कंबल में लिपटे नवजात के पास दूध की बोतल रखी थी. उस के सिर पर गर्म टोपा और पैरों में गर्म पायजामी थी. बच्चे के फुल स्लीव स्वेटर पर सेफ्टी पिन से एक पत्र लगा हुआ था. पत्र पर लिखा था, ‘यह बच्चा भरतपुर के जनाना अस्पताल से चोरी हुआ है, कृपया इसे इस के मांबाप को सौंप दें.’
लोगों की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची. नवजात को एंबूलेंस से भरतपुर के जनाना अस्पताल लाया गया. अस्पताल में 4 दिन से बदहवास पड़ी मनीषा ने अपने कलेजे के टुकड़े को देखते ही पहचान लिया.
मनीषा और उस की सास समीना ने बच्चे की बलाइयां लीं और उसे जी भर के दुलार किया. डाक्टरों ने नवजात का स्वास्थ्य परीक्षण कर के उसे आईसीयू में भरती करा दिया.
दूसरी ओर भरतपुर पुलिस ने मथुरा में 1361 नंबर की सफेद स्कूटी के मालिक का पता लगा कर स्कूटी जब्त कर ली. यह स्कूटी मथुरा के रामवीर नगर निवासी सेना के सूबेदार की पत्नी मीना देवी के नाम पर थी. पूछताछ के बाद पुलिस ने मीना देवी की शिक्षिका बेटी शिवानी को हिरासत में ले लिया.
शिवानी को पुलिस भरतपुर ले आई और उस से व्यापक पूछताछ की. पूछताछ के आधार पर पुलिस शिवानी की बहन प्रियंका को भी आगरा से भरतपुर ले आई.
भरतपुर की मथुरा गेट थाना पुलिस ने 14 जनवरी को दोनों बहनों को बच्चे के अपरहण के मामले में गिरफ्तार कर लिया. पुलिस पूछताछ में दोनों बहनों से जो कहानी पता चली, वह कुछ इस तरह थी—
मथुरा के रहने वाले सेना के सूबेदार लक्ष्मण सिंह जाट की शादी मीना देवी से हुई थी. कालांतर में उन के 4 बच्चे हुए. 3 बेटियां और 1 बेटा. उन्होंने 2 बेटियों की शादी कर दी थी, जबकि 14 साल के एकलौते बेटे की 2016 में असामयिक मौत हो गई थी. तीसरी 15 वर्षीय बेटी खुशबू मथुरा में मातापिता के पास रहती थी.
एकलौते भाई की मौत से दोनों बड़ी बहनों को तो झटका लगा ही, उन की मां मीना देवी डिप्रेशन में आ गई थीं. लक्ष्मण सिंह को बेटे की चाहत थी. इस के लिए रिश्तेदार और करीबी लक्ष्मण सिंह पर दूसरी शादी के लिए दबाव बना रहे थे. क्योंकि मीना देवी फिर गर्भवती नहीं हो पा रही थीं.
डिप्रेशन की हालत में मीना देवी ने एक बार सुसाइड करने का भी प्रयास किया था. उन्होंने कोई बेटा गोद लेने की भी कोशिश की थी, लेकिन सफलता नहीं मिली थी. मां का घर न उजड़े, इस के लिए दोनों बड़ी बेटियां शिवानी व प्रियंका तरकीब सोचने लगीं. दोनों बहनों के नाना लाल सिंह भी चाहते थे कि उन की बेटी मीना का घर बसा रहे. इस बीच दोनों बहनों ने पिता व अन्य घर वालों के बीच यह बात फैला दी कि उन की मां गर्भवती है.
दोनों बहनों ने किसी नवजात को खरीदने के लिए मथुरा व आगरा के निजी अस्पतालों में भी बात की थी. एक नर्स के माध्यम से बच्चा खरीदने की बात तय भी हो गई थी, लेकिन जिस प्रसूता का बच्चा लेना था, उस की मौत हो गई. इस से दोनों बहनों को अपनी मां के गर्भवती बताने की योजना पर पानी फिरता नजर आया.
इस के बाद मीना देवी के पिता लाल सिंह कई दिनों तक हरियाणा के मेवात इलाके में नवजात खरीदने के लिए घूमे. उन्हें किसी नर्स ने बताया था कि मेवात इलाके में गरीब लोग सक्षम न होने के कारण नवजात बच्चा बेच सकते हैं.
काफी प्रयासों के बाद भी जब किसी नवजात का इंतजाम नहीं हुआ तो दोनों बहनों शिवानी व प्रियंका ने अपनी मां के लिए बच्चा चोरी करने की योजना बनाई. इस के लिए उन्हें भरतपुर का सरकारी अस्पताल सुरक्षित जगह लगी. इस पर दोनों बहनें 9 जनवरी को भरतपुर आईं और अस्पताल में किसी नवजात बच्चे की तलाश की, लेकिन वे किसी बच्चे को ले जाने में कामयाब नहीं हुईं.
इस के अगले दिन 10 जनवरी को दोनों बहनें मां की स्कूटी से मथुरा से भरपुर आईं. उन्होंने अपनी स्कूटी जनाना अस्पताल के बाहर पार्किंग में खड़ी की. शिवानी अस्पताल में अंदर चली गई, जबकि प्रियंका अस्पताल के अंदरबाहर चक्कर लगा कर शिवानी पर नजर रखती रही.
शिवानी ने अस्पताल के वार्ड में भरती मनीषा की सास की गोद में नवजात को देख कर सब से पहले यही पूछा कि लड़का है या लड़की.
समीना ने जब उसे बताया कि लड़का है तो शिवानी को अपनी योजना सफल होती नजर आई. उस ने समीना और मनीषा को बातों में लगा कर बच्चे को अपनी गोद में ले लिया. इस बीच समीना जब चायनाश्ता करने अस्पताल से बाहर चली गई तो शिवानी ने मनीषा को शौचालय चलने की बात कही. मनीषा के शौचालय में घुसते ही शिवानी बच्चे को ले कर तेजी से अस्पताल से बाहर निकल आई.
प्रियंका ने उसे बच्चे के साथ आता देख कर पार्किंग से स्कूटी निकाल ली. इस दौरान समीना ने अपने पोते का कंबल पहचान कर शिवानी को टोका तो वह रुकने के बजाय बाहर स्कूटी ले कर तैयार खड़ी प्रियंका के साथ भाग निकली.
दोनों बहनें स्कूटी से बच्चे को ले कर भरतपुर से सीधे मथुरा पहुंचीं. मथुरा से उन्होंने मां मीना देवी और आगरा में नाना लाल सिंह को बच्चा खरीद कर लाने की बात बताई. बाद में प्रियंका अपनी ससुराल आगरा चली गई.
जांच में सामने आया कि वारदात के बाद दोनों बहनें पुलिस की गतिविधि पर नजर रखे हुए थीं. पुलिस का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा था. यह देख कर दोनों बहनें 13 जनवरी की सुबह बच्चे को भरतपुर सीमा में रारह में सांतरुक स्थित नहर के पास लावारिस छोड़ कर लौट आई थीं.
दोनों बहनों में 20 साल की प्रियंका छोटी है और 23 साल की शिवानी बड़ी. मथुरा के रहने वाले पुष्पेंद्र जाट की पत्नी शिवानी एक निजी स्कूल में शिक्षिका है, जबकि मूलरूप से उत्तर प्रदेश के हाथरस के सरूपा नौगावां निवासी और आजकल आगरा में रह रहे भूपेंद्र सिंह जाट की पत्नी प्रियंका बीए की पढ़ाई कर रही है.
शिवानी को औपरेशन से बेटी हुई थी. उसे डाक्टरों ने 2 साल तक बच्चा पैदा नहीं करने की सलाह दी थी. प्रियंका शादी के तुरंत बाद गर्भवती हो गई थी, लेकिन परीक्षा होने के कारण उस ने गर्भपात करा दिया था. इस से उस के ससुराल वाले नाराज थे. वारदात के दौरान वह 15 दिन से मायके में थी.
पुलिस ने शिवानी व प्रियंका को 15 जनवरी, 2018 को अदालत में पेश किया. अदालत ने दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया. शिक्षा के पेशे से जुड़ी और एक बेटी की मां शिवानी ने पढ़ीलिखी छोटी बहन के साथ मिल कर अपनी मां का टूटता घर बसाए रखने के लिए बच्चे को चुरा कर एक मां को जो यातना दी, उस अपराध के लिए कानून उन्हें सजा देगा. लेकिन इस वारदात ने दोनों के घर वालों व ससुराल वालों के सिर भी शर्म से झुका दिए.