Superstition : महिलाओं को गाेद में बिठाकर रानी बनाने वाले बाबा का हुआ पर्दाफाश

Superstition : तंत्रमंत्र के नाम पर तमाम लोग ठगे जाते हैं, जिन्हें ठगे जाने का अहसास बाद में होता है. लेकिन निर्मला रघुवंशी तो ऐसी मूढ़मति निकली कि अपना मकान तक बेच कर बाबा की भेंट चढ़ा दिया. उस की आंखें तब खुलीं जब बाबा की निगाह बेटी पर जमने लगी. आखिर…

मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के थाना एमआईजी के थानाप्रभारी तहजीब काजी 15 जुलाई, 2018 को अपने कार्यालय में बैठे डीआईजी हरिनारायण चारी द्वारा आदेशित एक महिला के शिकायती पत्र को पढ़ रहे थे. निर्मला रघुवंशी नाम की उस महिला ने डीआईजी के सामने पेश हो कर तांत्रिक (Superstition) जगदीश पालनपुरे द्वारा शारीरिक शोषण किए जाने और लाखों रुपए ठगने की बात बताई थी. डीआईजी ने उस का प्रार्थना पत्र उचित काररवाई के लिए थानाप्रभारी तहजीब काजी के पास भेज कर इस मामले में आरोपी तांत्रिक के खिलाफ काररवाई करने के आदेश दिए थे. प्रार्थना पत्र पढ़ने के बाद थानाप्रभारी ने निर्मला रघुवंशी से फोन पर बात की और अगले दिन उसे थाने बुला लिया.

निर्मला रघुवंशी निर्धारित समय पर एमआईजी थाने पहुंच गई. उस ने थानाप्रभारी को आपबीती सुनाई. उस से बात कर के तहजीब काजी समझ गए कि जगदीश पालनपुरे ने तंत्रमंत्र के नाम पर निर्मला की न केवल इज्जत लूटी, बल्कि पैसे हड़पने के लिए उसे अपना मकान भी बेचने के लिए मजबूर किया और फिर उस का सारा पैसा हड़प गया. उन्होंने निर्मला रघुवंशी को महिला कांस्टेबल के साथ मैडिकल जांच के लिए अस्पताल भेज दिया.

इस के बाद पुलिस ने निर्मला की रिपोर्ट पर जगदीश पालनपुरे के खिलाफ बलात्कार और धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया. रिपोर्ट दर्ज होने की भनक मिलने पर जगदीश कानून की गिरफ्त से बचने के लिए कहीं दूर भाग सकता था. यह बात ध्यान में रख कर थानाप्रभारी ने उसी समय जांच की जिम्मेदारी एसआई नितिन पटेल को सौंप कर एक पुलिस टीम जगदीश की तलाश में महेश्वर रवाना कर दी. आरोपी जगदीश घर पर ही मिल गया. पुलिस उसे हिरासत में ले कर थाने लौट आई. खुद को पहुंचा हुआ तांत्रिक समझने वाले जगदीश को यह उम्मीद नहीं थी कि पुलिस उस पर हाथ डाल सकती है. उस ने पहले तो थानाप्रभारी तहजीब काजी पर अपने तांत्रिक होने और मक्का सरकार का शागिर्द होने का रुआब दिखाने की कोशिश की.

इस के बाद उस ने तंत्रमंत्र (Superstition) की ताकत भी दिखानी चाही, लेकिन जब थानाप्रभारी ने उसे कानून की थोड़ी सी झलक दिखाई तो वह शांत हो गया. इस के बाद उस ने बिना किसी लागलपेट के अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. आवारागर्द बन गया तांत्रिक पुलिस ने उसे अदालत में पेश कर के उस 2 दिन की रिमांड पर ले लिया और महेश्वर स्थित उस के घर की तलाशी ली. उस के घर से बड़ी मात्रा में तंत्रमंत्र में उपयोग होने वाली सामग्री और कई अचल संपत्तियों के कागजात मिले, जो पुलिस ने कब्जे में ले लिए. जैसे ही लोगों के कानों तक जगदीश की गिरफ्तारी की खबर पहुंची तो उस के द्वारा ठगे गए कुछ और लोग थाने पहुंच कर उस की काली करतूतों का पिटारा खोलने लगे, जिस से इस कामुक और शातिर तथाकथित तांत्रिक की कहानी कुछ इस तरह पता चली.

इंदौर के गांव महेश्वर में पैदा हुआ जगदीश पालनपुरे बचपन से ही शातिरदिमाग था. पढ़ाई में उस का मन लगता नहीं था, सो दिन भर घर के पास बनी एक मजार पर बैठ कर आवारागर्दी करता रहता था. मजार का खादिम झाड़फूंक के नाम पर न केवल लोगों को ठगा करता था, बल्कि अपनी शरण में आई युवतियों को बुरी नीयत से छू कर उन का इलाज करने का ढोंग भी करता था. मजार का खादिम जगदीश को जिन्नात की कहानियां सुनाता रहता था. खादिम के साथ रह कर जगदीश यह बात अच्छी तरह समझ गया था कि तंत्रमंत्र और झाड़फूंक के नाम पर लोगों को आसानी से न केवल बेवकूफ बनाया जा सकता है, बल्कि मोटी कमाई भी की जा सकती है. कमाई के अलावा इस काम में खूब मौजमस्ती भी करने को मिलती है.

इस के बाद उस ने लोगों में यह अफवाह फैला दी कि उसे मक्का सरकार की सवारी आती है. लोगों ने उस की इस बात पर भरोसा करना शुरू कर दिया तो उस ने धीरेधीरे लोगों के मन में यह बात बैठा दी कि वह जिन्नात का बादशाह है. उस के कब्जे में 3 हजार जिन्नात हैं, जो उस की आज्ञा पर किसी को भी पलभर में रंक से राजा बना सकते हैं. सीधेसादे लोग अमूमन ऐसी बातों पर आसानी से भरोसा कर लेते हैं. इस का नतीजा यह हुआ कि जगदीश की आसपास के इलाके में एक तांत्रिक के रूप में पहचान हो गई और महेश्वर में उस की अच्छीखासी दुकान जम गई. लेकिन जगदीश इस से खुश नहीं था.

वह चाहता था कि उस के हजारों मुरीद हों, जो उस के एक इशारे पर सब कुछ लुटाने को तैयार हो जाएं. परेशानी यह थी कि वह जिस छोटे से कस्बे में रहता था, वहां उस के भक्तों की संख्या सीमित थी. वह अपनी दुकानदारी और बढ़ाना चाहता था, इसलिए उस ने इंदौर में अपनी गद्दी जमाने का विचार बनाया. इंदौर के नेहरू नगर में संतोष महाराज नाम का उस का एक खास चेला रहता था. संतोष से बात करने के बाद जगदीश ने संतोष महाराज के घर पर अपनी गद्दी लगा दी. यहां आ कर उस ने अखबारों में बड़ेबड़े विज्ञापन दे कर हर समस्या को हल करने की गारंटी दी तो जल्द ही इंदौर में संतोष महाराज के घर उस के चाहने वालों की भीड़ लगनी शुरू हो गई.

निर्मला रघुवंशी पर बाबा हुआ लट्टू नेहरू नगर में संतोष महाराज के घर के सामने निर्मला रघुवंशी अपने पति और 5 साल की बेटी के साथ रहती थी. निर्मला रघुवंशी का पति रमेश थोड़ा मंदबुद्धि था. वह लोगों के घरों में काम कर के किसी तरह परिवार का गुजारा कर रही थी. निर्मला रघुवंशी भले ही सांवली थी, लेकिन उस के नैननक्श और शरीर आकर्षक था. अपने काम से काम रखने वाली निर्मला को तांत्रिक जगदीश के बारे में उस रोज पता चला जब एक रात उस के पति ने उसे बताया कि तांत्रिक जगदीश ने तुम्हारी किस्मत में राजयोग बताया है. कह रहे थे कि तुम्हारी पत्नी लोगों के घरों में काम करने के लिए पैदा नहीं हुई. वह रानी है उस के तो चारों तरफ दासदासियों की भीड़ लगी होनी चाहिए.

निर्मला ने पति से पूछा तो रमेश ने बताया कि जगदीश तांत्रिक संतोष महाराज के यहां आते हैं और बहुत पहुंचे हुए हैं. हजारों जिन्नात उन के गुलाम हैं. वह अपने मुंह से 1000 और 500 के नोट निकाल कर यूं ही लोगों को बांट देते हैं.

‘‘तो 2-4 हजार रुपए तुम ही ले आते. कुछ तो काम चलता.’’ वह बोली.

‘‘अरे तू 2-4 हजार की बात कर रही है, वो तो कह रहे थे कि तेरी पत्नी 2 जहान की मलिका है, बस उस का सोया भाग्य जगाना पड़ेगा. फिर देखना धनवैभव उस के कदमों में पड़ा रहेगा.’’ रमेश बोला. रात भर निर्मला के दिमाग में पति द्वारा बताई गई बात घूमती रही. मन कहता कि बाबा सही कहता है, मैं रानी जैसी ही सुंदर तो हूं. जबकि मन यह भी कहता कि यह सब झूठ है. वह नौकरानी है और नौकरीचाकरी करतेकरते ही मर जाएगी. लेकिन रमेश और निर्मला रघुवंशी की सोच से अलग सच्चाई कुछ और ही थी. कुछ दिन पहले आतेजाते तांत्रिक जगदीश की नजर निर्मला रघुवंशी पर पड़ गई थी. उसे देख कर जगदीश का मन डोल गया था.

तांत्रिक क्रिया के बहाने वह कई स्त्रियों के संग संबंध बना चुका था. लेकिन उन सब की सुंदरता को एक साथ जोड़ देता तो भी वे अकेली निर्मला की सुंदरता का मुकाबला नहीं कर सकती थीं, इसलिए वह निर्मला रघुवंशी को पाने के उपाय सोचने लगा था. निर्मला गरीबी में जीवन बिता रही थी. पति भी बेहद ही सीधा था, सो बाबा ने पति को निशाना बना कर निर्मला रघुवंशी पर तीर चलाने के लिए यह पूरी कहानी रची थी. सीधासादा रमेश उस की कहानी में फंस गया था. उस ने जगदीश की बात पर भरोसा कर लिया. इतना ही नहीं, वह पत्नी पर बारबार बाबा के पास जा कर मिलने का दबाव बनाने लगा. जब पति ने ज्यादा ही जबरदस्ती की तो निर्मला एक दिन शाम के समय तांत्रिक जगदीश पालनपुरे के दरबार में पहुंच गई.

निर्मला फंस गई जाल में बाबा तो पहले से ही निर्मला रघुवंशी के आने का इंतजार कर रहा था, इसलिए उसे आया देख बाबा खुश हो गया. उस ने पहले तो जानबूझ कर निर्मला रघुवंशी को नजरअंदाज किया. उस के बाद जब कुछ अंधेरा घिर आया, तब उस ने निर्मला को अपने सामने बैठा कर उस की किस्मत में लिखे राजयोग के बारे में बताया. कुछ देर बाद जब निर्मला वहां से उठ कर जाने लगी तो जगदीश बाबा ने अंधेरे का फायदा उठा कर हाथ की सफाई से अपने मुंह से 5-5 सौ के 4 नए नोट निकाल कर उस के हाथ पर रखते हुए कहा, ‘‘जा, जिन्न तुझ पर प्रसन्न है. यह प्रसाद लेती जा.’’

इस करिश्मे से निर्मला की आंखें फटी रह गईं. बाबा के मुंह से नोटों की बरसात होते देख वह उस के चरणों में गिर गई तो जगदीश काफी देर तक उस की पीठ पर हाथ फेरता रहा. फिर उस ने निर्मला को बाद में आने को कह कर घर भेज दिया. निर्मला पहले ऐसे बाबाओं पर भरोसा नहीं करती थी, पर वह जगदीश बाबा की मुरीद हो गई. बाबा ने उसे अपनी लच्छेदार बातों की जो घुट्टी पिलाई थी, उस की एक खुराक से  वह खुद को रानी समझने लगी थी. वैसे भी गरीब को पैसे का लालच कम नहीं होता. बाबा के गुलाम जिन्न ने उसे 2 हजार रुपए दिए थे, जो उस जैसी गरीब औरत के लिए 50 हजार के बराबर हैसियत रखते थे. उस दिन के बाद वह अकसर जगदीश बाबा की चौकी पर जाने लगी, जहां बाबा उस से ढेर सारी बातें करता और विदा होते समय मुंह से कभी 1000 तो कभी 500 रुपए की बरसात कर के उस के हाथ पर रख देता था.

पति रमेश तो पहले से ही बाबा का भक्त था. निर्मला भी उस की मुरीद हो गई. उस के घर में जगदीश बाबा के नाम की माला जपी जाने लगी. दूसरी ओर जब जगदीश बाबा ने देखा कि निर्मला रघुवंशी उस के कब्जे में आ चुकी है तो उस ने एक दिन निर्मला से कहा, ‘‘तुम रानी हो. 2 जहान की मलिका चल कर मेरे पास आए, यह शोभा नहीं देता. इसलिए आगे से मैं खुद ही तुम्हारे घर आ जाया करूंगा.’’

यह सुन कर निर्मला गर्व से फूली नहीं समाई. उसे सब से बड़ी खुशी तो इस बात की थी कि बाबा के कदम उस के घर पर पड़ेंगे. इसलिए वह घर की साफसफाई कर के बाबा के आने का इंतजार करने लगी. निर्मला के घर को बना लिया अड्डा 4 दिन बाद बाबा उस के घर आया. फिर वह अकसर आने लगा और फिर एक समय ऐसा भी आया कि उस ने संतोष का घर छोड़ कर निर्मला के घर में ही अपनी गद्दी जमा ली. इस के बाद उस के दूसरे भक्त भी बाबा से मिलने निर्मला रघुवंशी के घर आने लगे. यहां बाबा जिस बिस्तर पर सोता था, सुबह उस के तकिए के नीचे कभी 1000 का तो कभी 500 का नोट रखा मिलता था.

निर्मला इस के बारे में बाबा से पूछती तो वह कहता कोई जिन्न रख गया होगा, तू रख ले. बाबा ने उसे बताया कि उसे मक्का सरकार की सवारी आती है. तमाम जिन्नात उस के गुलाम हैं, जिन की मदद से वह उसे 2 जहान की मलिका बना देगा. बाबा के पास दूसरे शहरों से भी कुछ भक्त आते थे. उन सब के सामने बाबा करोड़ों रुपए की बातें करता था. निर्मला को अपनी संपत्ति के कागजात भी दिखाता था. इस तरह कुछ ही महीनों में बाबा ने निर्मला रघुवंशी और उस के पति को पूरी तरह अपने प्रभाव में ले लिया था.

एक दिन बाबा ने अचानक निर्मला से 16 लाख रुपए की मांग की. उस ने कहा कि हालफिलहाल वह उसे 16 लाख रुपए दे दे, यह कर्ज वह जल्द ही उसे 2 जहान की मलिका बना कर उतार देगा. निर्मला रघुवंशी बाबा पर आंख बंद कर के भरोसा करने लगी थी, इसलिए उस ने अपने जेवर बेच कर बाबा को 80 हजार रुपए दे दिए. लेकिन इतने पर भी बात नहीं बनी तो निर्मला ने साढ़े 13 लाख में अपना मकान बेच कर सारा पैसा बाबा को दे दिया और खुद किराए के मकान में रहने लगी.  2 जहान की रानी बनने जा रही निर्मला रघुवंशी अब खुद के मकान से निकल कर किराए के मकान में आ गई थी. लेकिन बाबा के ऊपर न तो उस का भरोसा कम हुआ था और न उस के पति का.

जब निर्मला किराए के मकान में रहने लगी तो बाबा भी उस के इसी मकान में चौकी लगाने लगा. इस तरह बाबा ने साल भर में ही निर्मला का सारा धन लूट लिया था. निर्मला के पास अब ऐसा कुछ नहीं बचा था, जिसे बेच कर वह बाबा की तिजोरी भर देती. यह बात जगदीश भी जानता था, इसलिए अब उस ने अपना पूरा ध्यान निर्मला का तन लूटने पर लगा दिया, जिस के लिए वह साल भर से अपने मन में खयाली पुलाव पका रहा था. जब कुछ नहीं बचा तो पूजा के बहाने किया रेप निर्मला ने पुलिस को बताया,

‘‘4 साल पहले रात के समय बाबा ने मेरे घर में एक पूजा की, जिस के बाद मंत्र पढ़ कर एक पुडि़या में कुछ बांध कर मेरे पति को दिया और उस पुडि़या को उसी समय शिप्रा नदी में विसर्जित करने को कहा. आधी रात हो चुकी थी, पति कुछ सकुचाया तो बाबा ने कहा कि डरो मत, मेरे दूसरे चेले भी तुम्हारे साथ जाएंगे. बाद में बाबा के चेले मेरे पति को ले कर चले गए.

‘‘आधी रात हो चुकी थी. घर पर मैं और बाबा (Superstition) ही थे. बेटी दूसरे कमरे में सो रही थी. बाबा ने फिर पूजा करने का ढोंग किया और मुझे चंदन घुले पानी से नहलाने के बाद बोला रानी यहां आओ, मेरी गोद में बैठ जाओ. आज से 2 जहान की मल्लिका बनने की तुम्हारी यात्रा शुरू हो रही है. आज तुम बाबा की गोद में बैठो, फिर जल्द ही तुम रानी बन कर राजगद्दी पर बैठोगी.

‘‘मैं सकुचाई, लेकिन उस के कहने पर उस की गोद में बैठ गई. जिस के बाद वह धीरेधीरे अपने हाथों की हरकतें बढ़ाते हुए मेरे कपड़े खोलने लगा. मैं ने ऐसा करने से मना किया तो उस ने कहा कि यह तो जिन्न सरकार की इच्छा है.

‘‘रानी बनने से पहले वह तुम्हारा शरीर शुद्ध करेंगे. ऐसा करने से पाप नहीं लगेगा, बल्कि तुम्हारी किस्मत का बंद दरवाजा खुल जाएगा. मैं बाबा का विरोध भी कर रही थी, मगर उस की इच्छा पूरी न करने पर जिन्न के नाराज हो जाने का भी डर सता रहा था.

‘‘सुबह 4 बजे जब पति लौट कर घर आया, तब तक बाबा मेरे साथ कई बार रेप कर चुका था. इस के बाद तो यह रोज का काम हो गया. बाबा पूजा करता, फिर पूजा के बहाने पति को बाहर भेजने के बाद अपनी हसरतें पूरी करता.’’

निर्मला रघुवंशी ने बताया कि इस दौरान बाबा यही कहता था कि संबंध तो उस के अंदर आया जिन्न बनाता है, इसलिए जिन्न की मरजी पूरी करने के लिए वह उस के साथ तरहतरह से अप्राकृतिक मैथुन करता. वह पिछले 4 साल से जगदीश बाबा के पाप को अपने शरीर पर ढो रही थी. अब निर्मला को बाबा की बातों की चाल समझ आने में लगी थी. लेकिन वह अपना सब कुछ गंवा चुकी थी. उस के पास खोने के लिए कुछ और नहीं था. फिर भी वह कभीकभी सोचती थी कि शायद कोई चमत्कार हो जाए. बेटी पर निगाह जमी तो खुलीं आंखें बाबा की लूट अभी पूरी नहीं हुई थी. निर्मला की बेटी जो अपनी मां की तरह ही खूबसूरत थी, 10 साल की हो चुकी थी, इसलिए बाबा की नजर अब बेटी पर जम चुकी थी. यह बात निर्मला को तब समझ में आई, जब उस ने एक दिन बाबा को अपनी बेटी की पीठ पर बेशरमी से हाथ फेरते देख लिया.

उस ने बाबा की इस हरकत का विरोध किया तो जगदीश बेशरमी से बोला, ‘‘अरे तुम तो नाहक परेशान हो. तुम रानी बनोगी तो आखिर इसे भी तो राजकुमारी बनना पड़ेगा न. जिन्न के साथ सोने से तुम्हारी बेटी भी पवित्र हो जाएगी.’’

बस यहीं से बाबा जगदीश पालनपुरे के बुरे दिन शुरू हो गए. क्योंकि निर्मला किसी भी कीमत पर अपनी बेटी की इज्जत खराब नहीं करवाना चाहती थी. इन 5 सालों में उसे इतना तो समझ आ ही गया था कि बाबा केवल बातों का बाबा है. निर्मला को यह भी जानकारी मिल चुकी थी कि बाबा कई दूसरी औरतों के साथ भी ऐसा कर चुका है. इसलिए अपनी बेटी को बचाने के लिए उस ने बाबा से दूरी बनाने की कोशिश की. अपने पति को भी इस बारे में बताया, लेकिन पति ने ध्यान नहीं दिया तो निर्मला खुद ही पुलिस के पास पहुंच गई. जिस के बाद एमआईजी थानाप्रभारी तहजीब काजी ने 24 घंटे के अंदर ही इस बलात्कारी तांत्रिक को गिरफ्तार कर लिया.

तथाकथित तांत्रिक जगदीश पालनपुरे को फिर से न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.