
उस दिन के बाद से दीपक सोनाली को ट्यूशन पढ़ाने उस के घर कभी नहीं आया. अचानक उस के ट्यूशन पढ़ाना छोड़ देने से सोनाली के पापा सुनील थोड़ा परेशान हुए. उन्होंने इस विषय में ट्यूटर से बात भी की थी, लेकिन उस ने बहाना बनाते हुए समय का अभाव बताते हुए ट्यूशन छोडऩे का कारण बताया था.
सुनील को क्या पता था कि दीपक के नीयत में कितनी बड़ी खोट आ चुकी थी. जीवन संवारने के लिए जिस के हाथों में बेटी की डोर सौंपी थी, उसी के मन में पाप का काला परिंदा फडफ़ड़ाने लगा था. शुक्र तो सोनाली का कहिए, जो मर्यादा की डोर को चरित्र के मजबूत बंधन से बंधी थी कि खुद को पाकसाफ रहने दिया. ये सब घर वालों के अच्छे संस्कार की देन थी.
इतनी बड़ी बात हुई थी. सोनाली ने यह बात समझदारी के साथ खुद ही निबटा ली थी. यह बात न तो किसी और को शेयर की थी और न ही घर वालों से बताई थी. वह जानती थी कि अगर उस ने ये बात घर वालों से बता दी तो खामखा बड़ा हंगामा हो सकता है. इसलिए इसे यहीं पर विराम देने में समझदारी समझी. इस के बाद वह एक प्राइवेट स्कूट में पढ़ाने लगी.
सोनाली ने जिस सूझबूझ का परिचय दिया था, वह काबिलेतारीफ थी. ऐसा नहीं था कि दीपक ने सोनाली को भुला दिया हो, बल्कि उस के दिल में सोनाली के लिए और प्यार उमडऩे लगा था. उसे पाने की उस की हसरतें और जवां होती जा रही थीं. बस, उसे हासिल करने के लिए नित नईनई तरकीब सोचता रहता था, वक्तबेवक्त उसे फोन कर के अपने प्यार का इजहार करता था, लेकिन सोनाली का उस के लिए एक ही जवाब था- न.
जुनूनी आशिक बन गया दीपक साव
सनकी प्रेमी दीपक ने भी ठान लिया था कि सोनाली उस की नहीं हुई तो वह किसी और की भी दुनिया में नहीं हो सकती. वह उसी के लिए आई है और उसी की बन कर रहेगी. वह उस की नहीं हुई तो किसी और की भी नहीं हो सकती. तब उसे मरना होगा. इस के अलावा उस के पास जीने के लिए दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा है.
पागलपन की हद से भी ज्यादा दीपक साव शिष्या रह चुकी सोनाली से एकतरफा प्यार करता था. जब सोनाली ने उस का प्यार ठुकरा दिया तो वह ईष्र्या की आग में जलने लगा था. ईष्र्या की इसी आग में जलते दीपक ने खतरनाक फैसला ले लिया.
घटना से 6 महीने पहले यानी सितंबर 2022 में सुपारी किलर भरत कुमार उर्फ कारू निवासी मझलीटांड़, थाना डोमचांच को डेढ़ लाख रुपए में उस की हत्या की सुपारी दे दी और पेशगी के तौर पर उसे 50 हजार रुपए भी दे दिए. इश्क में पागल हुए दीपक साव का साथ रोहित मेहता ने दिया. सुपारी लेने के बाद अपने 4 साथियों संतोष मेहता और संजय मेहता के साथ मिल कर सोनाली की रेकी करने लगा.
कहते हैं कि ‘जाको राखे साइयां, मार सके न कोय’, ये कहावत उस के साथ चरितार्थ हुई थी. 6 महीने बीत गए थे, मगर कारू अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सका था. फिर दीपक ने ही एक दांव चला. वह जानता था इन दिनों सोनाली के घर वाले आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. पैसों की उन्हें सख्त जरूरत है.
इसी बात का लाभ उठाते हुए दीपक ने सोनाली से बात की कि उस के जानपहचान का एक बैंक है, जो बिना किसी शर्त के लोन दे सकता है. अगर तुम लोन लेना चाहो तो मैं तुम्हें वह दिलवा सकता हूं. जबकि दीपक का किसी भी बैंक वाले से कोई परिचय नहीं था. उस ने सोनाली को झांसे में लेने के लिए पांसा फेंका था, जो सही जगह जा कर लगा था. सोनाली ने लोन लेने के लिए हामी भर दी थी क्योंकि उसे पैसों की सख्त जरूरत थी.
ट्यूटर ने की हत्या
बात 21 मार्च, 2023 की है. दीपक ने सोनाली को सुबह फोन कर उसे मिलने के लिए बीरजामू के पास बुलाया. उस दिन सोनाली ने स्कूल से छुट्ïटी ले ली थी और घर पर ही थी. करीब साढ़े 10 बजे सोनाली मां को ‘दीपक सर से मिलने जाना है’ बता कर अपना पर्स और मोबाइल साथ ले कर निकली. उस ने यह भी कहा कि वह काम पूरा होते ही घंटे-2 घंटे में घर वापस लौट आएगी.
सोनाली पैदल ही डेढ़ घंटे में बीरजामू पहुंची तो सडक़ के बाईं पटरी पर एक चार पहिया वाहन के पास ओट लगा कर दीपक खड़ा उसे देख कर मंदमंद मुसकरा रहा था तो सोनाली भी हौले से मुसकरा दी. फिर दीपक ने कार का दरवाजा बाहर खोल कर उसे बैठने का इशारा किया तो वह कार की आगे वाली सीट पर बैठ गई.
कार की ड्राइवर सीट पर रोहित मेहता बैठा था, जबकि पीछे की सीट पर भरत उर्फ कारू, संजय मेहता, संतोष मेहता और दीपक बैठा था. दीपक का इशारा मिलते ही कार फर्राटा भरने लगी थी. हालांकि पहले से कार में बैठे लोगों को देख कर सोनाली चौंकी थी, लेकिन बाद में दीपक ने सोनाली से अपना पुराना दोस्त कह कर परिचय दिया तो वह सामान्य दशा में आई थी.
रोहित जब कार ले कर सुनसान इलाके की ओर बढ़ा तो सोनाली घबरा गई और उस ने दीपक से पूछा कि वह उसे कहां ले कर जा रहा है. ये रास्ता तो शहर की ओर नहीं जाता है. इस पर दीपक ने जवाब दिया, “तुम ठीक सोचती हो. ये रास्ता शहर की ओर नहीं, मौत की ओर जाता है. अब बता तू मुझ से शादी करेगी कि नहीं? मेरी बनेगी कि नहीं.”
इस पर सोनाली बिदक गई, “हजार बार कह चुकी हूं, मैं तुम से न तो प्यार करती हूं और न ही शादी कर सकती. तुम ने मेरे साथ धोखा किया है.”
“क्या करूं मेरी जान, प्यार और जंग में सब जायज होता है. मैं ने तुम से पागलपन की हद से ज्यादा प्यार किया और तुम ने मेरे प्यार को नहीं समझा. तो सुन ले अगर तू मेरी नहीं हो सकती तो मैं तुझे किसी और की भी नहीं होने दूंगा. अब मरने के लिए तैयार हो जा हरामजादी.” कहते हुए सनकी प्रेमी दीपक ने पास में रखे मोबाइल चार्जर की केबिल से गला कस कर उसे मौत के घाट उतार दिया और गाड़ी नीरू पहाड़ी खदान की ओर चलने का इशारा किया.
रोहित ने वैसा ही किया जैसा दीपक ने करने को कहा. उस ने कार नीरू पहाड़ी खदान की ओर मोड़ दी. वह इलाका बिलकुल सुनसान था. खदान के पास पहुंच कर पांचों कार से बाहर निकले, कार में पहले से रखे प्लास्टिक की बड़े आकार की बोरी निकाली. उस में एक बड़े आकार का भारी पत्थर डाला फिर सोनाली की लाश तोड़मरोड़ कर उस बोरी में भरी और उसे रस्सी से कस कर बांध दिया.
एकतरफा प्यार में हत्या करने के बाद उन्होंने सोनाली की लाश ऊपर से नीचे खदान में फेंक दी. इस से पहले दीपक ने सोनाली का फोन अपने कब्जे में ले लिया था. लाश ठिकाने लगाने के बाद पांचों कार में सवार हुए और अपनेअपने घरों को लौट गए. फिर क्या हुआ, कहानी में वर्णन किया जा चुका है.
कथा लिखे जाने तक पांचों आरोपी दीपक कुमार साव, रोहित कुमार मेहता, भरत कुमार उर्फ कारू, संजय मेहता और संतोष मेहता जेल की सलाखों के पीछे थे.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
टीचर सोनाली साव की हत्या से कोडरमा की जनता मर्माहत भी थी और आक्रोशित भी. 28 मार्च की शाम आक्रोशित लोगों ने बेहराडीह से शांति कैंडल मार्च निकाला और कोडरमा-जमुआ राष्ट्रीय राजमार्ग ले जा कर खत्म किया. सभी के मन में आक्रोश का लावा फूट रहा था. शांति मार्च के बीच वे हत्या में शामिल सभी आरोपियों को फांसी देने, पीडि़त परिवार को 25 लाख रुपए का मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और पुलिस की नाकामी के विरुद्ध नारेबाजी करते रहे.
बीचबीच में वे ‘सोनाली हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं’ के भी नारे लगा रहे थे. शांति मार्च का नेतृत्व पूर्व मुखिया राजेंद्र मेहता कर रहे थे. आंदोलित नागरिकों के भारी आक्रोश के चलते पुलिसप्रशासन की बुरी तरह छिछालेदर हो रही थी. स्थानीय नेताओं का बाकी के बचे तीनों आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने का दबाव बना हुआ था.
आखिरकार, अगले दिन यानी 29 मार्च, 2023 को तीनों आरोपियों भरत कुमार उर्फ कारू, संतोष मेहता और संजय मेहता को पुलिस ने उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वे तीनों शहर छोड़ कर कहीं भागने के फिराक में थे. पुलिस पूछताछ में तीनों आरोपियों ने भी सोनाली के अपहरण करने और बाद में हत्या करने का अपना जुर्म कुबूल कर लिया. पुलिस उन्हें भी अदालत के सामने पेश कर जेल भेज दिया.
पुलिस पूछताछ में शिक्षिका सोनाली साव उर्फ सोनी कुमारी के पाचों हत्यारों दीपक साव, रोहित मेहता, भरत उर्फ कारू, संतोष मेहता और संजय मेहता ने जो बयान दिए थे, उस के आधार पर दिल को कंपा देने वाली एकतरफा प्यार में मर्डर की जो कहानी सामने आई, वह कुछ ऐसी थी—
सोनाली दीपक कुमार से पढ़ती थी होम ट्यूशन
24 वर्षीय सोनाली साव उर्फ सोनी कुमारी मूलरूप से झारखंड के कोडरमा जिले के थाना डोमचांच स्थित कस्बा दाब रोड की रहने वाली थी. पिता सुनील कुमार साव प्राइवेट नौकरी कर के अपने 5 सदस्यीय परिवार का पालनपोषण कर रहे थे. वह इतना कमा लेते थे, जिस से किसी तरह परिवार का भरणपोषण हो जाता था, लेकिन बचत नहीं हो पाती थी यानी सुनील की माली हालत बहुत अच्छी नहीं थी.
सोनाली बच्चों में सब से बड़ी थी. वह मेधावी, मेहनती थी और बेहद जिजीविषा वाली थी. घर की माली हालत को समझती थी. एक दिन सोनाली ने मम्मीपापा से अपने मन की बात बताते हुए कहा, “मैं पढ़लिख कर कोई बड़ा अधिकारी बनना चाहती हूं.”
उस के पापा सुनील कुमार ने भी उस का उत्साह बढ़ाते हुए कहा, “बेटा, तुम जितना पढऩा चाहती हो, पढ़ो. पैसों की चिंता मत करना, वह सिरदर्द मेरा है. मैं किसी से भी कर्ज ले कर तुम्हें पढ़ाऊंगा, तुम्हारा सपना पूरा करूंगा, बेटा, तनिक भी तुम विचलित मत होना. तुम पढ़ो, सिर्फ पढ़ो.”
पिता ने सोनाली को जो हिम्मत और हौसला दिया था, उस से उस का उत्साह कई गुना बढ़ गया था और हिम्मत भी. उस दिन के बाद से सुनील ने घर पर बेटी के लिए एक ट्यूटर लगा दिया था ताकि बेटी के जीवन को वह संवार सकें और उस के सपनों को मुकम्मल राह दे सकें, जो उस ने देखा है. ये करीब 5 साल पहले की बात थी, वह ट्यूटर कोई और नहीं बल्कि दीपक कुमार साव ही था, जो डोमचांच के महयाडीह का रहने वाला था. तब दीपक का जलवा था. वह घरघर जा कर बच्चों को ट्यूशन देने का काम करता था. उस का पढ़ाया बच्चों के मस्तिष्क पर किसी बेहतरीन फिल्म की कहानी की तरह छप जाता था.
अपने कलात्मक व्यवहार से वह बच्चों को ऐसे मांजता था कि बच्चे तो बच्चे, उन के घर वाले भी उस के मुरीद हो जाते थे. तभी तो वह जिस घर में ट्यूशन शुरू करता था सालोंसाल उसी घर में ट्यूशन देता था. औसत कदकाठी, गोरा रंग, बड़ीबड़ी आंखें, गोलमटोल चेहरा और कसरती बदन वाला दीपक आकर्षक व्यक्तित्व का धनी युवक था तो सोनाली भी कुछ कम नहीं थी.
करीब 5 फुट 6 इंच लंबी सोनाली भी खूबसूरती की मिसाल थी. उस का गोरा रंग और अंडाकार चेहरे पर जब मुसकान तैरती तो सामने वाला एक तरह से घायल हो जाता था. वह उम्र के जिस पड़ाव में आ कर वह खड़ी थी, अकसर वहां से लडक़ेलड़कियों के पांव फिसल जाते थे, लेकिन सुंदर और जहीन होते हुए भी सोनाली ने अपने पैरों को डगमगाने नहीं दिया था.
खैर, 12वीं क्लास में पढ़ रही सोनाली के सौंदर्य की खुशबू से आसपास के वातावरण महक उठा था. उस के इर्दगिर्द आवारा भंवरे मंडराने लगे थे, लेकिन उस ने दिल के दरवाजे पर मर्यादा का ताला बंद कर दिया था ताकि चुपके से कोई भी मनचला दिल के भीतर घुस न सके. दिल के दरवाजे पर भले ही सोनाली ने ताला जड़ दिया हो, लेकिन एक ऐसा भी भौंरा था, जो उस के तीखे और कजरारे नयनों के रास्ते उस के दिल में मुकाम बनाने की जुगत में परेशान रहता था. वह कोई और नहीं था बल्कि उसे ज्ञान का पाठ पढ़ाने वाला आशिकमिजाज ट्यूटर दीपक साव ही था.
गुलाब की कली सी खिली शिष्या सोनाली को जब से आशिकमिजाज गुरु दीपक ने देखा था, उस की सलोनी सूरत अपने दिल में बसा ली थी. ट्यूशन उसे पढ़ाता कम अपलक उसे निरंतर निहारता ज्यादा था. सोनाली कम समझदार नहीं थी, जो अपने ट्यूटर के इश्क को न समझती. वह तो शिष्य और गुरु की मर्यादा का पालन करती रही. गुरु के लिए उस के दिल में सिर्फ और सिर्फ सम्मान और अदब था, जबकि वह उसे और रूप में देख रहा था. उस के सम्मान को प्यार समझ बैठा था तो इस में सोलानी का क्या कुसूर था.
सोनाली से करने लगा एकतरफा प्यार
ट्यूटर दीपक अपनी शिष्या सोनाली से प्यार करने लगा था. उस का यह प्यार एकतरफा था. उस के हंस कर बोलने या बातचीत करने की अदा को वह प्यार समझ बैठा था. एक दिन मौका देख कर दीपक अपने प्यार का इजहार सोनाली से कर बैठा, “मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं सोनाली, मैं तुम्हारे बिना जी नहीं सकता.” कहते हुए उस ने शिष्या सोनाली के दोनों हाथ अपने हाथों में ले लिए, “जब से तुम को देखा है, उसी दिन से मुझे तुम से प्यार हो चुका है.”
“ये क्या कह रहे हैं, सर.” सोनाली अपना हाथ छुड़ाती हुई बोली, “आप का दिमाग ठिकाने तो है न?”
“हां, मेरा दिमाग ठिकाने पर है और मैं भी, लेकिन मैं तुम्हारे बिना जी नहीं सकता सोनाली, मेरे प्यार को अपनी स्वीकृति की मोहर लगा हो, प्लीज.”
“आज कह दिया तो कह दिया, पर आइंदा मेरे से ऐसीवैसी बातें मत करना, मैं ऐसीवैसी लडक़ी नहीं हूं. हमारे बीच में सिर्फ गुरु और शिष्या का रिश्ता है, बस. इस के अलावा मैं और किसी रिश्ते को नहीं जानती और न ही मेरे से कोई रिश्ता जोडि़एगा. गुरु होने के नाते मैं सिर्फ आप का सम्मान करती हूं. इस सम्मान व पवित्र रिश्ते को आप ने प्यार समझ लिया.”
सोनाली गुस्सा भी हुई और उसे रिश्तों की मर्यादा की झलक भी दिखाई.
“चाहे जो कह लो तुम, मैं तुम्हारी किसी बात का बुरा नहीं मानता. बस, इतना जानता हूं कि मैं तुम्हें दिल की गहराइयों से भी ज्यादा प्यार करता हूं और भविष्य में तुम से शादी करना चाहता हूं, बस.”
“ओफ्फोऽऽ” झुंझलाती हुई सोनाली आगे बोली, “आप ने पागलपन की सारी हदें पार कर दी हैं. कितनी बार कहूं, मैं आप से कोई प्यारव्यार नहीं करती और न ही इस गलतफहमी में रहिएगा कि मैं आप से प्यार करूंगी. मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से हूं, जहां हमें मर्यादा में रहना सिखाया जाता है, अपने गुरुओं का सम्मान करना सिखाया जाता है.”
“ऐसा कह कर मेरा दिल मत तोड़ो सोनाली. एक बार फिर मैं तुम से कहता हूं, मैं बहुत प्यार करता हूं तुम से और शादी भी तुम्हीं से करना चाहता हूं.”
“फिर तो इस जनम में संभव नहीं है, सर.”
“तुम्हारे सामने अपने प्यार की भीख मांगता हूं.”
“तब भी मेरी ओर से न है, मैं आप से प्यार नहीं करती, नहीं करती, नहीं करती. आप यहां से चले जाइए, फिर दोबारा लौट कर कभी मत आइएगा. नहीं तो मेरे मम्मीपापा ये प्यार वाली बात सुन लेंगे तो हम दोनों को जिंदा गाड़ देंगे. प्लीज सर, आप यहां से चले जाओ, मुझे आप से कोई रिश्ता नहीं रखना है, प्लीज प्लीज.” सोनाली ट्यूटर दीपक के सामने अपने दोनों हाथ जोड़ कर खड़ी हो गई तो अपना सा मुंह ले कर दीपक को वहां से जाना ही पड़ा.
क्रमशः
सोनाली साव उर्फ सोनी कुमारी को घर से निकले करीब 7 घंटे हो चुके थे, पर अब तक वह वापस घर नहीं लौटी थी. दिन के साढ़े 11 बजे वह मां को थोड़ी देर में लौट कर आने की बात कह घर से निकली थी और जब शाम साढ़े 5 बजे तक वह घर नहीं लौटी तो मम्मीपापा को सयानी बेटी को ले कर चिंता सताने लगी थी. धीरेधीरे संध्या पहर भी ढल चुकी थी और रात की काली चादर ने आसमान में अपने पांव पसार दिए थे. ऐसे में उस के पापा सुनील कुमार साव की सोच शून्य में तबदील हो चुकी थी.
सुनील ने अपने रिश्तेदारों परिचितों, पड़ोसियों, बेटी की सहेलियों और जिस निजी स्कूल में वह पढ़ाती थी, उस स्कूल के प्रिंसिपल आदि से पूछताछ कर ली थी, लेकिन वह किसी के यहां नहीं गई. और तो और उस का मोबाइल फोन भी बंद आ रहा था.
पहली बार ऐसा हुआ था, जब सोनाली का फोन बंद आ रहा था, नहीं तो यदि उसे घर पहुंचने में तनिक भी देर हो जाती तो वह तुरंत मम्मी या पापा को फोन कर के इन्फार्म कर देती थी, लेकिन यहां न तो उस का फोन लग रहा था और न ही उस ने फोन कर के ही बताया था कि वह कहां है?
सोनाली की तरफ से मम्मीपापा को जब कोई जानकारी नहीं मिली तो वे परेशान हो गए. भला मांबाप उसे ले कर परेशान होते क्यों नहीं होते, बेटी जवान थी. आजकल का समय कितना खराब चल रहा है, बहूबेटियां घर के बाहर कितनी सुरक्षित हैं, यह बात किसी से छिपी नहीं है. इसी बात की चिंता मांबाप को सता रही थी.
बहरहाल, किसी तरह घर वालों ने रात आंखों में काट दी थी. पूरी रात उन्होंने दरवाजे पर टकटकी लगाए बिता दी. पलक झपकते जरा भी दरवाजा खट से होता तो चौंक कर वे बैठ जाते थे. उन्हें ऐसा लगता था जैसे बेटी आ गई हो, लेकिन वह दरवाजा तो हवा के झोंके से खटका था. यह बात 21 मार्च, 2023 की झारखंड के कोडरमा जिले के डोमचांच की थी.
22 मार्च यानी अगली सुबह सोनाली के पापा सुनील कुमार डोमचांच थाने पहुंचे. एसएचओ अब्दुल्लाह खान थाने में ही मौजूद थे और जरूरी फाइलों को निबटाने में मशगूल थे. सुनील दूसरी पंक्ति की पहली वाली कुरसी पर चुपचाप बैठ गए थे. थोड़ी देर बाद जब एसएचओ फाइलों से फारिग हुए तो उन्होंने सुनील से पूछा, “जी, बताएं, कैसे आना हुआ सुबहसुबह?”
“नमस्ते सर.” दोनों हाथ जोड़े एसएचओ खान का अभिवादन करते हुए सुनील ने कहा, “मैं बहुत परेशान हूं सर बेटी को ले कर. कल दोपहर से उस का कहीं पता नहीं है.”
“आप का नाम क्या है? और कहां रहते हैं?” एसएचओ ने सवाल किया.
“मेरा नाम सुनील कुमार है सर. मैं दाबरोड में रहता हूं. बेटी का नाम सोनाली उर्फ सोनी है. वह एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती थी. कल साढ़े 11 बजे के करीब अपनी मां से थोड़ी देर में लौट कर आने को कह घर से निकली थी, तब से अब तक वह घर नहीं लौटी और न ही उस का मोबाइल ही लगता है. इसे ले कर मुझे बड़ी चिंता खाए जा रही है कि बेटी के साथ कोई अनहोनी तो नहीं हो गई. बेटी का पता लगाने में मेरी मदद करें सर.”
“ठीक है, चिंता न करें. ऐसा करें अपनी तहरीर दीवानजी को लिखवा दें. मैं उस पर काररवाई करता हूं.
“ठीक है सर. मैं तहरीर दीवानजी को दे देता हूं, नमस्ते सर.”
ट्यूटर के खिलाफ लिखाई रिपोर्ट
सुनील कुमार एसएचओ के औफिस से उठ कर बाहर आ गए और बेटी की गुमशुदगी लिखा कर वापस घर लौट आए. अपनी तहरीर में इन्होंने दीपक कुमार साव और रोहित कुमार मेहता को नामजद किया था. उन्होंने यह आशंका जताई थी कि दीपक बेटी को बारबार फोन कर के परेशान किया करता था. दीपक को पकड़ कर कड़ाई से पूछताछ की जाए तो बेटी के बारे में जानकारी मिल सकती है.
दरअसल, कई साल पहले दीपक सोनाली को उस के घर ट्यूशन पढ़ाया करता था. तब वह 12वीं क्लास में पढ़ती थी. तभी से दोनों एकदूसरे को जानतेपहचानते थे. सोनाली के घर वाले भी दीपक को अच्छी तरह जानते थे. शिक्षक की हैसियत से वह अकसर सोनाली को फोन किया करता था. इस का घर वालों ने कभी ऐतराज नहीं किया. वे जानते थे इन के बीच एक पवित्रता और मर्यादा का रिश्ता है. इस रिश्ते का उन को खास खयाल है.
बहरहाल, बस इसी रिश्ते से आशंकित हो कर सुनील ने अपनी तहरीर में दीपक का नाम डाल दिया था. 3 दिन तहरीर दिए बीत चुके थे, पर पुलिस ने अब तक कोई काररवाई नहीं की थी. तहरीर को पुलिस ने ठंडे बस्ते के हवाले कर दी थी. उधर अखबार में रोजाना ही शिक्षिका सोनाली के रहस्यमय तरीके से गायब होने की खबरें सुर्खियों में छाई रहती थीं. पुलिस की लापरवाही की बड़ीबड़ी खबरें प्रकाशित हो रही थीं, जिस से कोडरमा के नागरिक काफी उग्र हो चुके थे.
सोनाली के लापता होने के छठें दिन भी उस का सुराग नहीं मिला मिला तो 26 मार्च को घर वालों का आक्रोश भडक़ उठा. घर वालों और स्थानीय लोगों ने पुलिस नाकामी के खिलाफ शहीद चौक के पास कोडरमा-जमुआ मुख्यमार्ग जाम कर दिया था. जाम की सूचना मिलने पर एएसपी प्रवीण पुष्कर मौके पर पहुंचे और जाम खत्म करने की आंदोलनकारियों से अपील की तो उन्होंने सोनाली के रहस्यमय तरीके से गायब होने के रहस्य से परदा उठाने की मांग रख दी.
एएसपी प्रवीण पुष्कर ने आंदोलनकारियों को विश्वास दिलाया कि 24 घंटे के भीतर सकारात्मक रिजल्ट आ जाएगा, विश्वास रखें और आंदोलन खत्म कर दें. एएसपी के आश्वासन पर तब कहीं जा कर आंदोलन खत्म हुआ. अपने वादे के पक्के एएसपी प्रवीण पुष्कर ने डोमचांच एसएचओ को बुला कर बड़ी मीटिंग की और 24 घंटे के अंदर मामले का पटाक्षेप करने की सख्त हिदायत दी. यहीं नहीं, उसी समय उन्होंने पुलिस की 2 टीमें गठित कर दीं.
एक टीम का नेतृत्व एसएचओ अब्दुल्लाह खान के हाथों सौंप दिया और दूसरी टीम का नेतृत्व एसओजी कर रही थी. दोनों टीमों का काम उसी समय से शुरू हो चुका था. एसएचओ अब्दुल्लाह खान ने तहरीर में नामजद दीपक कुमार साव निवासी महथाडीह को सब से पहले हिरासत में लेने की तैयारी की.
27 मार्च, 2023 की सुबह डोमचांच पुलिस की टीम ने महथाडीह पहुंच कर दीपक साव के घर को चारों ओर से घेर लिया और सोते हुए दीपक को उठा कर हिरासत में ले कर पूछताछ के लिए डोमचांच थाने ले आई. बड़ी संख्या में पुलिस बल देख कर दीपक पसीनापसीना हो चुका था. एसएचओ अब्दुल्लाह खान ने उस से कड़ाई से पूछताछ की तो वह पुलिस के सामने टूट गया. ट्यूटर दीपक ने हत्या का अपराध स्वीकार करते हुए कुबूल कर लिए कि उसी ने डेढ़ लाख की सुपारी दे कर सोनाली की हत्या करवाई थी. इस घटना में उस के अलावा 4 और लोग शामिल थे.
दीपक की निशानदेही पर उसी दिन दोपहर में रोहित कुमार मेहता निवासी सिमरिया को भी गिरफ्तार कर लिया गया था. घटना वाले दिन रोहित उस कार को चला रहा था, जिस में पहले सोनाली का अपहरण किया गया और बाद में हत्या कर दी गई
7 दिनों से रहस्य बनी शिक्षिका सोनाली साव के रहस्य से पुलिस ने परदा उठा दिया था. बाकी के 3 आरोपी अभी भी फरार चल रहे थे. इधर जैसे ही पता चला कि आरोपियों ने सोनाली की निर्मम तरीके से हत्या कर दी है, घर में कोहराम मच गया था. घर वालों का रोरो कर बुरा हाल हो गया था.
प्रैस कौन्फ्रैंस में किया खुलासा
आननफानन में उसी दिन शाम एएसपी प्रवीण पुष्कर ने डोमचांच थाने में पत्रकार वात्र्ता का आयोजन किया. दोनों आरोपियों ने सोनाली की हत्या कैसे और क्यों की, यह सब रट्टू तोते की तरह सब बक दिया. उस के बाद शाम 5 बजे दोनों आरोपियों दीपक और रोहित मेहता को अदालत में पेश किया. अदालत ने दोनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश दिए.
क्रमशः