सितंबर महीने में एजाज की मुलाकात बरेली की रहने वाली एक अन्य युवती आबिदा (परिवॢतत नाम) से हुई तो उस ने उसे अपने प्रेमजाल में फांस लिया. इस के पीछे भी उस का मकसद था. वह आसमा को हमेशा के लिए छोड़ कर उस युवती से निकाह कर के आगरा में अपना ठिकाना बनाना चाहता था. क्योंकि आगरा स्थित एयरबेस की सूचनाएं उसे जुटानी थीं.
आसमा उस के बच्चे की मां बनने वाली थी. इस बोझ से भी वह छुटकारा पाना चाहता था. दिली मोहब्बत तो उसे नई महबूबा से भी नहीं थी. अपना कौंट्रैक्ट पूरा कर के फरवरी, 2016 में उसे पाकिस्तान चले जाना था.
अपने मिशन के तहत उस ने भारतीय वायुसेना द्वारा मिराज विमान की यमुना एक्सप्रेस वे पर की गई इमरजैंसी लैंडिंग संबंधी वीडियो, बरेली छावनी स्थित विभिन्न इकाइयों की जानकारी, बरेली एयरबेस व सुखोई-30 फाइटर जैट की जानकारी, हरिद्वार, मेरठ छावनी सैन्य इकाइयों के स्कैच व उन के मूवमेंट आदि की जानकारी आईएसआई को उपलब्ध करा दी थी. भारत में होने वाली सांप्रदायिक घटनाओं की पूरी जानकारी भी वह पाकिस्तान भेजता था.
भारत में आतंकी गतिविधियों और जासूसी के मामलों में खुफिया एजेंसियां और स्पैशल टास्क फोर्स जांचपड़ताल में जुटी रहती हैं. इसी कड़ी में पुलिस महानिदेशक जगमोहन यादव को कुछ खुफिया सूचनाएं मिलीं तो उन्होंने एसटीएफ के आईजी सुजीत पांडेय को वह सूचनाएं दे दीं. उन्होंने उन से उन सूचनाओं पर काम करने को कहा. आईजी पांडेय ने वे सूचनाएं अधीनस्थों को निर्देशित कर दीं.
एसटीएफ के एसएसपी अमित पाठक ने प्रदेश भर की यूनिटों को सतर्क कर दिया. ये सूचनाएं पाकिस्तान में सोशल नेटवॄकग साइटों के जरिए संपर्क करने की थीं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऐसा एजेंट सक्रिय था, जो देश की रक्षा महत्त्व की सूचनाएं पाकिस्तान भेज रहा था. इस से खुफिया एजेंसियां, आर्मी इंटेलीजैंस आदि सतर्क हो गईं.
कई महीने तक बारीकी से पड़ताल की गई. इसी पड़ताल में कलाम पर नजर गई. उस की सोशल आईडी और मेल की जांच की गई. जब विश्वास हो गया कि कलाम पाकिस्तान से जुड़ा है और उस की गतिविधियां संदिग्ध हैं तो उस का मोबाइल नंबर हासिल कर के उस की बातचीत सुनी गई. इस सब से पता चला कि वह 3 भाषाएं जानता है और भारत के खिलाफ गतिविधियों को अंजाम दे रहा है.
उस की जड़ों की गहराई तक पहुंचने के लिए उस के मोबाइल की डिटेल्स हासिल की गई तो उस की लोकेशन अलगअलग जिलों के अलावा दिल्ली की भी पाई गई. उस नंबर का इस्तेमाल वह पाकिस्तान में भी बातचीत के लिए कर रहा था. इसी दौरान पता चला कि उस का असली नाम एजाज है.
जब साफ हो गया कि उस की गतिविधियां बेहद संदिग्ध हैं तो उसे दबोचने की योजना बनाई गई. उस के पीछे मुखबिरों को लगा दिया गया. जब पता चला कि वह महत्त्वपूर्ण दस्तावेज दिल्ली में अपने साथियों को पहुंचाने जाएगा, तो उस की लोकेशन पता की जाने लगी. सॢवलांस के जरिए उस की लोकेशन मेरठ की मिलनी शुरू हुई तो एसटीएफ ने बिना देरी किए टीम बना कर उसे दबोच लिया. एजाज बरामद दस्तावेजों को दिल्ली ले जा रहा था. गिरफ्तारी के बाद उस ने नपेतुले जवाब दे कर एसटीएफ को भी उलझा दिया, लेकिन रिमांड के दौरान हुई पूछताछ में उस की परतें खुलने लगीं.
उस के परिवार के बड़े हस्तियों से रिश्तों का राज भी खुल गया. आईएसआई उसे अब तक 5 लाख 8 हजार रुपए दे चुकी थी. भारत में उस का खर्चा सीमित था और वह साधारण अंदाज में जीवनयापन कर रहा था, इसलिए दी गई रकम वह अपने परिवार को भिजवा चुका था. यह रकम उस के खाते में दुबई, सउदी अरब और जम्मूकश्मीर से ट्रांसफर की गई थी.
पुलिस ने वेस्ट बंगाल में एजाज के संरक्षणदाता रहे मोहम्मद इरशाद, उस के बेटे अशफाक, उस के भाई इरफान और जहांगीर को भी नामजद कर लिया था. उन की तलाश में एक टीम हवाई जहाज से कोलकाता भेजी गई. तत्काल शिकंजा कस कर इरशाद, अशफाक और जहांगीर को भी गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि इरफान हाथ नहीं आ सका.
रिमांड के दौरान अदालत की अनुमति ले कर एजाज की उस के घर एक पीसीओ से बात कराई गई. उस ने अपनी मां और बहनों से बातचीत की. इस बातचीत को बतौर सबूत रिकौर्ड कर के रख लिया गया. रिमांड अवधि पूरी होने पर पुलिस ने एजाज को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.
एजाज से बरामद इलैक्ट्रौनिक यंत्रों को एफएसएल जांच के लिए सीबीआई की फोरैंसिक लैब भेज दिया गया. इस बीच आसमा के पिता बरेली पहुंचे और सामान के साथ बेटी को अपने साथ ले गए. आसमा का कहना था कि उसे पता नहीं था कि वह इस तरह धोखे का शिकार हो जाएगी. वह देश का बुरा चाहने वाले शौहर से अब कभी नहीं मिलेगी. वह कोख में पल रही उस की निशानी को जन्म तो देगी, लेकिन उसे अफसोस रहेगा कि वह ऐसे दुश्मन की निशानी है, जो मुल्क की तबाही के ख्वाब देख रहा था.
एसटीएफ ने आसमा और उस के पिता से भी पूछताछ की. एजाज के परिवार के पाकिस्तानी हस्तियों से रिश्तों से संबंधित रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दी गई है. कथा लिखे जाने तक खुफिया एजेंसियां और एसटीएफ आईएसआई के भारत में फैले नेटवर्क को खत्म करने की कोशिश में लगी थीं.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित