गोलू चिढ़ गया. उस ने जेब में से पर्स निकाला और एक हजार रुपए निकाल कर परशुराम के ऊपर फेंकते हुए कहा, ‘‘ले तेरी शराब के पैसे. मैं आज के बाद यहां नहीं आऊंगा.’’
“मत आ, तुझ से मेरी कौन सी दालरोटी चल रही है. अपना कमाता हूं, अपना खाता हूं.’’
“अब तू न कमाएगा, न खाएगा. मैं तुझे दानेदाने को मोहताज कर दूंगा.’’ गोलू गुस्से से चीखा.
“तू मुझे मोहताज करेगा?’’ परशुराम चिल्लाया और गोलू पर झपट पड़ा. थोड़ी देर में दोनों गुत्थमगुत्था हो गए. यदि वहां मौजूद लोगों ने बीचबचाव न किया होता तो एकदूसरे का लहूलुहान होना लाजिमी था. गोलू गुस्से में पांव पटकता हुआ वहां से चला गया. इस के बाद वह महफिल नहीं जमी. माहौल गरम हो गया था, सभी वहां से चले गए.
उस दिन के बाद गोलू और परशुराम की बोलचाल बंद हो गई. गोलू परशुराम से खार खाने लगा था, वह मौके की ताक में था. यदि परशुराम कोई गलती करे तो वह उस से बदला ले सके. यह मौका गोलू को मिला, तब जब शराब का आदी बन गया परशुराम नशे में डूब कर कामधंधे से मुंह मोड़ कर इधरउधर पड़ा रहने लगा. वह कंपनी में कई दिनों तक काम पर नहीं गया तो गोलू ने उस के खिलाफ सुपरवाइजर को भडक़ाना शुरू कर दिया. इस का नतीजा यह निकला कि परशुराम को काम से निकाल दिया गया.
कंपनी से भी मिली खास जानकारी…
एसआई बनवारी लाल ने एसएचओ को अभी तक की गई परशुराम हत्या केस की रिपोर्ट दे दी थी. परशुराम की हत्या किस ने की और क्यों की? अभी तक यह मालूम नहीं हो सका था. एसएचओ ने अपनी जांच की शुरुआत श्री गोपीनाथ फास्टनर कंपनी से की. एसएचओ बाला शंकर मणि उपाध्यायाय अपने साथ एएसआई सुंदर, हैडकांस्टेबल सीताराम, विनोद, सुरेंद्र और कांस्टेबल अनूप को ले कर श्री गोपीनाथ फास्टनर कंपनी में पहुंच गए. वहां वह गोपीनाथ से मिले. उन्होंने उन से परशुराम की हत्या हो जाने की बात बता कर पूछा कि परशुराम क्या हत्या वाले दिन काम पर आया था?
गोपीनाथ ने चौंकते हुए कहा, ‘‘सर, आप से ही मुझे मालूम चल रहा है कि परशुराम की हत्या हो गई है. जबकि परशुराम को मैं ने अपनी कंपनी से 22 अगस्त को ही पूरा हिसाब कर के काम से निकाल दिया था.’’
“क्यों?’’ एसएचओ ने हैरानी से पूछा.
“सर, परशुराम हमारे यहां हेल्पर का काम करता था. पिछली 27 जुलाई, 2022 से वह मैनेजर को बिना बताए, बिना सूचना दिए अपनी ड्ïयूटी से गैरहाजिर था. उसे पहले भी इस संबंध में हिदायत दी गई थी और उसे 16 अगस्त, 2022 को एक लिखित पत्र दिया गया था कि पत्र मिलने के बाद अगर तुम 48 घंटे में काम पर नहीं आए तो तुम्हारे ऊपर अनुशासनात्मक कानूनी काररवाई की जाएगी और नौकरी से भी निकाल दिया जाएगा.
“यह पत्र मिलने के बाद भी परशुराम काम पर नहीं आया तो मैं ने 22 अगस्त को उस का पूरा हिसाब 1,01,995 रुपए का कर के ये रुपए उस के यूनियन बैंक एकाउंट में ट्रांसफर कर दिए. यह बैंक टिकरी कलां बौर्डर पर स्थित है.’’
“उस का एकाउंट नंबर आप के पास था?’’ एसएचओ ने पूछा.
“जी हां, हम अपने सभी वर्कर्स का एकाउंट नंबर अपने पास रखते हैं, ताकि ऐसी परिस्थितियों में उन का हिसाब बैंक द्वारा कर दिया जाए.’’
“मुझे परशुराम का वह एकाउंट नंबर नोट करवाइए. मैं देखना चाहूंगा कि कहीं इन्हीं रुपयों के लिए तो उस की हत्या नहीं कर दी गई.’’ गोपीनाथ ने परशुराम का एकाउंट नंबर एसएचओ को लिख कर दे दिया.
एसएचओ वहां से लौट कर थाने पहुंचे तो परशुराम के पिता बिहारीलाल और बेटा मुकेश कुमार थाने में मिले. एसआई बनवारी लाल दोनों को सब्जीमंडी की मोर्चरी में ले कर गए. दोनों को परशुराम की लाश दिखाई गई तो उन्होंने उस की पहचान कर दी. इस के बाद परशुराम की लाश पोस्टमार्टम के लिए डाक्टर को सौंप दी गई. पोस्टमार्टम होने के बाद परशुराम की लाश को उस के पिता बिहारीलाल व बेटे मुकेश के हवाले कर दिया गया ताकि वे उस का अंतिम संस्कार कर सकें.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुई हत्या की पुष्टि…
पोस्टमार्टम में परशुराम की मौत का कारण गला दबाना, उस के सिर में मारी गई चोट को दर्शाया गया. साक्ष्य के तौर पर परशुराम का विसरा, ब्लड सैंपल, उस के हाथों के नाखून, उस के पहने हुए कपड़े को सीलमोहर कर के पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया था. एसएचओ बाला शंकर मणि उपाध्याय ने परशुराम के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस से पता चला कि उस के द्वारा 840934xxxx पर 24 जुलाई, 2022 को आखिरी काल की गई थी. यह नंबर मिला कर बात की गई तो किसी सूरज कुमार ने काल अटेंड कर के अपना नाम पता बताया. थानाप्रभारी ने उसे थाने में आने का आदेश दे दिया. सूरज कुमार थाने में आ गया.
“तुम परशुराम सिंह को पहचानते हो?’’ एसएचओ ने सूरज कुमार के चेहरे पर नजरें जमा कर पूछा.
“जी हां, मैं उन्हें अंकल कहता हूं.’’
“उन के फोन से तुम्हें 24 जुलाई को शाम को काल की गई थी. परशुराम ने तुम्हें क्यों काल की थी?’’
“सर, उन्होंने मुझ से पूछा था कि मैं क्या कर रहा हूं तो मैं ने बताया था कि क्रिकेट खेलने जा रहा हूं. उन्होंने मुझे आ कर मिलने को कहा तो मैं मिलने चला गया. उन के साथ 2 लडक़े थे. अंकल ने मुझे शराब, पानी और गिलास लाने के लिए 500 रुपए दिए. मैं 4 गिलास, पानी और शराब ले कर आया तो हम ने रेलवे लाइन पर बैठ कर शराब पी. इस के बाद अंकल उन लडक़ों के साथ कोडिय़ा कालोनी मच्छी मार्किट की तरफ चले गए. फिर रात को करीब 8 बजे फिर अंकल की काल आई तो मैं ने काल रिसीव की. उन्होंने कहा कि काल गलती से लग गई है. मैं फिर अपने पिता, भाई के साथ खाना खा कर सो गया.’’
“परशुराम यानी तुम्हारे अंकल की किसी ने हत्या कर दी है, क्या यह बात तुम जानते हो?’’ सूरज के चेहरे पर नजरें जमा कर थानाप्रभारी ने पूछा. सूरज चौंक कर बोला, ‘‘क्या अंकल को किसी ने मार डाला?’’
“हां, हमें उन 2 लडक़ों पर शक है जो 24 अगस्त की शाम को तुम्हारे अंकल के साथ थे. क्या तुम उन्हें जानते हो?’’
“नहीं सर. मैं ने उन्हें पहले कभी नहीं देखा, लेकिन वे सामने आ जाएं तो मैं उन्हें पहचान सकता हूं.’’
“तुम हमारे साथ मच्छी मार्किट चलो, वहां पर सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे. उन्हें हम चैक करेंगे. हो सकता है, वे उन कैमरों में कैद हो गए हों?’’