बहुचर्चित लीना शर्मा हत्याकांड : मामा को मिली सजा

बहुचर्चित लीना शर्मा हत्याकांड : कंस मामा को मिली सजा – भाग 3

29 अप्रैल, 2016 को जब लीना अपने साथ सोहागपुर से ही तारबंदी का सामान ले कर प्रताप कुशवाहा और दूसरे लोगों के साथ अपने खेत पर पहुंची तो तारबंदी करने को ले कर उस का मामा प्रदीप से विवाद इतना बढ़ा कि प्रदीप ने लीना के साथ आए लोगों को यह कह कर वहां से खदेड़ दिया कि ‘‘ये हमारा आपस का मामला है, हम दोनों निपटा लेंगे.’’

तड़पा कर की थी लीना की हत्या…

लीना के साथ आए लोगों के वहां से जाने के बाद प्रदीप शर्मा उसे अपने खेत पर बने घर पर ले गया. वहां पहुंच कर प्रदीप ने लीना के सिर पर डंडे से हमला कर दिया. तभी प्रदीप के नौकर गोरेलाल, राजेंद्र ने उस के सिर पर पत्थर से हमला कर दिया. सिर में गहरी चोट लगने से वह जमीन पर गिर गई और थोड़ी देर तक तड़पने के बाद उस की मौत हो गई. लीना की मौत के बाद प्रदीप ने दोनों नौकरों से कहा, ‘‘जाओ, जल्दी से ट्रैक्टर ट्रौली ले कर आओ. लाश को ठिकाने लगाना पड़ेगा.’’

“जी मालिक, अभी लाते हैं. मगर किसी ने देख लिया तो सीधे जेल ही जाएंगे.’’ गोरेलाल डर के मारे बोला.

“मेरे बीवीबच्चों का क्या होगा मालिक.’’ राजेंद्र ने भी आशंका व्यक्त करते हुए कहा.

“डरने की बात नहीं है, जो हुआ उसे भूल जाओ और लाश ठिकाने लगाने में मेरी मदद करो. आज के बाद किसी से इस बात की चर्चा भी नहीं करना.’’ प्रदीप शर्मा ने दोनों को भरोसा दिलाते हुए कहा. प्रदीप शर्मा के कहने पर गोरेलाल और राजेंद्र कुछ ही देर में ट्रैक्टर ट्रौली ले कर आ गए. तीनों ने मिल कर लीना की लाश को ट्रैक्टर ट्रौली में रखा और उस के ऊपर घासफूस रख कर नौकरों के साथ सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र के कामती के जंगल में पहुंच गए.

वहां बरसाती नाले में सब से पहले गोरेलाल और राजेंद्र ने गड्ढा खोदा और उस गड्ïढे में नमक और यूरिया खाद डाल दी. बाद में लीना के शरीर के कपड़े उतार कर उसे दफना दिया. 14 मई, 2016 को प्रदीप शर्मा की निशानदेही पर पुलिस टीम ने और तहसीलदार की मौजूदगी में नगरपालिका के कर्मचारियों के सहयोग से लीना की लाश निकाली.

शव पर मिले टैटू और ब्रेसलेट से लीना शर्मा की बहन हेमा शर्मा ने शिनाख्त की. बाद में लीना शर्मा के सैंपल से हेमा शर्मा का डीएनए भी मैच कराया गया. प्रदीप ने लीना के कपड़ों में मिले पर्स से वसीयतनामा निकाल कर उस की जींस पैंट और पर्स को अपने घर के पीछे खेत की मेड़ पर जला दिया था, जबकि वसीयतनामा को अपने पास रख लिया था.

3 डाक्टरों के पैनल ने किया था पोस्टमार्टम…

14 मई को जिस तरह की हालत में लीना का शव मिला था, उस से दुष्कर्म की आशंका भी जताई जा रही थी. इस वजह से 3 डाक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया. शव 15 दिन पुराना होने से बुरी तरह सड़ चुका था. पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली तो डाक्टरों ने सिर में गहरी चोट से फ्रैक्चर होना और उसी वजह से मौत होने की बात कही थी.

पोस्टमार्टम करते समय डाक्टरों ने दुष्कर्म जैसी घटना की आशंका को देखते हुए वैजाइनल स्लाइड भी बनाई. सभी नमूनों की जांच सागर फोरैंसिक लेबोरेटरीज में कराई गई थी. पोस्टमार्टम के बाद 15 मई, 2016 को लीना की बहन हेमा और बहनोई ने सोहागपुर आ कर लीना का अंतिम संस्कार किया था. पुलिस की दिन भर हुई पूछताछ में प्रदीप ने कई राज उगले थे. उस ने बताया कि लीना की मौत सिर में चोट लगने से नहीं, बल्कि पत्थरों से कुचलने और गला दबाने से हुई थी.

दृश्यम फिल्म की तरह रची गई कहानी…

2015 में आई अजय देवगन की फिल्म ‘दृश्यम’ की कहानी से इस मामले की कहानी मिलतीजुलती है. लीना के हत्यारों ने भी उस के 2 सेलफोन में से एक को घटनास्थल से करीब 30 किलोमीटर दूर पिपरिया (होशंगाबाद) रेलवे स्टेशन पर फेंक दिया था, ताकि पुलिस उस की लोकेशन को ले कर भ्रमित होती रहे.

इत्तेफाक से यह मोबाइल जिस यात्री को मिला, उस ने सिम कार्ड फेंकने के बाद मोबाइल फोन अपने पास रख लिया. बाद में 5 मई को पिपरिया में एक व्यक्ति को यह सिम मिला तो उस ने इसे दूसरे फोन सेट में डाला. जब लीना के दोस्त का फोन काल आया तो उस ने लीना के साथ कुछ गलत होने के बारे में उसे सतर्क कर दिया गया.

इसी मोबाइल की काल डिटेल्स से पूरे मामले की कडिय़ां जुड़़ती गईं और लापता होने के 15वें दिन पुलिस ने एसडीएम, तहसीलदार की उपस्थिति में गड्ïढा खुदवा कर लीना की लाश को निकलवाया. प्रदीप ने पुलिस के सामने यह प्रदर्शित करने का प्रयास किया कि उस के आदमियों ने लीना पर रौड और पत्थरों से हमला किया था, क्योंकि लीना ने 29 अप्रैल, 2016 को भूमि विवाद को ले कर उस पर हमला किया था.

लेकिन होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम) पुलिस की जांच से पता चला कि यह एक पूर्व नियोजित हत्या थी. ‘‘लीना के प्रदीप पर हमला करने के कोई निशान नहीं मिले थे. जिस तरह से लीना के सामान को नष्ट कर दिया गया और उस के शरीर को कामती जंगल (डूडादेह गांव से 4 किलोमीटर दूर) में फेंक दिया गया और उस के सेलफोन को ट्रेन में फेंकने का प्रयास किया गया. उस से पता चलता है कि हत्या पूर्व नियोजित थी.

इस के अलावा, हत्या के सबूत नष्ट करने के लिए दफनाने से पहले उस के शरीर पर यूरिया और नमक छिडक़ने की हरकत भी इस ओर इशारा करती है कि यह एक पूर्व नियोजित हत्या थी.

साल भर के भीतर मिली जमानत…

लीना शर्मा की लाश काफी सड़ चुकी थी. उस की पहचान कराने के लिए बहन हेमा शर्मा का भोपाल में डीएनए टेस्ट कराया था. डीएनए रिपोर्ट से लीना के शव की पहचान हुई थी. हत्या के खुलासे के बाद लीना के मामा प्रदीप शर्मा, नौकर गोरेलाल, राजेंद्र को हत्या के आरोप में सोहागपुर पुलिस ने गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया था.

प्रदीप शर्मा के परिवार के लोगों ने जमानत के लिए एड़ीचोटी का जोर लगा दिया था. जबकि लीना की तरफ से कोई पहल नहीं हुई थी. यही वजह रही कि प्रदीप शर्मा के घर वाले कोर्टकचहरी में पानी की तरह पैसा बहा रहे थे. और उन की कोशिश कामयाब भी रही. एक साल के अंदर ही तीनों आरोपियों को कोर्ट से जमानत मिल गई. लीना की हत्या के 9 महीने बाद 22 फरवरी, 2017 को प्रदीप शर्मा को कोर्ट ने जमानत दे दी. इसी तरह 11 महीने बाद पहली अप्रैल, 2017 को गोरेलाल और राजेंद्र भी जमानत पर बाहर आ गए.

21 मार्च, 2023 को कोर्ट का फैसला आते ही कोर्ट रूम में मौजूद सोहागपुर पुलिस ने प्रदीप शर्मा, गोरेलाल और राजेंद्र को गिरफ्तार कर लिया और उप जेल पिपरिया भेज दिया गया. जिस जमीन पर कब्जे के लिए लीना ने जान गंवाई, उस पर मामा प्रदीप शर्मा का कब्जा आज भी कायम है. उस पर प्रदीप शर्मा के घरपरिवार के लोग फसल उगा रहे हैं. लीना शर्मा की बहन हेमा मिश्रा, जो अपने पति के साथ कर्नाटक के बेंगलुरु में ही रहती है. वारदात के बाद वो इतनी डर गई थी कि कभी जमीन को पाने वो गांव नहीं आई.

—कथा कोर्ट के फैसले, लोक अभियोजक शंकरलाल मालवीय से बातचीत और मीडिया रिपोर्ट पर आधारित

बहुचर्चित लीना शर्मा हत्याकांड : कंस मामा को मिली सजा – भाग 2

29 अप्रैल, 2016 की सुबह 9 बजे लीना शर्मा सोहागपुर से आटोरिक्शा ले कर अपने ननिहाल डूडादेह गांव में प्रताप कुशवाहा, उस के कर्मचारी गंगाराम और तुलाराम के साथ मौके पर पहुंच गई. मामा प्रदीप शर्मा ने उन्हें तारबंदी कराने से रोकते हुए कहा, ‘‘लीना, मैं भी अपनी जमीन की तारबंदी कराने वाला हूं, तुम परेशान मत हो, मैं दोनों की एक साथ ही करा दूंगा.’’

जब लीना ने मामा की बात नहीं मानी तो प्रदीप शर्मा लीना के साथ आए कर्मचारियों को भलाबुरा कहने लगा. प्रताप कुशवाहा, गंगाराम और तुलाराम प्रदीप शर्मा के तेवर देख कर तारबंदी का सामान वहीं खेत के पास रहने वाले डेनियल प्रकाश के घर पर छोड़ कर वहां से भाग खड़े हुए.

मामा ने कराई गुमशुदगी…

5 मई, 2016 को सोहागपुर पुलिस स्टेशन में प्रदीप शर्मा ने गुमशुदगी की सूचना दर्ज कराई. प्रदीप ने तत्कालीन टीआई राजेंद्र वर्मन को बताया, ‘‘38 वर्ष की मेरी भांजी लीना शर्मा दिल्ली में अमेरिकन एंबेसी में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर काम करती है. लीना 28 अप्रैल, 2016 को गांव डूडादेह मुझ से मिलने आई थी. उसी दिन मुझ से मिल कर वह जबलपुर जाने को कह कर निकली थी. जब 29 अप्रैल को मैं ने उसे काल किया तो उस का मोबाइल बंद आता रहा. मैं लगातार लीना से संपर्क करता रहा, लेकिन अब तक उस की कोई खोजखबर नहीं मिली.’’

मामला चूंकि अमेरिकी दूतावास की कर्मचारी से जुड़ा था, लिहाजा टीआई राजेंद्र वर्मा ने लीना की गुमशुदगी के मामले को गंभीरता से लेते हुए गुमशुदगी दर्ज होने के बाद लीना के मोबाइल नंबर को ट्रेस कराने की कोशिश की तो उस की लोकेशन पिपरिया की मिली. सोहागपुर पुलिस टीम ने पिपरिया जा कर लोकेशन ट्रेस कर एक युवक अमन वर्मा (परिवर्तित नाम) के पास से लीना का मोबाइल जब्त कर लिया. अमन ने पूछताछ में पुलिस को बताया, ‘‘मुझे यह मोबाइल भोपाल इटारसी बीना विंध्याचल एक्सप्रेस ट्रेन में मिला था, मैं ने इसे चुराया नहीं है.’’

पुलिस ने पिपरिया से मिले लीना के मोबाइल की जब काल डिटेल्स निकाली तो पहली बार पुलिस को कुछ अहम सुराग मिले. काल डिटेल्स में मिले आखिरी नंबर पर पुलिस ने फोन किया तो यह नंबर किसी आटोरिक्शा चालक का नंबर निकला. आटो वाले ने पुलिस को बताया कि उस ने खुद अपने आटो से 29 अप्रैल की सुबह लीना शर्मा को डूडादेह गांव में खेत के पास छोड़ा था.

सोहागपुर पुलिस ने इस विरोधाभास को नोट किया कि 5 मई, 2016 को उस के मामा प्रदीप शर्मा ने सोहागपुर थाने में लीना के गायब होने की जो गुमशुदगी दर्ज कराई, उस में 28 अप्रैल की सुबह 9 बजे से उस के लापता होने की बात कही थी. जबकि आटो चालक 29 अप्रैल को सुबह लीना को गांव छोड़ कर आने की बात कह रहा था. ऐसे में पुलिस को शक हुआ कि आखिर लीना के मामा ने उस के गांव में आने को ले कर झूठ क्यों बोला?

प्रदीप शर्मा की तरह ही उस के 2 नौकर गोरेलाल मसकोले और राजेंद्र कुमरे के बयान में भी विरोधाभास था. यहीं से पुलिस का शक मामा पर गहराने लगा, लेकिन पुलिस के पास कोई पुख्ता सबूत हाथ नहीं लगा था. प्रदीप शर्मा कांग्रेस का ताकतवर नेता था, इसलिए पुलिस उस पर बिना सबूत हाथ डालने से कतरा रही थी.

‘सेव लीना’ कैंपेन से पुलिस पर बढ़ा दबाव…

लीना शर्मा की हत्या एक राज ही बन कर रह जाती, अगर उस के दोस्त उसे नहीं ढूंढ़ते. जब लीना शर्मा तयशुदा वक्त पर नहीं लौटी और उस का मोबाइल फोन बंद रहने लगा तो भोपाल में रह रही उस की सहेली रितु शुक्ला ने उस की गुमशुदगी की खबर पुलिस कंट्रोल रूम में दी. लीना की गुमशुदगी की रिपोर्ट न तो उन की बहन हेमा मिश्रा ने दर्ज कराई और न ही अन्य परिजनों ने. उन की सहेली रितु शुक्ला, क्लासमेट शादबिल औसादी आदि ने पुलिस और मीडिया तक गुम होने की खबर वाट्सऐप और फेसबुक के माध्यम से पहुंचाई थी.

लीना के लापता होने से उस के दोस्तों ने सोशल साइट फेसबुक पर ‘सेव लीना’ नाम से एक कैंपेन भी चलाया, जिसे अच्छाखासा समर्थन मिल रहा था. लीना के दोस्त इस अभियान के जरिए पुलिस पर लीना की तलाश के लिए दबाव बना रहे थे. पुलिस पर इस मामले को सुलझाने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा था.

स्टेट ही नहीं, नैशनल मीडिया में भी लीना के लापता होने या फिर उस की हत्या की खबर छाई हुई थी, लेकिन आरोपी प्रदीप शर्मा के राजनीतिक प्रभाव की वजह से कोई भी उस के खिलाफ बयान देने को तैयार नहीं था. एक तरफ पुलिस लीना की तलाश में जुटी थी, वहीं भोपाल और दिल्ली से लीना के दोस्त पुलिस को लगातार फोन कर रहे थे. लीना के कुछ दोस्तों ने ही पुलिस को बताया कि लीना का अपने मामा के साथ जमीन का विवाद चल रहा है.  हो सकता है कि उस के गायब होने में उन का हाथ हो, लेकिन पुलिस के पास कोई ठोस सबूत नहीं थे, इसलिए गिरफ्तारी नहीं हो पा रही थी.

उस समय होशंगाबाद के तत्कालीन एसपी आशुतोष सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सोहागपुर पुलिस को लीना की खोज करने के निर्देश दिए थे. सोहागपुर पुलिस ने जब प्रदीप शर्मा से संपर्क किया तो वह घबरा गया और पुलिस को गुमराह करने के इरादे से उस ने भांजी के गुम होने की रिपोर्ट लिखाई थी. देर से रिपोर्ट लिखाए जाने से प्रदीप शर्मा शक के दायरे में आया और जमीन के झगड़े की बात सामने आई तो पुलिस का शक यकीन में बदल गया.

एक झूठ ने पुलिस को हत्यारों तक पहुंचाया

पुलिस को जब यह जानकारी मिली कि लीना शर्मा और उस के मामा प्रदीप के बीच तारबंदी को ले कर विवाद हुआ था और इस के बाद तारबंदी नहीं हुई तो पुलिस ने लीना के साथ गए तारबंदी करने वालों से सख्ती से पूछताछ की तब उस की हत्या का खुलासा हो गया. पुलिस ने प्रदीप शर्मा के 2 नौकरों गोरेलाल और राजेंद्र को 13 मई, 2016 की शाम को पूछताछ के लिए पुलिस ने उठाया तो उन से अलगअलग पूछताछ शुरू की. पहले तो वह भी पूरी घटना से अनजान होने का नाटक करते रहे, लेकिन पुलिस की सख्ती के सामने दोनों जल्दी ही टूट गए. उन्होंने 2 घंटे में राज उगल दिया.

पुलिस को दोनों ने बताया कि मामा प्रदीप शर्मा ने ही लीना की हत्या को अंजाम दिया है. हम दोनों तो बस उन का सहयोग कर रहे थे. जिस के बाद सोहागपुर ब्लौक कांग्रेस प्रमुख प्रदीप शर्मा भोपाल भाग गया. भोपाल पुलिस की मदद से प्रदीप को सोहागपुर लौटने के लिए मजबूर किया गया और बाद में गिरफ्तार कर लिया गया. इस के बाद पुलिस ने प्रदीप शर्मा को हिरासत में लिया तो उस ने लीना के डूडादेह गांव पहुंचने से ले कर उस की हत्या करने और शव को ठिकाने लगाने की पूरी कहानी पुलिस को बता दी. इस कहानी को जिस ने भी सुना, उस ने कलियुगी कंस मामा प्रदीप को जी भर कर कोसा.

बहुचर्चित लीना शर्मा हत्याकांड : कंस मामा को मिली सजा – भाग 1

21 मार्च, 2023 को मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम (पुराना नाम होशंगाबाद) जिले के सोहागपुर कोर्ट में सुबह से ही ज्यादा गहमागहमी थी. कोर्ट परिसर में भारी पुलिस बल तैनात था. मीडिया और वकीलों के अलावा लोगों की भीड़ भी ज्यादा दिखाई दे रही थी. दरअसल, इस दिन जिले के बहुचर्चित लीना शर्मा मर्डर केस का फैसला आने वाला था. फैसले के लिए अपराह्नï 3 बजे का वक्त मुकर्रर किया गया था.

सोहागपुर के द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश संतोष सैनी की अदालत में दोनों पक्षों से जुड़े लोग बेसब्री से जज साहब के आने का इंतजार कर रहे थे. कोर्ट लीना शर्मा की हत्या के आरोपी प्रदीप शर्मा, गोरेलाल और राजेंद्र भी कोर्ट रूम में अपने वकील के साथ उपस्थित थे. लीना शर्मा की तरफ से पैरवी कर रहे अपर लोक अभियोजक शंकरलाल मालवीय भी कोर्ट में पूरी तैयारी के साथ मौजूद थे.

जज साहब पर जम गईं निगाहें…

कोर्ट की घड़ी में जैसे ही दोपहर 3 बजे का अलार्म बजा तो सभी चौकन्ने हो गए. कुछ ही क्षणों में मजिस्ट्रैट संतोष सैनी ने कोर्ट रूम में प्रवेश किया तो सभी अपनेअपने स्थान पर खड़े हो गए. मजिस्ट्रैट ने सभी को अपने स्थान पर बैठने का निर्देश दिया और अपनी नजरें डाइस पर रखे कागजों पर केंद्रित कर ली.

“आर्डर…आर्डर…’’

जैसे ही अपर सत्र न्यायाधीश संतोष सैनी ने लकड़ी के हथौड़े को मेज पर ठोका तो सभी की निगाहें उन की तरफ केंद्रित हो गईं. जज साहब ने अपना फैसला पढऩा शुरू कर दिया—

“तमाम गवाहों और सबूतों के मद्देनजर यह अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि मृतका लीना के मामा प्रदीप शर्मा ने अपनी भांजी की जमीन हड़पने के लिए अपने घरेलू नौकरों के साथ मिल कर उस की हत्या की थी. लीना शर्मा की हत्या का दोषी पाते हुए हत्या एवं षडयंत्र की धारा 302 में प्रदीप शर्मा पुत्र जुगल किशोर शर्मा (63 वर्ष) निवासी डूडादेह सोहागपुर को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास एवं 10 हजार रुपए जुरमाने की सजा सुनाती है.  इस के साथ ही आईपीसी की धारा 201 (लाश छिपाने) में 7 वर्ष की सजा एवं 5 हजार रुपए जुर्माना, आईपीसी की धारा 404 (मृत व्यक्ति की संपत्ति काबेईमानी से गबन) में 3 वर्ष की सजा एवं 5 हजार रुपए के जुरमाने से दंडित करती है.

“वहीं इस केस में प्रदीप शर्मा का साथ देने वाले अन्य आरोपियों गोरेलाल मसकोले पुत्र मंगलू उम्र 32 वर्ष, निवासी सिटियागोहना और राजेंद्र कुमरे पुत्र अरविंद कुमरे उम्र 27 वर्ष निवासी डूडादेह को भी लीना की हत्या का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास एवं 10-10 हजार रुपए जुरमाना, धारा 120बी आईपीसी (अपराध की साजिश रचने) में आजीवन कारावास एवं 10-10 हजार रुपए जुरमाने सहित धारा 201 में 7-7 वर्ष की सजा एवं 5-5 हजार रुपए के जुरमाने की सजा सुनाती है.’’

64 गवाहों की गवाही और भौतिक साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट में सोहागपुर कांग्रेस के पूर्व ब्लौक अध्यक्ष प्रदीप शर्मा, उस के नौकर गोरेलाल (32 साल) और राजेंद्र को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए अपने 110 पेज के फैसले में दलील देते हुए कहा, ‘‘वारदात जरूर निर्मम है, लेकिन उक्त परिस्थिति मृत्युदंड दिए जाने के लिए पर्याप्त नहीं है. यह अपराध पारंपरिक पारिवारिक संबंधों पर आधारित सामाजिक तानेबाने पर विपरीत प्रभाव डालने वाला है.

प्रदीप शर्मा, गोरेलाल, राजेंद्र का कोई आपराधिक रिकौर्ड नहीं है. दोबारा ऐसे कोई अपराध करने की संभावना भी नहीं है. अभियुक्त समाज के लिए खतरा है, ऐसा भी प्रतीत नहीं होता, इस कारण ये केस ‘विरल से विरलतम’ रेयरेस्ट औफ द रेयर की श्रेणी में नहीं आता है, जहां मृत्युदंड (फांसी) अपेक्षित हो.’’ अपने फैसले में कोर्ट ने यह भी कहा, ‘‘लीना शर्मा की भूमि को प्रदीप शर्मा ने अपने उपयोग के लिए रख लिया है, इसे लीना शर्मा के वैध उत्तराधिकारी को देने का आदेश भी यह अदालत देती है.’’

फैसला सुनते ही शासकीय अपर लोक अभियोजक शंकरलाल मालवीय के साथ लीना शर्मा के परिवार से जुड़े लोगों के चेहरों पर एक विजयी मुसकान आ गई. 7 साल के लंबे इंतजार के बाद आए कोर्ट के फैसले से उन्हें संतोष हो जाता है कि आखिरकार लीना के हत्यारों को सजा मिल ही गई.

क्या था पूरा मामला…

मध्य प्रदेश के सोहागपुर के राजेंद्र वार्ड के रहने वाले सतेंद्र शर्मा की 2 बेटियां लीना और हेमा थीं. 40 साल की हेमा और 38 साल की लीना शर्मा के पिता की मौत बहुत पहले हो चुकी थी. लीना की मां भी 2 बहनें थीं. लीना के नाना 2 भाई थे. एक भाई का बेटा प्रदीप शर्मा कांग्रेस का नेता था. लीना के नानानानी की मौत के बाद ननिहाल की संपत्ति की वारिस लीना की मां और मौसी ही बची थी.

लीना के मौसा की बहुत पहले मौत हो गई थी और उन की कोई संतान न होने से उन की देखभाल भी लीना ने की थी. इसी वजह से ननिहाल की 36 एकड़ जमीन की वारिस लीना और हेमा ही थीं. यह बात नाना के भाई के बेटे प्रदीप को बहुत अखरती थी. वक्त के साथ हेमा की शादी कर्नाटक के बेंगलुरु में रहने वाले साइंटिस्ट से हो गई और दिल्ली में पढ़ीलिखी लीना अमेरिकी दूतावास में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्य करने लगी. लीना दिल्ली के बसंत कुंज इलाके में रहती थी.

होशंगाबाद के सोहागपुर के पास डूडादेह गांव में उस की करोड़ों रुपए की पुश्तैनी जमीन थी, जिस पर खेती होती थी. गांव में देखरेख के अभाव में करीब 10.41 एकड़ जमीन पर उस के मामा प्रदीप शर्मा (तत्कालीन ब्लौक कांग्रेस अध्यक्ष) ने कब्जा कर रखा था. पुश्तैनी जमीन की देखरेख करने वाले बटाईदार फोन पर इस की जानकारी समयसमय पर लीना को देते रहते थे.

2016 के अप्रैल महीने की बात है. दोनों बहनें लीना और हेमा सोहागपुर आई हुई थीं. लीना शर्मा ने अपनी बहन हेमा से कहा, ‘‘दीदी, प्रदीप मामा हर साल अपनी जमीन पर कब्जा करते जा रहे हैं, यदि हम ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया तो पूरी जमीन हड़प लेंगे.’’

“हां लीना, मामा को तो लगता है कि अब हम गांव जा कर खेती करने से रहे तो इसी बात का फायदा उठा रहे हैं. तुम्हारे जीजाजी को तो छुट्ïटी मिल नहीं रही, तुम्हीं एक बार गांव घूम कर आ जाओ.’’ हेमा ने सलाह देते हुए कहा.

“हां दीदी, मैं जा कर मामा से बात करती हूं और जमीन की हदबंदी कराती हूं.’’ लीना बोली. 20 अप्रैल को लीना ने सोहागपुर तहसील में पटवारी और राजस्व निरीक्षक (आरआई) को जमीन की पैमाइश करने की दरख्वास्त दे दी. 24 अप्रैल को तहसील के पटवारी और रेवेन्यू इंसपेक्टर ने जब खेत की पैमाइश की तो करीब 10 एकड़ 41 डिसमिल जमीन प्रदीप शर्मा के कब्जे में थी.

मौके पर पंचनामा बना कर हदबंदी के लिए गड्ïढा खोद कर निशान बनाए गए. लीना ने सीमांकन करा कर मामा के कब्जे से जमीन को मुक्त करा लिया. वह चाहती थी कि अपने कब्जे की जमीन पर तारबंदी करा दे, ताकि दोबारा कोई कब्जा न कर सके. तारबंदी कराने के लिए उस ने प्रताप कुशवाहा से बात की.