वेब सीरीज रिव्यू : रंगबाज सीजन 1

वेब सीरीज रिव्यू : रंगबाज सीजन 1 – भाग 3

शिव प्रकाश से क्यों चिढ़ गए थे मंत्रीजी

रंगबाज के छठे एपिसोड में गालियों की भरमार है और साथ ही बौलीवुड का भद्दा चेहरा इस वेब सीरीज से भी अछूता नहीं रहा है. इस सीरीज के सातवें एपिसोड का नाम ‘अपहरण’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में पटना की जेल को दिखाया गया है, जहां पर मंत्रीजी रमाशंकर तिवारी का खास आदमी वहां पर बंद चंद्रभान सिंह से मिलने जाता है.

तिवारीजी का आदमी कहता है कि शिव प्रकाश के ऊपर आप का हाथ है इसलिए तिवारीजी कुछ नहीं कर रहे हैं. चंद्रभान सिंह उस से कहता है कि तुम लोग अपना विवाद आपस में ही निपटा लो. इस के बाद सीरियल की कास्टिंग शुरू हो जाती है.

अगले सीन में रमाशंकर तिवारी (मंत्रीजी) पुलिस अधिकारी से शिव प्रकाश के ऊपर लगे केसों की प्रगति के बारे में पूछते हैं. अधिकारी कहता कि काम शुरू हो गया है.

शिव प्रकाश की प्रेमिका बबीता शर्मा उस से फोन पर बात करती है और कहती है कि तुम्हारे कहने पर हम ने लखनऊ छोड़ दिया और यहां पर आ गए. यहां भी तुम से नहीं मिल पा रहे हैं. तब शिव प्रकाश उसे समझाता है कि तुम चिंता मत करो, हम जल्द ही मिलेंगे. फिर शिवप्रकाश कहता है कि क्या तुम चलोगी हमारे साथ नेपाल या बैंकाक हमेशा के लिए?

सर्विलांस टीम उन दोनों की बातचीत सुन लेती है. अगले सीन में रमाशंकर के खास आदमी रंजन और शिवप्रकाश शुक्ला की मुलाकात दिखाई गई है. रंजन कहता है, बहुत बड़ा फौज बना लिए हो तुम?

शिव प्रकाश कहता है, ताज्जुब कर रहे हो तुम. फिर दोनों में बहस होने लगती है, रमाशंकर का आदमी कहता है मुझे पता है किस के बलबूते पर बोल रहे हो तुम. हमें पता है.

शिव प्रकाश कहता है, रंजन भैया यह तो वक्तवक्त की बात है. रंजन कहता है कि कुबेर को छोड़ दो और गोरखपुर से दूर रहो. शिव प्रकाश उस से दोटूक कहता है एक करोड़ दे दो, छोड़ देंगे. दोनों में फिर बहस होने लगती है.

शिव प्रकाश कहता है कि रंजन भैया अपने बाप तिवारी से कह दो कि कुबेर की जिम्मेदारी उन की है. और एक बात और सुनो, गोरखपुर तुम्हारे बाप का नहीं है, जब जी होगा, हम आएंगे. यह कह कर दोनों पार्टियां चली जाती हैं.

इस पार्ट में रंजन के आदमी शिव प्रकाश शुक्ला के आदमियों पर कुबेर चंद्र के छोडऩे के बाद फायरिंग शुरू कर देते हैं और फिर शिव प्रकाश के आदमी रंजन के सभी आदमियों को ढेर कर रंजन को पकड़ लेते हैं. रंजन उन से कहता है कि उस की आखिरी ख्वाहिश यह है कि वह एक ब्राह्मण है और ब्राह्मण के हाथ से ही मरना चाहता है. उस के बाद शिव प्रकाश के आदमी रंजन को मार देते हैं.

तभी अगला दृश्य शिव प्रकाश शुक्ला की बहन के मंगनी का दिखाया जाता है, जहां पर एकाएक पुलिस आ धमकती है, पुलिस अधिकारी प्रमोद शुक्ला से कहता है, 5 केस दर्ज हैं आप के बेटे के ऊपर, पहले हत्या अब फिरौती. पुलिस अधिकारी घर में पुलिस वालों को चारों ओर तलाशी लेने का हुक्म देता है और प्रमोद शुक्ला को गाली देते हुए कहता है कि तुम ने ऐसी… औलाद पैदा की है तो दंड भी भुगतोगे ही.

प्रमोद शुक्ला गिड़गिड़ाते दिखते हैं और बहन चिंतित हो जाती है. उस के बाद वहां सन्नाटा छा जाता है. तभी शिव प्रकाश शुक्ला अपनी बहन श्वेता को फोन कर के उस की परेशानी पूछता है.

बहन ने रोते हुए बता दिया कि उस की मंगनी रुकवा दी, पुलिस वाले घर आए थे, वे आप को खोज रहे थे. उन्होंने पापा को भी गालियां दीं. यह सुन कर शिव प्रकाश शुक्ला उस आदमी को गोली मार देता है, जिस से वह अभी तक बातें कर रहा था और अपने गैंग में शामिल होने का औफर दे रहा था.

छठे एपिसोड में भी जगहजगह गालियों के डायलौग भरपूर दिखाए गए हैं. ठाकुरब्राह्मण की आपस में लड़ाई और ब्राह्मणब्राहमण के बीच में प्रतिद्वंदिता और लड़ाई को इस में अधिक से अधिक प्रदर्शित किया गया है. हकीकत में श्रीप्रकाश शुक्ला की असली कहानी इस से एकदम भिन्न है जो लेखक, निर्देशक ने दिखाने के बजाय घृणा की भावना को अधिक से अधिक प्रदर्शित करने का प्रयास किया है, जो वास्तव में एकदम निंदनीय है.

वेब सीरीज के आठवें एपिसोड का नाम ‘राष्ट्रीय स्तर का आतंकवादी’ रखा गया है, जिस की शुरुआत एक टीवी शो इंडियाज मोस्ट वांटेड से शुरू होती है.

एसटीएफ की कैसे हुई प्लानिंग

एपिसोड के अगले सीन में एसटीएफ के कार्यालय में पुलिस अधिकारी सिद्धार्थ पांडे बबीता शर्मा के बारे में कुछ सूचना देता है. सिद्धार्थ पांडे पुलिस कमिश्नर से शिव प्रकाश शुक्ला की स्टोरी इंडियाज मोस्ट वांटेड के कार्यक्रम में प्रसारित होने की बात करता है कि आज रात को चैनल में उस की कहानी प्रदर्शित की जा रही है.

अगले दृश्य में पुलिस कमिश्नर और एसटीएफ अधिकारी सिद्धार्थ पांडे शिव प्रकाश शुक्ला के बारे में बातचीत कर रहे हैं. मुख्यमंत्री वहां पर आते हैं और पुलिस कमिश्नर का परिचय कराते हैं.

रमाशंकर तिवारी और मुख्यमंत्री वहां एक नया एसटीएफ बनाने की घोषणा करते हैं, जिसे डीजीपी शर्मा के निर्देशन पर सिद्धार्थ पांडे लीड करेंगे और शिव प्रकाश शुक्ला के गैंग का सफाया करेंगे. सिद्धार्थ पांडे स्वचालित हथियार और अच्छी सर्विलांस सुविधा की मांग करते हैं, पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि शिव प्रकाश किसी भी हालत में बचना नहीं चाहिए.

उस के अगले दृश्य में शिव प्रकाश अपने साथी से कहता है कि अभी यहां से निकलना होगा, पहले नेपाल फिर गोरखपुर, मेरी बहन श्वेता की शादी है. उस का साथी कहता है कि यूपी सरकार ने एक स्पैशल टास्क फोर्स आप को पकडऩे के लिए बनाई है.

शिव प्रकाश शुक्ला कहता है कि वह किसी से नहीं डरता. साथी समझाता है कि एसटीएफ सीधे गोली मारती है, इसलिए कानपुर के बजाय पटना चलते हैं वहां मेरी चंद्रभान सिंह से बात हो गई है. कानपुर गए तो आप के साथसाथ आप के परिवार वाले भी मुसीबत में पड़ जाएंगे. साथी कहता है कि रोड से जाने में चैकिंग का खतरा है, इसलिए ट्रेन से चलेंगे.

दूसरे सीन में पुलिस अधिकारी सिद्धार्थ पांडे रोड पर सघन चैकिंग का हुक्म अपनी टीम को देते हैं. पुलिस चैकिंग के अभियान में जी तोड़ से दिनरात जुटी हुई है. अगले सीन में शिव प्रकाश शुक्ला अपने साथियों के साथ ट्रेन में बैठा दिखाई दे रहा है.

सभी साथी कह रहे हैं कि शिव प्रकाश शुक्ला को अब मंत्री तिवारी के विरुद्ध विधायक का चुनाव लडऩा चाहिए. तभी टीटी आ कर उन से टिकट मांगता है तो शिव प्रकाश शुक्ला सीधे टीटी पर रिवौल्वर तान देता है. उस के साथी टीटी की बुरी तरह से पिटाई कर देते हैं.

तभी शिव प्रकाश शुक्ला को चंद्रभान फोन पर कहता है, पटना मत आओ, यहां पर गड़बड़ हो सकता है, तुम ऐसा करो मोकामा निकल जाओ. वह अपना क्षेत्र है, चिंता की कोई बात नहीं है. हमारा लड़का लोग वहां पर खड़ा तुम्हारा इंतजार कर रहा है.

अगले सीन में शिव प्रकाश शुक्ला एक शांत सी जगह से अपनी प्रेमिका बबीता से बात करता हुआ दिखाई देता है. शुक्ला पूछता है नया घर कैसा लगा? बबीता कहती है, घर अच्छा है बस सामान आना है और तुम्हारा इंतजार है. तुम आओ जल्दी, शिव प्रकाश कहता है, भैया कहते हैं रुको अभी. कुछ और इंतजार करना पड़ेगा.

तभी एक बच्चा मिलता है. शिव प्रकाश उस से बातें करने लगता है उस के बाद शिव प्रकाश को अपना बचपन याद आ जाता है. उस के पिता, उस की बहन उसे सारा बचपन दिखाई देने लगता है. आगे शिव प्रकाश अपने साथियों के साथ बिहार के एक सुनसान क्षेत्र में शराब पीते हुए बातचीत कर रहा है.

इस बीच पुलिस की एसटीएफ टीम को बबीता का सही लोकेशन पता चल जाती है. टीम का सदस्य कंप्यूटर में लोकेशन को ट्रैक करने वाले साथी से टीम के साथ चलने के लिए कहता है तो वह कोई बहाना बना कर टीम के साथ चलने से मना कर देता है. वह कंप्यूटर एक्सपर्ट अब टीवी में शिव प्रकाश शुक्ला की कहानी देखने लगता है और फिर वह बबीता के घर पर जा कर पूछताछ करता दिखाई देता है. उधर टीवी में ऐंकर शिव प्रकाश शुक्ला की हत्याओं की एकएक कर के वारदातें दिखाता रहता है.

तभी वह बबीता शर्मा से टकरा जाता है यानी कि वह बबीता शर्मा को पहचान जाता है और उस का घर भी देख लेता है और इसी के साथ आठवें एपिसोड का समापन भी हो जाता है.

आठवें एपिसोड में भी कलाकारों का अभिनय औसत दरजे का रहा है. एपिसोड में एक टीवी होस्ट एक स्पैशल टास्क से अधिकारी से इस तरह व्यवहार कर रहा है जैसे पुलिस अधिकारी एक फालतू चीज हो. ऐसा भला वास्तविक जीवन में कैसे संभव हो सकता है, जिस से साफसाफ दिखता है कि इस सीन की कल्पना लेखक की शायद अपनी खोपड़ी की उपज है.

एक इतना बड़ा गैंगस्टर ट्रेन में बिना टिकट, बिना रिजर्वेशन अपने साथियों के साथ यात्रा करता हुआ दिखाया गया है. उस के बाद उस के साथी टीटी के साथ बुरी तरह से मारपीट करते हैं, कोई यात्री प्रतिरोध करता हुआ या उस सीन को देखता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है. न ही टीटी द्वारा किसी को कंप्लेंट कराते दिखाया गया है, जबकि ट्रेन में हमेशा सुरक्षा गार्ड रहते हैं. कहानी को जगहजगह काल्पनिक बना दिया गया है, हकीकत से एकदम परे.

शिव प्रकाश को किस ने दी थी मुख्यमंत्री की सुपारी

एपिसोड के अंतिम भाग का नाम क्लाइमेक्स अर्थात ‘चरमोत्कर्ष’ के नाम पर रखा गया है, एपिसोड की शुरुआत में प्रमोद शुक्ला अपने बेटे शिव प्रकाश को आवाज देते दिखाई दे रहे हैं. बचपन में वह शिव प्रकाश को स्कूल जाने के बहाने सिनेमा जाने से पीटते हुए दिखाई दे रहे हैं.

फिर अगले सीन में प्रमोद शुक्ला अखबार पढ़ते हुए दिख रहे हैं कि शिव प्रकाश ने ली मुख्यमंत्री की सुपारी 8 करोड़ रुपए. यह देख कर वह चिंतित हो जाते हैं. मंत्री रमाशंकर तिवारी भी समाचार पत्र देख रहे हैं. इस के बाद एपिसोड की कास्टिंग शुरू हो जाती है.

अगले सीन में दिल्ली में शिव प्रकाश का साथी लैंडलाइन फोन से अपने घर पर बात करता दिखाई दे रहा है. फोन करने के बाद वह वापस लौट कर इधरउधर देखते हुए उस कमरे में आ जाता है, जहां पर गैंगस्टर शिव प्रकाश छिपा हुआ है.

उधर दूसरे सीन में टीवी शो का एंकर अपना मोस्टवांटेड एपिसोड समाप्त करता है. तभी दूसरे दिन शिव प्रकाश शुक्ला टीवी शो के एंकर को गाली देते हुए कहता है यदि तुम ने दोबारा मेरा शो दिखाया तो अच्छा नहीं होगा. एंकर गिड़गिड़ाते हुए कहता है, ”सर, सर वो लोग हमें जो लिख कर देते हैं, हम वही करते हैं. हम तो एक एक्टर भर हैं.’’

शिव प्रकाश शुक्ला अपनी प्रेमिका बबीता से बात करता है. सर्विलांस टीम एकदम अलर्ट हो कर उन की बातों को गौर से सुनने लगती है. बबीता कहती है कि अखबार में कुछ आ रहा है, टीवी में कुछ आ रहा है. हम तुम्हारे लिए परेशान हो गए.

शिव प्रकाश कहता है कि तुम घबराओ मत.

उन दोनों की बातचीत को सुन कर एसटीएफ अधिकारी सिद्धार्थ पांडे और उन की टीम अलगअलग तरीके से प्लान बनाने लग जाती है.

दूसरे दृश्य में शिव प्रकाश शुक्ला अपनी टीम के सहयोगी तनुज को कहीं चलने के लिए कहता है. फिर अगले दृश्य में शिव प्रकाश की बहन तैयार होती दिखती है, तभी उस का मोबाइल बजने लगता है. शिव प्रकाश शुक्ला बारबार बहन को फोन कर रहा है, मगर कोई फोन नहीं उठाता है.

फिर शिव प्रकाश साथियों के साथ गाड़ी में जाता दिखाई दे रहा है. उस के साथी पूछते हैं कि अब कहां चलें गोरखपुर या गाजियाबाद?

उधर एसटीएफ ने योजना के अनुसार सारी दुकानें बंद करा दीं.

अगले सीन में शिव प्रकाश की बहन की शादी की तैयारियां हो रही हैं, लड्डू बनाए जा रहे हैं, नाचगाना हो रहा है. तभी गाजियाबाद में 2 लोग बाइक पर दिखाई देते हैं. एसटीएफ टीम का सदस्य महादेव पिस्टल निकाल लेता है, तभी वहां पर एक बड़ी गाड़ी आती दिखाई ती है, जिस में शिव प्रकाश शुक्ला अपनी पिस्टल ले कर उतरता है और साथियों से कहता है, ”आते हैं अभी थोड़ी देर में, फिर गोरखपुर निकलेंगे. ‘

महादेव एसटीएफ अधिकारी सिद्धार्थ पांडे को वायरलेस पर सिगनल कर देता है, तभी गाड़ी में बैठे शिव प्रकाश के साथियों को कुछ शक सा होता है. अगले सीन में शिव प्रकाश अपने घर पर फोन करता है.

अगले दृश्य में शिव प्रकाश का एक साथी अपने साथियों से कहता है कि मुझे आज सुबह से ही कुछ ऐसा लग रहा है, जैसे कोई हमें देख रहा है. साथी कहते हैं, वहम है तुम्हारा.

पुलिस को किस ने दी थी शिव प्रकाश की सूचना

अगले दृश्य में शिव प्रकाश का एक साथी गाड़ी से बाहर आता है उसे शक हो जाता है तो वह ‘गाड़ी निकाल’ कह कर चिल्लाता है, तभी एसटीएफ का सदस्य महादेव उसे गोली मार कर ढेर कर देता है. गोली की आवाज बबीता को भी सुनाई देती है, तभी वहां पर पुलिस की टीम शिव प्रकाश के सभी साथियों को ढेर कर देती है.

शिव प्रकाश के ऊपर भी फायरिंग शुरू हो जाती है. शिव प्रकाश शुक्ला अपनी पोजीशन बारबार बदलता है. तभी बबीता ‘शिव.. शिव’ चिल्लाते हुए अपने फ्लैट से बाहर निकल आती है. सिद्धार्थ पांडे और शिव प्रकाश शुक्ला एकदूसरे पर गोलियां बरसाना शुरू कर देते हैं. पुलिस की टीम शिव प्रकाश को चारों ओर से घेर लेती है.

तभी शिव प्रकाश अपनी पिस्तौल में गोली भर कर सीना तान कर कर पूरी पुलिस टीम का मुकाबला करने सामने बेझिझक, बिना डरे निकल कर आ जाता है और गोलियां बरसानी शुरू कर देता है. वह कुछ पुलिसकर्मियों को मार भी डालता है, तभी शिव प्रकाश के पेट में गोली लगती है और वह जमीन पर गिर जाता है.

उस का मोबाइल छिटक कर कुछ दूरी पर गिर जाता है. तभी बबीता शिव प्रकाश को फोन करती है. शिव प्रकाश अपना पेट पकड़े अपनी सारी मैगजीन खाली कर देता है. उसी समय उस की नजर अपने मोबाइल पर पड़ती है, जो बज रहा था. बबीता दिखाई पड़ती है जो फोन करते दिखाई दे रही है. तभी सिद्धार्थ पांडे कहते हैं, शिव प्रकाश शुक्ला. वह उस की ओर पिस्टल तान देते हैं. वहां पर अब बबीता, कंप्यूटर औपरेटर, शिव प्रकाश शुक्ला और सिद्धार्थ पांडे सभी एकदूसरे को देखते हुए दिखाई देते हैं.

फ्लैट से तभी बबीता जोर से चिल्लाती है, ‘शिव…शिव…शिव…’ और फिर एसटीएफ अधिकारी सिद्धार्थ पांडे शिव प्रकाश शुक्ला को गोलियों से छलनी कर देता है. बबीता शर्मा यह दृश्य देख कर जोरजोर से रोने लगती है. उस का प्रेमी जमीन पर पड़ा अपनी आखिरी सांसें ले रहा होता है तो दूसरी तरफ वह जोरजोर से रो रही है.

उधर अगले सीन में शिव प्रकाश शुक्ला की बहन की शादी में उस के मातापिता नाच रहे हैं, बहन श्वेता हंस रही है. उस की बहन श्वेता, मां और पिता प्रमोद शुक्ला को शिव प्रकाश अपने साथ नाचता हुआ दिखाई दे रहा है. रमाशंकर तिवारी खुश हो कर पार्टी करता दिखाई दे रहा है और चंद्रभान सिंह उदास चेहरा लिए खड़ा दिखाई दे रहा है.

शिव प्रकाश शुक्ला की खून भरी गोलियों से छलनी लाश जमीन पर पड़ी है और इस तरह यह नवां एपिसोड भी समाप्त हो जाता है.

इस में जबरदस्ती कंप्यूटर औपरेटर पात्र को ठूंस दिया गया लगता है. वह न तो पुलिस वाला है, न उस ने प्राइवेट जासूसी की कहां पर ट्रेनिंग ली है, न उस की कदकाठी ही ऐसी है कि वह निजी तौर पर इतना बड़ा जोखिम ले कर इतने बड़े गैंगस्टर शिव प्रकाश की प्रेमिका की जासूसी केवल अपने स्तर पर वह भी बिना आदेश लिए कर सके.

वह कलाकार नौसिखिया सा दिखाई दे रहा है. लगता है जासूसी उपन्यास पढ़पढ़ कर उस ने इतना बड़ा जोखिम ले कर यह कारनामा कर दिखाया है. इस नवें एपिसोड की यह सब से बड़ी कमजोरी साफसाफ नजर भी आ रही है.

यदि पूरे वेब सीरीज रंगबाज सीजन 1 का आकलन करें तो इस में गिनती के 2-4 सीन हैं, जिन में एक्शन और खूनखराबा देखने को मिलता है, वरना इस पूरी वेब सीरीज में शिव प्रकाश शुक्ला जो भागतेबचते दिखाई पड़ता है या फिर अपनी गर्लफ्रेंड से बातें करते हुए दिखाई देता है.

वेब सीरीज 9 एपिसोड की है और हर एपिसोड 30 से 35 मिनट का है. लेकिन फिर भी यह वेब सीरीज हमें बोर करती है.

वेब सीरीज रिव्यू : रंगबाज सीजन 1 – भाग 2

शिव प्रकाश ने क्यों की विधायक की हत्या

अगला दृश्य इमरजेंसी का दिखाया जाता है, जब देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगा दी थी. जेपी आंदोलन को उस में दिखाया गया है.

दूसरी ओर, गोरखपुर के छात्र जाति के हिसाब से अपनाअपना वर्चस्व स्थापित कर रहे थे, ब्राह्मण और ठाकुरों का राजनीतिक वर्चस्व स्थापित हो रहा था. पूरे गोरखपुर में उस समय चारों ओर हिंसा का तांडव फैलता जा रहा था. रामशंकर तिवारी और साही के बीच हिंसा की राजनीति बढ़ती जा रही थी.

रामशंकर तिवारी एक सभा को संबोधित करते हुए कहते हैं ब्राह्मïण के बस 3 काम हैं भिक्षा, शिक्षा और दीक्षा. जरूरत पडऩे पर हम सभी वो कार्य करने में सक्षम हैं जो एक समय में क्षत्रियों ने किया था. ब्राह्मण सर्वोच्च था सर्वोच्च रहेगा.

दूसरी तरफ राजनीतिक प्रतिद्वंदी नरेंद्र साही की सभा दिखाई गई है, जहां पर वह अपना भाषण देना शुरू कर देते हैं. तभी उस भीड़ के बीच में से शिव प्रकाश शुक्ला आ कर सीधे मंच तक पहुंच जाता है और खुलेआम हजारों की संख्या में लोगों से घिरे विधायक नरेंद्र साही की गोली मार कर हत्या कर देता है. वहां पर भगदड़ मच जाती है.

दूसरे दृश्य में रामशंकर तिवारी को उस के आदमी द्वारा खबर मिलती है कि काम हो गया. उस के बाद रामशंकर तिवारी ब्राह्मण एकता जिंदाबाद के नारे लगाता है. तभी वहां पर शिव प्रकाश शुक्ला के पिता प्रमोद शुक्ला दिखाई देते हैं. रामशंकर तिवारी उन से कहता है, तुम्हारा बिटवा पढ़ाईलिखाई से काफी आगे बढ़ गया है.

नरेंद्र साही की दिनदहाड़े हत्या की खबर चारों ओर फैल जाती है. उस के बाद शिव प्रकाश एक और हत्या कर देता है. फिर एक के बाद एक कर के शिव प्रकाश शुक्ला हत्या कर देता है.

सीरीज के इसी भाग में एक दरोगा शिव प्रकाश शुक्ला को बिहार आने का निमंत्रण देता है. वह शिव प्रकाश शुक्ला की बात बिहार के सरगना रवि किशन से कराता है. रवि किशन शिव प्रकाश को बिहार बुलाता है. एपिसोड समाप्त हो जाता है.

तीसरे एपिसोड में जैसा कि नाम दिया गया है भिक्षा, शिक्षा और दीक्षा. मगर इस के अनुरूप इस का नहीं दिखाई दिया है. इस एपिसोड में निर्देशक पात्रों के साथ न्याय करते हुए बिलकुल भी नहीं दिखा. एक गुंडा खुलेआम किसी का भी मर्डर पुलिस कर देता है. पुलिस, प्रशासन यहां तक कि जनता को भी यह इतना बड़ा खूनी बिलकुल ही दिखाई नहीं देता. पुलिस में भूमिका कर रहा दरोगा जो गैंगस्टर शिव प्रकाश शुक्ला को बिहार आने का निमंत्रण देने आता है, वह किसी भी एंगल से पुलिस का एक सिपाही तक नहीं लगता. एक नौसखिया सा दिखाई देता है.

चौथा एपिसोड वेव सीरीज रंगबाज सीजन वन का नाम ‘नाम है शंकर तिवारी’ है, जिस में एक विशाल भीड़ दिखाई देती है, जिस में लालू प्रसाद यादव एक सभा में भाषण देते दिखाई दे रहे हैं. उस के बाद दिवंगत नेता रामविलास पासवान भी भाषण दे रहे हैं. तभी गुंडे दिनदहाड़े लोगों को गोलियों से भून रहे हैं.

एपिसोड के पहले सीन में 2 लोग बातचीत कर रहे हैं. इस के बाद बिहार से आया दरोगा शिव प्रकाश शुक्ला के साथ ट्रेन में बैठा हुआ दिखता है, जहां पर वह एक महिला से बातचीत करने लगता है.

किस शर्त पर दिलाया था रेलवे का ठेका

अगले दृश्य में रामशंकर तिवारी विधायक साही के अंतिम संस्कार में जाने की तैयारी करता है. रामशंकर तिवारी को उस का आदमी बताता है कि शिव प्रकाश शुक्ला मर्डर कर के बिहार चला गया है. अगले दृश्य में रवि किशन और साकिब सलीम की मुलाकात को दिखाया गया है. दोनों आपस में बातचीत करते हैं.

रवि किशन उस समय जेल में है. वह साकिब सलीम यानी शिव प्रकाश शुक्ला को समझाता है कि वह उसे इसलिए पसंद करता है क्योंकि उस का काम करने का तरीका भी पहले ऐसा ही था. वह शिव प्रकाश शुक्ला को समझाता है कि वह कोई ऐसा काम करे, जिस से उस का नाम हो और पैसा भी जम कर बरसे. वह उसे कहता है कि उस के पास रेलवे का ठेका है. वह उसे इस बार रेलवे का ठेका दिला देगा. बदले में उसे उस का एक काम करना होगा.

उस के बाद शिव प्रकाश शुक्ला अपने आदमियों से बात करता दिखाई देता है. अगले दृश्य में पुलिस टीम शिव प्रकाश शुक्ला की दिनचर्या के बारे में बात करते दिखाई देेते हैं. वे आपस में गुफ्तगू करने लगते हैं, तभी सर्विलांस में शिव प्रकाश शुक्ला और उस की प्रेमिका के बीच बातचीत शुरू हो जाती है.

पुलिस की विशेष टीम उन की आवाज को रिकौर्ड करना शुरू कर दे रही होती है. शिव प्रकाश शुक्ला और प्रेमिका दोनों बहुत ही सैक्सी अंदाज में बातें करने लगते हैं.

शिव प्रकाश शुक्ला को उस की प्रेमिका के साथ सैक्स सीन करते हुए दिखाया गया है. प्रेमिका बताती है कि घर के बारे में कुछ खोजखबर है या नहीं, तुम्हारी बहन की शादी फिक्स कर दी गई है. उस के बाद सीधे मंत्रीजी का सीन आ जाता है, जिस में उन का सहयोगी कहता है कि शिव प्रकाश घूमने नहीं बल्कि चंद्रभान सिंह से मिलने के लिए गया था.

फिर एकदम दूसरा सीन आ जाता है जिस में शिवप्रकाश शुक्ला अपने घर पर अपनी बहन से कहता है, ”श्वेता, तुम्हारी शादी फिक्स हो गई, हमें बताया तक नहीं गया.’’

मां कहती है तुम्हें क्या बताना, तुम घर पर रहते भी हो. उस के पिता उसे डांटते हैं और वह फिर एक बड़ी रकम अपनी बहन के हाथ में दे कर वहां से चला जाता है.

फिर अगले सीन में चंद्रभान सिंह (रवि किशन) को जेल में एक्सरसाइज करते हुए दिखाया गया है. फिर चंद्रभान सिंह का एक सहयोगी उसे फोन देते हुए कहता है कि मंत्रीजी (तिवारीजी) का फोन है. फोन पर तिवारी चंद्रभान सिंह को कहता है कि फसल जो बोएगा, वही काटेगा. मतलब शिव प्रकाश शुक्ला मेरा आदमी है उस से दूर रहिए आप.

अगले सीन में शिव प्रकाश शुक्ला अपनी प्रेमिका अहाना कुमरा से बातचीत करता हुआ दिखाई पड़ता है. तभी रणवीर शौरी के नेतृत्व में टीम वहां पर जा पहुंचती है, जहां पर शिव प्रकाश शुक्ला ठहरा हुआ है. लेकिन शिव प्रकाश शुक्ला वहां की रसोई से भाग निकलता है.

अगले दृश्य में पुलिस की सहायता कर रहे प्रोफेसर शिव प्रकाश शुक्ला की ओर पिस्तौल तान कर उसे रुकने के लिए कहते हैं तो शिव प्रकाश शुक्ला उन की हत्या कर देता है.

चौथे एपिसोड में निर्देशक ने बेशर्मी की सारी सीमाएं लांघ डाली हैं. प्रेमी और प्रेमिका के बीच ऐसी बातचीत किसी पोर्न फिल्म से कम नहीं है, निर्मातानिर्देशक ने सोचा होगा ऐसी बातचीत कर के शायद टीआरपी बढ़ जाएगी, बल्कि असल में यह बेहद ही बेशर्मी से गढ़ा गया दृश्य है.

रंगबाज वेब सीरीज के 5वें एपिसोड को ‘शिव प्रकाश किस के साथ है’ नाम दिया गया है. इस के पहले दृश्य में मंत्री रमाशंकर तिवारी का फोन शिव प्रकाश के लिए आता है, जिस में वह शिव प्रकाश को लखनऊ वाला काम करने को कहते हैं और कहते हैं कि सब्र करो हम पर भरोसा रखो.

उस के बाद कोर्ट परिसर का दृश्य आता है, जिस में कुछ लोग मंत्री रमाशंकर तिवारी के पास रेलवे के ठेके के लिए अपनी फरियाद ले कर आते हैं. वे कहते हैं कि रेलवे का ठेका लखनऊ वाले रविंदर सिंह को मिल गया है. मंत्रीजी कहते हैं कि अब तुम्हारा काम हो जाएगा. शिव प्रकाश शुक्ला तुम्हारा काम कर देगा.

शिव प्रकाश को मंत्री रमाशंकर तिवारी के आदमी का फोन आता है, जिस में वह कहता है कि एक मंत्री को आज ही निपटाना है. वह शिव प्रकाश को मंत्री की पूरी जानकारी देता है. शिव प्रकाश अपने मोबाइल में एक नया सिम डालता है.

दूसरी तरफ शिव प्रकाश के मातापिता और बहन एक साड़ी की दुकान में खरीदारी करते दिखाई देते हैं. दुकानदार शिव प्रकाश के मातापिता से साडिय़ों के पैसे लेने से मना कर देता है कि आप से हम भला पैसे कैसे ले सकते हैं, आप हमारे ऊपर बस अपना आशीर्वाद बनाए रखें. उसी समय श्वेता (शिव प्रकाश की बहन) की एक सहेली उसे वहां से ले जा कर उस की बात शिव प्रकाश से कराती है. बहन उस से कहती है कि यदि वह नहीं आया तो वह अपनी न शादी करेगी न मंगनी. शिव प्रकाश बहन से आने का वायदा करता है. वह कहता है यदि मंगनी में नहीं आ पाया तो शादी में जरूर आएगा.

शिव प्रकाश मंत्री को गोली मार देता है. तभी शिव प्रकाश के साथी उस से कहते हैं कि अब तो वह राष्ट्रीय स्तर पर फेमस हो रहे हैं.

अगले सीन में चंद्रभान सिंह जेल में वौलीबाल का मैच कैदियों के बीच में जो खेला जा रहा है, उसे कुरसी पर बैठ कर देख रहा है, तभी वह फोन से शिव प्रकाश से बात करते हुए कहता है कि अब गोरखपुर में कुछ नहीं रखा है. तुम अब लखनऊ ही जाओ. शिव प्रकाश गोरखपुर न जा कर लखनऊ की ओर निकल पड़ता है.

किस ने कराई बिहार के मंत्री की हत्या

अगले दृश्य में समाचार में आता है बिहार में मंत्री की हत्या हो गई है, जिसे गोरखपुर के शिव प्रकाश शुक्ला गैंग ने अंजाम दिया है. इस खबर को मंत्री रमाशंकर तिवारी अपने विशेष चेले के साथ टीवी में देखते नजर आ रहे हैं, जहां पर रमाशंकर तिवारी अपने चेले से कहते हैं कि लखनऊ वाला काम किसी और को दे दो. देखते हैं यह अब कब तक गोरखपुर नहीं आता है. बहन की सगाई में तो आएगा ही.

पांचवें एपिसोड में भी कुछ नयापन सा बिलकुल भी नहीं दिया गया है. सभी कलाकारों का काम केवल औसत दरजे का रहा है. एक गैंगस्टर बिहार की जेल में बैठ कर फाइवस्टार होटल जैसे आनंद में अपना जीवन गुजार रहा है. जेल में ही बैठ कर हत्याओं की सुपारी ले रहा है.

जेल में रह कर ही रेलवे के बड़ेबड़े ठेके ले रहा है, यह बात बिलकुल भी गले से नहीं उतरती. एपिसोड का नाम ‘शिव प्रकाश किस के साथ है’ का अर्थ इस एपिसोड से बच्चा भी निकाल सकता है कि शिव प्रकाश अब रमाशंकर तिवारी के साथ नहीं बल्कि गैंगस्टर चंद्रभान सिंह के साथ है.

इस वेब सीरीज के एपिसोड नंबर 6 की कहानी ‘माता का जागरण’ के नाम से दी गई है. इस में एसटीएफ चीफ सिद्धार्थ पांडे शिव प्रकाश शुक्ला की प्रेमिका के बारे में अपनी टीम के सदस्यों से बातचीत कर रहे होते हैं कि ये आखिर उस की प्रेमिका बबीता कौन हो सकती है.

रमाशंकर तिवारी अपने भतीजे रमेश के साथ शिव प्रकाश की प्रेमिका रश्मि की मंगनी तय कर देता है.

शिव प्रकाश अपना अड्ïडा लखनऊ में जमा लेता है. वहां हो रहे एक जागरण से वह अपने गैंग के द्वारा कुबेरचंद्र अरोड़ाका एक करोड़ रुपए की फिरौती के लिए अपहरण कर लेता है. अरोड़ा तिवारी का आदमी था. अपने वफादार के अपहरण पर रमाशंकर तिवारी तिलमिला जाता है.

तिवारी अपने खास आदमी को पटना चंद्रभान सिंह के पास जाने को कहता है और कहता है कि चंद्रमान सिंह को टटोलो. शागिर्द चंद्रभान सिंह के पास जाने की हामी भर लेता है और इसी के साथ यह छठां एपिसोड समाप्त हो जाता है.

वेब सीरीज रिव्यू : रंगबाज सीजन 1 – भाग 1

लेखक : सिद्धार्थ मिश्रा

निर्देशक : भाव धूलिया

निर्माता : अजय जी राय

कलाकार: साकिब सलीम, अहाना कुमरा, तिग्मांशु धूलिया, रवि किशन, रणवीर शौरी, भारत चावला और सौरभ गोय.

रंगबाज 1990 के दशक की गोरखपुर की देहाती पृष्ठभूमि पर आधारित एक भारतीय वेब सीरीज है. इसे 22 दिसंबर, 2018 को जी-5 ओरिजनल के रूप में रिलीज किया गया था.

रंगबाज गोरखपुर के नौजवान शिव प्रकाश शुक्ला (साकिब सलीम) की कहानी है. शिव प्रकाश शुक्ला की बहन को एक मवाली सरेआम बाजार में छेड़ता है और यह बात जब उसे पता चलती है तो गुस्से से बेकाबू हो कर देसी कट्टा ले कर उस मवाली के पास पहुंच जाता है, लेकिन वहां गलती से गोली चल जाती है और शिव प्रकाश शुक्ला से उस मवाली का कत्ल हो जाता है. उस के बाद एक नेता शिव प्रकाश शुक्ला को बचाता है और फिर वह उस नेता के लिए काम करने लग जाता है.

इस तरह उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला की कहानी को इस वेब सीरीज में उकेरा गया है. सीरीज में कुल मिला कर 9 एपिसोड हैं, जिस में 9 कहानियों को अलगअलग दिखाया गया है. रंगबाज वेब सीरीज की स्पीड कहींकहीं पर थोड़ी स्लो दिखाई पड़ती है.

रंगबाज के पहले एपिसोड की कहानी का नाम ‘गैंगस्टर का मोबाइल फोन’ है. इस पहले एपिसोड की शुरुआत एक गाड़ी से होती है, जिस में कुछ गुंडे बैठे हुए होते हैं. वे सब गैंगस्टर शिव प्रकाश शुक्ला की प्रेमिका के घर पहुंच जाते हैं. शिव प्रकाश का दोस्त प्रेमिका को शिव प्रकाश शुक्ला का दिया हुआ गिफ्ट दे देता है.

उस के बाद प्रेमी और प्रेमिका के बीच मोबाइल से बातचीत होती है. उसी दौरान गैंगस्टर के फोन पर कुछ आवाजें आती हैं. वह प्रेमिका से कहता है, ”लगता है कुछ गड़बड़ है.’’

तभी पुलिस की गाडिय़ों के सायरनों की आवाज जोरजोर से सुनाई पड़ती है. इस वेब सीरीज में भी गंदीगंदी गालियों का भरपूर प्रयोग किया गया है, जो डायरेक्टर की फूहड़ मानसिकता को दर्शाता है.

पुलिस गैंगस्टर के ऊपर फायरिंग शुरू कर देती है तो गैंगस्टर खुद गाड़ी के आगे से अपनी स्वचालित एके-47 से पुलिस के ऊपर फायर झोंक देता है. तभी गैंगस्टर मंत्रीजी को फोन करता है और वह मंत्रीजी को धमकाते हुए कहता है, ”पुलिस मेरे पीछे लगी हुई है, अब तो लगता है कि मुझे पुलिस को यह बताना ही पड़ेगा कि गुडग़ांव वाले एमएलए का मर्डर आप ने करवाया था.’’

वह मंत्री को धमकी देते हुए कहता है, ”व्यवस्था कीजिए वरना कर देंगे हम तुम्हें फेमस.’’

पुलिस और गैंगस्टर के बीच में अब आंखमिचौली का खेल चलने लगता है और पुलिस का सिपाही गैंगस्टर को निकलने का इशारा कर देता है और गैंगस्टर शिव प्रकाश की गाड़ी आसानी से निकल जाती है.

अगले सीन में कहानी एक बार फिर फ्लैशबैक में चली जाती है. यहां पर गैंगस्टर शिव प्रकाश शुक्ला के परिवार को दिखाया गया है.

शिव प्रकाश कैसे आया अपराध की दुनिया में

शिव प्रकाश की बहन बाजार से जा रही होती है, तभी एक शोहदा उस के कंधे पर हाथ रख कर उस के साथ छेड़छाड़ शुरू कर देता है, जिस की खबर सारी जगह से फैलतेफैलते उन के घर तक पहुंच जाती है.

शिव प्रकाश के मातापिता अपनी बेटी की इस बदनामी से शर्मसार हो जाते हैं. जब यह बात शिव प्रकाश शुक्ला को पता चलती है तो वह अपनी बहन से बात करता है और बहन से शोहदे के बारे में पूछताछ करता है. गैंगस्टर के पिता उसे समझाते हैं कि वह गुस्सा न करे, वह पुलिस में जा कर शिकायत लिखा देंगे.

मगर शिव प्रकाश शुक्ला यह सब बरदाश्त नहीं कर पाता और उस शोहदे के पास पहुंच जाता है और फिर दोनों में गुत्थमगुत्था होने लगती है. तभी गुस्से से गैंगस्टर शिव प्रकाश शुक्ला से गोली चल जाती है और शोहदे की गोली लगने से मौत हो जाती है. शिव प्रकाश शुक्ला उस के बाद घबरा जाता है और अपनी बाइक से घर लौट आता है.

शिव प्रकाश शुक्ला के पिता उस की पिटाई करने लगते हैं कि उस ने उस युवक को जान से क्यों मार दी. अब आगे उस का भविष्य क्या होगा?

शिव प्रकाश शुक्ला रोते हुए पिता को बताता है कि पापा गोली गलती से चल गई. मुझे माफ कर दो पापा, मुझे बचा लो पापा. उस के पिता कहते हैं कि चौबेजी का बेटा वकालत करता है. वह कह रहा था कि आज सरेंडर कर दे.

तभी शिव प्रकाश शुक्ला के घर पर मंत्रीजी की गाडिय़ों का काफिला आ जाता है. मंत्री शिव प्रकाश शुक्ला के पिता से कहता है, ”आप ने तो हमें पराया ही बना दिया. बाहर वालों से कांड का पता चला हमें.’’

उस के बाद मंत्रीजी शिव प्रकाश शुक्ला से कहते हैं कि तुम ने जो कुछ किया ठीक किया. घबराओ मत मैं तुम्हारे साथ हूं. और फिर मंत्रीजी के आदमी शिव प्रकाश शुक्ला को वहां से ले जाते हैं. बाद में वह शुक्ला को बैंकाक में पहुंचा देते हैं.

एपिसोड में उस के बाद फिर पुराना सीन आ जाता है, जिस में पुलिस टीम गैंगस्टर शिव प्रकाश शुक्ला के मोबाइल फोन को सर्विलांस पर ट्रैक करती दिखाई देती है.

इस कहानी को एक बड़े लेवल पर दिखाया जा सकता था, लेकिन यहां पर इसे काफी साधारण तरीके से प्रस्तुत किया गया है. इसलिए इस में मनोरंजन की डोज दर्शक को नहीं मिल पाई है.

इस एपिसोड में कई बार यहां तक कि बारबार कई सीनों को एकदम से रोक कर दूसरा सीन चालू हो जाता है. कुछ समय तक तो कोई भी इसे बरदाश्त कर सकता है, लेकिन जब बारबार यही क्रम दोहराया जाता है तो एक समय ऐसा आ जाता है कि दर्शक बोरियत सी महसूस करने लग जाता है. गैंगस्टर के तौर पर साकिब सलीम और पौलिटीशियन के तौर पर तिग्मांशु धूलिया का काम भी कोई खास नहीं है.

रवि किशन और अहाना कुमरा का काम इस में काफी साधारण सा दिखाई देता है, क्योंकि उन के लिए इस में करने के लिए कुछ विशेष था ही नहीं. कहानी में भी इस में कुछ विशेष दम नहीं है. यूपी का रंगबाज क्या होता है, ये समझने के लिए साकिब सलीम को कुछ दिन यूपी के गोरखपुर, इलाहाबाद या लखनऊ में गुजारने चाहिए थे.

इस सीरीज के दूसरे एपिसोड का नामकरण ‘जवान होना’ के नाम से किया गया है. इस दूसरे एपिसोड में डीएसपी चौबे शिव प्रकाश शुक्ला के पिता प्रमोद शुक्ला की हिम्मत बढ़ाते हुए दिखता है. इस सीन में कानून की धज्जियां उड़ती दिखती हैं. बाद में पता चलता है कि मंत्रीजी ने ही डीएसपी चौबे को शुक्ला के घर भेजा था.

उधर बैंकाक में बैठे शिव प्रकाश शुक्ला को अपने घर वालों और प्रेमिका की चिंता होती है. वह एक दिन अपने घर फोन करने की कोशिश करता है, लेकिन उस का साथी उसे फोन करने से रोक लेता है. तब उस का साथी उसे एक क्लब में ले जाता है, जहां तमाम खूबसूरत लड़कियां उसे रिझाने में लग जाती हैं. शिव प्रकाश वहां कोई भी एंजौय नहीं करता क्योंकि उसे तो अपनी प्रेमिका की याद आती है.

मंत्रीजी ने क्यों दिया शिव प्रकाश को संरक्षण

अगला दृश्य मंत्रीजी शिवप्रकाश के पिता को फोन कर के समझाते हैं कि वह बेटे की चिंता न करें, सही समय पर वह आ जाएगा.

दूसरे सीन में शिव प्रकाश का साथी उसे बैंकाक में एक मर्डर करने को कहता है और उसे एक पिस्टल देते हुए कहता है कि ये आदमी जो सामने लाल कमीज में बैठा है, तुम्हें इसे मारना है. यह मंत्रीजी का पैसा ले कर भागा है. गोरखपुरिया है. यह मंत्रीजी का हुक्म है.

शिव प्रकाश उस का पीछा करते हुए गोली चलाता है, मगर गोली नहीं चलती और गोरखपुरिया और उस का साथी शिव प्रकाश को पीटने लगते हैं. तभी वहां पर शिव प्रकाश का साथी आ कर उन्हें कहता है बस करो. शिव प्रकाश से उस का साथी कहता है, चलो तुम इस परीक्षा में अब पास हो गए हो. चलो, अब वापस चलो. तुम्हारा गोरखपुर लौटने का समय हो गया है. उस के बाद उस क ा साथी प्लेन में बिठा कर हिंदुस्तान ले आता है.

शिव प्रकाश प्लेन से उतर कर टैक्सी में अपने साथी के साथ बैठ जाता है और वह अपने साथी से पूछता है हम कहां जा रहे हैं? उस का साथी कहता है, गुरुजी तुम से मिलना चाहते हैं और उसे मंत्रीजी पास ले कर आ जाता है.

मंत्रीजी शिवप्रकाश से कहते हैं, आजादी मुबारक हो, अब बड़ा काम करने का वक्त आ गया है. फिर मंत्रीजी उसे अपने एक पुराने दुश्मन विधायक को मारने का आदेश देते हैं. उस के बाद दूसरा एपिसोड समाप्त हो जाता है.

दूसरे एपिसोड में भी सभी कलाकारों का काम औसत दरजे का रहा है. एक एसपी रैंक के अधिकारी का गैंगस्टर के पिता के घर पर जाना और उन्हें संरक्षण देना, भारतीय समाज पर नेताओं और प्रशासन की भूमिका को दर्शाता है कि आज नेता तो भ्रष्ट हैं ही, पुलिस प्रशासन भी अब नेताओं की जूती बन कर रह गया है.

रंगबाज सीजन वन के तीसरे एपिसोड की कहानी भिक्षा, शिक्षा और दीक्षा पर आधारित है. एपिसोड की शुरुआत में 1974 में गोरखपुर विश्वविद्यालय को दिखाया गया है, जहां पर कुछ गुंडे विश्वविद्यालय की एक कक्षा में घुस कर मारपीट करने लगते हैं.

मारमीट करने से पहले वे सब लड़कियों को क्लास से बाहर जाने को कहते हैं और पढ़ाने वाले प्रोफेसर को भी वहां से बाहर निकाल देते हैं. गुंडों को फिर शिव प्रकाश और उस के साथी पीट देते हैं. उस के बाद वेब सीरीज की कास्टिंग शुरू हो जाती है.

पहले दृश्य में पुलिस अधिकारी सिद्धार्थ पांडेय (रणवीर शौरी) के पास एक विशेष मुखबिर आ कर बताता है कि शिवप्रकाश का दिल्ली से गोरखपुर जाने का प्लान है. पुलिस अधिकारी फिर अपने मातहतों को कुछ आदेश देता है. तभी दूसरे दृश्य में शिव प्रकाश शुक्ला अपनी प्रेमिका से बातें करता दिखाई देता है.

अहाना कुमरा, शिव प्रकाश को उस के मातापिता की याद दिलाती है तो गैंगस्टर शिव प्रकाश शुक्ला सीधे अपने घर पहुंच जाता है. शिव प्रकाश की बहन और मां उस से खुशी से लिपट जाते हैं.

अगले दृश्य दृश्य में शिव प्रकाश के साथी उसे किसी को मारने के लिए कहते हैं. शिव प्रकाश अपनी प्रेमिका से बातें करता दिखाया गया है. अगले सीन में पुलिस टीम प्रेमीप्रेमिका की बातों को रिकौर्ड करती दिखाई देती है. फिर शिव प्रकाश शुक्ला परशुराम होस्टल में तनुज को मिलने के लिए बुलाता है और अपने गिरोह में शामिल कर लेता है.