मौडल सोनिका चौहान की मौत हादसा या हत्या?

फिल्म या टीवी इंडस्ट्री भले ही किसी भी भाषा से जुड़ी हुई हो, ग्लैमर इस इंडस्ट्री की पहली शर्त है. जहां ग्लैमर होता है, वहां और भी बहुत कुछ होता है. अंधेरेउजाले के दृश्य रच कर सिनेमा या टीवी के परदे पर लाने वालों के अपनी जिंदगी के असल दृश्य कभीकभी तो रंगीन न हो कर इतने काले होते हैं कि जिन्हें देख कर इंसानियत भी शरमा जाए. लेकिन पैसे का चक्कर ऐसे दृश्यों की कालिख को ढंक लेता है. यह भी कह सकते हैं कि ग्लैमर को देखने की चाह चाहे दर्शक की हो, ग्लैमर के मोहरों की हो या प्रस्तुतकर्ता की, अपना रंग तो दिखाती ही है. भले ही पीछे का परदा सफेद हो या काला. इसी चमक से पैसा बरसता है.

कभी घरघर में पहचानी जाने वाली कलर्स के सीरियल ‘बालिका वधू’ की आनंदी यानी प्रत्यूषा बनर्जी ग्लैमर के अंधेरों में खो गई. कब, कैसे, क्यों जैसे सवाल कुछ दिन तक उछलते रहे, फिर सब कुछ शांत हो गया. प्रत्यूषा का बौयफ्रैंड राहुल राज जैसे संदेह के दायरे में आया, वैसे ही निकल भी गया. बस इतना समझ लीजिए कि प्रत्यूषा को ग्लैमर के पीछे का अंधेरा निगल गया और उस प्यारी सी लड़की के लिए कोई कुछ न कर सका.

टौलीवुड यानी बंगला फिल्म एंड टीवी इंडस्ट्री का सच भी इस से जुदा नहीं है. कौन जाने इस इंडस्ट्री की खूबसूरत लड़की सोनिका सिंह चौहान की मौत के पीछे का सच भी कुछ ऐसा ही हो. क्योंकि वह भी तो ग्लैमर के अंधेरों से निकल कर मौत के अंधेरे में समाई है.

धीरेधीरे सोनिका सिंह की पहचान बनती गई. सोनिका ने कोलकाता टीवी और फिल्म इंडस्ट्री में बतौर मौडल, एंकर, चैनल वी की वीजे, एनडीटीवी प्राइम और स्टार स्पोर्ट्स की एंकर के रूप में काम किया. जाहिर है कुछ स्टार पुत्र या पुत्रियों की बात छोड़ दें तो ज्यादातर अभिनेता, अभिनेत्री अथवा मौडल शहर या ग्रामीण क्षेत्रों के आम परिवारों से आते हैं. सोनिका सिंह भी एक मध्यमवर्गीय  परिवार से आई थी. उस के पिता विजय सिंह रौयल कलकत्ता टर्फ क्लब में सर्विस करते थे और मां शरोन सिंह घरेलू महिला थीं. विजय सिंह चौहान ने क्रिश्चियन शरोन से लवमैरिज की थी.

सोनिका सिंह ने कोलकाता में रहते हुए शुरुआती पढ़ाई ला मार्टिनियर स्कूल से की और फिर माउंट कार्मेल कालेज से आगे की पढ़ाई पूरी की. सोनिका सिंह खूबसूरत थी, इसलिए ग्लैमर की दुनिया से जुड़ना चाहती थी. यही सोच कर उस ने 2013 के मिस इंडिया कंप्टीशन में भाग लिया. इस में वह फाइनलिस्ट रही. इस के बाद उस ने मौडलिंग शुरू की.

ग्लैमर इंडस्ट्री में रहते ही उस की दोस्ती टौलीवुड के एक्टर विक्रम चटर्जी से हुई. पश्चिम बंगाल के कोलकाता का रहने वाला विक्रम चटर्जी 2012 से टौलीवुड से जुड़ा था. उस ने बंगाली फिल्मों से ले कर बांग्ला सीरियल्स तक में काम किया था. एक तरह से वह टौलीवुड का जानापहचाना चेहरा था.

उस ने जी बांग्ला के सीरियल ‘सात पाके बांधा’, स्टार जलसा के बांग्ला सीरियल ‘सोखी’, ईटीवी के बांग्ला चैनल पर 2013 में आए ‘बिगबौस’, 2014 में जी टीवी पर आए ‘इंडियाज बेस्ट सिनेस्टार की खोज’, जी टीवी के सीरियल ‘डोली अरमानों की’ और कलर्स बांग्ला के सीरियल ‘ब्योमकेश’ में काम किया.

फिल्मों की बात करें तो विक्रम चटर्जी ने मैनाक भौमिक की फिल्म ‘बैडरूम’, बाप्पादित्य बंद्योपाध्याय की फिल्म ‘इलार चार अध्याय’, अग्निदेव चटर्जी की फिल्म ‘3 कन्या’, मैनाक भौमिक की फिल्म ‘अमी आर अमार गर्लफ्रैंड’, एसके की फिल्म ‘मिस्टेक’, कौशिक चक्रवर्ती की फिल्म ‘सोनो एकती प्रीमर गाल्यो बोली’, देवार्ती गुप्ता की फिल्म ‘होई छोई’, अशोक पार्टी की फिल्म ‘अमी शुधु चेयनची टुमे’, पौंपी घोष मुखर्जी की ‘गोगोलर कीर्ती’, अंजान दास की फिल्म ‘अजाना बातास’, सुराजीत धर की ‘बिट्टू’ और प्रीतम डी. गुप्ता की फिल्म ‘साहेब बीवी गोलाम’ में काम किया था.model sonika chauhan case murder or accident

विक्रम चटर्जी और सोनिका सिंह की दोस्ती टौलीवुड में काम करते हुए ही हुई थी. धीरेधीरे दोनों घनिष्ठ मित्र बन गए थे. घटना से 6 महीने से दोनों रिलेशनशिप में थे. 29 अप्रैल, 2017 को विक्रम और सोनिका फाइवस्टार होटल में होने वाली एक पार्टी में शामिल होने के लिए साथसाथ गए.

ग्लैमर इंडस्ट्री से जुड़ी पार्टियां अमूमन देर से शुरू होती हैं और देर रात तक चलती हैं. इन पार्टियों में पीना ज्यादा होता है, खाना कम. मौजमस्ती व डांस वगैरह भी खूब होता है. इस पार्टी में भी ऐसा ही हुआ. विक्रम और सोनिका सिंह घर जाने के लिए पार्टी से सुबह साढ़े 3 बजे निकले.

कोरोला एल्टीस कार विक्रम की थी, उसी ने ड्राइविंग सीट संभाली. सोनिका चौहान साथ बैठी थी. विक्रम के सिर पर शराब का नशा चढ़ा था. स्टीयरिंग संभालते ही उस ने कार को इस तरह दौड़ाना शुरू कर दिया जैसे किसी रेस में भाग ले रहा हो. नतीजतन रासबिहारी एवेन्यू के पास कार का एक्सीडेंट हो गया. इस एक्सीडेंट में सोनिका चौहान की मौत हो गई, जबकि विक्रम को भी कुछ चोटें आईं. सिर्फ इतनी चोटें कि उसे मरहमपट्टी के बाद छुट्टी दे दी गई. अस्पताल से छुट्टी मिलते ही विक्रम लापता हो गया.model sonika chauhan case murder or accident

पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना किया तो पता चला कि एक्सीडेंट के समय विक्रम ने कार सोनिका चौहान की ओर झुका दी थी, जिस की वजह से उस की ओर का एयरबैग भी नहीं खुला था.

प्राथमिक जांच के बाद कोलकाता पुलिस ने विक्रम के खिलाफ भादंवि की धारा 304ए (लापरवाही से मौत) और धारा 279 (लापरवाही से गाड़ी चलाना) के अंतर्गत केस दर्ज कर लिया और उसे पूछताछ हेतु बुलाने के लिए सम्मन जारी कर दिया. लेकिन विक्रम पुलिस के पास आने के बजाय बीमारी के नाम पर एक प्राइवेट अस्पताल में भरती हो गया. उधर सोनिका सिंह को उस की मां की इच्छा पर क्रिश्चियन धर्मानुसार कब्रिस्तान में दफनाया गया.

विक्रम के सामने न आने पर इस मामले ने तूल पकड़ना शुरू कर दिया. सोनिका के दोस्त सोशल साइटों पर विक्रम के खिलाफ आवाज उठाने लगे. सोनिका की खास दोस्त सतारूपा पाइने ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा— टौलीवुड के अभिनेता की नशाखोरी की वजह से एक अनमोल लड़की की मौत हो गई. वह शराब या किसी अन्य ड्रग के नशे में था. क्या मुझे इस मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल करनी चाहिए?

सोनिका की एक अन्य दोस्त फैशन डिजाइनर नवोनिल दास ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा— विक्रम, तुम्हें साथ बैठे व्यक्ति या सड़क पर चल रहे लोगों की सुरक्षा को ले कर जरा भी फिक्र नहीं थी. तुम अंधाधुंध गाड़ी चला रहे थे, जो इस एक्सीडेंट की वजह बनी. रफ्तार को आदमी खुद चुनता है, इस के लिए तुम नशे के प्रभाव को दोष नहीं दे सकते. तुम्हारे पास किसी की मौत का कारण बनने का कोई अधिकार नहीं है. जीवन के लिए तुम्हारे दिल में जरा भी सम्मान नहीं है, भले ही वह तुम्हारा अपना जीवन हो.

इस से कुछ ही दिन पहले मार्च में बांग्ला लोकगायक कालिका प्रसाद भट्टाचार्य की बर्धवान जिले में एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी. उस समय कालिका प्रसाद की एसयूवी को ड्राइवर चला रहा था. हादसे के बाद पुलिस ने ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया था.

ग्लैमर इंडस्ट्री से जुड़े इन हादसों ने कोलकाता के लोगों को स्तब्ध कर दिया था. क्योंकि ये हादसे तब हुए थे, जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सड़क सुरक्षा पर जागरूकता के लिए ‘सेफ ड्राइव, सेव लाइफ’ नाम से अभियान चला रखा था.

बहरहाल, जब सोनिका चौहान की मौत के मामले में दबाव बढ़ना शुरू हुआ तो पुलिस विक्रम चटर्जी की गिरफ्तारी की कोशिश में जुट गई.

आखिरकार गरदन पर कानून की तलवार लटकती देख विक्रम ने 5 मई शुक्रवार को कोलकाता की बंकसाल कोर्ट के मैट्रोपौलिटन मजिस्ट्रैट की अदालत में सरेंडर कर दिया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. बाद में वह जमानत पर बाहर आ गया.

सोनिका चौहान की मौत के मामले को ले कर चूंकि काफी हंगामा हुआ था, इसलिए पुलिस इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है. यह भी जानने की कोशिश की जा रही है कि सोनिका चौहान की मौत का कोई अन्य एंगल तो नहीं है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस मामले की जांच में कोई कोताही न बरतने का निर्देश दिया है.

उधर विक्रम चटर्जी को कई बार उस कब्रिस्तान में सोनिका सिंह की कब्र के पास देखा गया, जहां वह गुलाब के फूल ले कर जाता था. हालांकि सोनिका के घर वाले उस के इन आंसुओं को घडि़याली आंसू बताते हैं.

सोनिका सिंह के पिता विजय सिंह ने कोलकाता के पुलिस कमिश्नर को पत्र लिख कर मांग की है कि इस मामले का गंभीरता से अन्वेषण कराएं, ताकि सच्चाई सामने आ सके. उन्हें विक्रम चटर्जी की बातों पर यकीन नहीं है.

बहरहाल, विक्रम चटर्जी की लापरवाही से हुए एक्सीडेंट की वजह से ही सही एक उभरती अदाकारा अकाल काल के गाल में समा गई.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सुशांत डेथ केस: अभी बड़े बड़े नाम आने बाकी हैं

टैलेंट मैनेजर जया साहा, उन की असिस्टेंट करिश्मा और इंडस्ट्री की शीर्ष अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की ड्रग्स को ले कर सामने आई चैट से बौलीवुड को बहुत बड़ा झटका लगा है. रिया ने एनसीबी अधिकारियों को 25 नाम बताए थे, जिन्हें एनसीबी घेरने की तैयारी कर रही है. दीपिका पादुकोण शायद उन्हीं में से एक है.

इस चैट में दीपिका जया साहा से ‘हैश’ यानी हशीश भेजने की बात कहती हैं. जाहिर है अब दीपिका भी एनसीबी जांच के दायरे में आ गई हैं. कुछ समय पहले उन्होंने भी अपने डिप्रेशन का जिक्र किया था. उस दौर की चर्चा करते हुए दीपिका ने अपने अनुभव सब से शेयर किए थे. हो सकता है यह उसी दौर की चैट हो.
सिर्फ दीपिका ही नहीं, सारा अली खान, श्रद्धा कपूर, सिमोन खंबाटा और रकुलप्रीत सिंह जैसी बड़ी अभिनेत्रियां भी नशीले धुएं की चपेट में घिर गई हैं. एनसीबी ने आधिकारिक तौर पर इस बात की पुष्टि की है कि इन तीनों को पूछताछ के लिए सम्मन भेजे जाएंगे. पता चला है कि फिल्म ‘छिछोरे’ की सक्सेज पर जब सुशांत के फार्महाउस पर पार्टी हुई थी तो उस पार्टी में श्रद्धा भी गई थीं. बकौल रिया, उस पार्टी में ड्रग्स भी थे.

जब रिया ने अपने बयान में रकुलप्रीत का नाम लिया था, तब उन्होंने दिल्ली हाइकोर्ट में मीडिया ट्रायल पर प्रश्न करते हुए कहा था कि जब रिया ने उन के नाम वाले कथित बयान को वापस ले लिया है, तब भी मीडिया उन का नाम इस मामले से जोड़ रही है. लेकिन अब मीडिया नहीं एनसीबी उन से पूछताछ की तैयारी में है.  टैलेंट मैनेजर जया से काफी लंबी पूछताछ के बाद अधिकारिक रूप से इन अभिनेत्रियों की ड्रग्स में संलिप्तता पाई गई है.  हो सकता है कुछ और चौंकाने वाले बड़े नाम सामने आएं. जब दीपिका पादुकोण का नाम इस नशीली दुनिया का हिस्सा बन सकता है तो अब कुछ भी संभव है.

बौलीवुड वाले ड्रग्स इस्तेमाल ही नहीं कर रहे वरन उस का व्यापार भी कर रहे हैं. जिस का सबूत हाल ही में कर्नाटक की मंगलुरु पुलिस के हाथ लगा. सुपरहिट फिल्म ‘एबीसीडी: एनीबडी कैन डांस’ के एक्टर और ‘डांस इंडिया डांस’ रियलिटी शो के प्रतिभागी रहे किशोर अमन शेट्टी को ड्रग्स लेने और बेचने के लिए कर्नाटक की मंगलुरु पुलिस ने गिरफ्तार किया है.किशोर के साथ ही अकील नौशिल को भी सिंथेटिक ड्रग एमडीएमए या एमटी रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. ये दोनों महाराष्ट्र और बेंगलुरु से ड्रग्स मंगवा कर स्टूडेंट्स को बेचते थे.

सुशांत केस सौल्व करने के दौरान जब एनसीबी का इनवैस्टीगेशन शुरू हुआ तो रिया और जया साहा की चैट से कई ड्रग पेडलर निशाने पर आ गए. मतलब यह कि मुंबई में भारी मात्रा में ड्रग्स की सप्लाई की जाती है. 18 सितंबर को एनसीबी की टीम ने अलगअलग स्थानों पर छापा मार कर 928 ग्राम चरस और कई लाख कैश के साथ 4 लोगों को गिरफ्तार किया. एक दूसरी छापेमारी में 3 लोगों को 500 ग्राम गांजे के साथ पकड़ा गया. सुशांत केस में ड्रग्स की जांच करते हुए एनसीबी ने सब से बड़ी गिरफ्तारी ड्रग सप्लायर राहिल की थी. बौलीवुड में राहिल को सैम अंकल के नाम से जाना जाता है. मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार पूछताछ के दौरान राहिल ने कई जानेमाने सिलेब्रिटीज का नाम लिया है.

कुछ ऐसे ही चिरपरिचित नामों का जिक्र रिया भी अपने बयान में कर चुकी थी, जो अब सच बन कर सामने भी आने लगे हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, बौलीवुड का ही कोई शख्स राहिल का बौस है. इसी बौस के कहने पर राहिल सिलेब्रिटीज को मलाना क्रीम (सुपर क्वालिटी की चरस) सप्लाई करता था.मुंबई अपने फिल्म प्रोडक्शन के लिए जितनी मशहूर है, उतनी ही अपनी जिंदादिल पार्टियों के लिए भी चर्चित है. जहां मौजमस्ती  के साथ बड़ीबड़ी बिजनैस डील भी होती हैं. ग्लैमर इंडस्ट्री के हाईप्रोफाइल स्टार्स और स्ट्रगलर्स भी ऐसी पार्टियों में शिरकत करते हैं. इन पार्टियों में शराब के साथ ड्रग्स भी चलती है.

कंगना रनौत ने पार्टी कल्चर के बारे में कहा कि एक दौर में वह ‘हाई और माइटी’ क्लब का हिस्सा थीं, जहां हर दूसरी रात पार्टीज में जाना पड़ता था, जिन में बौलीवुड सिलेब्रिटीज ड्रग्स लेते थे. इसी तरह ‘बेइमान लव’ फिल्म के अभिनेता ने इंडस्ट्री में प्रचलित ड्रग्स को ले कर कहा कि ‘वीड’ सिगरेट की  तरह है, कैमरापरसन से ले कर स्पौट बौय तक सामान्य रूप से वीड लेते हैं.बौलीवुड पार्टियों की मुख्य ड्रग कोकीन और एमडीएमए है, जिसे एलएसडी या एसिड भी कहा जाता है. साथ ही पार्टियों में केटामाइन भी इस्तेमाल की जाती है. ये सभी हार्ड ड्रग्स हैं. इन का असर 15 से 20 घंटे तक रहता है. इन हार्ड ड्रग्स का जिक्र रिया की चैट में भी आया था.

अगस्त महीने में मुंबई पुलिस ने एक ड्रग पेडलर को मेफेड्रान नाम की ड्रग के साथ गिरफ्तार किया था. उस के पास से भारी मात्रा में मेफेड्रान बरामद हुई, जिसे एमसीएटी, म्याउ म्याउ और एमडी भी कहते हैं. इसे पार्टियों में खूब पसंद किया जाता है. मुंबई और दिल्ली में ड्रग्स की खपत को देखते हुए कई जगहों से ड्रग सप्लाई की जा रही है. मिजोरम के तस्कर म्यांमार से याबा टैबलेट की तस्करी कर के मिजोरम के रास्ते दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में सप्लाई देते हैं.

इन शहरों में इस नशीले पदार्थ की काफी डिमांड है. असम राइफल्स ने इसी साल 29 फरवरी को ड्रग की 39 लाख टैबलेट बरामद की थीं, जिन की कीमत करीब 9700 लाख रुपए थी. इस के साथ ही मार्च से अब तक 96 ड्रग पेडलर्स से 3.42 करोड़ रुपए कीमत की 3.6 किलोग्राम हेरोइन और प्रतिबंधित नशे की 6,29,800 टैबलेट बरामद की जा चुकी हैं.

ये आंकड़े सिर्फ एक जगह के हैं जबकि नशे के सौदागरों की देश के हर प्रांत में भरमार है. इसी से साबित होता है कि नशे की जड़ें कितनी गहरी हैं. महंगा होने की वजह से ड्रग्स का कारोबार मोटा पैसा कमाने का आसान जरिया है, जिस की झलक मुंबई में नजर आ रही है. ?

तो ये है ममता कुलकर्णी के गुमनाम अंधेरों की कहानी

90 के दशक में अपनी बिंदास अदाओं और खूबसूरती के लिए चर्चित रहीं ममता कुलकर्णी अचानक फिल्मी दुनिया से गायब हो गई हैं. गुमनामी के अंधेरों में गायब ममता का जिक्र अब उनकी किसी फिल्म या गाना आने पर ही होता है.

साल 1972 में एक मराठी परिवार में पैदा हुईं ममता ने, बॉलीवुड में 1992 में ‘तिरंगा’ फिल्म से कदम रखा था. फिर इसके बाद वे फिल्म ‘आशिक अवारा’ में दिखाई दीं. फिर ‘वक्त हमारा है’, ‘क्रांतिवीर’, ‘करण अर्जुन’, ‘सबसे बड़ा खिलाड़ी’ और ‘बाजी’, ‘घातक’, ‘चाइना गेट’ जैसी फिल्मों में काम करके उन्होंने बहुत नाम कमाया.

ये बात तो शायद आप जानते ही होंगे कि साल 2002 में आई ‘कभी तुम कभी हम’ के बाद उन्होंने बॉलीवुड को अलविदा कह दिया.

हर दम विवादों में घिरी रहीं ममता

साल 1993 में स्टारडस्ट मैगजीन में टॉपलैस फोटोशूट कराकर वे काफी चर्चा में आ गई थीं. इसके लिए उन पर जुर्माना भी हुआ था. यही नहीं ‘चाइना गेट’ में काम करने को लेकर खबरें उड़ी थीं कि छोटा राजन के कहने पर ही उन्हें यह फिल्म मिली. हालांकि यह फिल्म फ्लॉप रही और इसका सुपरहिट गाना ‘छम्मा-छम्मा’ भी उर्मिला के खाते में चला गया. बता दें कि ममता की इस फिल्म के जरिये सीरियस इमेज दिखाने की कोशिश नाकाम रही.

ये डांस नंबर आज भी थिरकने को मजबूर करते हैं

ममता के कई गाने आज भी लोगों की जुबान पर हैं. जब भी ये गाने कहीं सुनने को मिलते हैं तो अचानक इस अभिनेत्री की याद ताजा हो जाती है.

– कोई जाए तो ले आए मेरी लाख दुआएं पाए, मै तो पिया की गली..

– मुझको राणा जी माफ करना गलती म्हारे से हो गई…

– भंगड़ा पा ले… आजा आजा…

– भोली-भाली लड़की…

ड्रग्स तस्करी करने वाले विजय गोस्वामी से जुड़ी

शुरुआत में ममता के अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन से संबंधों की खबरें थीं, लेकिन कुछ समय बाद ही उनका नाम ड्रग तस्करी करने वाले विजय गोस्वामी यानि कि विकी के साथ जुड़ गया. उनके साथ वे दुबई और केन्या में रह रही थीं.

उन्होंने एक चैनल पर कबूला था कि उन्होंने विकी से शादी नहीं की और वे विकी से जेल में मिलने गईं थीं. ममता ने इसी इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने सोचा था कि वह कैसे भी उन्हें जेल से बाहर निकालकर रहेंगी. विकी जेल से बाहर भी आए, लेकिन ममता भारत नहीं लौट पाईं.

जिस दौरान विकी जेल में थे ममता ने अपने आपको ईश्वर भक्ति में डुबो लिया था. ममता ने अध्यात्म पर एक किताब भी लिखी है, जिसका नाम है – ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ एन योगिन’.

जोगन ममता

ममता तो बॉलीवुड से गायब ही थीं, लेकिन एक तस्वीर ने ममता कुलकर्णी को फिर से चर्चा में ला दिया. इसमें वह माथे पर तिलक लगाए दिख रही थीं. इसके बाद खबरें चलीं कि ममता अब जोगन बन गई हैं. उन्होंने एक चैनल से इंटरव्यू में कहा कि मैं बॉलीवुड को छोड़कर ध्यान में लग गई और मैंने ईश्वर में ध्यान लगा लिया. उसके बाद उनका मन ही नहीं किया कि ग्लैमर की दुनिया में लौटूं.

बॉलीवुड को अलविदा कहने का कारण

एक ऑनलाइन इंटरव्‍यू में बॉलीवुड को अलविदा कहने की वजह पर ममता ने आध्यात्म को बताया. बॉलीवुड में वापसी पर उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था कि क्या घी को फिर से दूध बनाना मुमकिन है.

ममता कुलकर्णी भगोड़ा घोषित

ममता कुलकर्णी और उसके बॉयफ्रेंड विकी गोस्वामी को ठाणे की एक स्पेशल कोर्ट ने 2000 करोड़ रुपये ड्रग्स रैकेट केस में दोषी करार दिया है. पिछले महीने ही कोर्ट ने ममता को भगोड़ा घोषित करने के साथ ही उनकी संपत्तियों की कुर्की करने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘यह घोषित किया जाता है कि आरोपी ममता कुलकर्णी और विकी गोस्वामी दोषी हैं. दोनों आरोपियों की अचल संपत्ति को जब्त करने का आदेश दिया जाता है.’

एक पुलिस ऑफिसर के अनुसार, ‘एक साल हो चुका है और मुख्य आरोपी अभी तक फरार है. ममता अभी भी फरार चल रही हैं, जबकि उनके पार्टनर विकी गोस्वामी को केन्या में गिरफ्तार किया जा चुका है. बता दें कि ममता की लोकेशन को लोकेट करने की कोशिश कर रहे हैं.’

टुकड़ों में मिली अभिनेत्री की लाश

राइमा इसलाम शिमू बांग्लादेश की एक जानीमानी अभिनेत्री थीं. उन्होंने न सिर्फ 50 से ज्यादा फिल्मों में काम किया, बल्कि 2 दरजन से अधिक नाटकों में भी काम कर दर्शकों के दिलों में जगह बनाई. यह महज इत्तफाक की बात है कि जिन दिनों देश भर में अपने दौर की खूबसूरत और लोकप्रिय अभिनेत्री परवीन बाबी की जिंदगी पर बनी वेब सीरीज ‘रंजिश ही सही’ की चर्चा हो रही थी, उन्हीं दिनों बांग्लादेश की परवीन जितनी ही सैक्सी, लोकप्रिय और सुंदर एक्ट्रेस राइमा इसलाम शिमू की दुखद हत्या की चर्चा भी उतनी ही शिद्दत से हो रही थी.

फर्क सिर्फ इतना था कि परवीन बाबी की लाश उन के घर में मिली थी, जबकि राइमा की एक सड़क पर मिली थी. यह सड़क बांग्लादेश की राजधानी ढाका के केरानीगंज अलियापुर इलाके में हजरतपुर ब्रिज के नजदीक है, जो कालाबागान थाने के अंतर्गत आता है.

17 जनवरी, 2022 को राइमा की लाश मिली तो बांग्लादेश में सनाका खिंच गया क्योंकि वह कोई मामूली हस्ती नहीं थीं बल्कि घरघर में उन की पहुंच थी. अपनी अभिनय प्रतिभा के दम पर उन्होंने अपना एक बड़ा दर्शक और प्रशंसक वर्ग तैयार कर लिया था.

जिस हाल में राइमा की लाश मिली थी, उस से साफ जाहिर हो रहा था कि उन की बेरहमी से हत्या की गई है.

इस हादसे ने एक बार फिर साफ कर दिया कि रील और रियल लाइफ में जमीनआसमान का फर्क होता है और आमतौर पर फिल्म स्टार्स, फिर वे किसी भी देश के हों, की जिंदगी उतनी हसीन और खुशनुमा होती नहीं जितनी कि उन के जिए किरदारों में दिखती है.

यही राइमा के साथ हुआ कि हत्यारा कोई और नहीं बल्कि उन का बेहद करीबी शख्स था और हत्या की वजह कोई अफेयर, पैसों का लेनदेन, कोई विवाद या नशे की लत या फिर कोई दिमागी बीमारी भी नहीं थी.

45 वर्षीय राइमा साल 1977 में ढाका के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी थीं, जिन्हें बचपन से ही अभिनय का शौक था. ढाका से स्कूल और कालेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एक्टिंग का कोर्स भी किया था.

19 साल की उम्र में ही उन्हें ‘बर्तमान’ फिल्म में काम करने का मौका मिल गया था. निर्माता काजी हयात की इस कामयाब फिल्म से वह फिल्म इंडस्ट्री में पहचानी जाने लगीं.

फिल्म समीक्षकों ने तो उन की एक्टिंग को अव्वल नंबर दिए ही थे, दर्शकों ने भी उन्हें सराहा था. इस की वजह उन का ताजगी से भरा चेहरा और बेहतर एक्टिंग के अलावा उन की कमसिन अल्हड़पन और खूबसूरती भी थी.

पहली फिल्म कामयाब होने के बाद राइमा ने फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. देखते ही देखते उन्होंने बांग्लादेश के तमाम दिग्गज निर्देशकों के साथ काम किया. इन में इनायत करीम, शरीफुद्दीन खान, दीपू, देलवर जहां झंतु और चाशी नजरूल इसलाम प्रमुख हैं.

सभी छोटेबड़े निर्देशकों के साथ राइमा ने 50 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया और टीवी पर भी अपना जलवा बिखेरा.

लोगों के दिलों में बसी थीं राइमा

छोटे परदे पर आना उन की व्यावसायिक मजबूरी भी हो गई थी, क्योंकि बांग्लादेश के लोग भी टीवी धारावाहिकों को ज्यादा तरजीह देने लगे हैं. राइमा ने कोई 25 धारावाहिकों में एक्टिंग की, जिस से घरघर उन की पहुंच और स्वीकार्यता बढ़ती गई.

बांग्लादेश फिल्म इंडस्ट्री के लगभग सभी बड़े नायकों के साथ उन्होंने काम किया. खासतौर से अमित हसन, बप्पाराज रियाज, शाकिब खान, जाहिद हसन और मुशर्रफ करीम के साथ उन की जोड़ी खूब जमती थी.

राइमा आला कारोबारी दिमाग की मालकिन थीं, इसलिए उन्होंने खुद का प्रोडक्शन हाउस भी खोल लिया था. जिस के तहत कई टीवी सीरियल बने थे. अलावा इस के वह फिल्म पत्रकारिता भी ‘अर्थ कोथा द नैशनल बिजनैस मैगजीन’ के लिए करती थीं.

बहुमुखी प्रतिभा की धनी इस एक्ट्रेस को टीवी न्यूज चैनल एटीएन बांग्ला में सेल्स एंड मार्केटिंग में वाईस प्रेसिडेंट भी नियुक्त किया गया था. जल्द ही एक नामी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी टीएन इवेंट्स लिमिटेड के सीईओ की जिम्मेदारी भी उन्हें दी गई थी.

इतना ही नहीं, उन्होंने बांग्लादेश में ही अपना ब्यूटी सैलून भी शुरू कर दिया था, जिस का नाम रोज ब्यूटी सैलून है. ढाका का ग्रीन रोड इलाका राइमा के घर की वजह से भी पहचाना जाने लगा, जो दर्शकों और प्रशंसकों की नजर में किसी मन्नत या जन्नत से कम नहीं था.

लेकिन कोई सोच भी नहीं सकता था कि लाखों लोगों का मनोरंजन करने वाली और दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली इस एक्ट्रेस की निजी जिंदगी किसी नर्क से कम बदतर नहीं थी और इस की वजह था उन का पति शखावत अली नोबेल, जो कभी उन पर जान छिड़का करता था. इन दोनों ने 16 साल पहले लव मैरिज की थी.

शौहर ही निकला कातिल

आम दर्शक इस से ज्यादा कुछ नहीं सोच पाता कि उस की चहेती एक्ट्रेस अपने महल जैसे घर के अंदर सदस्यों के साथ हंसखेल रही होगी, रोमांस कर रही होगी या फिर डायनिंग टेबल पर बैठी लंच या डिनर कर रही होगी.

और कुछ नहीं तो पति और बच्चों के साथ आंचल हवा में लहराते लौन के झूले पर झूलती गाना गा रही होगी. उस के इर्दगिर्द रंगबिरंगे फूल और चहचहाते पक्षी होंगे. सर के ऊपर नीला खुला आसमान होगा. लेकिन ऐसा कुछ भी कम से कम राइमा की जिंदगी में तो नहीं था.

पिछले कुछ दिनों से वह बेहद घुटन भरी जिंदगी जी रही थीं. आलीशान घर के अंदर कलह स्थायी रूप से पसर चुकी थी जिस से उन के दोनों बच्चे सहमेसहमे से रहते थे.

राइमा और शखावत कहने और देखने को ही साथ रहते थे और मियांबीवी कहलाना भी उन की सामाजिक मजबूरी हो चली थी. लेकिन रोजरोज की मारकुटाई और कलह आम बात हो चुकी थी.

यह सब कितने खतरनाक मुकाम तक पहुंच चुका था, इस का खुलासा 17 जनवरी, 2022 को राइमा की लाश मिलने के बाद हुआ. अंदर से टूटी और थकी हुई यह एक्ट्रेस 16 जनवरी को मावा एक शूटिंग के लिए गई थी. लेकिन देर रात तक वापस घर नहीं लौटी तो घर वालों को चिंता हुई क्योंकि राइमा का फोन भी बंद जा रहा था.

कालाबागान थाने में उन की गुमशुदगी की सूचना दर्ज हुई. एक रिपोर्ट राइमा की बहन फातिमा निशा ने भी लिखाई थी. पुलिस ने राइमा की ढुंढाई शुरू की, लेकिन देर रात तक कोई कामयाबी नहीं मिली तो मामला सुबह तक के लिए टल गया.

इस दौरान उन का भाई शाहिदुल इसलाम खोकान लगातार पुलिस वालों से बहन को ढूंढने की गुजारिश करते खुद भी राइमा की तलाश में इस उम्मीद के साथ लगा रहा कि कहीं से कोई सुराग मिल जाए. लेकिन उस के हाथ भी मायूसी ही लगी.

17 जनवरी की सुबह कुछ राहगीरों ने हजरतपुर ब्रिज के पास एक लावारिस संदिग्ध बोरे को देख इस की खबर पुलिस को दी. पुलिस ने आ कर जैसे ही बोरे को खोला तो उस में से बरामद हुई राइमा की लाश, जो 2 टुकड़े कर बोरे में ठूंसी गई थी.

गले पर चोट के निशान भी साफसाफ दिख रहे थे, जिस से स्पष्ट हो गया कि राइमा की हत्या हुई है और लाश को यहां फेंक दिया गया है. लेकिन हत्यारा कौन हो सकता है, यह सवाल पुलिस को मथे जा रहा था.

राइमा की हत्या की खबर जंगल की आग की तरह फैली और फैंस जहांतहां इकट्ठा होने लगे. शव को पोस्टमार्टम के लिए सर सलीमुल्लाह मैडिकल कालेज भेज दिया गया.

पुलिस को शखावत पर शक तो था ही, लेकिन जैसे ही राइमा के भाई शाहिदुल इसलाम खोकान ने यह कहा कि शखावत एक ड्रग एडिक्ट है. वह अकसर मेरी बहन से कलह करता था. मैं ने उस की कार में खून देखा है. वह सुबह 8 से ले कर 10 बजे तक घर पर नहीं था. मुझे लगता है कि उसी दौरान उस ने राइमा की लाश फेंक दी.

फिल्मों जैसा कत्ल

शाहिदुल की शिकायत पर पुलिस ने शखावत को घेरा तो बिना किसी ज्यादा मशक्कत के उस ने सच उगल दिया. अब तक राइमा के फैंस जगहजगह मोमबत्तियां ले कर उन की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने लगे थे.

सोशल मीडिया पर भी राइमा छाई हुई थीं. लोग श्रद्धांजलि देते राइमा के हत्यारे को गिरफ्तार करने की मांग और प्रदर्शन कर रहे थे.

हिरासत में लिए गए शखावत ने बगैर किसी खास चूंचपड़ के अपना गुनाह कुबूल लिया. उस के बयान की बिनाह पर 6 लोग और गिरफ्तार किए गए, जिन में उन का ड्राइवर और एक नजदीकी दोस्त अब्दुल्ला फरहाद भी था. फरहाद को शखावत ने फोन कर बुलाया था.

पूछताछ में पता चला कि शखावत और फरहाद ने राइमा की हत्या 16 जनवरी को ही कर दी थी. वक्त था सुबह 7 बजे का. इन दोनों ने राइमा की लाश बोरे में भर दी और उसे प्लास्टिक की डोरी से सिल दिया. यह काम इत्मीनान से बिना किसी अड़ंगे के हो सके, इस के लिए उन्होंने घर पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड को नाश्ता लेने भेज दिया था.

घटनास्थल से बरामद डोरी शखावत के गले का फंदा बनेगी, यह भी तय दिख रहा है क्योंकि जब पुलिस टीम घर पहुंची थी तो इस डोरी का पूरा बंडल वहां से बरामद हुआ था. जिस से शक की कोई गुंजाइश नहीं रह गई थी.

ये दोनों लाश को ठिकाने लगाने के पहले उसे मीरपुर ले गए थे, लेकिन वहां कोई उपयुक्त सुनसान जगह नहीं मिली तो वापस घर आ गए थे.

राइमा की लाश उन लोगों के लिए बोझ बनती जा रही थी. मीरपुर से वापसी के बाद दोनों रात साढ़े 9 बजे के करीब हजरतपुर ब्रिज पहुंचे और लाश वाले बोरे को वहीं फेंक दिया, लेकिन हड़बड़ाहट और जल्दबाजी में गलती से डोरी वहीं छोड़ दी, जो उन के खिलाफ एक पुख्ता सबूत बन गई.

लाश फेंकने के बाद घर आ कर दोनों ने सबूत मिटाने की गरज से कार को धोया और बदबू दूर करने के लिए उस में ब्लीचिंग पाउडर भी छिड़का. लेकिन इस के बाद भी खून के धब्बे पूरी तरह नहीं मिट पाए थे.

यानी राइमा शूटिंग पर गई है, यह झूठ जानबूझ कर फैलाया गया था, जिस से कत्ल को किसी हादसे में तब्दील किया जा सके या उस का ठीकरा किसी और के सिर फूटे, नहीं तो उसे तो ये लोग 16 जनवरी, 2022 को ही ऊपर पहुंचा चुके थे.

गलत नहीं कहा जाता कि मुलजिम कितना भी चालाक हो, कोई न कोई सबूत छोड़ ही देता है फिर शखावत और फरहाद तो नौसिखिए थे, जो यह मान कर चल रहे थे कि उन्होंने बड़ी चालाकी से अपने गुनाह को अंजाम दिया है, इसलिए पकडे़ जाने का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं होगा. कुछ दिन हल्ला मचेगा और फिर सब कुछ ठीक हो जाएगा.

पुलिस के सामने शखावत ने शरीफ बच्चों की तरह मान लिया कि राइमा से कलह के चलते उस ने उस का कत्ल किया, लेकिन हकीकत में वह अव्वल दरजे का शराबी और ड्रग एडिक्ट था, जो पत्नी को मार कर उस की सारी दौलत हड़प कर लेना चाहता था, जिस से ताउम्र मौज और अय्याशी की जिंदगी जी सके.

पर अब उसे जिंदगी भर जेल की चक्की पीसना तय दिख रहा है. हो सकता है अदालत कोई रहम न दिखाते हुए शखावत को फांसी की सजा ही दे दे, जिस का कि वह हकदार भी है.

फिल्म स्टार्स को शादी के ठुमकों से भी करोड़ों की कमाई

वाकया अब से कोई 8 साल पहले का है. मशहूर बौलीवुड अभिनेता शाहरुख खान एक शादी में शामिल होने के लिए दुबई गए थे. विवाहस्थल था नामी मेडिनाट जुमैराह होटल, मेजबान थे अहमद हसीम खूरी और मरियम ओथमन, जिन की गिनती खाड़ी के बड़े रईसों में शुमार होती है.

मौका था इन दोनों के बेटे की शादी का, जो इतने धूमधाम से हुई थी कि ऐसा लगा था कि इस में पैसा खर्च नहीं किया गया बल्कि फूंका और बहाया गया है. इस की वजह भी है कि शायद ही खुद अहमद हसीम खूरी को मालूम होगा कि उन के पास कितनी दौलत है.

एक आम पिता की तरह इस खास शख्स की यह ख्वाहिश थी कि बेटे की शादी इतने धूमधाम से हो कि दुनिया याद रखे और ऐसा हुआ भी, जिस में शाहरुख खान का वहां जा कर नाच का तड़का लगाना एक यादगार लम्हा बन गया था.

चूंकि खूरी शाहरुख के अच्छे परिचित हैं, इसलिए यह न सोचें कि वे संबंध निभाने और शिष्टाचारवश इस शादी में शिरकत करने गए थे, बल्कि हकीकत यह कि वह वहां किराए पर नाचने गए थे. आधे घंटे नाचने की कीमत शाहरुख ने 8 करोड़ रुपए वसूली थी और मेजबानों ने खुशीखुशी दी भी थी.

रियल एस्टेट से ले कर एयरलाइंस तक के कारोबार के किंग अहमद हसीम खूरी जो दरजनों छोटीबड़ी कंपनियों के मालिक हैं, के लिए यह वैसी ही बात थी जैसे किसी भेड़ के शरीर से 8-10 बाल झड़ जाना. लेकिन शाहरुख के लिए यह पैसा पूरी तरह से बख्शीश तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन बोनस जरूर था.

यह डील राशिद सैय्यद ने करवाई थी, जो दुबई में शाहरुख के इवेंट आयोजित करवाते हैं. इस डील में भी उन्हें तगड़ा कमीशन मिला था. यह वह दौर था जब शाहरुख खान अपनी बीमारी की वजह से निजी आयोजनों में जाने से परहेज करते थे, पर आधे घंटा ठुमका लगाने के एवज में मिल रही 8 करोड़ की रकम का लालच वह छोड़ नहीं पाए थे. क्योंकि सौदा कतई घाटे का न हो कर तगड़े मुनाफे का था.

ऐसा नहीं है कि शाहरुख देश की शादियों में नाचनेगाने की फीस चार्ज न करते हों. हां, वह कम जरूर होती है. आजकल वह शादियों में शामिल होने के 2 करोड़ लेते हैं और मेजबान अगर उन्हें नचाना भी चाहे तो यह फीस 3 करोड़ हो जाती है.

लेकिन समां ऐसा बंधता है कि लड़की या लड़के वाले के पैसे वसूल हो जाते हैं. शान से शादी करना हमेशा से ही लोगों की फितरत रही है और इस के लिए वे ज्यादा से ज्यादा दिखावा और खर्च करते हैं, जिस का बड़ा हिस्सा मनोरंजन पर खर्च होता है.

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करोड़ों के ठुमके

एक दौर था जब अमीरों और जमींदारों के यहां की शादियों में नामी रंडियां, बेड़नियां और तवायफें दूरदूर से नाचने के लिए बुलाई जाती थीं. इन का नाच देखने और मुजरा सुनने के लिए खासी भीड़ इकट्ठी होती थी.

प्रोग्राम के बाद लोग मान जाते थे कि वाकई मेजबान इलाके का सब से बड़ा रईस और दिलदार आदमी है, जिस ने 11 बेड़नियां नचा कर फलां को मात दे दी, जो अपने बेटे की शादी में केवल 5 तवायफें ही ला पाया था.

5 हों या 7 या फिर 11, इन पेशेवर नचनियों को खूब मानसम्मान दिया जाता था और उन की खातिर खुशामद में कोई कमी नहीं रखी जाती थी. इन की फीस भी तब के हिसाब से तौलें तो किसी शाहरुख, सलमान, रितिक रोशन, अक्षय कुमार, कटरीना कैफ, अनुष्का शर्मा, रणवीर सिंह या प्रियंका चोपड़ा से कम नहीं होती थी.

ये सभी फिल्म स्टार शादियों और दूसरे निजी आयोजनों में हिस्सा लेने में अपनी और मेजबान की हैसियत के हिसाब से फीस लेते हैं, जो फिल्मों के अलावा इन की अतिरिक्त आमदनी होती है. हालांकि पैसों के लिए ये अब उद्घाटन के अलावा शपथ ग्रहण समारोहों तक में शामिल होने लगे हैं और विज्ञापनों व ब्रांड प्रमोशन से भी अनापशनाप कमाते हैं. लेकिन शादियों की बात कुछ अलग हटकर है.

वक्त के साथ शादियों के पुराने तौरतरीके बदले तो बेड़नियों और तवायफों की जगह फिल्म स्टार्स ने ले ली. शादियों में खासतौर से इन की मांग ज्यादा होती है, क्योंकि खुशी के इस मौके को लोग यादगार बना लेना चाहते हैं. ऐसे में अगर कोई फिल्मी सितारा वे अफोर्ड कर सकते हैं तो उसे बुलाने से चूकते नहीं.

ये डील सीधे भी होती हैं, पीआर एजेंसी और इवेंट कंपनियों के जरिए भी. और किसी जानपहचान वाले का फायदा भी उठाया जाता है. हालांकि अधिकांश बड़े सितारों ने इस बाबत अपने खुद के भी बिजनैस मैनेजर नियुक्त कर रखे हैं.

शाहरुख खान वक्त की कमी के चलते साल में 3-4 से ज्यादा शादियों में नहीं जाते. इस से ही उन्हें कोई 10 करोड़ की सालाना कमाई हो जाती है. शाहरुख की तरह ही सलमान खान भी साल में 3-4 शादियों में ही शिरकत करते हैं. हां, उन की फीस थोड़ी कम 2 करोड़ रुपए है.

सलमान शादियों में दिल से नाचते हैं और घरातियों और बारातियों को भी खूब नचाते हैं. शाहरुख के बाद सब से ज्यादा मांग उन्हीं की रहती है. आप जान कर हैरान हो सकते हैं कि इन दोनों के पास साल में ऐसे यानी पेड डांस के कोई 200 न्यौते आते हैं, लेकिन ये जाते सिर्फ 3 या 4 में ही हैं.

अक्षय नहीं दिखाते ज्यादा नखरे

जिन्हें शाहरुख या सलमान खान से मंजूरी नहीं मिलती, वे अक्षय कुमार जैसे स्टार की तरफ दौड़ लगा देते हैं जो आसानी से मिल जाते हैं और इन की फीस भी उन से कम होती है. आजकल अक्षय कुमार डेढ़ करोड़ में नाचने को तैयार हो जाते हैं क्योंकि उन का बाजार ठंडा चल रहा है.

अक्षय कुमार की यह खूबी है कि बेगानी शादी में यह दिखाने की पूरी कोशिश करते हैं कि वे वर या वधु पक्ष के बहुत अजीज हैं. अब यह और बात है कि समझने वाले समझ जाते हैं कि वे आए तो किराए पर नाचने हैं.

अक्षय कुमार से भी सस्ते पड़ते हैं रणवीर सिंह, जिन की शादी में नाचने की फीस सिर्फ एक करोड़ रुपए है और केवल शादी में शामिल होना हो यानी नाचना न हो तो वे 50 लाख में भी मुंह दिखाने को तैयार हो जाते हैं.

‘कहो न प्यार है’ फिल्म से रातोंरात स्टार बन बैठे रितिक रोशन शादी में शामिल होने के लिए एक करोड़ फीस चार्ज करते हैं और नाचना भी हो तो इस अमाउंट में 50 लाख रुपए और जुड़ जाते हैं. यानी डेढ़ करोड़ रुपए

कपूर खानदान के रणबीर कपूर कभीकभार ही ऐसे न्यौते स्वीकारते हैं, उन की फीस डेढ़ करोड़ रुपए है.

सस्ती पड़ती हैं एक्ट्रेस

नायकों के मुकाबले शादियों में नचाने को नायिकाएं सस्ती पड़ती हैं जबकि उन में आकर्षण ज्यादा होता है. सब से ज्यादा डिमांड कटरीना कैफ की रहती है, जिन की फीस बड़े नायकों के बराबर ढाई करोड़ रुपए है.

कटरीना को अपनी शादी में नाचते देखने का लुत्फ वही उठा सकता है, जो घंटा आधा घंटा के एवज में यह भारीभरकम रकम खर्च कर सकता हो. हालांकि ऐसे शौकीनों की कमी भी नहीं. कटरीना के बराबर ही मांग प्रियंका चोपड़ा की रहती है. उन की फीस भी ढाई करोड़ है, जिसे अदा कर उन से ठुमके लगवाए जा सकते हैं.

इन दोनों को टक्कर देने वाली करीना कपूर डेढ़ करोड़ में शादी को यादगार बनाने के लिए तैयार हो जाती हैं और नाचती भी दिल से हैं. तय है कपूर खानदान की होने के नाते वे भारतीय समाज और उस की मानसिकता को बारीकी से समझती हैं कि लोग बस इस मौके को जीना चाहते हैं जिस में उन का रोल एक विशिष्ट मेहमान का है.

उन के दादा राजकपूर की हिट फिल्म ‘प्रेम रोग’ में अचला सचदेव नायिका पद्मिनी कोल्हापुरे की शादी में बहैसियत तवायफ ही आई थीं. इस दृश्य के जरिए राजकपूर ने दिखाया था कि ठाकुरों और जमींदारों के यहां शादियों में नाचगाना 7 फेरों से कम अहमियत नहीं रखता और इस पर वे खूब पैसे लुटाते हैं.

रणवीर सिंह की पत्नी दीपिका पादुकोण भी सस्ते में शादी में जाने तैयार हो जाती हैं उन की फीस महज एक करोड़ रुपए है. नामी अभिनेत्रियों में सब से किफायती अनुष्का शर्मा हैं, जो शादी में शामिल होने के 50 लाख और नाचना भी हो तो एक करोड़ रुपए लेती हैं. क्रिकेटर विराट कोहली से शादी करने के बाद भी उन की फीस बढ़ी नहीं है.

वजह कुछ भी हो, शादी को रंगीन और यादगार बनाने के लिए अभिनेत्रियां कम पैसों में मिल जाती हैं. मसलन, सोनाक्षी सिन्हा जो मोलभाव करने पर 25 लाख में भी नाचने को राजी हो जाती हैं, जबकि वह भारीभरकम फीस वाली अभिनेत्रियों से उन्नीस नहीं और उन के मुकाबले जवान और ताजी भी हैं.

युवाओं में उन का खासा क्रेज है. सोनाक्षी से भी कम रेट में उपलब्ध रहती हैं दीया मिर्जा, सेलिना जेटली और गुजरे कल की चर्चित ऐक्ट्रेस प्रीति झिंगयानी और एक वक्त का बड़ा नाम अमीषा पटेल, जिन्होंने रितिक रोशन के साथ ही ‘कहो न प्यार है’ फिल्म से डेब्यू किया था.

इमेज है बड़ा फैक्टर

अपने बजट को ही नहीं बल्कि लोग इन कलाकारों को बुलाते समय अपनी प्रतिष्ठा और उन की इमेज को भी ध्यान में रखते हैं. क्या कोई अरबपति उद्योगपति राखी सावंत को अपने यहां शादी में बुलाएगा, जबकि उस की फीस महज 10 लाख रुपए है? जबाब है बिलकुल नहीं बुलाएगा, क्योंकि राखी की इमेज कैसी है यह सभी जानते हैं.

राखी सावंत को बुलाया तो जाता है और वह हर तरह से नाचती भी हैं लेकिन उन के क्लाइंट आमतौर पर वे नव मध्यमवर्गीय होते हैं जो अपनी धाक समाज में जमाना चाहते हैं.

यही हाल केवल 25 लाख में नाचने वाली पोर्न स्टार सनी लियोनी का है, जिन की क्लाइंटल रेंज उन्हीं की तरह काफी कुछ हट कर है.

राखी और सनी जैसी दरजन भर छोटी अभिनेत्रियों की आमदनी का बड़ा जरिया ये शादिया हैं, जिन में शिरकत करने और नाचने को वे एक पांव पर तैयार रहती हैं. इसी क्लब में मलाइका अरोड़ा भी शामिल हैं, जिन की फीस भी कम 15 लाख है.

हरियाणवी डांसर सपना चौधरी के धमाकेदार डांस और बेबाक अंदाज को तमाम लोग पसंद करते हैं. स्टेज शो के अलावा शादी समारोह में जाने के लिए वह एक लाख रुपए में ही तैयार हो जाती हैं. लेकिन वह 50 प्रतिशत एडवांस लेती हैं.

बड़े नायक और नायिकाएं अपने यहां शादियों में नचवा कर लोग न केवल अपनी रईसी झाड़ लेते हैं बल्कि धाक भी जमा लेते हैं. लेकिन कोई कभी खलनायकों को नहीं बुलाता. कभीकभार शक्ति कपूर शादियों में 10 लाख रुपए में ठुमका लगाने चले जाते हैं पर अब उन की इमेज कामेडियन और चरित्र अभिनेता की ज्यादा बन चुकी है. वैसे भी वह जिंदादिल कलाकार हैं जिस का बाजार और कीमत अब खत्म हो चले हैं.

बदलता दौर बदलते लोग

शादी में हंसीमजाक, नाचगाना न हो तो वह शादी कम एक औपचारिकता ज्यादा लगती है. इसलिए इन में हमेशा कुछ न कुछ नया होता रहता है.

60-70 के दशक में बेड़नियां और तवायफें नचाना उतने ही शान की बात होती थी, जितनी कि आज नामी स्टार्स को नचाना होती है. जरूरत बस जेब में पैसे होने की है. शादियों में नाचने से फिल्मी सितारों को आमदनी के साथसाथ पब्लिसिटी भी मिलती है.

इन के दीगर खर्च और नखरे भी आमतौर पर मेजबान को उठाने पड़ते हैं मसलन हवाई जहाज से आनेजाने का किराया, 5 सितारा होटलों में स्टाफ सहित ठहरने का खर्च और कभीकभी तो कपड़ों तक का भी. बशर्ते मेजबान ने यदि कोई ड्रेस कोड रखा हो तो नहीं तो ये लोग अपनी पसंद की पोशाक पहनते हैं.

शादियों में फिल्मी सितारों का फीस ले कर नाचने और ठुमकने का कोई ज्ञात इतिहास नहीं है, लेकिन इस की शुरुआत का श्रेय उन छोटीबड़ी आर्केस्ट्रा पार्टियों को जाता है, जिन्होंने 80 के दशक से शादियों में गीतसंगीत के स्टेज प्रोग्राम देने शुरू किए थे.

बाद में इन में धीरेधीरे छोटे और फ्लौप कलाकार भी नजर आने लगे. आइडिया चल निकला तो देखते ही देखते नामी सितारों ने इसे धंधा ही बना डाला.

शादियों में इस दौर में महिला संगीत और हल्दी मेहंदी का चलन भी तेजी से समारोहपूर्वक मनाने का बढ़ा था, जिस में रंग इन स्टार्स ने भरना शुरू कर दिया. थीम वेडिंग के रिवाज से भी इन की मांग बढ़ी.

इस के बाद भी यह बाजार बहुत बड़ा नहीं है क्योंकि इन की फीस बहुत ज्यादा है, जिसे कम लोग ही अफोर्ड कर पाते हैं. हां, सपना हर किसी का होता है कि उन के यहां शादी में कोई सलमान, शाहरुख, अक्षय, कटरीना या प्रियंका नाचें, लेकिन यह बहुत महंगा सपना है.