जा सकी.

गुल पनाग ने 2003 में ही फिल्मों में अभिनय की शुरुआत कर दी थी. ‘धूप’ उस की सब से पहली फिल्म थी. इस के अतिरिक्त ‘जुर्म’, नागेश कुकुनूर द्वारा निर्देशित ‘डोर’, ‘मनोरमा सिक्स फीट अंडर’, ‘समर 2007’, ‘हैलो’, ‘अभिनव’, ‘स्ट्रेट’, ‘रन’, ‘हेलो डार्लिंग’, ‘टर्निंग 30’, ‘फटसो’, ‘अब तक छप्पन 2’, ‘अंबरसरियां’, ‘स्टूडेंट औफ द ईयर 2’ प्रमुख फिल्में हैं. गुल पनाग का विवाह उन के कथित प्रेमी एयरलाइन पायलट ऋषि अटारी से चंडीगढ़ के गुरुद्वारा में हुआ था.

साल 2014 में गुल पनाग आम आदमी पार्टी से जुड़ गई थी. 2014 में लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने गुल पनाग को चंडीगढ़ से अपना प्रत्याशी घोषित किया था, जहां पर इस का सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार किरण खेर व कांग्रेस के पवन बंसल से था. लेकिन वह हार गई थी.

रंगबाज सीजन 2 Review : गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की कहानी – भाग 5

एपिसोड- 8

आठवें एपिसोड का नाम ‘दो और दो पांच’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में एक किले में अमरपाल अपने साथियों के साथ बैठा है, जहां एक साथी अमर और उस के साथियों को हीरा सिंह की हत्या के बदले में राजा फोगाट के मर्डर पर मां भवानी का प्रसाद खिलाता है. तभी वहां पर अनुप्रिया चौधरी आती है और अमरपाल उसे गले मिल कर थैंक्यू कहता है. अनुप्रिया कहती है कि हीरा सिंह को नहीं बचा पाई.

अगले सीन में राजा फोगाट की हत्या का समाचार देख कर मुख्यमंत्री सावित्री सिंह सुंदर सिंह को फोन कर के कहती है कि देखिए जल्दी कीजिए अमरपाल का, अब तो आप गृहमंत्री भी हैं, आप को खुली छूट है.

यहां पर लेखक और निर्देशक ने पहले एपिसोड में रही अपनी कमियों को छिपाने के लिए अनुप्रिया के मुंह से फिर कहलवा दिया कि मैं हीरा सिंह को बचा नहीं सकी, फिर अमरपाल कहता है, जाना मुझे था लेकिन वह चला गया. इस का मतलब जो भी जाता वह मरता ही. यह बात गले से नहीं उतर पाती.

एपिसोड के पहले दृश्य में गृह मंत्री सुंदर सिंह चौहान (हर्ष छाया) अपने भाषण में अमरपाल को अप्रत्यक्ष रूप से काफी कुछ कहता है. वहां वेश बदल कर अमरपाल और अनुप्रिया चौधरी बैठे हुए हैं, जिन्होंने वहां टाइम बम फिट कर रखा है. अमरपाल और अनुप्रिया रिमोट दबाते हैं, मगर वह नहीं चल पाता. शायद बम पहले ही किसी ने डिफ्यूज कर दिया था.

अमरपाल को शक होता है कि कहीं हमारा ही कोई आदमी तो नहीं है. अब अगले दृश्य में फ्लैशबैक में एसपी संजय मीणा सभास्थल पर अनुप्रिया चौधरी को उस के आदमी के साथ देख लेता है और ढूंढ़ कर फिर बम डिफ्यूज कर देता है और गृहमंत्री सुंदर चौहान को ये सब बातें बता कर उसे सभा में भाषण देने को कहता है, जिसे सुंदर सिंह पुलिस के भरोसे से पूरा भी कर लेता है.

अब यहां पर लेखक की कमी यह साफसाफ नजर आ रही है कि यदि एसपी मीणा ने अनुप्रिया को देखा तो उसे तुरंत गिरफ्तार क्यों नहीं किया? यदि पुलिस को पता था कि अमरपाल खुद या उस के साथी रिमोट ले कर बम धमाका करने वाले हैं तो पुलिस या सरकार ने उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश क्यों नहीं की? यह बात सचमुच समझ से परे लग रही है.

आगे अमरपाल का साथी उसे कहता है कि अभी माहौल काफी विपरीत हो चुका है, इसलिए अमरपाल का कुछ सालों के लिए विदेश यानी दुबई या नैरोबी में 2-3 साल के लिए चले जाना चाहिए. बाद में फिर जब सरकार या परिस्थति बदलती है तो फिर वापस भारत आ सकते हैं.

अमरपाल विदेश जाने के लिए तैयार हो जाता है, मगर विदेश जाने से वह अपनी बेटी चीकू से एक बार मिलना चाहता है. उस के साथी और अनुप्रिया चौधरी उसे बहुत समझाते हैं, मगर वह नहीं मानता है. अगले दृश्य में गृहमंत्री सुंदर चौहान पुलिस अधिकारियों को अमरपाल की गिरफ्तारी के लिए मीटिंग करता है.

उस के बाद एक बार फिर से वेब सीरीज के निर्देशक की कमी साफसाफ दिखाई दे रही है कि कैसे मोस्टवांटेड क्रिमिनल, जिस पर पूरे 10 लाख का इनाम है, जिसे पकडऩे के लिए एक स्पैशल टास्क फोर्स बनाई गई है, उस की नाक के नीचे केवल बढ़ी हुई दाढ़ी में बाइक पर ट्रक में बैठ कर हौस्टल के गार्ड को धमका कर अपनी बेटी के कमरे तक बेझिझक पहुंच जाता है.

उस की बेटी उस से जयराम गोदारा की हत्या करने के कारण मिलने से मना कर देती है. वहां पर काफी शोर भी होता है, जिस से कई बच्चे अपनेअपने कमरों से बाहर आ जाते हैं, लेकिन वहां पर गार्ड सहित सभी मूकदर्शक बने हुए हैं.

यानी जिन्हें पुलिस को सूचना देनी चाहिए थी, जिस से पूरा राज्य यहां तक कि उस की अपनी बेटी तक नफरत करती है, उस के बारे में किसी ने भी पुलिस को सूचना तक देने का बिलकुल भी प्रयास तक नहीं किया.

पासपोर्ट मिलने के बावजूद अमरपाल क्यों नहीं गया विदेश

आगे अमरपाल का साथी उसे पासपोर्ट देता है, लेकिन अब अमरपाल सिंह अपनी बेटी के प्यार में पागल हो कर आत्मसमर्पण को तैयार हो जाता है.

फिर आगे अनुप्रिया चौधरी पूछती है कि आप की चीकू कैसी है तो वह कहता है कि वह कितना बदनसीब है कि जिसे वह जान से भी ज्यादा प्यार करता है, वह उस से नफरत करती है.

अगले दृश्य में अमरपाल एक चिट्ठी राज्यपाल और न्यायाधीश को लिखता है कि उस के ऊपर लगाए गए सभी आरोप राजनीति से प्रेरित हैं, इसलिए उस पर लगाए आरोपों की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया जाए तो वह आत्मसमर्पण करने के लिए तैयार है.

अगले दृश्य में अनुप्रिया चौधरी और उस के साथी इस पत्र की कौपी मीडिया को दे देते हैं ताकि पुलिस और सरकार अमरपाल सिंह के खिलाफ नाइंसाफी न कर सके.

यह खबर अमरपाल की पत्नी रुक्मिणी भी देखती है. मुख्यमंत्री पुलिस अधिकारी संजय मीणा को आदेश देते हैं कि सारा काम कानून के दायरे में होना चाहिए. पुलिस का वरिष्ठ अधिकारी बन चुका संजय मीणा कई फाइलें देख कर अपना अगला प्लान बनाने की जुगत में लग जाता है और एपिसोड खत्म हो जाता है.

रंगबाज सीजन 2 Review : गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की कहानी – भाग 4

एपिसोड- 7

इस सीरीज के सातवें एपिसोड का नाम ‘गिरगिट रंग बिरंग’ रखा गया है. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इस में धोखेबाजों का वर्णन है. एपिसोड की शुरुआत प्रजातांत्रिक सेना की मुख्यमंत्री उम्मीदवार सावित्री देवी के घर से होती है.

नेता सुंदर सिंह सावित्री देवी से अमरपाल पर कम सख्ती बरतने को कहता है. सावित्री देवी कहती है कि अब हम सत्ता में हैं, इसलिए दूसरी जातियों को भी साथ में लाना होगा. इस में एक महिला मुख्यमंत्री को अपने साथी सुंदर सिंह के साथ सार्वजनिक रूप से शराब पीना काफी अखरता है. निर्देशक यदि इसे परदे के भीतर दिखाता तो शायद अच्छा लगता.

अगले दृश्य में सुंदर सिंह गैंगस्टर राजा फोगाट से मिल कर अमरपाल सिंह के बारे में बात करता है. यहां पर लेखक और निर्देशक ने राजा फोगाट के मुंह से फिर गालियों का भरपूर इस्तेमाल किया है.

एपिसोड के पहले दृश्य में रुक्मिणी और चीकू की बातचीत दिखाई गई है, जिस में चीकू रुक्मिणी से पूछती है कि क्या उस के पापा अमरपाल ने ही चाचू (जयराम गोदारा) को मारा है? अगले दृश्य में मुख्यमंत्री सावित्री देवी एसपी मीणा से अमरपाल की गिरफ्तारी जल्द से जल्द करने का आदेश देती है.

उस के बाद नेता सुंदर सिंह एसपी मीणा से कहता है कि नागौर में जनसभा का आयोजन करो, जहां जनता को सुंदर सिंह संबोधित करेगा. तभी अनुप्रिया चौधरी (गुल पनाग) राजा फोगाट से मित्रता करने के मकसद से आती है और उसे अपने हुस्न के जाल में फंसाने की कोशिश करती है.

राजा फोगाट उसे रात डेढ़ बजे होटल शीतल में मिलने के लिए बुलवाता है और उसे अमरपाल को वहां पर बुलाने के लिए कहता है. उधर एसपी संजय मीणा अमरपाल को पकडऩे के मकसद से हर गली, हर कस्बे हर गांव और हर शहर में अमरपाल के पोस्टर लगवा देता है.

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कौन सा टेस्ट देने के बाद अनुप्रिया को गैंग में किया शामिल

इस के अगले दृश्य में अमरपाल अकेले में शराब पी कर कहता है मुझे सब छोड़ कर चले गए. उस के साथ उस समय उस का विश्वस्त साथी हीरा सिंह भी होता है. वह अमरपाल को विश्वास दिलाता है कि वह अपने खून की आखिरी बूंद तक तुम्हारा साथ देता रहेगा. तभी अनुप्रिया चौधरी का मैसेज अमरपाल के फोन पर आता है, उसे तुरंत हीरा सिंह देख लेता है और बहाना बना कर खुद होटल शीतल में जा कर राजा फोगाट को ढूंढता है.

राजा फोगाट के आदमी उसे पकड़ कर राजा फोगाट के सामने लाते हैं. राजा फोगाट और हीरा सिंह की बहस होती है. हीरा सिंह वहां पर अनुप्रिया चौधरी को देख कर उस पर ताने मारता है, तभी राजा फोगाट हीरा सिंह के ऊपर गोलियां बरसा कर उस की निर्मम हत्या कर देता है. और फिर वह अनुप्रिया चौधरी से कहता है कि तुम परीक्षा में पास हो गई हो, अब तुम मेरे साथ शामिल हो सकती हो.

उस के अगले सीन में अमरपाल के साथी बताते हैं कि राजा फोगाट ने हीरा सिंह की हत्या कर दी है. अब अमरपाल समझ जाता है कि हीरा सिंह ने उस की जान बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे डाली. अमरपाल भागने का प्लान बनाता है, क्योंकि पुलिस ने जगहजगह उस के पोस्टर लगा कर उसे पकडऩे या सूचना देने वाले को 10 लाख रुपए इनाम देने की घोषणा कर दी थी.

तभी रुक्मिणी अमरपाल से कहती है कि तुम हमारी बेटी चीकू से बात कर लो, क्योंकि उस ने टीवी में मधु गोदारा (जयराम गोदारा की पत्नी) का इंटरव्यू देख लिया है.

अगले दृश्य में अमरपाल अपनी बेटी को कई बार फोन करता है, परंतु उस की बेटी चीकू उस का फोन उठाती ही नहीं है. अगला सीन राजा फोगाट और अनुप्रिया चौधरी का है, जिस में सैक्स करने के बाद दोनों शराब पी रहे हैं.

जहां अनुप्रिया उसे कहती है कि अमरपाल सिंह की सब से बड़ी कमजोरी उस की बेटी चीकू है और वह कहां है मेरे अलावा कोई नहीं जानता. यदि उस की कमजोरी को हम ने काबू कर लिया तो अमरपाल का अंत हो सकता है. अगले दृश्य में राजा फोगाट मंत्री बन गए सुंदर सिंह को फोन करता है कि उसे एक राज पता चल गया है, जिस से वह अमरपाल को समाप्त करवा देगा.

सुंदर सिंह उस से प्लान पूछता है तो राजा फोगाट कहता है कि कल की हेडलाइन खुद ही देख लेना. इस के बाद सुंदर सिंह एसपी संजय मीणा को फोन पर बताता है कि राजा फोगाट एक अनहोनी करने वाला है, उस की हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखो.

राजा फोगट अपने साथियों के साथ चीकू के हौस्टल पहुंच जाता है, मगर वहां पर उस के सभी आदमी मार दिए जाते हैं. वह अकेला खड़ा रहता है तब उसे याद आता है कि अनुप्रिया चौधरी ने उस के साथ दगा कर दी है. उस के बाद वहां पर अमरपाल अकेला राइफल लिए नजर आता है.

फिर अमरपाल अनुप्रिया चौधरी को फोन करता है कि यहां का चैप्टर खत्म हो गया, आगे की तैयारी करो. उस के बाद एक सभा का दृश्य आता है.

इस में लेखक और निर्देशक ने अपनी ओर से तो बहुत कोशिश की है, लेकिन इस की कमियां काफी रही हैं. मसलन, अनुप्रिया चौधरी को राजा फोगाट के गैंग में शामिल किया गया, उस में अगर वह अमरपाल सिंह के साथ थी तो दोनों के बीच कोई ऐसी बातें अथवा मैसेज क्यों नहीं थे?

सुंदर सिंह ने जब एसपी मीणा को कहा था कि राजा फोगाट की गतिविधि पर नजर रखो तो पुलिस क्या अमरपाल सिंह का साथ दे रही थी? यह कहीं पर भी दिखाया नहीं गया है. एक अकेला अमरपाल सिंह राजा फोगाट के अनगिनत साथियों की हत्या कर फिर राजा फोगाट को मार डालता है? अमरपाल सिंह के साथ उस के अन्य साथियों को क्यों नहीं दिखाया गया?

अनुप्रिया चौधरी यानी गुल पनाग का अभिनय इस एपिसोड में बिलकुल भी प्रभावित नहीं कर पाया है. यहां पर यह भी साफ साफ लगता है कि फिर तो गैंगस्टर अमरपाल सिंह ने अपने विश्वस्त साथी हीरा सिंह की खुद ही हत्या करा दी, जोकि शायद संभव नहीं हो सकता. लेखक व निर्देशक इस में पूरी तरह से नाकाम रहे हैं.

रंगबाज सीजन 2 Review : गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की कहानी – भाग 3

किले में क्यों मिले अमरपाल और जयराम

इस सीन में निर्देशक भाव धूलिया की एक बड़ी कमी साफ दिखाई दे रही है. जिस अमरपाल सिंह को पूरे राज्य की पुलिस ढूंढ रही है, जो जयराम गोदारा एक कुख्यात नाम है, जिस की फोटो अकसर अखबारों में छपती रहती है. वे अपने खुले चेहरे में उस सभा में बम फेंक कर वहां से मोटरसाइकिल से फरार भी हो जाते हैं. निर्देशक को कम से कम उन दोनों के चेहरे तो ढंक देने चाहिए थे. ये सारा दृश्य नाटकीय सा लगता है.

उस के बाद अगला सीन शुरू हो जाता है मदन सिंह (विधायक) अमरपाल से मिलने उस के घर आता है, तभी वहां जयराम गोदारा आ जाता है. राजपूत विधायक मदन सिंह जयराम गोदारा को दिल को चुभ जाने वाली काफी बातें कहता है.

अमरपाल किसी तरह से जयराम गोदारा को काबू में करता है. जयराम अपने साथ हवाई जहाज के 2 टिकट अमरपाल को दे कर गुस्से से वहां से चला जाता है.

एक दिन राजपूत विधायक मदन सिंह बाजार में मिठाई खरीदने के लिए अपनी गाड़ी रुकवाता है, तभी जयराम गोदारा गोली मार कर विधायक मदन सिंह की हत्या कर देता है. इस से पूरे राजस्थान में हड़कंप मच जाता है. किसी को पता नहीं चल पाता कि हत्या किस ने की है.

फिर राजा फोगाट का एक विश्वस्त पुलिस अधिकारी उसे फोन कर के कहता है कि अमरपाल ने विधायक मदन सिंह की हत्या कर दी है. राजा फोगाट उस से कहता है कि अमरपाल उसे नहीं मार सकता. पता करो किस ने हत्या की है.

अमरपाल को पता होता है कि जयराम गोदारा ने ही विधायक मदन सिंह की हत्या की है तो वह अपने साथियों से जयराम गोदारा को बुलाने और उस के पास लाने को कहता है. अमरपाल के गुस्से को उस का साथी बलराम राठी उसे समझाता नजर आ रहा है. यहां पर लेखक और निर्देशक ने एक बार फिर फ्लैशबैक में जाने की भूल की है, जिसे देख कर दर्शकों को खुद समझना पड़ता है कि बलराम राठी की तो पहले ही हत्या हो चुकी है. इस का मतलब यह फ्लैशबैक होगा.

जयराम गोदारा घर छिप कर आता है, उस से पहले अमरपाल के साथी उसे ढूंढने आए थे. जयराम गोदारा अपनी पत्नी को कुछ पैसे दे कर घर वालों का खयाल रखने को कहता है. इसी बीच उस के घर के बाहर दरवाजों को जोरजोर से खटखटाने की आवाज सुनाई पड़ती हैं.

उस के अगले सीन में अमरपाल को उस की पत्नी रुक्मिणी बताती है कि आज उन की बेटी का जन्मदिन है. वह 10 साल की हो गई है. रुक्मिणी हौस्टल में फोन कर के वैशाली सिंह उर्फ चीकू से बातें करती है उसी समय अमरपाल पत्नी से फोन ले कर अपनी बेटी से बात करता है तो चीकू बताती है कि चाचू (जयराम गोदारा) ने सब से पहले उसे जन्मदिन की बधाई दी है और ये मैसेज भी देती है कि चाचू ने कहा है कि यदि दोस्त मानते हो तो वहां मिलो, जहां दोस्त मिलते हैं. फिर रुक्मिणी चीकू से बातें करने लग जाती है.

तभी अमनपाल और जयराम गोदारा को उसी खंडहरनुमा किले में दिखाया जाता है, जहां पर वे पहले भी अकसर मिला करते थे. दोनों में काफी देर तक बातचीत होती है और इसी बीच अमरपाल मौका देख कर अपने दोस्त जयराम गोदारा की जान ले लेता है.

उस के बाद अमरपाल राजपूतों का मसीहा बन जाता है, क्योंकि उस ने एक जाट गैंगस्टर, जोकि उस के भाई से भी बढ़ कर एक दोस्त था, उस की हत्या कर दी थी. फिर अमरपाल का राजनीति, शराब, फिरौती और हथियार सप्लाई में चारों ओर दबदबा बढ़ता चला जाता है.

राजनीति में आने की इच्छा से अब अमरपाल सिंह राजपूतों की भवानी सेना का निर्माण करता है, जिस का आतंक पूरे प्रदेश में दिनबदिन बढ़ता चला जाता है.

इसी बीच एसपी संजय सिंह मीणा जयराम गोदारा की पत्नी से मिलता है और उसे अमरपाल सिंह के खिलाफ गवाही देने के लिए कहता है.

इस एपिसोड में एसपी संजय मीणा का असल में मकसद क्या है, वह डायरेक्टर अच्छी तरह से दिखाने में असफल रहा. अभिनय की दृष्टि से सभी कलाकारों का अभिनय औसत दरजे का रहा है, कोई भी कलाकार अपने अभिनय से प्रभावित करने में असफल रहा है.

एपिसोड- 6

वेब सीरीज ‘रंगबाज फिर से’ के छठें एपिसोड का नाम ‘चक्रव्यूह है फंस जाएगा’ के नाम से रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में अमरपाल और अनुप्रिया चौधरी बातें करते हैं, तभी एसपी संजय मीणा को खबर मिलती है तो वह अपनी टीम और राजा फोगाट के आदमियों के साथ अमरपाल के ठिकाने पर दबिश देने पहुंचता है. मगर वहां पर कुछ नहीं मिलता.

हां, एक मैसेज शीशे में लिखा नजर आता है, ‘अगली बार और तैयारी कर के आना’, जिसे देख कर एसपी मीणा अपनी नाकामी पर जोरजोर से हंसता दिखाई पड़ता है. तभी अमरपाल अनुप्रिया चौधरी के साथ जीप में जाता दिखाई दे रहा है. वह रुक्मिणी और फिर विपक्षी पार्टी के नेता सुंदर सिंह से बात करता है.

अगले सीन में अमरपाल को खबर मिलती है कि राजा फोगाट किसी जगह पर जरूर जाएगा और इस के बाद एपिसोड की कास्टिंग शुरू हो जाती है. इस में निर्देशक ने कंफ्यूज सा कर एक सीन कहीं का तो दूसरा कहीं का जोड़तोड़ कर कहानी को भ्रमित सा कर दिया है.

विपक्षी पार्टी का नेता सुंदर सिंह अमरपाल से अपने दुश्मनों को ठिकाने लगाने और उन की प्रजातांत्रिक सेना पार्टी को जिताने के एवज में उस के ऊपर लगे सभी आरोपों को वापस लेने का वचन यह कहते हुए देता है कि यह एक राजपूत का वचन है.

नेता के कहने पर कौन कर रहा था हत्याएं

सुंदर सिंह (विपक्षी नेता) के कहने पर अमरपाल सिंह 5 बार के एमएलए और मंत्री रहे करमचंद्र शेखावत की हत्या एयर कंडीशन ब्लास्ट के रूप में आग लगा कर करवा देता है.

अगले सीन में एसपी संजय मीणा अमरपाल सिंह की सहयोगी अनुप्रिया चौधरी (गुल पनाग) से मिलता है और उसे बताता है कि सुंदर सिंह (विपक्षी पार्टी नेता) के कहने पर अमरपाल जो ये हत्याएं कर रहा है, उसे तुम रुकवा लो नहीं तो अमरपाल सिंह इस राजनीति के चक्रव्यूह में फंस कर खुद को बरबाद कर देगा. सुंदर सिंह की भूमिका हर्ष छाया ने निभाई है.

तभी एसपी संजय मीणा गृहमंत्री अहलावत को अपने साथ उस के घर ले जाता है यानी कि जयराम गोदारा की पत्नी मधु गोदारा को अमरपाल सिंह के खिलाफ गवाही देन के लिए राजी कर प्रैस कौन्फ्रैंस में अपने पति के हत्यारे का नाम जगजाहिर करवा देते हैं.

अमरपाल सिंह अपने साथी के साथ विपक्षी पार्टी के सर्वेसर्वा सुंदर सिंह का मुखौटा अपने चेहरे पर लगा कर सुंदर सिंह को बधाई देने का प्रोग्राम बनाता है.

इस दृश्य को अमरपाल की बेटी चीकू टीवी पर देख कर अपने चाचा जयराम गोदारा की यादों में खोई हुई दिख रही है. यह सीन पहले भी निर्देशक दिखा सकते थे. यह केवल एपिसोड को लंबा खींचने की कोशिश साफसाफ नजर आ रही है.

इस के अगले सीन में फिर वही पुराना सीन आगे दोहराया गया है, जिस में अमरपाल और साथी पटाखे जलाते, खुशियां मनाते सुंदर सिंह के घर पर पहुंचते हैं. वहां जब अमरपाल सिंह सुंदर सिंह को राजा फोगाट से गले मिलते देखता है तो अब उसे सारा माजरा समझ में आ जाता है. वह अपने साथी के साथ उलटे पांव वापस लौट जाता है.

रंगबाज सीजन 2 Review : गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की कहानी – भाग 2

एपिसोड- 3

एपिसोड नंबर 3 का नाम धंधे का गणित दिया गया है. इस में लेखक और निर्देशक ने एक नाबालिग बच्चे के हाथ में जो राजा फोगाट का बेटा है, उसे पिस्तौल थमाने वाला बेतुका सीन दिखाया है, जो अनुचित दृश्य है.

इस के अलावा राजा फोगाट अपने बेटे को और पत्नी को गंदीगंदी गालियां देता और फिर नाबालिग बच्चे से पिस्तौल को चलाता हुआ दिखाया गया है, जो कहीं से कहीं तक भी दिखाया जाना बिलकुल भी जरूरी नहीं था.

अगले दृश्य में अमरपाल, जयराम गोदारा और बलराम राठी एकएक कर के राजा फोगट के आदमियों को मारते हुए दिखाई दे रहे हैं. इस के बाद वे तीनों राजा फोगट के उस आदमी को भी जान से मार डालते हैं, जिसे राजा फोगट ने अमरपाल को मारने के लिए कहा था.

अमरपाल फिर से जेल चला जाता है, जहां से पैरोल पर वह अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए आता है. सरकार की ओर से अमरपाल को अनुप्रिया चौधरी से मिलने को कहा जाता है कि यह आप की मदद करना चाहती है, बदले में तुम्हें उसे संरक्षण देना होगा. अनुप्रिया की भूमिका गुल पनाग ने निभाई है.

उस के बाद अनुप्रिया चौधरी (गुल पनाग) की एंट्री होती है. वह अमरपाल से कहती है कि आप मुझे मेरे कर्जदारों से बचा लो, बदले में मैं बाहर रह कर भी आप के वे सब काम करूंगी जो आप के आदमी कभी भी नहीं कर सकते. उस के बाद अमरपाल को वापस जेल ले जाते हुए दिखाया गया है और अमरपाल सिंह की मां को अपनी बहू रुक्मिणी से गले लग कर रोते हुए दिखाया गया है और फिर एपिसोड समाप्त हो जाता है.

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इस एपिसोड में एक दृश्य से दूसरे दृश्य में जाने की उत्सुकता जो दर्शकों के मन में रहती है, वह लगातार भटकती हुई दिखाई दे रही है. कहीं का सीन कहीं जोड़ कर कहानी को अनेक बार भ्रमित सा किया गया है.

एपिसोड- 4

वेब सीरीज के चौथे एपिसोड का नाम ओवर ऐंड आउट रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में बलराम राठी की मृत्यु पर शोकसभा हो रही है, तभी वहां पर आ कर राजा फोगाट अमरपाल सिंह को गाली देते हुए दिखता है. तभी वहां पर अमरपाल सिंह की पत्नी रुक्मिणी आ कर बलराम राठी की पत्नी को सांत्वना देती है और राजा फोगट की गाली शालीनता के साथ ईंट के जवाब में पत्थर ठोक कर कहती है तो वहां से राजा फोगट गुस्से से चला जाता है.

अगले दृश्य में अमरपाल सिंह जेल में होता है, जेल का संतरी अखबार उस के कमरे के दरवाजे के बाहर छोड़ कर जाता है. अमरपाल अखबार के पहले पृष्ठ पर अपनी फोटो और खबर देख कर अखबार को फेंक देता है.

यहां पर लेखक और निर्देशक से एक बड़ी चूक हुई है कि वे इस बात को दर्शकों के पास ले कर आने में कामयाब नहीं हो सके कि आखिर वह खबर क्या और कौन सी थी, जिसे देखते ही अमरपाल सिंह ने अखबार फेंक डाला था.

उस के अगले दृश्य में अनुप्रिया चौधरी (गुल पनाग) की कहानी सामने आती है कि कितने कम समय में उस ने शेयर मार्केट में बुलंदियां हासिल की थीं. एमबीए करने के बाद वह शेयर मार्केट में कैसे छा गई थी और फिर उस का ग्राफ कैसे एकदम नीचे गिर गया था.

फिर अमरपाल का शराब के धंधे का पैसा हवाला में दिया जाता है. इस के अलावा वह बेशुमार दौलत अमरपाल सिंह अपने एक साथी अजय सिंह के माध्यम से अनुप्रिया चौधरी को शेयर मार्केट में लगाने दे देता था.

अनुप्रिया को इस बात का पता नहीं चलता कि इस में अमरपाल का पैसा भी लगा है. इस बीच अनुप्रिया ऊंची उड़ान भरना चाहती थी, लेकिन शेयर मार्केट में 5 लाख करोड़ रुपए डूब गए. अब जिन लोगों ने पैसे लगाए थे, वे आए दिन अनुप्रिया चौधरी को मारने की धमकी देने लगे थे.

अगले दृश्य में एसपी संजय सिंह मीणा (जीशान अय्यूब) और राणा फोगाट की मुलाकात को दिखाया गया है. यहां पर राजा फोगट के मुंह से धाराप्रवाह गालियां दी गई हैं, जिसे दूसरे तरीके से दिखाया जा सकता था. राजा फोगट कहता है कि मैं खुद अमरपाल को मारूंगा, क्योंकि उस को मारना आप लोगों और नेताओं के बस की बात नहीं है.

यहीं पर मुख्यमंत्री को गृहमंत्री अहलावत को डांटते दिखाया गया है. उस के बाद गृहमंत्री अहलावत और गैंगस्टर राजा फोगाट की मुलाकात होती है, जिस में एक अपराधी (राजा फोगट) एक गृहमंत्री से ऐसे बात करता है, जैसे गृहमंत्री उस का एक गुलाम हो. एक गैंगस्टर प्रदेश के मुख्यमंत्री को सरेआम धमकी देता है.

अगले सीन में करण चड्ढा जो राजा फोगट का खास आदमी है और उस के शराब के काम को देखता है. करण चड्ढा कोकीन और बड़ी उम्र की औरतों का शौकीन है, जो बार में अनुप्रिया चौधरी (गुल पनाग) को देख कर फिदा हो जाता है. फिर अनुप्रिया चौधरी और करण चड्ढा हमबिस्तर होते हैं. अनुप्रिया वहां पर करण चड्ढा की जासूसी करती है.

यहीं पर अमरपाल को नागौर जेल से अजमेर जेल शिफ्ट कराते समय सरकार और पुलिस द्वारा एनकाउंटर का प्रोगाम बनाया जाता है, लेकिन अमरपाल पुलिस वालों को नशे के लड्डू खिला कर वहां से अनुप्रिया चौधरी के साथ फरार हो जाता है. इस फरार होने के पीछे एसपी संजय मीणा का हाथ होता है.

अमरपाल सिंह के फरार होने पर राज्य सरकार की ओर से स्पैशल टास्क फोर्स का गठन किया जाता है, जो अमरपाल सिंह को पकडऩे और मारने के लिए गठित की जाती है. इस का मुखिया सरकार की ओर से एसपी संजय मीणा को बनाया जाता है.

कुल मिला कर यह एपिसोड भी साधारण सा दिखता है, जिस में सभी कलाकारों का अभिनय औसत नजर आता है.

एपिसोड- 5

सीरीज के पांचवें एपिसोड का नाम ‘सावधानी हटी, दुर्घटना घटी’ है. पहले सीन में एसपी संजय मीणा अपने साथियों के साथ अमरपाल को पकडऩे की प्लानिंग करता है. एसपी संजय मीणा फाइलें खोजने लगता है और जयराम गोदारा की क्राइम फाइल देखने लगता है. इस के बाद एपिसोड की कास्टिंग आरंभ हो जाती है.

अगले दृश्य में जयराम गोदारा और अमरपाल बातें करते हैं. उस के बाद वे दोनों विधायक मदन सिंह के पास जाते हैं और मदन सिंह अमरपाल को कुछ बड़ा करने को कहता है. उस के बाद के दृश्य में एक नेता नागौर में जनसभा को संबोधित कर रहा है.

रंगबाज सीजन 2 Review : गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की कहानी – भाग 1

निर्देशक: भाव धूलिया

संगीतकार: राबी अब्राहम

प्रोड्ïयूसर: राकेश भगवानी

लेखक: सिद्धार्थ मिश्रा

प्रोडक्शन: जार पिक्चर

एपिसोड-9

कलाकार: जिमी शेरगिल, सुशांत सिंह, गुल पनाग, रणवीर शौरी, रवि किशन, तिग्मांशु धूलिया, साकिब सलीम, स्पृहा जोशी, हर्ष छाया, महिमा मकवाना, सचिन पाठक आदि

एपीसोड- 1

क्राइम थ्रिलर ‘रंगबाज फिर से’ (Rangbaaz Phir se) का पहला एपीसोड जैसे ही शुरू होता है, इस के पहले दृश्य में बड़े पुल पर एक बस आती दिखाई देती है. 2 ग्रामीण दिखाई देते हैं. वे बस को जबरन रुकवा कर उस में सवार हो जाते हैं और बस में बैठे लोगों पर अपने साथ लाई पिस्टल से गोलियों की बौछार करने लगते हैं. अगले ही कुछ समय में पता चलता है कि बीकानेर से नागौर जाने वाली बस में 40 लागों की गोली मार कर हत्या कर दी गई है.

अगली खबर जयपुर से आती है, जहां राजपूतों के सम्मेलन में बम धमाका हो जाता है. राजपूतों और जाटों में आपसी टकराव की खबरें राज्य के सभी जगहों से आने लगती हैं. इस घटना में गैंगस्टर अमरपाल का नाम आता है. सरकार राजस्थान प्रदेश के सब से बड़े गैंगस्टर अमरपाल सिंह से बात कर उसे आत्मसमर्पण को कहती है. बदले में उसे चुनाव का टिकट देने का वादा भी किया जाता है. अमरपाल सिंह की भूमिका जिमी शेरगिल (Jimmy Shergill) ने निभाई है.

पुलिस अमरपाल सिंह को जेल में बाइज्जत ले जा कर उस से कहती है कि कुछ चाहिए तो बताना हुकुम. उस के बाद राजस्थान की पृष्ठभूमि में राजस्थान के इतिहास और राजपूतों व जाटों के संघर्ष की गाथा का वर्णन किया गया है.

इस के बाद कहानी फ्लैशबैक में चली जाती है, जहां पर अमरपाल सिंह का छात्र जीवन, यार दोस्तों के साथ दारूबाजी और फिर कालेज के चुनाव में उस का अध्यक्ष बनना आदि दिखाया जाता है.

अगले दृश्य में यह भी दिखाया गया है कि अमरपाल सिंह एक मेधावी छात्र है और वह आईपीएस बनना चाहता है. इसी बीच जाट समुदाय के एक गैंगस्टर जयराम गोदारा को दिखाया गया है. उस की दोस्ती की कहानी के पीछे उसे अमरपाल द्वारा बचाया जाना है. जयराम गोदारा के किरदार में सुशांत सिंह है.

उस के बाद अमरपाल का विवाह रुक्मिणी से हो जाता है, जहां पर राजपूत समाज अमरपाल को एक गांव में घोड़ी चढऩे पर मना कर देते हैं, क्योंकि अमरपाल के पिता ने एक गैर राजपूत की लड़की से विवाह किया था. यहां पर एक बार जयराम गोदरा आ कर राजपूतों को धमकाता है, अमरपाल सिंह को घोड़ी चढ़वाता है. रुक्मिणी की भूमिका स्पृहा जोशी ने निभाई है.

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उस के बाद अमरपाल सिंह को एक बड़ा नेता प्रधान का चुनाव लडऩे को कहता है. उन दिनों वहां पर रविराम बलौटिया की प्रधानी में एकछत्र राज था. अमरपाल सिंह और रविराम बलौटिया के बीच चुनाव में जयराम गोदरा (जाट गैंगस्टर) काफी मदद करता है, लेकिन अमरपाल सिंह की 377 और रविराम बलौटिया को 379 वोट मिलते हैं. इस तरह अमरपाल सिंह 2 वोट से चुनाव हार जाता है.

उस के बाद रविराम बलौटिया एक षड्यंत्र के तहत अमरपाल सिंह को जेल भिजवा देता है, जहां पुलिस द्वारा अमरपाल पर कई तरह के अत्याचार किए जाते हैं. इस के बाद एक पुलिस अधिकारी संजय सिंह मीणा, जो एक आईपीएस अधिकारी है, को एक चाल चलता दिखाया गया है. संजय सिंह मीणा की भूमिका में जीशान अय्यूब है.

एपिसोड- 2

इस एपिसोड की शुरुआत में गृहमंत्री अहलावत अपने अधिकारी से कहता है कि चुनाव आने वाले हैं. आचार संहिता लगने से पहले शिलान्यास के कार्यक्रम करने का प्रोग्राम बनाइए.

अगले दृश्य में अमरपाल सिंह को, बलराम राठी और अन्य कैदियों को जेल में टीवी देखते और चिकन खाते, शराब पीते हुए दिखाया गया है. शराब पीने के बाद अमरपाल बाथरूम में जाता है. पीछे से एक अन्य कैदी उस के ऊपर गोलियों की बौछार कर देता है.

बलराम राठी उसे पीछे से पकड़ लेता है और इस तरह अमरपाल की जान बचा कर बलराम राठी मर जाता है. गोलियों की आवाज सुन कर काफी संख्या में जेल के सिपाही आ जाते हैं.

इस बीच अमरपाल उसे दबोच लेता है, जिस ने उस पर गोलियां चलाई थीं. और इतने सारे पुलिस के जवानों के होने के बावजूद अमरपाल गला घोंट कर उस कैदी को मार डालता है. इस के बाद अमरपाल को कैदियों की पोशाक पहने एक कमरे में कैद कर दिया जाता है.

उस के आगे की कहानी फ्लैशबैक में चली जाती है. अमरपाल और बलराम राठी बात करते दिखते हैं. यह जेल का दृश्य है, जहां पर अमरपाल अपनी बेटी वैशाली उर्फ चीकू को याद करता दिखता है. वैशाली उर्फ चीकू की भूमिका महिमा मकवाना ने निभाई है.

काला चश्मा और उस के ऊपर काला हैट लगाए अमरपाल एकदम फिल्मी हीरो की तरह दिखता है. अगले दृश्य में जयराम गोदारा के घर दिखता है, जहां पर उस के पिता उसे उलाहना देते हुए कहते हैं कि एक जाट हो कर वह राजपूत अमरपाल सिंह के साथ क्यों है? जयराम गोदारा अपनी पत्नी से बात करता है, उस से कहता है कि उसे चीकू अपनी बेटी की तरह लगती है.

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अगले सीन में राजा फोगाट औरतों का डांस देखते और अय्याशी करते हुए दिख रहा है. अमरपाल सिंह की बेटी का जन्मदिन भव्य तरीके से मनाया जा रहा होता है, जहां पर कुछ लोग फायरिंग कर देते हैं. भगदड़ मच जाती है, अमरपाल और उस के दोनों साथी जयराम गोदारा और बलराम राठी रुक्मिणी और चीकू को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा देते हैं.

उस के बाद आटोमेटिक राइफलों से सारे हमलावरों पर गोलियों की बौछार कर देता है, कुछ मारे जाते हैं और कुछ बचते बचाते हुए भाग जाते हैं.

अमरपाल अपनी पत्नी से कहता है कि चीकू को यहां से बाहर भेजना होगा, तभी वह सुरक्षित रह सकती है. जयराम गोदारा चीकू को एक हौस्टल में ले जा कर उस का एडमिशन करवा देता है.

अगले दृश्य में राजा फोगाट के एक साथी की बेटी की शादी होती दिखाई गई है. राजा फोगाट दुलहन को अपनी ओर से उपहार देता है और अपने साथी से कहता है कि अब अमरपाल सिंह का जल्दी काम तमाम कर दो.

अगले दृश्य में गृहमंत्री अहलावत को मुख्यमंत्री डांटते हुए दिखते हैं. उस के बाद राजा फोगाट की मुलाकात गृहमंत्री अहलावत से होती है. कहानी आगे बढ़ती है और राजा फोगाट का आदमी करण चड्ढा अनुप्रिया को देखते ही उस पर फिदा हो जाता है. दोनों को हमबिस्तर होते हुए भी दिखाया जाता है. शरद केलकर राजा फोगाट के रोल में है.