
अब्दुल रज्जाक और उस के बेटों सहित गुर्गों के काले कारनामों की जांच कर रही एसआईटी को कई चौंकाने वाली जानकारी मिल रही है. रज्जाक के घर से जब्त इटली मेड रायफल के लाइसेंस कटनी से जारी कराए गए थे. 2 असलहे तो मुरैना व रीवा के रहने वाले गार्डों के नाम से जारी कराए गए थे, पर उन का उपयोग रज्जाक के लोग करते थे. पुलिस ने दोनों असलहे रज्जाक के घर से ही जब्त किए थे. एसआईटी को कटनी व सीधी से अब तक 20 लाइसेंस की जानकारी मिली है.
अब्दुल रज्जाक अपने रसूख और पैसों के दम पर बड़ेबड़े अफसरों को भी अपना मुरीद बना लेता था. जबलपुर जिले में रज्जाक के आपराधिक रिकौर्ड के चलते शस्त्र लाइसेंस नहीं मिल पाए तो रज्जाक ने पड़ोसी जिले कटनी और सीधी जिले के तत्कालीन कलेक्टर विशेष गड़पाले और कटनी कलेक्टर प्रकाश चंद जांगड़े ने जारी किए थे.
दोनों ही जिलों के अधिकारियों ने जबलपुर से किसी भी तरह की एनओसी नहीं ली थी. कई के लाइसेंस अनूपपुर के लोगों के नाम पर भी जारी कराए गए थे, लेकिन सभी का उपयोग रज्जाक और उस के खास गुर्गे ही करते थे.
जब एसआईटी ने कटनी जिला शस्त्र शाखा से लाइसेंस संबंधी फाइल मांगी तो कलेक्टर औफिस से लाइसेंस वाली फाइल ही गुम हो गई.
रज्जाक ने घर सहित अधिकतर संपत्ति अपनी पत्नी सुबीना बेगम के नाम पर करा रखी है. माइनिंग सहित सारे ठेके वह परिजनों और करीबियों के साथ फर्म बना कर संचालित कर रहा है. सभी फर्म में रज्जाक पार्टनर है.
पुलिस ने किया गिरफ्तार
गैंगस्टर रज्जाक पुलिस को लगातार चकमा दे रहा था. वह जबलपुर पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ था. जबलपुर के एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने जिले के पुलिस अधिकारियों की बैठक ले कर रज्जाक को पकड़ने का प्लान बनाया.
एडिशनल एसपी (सिटी) रोहित काशवानी और एएसपी (क्राइम) गोपाल खांडेल के नेतृत्व में 26 अगस्त, 2021 को पूरी रात पुलिस के आला अधिकारियों ने अलगअलग थानों की टीमों का गठन कर 27 अगस्त की सुबह तड़के 5 बजे फिल्मी स्टाइल में रज्जाक के घर पहुंच गई.
पुलिस बल देख कर अब्दुल रज्जाक के घर के नीचे खड़े उस के गुर्गों ने रज्जाक को सूचना दे दी. साथ ही दरवाजे पर ताला लगा कर भाग गए. पुलिस ने ताला लगा देखा तो घर के अंदर घुसने के लिए पुलिसकर्मियों ने रज्जाक के घर के बाहर से सीढ़ी लगाई और घर के अंदर प्रवेश किया. वहीं रज्जाक को दरवाजा खोलने के लिए कहा. जिस के बाद दरवाजा खोला गया. दरवाजा खुलते ही पुलिस टीम भी अंदर पहुंच गई.
अब्दुल रज्जाक की गिरफ्तारी में 25 अगस्त की रात हुई एक वारदात का अहम रोल रहा है. दरअसल, जबलपुर की सरस्वती कालोनी में पारिजात बिल्डिंग के पीछे रहने वाले अभ्युदय चौबे, जो सेटटौप बौक्स औपरेटर का काम करता है, वह अपनी कार एमपी- 20 सीएफ 1911 को कुछ दिन पहले जगपाल सिंह के गैरेज से मरम्मत करवा कर ले गया था, परंतु कार ठीक से नहीं चल रही थी. 25 अगस्त की रात लगभग साढ़े 9 बजे उस ने और उस के दोस्त बौबी जैन ने जगपाल सिंह को गैरेज में जा कर कहा, ‘‘तुम ने गाड़ी ठीक से नहीं सुधारी है, इसे अभी ठीक करो.’’
गैरेज में गुर्गों ने मचाया उत्पात
जगपाल सिंह अपनी परेशानी बताते हुए सामने खड़ी कार की तरफ इशारा करते हुए बोला, ‘‘तुम यह बीएमडब्ल्यू कार देख रहो हो, यह नया मोहल्ला के रज्जाक की है, इस का किसी ने कल कांच तोड़ दिया है. मुझे पहले इसे ठीक करना है.’’
इस पर अभ्युदय ने जगपाल सिंह से कहा, ‘‘मुझे इस से मतलब नहीं है तुम मेरी कार कल ठीक से सुधार देना, नहीं तो अंजाम ठीक नहीं होगा.’’
इस बात पर जगपाल नाराज होते हुए बोला, ‘‘वैसे ही मैं बहुत परेशान हूं, तुम्हारा काम नहीं कर पाऊंगा.’’
इस बात को ले कर अभ्युदय और जगपाल में कहासुनी हो रही थी, तभी पीछे से 10-15 लड़के बाइक से वहां आ गए, जो बेसबौल का डंडा और लाठी लिए हुए थे. सभी ने गालियां देते हुए कहा, ‘‘तुम्हारी मां की… रज्जाक पहलवान की कार में तुम लोगों ने तोड़फोड़ करने की हिम्मत कैसे की?’’
ऐसा कहते हुए सभी ने बेसबौल के डंडे से मारपीट कर जानलेवा हमला कर दिया. साथ ही अभ्युदय और उस के दोस्त को घसीटते हुए मारपीट करने लगे. सभी गुर्गे उसे जान से मारने की कोशिश कर रहे थे, जिस के बाद जगपाल और अन्य लोगों ने उसे किसी तरह बचाया. इस के बाद रज्जाक के गुर्गों ने उस की कार में तोड़फोड़ कर दी.
गैरेज में बलवा होने की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची, जिसे जगपाल ने बताया कि मारपीट करने वालों में रज्जाक का भतीजा मोहम्मद शहबाज और 10-15 उस के गुर्गे थे.
शिकायत पर आरोपी रज्जाक और उस के भतीजे शहबाज और अन्य पर विभिन्न धाराओं के तहत रिपोर्ट दर्ज कर काररवाई की गई थी.
रज्जाक के घर से इटली मेड सहित कुल 5 हथियार जब्त हुए थे. वहीं 10 कारतूस और बकानुमा चाकू बड़ी संख्या में मिले थे. दरअसल, चाचाभतीजे के खिलाफ विजयनगर थाने में मारपीट, बलवा, हत्या के प्रयास की वारदात में शामिल होने और साजिश रचने के मामले में आरोपी बनाया गया था.
जब्त हथियार की जांच हुई तो पता चला कि तीनों रज्जाक की पत्नी, भाई व बहू के नाम के और 2 मुरैना और रीवा निवासी गार्ड के नाम पर जारी कराए गए हैं.
बदमाश गैंग ने कोर्ट में किया हंगामा
27 अगस्त, 2021 को रज्जाक और उस के भतीजे शहबाज की गिरफ्तारी हुई तो गैंग से जुड़े लोगों ने पुलिस थाने और कोर्ट परिसर में हुजूम इकट्ठा कर लिया. दरअसल, रज्जाक गैंग की प्लानिंग थी कि कोर्ट में बलवा कर अपने बौस रज्जाक को पुलिस हिरासत से छुड़ा लेंगे.
अब्दुल रज्जाक की गिरफ्तारी के विरोध में कांग्रेस के पूर्व पार्षद जतिन राज और फरनीचर कारोबारी रद्दी चौकी निवासी शफीक हीरा और गैंग के कई गुर्गों ने कोर्ट के बाहर हंगामा खड़ा कर दिया.
दरअसल, जब रज्जाक की गिरफ्तारी हुई तो दुबई में बैठे रज्जाक के बेटे सरताज ने गैंग के लोगों को फोन कर के कहा था, ‘अब्बू को किसी भी तरह बाहर लाना है चाहे दंगा ही क्यों न करवाना पड़े.’
सरताज के इशारे पर गैंग के शेख अजहर ने अपने 5 साथियों शेरू जग्गड़, सद्दाम, अरबाज खान, शोएब, राजा टेंट वाले के भाई ने राजा के साथ कोर्ट में पहुंच कर हंगामा खड़ा किया था. शहबाज जब कोर्ट पहुंचा तो गैंग के अन्य लोग वहां पहले से मौजूद थे.
28 अगस्त, 2021 को रज्जाक और उस के भतीजे शहबाज की पेशी के समय हथियारों के साथ आए शेख अजहर और उस के साथी कोर्ट में मौजूद वकीलों को गालियां बकने लगे. वकीलों ने भी आपस में एकजुट हो कर उन का विरोध कर दिया.
उस के बाद मूकदर्शक बनी पुलिस की मौजूदगी में वकीलों ने रज्जाक गैंग के लोगों को खदेड़ दिया. बाद में जबलपुर पुलिस ने शेख अजहर को उस के साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया.
दुबई भागने की फिराक में था रज्जाक
जबलपुर का कुख्यात गैंगस्टर अब्दुल रज्जाक अभी सलाखों के पीछे है. पुलिस को उस के घर से हथियारों का जखीरा मिला था. रज्जाक की गिरफ्तारी के दौरान पुलिस के पसीने छूट गए थे. बड़ी मुश्किल से रज्जाक और उस के भतीजे को पुलिस पकड़ कर लाई थी.
रज्जाक का जबलपुर में साम्राज्य चलता है. गिरफ्तारी के दौरान रज्जाक के समर्थक कई बार पुलिस से भिड़े और पुलिस कार्यों में बाधा उत्पन्न करने की कोशिश की.
रज्जाक ने जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर सहित हैदराबाद, गोवा, मुंबई, दुबई, साउथ अफ्रीका तक होटल, खनिज, प्रौपर्टी का बिजनैस खड़ा कर लिया है. रज्जाक खुद दुबई शिफ्ट होने की तैयारी कर रहा था.
उस का बेटा सरताज पहले से दुबई में शिफ्ट हो चुका है. दरअसल, मध्य प्रदेश में कई आपराधिक वारदातों का मोस्टवांटेड सरताज दुबई में रह कर रज्जाक के कामधंधे खुद देख रहा है.
रज्जाक खदानों के ठेके भी लेता है और दुबई के एक कारोबारी के साथ मिल कर वह दक्षिण अफ्रीका में सोना खनन का काम कर रहा है. रज्जाक भी दुबई जा कर वहीं से अपना साम्राज्य चलाने की फिराक में था. फिलहाल पुलिस प्रशासन ने उस पर अपना शिकंजा कस दिया है.
—कथा मीडिया रिपोर्ट पर आधारित
शहर में रज्जाक की दहशत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जुलाई 2020 में न्यू आनंद नगर, हनुमानताल निवासी मोहम्मद शब्बीर ने अब्दुल रज्जाक की आपराधिक गतिविधियों और अनैतिक कार्य से बनाई गई संपत्ति के बारे में लिखित शिकायत की थी.
आरोपी रज्जाक, उस के बेटे सरताज ने शिकायतकर्ता पर बयान बदलने का दबाव बनाया. अक्तूबर 2020 में शब्बीर ने फिर से शिकायत की तो बापबेटे ने ऐसा धमकाया कि वह आज तक अपना बयान नहीं दर्ज करा पाया.
रज्जाक की दहशत और खौफ के चलते इलाके के लोग डरते थे. आरोपी पर 14 मार्च, 2012 को एनएसए की काररवाई हुई थी. बावजूद उस की आदतों में कोई सुधार नहीं हुआ. उस के कृत्य और आपराधिक वारदात को देखते हुए एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा के प्रतिवेदन पर जिला दंडाधिकारी कर्मवीर शर्मा ने 3 महीने के लिए एनएसए में निरुद्ध करने का आदेश जारी करते हुए वारंट जारी किया.
अकसर दोनों गैंगों में होती थी गैंगवार
दोनों गैंगों के बीच रंजिश इस कदर थी कि एकदूसरे को गैंग के लोग फूटी आंख भी नहीं सुहाते थे. इसी रंजिश का नतीजा 7 अप्रैल, 2004 को जबलपुर के कपूर क्रौसिंग के पास देखने को मिला था. उस दिन मंडला में रेत खदान की नीलामी थी.
रज्जाक और महबूब अली दोनों गैंग के लोग नीलामी में बढ़चढ़ कर बोली लगा रहे थे. हथियारों से लैस दोनों गैंग के लोग वहां मौजूद थे. आखिरकार रेत खदान का ठेका महबूब अली के भाई रहमान को मिल गया था.
रहमान मंडला से रेत नाका का टेंडर ले कर कार से जबलपुर लौट रहा था. मौका पा कर रज्जाक के बेटे सरफराज और गैंग में शामिल मजीद करिया और अब्बास ने अन्य साथियों के साथ मिल कर रहमान अली की कार पर फायरिंग कर दी.
फायरिंग में रहमान अली तो बच निकला, मगर कार में सवार रहमान के दोस्त रजनीश सक्सेना की मौत हो गई. इस के अलावा बबलू खान और चमन कोरी को गंभीर चोटें आई थीं.
इस प्रकरण में भी गोरखपुर थाने में रहमान अली की शिकायत पर हत्या, हत्या के प्रयास का मामला रज्जाक, उस के बेटे सरफराज आदि के खिलाफ दर्ज हुआ था. रज्जाक शातिर बदमाश था, यही वजह थी कि कपूर क्रौसिंग पर हुई रजनीश सक्सेना की हत्या के प्रकरण की जांच में रहमान अली का दावा पलट गया था.
रज्जाक ने अपने रसूख के दम पर जांच में यह साबित कर दिया कि रहमान अली ने अपने साथियों के साथ मिल कर ही रजनीश की हत्या की थी और सरफराज को उस के दोस्तों के साथ फंसाने की साजिश रची गई थी. इस मामले में गोरखपुर पुलिस ने उलटे रहमान अली व अन्य को गिरफ्तार कर जेल भेजा था.
अब्दुल रज्जाक के जुर्म की डायरी में अपराध के तमाम पन्ने दर्ज हैं. अब्दुल रज्जाक इस के बाद जमीन कब्जाने, जमीन खाली कराने से ले कर धमकी दे कर पैसे वसूलने सहित कई तरह के अपराध करने लगा था.
उस की दहशत इस तरह कायम हुई कि कई राजनीतिक दल से जुड़े लोग भी उस से अपने राजनीतिक विरोधियों को ठिकाने लगाने या फिर धमकाने के लिए उस का इस्तेमाल करने लगे.
रज्जाक पर पहले बीजेपी के कुछ कद्दावर नेताओं का वरदहस्त रहा था, बाद में वह कांग्रेस नेताओं का भी खास बन गया था.
अब्दुल रज्जाक जबलपुर शहर का नामी डौन बन चुका था. 2006 में रज्जाक ने गोहलपुर निवासी मोहम्मद अकरम के घर में घुस कर जान से मारने की धमकी दी थी. अकरम ने जब इस की शिकायत पुलिस थाने में दर्ज की और अदालत में मुकदमा चला तो आरोपी ने गवाहों को धमका कर अपने पक्ष में कर लिया था.
बाप सेर तो बेटा सवा सेर
जुर्म की स्याह राहों पर अकेला रज्जाक ही नहीं, उस के बेटे भी उस के साथ कदमताल कर रहे थे. अब्दुल रज्जाक के 3 बेटों में सरफराज और सरताज जुर्म की दुनिया के बेताज बादशाह हैं, उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाने में रज्जाक का बड़ा हाथ है.
कुछ साल पहले 2007 में रज्जाक के बेटे सरताज ने जेल में कुरान फाड़े जाने की अफवाह फैला कर शहर में दंगे कराने का भी प्रयास किया था. इस मामले में कई थानों में उस के खिलाफ मामले दर्ज हुए थे. आरोपी सरताज के खिलाफ कानूनी काररवाई हुई तो वह 5 साल तक फरार रहने में सफल रहा. इस के बाद वह गिरफ्तार हो पाया.
2009 में रज्जाक ने बरेला निवासी सुमन पटेल की जमीन कब्जा करने का प्रयास किया था. विरोध करने पर उस के घर में घुस कर गुर्गों से धमकी दिलवाई थी.
जबलपुर शहर के पुलिस थानों में रज्जाक के खिलाफ लगातार बढ़ रहे मुकदमों की संख्या को देखते हुए कलेक्टर ने 16 मार्च, 2012 को उस के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत काररवाई करते हुए उसे जबलपुर जेल भेज दिया.
इस के दूसरे दिन 17 मार्च, 2012 को रज्जाक के बेटे सरताज को नरसिंहपुर जिले के गांव रांकई पिपरिया से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.
जबलपुर जेल में बापबेटे के एक साथ रहने से जेल में भी गैंगवार की आशंका बढ़ गई थी, जिसे देखते हुए जेल के अधिकारियों ने रज्जाक को ग्वालियर और उस के बेटे सरताज को सागर सेंट्रल जेल शिफ्ट कर दिया था.
रज्जाक की बेनामी संपत्ति
अब्दुल रज्जाक ने कई बेनामी संपत्ति अपने करीबियों और 100 से अधिक शेल कंपनियों के नाम पर बनाई है. रज्जाक ने सीधी में ग्रेनाइट का 800 हेक्टेयर में खनन का पट्टा ले रखा था. अनूपपुर शहडोल में भी उस के ग्रेनाइट व आयरन के 16 पट्टे हैं.
बैतूल, शहगढ़ सागर, कटनी छपरा, स्लिमनाबाद, बहोरीबंद, सिहोरा, नरसिंहपुर, देवास, छतरपुर में बड़े पैमाने पर लीज ले रखी है, पिछले 12 सालों में 165 खनिज पट्टे करवा कर खुद अपने बेटों के साथ मिल कर खनन का कारोबार कर रहा है. माइनिंग से ही करोड़ों रुपए की कमाई रज्जाक को हर महीने होती है.
रज्जाक के मुंबई, गोवा, हैदराबाद समेत देश के कई दूसरे शहरों में कारोबार हैं. रज्जाक के विरार मुंबई के भाई ठाकुर और वहीं के राजूभाई से कारोबारी रिश्ते हैं. राजू विरार और भाई ठाकुर के बारे में कहा जाता है कि दोनों दाऊद इब्राहिम की डी कंपनी से जुड़े हैं.
रज्जाक जबलपुर, सिहोरा, कटनी, नरसिंहपुर जिले में पिछले 10 सालों में 6000 एकड़ जमीन का मालिक बन बैठा है.
पुलिस को मिली रज्जाक की काल डिटेल्स में इस बात का खुलासा हुआ है कि रज्जाक पाकिस्तान, बांग्लादेश, दुबई में बैठे अपने आकाओं से बात करता था.
रज्जाक के बारे में कहा जाता है कि वह काली कमाई से होने वाली आमदनी अपने पास नहीं रखता था. वह इतना शातिर है कि अपना सारा पैसा चश्मे के व्यापार से जुड़े एक राजनीतिक दल के प्रवक्ता के घरों में रखता था. इसी तरह नया मोहल्ला, बड़ी ओमती, रद्दी चौकी व आनंद नगर के कई घरों में इस के पैसे रखे जाते थे.
पुलिस सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी में यह बात भी पता चली है कि वह 80 से 100 करोड़ तो इन लोगों के पास हर वक्त कैश रखता था. हिस्ट्रीशीटर अब्दुल रज्जाक के काले कारनामे एकएक कर सामने आने के बाद पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है कि अपनी काली करतूत छिपाने के लिए पत्नी के नाम से कारोबार करता है. अधिकतर संपत्ति और कारोबार पत्नी सुबीना बेगम के नाम पर है.
2 कलेक्टरों की बरसती थी इस पर कृपा
रज्जाक ने उत्तर प्रदेश के बांदा के हथियार तस्कर उमर कट्टा से बड़े पैमाने पर अवैध हथियारों की खरीदी की है. उस ने अवैध तरीके से खरीदे इन हथियारों को अपने गांव रांकई, लिंगा पिपरिया, सर्रापीपर से लगे गांव में छिपा कर अपने करीबियों के यहां जमा करवा रखे हैं. जबलपुर में कई रियल एस्टेट के धंधे में इस के सीधे या परोक्ष रूप से जुड़ाव की जानकारी सामने आई है.
सीधी के कलेक्टर रहे विशेष गड़पाले और कटनी कलेक्टर रहे प्रकाश चंद जांगड़े के रहते कई शस्त्र लाइसेंस दोनों जिले से रज्जाक के परिजनों और खास गुर्गों के नाम जारी हुए थे. जैसे ही रज्जाक का प्रकरण तूल पकड़ा, कटनी शस्त्र शाखा से लाइसेंस संबंधी फाइल ही गुम हो गई.
यूंतो मध्य प्रदेश के जबलपुर को संस्कारधानी कहा जाता है, मगर यह शहर मुजरिम और उन के ठिकानों के लिए भी जाना जाता है. जबलपुर शहर में अब्दुल रज्जाक, महादेव पहलवान, पिंकू काला, छोटू चौबे की डबल टू डबल टू गैंग, विजय यादव की वी कंपनी, सावन बेन की सावन हौआ गैंग, रावण उर्फ ऋषभ शर्मा जैसे दरजनों गैंगस्टरों का आतंक रहा है.
इन गैंगस्टरों का काम शहर में अपने बाहुबल के दम पर रंगदारी वसूलना और सुपारी ले कर हत्या जैसी वारदात को अंजाम देना था. इन गैंगस्टर में अब्दुल रज्जाक उर्फ रज्जाक पहलवान का रिकौर्ड ज्यादा खौफनाक रहा है.
अब्दुल रज्जाक का बचपन भी जबलपुर के ओमती थाना इलाके के रिपटा नाला के पास नया मोहल्ला में बीता है. जबलपुर के इस कुख्यात गैंगस्टर रज्जाक पहलवान के नाम से बड़ेबड़े अपराधी भी खौफ खाते हैं.
30 साल की उम्र में जुर्म की दुनिया में कदम रखने वाला अब्दुल रज्जाक आज भले ही 62 साल का हो गया है, मगर मध्य प्रदेश के खूंखार गैंगस्टर्स की लिस्ट में उस का नाम अभी भी शुमार किया जाता है.
कभी पुलिस की आंखों की किरकिरी रहे अब्दुल रज्जाक पर मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र के पुलिस थानों में करीब 86 आपराधिक मामले दर्ज हैं. इतना ही नहीं, इटली और अमेरिका मेड रायफल और धारदार हथियारों के दम पर जबलपुर में अपने जुर्म का साम्राज्य खड़ा करने वाले कुख्यात गैंगस्टर अब्दुल रज्जाक के गैंग में सैकड़ों की संख्या में उस के गुर्गों की पूरे इलाके में तूती बोलती है.
अब्दुल रज्जाक की आसपास के जिलों में ही नहीं बल्कि मुंबई, गोवा, हैदराबाद जैसे शहरों के अलावा दुबई, दक्षिण अफ्रीका में भी करोड़ों रुपयों की प्रौपर्टी के साथ माइनिंग का अवैध कारोबार भी फैला हुआ है.
अब्दुल रज्जाक के गैंग में उस के भाई, बेटे और भतीजे के साथ बड़ा गिरोह है, जिस पर जमीन कब्जाने, गैंगवार, अवैध हथियारों की तसकरी, हत्या, बमबारी जैसे संगीन मामलों में मध्य प्रदेश के अलगअलग थानों में केस दर्ज है. आरोपी अपने बाहुबल का उपयोग कर के अदालतों में गवाहों को पलट देता है. चुनावों में शराब और पैसे बांट कर नेताओं को अपने हाथ की कठपुतली बनाने वाले कुख्यात रज्जाक पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों के नेताओं की छत्रछाया हमेशा बनी रही, जिस से उस के अपराध सिर चढ़ कर बोलते रहे.
नरसिंहपुर में पुलिस एनकाउंटर में ढेर जबलपुर के कुख्यात बदमाश गोरखपुर निवासी विजय यादव को रज्जाक ने ही अपराध का ककहरा सिखाया.
एक वक्त ऐसा भी आया, जब विजय यादव को उस ने अपना चौथा बेटा बना लिया था. विजय यादव घर भी नहीं जाता था. पर बाद में इन दोनों के रिश्तों में खटास आ गई. यही खटास विजय यादव के अंत की वजह भी बनी.
रज्जाक गैंग का संबंध दूसरे प्रदेश के अपराधियों से भी है. यही वजह है कि दूसरे प्रदेशों में आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने के बाद अपराधी फरारी काटने रज्जाक के ठिकानों पर महीनों पड़े रहते हैं.
रज्जाक के खौफ के चलते या तो गवाह बदल जाते हैं या फिर शिकायतकर्ता ही अपनी रिपोर्ट वापस ले लेते हैं. इस गैंगस्टर के डर से कई लोगों ने अपनी कीमती जमीन उसे औनेपौने दामों पर बेच दी. कई तो दहशत में उस के खिलाफ थाने में शिकायत तक नहीं करा पाए.
आरोपी ने जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, हैदराबाद, गोवा, मुंबई, दुबई, साउथ अफ्रीका तक होटल, खनिज, प्रौपर्टी का बिजनैस खड़ा कर लिया है. खुद उस का बेटा सरताज पहले से दुबई में शिफ्ट हो चुका है.
डेयरी के धंधे से गैंगस्टर बनने तक का सफर
अब्दुल रज्जाक कभी अपने परिवार के साथ मिल कर दूध का धंधा करता था. रज्जाक को बचपन से ही पहलवानी और कसरत का शौक था, इसी कारण लोग उसे पहलवान के नाम से जानते थे.
पहलवानी करतेकरते ताकत और दौलत का नशा रज्जाक पर इस कदर हावी हुआ कि उस ने दूध डेयरी के बाद टोल टैक्स वसूलने वाले टोल बूथ के ठेके लेने शुरू कर दिए. यहीं से उस के गैंगस्टर बनने की दिलचस्प कहानी शुरू होती है.
अब्दुल रज्जाक का जन्म 1959 में मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के छोटे से मुसलिम बाहुल्य गांव राकई पिपरिया में हुआ था. उस के वालिद अब्दुल वहीद रज्जाक के जन्म के कुछ ही महीनों के बाद अपनी पैतृक संपत्ति बेच कर राकई से जबलपुर के नया मोहल्ला में रहने लगे थे.
अब्दुल वहीद ने गौर नदी के पास बरेला में दूध की डेयरी खोल कर अपने धंधे की शुरुआत की. रज्जाक ने क्राइस्ट चर्च स्कूल से 8वीं तक पढ़ाई की और फिर पिता के साथ दूध की डेयरी में हाथ बंटाने लगा. डेयरी के धंधे में खूब पैसा कमाने के बाद रज्जाक ने वहां पर 40 एकड़ जमीन खरीद ली.
दूध डेयरी से हुई कमाई के बाद रज्जाक 1990 में टोल टैक्स बैरियर के ठेके में उतरा. रज्जाक ने प्रकाश खंपरिया, लखन घनघोरिया (कांग्रेस विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री), शमीम कबाड़ी, सिविल लाइंस स्थित पुराने आरटीओ परिसर में रहने वाले मुन्ना मालवीय (फैक्ट्री में तब एकाउंटेंट) के साथ मिल कर मंडला जिले के बीजाडांडी, सिवनी जिले के छपारा, नागपुर के भंडारा और जबलपुर के तिलवारा और मेरेगांव में टोल बूथ के ठेके ले लिए थे. अपनी गुंडागर्दी और दहशत की वजह से देखते ही देखते वह ठेकेदारी के इस कारोबार में स्थापित हो गया.
पुलिस के रिकौर्ड में इस कुख्यात गैंगस्टर के जुर्म का हर पन्ना स्याह है. ठेके के धंधे में उतरने के बाद रज्जाक की प्रतिस्पर्धा बढ़ गई थी. इस के बाद उस ने अपना एक गैंग बना लिया. गोरखपुर का महबूब अली गैंग भी इसी धंधे में था.
टोल नाका का ठेका लेने के बाद रज्जाक का सामना टोलनाका ठेकेदार महबूब अली से हुआ. उन दिनों जबलपुर सहित आसपास के जिलों के कई टोल बूथों के ठेके महबूब अली के पास थे.
बादशाहत कायम करने के लिए गैंगवार
1991 में रज्जाक ने टोल बूथों की नीलामी में बढ़चढ़ कर बोली लगाई और महबूब अली के ठेके हथिया लिए. इस बात को ले कर महबूब अली रज्जाक को अपना सब से बड़ा दुश्मन समझने लगा. टोल ठेका में वर्चस्व स्थापित करने से शुरू हुई गिरोहबंदी गैंगवार में तब्दील हो गई.
रज्जाक ने बसस्टैंड मदनमहल में पहली बार 6 फरवरी, 1996 को महबूब गैंग पर जानलेवा हमला कर दिया. इस प्रकरण में रज्जाक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई थी. यहीं से रज्जाक चर्चाओं में आया और उस की बादशाहत कायम हुई.
रज्जाक ने अपनी बादशाहत कायम करने के लिए अपने गुर्गों की मदद से लोगों को धमकी देना, मकान और जमीन को कौडि़यों के भाव में खरीदना शुरू कर दिया.
महबूब अली की सल्तनत पर जब रज्जाक ने कब्जा कर लिया तो महबूब अली गैंग भी रज्जाक से इंतकाम लेने के लिए कमर कस चुकी थी. जबलपुर शहर में दोनों गैंगों के बीच आए दिन मारपीट और खूनखराबा की घटनाएं आम हो चुकी थीं. शहर के लोग हरदम इन के खौफ के साए में रहते थे.
रज्जाक पर हमले की फिराक में रह रहे महबूब अली ने 29 अगस्त, 2000 को हाईकोर्ट जबलपुर के पास अब्दुल रज्जाक पर गोली चला कर कातिलाना हमला किया. इस वारदात के बाद दोनों गैंग एकदूसरे के खून के प्यासे बन गए.
पैसे और प्रभाव से पलट जाते थे गवाह
अब्दुल रज्जाक अपने ऊपर हुए कातिलाना हमले से इस कदर बौखला गया कि हर वक्त वह बदला लेने की योजना बनाता रहता. आखिरकार 14 जुलाई, 2003 को गोरखपुर क्षेत्र में महबूब अली के छोटे भाई अक्कू उर्फ अकबर की गोली मार कर हत्या कर दी गई.
इस हत्या में अब्दुल रज्जाक सहित उस के गैंग के 19 गुर्गों को आरोपी बनाया गया था. लेकिन रज्जाक ने पैसे और अपने प्रभाव का उपयोग कर गवाहों को प्रभावित कर दिया. इस के चलते कोर्ट से वह दोषमुक्त हो गया.
रज्जाक इस मामले में धारा 120बी आईपीसी का आरोपी बना था, मगर उस ने घटना वाले दिन को ग्वालियर स्टेशन पर आरपीएफ में बिना टिकट यात्रा में खुद का चालान करा कर प्रकरण से बचने के प्रयास में सफल रहा.
2006 में रज्जाक ने गोहलपुर निवासी मोहम्मद अकरम के घर में घुस कर जान से मारने की धमकी दी थी. इन सभी मामलों में आरोपी ने गवाहों को धमका कर अपने पक्ष में कर लिया था.