मैं ने करामत की पत्नी को वह लिफाफा और खत दिखा कर पूछा, “यह इकबाल कौन है.”
उस ने बताया, “करामत का एक दोस्त है और इसी मोहल्ले में रहता है. वह भी शहर के एक सरकारी औफिस में काम करता है.”
मैं ने उस की पत्नी से पूछा कि करामत किस समय घर से निकला था तो उस ने दुखी हो कर कहा, “वह शाम को खाना खा कर घर से निकलते थे और अपने दोस्तों में समय गुजार कर आधी रात को घर आ जाते थे.”
मोहल्ले के 2-4 आदमियों से पूछा कि रात को करामत और उस के दोस्त इकट्ठा हो कर क्या करते थे तो उन्होंने बताया कि वे ताश खेलते थे.
मैं ने पूछा, “जुआ भी खेलते थे?”
उन्होंने कहा, “नहीं, जुआ नहीं खेलते थे. कभी तमाशा देखने वाले भी आ जाते थे, तब महफिल रात तक जमी रहती थी.”
मैं ने करामत के दोस्त इकबाल का पता दे कर एसआई को यह कह कर उस के घर भेजा कि पूछ कर आए कि करामत वहां आया था या नहीं? उस के बाद मैं ने उस के उन दोस्तों को बुलवाया, जो उस के साथ ताश खेला करते थे. मैं ने उन से बारीबारी पूछताछ की तो सब ने यही बताया कि वह रात के साढ़े 12 बजे ताश खेल कर चला गया था.
साढ़े 12 बजे की बात सुन कर मुझे उस आदमी का खयाल आया, जिस ने कहा था कि उस ने करामत को रात साढ़े 11 बजे गाड़ी में सवार होते देखा था. मैं ने एक कांस्टेबल को भेज कर उस आदमी को बुलवाया, जिस ने करामत को ट्रेन में सवार होने की बात बताई थी.
जब मैं ने उस से कहा कि तुम ने इतना बड़ा झूठ क्यों बोला तो उस के चेहरे का रंग फीका पड़ गया. वह मेरे चेहरे को देखते हुए बोला, “मैं ने झूठा बयान नहीं दिया.”
मैं कुछ देर तक चुप रहा, फिर पुलिसिया अंदाज से बोला, “करामत रात साढ़े 12 बजे तक ताश खेलता रहा था, जिस के 8-10 गवाह हैं. जबकि तुम ने बताया है कि तुम ने उसे साढ़े 11 बजे गाड़ी में सवार होते देखा था.”
“मुझ से गलती हो गई, वह कोई और रहा होगा.”
“तुम ने बहुत बड़ी गलती की है, अब उस की सजा के लिए तैयार हो जाओ.” मैं ने हडक़ाया.
वह हाथ जोड़ कर उठ खड़ा हुआ, कांपती आवाज में बोला, “गरीब हूं हुजूर, 20 रुपए महीना वेतन मिलता है, छोटेछोटे 2 बच्चे हैं, 2 भाई हैं. इतने कम वेतन में गुजारा नहीं होता. जाहिद ने मुझ से कहा था कि ऐसा बयान दे दो, तुम्हें 15 रुपए दूंगा. आप जानते हैं हुजूर मेरे लिए 15 रुपए कितनी बड़ी रकम है. यह मेरे पूरे घर की रोटी का खर्च है. लालच में आ कर मैं ने यह बयान दे दिया था.”
“तुम ने यह क्यों कहा था कि करामत के पीछे एक आदमी था, जो कंबल ओढ़े था.” मैं ने उस से पूछा, “तुम ने यह क्यों नहीं कहा कि वह जाहिद की पत्नी थी.”
“मुझे जैसा जाहिद ने कहने को कहा था, मैं ने वैसा ही कह दिया.”
उस की बात सुन कर मुझे यही लगा कि जाहिद चालाक आदमी है, जबकि मैं उसे परेशान समझता रहा.
“अगर तुम्हें कुछ और पता हो तो बता दो, बाद में पता चला तो मैं तुम्हें गिरफ्तार कर के जेल भेज दूंगा.”
उस ने कसमें खा कर कहा कि इस के अलावा वह कुछ नहीं जानता. उस आदमी को मैं ने थाने में बिठाए रखा और जाहिद को बुलवा लिया. मेरे दिमाग में करामत के नाम का लिफाफा और स्लीपर अटक गए थे और यह भी कि वह घर में पहनने वाले कपड़ों में गया था.
जाहिद थाने आया तो मैं ने उस से पूछा, “जाहिद, तुम ने अपने तौर पर अपनी पत्नी को ढूंढऩे की कोशिश नहीं की?”
“मैं कैसे ढूंढ़ सकता हूं जी, पता नहीं वह अपने यार के साथ ट्रेन से कहां चली गई? एक आदमी को मैं आप के पास लाया भी था, जिस ने उन दोनों को गाड़ी में सवार होते देखा था.”
“वह आदमी अभी थाने में ही है. बस तुम मुझे इतना बता दो कि उस आदमी से तुम ने झूठ क्यों बुलवाया था?”
जवाब देने के बजाय वह मेरे मुंह को देखने लगा. कुछ देर बाद उस ने हिम्मत की, “मैं ने झूठ नहीं बुलवाया हुजूर, वह तो उस ने खुद ही बोला था.”
मैं ने कहा, “जाहिद, उस बेचारे को 2 साल के लिए क्यों अंदर करा रहे हो? वह बालबच्चों वाला आदमी है. तुम ने उसे झूठ बोलने के लिए 15 रुपए दिए थे. कह दो कि यह बात भी झूठी है.
“जाहिद, मुझे कुछ और भी सबूत मिले हैं. क्या तुम्हें पता नहीं कि आज सुबह मैं करामत के घर गया था?”
“पता है.”
“तो तुम्हें यह भी पता होगा कि खेतों में से करामत की कुछ चीजें बरामद हुई हैं. वे चीजें कुछ और ही कहानी कहती हैं.”
इतना सुन कर उस के चेहरे पर ऐसा बदलाव आया, जैसे सिनेमा के परदे पर एक स्लाइड के बाद दूसरे रंग की स्लाइड आ गई हो.
उस ने कांपती आवाज में कहा, “मलिक साहब. मैं ने सोचा है कि अगर मुझे पत्नी मिल जाती है तो मैं उस का क्या करूंगा? क्या ऐसी पत्नी को कोई इज्जतदार आदमी अपने घर में रख सकता है, जो गैरमर्द के साथ चली गई हो. मैं ने तय किया है कि तलाक दे कर कागज उस के बाप को दे दूंगा और आप को एक तहरीर दे कर अपनी रिपोर्ट वापस ले लूंगा.”
“और जो तुम्हारे इतने गहने चले गए हैं, उन का क्या होगा?” मैं ने पूछा.
“संतोष कर लूंगा. मेरा घर तो तबाह हो ही गया है.”
“फिर जानते हो क्या होगा?” मैं ने कहा, “तुम्हारा ससुर तुम्हारे खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराएगा कि तुम ने उस की लडक़ी को गायब कर दिया है और उस के गहने तुम हजम कर गए हो.”
“मैं उस के गहने दे दूंगा.”
“कहां से दोगे?”
उस ने कोई जवाब नहीं दिया. मैं ने उस के चेहरे पर एक और बदलाव देखा. मुझे लगा, जैसे उस ने अपनी पत्नी को बदनाम करने के लिए कोई चाल चली है. आगे की जांच के लिए मैं जाहिद को उस के घर ले गया.