Karnataka News : फिल्म इंडस्ट्री के हाईप्रोफाइल लोगों का ड्रग्स रैकेट

Karnataka News : ड्रग्स को ले कर एनसीबी की काररवाई जैसेजैसे आगे बढ़ रही है, बौलीवुड के बड़ेबड़े चेहरों से नकाब हट रहा है. यही हाल संदलवुड (कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री) का भी है. बेंगलुरु की सेंट्रल क्राइम ब्रांच और एनसीबी ने जब से संदलवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री रागिनी द्विवेदी और संजना गलरानी को ड्रग्स मामले में गिरफ्तार किया है तब से…

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में ड्रग्स एंगल का खुलासा होने के बाद बौलीवुड एक बार फिर हिल गया है. सुशांत की गर्लफ्रैंड रिया चक्रवर्ती सहित कई अन्य लोगों की गिरफ्तारी के बाद बौलीवुड में नशीले पदार्थों का काला कारोबार सुर्खियों में आ गया. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो लोगों से पूछताछ और तकनीकी साधनों से ड्रग्स सिंडीकेट के बौलीवुड कनेक्शन की परतें खोलने में जुटा है. इसी बीच, संदलवुड कहे जाने वाले कन्नड़ फिल्म उद्योग में भी ड्रग्स का जाल फैला होने का मामला उजागर हुआ है. हालांकि फिल्म उद्योगों में ड्रग्स के मामले पहली बार सामने नहीं आए हैं. इस से पहले संजय दत्त, ममता कुलकर्णी, फरदीन खान, शिल्पा सकलानी, विजयराज सहित अनेक अभिनेताअभिनेत्री इन मामलों में फंस चुके हैं.

बौलीवुड में जहां सुशांत और रिया को ले कर राजनीति हो रही है तो संदलवुड में ड्रग्स मामले में कुछ राजनेताओं के नाम सामने आए हैं. इसीलिए यह मामला सुर्खियों में भी आया. खास बात यह है कि दोनों फिल्म उद्योगों में ये मामले लगभग एक ही समय सामने आए हैं. इसी साल जुलाई महीने की 31 तारीख को बेंगलुरु में विदेशी डाकघर से नशीली गोलियों की बड़ी खेप बरामद हुई थी. भारत सहित कई देशों में प्रतिबंधित एक्सटेसी नाम की ये नशीली टैबलेट जर्मनी से औनलाइन मंगाई गई थीं. एक्सटेसी की गोलियां रेव और पर्सनल पार्टियों में इस्तेमाल होने वाली नशीली दवा है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने जांचपड़ताल की तो पता चला, ये गोलियां रहमान के. नामक युवक ने मंगाई थीं.

कई दिन की तफ्तीश के बाद एनसीबी ने अगस्त के तीसरे सप्ताह में रहमान के. को गिरफ्तार कर लिया. वाणिज्य स्नातक के. रहमान अपने कालेज के आसपास रहने वाले छात्रों को एक्सटेसी और दूसरी नशीली दवाएं बेचता था. उस ने ये नशीली गोलियां बिटकौइन के बदले खरीदी थीं. एनसीबी ने रहमान से कड़ी पूछताछ की. जिस में कई चौंकाने वाली जानकारियां मिलीं. पता चला कि ड्रग्स का कारोबार बेंगलुरु सहित पूरे कर्नाटक और अन्य राज्यों में बड़े पैमाने पर हो रहा है. यह भी पता चला कि कर्नाटक में नशीली दवा मारिजुआना का भी काफी इस्तेमाल हो रहा है. रहमान से मिली जानकारियों के आधार पर एनसीबी तेजी से सक्रिय हो कर ड्रग्स के रैकेट की छानबीन में जुट गई. करीब एक सप्ताह की भागदौड़ के बाद एनसीबी ने 21 अगस्त को बेंगलुरु के एक अपार्टमेंट पर छापा मार कर भारी मात्रा में एक्सटेसी, एमडीएमए, एलएसडी आदि नशीली दवाओं की खेप बरामद की.

इस मामले में एनसीबी ने एक बड़े ड्रग्स रैकेट का भंडाफोड़ कर एक महिला सहित 3 लोगों को गिरफ्तार किया. ये थे, एम. अनूप, आर. रविंद्रन और अनिखा डी. इन तीनों के बारे में पता चला कि ये हाईप्रोफाइल ड्रग पेडलर्स थे. पूछताछ में पता चला कि ये तीनों कन्नड़ फिल्म उद्योग में अभिनेताअभिनेत्रियों और संगीतकारों को ड्रग्स सप्लाई करते थे. इंद्रजीत लंकेश ने किया खुलासा इन तीनों से एनसीबी पूछताछ में जुटी थी कि फिल्म निर्माता और पत्रकार इंद्रजीत लंकेश ने मीडिया के सामने दावा किया कि पूरा संदलवुड ड्रग्स की चपेट में है. संदलवुड में ड्रग्स का नेटवर्क गहरे तक फैला है. वह ऐसे कई फिल्म अभिनेताओं को जानते हैं, जो गंभीर नशे के आदी हैं. कई युवा अभिनेता और अभिनेत्रियां रेव पार्टियों का आयोजन करते हैं. लंकेश ने कहा कि पुलिस उन्हें संरक्षण देगी, तो वे इस के कई तथ्य सामने रख देंगे.

जिस तरह मुंबई के फिल्म उद्योग को बौलीवुड कहा जाता है, उसी तरह कन्नड़ फिल्म उद्योग को संदलवुड कहते हैं. इंद्रजीत लंकेश कौन हैं, पहले यह बताना भी जरूरी है. सितंबर, 2017 में कर्नाटक की प्रमुख पत्रकार गौरी लंकेश की जघन्य हत्या हुई थी. गौरी लंकेश की हत्या पर पूरे भारत में बवाल मचा था. विदेश में भी आंदोलन हुए थे. गौरी के पिता पी. लंकेश कन्नड़ के नामी फिल्मकार और पत्रकार थे. गौरी की छोटी बहन कविता कन्नड़ अभिनेत्री हैं. इंद्रजीत लंकेश गौरी के भाई हैं. फिल्मकार इंद्रजीत लंकेश ने कई कन्नड़, तेलुगू और हिंदी फिल्मों का निर्देशन किया है. लंकेश ने 2001 में फिल्म निर्देशन से फिल्म लाइन में कदम रखा था. उन की डेब्यू फिल्म थी ‘थुंटाटा’. इस के बाद उन्होंने ‘लंकेश पैट्रिक’, ‘मोनालिसा’, ‘ऐश्वर्या’ व ‘लव यू आलिया’ सहित कई फिल्मों का निर्देशन किया.

इन में 2006 में आई फिल्म ‘ऐश्वर्या’ से बौलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने डेब्यू किया था. सन 2015 में बनी ‘लव यू आलिया’ से भूमिका चावला की अभिनय की यात्रा शुरू हुई थी. बहरहाल लंकेश ने कई सनसनीखेज दावे कर सब को हिला दिया. इस के तुरंत बाद बेंगलुरु पुलिस हरकत में आ गई. पुलिस की सेंट्रल क्राइम ब्रांच (सीसीबी) ने लंकेश से 4-5 घंटे तक पूछताछ की. बाद में क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने कहा कि इंद्रजीत लंकेश ने कुछ पुरानी घटनाएं बताई हैं. फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कुछ नामों का खुलासा भी किया है, लेकिन अभी उन्होंने इस संबंध में कोई सबूत नहीं दिए हैं. हम ने उन्हें सबूत देने के लिए समय दिया है. क्राइम ब्रांच अब इस मामले की कानूनी तरीके से जांच करेगी.

दूसरी तरफ, सीसीबी की ओर से पूछताछ किए जाने के बाद लंकेश ने मीडिया से कहा कि उन्होंने सेंट्रल क्राइम ब्रांच को 15 नाम बताए हैं. ये प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ड्रग्स स्कैंडल से जुड़े हुए हैं. संदलवुड का हाल भी बौलीवुड जैसा ही संदलवुड में ड्रग्स का चलन बड़े पैमाने पर होने की बातें सामने आने के बाद 30 अगस्त को कर्नाटक के गृहमंत्री बसावराज बोम्मई ने ड्रग्स के खिलाफ युद्ध की घोषणा करते हुए कहा कि पुलिस की सेंट्रल क्राइम ब्रांच को ड्रग्स और फिल्म उद्योग के बीच कथित संबंधों की जांच के निर्देश दिए गए हैं. इस के साथ ही सरकार फिलहाल बेंगलुरु में सामने आए ड्रग्स रैकेट का परदाफाश करने वाले नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को पूरा सहयोग दे रही है. इंद्रजीत लंकेश से भी सूचनाएं साझा करने को कहा गया है.

इस के दूसरे ही दिन 31 अगस्त को गृहमंत्री बसावराज बोम्मई ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की बैठक कर ड्रग्स की रोकथाम और रैकेट की धरपकड़ पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए कर्नाटक सरकार की ओर से समन्वय समितियां बनाई जाएंगी. उन्होंने कहा कि बेंगलुरु के चारों तरफ सीमा क्षेत्र है. अनेकल पर तमिलनाडु की सीमा है और होस्टेस के पास आंध्र प्रदेश की सीमा. इन पड़ोसी राज्यों का भी सहयोग लिया जाएगा. राज्य सरकार की ओर से ड्रग्स रैकेट के खिलाफ कड़ी काररवाई की छूट मिलने के बाद पुलिस की सेंट्रल क्राइम ब्रांच ने जांचपड़ताल तेज कर दी. बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर कमल पंत ने काबिल अफसरों की कई टीमें बना कर उन्हें अलगअलग जिम्मेदारियां सौंपी.

विभिन्न सूत्रों से मिली सूचनाओं के आधार पर सीसीबी ने 2 सितंबर को कन्नड़ फिल्म अभिनेत्री रागिनी द्विवेदी को तलब किया. दूसरे दिन रागिनी ने सीसीबी अधिकारियों के समक्ष पेश होने के लिए 7 सितंबर तक का समय मांगा, लेकिन पुलिस ने उस के अनुरोध को खारिज कर दिया. सीसीबी ने 3 सितंबर को नया नोटिस जारी कर अभिनेत्री रागिनी को 4 सितंबर को उपस्थित होने को कहा. सीसीबी के नोटिस पर रागिनी ने ट्वीट कर कहा कि वह तुरंत पेश नहीं हो सकती. उन के पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है. किसी भी गैरकानूनी गतिविधि से उन का कोई संबंध नहीं है. रागिनी ने आगे कहा कि मेरे वकील पुलिस के सामने पेश हुए हैं और मेरे पेश होने के संबंध में असमर्थता जताई है. वकीलों ने समय मांगा, लेकिन पुलिस ने उन की मांग खारिज कर दी.

इधर, जांचपड़ताल में जुटी सीसीबी ने कन्नड़ फिल्म उद्योग से जुड़े ड्रग्स के मामले में 3 सितंबर को रविशंकर नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया. उसे अदालत में पेश कर 5 दिन के रिमांड पर लिया गया. वैसे तो रविशंकर सड़क परिवहन कार्यालय में लिपिक था, लेकिन उस की कन्नड़ फिल्म उद्योग में अच्छीखासी पैठ थी. वह अभिनेत्री रागिनी द्विवेदी का भी अच्छा दोस्त था. इस बीच, सीसीबी को कुछ गुप्त सूचनाएं मिलीं. सूचनाओं के अनुसार रागिनी ने अपने कुछ मोबाइल बदले थे. इस के बाद सीसीबी ने बिना समय गंवाए अदालत से सर्च वारंट हासिल किया, जिस के आधार पर 4 सितंबर की सुबह करीब साढ़े 6 बजे महिला अफसरों के साथ सेंट्रल क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने अभिनेत्री रागिनी द्विवेदी के बेंगलुरु स्थित आवास पर छापा मारा.

कई घंटों तक चली छापे की काररवाई के बाद पुलिस रागिनी को सीसीबी कार्यालय ले आई. ड्रग्स मामले में व्यापक पूछताछ के बाद सीसीबी ने शाम को रागिनी को गिरफ्तार कर लिया. बाद में अदालत ने रागिनी को पुलिस रिमांड पर भेज दिया. रागिनी द्विवेदी की गिरफ्तारी से मचा हड़कंप अभिनेत्री रागिनी द्विवेदी की गिरफ्तारी से संदलवुड में हड़कंप मच गया. रागिनी कन्नड़ फिल्मों की जानीमानी अभिनेत्री रही हैं. उन्होंने 2009 में ‘वीरा मदाकरी’ फिल्म से संदलवुड में कदम रखा था. बाद में उन्हें कैंपे गौड़ा, रागिनी आईपीएस, बंगारी, वीर मदाकरी, विलेन और शिवा जैसी फिल्मों से काफी शोहरत मिली. रागिनी का जन्म बेंगलुरु में हुआ था, लेकिन उन के परिवार का ताल्लुक हरियाणा के रेवाड़ी से है.

ड्रग्स के मामले में सीसीबी ने 4 सितंबर को रागिनी की गिरफ्तारी के बाद राहुल शेट्टी और विरेन खन्ना नाम के 2 लोगों को और गिरफ्तार कर लिया. इन में विरेन को दिल्ली से पकड़ा गया. वह रेव पार्टियों के आयोजन करता था. बाद में लूम पीपर सांबा को भी पकड़ा गया. लूम पीपर अफ्रीकी नागरिक है और ड्रग्स सप्लाई करता था. इन गिरफ्तारियों के साथ ही बेंगलुरु की सेंट्रल क्राइम ब्रांच ने रागिनी सहित 13 लोगों के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट में 2 अलगअलग मामले दर्ज किए. इन में रागिनी द्विवेदी, शिवप्रकाश, विरेन खन्ना, प्रशांत रांका, वैभव जैन, आदित्य अल्वा, लूम पीपर सांबा, प्रशांथ राजू, अश्विनी, अभिस्वामी, राहुल थोंसे और विजय आदि को आरोपी बनाया गया.

पुलिस ने कहा कि ये लोग ड्रग तस्करों के माध्यम से पार्टियों में नशीले पदार्थों की आपूर्ति करते थे. इन में लूम पीपर को छोड़ कर बाकी सभी लोग बेंगलुरु के बताए गए. आरोपी बनाया गया आदित्य अल्वा पूर्व दिवंगत मंत्री जीवाराज का बेटा है. वह बौलीवुड अभिनेता विवेक ओबेराय का साला भी है. रविशंकर के खिलाफ एक अलग मामला दर्ज किया गया. रागिनी की गिरफ्तारी के बाद कर्नाटक की भाजपा सरकार पर विपक्ष ने कई आरोप लगाए. इस का कारण यह था कि रागिनी ने 2019 के विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के पक्ष में प्रचार किया था. विपक्ष के सवालों पर कर्नाटक प्रदेश भाजपा ने 6 सितंबर को कहा कि ड्रग्स मामले में पकड़ी गई कन्नड़ अभिनेत्री रागिनी कभी भी पार्टी की सदस्य नहीं रही.

भाजपा प्रवक्ता कैप्टन गणेश कार्णिक ने कहा कि उपचुनाव में विभिन्न क्षेत्रों से सैकड़ों हस्तियों ने भाजपा के लिए प्रचार किया था. हो सकता है रागिनी उन में से एक रही हो, लेकिन रागिनी न तो भाजपा की सदस्य है और न ही पार्टी ने उन्हें प्रचार की कोई जिम्मेदारी सौंपी थी. 7 सितंबर को बेंगलुरु की एक अदालत ने रागिनी को 5 दिन के लिए दोबारा पुलिस रिमांड पर भेज दिया. सीसीबी के अधिकारियों ने रागिनी को वीडियो कौन्फ्रैंसिंग के जरिए अदालत में पेश किया. पुलिस ने कहा कि अभिनेत्री जांच में सहयोग नहीं कर रही, इसलिए 5 दिन का दोबारा रिमांड दिया जाए. रिमांड के दौरान पूछताछ में पता चला कि रागिनी ने डिजिटल सबूत मिटाने के लिए अपने मोबाइल फोन से सारे मैसेज हटा दिए थे. हालांकि बाद में सीसीबी अधिकारियों ने इन में से काफी मैसेज रिकवर करने में सफलता हासिल कर ली.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने 7 सितंबर को कहा कि यह अभियान मादक पदार्थों के तस्करों और नशे का कारोबार करने वालों के खिलाफ चल रहा है. इन अपराधों में शामिल किसी भी व्यक्ति को बचाने का सवाल ही नहीं है. कन्नड़ फिल्म जगत में ड्रग्स के सेवन की जांचपड़ताल के बीच, सेंट्रल क्राइम ब्रांच ने 8 सितंबर की सुबह अभिनेत्री संजना गलरानी को बेंगलुरु में उस के इंदिरा नगर स्थित आवास पर छापा मार कर गिरफ्तार कर लिया. इसी दिन पुलिस ने पहले से गिरफ्तार विरेन खन्ना के आवास पर भी छापेमारी की. दोनों जगह सर्च वारंट के जरिए छापा मारा गया. इन छापों के बाद बेंगलुरु के जौइंट पुलिस कमिश्नर संदीप पाटिल ने कहा कि संजना और विरेन के घरों से कई चीजें मिली हैं, जिन की जांच की जा रही है. विरेन खन्ना के घर से कर्नाटक पुलिस की वर्दी मिली है.

इस की भी जांच की जा रही है कि वर्दी क्यों और किस मकसद से रखी गई थी. पाटिल ने कहा कि अभिनेत्री संजना गलरानी पर उस वक्त से नजर रखी जा रही थी, जब उन के दोस्त राहुल के खिलाफ ड्रग्स से जुड़े मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था. पाटिल ने कहा कि ड्रग्स मामले की जांच बहुत गहराई से हो रही है. इस मामले में कुछ और लोगों से पूछताछ की जाएगी. अभिनेत्री संजना गलरानी ने तमिल फिल्म ‘ओरु कधल सेवीर’ के जरिए 2006 में फिल्म जगत में कदम रखा था. उन्होंने कन्नड़ फिल्म ‘गंदा हेंताथी’ सहित अनेक फिल्मों में अभिनय किया. कन्नड़ फिल्म उद्योग के कलाकारों और बेंगलुरु की कई नामी हस्तियों के ड्रग्स इस्तेमाल करने के मामले की पुलिस और एनसीबी की जांच के बीच सितंबर के दूसरे सप्ताह में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी शामिल हो गया.

ईडी ने संदलवुड ड्रग्स मामले में मनी लौंड्रिंग का एक केस दर्ज किया. ईडी ने सेंट्रल क्राइम ब्रांच के अधिकारियों से इस मामले से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा, जो मिल गए. ईडी को संदेह था कि ये लोग मनी लौंड्रिंग के मामले में भी शामिल हो सकते हैं. पुलिस की ओर से गिरफ्तार और मुकदमों में नामजद ज्यादातर लोगों का विदेशों में आनाजाना लगा रहता था. कुछ का रियल एस्टेट का कारोबार भी था. इन का बड़ा हवाला नेटवर्क भी हो सकता था. ईडी के अधिकारियों ने भी इस सिलसिले में सीसीबी की ओर से गिरफ्तार लोगों से पूछताछ की. सोने की तस्करी से जुड़े लोगों पर ड्रग्स तस्करी का संदेह ईडी के अधिकारियों ने 9 सितंबर को बेंगलुरु की एक अदालत को जानकारी दी कि केरल में सोने की तस्करी के तार बेंगलुरु के ड्रग तस्करों से जुड़े हो सकते हैं.

ईडी ने केरल के बहुचर्चित सोना तस्करी मामले में पिछले दिनों गिरफ्तार की गई स्वप्ना सुरेश सहित 3 आरोपियों की न्यायिक हिरासत बढ़ाने की मांग करते हुए अदालत से कहा कि बेंगलुरु ड्रग तस्करी में शामिल आरोपियों पर सोना तस्करी के आरोपियों की मदद करने का संदेह है. इधर, बेंगलुरु पुलिस की सेंट्रल क्राइम ब्रांच की हिरासत के दौरान अभिनेत्री रागिनी ने 10 सितंबर को केसी जनरल हौस्पिटल में अपने यूरीन में पानी मिला कर ड्रग्स टेस्ट में धोखा देने की कोशिश की. हालांकि डाक्टर ने सैंपल में पानी की पहचान कर ली. इस के बाद रागिनी का दोबारा यूरीन सैंपल लिया गया. डाक्टरों के मुताबिक यूरीन टेस्ट से यह पता किया जाता है कि पिछले कुछ दिनों में उस व्यक्ति ने कौन सा ड्रग्स लिया है. पानी की मात्रा से यूरीन का टेंपरेचर कम हो जाता है. सीसीबी अधिकारियों ने 11 सितंबर को अदालत में इस घटना का जिक्र करते हुए रागिनी का और रिमांड मांगा.

अदालत ने उसे 3 दिन के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया. पुलिस ने इस से पहले 4 सितंबर को रागिनी और 8 सितंबर को संजना की गिरफ्तारी के बाद भी इन दोनों का यूरीन टेस्ट लिया था. इन दोनों के बालों के सैंपल भी लिए गए थे. बालों के सैंपल से ड्रग्स का पता लगाया जाता है. सीसीबी ने इसी मामले में 11 सितंबर को प्रतीक शेट्टी को गिरफ्तार किया. वह सौफ्टवेयर इंजीनियर है. इस से पहले वह 2018 में डेढ़ किलो कोकीन और करीब डेढ़ करोड़ रुपए कीमत की 1930 एक्सटेसी टैबलेट के साथ पकड़ा गया था. पुलिस के अनुसार, प्रतीक 2010 से हाईप्रोफाइल पार्टियों के लिए ड्रग्स का इंतजाम करता रहा था. उस के नाइजीरिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के नशे के कारोबारियों से सीधे संबंध बताए जाते हैं.

बाद में 13 सितंबर को एक अन्य आरोपी वैभव जैन को हिरासत में ले लिया गया. वह कोरोना पौजिटिव होने के कारण एक निजी हौस्पिटल में क्वारेंटाइन था. पुलिस को वैभव का मोबाइल नंबर रागिनी की काल डिटेल्स में मिला था. वैभव भी ड्रग्स पेडलर्स और हाईप्रोफाइल पार्टियों का आर्गनाइजर रहा है. उस के विरेन खन्ना, रविशंकर व राहुल वगैरह से अच्छे संबंध थे. कई नेताओं के भी नाम सीसीबी ने समन जारी कर एक्टीविस्ट प्रशांथ संपर्गी को 13 सितंबर को पुलिस हैडक्वार्टर बुलाया और उन से 2 घंटे तक सवालजवाब किए. प्रशांथ ने इस से पहले रेव पार्टियों के आयोजन में कुछ राजनेताओं के शामिल होने का बयान दिया था. प्रशांथ से इसी सिलसिले में पूछताछ की गई. ड्रग्स मामले में सीसीबी को कुछ राजनेताओं के भी शामिल होने की जानकारियां मिलीं.

इस संबंध में सबूत जुटाए जा रहे हैं. कहा जाता है कि अभिनेत्री संजना गलरानी एक विधायक से सीधे तौर पर जुड़ी हुई थी. इस विधायक और कन्नड़ फिल्म अभिनेत्री व अभिनेताओं ने श्रीलंका के एक कैसिनो में एक हाईप्रोफाइल पार्टी में हिस्सा लिया था. इस मामले में राजनेताओं के नाम भी सामने आने से राजनीति होने के साथ आरोपप्रत्यारोप लगने लगे. विपक्ष के नेता सिद्धरमैया का दावा है कि कर्नाटक सरकार ड्रग्स मामले की आड़ में कोरोना और बाढ़ जैसे मुद्दों के कुप्रबंधन से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा इस मामले में अपने नेताओं को बचाने की कोशिश कर रही है. विपक्ष के नेताओं को बदनाम किया जा रहा है.

उन्होंने इस मामले में कांग्रेस विधायक जमीर अहमद खान का नाम कथित तौर पर जोड़े जाने पर कहा कि किसी का नाम उसे बदनाम करने के लिए बेवजह नहीं घसीटा जाना चाहिए.  बहरहाल, संदलवुड ड्रग्स मामले की जांच बेंगलुरु की सेंट्रल क्राइम ब्रांच के अलावा केंद्रीय एजेंसी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय भी कर रहा है. मामले में कुछ और प्रमुख लोगों की गिरफ्तारियां हो सकती हैं. भले ही कितनी भी गिरफ्तारियां हो जाएं, लेकिन पैसे की चकाचौंध और नशे के चरम सुख में नेता अभिनेताओं से जुड़ा नशे का नेक्सस टूट पाना बहुत मुश्किल है.

 

Kerala News : 32 किलो सोने की स्‍मलिंग से जुड़े थे हाईप्रोफाइल लोगों के तार

Kerala News : सोने की तसकरी कोई नई बात नहीं है. अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर प्राय रोज ही सोन पकड़ा जाता है. लेकिन यूएई से केरल के तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर जो 32 किलो सोना पकड़ा गया, उस का मामला इसलिए चिंता का विषय है, क्योंकि सोने की इस तसकरी के तार मंत्रालय और वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों से जुड़े पाए गए. इसी साल जुलाई के पहले सप्ताह की बात है. केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एयर कार्गो से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के वाणिज्य दूतावास के नाम से कुछ बैगों में राजनयिक सामान आया था.

यूएई का वाणिज्य दूतावास तिरुवनंतपुरम शहर के मनाक में स्थित है. सामान क्या शौचालयों में उपयोग होने वाले उपकरण थे, जो खाड़ी देश से आई फ्लाइट से आए थे. विमान से आए बैग उतार कर कार्गो यार्ड में रख दिए गए. इन बैगों को लेने के लिए 2 दिनों तक कोई भी संबंधित व्यक्ति हवाई अड्डे नहीं पहुंचा, तो कस्टम अधिकारियों ने भारतीय विदेश मंत्रालय से इजाजत ले कर 5 जुलाई को बैगों की जांच की. जांच के दौरान एक बैग में छिपा कर रखा गया 30 किलो से ज्यादा सोना मिला. सोने को इस तरह पिघला कर रखा गया था कि वह शौचालय के सामानों में पूरी तरह फिट हो जाए.

भारतीय बाजार में इस सोने की कीमत करीब 15 करोड़ रुपए आंकी गई. यूएई के वाणिज्य दूतावास ने बैग में मिला सोना अपना होने से इनकार कर दिया. इस पर सोने को सीज कर सीमा शुल्क विभाग ने मामले की जांच शुरू की. प्रारंभिक जांच में अधिकारियों को यह मामला सोने की तस्करी से जुड़ा होने का संदेह हुआ. अधिकारियों को शक हुआ कि इस संदिग्ध मामले में राजनयिक को मिलने वाली छूट का दुरुपयोग किया गया है. दरअसल, संयुक्त राष्ट्र के जिनेवा सम्मेलन में लिए गए फैसलों के तहत भारत सरकार की ओर से दूसरे देशों के राजनयिकों को कई तरह की छूट दी गई थीं. इस में उन की और उन के सामान की जांच पड़ताल की छूट भी शामिल है.

जांच शुरू करने के दूसरे दिन 6 जुलाई को कस्टम अधिकारियों ने संयुक्त अरब अमीरात के वाणिज्य दूतावास के एक पूर्व अधिकारी सरित पी.आर. से पूछताछ की. पूछताछ के बाद अधिकारियों को रहस्य की परतों में उलझा और दूसरे देशों से जुड़ा यह मामला काफी बड़ा होने का अंदाजा हो गया. इस मामले में एक महिला अधिकारी पर भी शक जताया गया. सीमा शुल्क अधिकारियों ने दूतावास के पूर्व अधिकारी सरित पी.आर. को गिरफ्तार कर शक के दायरे में आई महिला अधिकारी की तलाश शुरू कर दी. कस्टम अधिकारियों की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ कि सरित पी.आर. ने पहले भी ऐसी कई खेप हासिल की थीं. इस मामले में केरल सरकार की एक महिला अधिकारी स्वप्ना सुरेश भी शामिल थी.

सोने की तस्करी का यह मामला केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की जानकारी तक भी पहुंच गया. मुख्यमंत्री को अपने स्तर पर पता चला कि इस मामले में संदेह के दायरे में आई महिला अधिकारी स्वप्ना के संबंध राज्य के कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों से हैं. मुख्यमंत्री खुद भी उस महिला से परिचित थे. हालांकि बाद में मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस बात से इनकार किया कि सीएम उस महिला को जानते थे. विपक्ष ने उठाई आवाज इस बीच, यह मामला राजनीतिक स्तर पर उछल गया. विपक्षी दल भाजपा और कांग्रेस ने प्रदर्शन करते हुए केरल की वाम लोकतांत्रिक मोर्चा की सरकार को घेरने की कोशिश शुरू कर दी.

केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने 7 जुलाई को प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर मुख्यमंत्री कार्यालय में सोना तसकरी गिरोह के कथित प्रभाव की सीबीआई से जांच कराने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि एक महिला इस रैकेट की कथित सरगना है. यह महिला केरल सरकार के आईटी विभाग के तहत केरल राज्य सूचना प्रौद्योगिकी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड में आपरेशंस मैनेजर के तौर पर 6 जुलाई, 2020 तक कार्यरत थी. संदेह है कि इस तसकरी की मास्टरमाइंड वही है. इस महिला के केरल के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एम. शिवशंकर के साथ घनिष्ठ संबंध हैं. यह महिला कई बार मुख्यमंत्री के महत्वपूर्ण आयोजनों में भी नजर आई थी.

महिला का नाम स्वप्ना सुरेश है. सोना तसकरी रैकेट में स्वप्ना सुरेश का नाम आने पर केरल के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कार्यालय और आईटी सचिव ने स्वप्ना सुरेश का नाम हटाने के लिए अधिकारियों पर दबाव बनाया. शीर्ष स्तर पर संपर्कों के लिए जानी जाने वाली स्वप्ना सुरेश को आईटी सचिव एम. शिवशंकर संरक्षण दे रहे हैं. वे स्वप्ना के आवास पर अक्सर आते जाते हैं. सुरेंद्रन ने स्वप्ना की नियुक्ति की सीबीआई से जांच कराने की भी मांग की. राजनीतिक स्तर पर इस मामले के तूल पकड़ने पर केरल सरकार ने 7 जुलाई को सूचना प्रौद्योगिकी सचिव एम. शिवशंकर को मुख्यमंत्री के सचिव पद से हटा दिया. पद से हटाए जाने के बाद शिवशंकर एक साल की छुट्टी पर चले गए.

दूसरी ओर, सरकार ने स्वप्ना सुरेश को केरल स्टेट आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर से बर्खास्त कर दिया. मुख्यमंत्री कार्यालय ने स्वप्ना से किसी तरह के संबंध होने से इनकार किया. 8 जुलाई को केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने केरल सरकार की ओर से आयोजित स्पेस कौंक्लेव-2020 में पूरा ब्यौरा मीडिया के सामने रखते हुए कहा कि इस कौंक्लेव का प्रबंधन स्वप्ना सुरेश ही संभाल रही थी. स्वप्ना ने ही राज्य सरकार की ओर से गणमान्य लोगों को आमंत्रण पत्र भेजे थे. उन्होंने आरोप लगाया कि इसरो से संबंधित एक संस्था में कार्यक्रम प्रबंधक के रूप में स्वप्ना की नियुक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकती है. सोना तस्करी का यह मामला देशभर में चर्चित हो जाने और इस घटना का राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ने की संभावना को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 9 जुलाई को इस की जांच एनआईए को सौंप दी.

वहीं, भूमिगत हुई स्वप्ना सुरेश ने इस मामले में पहली बार औडियो संदेश जारी कर चुप्पी तोड़ी. उस ने कहा कि इस में मेरी कोई भूमिका नहीं है. मैं ने यूएई के राजनयिक राशिद खमीस के निर्देशों के अनुसार काम किया है. कार्गो परिसर में सामान को जब क्लियर नहीं किया गया, तो राशिद ने मुझे सीमा शुल्क अधिकारियों से संपर्क करने को कहा था. तब तक मुझे पता नहीं था कि यह खेप कहां से आई थी और इस में क्या था? सोना जब्त किए जाने का पता लगने पर राशिद के कहने पर वे बैग वापस भेजने की कोशिश भी की गई थी.

दूसरी ओर, गिरफ्तारी की आशंका से स्वप्ना सुरेश ने 9 जुलाई को केरल हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की. अगले दिन सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने यह याचिका 14 जुलाई तक के लिए टाल दी. एनआईए ने 10 जुलाई को सोने की तस्करी के मामले को आतंकवाद से जोड़ते हुए 4 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया. इस मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत सरित पीआर, स्वप्ना सुरेश, संदीप नैयर के अलावा एर्नाकुलम के फैसल फरीद को आरोपी बनाया गया. इस के दूसरे ही दिन 11 जुलाई को एनआईए ने स्वप्ना सुरेश को हिरासत में ले लिया. इस के अलावा संदीप नैयर को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

दोनों को अगले दिन 12 जुलाई को एनआईए की विशेष अदालत में पेश किया गया. अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया. विशेष अदालत ने एनआईए की अर्जी पर दोनों आरोपियों को 13 जुलाई को 8 दिन के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी की हिरासत में दे दिया. कहानी में आगे बढ़ने से पहले यह जानना जरूरी है कि सोना तसकरी के मामले में केरल में सियासी भूचाल लाने वाली हाई प्रोफाइल महिला स्वप्ना सुरेश है कौन? बहुत ऊंचे तक थी स्वप्ना सुरेश की पहुंच केरल के राजनीतिक गलियारों और ब्यूरोक्रेट्स के बीच अपना प्रभाव रखने वाली स्वप्ना सुरेश का जन्म यूएई के अबूधाबी में हुआ था. अबूधाबी में ही उस ने पढ़ाई की. इस के बाद उसे एयरपोर्ट पर नौकरी मिल गई. स्वप्ना ने शादी भी की, लेकिन जल्दी ही तलाक हो गया था.

इस के बाद वह बेटी के साथ रहने के लिए केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम आ गई. भारत आने के बाद स्वप्ना सुरेश ने तिरुवनंतपुरम में 2011 से 2 साल तक एक ट्रेवल एजेंसी में काम किया. वर्ष 2013 में उसे एयर इंडिया में एसएटीएस में एचआर मैनेजर पद पर नौकरी मिल गई. यह एयर इंडिया और सिंगापुर एयरपोर्ट टर्मिनल सर्विसेज का संयुक्त उद्यम है. साल 2016 में जब केरल पुलिस की क्राइम ब्रांच ने जालसाजी के एक मामले में उस की जांच शुरू की, तो वह अबूधाबी चली गई. फर्राटेदार अंग्रेजी और अरबी भाषा बोलने वाली स्वप्ना सुरेश ने अबूधाबी में यूएई महावाणिज्य दूतावास में नौकरी हासिल कर ली. पिछले साल यानी 2019 में उस ने यह नौकरी छोड़ दी.

कहा यह भी जाता है कि उसे नौकरी से निकाल दिया गया था. बताया जाता है कि एयर इंडिया एसएटीएस और अबूधाबी में यूएई महावाणिज्य दूतावास में काम करते हुए स्वप्ना सुरेश हवाई अड्डों और सीमा शुल्क विभाग के कई अधिकारियों के संपर्क में आ गई थी. उसे राजनयिक खेपों की आपूर्ति और हैंडलिंग के सारे तौरतरीके पता चल गए थे. यूएई के महावाणिज्य दूतावास में की गई नौकरी स्वप्ना सुरेश को जिंदगी के एक नए मोड़ पर ले गई. वहां उस ने बड़ेबड़े लोगों से अपनी जानपहचान बना ली थी. इस दौरान उस के यूएई से केरल आने वाले कई प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व भी किया. अबूधाबी में नौकरी से हटने के बाद वह अपने संपर्कों की गठरी बांध कर वापस केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम आ गई.

यूएई के अपने संपर्कों के बल पर इस बार वह तिरुवनंतपुरम में हाई प्रोफाइल तरीके से सामने आई. उस ने राजनीतिज्ञों और ब्यूरोक्रेट्स से अच्छे संबंध बना लिए. केरल के मुख्यमंत्री के सचिव वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एम. शिवशंकर से उस के गहरे ताल्लुकात बन गए. कहा जाता है कि शिवशंकर उस के घर भी आतेजाते थे. आरोप यह भी है कि शिवशंकर की सिफारिश पर ही स्वप्ना को केरल राज्य सूचना प्रौद्योगिकी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड में अनुबंध पर आपरेशंस मैनेजर की नौकरी मिली थी. स्वप्ना सुरेश केरल के बड़े होटलों में होने वाली पार्टियों में अकसर शामिल होती थी. अरबी समेत कई भाषाएं जानने वाली स्वप्ना केरल आने वाले अरब नेताओं की अगुवाई करने वाली टीम में शामिल रहती थी.

सोने की तस्करी का मामला सामने आने के बाद ऐसे कई वीडियो और फोटो वायरल हुए, जिन में स्वप्ना सुरेश केरल के मुख्यमंत्री, अरब नेताओं और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शिवशंकर के साथ दिखाई दी. एनआईए की हिरासत में भेजे जाने के बाद स्वप्ना सुरेश के बुरे दिन शुरू हो गए. 13 जुलाई को उस के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का मुकदमा दर्ज कर लिया गया. इस मामले में स्वप्ना के साथ 2 कंपनियों प्राइम वाटर हाउस कूपर्स और विजन टेक्नोलोजी को भी आरोपी बनाया गया. आरोप है कि स्वप्ना ने केरल के आईटी विभाग में नौकरी हासिल करने के लिए फर्जी अकादमिक डिग्री का इस्तेमाल किया था.

स्वप्ना के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच करने की जिम्मेदारी कंसल्टिंग एजेंसी प्राइस वाटर हाउस कूपर्स और विजन टैक्नोलोजी पर थी. केरल के आईटी विभाग के अधीन केरल राज्य सूचना प्रौद्योगिकी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की शिकायत पर दर्ज इस मामले में स्वप्ना पर आरोप है कि उस ने महाराष्ट्र के डा. बाबा साहेब आंबेडकर विश्वविद्यालय की बीकौम की फर्जी डिगरी से नौकरी हासिल की थी. मुख्यमंत्री सचिव शिव शंकर की करीबी थी स्वप्ना 14 जुलाई को यह बात काल डिटेल्स से सामने आई कि केरल के मुख्यमंत्री के सचिव पद से हटाए गए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शिवशंकर ने स्वप्ना सुरेश सहित सोने की तसकरी के 2 आरोपियों से फोन पर बातचीत की थी.

उसी दिन कस्टम अधिकारियों की एक टीम ने आईएएस अधिकारी शिवशंकर के घर जा कर उन्हें नोटिस दिया और उन से पूछताछ की. बाद में शिवशंकर उसी दिन शाम को तिरुवनंतपुरम में सीमा शुल्क विभाग के कार्यालय पहुंचे, अधिकारियों ने उन से शाम से रात 2 बजे तक 9 घंटे पूछताछ की. कोच्चि से कस्टम कमिश्नर और अन्य अधिकारियों ने भी वीडियो कौंफ्रेंस के जरीए शिवशंकर से पूछताछ की. रात 2 बजे पूछताछ पूरी होने के बाद कस्टम अधिकारियों ने उन्हें घर ले जा कर छोड़ दिया. पूछताछ में शिवशंकर ने स्वीकार किया कि स्वप्ना सुरेश ने उन के पास काम किया था, और सरित पीआर उन का दोस्त है.

कस्टम अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि आईएएस अधिकारी ने अपने पद का दुरुपयोग कर सोना तस्करी के आरोपियों स्वप्ना सुरेश, संदीप नैयर और सरित पीआर को किसी तरह की मदद तो नहीं पहुंचाई थी. इस बीच, कस्टम अधिकारियों ने एक होटल के एक और 2 जुलाई के सीसीटीवी फुटेज हासिल किए, जहां आईएएस अधिकारी शिवशंकर और आरोपी ठहरे थे. कहा जाता है कि शिवशंकर के एक कर्मचारी ने इस होटल में कमरा बुक कराया था. शिवशंकर पर गंभीर आरोप लगने पर मुख्यमंत्री के निर्देश पर केरल के मुख्य सचिव डा. विश्वास मेहता के नेतृत्व में अधिकारियों के एक पैनल ने जांच शुरू कर दी. सोना तस्करों से कथित रूप से तार जुड़े होने की बातें सामने आने के बाद केरल सरकार ने 16 जुलाई को वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शिवशंकर को निलंबित कर दिया.

इस मामले की जांच चल ही रही थी कि 17 जुलाई को यूएई वाणिज्य दूतावास से जुड़ा केरल पुलिस का एक जवान जयघोष अपने घर से करीब 150 मीटर दूर बेहोशी की हालत में पड़ा मिला. पुलिस ने संदेह जताया कि उस ने कलाई काट कर आत्महत्या करने की कोशिश की थी. पुलिस ने उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया. जयघोष के परिजनों ने इस से एक दिन पहले ही उस के लापता होने की शिकायत थुंबा थाने में दर्ज कराई थी. परिजनों ने कहा था कि अज्ञात लोगों की ओर से धमकी दिए जाने के कारण वह खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा था. इस से पहले जयघोष ने वट्टियोरकावु थाने में अपनी सर्विस पिस्तौल जमा करा दी थी. जयघोष के मोबाइल पर जुलाई के पहले हफ्ते में स्वप्ना सुरेश ने भी फोन किया था.

केरल सोना तस्करी मामले की जांच कर रही एनआईए ने 18 जुलाई को आरोपी फैजल फरीद के खिलाफ इंटरपोल से ब्लू कौर्नर नोटिस जारी करने का अनुरोध किया. इस से पहले कोच्चि की विशेष एनआईए अदालत ने फरीद के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था. एनआईए ने विशेष अदालत को बताया था कि वे वारंट को इंटरपोल को सौंप देंगे, क्योंकि फरीद के दुबई में होने का संदेह है. एनआईए ने दावा किया कि फरीद ने ही संयुक्त अरब अमीरात के दूतावास की फरजी मुहर और फरजी दस्तावेज बनाए थे. एनआईए और कस्टम विभाग की प्रारंभिक जांच में जो तथ्य उभर कर सामने आए, उन के मुताबिक यूएई के वाणिज्य दूतावास के नाम पर सोने की तसकरी करीब एक साल से हो रही थी. इस तसकरी में एक पूरा गिरोह संलिप्त था.

स्वप्ना सुरेश इस गिरोह की मास्टर माइंड थी और गिरोह से दूतावास के कुछ मौजूदा और पूर्व कर्मचारी जुड़े हुए थे. यह गिरोह डिप्लोमैटिक चैनल के जरीए पिछले एक साल में खाड़ी देशों से तस्करी का करीब 300 किलो सोना भारत ला चुका था. तस्करी के सोने की पहली खेप का कंसाइनमेंट डिप्लोमेटिक चैनल के जरीए पिछले साल जुलाई में तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर आया था. इस साल जुलाई के पहले हफ्ते में पकड़े गए सोने सहित 13 खेप लाई गई थीं. सोने की तस्करी के मामले में नाम उछलने पर तिरुवनंतपुरम स्थित यूएई के वाणिज्य दूतावास में तैनात राजनयिक अताशे राशिद खमिस जुलाई के दूसरे हफ्ते में भारत छोड़ कर स्वदेश चले गए.

स्वप्ना सुरेश ने राशिद के इशारे पर ही काम करने की बात कही है. हालांकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और कस्टम विभाग सोना तस्करी मामले की जांच कर रहे हैं. मामले में कुछ और प्रभावशाली लोगों की गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं. लेकिन चिंता की बात यह है कि सोने की तस्करी में राजनयिक चैनल का दुरुपयोग किया जा रहा था. एक खास तथ्य यह भी है कि भारत में सोने की सब से ज्यादा तसकरी केरल में होती है. हालांकि अब जयपुर का एयरपोर्ट भी सोने की तस्करी का एक नया माध्यम बन कर उभर रहा है. जयपुर में जुलाई के ही पहले हफ्ते में 2 फ्लाइटों से लाया गया 32 किलो सोना पकड़ा गया था. इस मामले में 14 यात्रियों को गिरफ्तार किया गया था. सोने की तसकरी में केरल नंबर एक पर है. इस के अलावा मुंबई, दिल्ली, बैंगलुरु और चेन्नई एयरपोर्ट पर सोने की तसकरी के सब से ज्यादा मामले पकड़े जाते हैं.

 

नकली Police बनकर प्रेमी और प्रेमिका ने गांव वालो को ठगा

भगवानदास और ज्योति ने नकली पुलिस बन कर कमाई का रास्ता तो निकाल लिया था, पर वे ये नहीं सोच सके कि नकली और असली का फर्क पता चल ही जाता है. आखिर…

मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर एक गांव है कुम्हड़ी. आदिवासी बहुल इस छोटे से गांव में रहने वाले उम्मेद ठाकुर की 24 वर्षीय बेटी ज्योति की पुलिस में सिपाही की नौकरी लगने की जानकारी से गांव के लोग बहुत खुश थे.  गांव के युवक जब ज्योति को पुलिस की वरदी में देखते तो उन की आंखों में भी पुलिसिया रौब वाली इस नौकरी को पाने के सपने सजने लगते थे. ज्योति के पिता उम्मेद ठाकुर गांव वालों को बताते थे कि उन का दामाद सूरज धुर्वे पुलिस में दरोगा है, उस की पुलिस अधिकारियों से अच्छी जानपहचान है.

इसी जानपहचान की बदौलत उस ने ज्योति की सिपाही के पद पर नौकरी लगवा दी. गांव वाले उम्मेद ठाकुर की ही नहीं बल्कि उस की बेटी ज्योति की भी बहुत तारीफ करते और ज्योति से पुलिस में भरती होने के उपाय पूछते थे. तब ज्योति उन्हें कड़ी मेहनत करने और खूब पढ़ाई करने की सलाह देती थी. पिछले करीब एक महीने से गांव वाले देख रहे थे कि रात के समय उम्मेद ठाकुर के घर रोज पुलिस की नेमप्लेट लगी एक बोलेरो गाड़ी आती थी. सब लोग समझते थे कि उम्मेद ठाकुर की लड़की ज्योति पुलिस में है, ड्यूटी के बाद पुलिस की गाड़ी उसे छोड़ने आती होगी. नीली बत्ती लगी हूटर बजाती हुई वह बोलेरो गाड़ी जब उम्मेद के घर की तरफ आती तो उसे देखने के लिए अन्य लोगों के अलावा पढ़ेलिखे नवयुवक भी आ जाते.

गाड़ी से पुलिस की वरदी पहने एक साधारण कदकाठी और करीब 25 साल के युवक के साथ ज्योति नीचे उतरती तो गांव वाले उन्हें नमस्कार के साथ खूब सम्मान देते थे. पुलिस की वरदी पहने युवक के कंधे पर 2 स्टार लगे थे. सामने शर्ट की जेब के ऊपर लगी नेमप्लेट पर उस का नाम सूरज कुमार धुर्वे एसआई लिखा हुआ था. पुलिस बेल्ट में रिवौल्वर और सिर पर पुलिस कैप लगी रहती. गांव में बारबार आने वाले पुलिस दरोगा सूरज धुर्वे गांव के लोगों को पुलिसिया धौंस के साथ यह प्रलोभन भी देने लगे थे कि कुछ पैसे खर्च करो तो हम आप के बेटेबेटियों की पुलिस में भरती करवा देंगे. वह यह भी बताता कि उस की पुलिस मुख्यालय (भोपाल) में ऊंची पहुंच है, जिस के बूते पर उस ने ज्योति को पुलिस में भरती करा दिया है.

इसी साल के जुलाई महीने में यह गाड़ी ग्रामीण इलाकों में कुछ ज्यादा ही घूमने लगी थी. दरोगा सूरज धुर्वे गांव के कुछ युवाओं से पुलिस में नौकरी लगवाने के नाम पर खुलेआम पैसों की मांग करता था. एक दिन तो दरोगा सूरज एक मामले में ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक का वारंट ले कर आया. उस के साथ ज्योति भी थी. इन दोनों ने रोजगार सहायक से 10 हजार रुपए ऐंठ लिए. आए दिन ये लोग क्षेत्र की किसी भी सड़क पर वाहन चैकिंग करने लगते. फिर गाड़ी के कागजों में कोई कमी निकाल कर या हेलमेट न पहनने के नाम पर वसूली करते थे. इस से लोगों में इन के प्रति नाराजगी भी दिखने लगी थी. पुलिस के इन दोनों कर्मचारियों की गतिविधियों की चर्चा जिला मुख्यालय नरसिंहपुर में भी होने लगी थी. इस के बाद तो लोग इन की कदकाठी और गतिविधियों को ले कर शंकित भी रहने लगे थे.

जब कुछ ग्रामीणों को इन की गतिविधियों पर शक हुआ तो कुम्हड़ी गांव के ही कालूराम मल्लाह और गंजन लोधी ने इस की सूचना थानाप्रभारी आर.के. गौतम को दी. थानाप्रभारी ने जब अपने स्तर से दरोगा सूरज धुर्वे और आरक्षक ज्योति की जांच की तो चौंकाने वाली जानकारी हाथ लगी. पता चला कि इस जिले में इस नाम का व्यक्ति पुलिस महकमे में पदस्थ नहीं है. थानाप्रभारी ने पुलिस अधीक्षक डी.एस. भदौरिया और एसडीपीओ राकेश पेंड्रो को इस मामले की सूचना दे दी. इस के बाद एसपी डी.एस. भदौरिया ने उन तथाकथित पुलिस वालों को गिरफ्तार करने के लिए एसडीपीओ के नेतृत्व में पुलिस टीम बनाई. टीम ने मुखबिरों को बता दिया कि जैसे ही सूरज धुर्वे और ज्योति पुलिस वरदी में दिखे, उन्हें सूचित कर दें.

19 जुलाई, 2018 की शाम को जैसे ही सूरज धुर्वे और ज्योति हूटर बजाती हुई गाड़ी में कुम्हड़ी गांव पहुंचे तो मुखबिर ने थानाप्रभारी आर.के. गौतम को इत्तला दे दी. सूचना मिलते ही पुलिस टीम कुम्हड़ी गांव पहुंच गई. टीम ने ग्रामीणों को ठगी का शिकार बना रहे तथाकथित दरोगा सूरज कुमार धुर्वे, आरक्षक ज्योति ठाकुर और वाहन चालक बृजेश मेहरा को धर दबोचा. पुलिस ने इन के पास से पुलिस को नकली आईडी कार्ड, एमपी49 टी1054 नंबर की बोलेरो गाड़ी जब्त की, जिस में हूटर और वायरलैस सेट लगा था. ग्रामीणों ने फिल्मों में नकली पुलिस की भूमिका निभाते ऐसे कई किरदार देखे थे परंतु नरसिंहपुर जिले में असल जिंदगी में भी नकली पुलिस बन कर ठगी करने वाला यह मामला पहली बार सामने आया था.

जिले के आला पुलिस अफसरों को जब इस की जानकारी मिली तो उन के होश उड़ गए. आरोपियों को पुलिस अभिरक्षा में ले कर की गई पूछताछ में पुलिस को जो जानकारी मिली, वह काफी चौंकाने वाली थी. प्रैसवार्ता का आयोजन कर एसडीपीओ आर.के. पेंड्रो ने बताया कि मूलरूप से सिंगरौली जिले के देवसर गांव का रहने वाला युवक भगवान दास, एसआई सूरज धुर्वे बन कर घूम रहा था. उस ने पुलिस का फरजी आईकार्ड भी बना रखा था. वहीं उस के साथ रह रही कुम्हड़ी गांव के उम्मेद ठाकुर की बेटी ज्योति ठाकुर फरजी महिला आरक्षी बन कर घूमती थी. दोनों करीब 7 महीने पहले जबलपुर रेलवे स्टेशन पर पहली बार एकदूसरे से मिले थे.

पहली ही मुलाकात में दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ गई थीं. महज नौवीं कक्षा तक पढ़े ये दोनों युवकयुवती प्यार की दुनिया में खो कर सुनहरे सपने तो सजा रहे थे लेकिन इन के बीच बेरोजगारी दीवार बन कर खड़ी थी. पैसों की तंगी से परेशान दोनों ने पैसा कमाने के लिए नकली पुलिस बनने की योजना बनाई थी.

पुलिस की वरदी इन्होंने जबलपुर के किसी टेलर से तैयार कराई थी. पुलिस वरदी में उपयोग होने वाली नेमप्लेट, स्टार, नकली रिवौल्वर, हूटर भी जबलपुर से खरीदे थे. आरोपी भगवानदास उर्फ सूरज कुमार खुद को डीजी पुलिस का करीबी बता कर लोगों से काम कराने के नाम पर वसूली करता था. वह और ज्योति पतिपत्नी के रूप में रह रहे थे. दोनों ने गांव नंदवारा निवासी राजेश की उक्त नंबर की बोलेरो जीप 22 हजार महीना किराए पर ले रखी थी. उस कार को उन्होंने पुलिस वाहन की तरह तैयार करवा लिया था, जिस में 2 जगह अंगरेजी में पुलिस लिखा हुआ था. इस वाहन में पुलिस वाहन की तरह ही एंप्लीफायर व हूटर भी लगे हुए थे. इसे राजेश का चचेरा भाई 32 वर्षीय ब्रजेश चलाता था.

ब्रजेश मेहरा का कहना था कि वह तो केवल ड्राइवर की नौकरी कर रहा था. उसे यह नहीं पता था कि ये नकली पुलिस वाले हैं. ये लोग जिस जगह के लिए गाड़ी ले कर चलने को कहते थे, वह चल देता था. फिल्म बंटी बबली की तर्ज पर सामने आए इस मामले ने क्षेत्र में गहमागहमी बढ़ा दी थी. जिले में नकली पुलिस के पकड़े जाने की घटना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई थी. बहरहाल, पुलिस ने ज्योति ठाकुर, भगवानदास उर्फ सूरज धुर्वे और बोलेरो चालक ब्रजेश मेहरा के खिलाफ भादंवि की धारा 419, 420, 471 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर के उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर और जनचर्चा पर आधारित