इस के बाद उस ने अतुल की ओर देखा, जो कभी पटेल को देख रहा था और कभी लिलि को. उस के चेहरे पर उलझन थी. लिलि समझ गई थी कि योगेन ने ही इंसपेक्टर पटेल को यह बताया होगा.
“इंसपेक्टर, आप मुझ से सवाल पर सवाल किए जा रहे हैं और इस आदमी से कुछ नहीं पूछ रहे हैं, जिसके गाल पर अभी तक लिपस्टिक का निशान है.” लिलि ने कहा.
“तुम चुपचाप आराम से बैठो. यह पुलिस की जांच है, कोई मजाक नहीं. बेकार की बातें करने के बजाय यह बताओ कि तुम डाक्टर के औफिस में क्यों गई थी?” इंसपेक्टर पटेल ने पूछा.
“तुम्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होना चाहिए.” लिलि ने गुस्से में कहा.
इस बात पर उस का पति अतुल गुस्से में बोला, “पर मुझे मतलब है लिलि. मुझे बताओ कि तुम डा. परीचा के औफिस में क्यों गई थीं?”
“अतुल, तुम क्यों पागल हो रहे हो?”
“मैं तुम्हारा पति हूं. मेरा पूरा हक है यह जानने का कि तुम डाक्टर के पास क्यों गई थीं? क्या मैं बेवकूफ हूं कि इतनी बड़ी रकम खर्च कर के तुम्हारे लिए हीरों का नेकलैस खरीद रहा था? मेरी यही मंशा थी कि तुम डाक्टर का खयाल तक न करो, पूरी तरह मेरी वफादार बन जाओ. रीना ने ही मुझ से कहा था कि मैं वह हीरों का नेकलैस इस के मंगेतर योगेन के जरिए खरीदूं, ताकि उस का कुछ भला हो जाए. उसे कमीशन मिल सके.
यह इतना कीमती नेकलैस मैं ने तुम्हारे लिए ही खरीदा था और इस के बदले मैं तुम्हारी वफा चाहता था, लेकिन मुझे खुशी है कि वह नेकलैस चोरी हो गया. अच्छा हुआ जो तुम जैसी बेवफा औरत को नहीं मिला. वैसे भी मैं ने कौन सी अभी उस की कीमत अदा की है. अच्छा हुआ कि तुम्हारे चेहरे से नकाब उतर गया. तुम्हारी असली सूरत सामने आ गई. शक तो मुझे पहले भी था, अब तो इस का सबूत भी मिल गया.”
“जहन्नुम में जाओ तुम और तुम्हारा नेकलैस. मामूली सी बात का बतंगड़ बना दिया सब ने.” लिलि गुस्से से बोली.
“तुम दोनों लडऩाझगडऩा बंद करो. यह तुम्हारा आपस का मामला है. घर जा कर सुलझाना. यहां जांच हो रही है, उस में अड़ंगे मत डालो.” इंसपेक्टर पटेल ने कहा.
इंसपेक्टर पटेल ने डा. परीचा और प्रेम प्रकाश को अंदर बुलाया. डा. परीचा सेहतमंद और काफी स्मार्ट था. प्रेमप्रकाश लंबा और स्लिम था. वह इंश्योरैंस एजेंट था.
“प्रेमप्रकाश, जब तुम डाक्टर को बुलाने उस के औफिस में गए थे तो वह अकेला था या उस के साथ कोई और था?” इंसपेक्टर ने पहला सवाल किया.
“मैं सिर्फ बाहरी कमरे तक ही गया था. वह वहां अकेला ही था. अंदर के कमरे में कोई रहा हो तो मुझे मालूम नहीं.” प्रेमप्रकाश ने कहा.
“तुम क्या कहते हो डा. परीचा?” पटेल ने डा. परीचा से पूछा.
“मैं अकेला था.” डाक्टर धीरे से बोला.
“लिलि पराशर तुम्हारे साथ नहीं थीं?” उस ने इनकार में सिर हिला दिया.
“पर लिलि ने तो मान लिया है कि वह तुम्हारे साथ थी.” इंसपेक्टर पटेल ने कहा. पर डाक्टर इनकार करता रहा.
“डाक्टर, पुलिस के काम में उलझन मत पैदा करो. तुम्हें अंदाजा नहीं है कि तुम्हारा यह झूठ तुम्हें मुश्किल में डाल सकता है. लिलि और उस के पति ने मान लिया है कि वह तुम्हारे कमरे में थी. पर तुम लगातार इनकार कर रहे हो. आखिर कारण क्या है?”
“मि. अतुल एक शक्की आदमी है. मैं नहीं चाहता कि मेरे सच बोलने की वजह से लिलि के लिए कोई मुसीबत खड़ी हो. वह पागल आदमी उस का जीना मुश्किल कर देगा.” डा. परीचा ने कहा.
“तुम और लिलि शादी के पहले से दोस्त हो?”
पटेल ने अचानक प्रेमप्रकाश से सवाल किया, “तुम ने मि. अतुल को इस लडक़ी और योगेन को करीब खड़े देखा था, ये दोनों फर्श पर पड़े थे, तुम अपने औफिस से इस औफिस में क्यों आए थे?”
“मैं यहां शोर सुन कर वजह जानने आया था.”
“तुम्हें नेकलैस के बारे में मालूम था?” पटेल ने घूरते हुए पूछा.
“जी, अतुल ने मुझ से ही उस कीमती नेकलैस का इंश्योरैंस करवाया था. मुझे यह भी पता था कि वह नेकलैस आज ही उन्हें मिलने वाला है.” प्रेमप्रकाश ने कहा.
“उस नेकलैस के चोरी होने से तुम्हें तो नुकसान होगा?” पटेल ने पूछा.
“मुझे तो नहीं, हां मेरी कंपनी को जरूर नुकसान होगा. इस के लिए पुलिस जांच की रिपोर्ट की जरूरत पड़ेगी.” प्रेमप्रकाश ने बताया.
“क्या तुम रेस खेलते हो, घोड़ों पर रकम लगाते हो, यह बहुत महंगा शौक है?” पटेल ने पूछा.
“तुम्हारा मतलब है नेकलैस मैं ने चुराया है?” प्रेमप्रकाश ने खीझ कर पूछा.
पटेल ने उसे जवाब देने के बजाय डाक्टर से पूछा, “तुम इतनी रात तक अपने औफिस में क्या कर रहे थे? लिलि की राह देख रहे थे क्या?”
“मुझे लिलि के आने के बारे में कुछ भी पता नहीं था. वह जिस वक्त मेरे पास आई, घबराई हुई थी. उस ने बताया कि कोई उस का पीछा कर रहा है. उस ने यह भी कहा कि वह आदमी उस के पति के औफिस में गया है. इस के बाद हम बातें करने लगे. तभी प्रेमप्रकाश आ गया. मैं ने लिलि को अंदर वाले कमरे में भेज दिया और अपना बैग ले कर उस के साथ यहां आ गया.
लिलि को मुझे छिपाना नहीं चाहिए था.” डाक्टर ने कहा.
“उस के बाद क्या हुआ?” पटेल ने पूछा.
“जब मैं अतुल के औफिस में पहुंचा तो रीना मर चुकी थी. मगर यह लडक़ा जिन्दा था. इस के सिर पर चोट आई थी. अगर चोट जरा भी गहरी होती तो यह मर भी सकता था.” डाक्टर ने कहा.
“अच्छा, तुम दोनों जा सकते हो.” पटेल ने कहा.
“क्या मैं भी जा सकता हूं?” योगेन ने पूछा.
इंसपेक्टर पटेल ने उसे भी इजाजत दे दी.
योगेन की चोट तकलीफ दे रही थी. सिर के पिछले हिस्से में दर्द था. उस की नजरों के सामने बारबार रीना की लाश आ रही थी. कैसी हंसतीमुसकराती लड़की मिनटों में मौत की गोद में समा गई. नींद उस की आंखों से कोसों दूर थी. रीना से मुलाकात का दृश्य उस की आंखों में घूम रहा था, कानों में उस की आवाज गूंज रही थी. वह उन आवाजों के बारे में सोचने लगा, जो जरा होश में आने पर उस के कानों में पड़ी थी.
अचानक एक आवाज उसे याद आई तो वह उछल पड़ा. उस ने उसी वक्त इंसपेक्टर पटेल को फोन किया. पटेल ने झुंझला कर कहा, “अभी तुम सो जाओ, सुबह बात करेंगे.”
“इंसपेक्टर साहब, सुबह तक बहुत देर हो जाएगी. सारा खेल खतम हो जाएगा. हमें अभी और इसी वक्त बिजनैस सेंटर चलना होगा. मुझे उम्मीद है कि नेकलैस भी बरामद कर लेंगे और कातिल को भी पकड़ लेंगे.”