लाखन भी गांव में ही रहता था, इसलिए उस का अंकुर और उस के चाचा का अकसर आमनासामना हो जाया करता था. यही नहीं, वह उन्हें देख कर अपनी मूंछों पर ताव भी दिया करता था. गांव में वैसे भी पहले से उन की बहुत बदनामी हो चुकी थी. लाखन की यह हरकत उन के गुस्से में आग में घी डालने का काम करती थी. जब यह उन के बरदाश्त से बाहर हो गया, तब अंकुर ने अपने चाचा और चचेरे भाई के साथ मिल कर लाखन को जिंदा नहीं रहने देने की सौगंध खा ली.
तीनों ने लखन को रास्ते से हटाने के लिए उस की गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू कर दी. उस की दिनचर्या मालूम करने के बाद वारदात के दिन 5 अप्रैल, 2023 की शाम को उन्होंने देखा कि लाखन बस स्टैंड के पास राधेश्याम राठौर के मकान के सामने ट्रैक्टर ट्रौली से गेहूं खाली कर रहा है. उस के आसपास कोई और नहीं था. तीनों ने मौका देख कर उस पर हमला कर दिया. पुलिस को इस हत्याकांड का कोई भी चश्मदीद नहीं मिला था, जबकि हत्या की साजिश पहले ही बना ली गई होगी.
लाखन की हत्या जिस जगह पर हुई थी, उस के पास में ही आरोपी प्रेम सिंह की दूध डेयरी भी थी. पुलिस को पता चला कि शायद इसी दुकान पर बैठ कर हत्या की योजना बनाई गई होगी, क्योंकि दुकान में पहले से ही पिस्टल और सब्बल रखा हुआ था. लाखन को घेर कर यहीं से हथियार निकाले गए थे.
मिटा दिया बहन का सिंदूर
उस दिन लाखन गांव के राधेश्याम राठौर के खेत पर गेहूं निकाल रहा था. वह ट्रैक्टर ट्रौली में गेहूं ले कर धानोदा गांव के बस स्टैंड के पास स्थित राधेश्याम के घर के सामने पहुंचा ही था, तब शाम के लगभग साढ़े 7 बजे थे. लाखन ने ट्रौली से गेहूं खाली करना शुरू ही किए थे कि आरोपी अचानक से आ गए थे.
अंकुर दौड़ कर डेयरी से पिस्टल ले आया था. उस ने लाखन की ओर फायर किया था. गोली उस की कमर में लगी थी और लाखन ट्रौली के पास ही सटे खंभे के पास गिर गया था. इस के बाद एक आरोपी दौड़ा और डेयरी से सब्बल निकाल ले आया. फिर तीनों उस पर टूट पड़े थे. उन्होंने सब्बल और पत्थर से उस पर जानलेवा हमला कर दिया था. इस के बाद अंकुर ने फिर से उस पर गोली दाग दी.
लाखन पूरी तरह से निढाल जमीन पर गिर गया था. सब्बल चाचा के लडक़े के हाथ में था, जिसे छुड़ा कर अंकुर ने उस पर इतनी जोर से वार किया कि सब्बल गले के आरपार हो गया. उस दिन गांव में अनेक शादियां थीं. हत्याकांड के बाद काफी दहशत फैल गई. बैंडबाजे सब कुछ बजने बंद हो गए. पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया. न कोई शादी में शामिल हुआ, न कोई दावत खाने गया. परिवार वालों ने ही जैसेतैसे रस्में निभाईं.
इस घटना से पहले लाखन के पिता बहादुर सिंह नीतू के परिवार से मिल रही धमकियों से बेहद डरे हुए थे. जिस के चलते वह घर के पास ही मंदिर में जा कर रहने लगे थे. लाखन उन का इकलौता बेटा था. उस की मौत से उन का बुरा हाल हो गया था. मां का भी रोरो कर बुरा हाल हो गया था.
हत्याकांड के बारे में लाखन की मां श्याम कुंवर ने बताया कि बेटे ने नीतू से लव मैरिज की थी, जो दोनों की पसंद की थी. फिर भी बहू नीतू के घर वाले बेटे को जान से मारने की धमकी दे रहे थे. नीतू प्रेग्नेंट थी. लाखन के जिम्मे ही मातापिता, पत्नी नीतू और बहन की जिम्मेदारी थी. लाखन की मौत के बाद 4 लोगों की जिंदगी पूरी तरह से बिखर गई. नीतू के नाराज भाइयों ने ही उस के पति की हत्या की थी. वह उस का पहला और आखिरी प्यार था.
नीतू ने बताया कि घर वालों ने उस की मरजी के खिलाफ उस की शादी राजेंद्र से कर दी थी. पति की शराब की लत से रिश्ता बिगड़ गया था. इस बीच इन 5 सालों में एक बेटा और एक बेटी का जन्म भी हुआ. कोरोना काल में पिता भगवान सिंह की मौत के बाद ससुराल वालों के तेवर बदल गए. वे आए दिन किसी न किसी बात पर विवाद करते थे. पति नशे में धुत हो कर छोटीछोटी बातों पर पीटता. जब बात बरदाश्त से बाहर हो गई तो दोनों बच्चों को रावतपुरा गांव छोड़ कर मायके धानोदा आ गई थी.
लाखन की बहन ने भी नीतू के भाइयों पर हत्या का आरोप लगाया. उस ने भी बताया कि भाभी के घरवालों को यह शादी अपनी इज्जत पर दाग जैसी लग रही थी. उन्होंने इसी का बदला लिया.
माचलपुर एसएचओ जितेंद्र अजनारे के सामने मृतक लाखन की बहन सपना की तरफ से नामजद रिपोर्ट दर्ज कर ली. हत्या के तीनों आरोपियों से पूछताछ करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में अंकुर परिवर्तित नाम है.
नीतू ने एक नजर से सहेली को देखा, वह जैसे ही जाने लगी उस ने उस से नजर चुरा कर लाखन का गिफ्ट पैकेट ले लिया. लाखन तुरंत साइकिल का पैडल मार कर आगे बढ़ गया.
नीतू ने सहेली को पुकारा, “अरे मुझे अकेला छोड़ कर जाएगी क्या? ठहर, मैं आ रही हूं.”
इसी के साथ नीतू दौड़ती हुई सहेली के पास आ गई. वह बोली, “देख, लाखन के बारे में घर में किसी को नहीं बतइयो, वरना मेरी पढ़ाई छुड़वा देंगे!”
“मैं क्यों बताने लगी भला उस के बारे में! तू उस से संभल कर रहियो. वह आवारा है.”
दोनों चुपचाप घर की ओर चल दिए. रास्ते में उन के बीच कोई और बात नहीं हुई. नीतू ने घर आ कर रात में लाखन का दिया हुआ गिफ्ट खोला. उस में घड़ी थी. वह खुश हो गई, लेकिन सोच में पड़ गई कि किसी को क्या बोल कर उसे पहनेगी? उस बारे में पिता और दूसरे लोग पूछेंगे, तब वह उस बारे उन से क्या बोलेगी? इसी उधेड़बुन में उस की आंख लग गई.
अगले रोज सुबह उस की नींद देर से खुली. फटाफट स्कूल जाने की तैयारी करने लगी. इसी अफरातफरी में लाखन के गिफ्ट का पैकेट बिछावन के नीचे गिर गया था. वह स्कूल चली गई. शाम को सहेली संग घर लौटी, तब वह घड़ी उस के पिता भगवान सिंह हाथ में थी. उन्होंने उस घड़ी के बारे में उस से पूछ लिया. वे नाराज दिखे. उन की नाराजगी को सहेली ने ही दूर किया. वह बोली कि उस ने राखी पर मिले पैसों से यह खरीदी है.
इस पर भगवान सिंह सिर्फ इतना ही बोले कि वह मन लगा कर पढ़ाई करे. इधरउधर की बातों में न पड़े, वरना परीक्षा में फेल होने पर नाम कटवा देंगे. पिता की बात सुन कर नीतू का मन थोड़ा हलका हुआ. ‘जी पापा!’ बोल कर वह घर के भीतर चली गई.
एक तरफ लाखन से उस की नजदीकियां बढ़ रही थीं. जबकि इस की खबर गांव में फैल गई. दोनों की शिकायतें भगवान सिंह के पास आने लगीं. भगवान सिंह पहले ही उस के रंगढंग देख कर बहुत कुछ समझ चुके थे. उन्होंने समझदारी से काम लिया और तुरंत उस के योग्य लडक़ा देखा और 2017 में शादी कर दी.
बिना मरजी के हो गई शादी
नीतू की शादी राजगढ़ जिले में ही राजेंद्र नामक युवक से हुई थी. शादी हो जाने के बाद लाखन उस की जिंदगी से जा चुका था. शादी के कुछ साल बाद नीतू 2 बच्चों की मां बन गई. वह एक बेटा और बेटी पा कर बेहद खुश थी, लेकिन पति के साथ उस की अच्छी नहीं बनती थी. इस कारण वह अपने बच्चों के साथ अकसर मायके आ जाती थी और फिर कुछ दिन रह कर अपने ससुराल चली जाती थी.
यह सिलसिला चल रहा था. मायके वालों को भी बिना वजह यहां आना अच्छा नहीं लगता था. इस पर पड़ोसी भी तरहतरह की बातें करते थे. इस दौरान नीतू की पूर्व प्रेमी लाखन से भी मुलाकातें हो जाती थीं. लाखन अब एक सुलझा हुआ जिम्मेदार व्यक्ति बन गया था.
एक बार तो हद ही हो गई. नीतू ने बच्चों को ले कर मायके आते ही सब को अपना फैसला सुना दिया कि वह अब अपनी ससुराल कभी नहीं जाएगी. मायके में बच्चों का अपने दम पर पालनपोषण करेगी. पिता की खेतीबाड़ी में हाथ बंटाएगी.
उस ने बताया कि पति उसे प्रताडि़त करता है. उसे मारतापीटता रहता है. नीतू को मायके में पनाह मिल गई. लेकिन वे नीतू के पति के साथ बिगड़े संबंध सुधारने की कोशिश करने लगे. इसी बीच नीतू का लाखन से मिलनाजुलना ज्यादा बढ़ गया. उसे गांव में एकमात्र लाखन ही अपना हमदर्द लगा. उस से अपने दिल का हाल सुनातेसुनाते आगे की जिंदगी उस के जिम्मे सौंपने का फैसला ले लिया.
लाखन ने भी इस पर बहुत जल्द निर्णय ले लिया. दोनों की नजदीकियां बढऩे और साथ रहने की खबर एकदूसरे के कानों से होते हुए पूरे गांव में फैल गई. जिस ने भी सुना, वही दांतों तले अंगुली दबा कर रह गया और थूथू करने लगा. सभी ने इसे समाज परिवार के लिए गलत बताया.
गांव वाले इस के लिए नीतू के परिवार वालों को ही दोषी ठहरा रहे थे. उसी दौरान नीतू के पिता भगवान सिंह की मृत्यु हो चुकी थी, लेकिन घर में मर्द के रूप में भाई का निर्णय ही चलता था. चाचा का भरापूरा परिवार भी था. सभी को नीतू की हरकतें बुरी लगीं.
नीतू और लाखन ने भी अपनेअपने घर वालों से दूर खेत में ही अपनी दुनिया बसा ली. वे गांव से 3 किलोमीटर दूर खेत में छोटा सा टपरीनुमा घर बना कर रहने लगे. जबकि लाखन के पिता बहादुर सिंह और मां श्याम कुंवर परिवार के सदस्यों के साथ गांव में ही रह रहे थे. गांववालों ने लखन को नीतू से दूरी बना कर रहने के बारे में भी समझाया था. नीतू के भाई अंकुर ने तो उन्हें धमकी तक दे डाली थी कि लाखन ने नीतू से दूरी नहीं बनाई तो बापबेटे को मौत के घाट उतार देंगे.
नीतू की वजह से हुई घर वालों की बदनामी
जुलाई, 2022 में नीतू अचानक घर से लापता हो गई थी. परिवार के लोगों ने उस की खोजखबर लेने के लिए लाखन से भी संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन वह भी अपने घर से गायब मिला. इस बाबत माचलपुर थाने में शिकायत दर्ज करवाई गई.
कुछ समय बाद माचलपुर पुलिस दोनों को राजस्थान के झालावाड़ से खोज कर गांव ले आई. उस के बाद ही नीतू और लाखन के परिजनों समेत ग्रामीणों को मालूम हुआ कि उन्होंने 8 जुलाई, 2022 को शादी कर ली थी और नीतू लाखन के साथ रहने चली गई थी.
इसे ग्रामीणों और परिजनों ने बिरादरी में चली आ रही परंपरा के खिलाफ समझा. बिरादरी की यह बात अंकुर के दिल में चुभ गई कि उस की बहन ने उसे समाज में कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा था. रातदिन उस की यह हरकत दिमाग में घूमने लगी. वह इस बदनामी को भुला नहीं पा रहा था. चाचा और चचेरे भाई को भी यह सब चैन से जीने नहीं दे रहा था.
राजगढ़ जिले के माचलपुर थाने के अंतर्गत एक गांव है धानोदा. राजपूत बाहुल्य वाले इस गांव में 5 अप्रैल, 2023 को एक ऐसी घटना घटी कि पूरे गांव में सनसनी फैल गई. यहीं के रहने वाले 28 वर्षीय युवक लाखन राजपूत की किसी ने रात में हत्या कर दी थी. वह गांव से करीब 3 किलोमीटर दूर खेत में ही एक टपरी बना कर रहता था. उस के साथ में पत्नी नीतू भी रहती थी, जिस का मायका इसी गांव में था.
गांव में शादी का माहौल था. उस दिन इस गांव में 4-4 शादियां थीं. अचानक खुशी के माहौल में रात को हत्या की सूचना पुलिस के लिए भी परेशान करने वाली थी. हत्या की सूचना पा कर थाने के टीआई जितेंद्र आजनारे तुरंत अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने इस की सूचना एसडीपीओ आनंद राय, एडीशनल एसपी मनकामना प्रसाद और राजगढ़ एसपी वीरेंद्र कुमार सिंह को भी दे दी.
घटनास्थल पर की गई छानबीन में पुलिस ने पाया कि युवक की हत्या बड़ी बेरहमी से की गई थी. उस पर किए गए वार से स्पष्ट था कि हमलावर ने उस के ऊपर काफी तेजी से हमले किए थे. शरीर पर गोलियों के 2 निशान थे. इस के अलावा उस पर सब्बल से ऐसा वार किया गया था कि वह गले के आरपार हो गया था.
पूछताछ करने पर घटनास्थल पर मौजूद नीतू नाम की युवती ने बताया कि मृतक उसका पति है. उस ने हत्या का आरोप सीधेसीधे अपने चाचा, चचेरे भाई और सगे भाई पर लगा दिया. उस ने घटना का जिक्र करते हुए पुलिस को बताया कि उन्होंने बड़ी बेदर्दी से उस के पति की हत्या कर दी. उन का वश चलता तो वे उसे भी जान से मार डालते. उस वक्त उन की आंखों में खून सवार था. वह डर कर भाग गई थी, इस से वह बच गई.
नीतू ने ही सभी हमलावरों के नाम पुलिस को बता दिए थे. इस के अलावा मृतक के मातापिता ने भी बताया था कि उन्हें वे काफी समय से धमकी दे रहे थे. उन के बयानों से मालूम हुआ कि यह हत्याकांड एक औनर किलिंग है. हत्यारों ने जानबूझ कर लाखन राजपूत की हत्या की है, जिस ने करीब 8 महीने पहले ही गांव की नीतू से प्रेम विवाह किया था.
मामला निकला औनर किलिंग का
यानी कि लव मैरिज करने के कारण लाखन को जान गंवानी पड़ी. उस के 17 साल के नाबालिग साले अंकुर ने ही चाचा प्रेम सिंह और चचेरे भाई लोकेश उर्फ सुरेंद्र के साथ मिल कर हत्या कर दी थी. बहन के लव मैरिज करने से अंकुर के सिर पर इस कदर खून सवार था कि उस ने जीजा को बेरहमी से मौत की नींद सुला दिया. तीनों आरोपियों को पुलिस ने 2 दिनों बाद ही गिरफ्त में ले लिया था.
पुलिस के हत्थे पहले चाचा प्रेमसिंह और चचेरे भाई लोकेश उर्फ सुरेंद्र चढ़े थे, फिर अगले रोज नाबालिग भाई अंकुर भी खेत पर बनी टपरी से गिरफ्तार कर लिया गया. आरोपियों के पास से वारदात के समय पहने गए कपड़े, हत्या में प्रयोग की गई पिस्टल, एक जिंदा कारतूस और गले में जो सब्बल फांसा था, बरामद कर लिया गया.
प्रारंभिक जांचपड़ताल में पता चला कि वारदात के लिए इस्तेमाल किया गया पिस्टल अवैध था. उसे उन्होंने आगर-मालवा जिले के किसी व्यक्ति से खरीदा था. हत्याकांड का मास्टरमाइंड अंकुर ही था. तीनों से इस मामले की गहन पूछताछ की गई. पता चला कि उन्होंने नीतू के छोटे भाई अंकुर के कहने पर उस का साथ दिया था. वैसे वे भी शादीशुदा नीतू के प्रेम विवाह करने से खुश नहीं थे. इस के चलते गांव और आसपास के इलाके में उन की बहुत बेइज्जती हो रही थी.
अंकुर ने पुलिस को हत्या के पीछे की जो चौंकाने वाली वजह बताई, वह इस प्रकार है—
करीब डेढ़ हजार की आबादी वाले धानोदा गांव का रहने वाला भगवान सिंह एक साधारण किसान था. उस के 3 बच्चों में बड़ी बेटी नीतू, उस के बाद एक और बेटी, उस के बाद छोटा बेटा अंकुर है. नीतू जब हाईस्कूल में थी, तब उस की जानपहचान गांव के ही लाखन राजपूत से हो गई थी. वह नीतू से उम्र में बड़ा था. गांव में मटरगश्ती किया करता था. हर किसी से मजाक कर लेता था. स्कूल जाते वक्त वह लड़कियों को छेड़ देता था. उन में से एक नीतू भी थी.
एक ही गांव के होने की वजह से दूसरी लड़कियों की तरह ही उस की मजाकिया बातों को दिल पर नहीं लेती थी. उस के छेडऩे पर बुरा नहीं मानती थी. इस दौरान लाखन अकसर उस की तारीफ करता था. उसे बाकी लड़कियों से अधिक खूबसूरत बताता था. प्रेम की बातें करता था. एक दिन उस ने मजाक में बोल दिया कि उसे उस से मोहब्बत हो गई है, वह उस से शादी करना चाहता है.
यह सुन कर नीतू उस वक्त थोड़ी नाराज हो गई थी, लेकिन लाखन द्वारा कही गई वे बातें उस के दिमाग में घूमने लगी थीं. उस के बाद स्कूल में 3 दिनों की छुट्टियां हो गई थीं. चौथे दिन जब वह स्कूल गई, तब उस की निगाहें लाखन को ढूंढने लगीं, लेकिन वह न तो स्कूल जाते समय नजर आया और न ही स्कूल से लौटते वक्त ही मिला. अगले दिन भी ऐसा ही हुआ. लाखन को ले कर उस के दिल की धडक़नें तेज हो गई थीं.
स्कूल से लौटते समय उस ने अपनी सहेली से लाखन के बारे पूछ लिया. सहेली भी कुछ कम मजाकिया नहीं थी. वह भी तपाक से बोल पड़ी, “बड़ा उस बदमाश की खोजखबर ले रही हो, उस पर दिल आ गया है क्या?”
यह सुनते ही नीतू शरमा गई और उसे चिकोटी काटती हुई बोली, “अरे तू भी उसी तरह मजाक करती है.”
“देख उधर, नाम लेते ही आ गया… हमारी तरफ ही आ रहा है. जा, जा कर पूछ ले उसी से कि कहां था?”
तब तक लाखन उन के करीब आ चुका था. वह साइकिल पर था. एक पैर जमीन पर टिका कर उन के पास साइकिल रोक दी और झट से बोल पड़ा, “क्या बात है तुम लोग मेरे बारे में ही बातें कर रही थी न?”
“मैं क्यों करूंगी? यही कर रही थी.” नीतू की तरफ हाथ से इशारा कर उस की सहेली बोलती हुई और आगे बढऩे लगी. जबकि नीतू वहीं ठिठकी रही. लाखन ने तुरंत अपनी जेब से एक पैकेट निकला और नीतू की ओर बढ़ा दिया.
“क्या है?” नीतू बोली.
“तुम्हारे लिए राजगढ़ से लाया हूं. गिफ्ट है. बहुत दिनों से तुम्हें कुछ देने की सोच रहा था. इसे घर जा कर खोलना. कैसा लगा, कल जरूर बताना.”
“ले ले, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगी,” थोड़ी दूर जाती हुई नीतू की सहेली बोली.