सीरीज में कुल 28 गाने हैं, जो गिप्पी ग्रेवाल, मिका सिंह, मलकीत सिंह, एम सी स्क्वायर, अफसाना खान, असीस कौर, सुनिधि चौहान, कंवर ग्रेवाल, शाचत सिंह, जागीर सिंह, मैंडी गिल, जतिंदर शाह, स्टेबिज बेज, प्रिंस कंवलजीत, हरजोत कौर, मन्ना सिंह व अन्य गायकों ने गाए हैं.
वेब सीरीज ‘चमक’ में इन 28 गानों को पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री के 14 गायकों ने न सिर्फ गाया है, बल्कि उन पर ये तमाम गाने फिल्माए भी गए हैं. कहानी की रवानगी में जहां भी मौका मिला है, गीत और संगीत का इस्तेमाल किया है. इस में कुछ गाने जरूर सार्थक हैं. सार्थक गानों के कारण ‘चमक’ के सही मायनों में म्यूजिकल थ्रिलर होने का एहसास बना रहता है.
गालियों का क्यों किया गया इस्तेमाल
तारा सिंह के इंट्रोडक्शन सीन से ले कर काला के रैप बैटल ‘मत मारी…’, पीर साहब के मेले में उस की पहली परफारमेंस, जुगराज का रियाज, उस की बेटी लता के साथ काला का पहला गाना या काला के घर पर हाउस वार्मिंग पार्टी… ऐसे कई लम्हे आते हैं, जहां संगीत ने अपनी भूमिका जरूर थोड़ी जिम्मेदारी के साथ निभाई है. गीतों का सूफियाना टच जरूर सुकून देता है. पंजाबी भाषा में होने के बावजूद ‘चमक’ सीरीज हिंदी भाषी दर्शकों को भी बांध कर रखती है.
हालांकि कुछ जगहों पर मुश्किल पंजाबी संवादों को स्क्रीन पर लिख कर समझाया गया है. इस से भाषा न समझने की दिक्कत पैदा नहीं होती. कुछ किरदारों के संवादों में हिंदी मिश्रित है.
संगीत में दिलचस्पी रखने वालों के लिए ‘चमक’ एक मुकम्मल सीरीज है, जिन को संगीत में रुचि नहीं, उन के लिए इस में कुछ खास नहीं है. मगर एक बात जरूर है सीरीज ‘चमक’ में, वह है यह सीरीज सितारों की बारात है.
वेब सीरीज ‘चमक’ में मीका के साथ रिकौर्डिंग वाले दृश्य में काला को मुंबई से मंगाया ब्लैक वाटर ले कर भेजना हो, काला का गाना हिट होने के बाद उसे तोहफे में गाड़ी देने के साथ ही उधार रहा थप्पड़ मारना हो या फिर काला को एक फ्लैट गिफ्ट करने वाला दृश्य हो, डिंपी के इस किरदार को मुकेश ने थोड़ा जीवंत जरूर बनाया है. यह सीरीज की अपराध कथा का हास्य है.
सीरीज में 3 कलाकारों का काम थोड़ा सा ठीक है. पहले मोहित मलिक जिन्होंने गुरु देओल की भूमिका निभाई है. गुरु बन कर काला के किरदार में परमवीर चीमा को टक्कर दी है. दूसरे नंबर पर है सीरीज में लता बराड़ का किरदार कर रही अकासा सिंह. अकासा ने अपने गाए तमाम गानों पर म्यूजिक वीडियो में जरूर ठीक अदाकारी दिखाई है.
एक दमदार कलाकार की हाशिए पर पड़ी बेटी को कैसे एक अनजान युवक अपने हुनर की कद्र करने के लिए राजी करता है, वेब सीरीज ‘चमक’ का यह सिरा थोड़ा दिलचस्प है. तीसरे नंबर पर ईशा तलवार. इस का अभिनय जितना बढिय़ा है, किरदार उस का अभी पहले सीजन में उतना नहीं जमा है.
हो सकता है दूसरे सीजन में उस का असल रूप सामने आए, लेकिन बस एक सीन में ढोल बजाते दिखाने के बाद फिर उस के हाथ में ढोल काला के कहने पर ही एक बार और आता है. तारासिंह के किरदार में गिप्पी ग्रेवाल सीरीज का जो मैदान पहले एपिसोड से बनाता है. वह छठे एपिसोड में काला के मंच पर आने और महफिल लूट लेने तक सधा रहता है.
जुगल बराड़ के किरदार में सविंदर पाल विक्की ने आखिरी 2 एपिसोड में थोड़ी सी चमक जरूर दिखाई है, वहीं जग्गा सिंह के किरदार में प्रिंस कंवलजीत की कलाकारी थोड़ी सी देखने लायक है.
इन कलाकारों के अलावा नवनीत निशान हौबी धालीवाल, सरन कौर, अंकिता गोराया, धनवीर सिंह और महावीर भुल्लर ने भी सीरीज को अपनेअपने कोनों से मजबूती से साधे रखा है. संदीप यादव की सिनेमैटोग्राफी, मंदार खानविलकर का संपादन, अपर्णा राणा की प्रोडक्शन डिजाइनिंग, प्रियंका मुनडाडा के कास्ट्यूम्स और कुणाल पंवार का कला निर्देशन सब अपनीअपनी जगह कुल मिला कर ठीक है.
सीरीज में गालियों का इस्तेमाल काफी किया है. बड़ेबुजुर्गों के साथ बैठ कर इस सीरीज को नहीं देखा जा सकता. हमारे समाज में आज की पीढ़ी पुरानी पीढ़ी के सामने गाली नहीं देती है. डायरेक्टर में इतनी समझ तो होनी चाहिए थी कि वह गालियों का इस्तेमाल सीरीज में न करे. गालियों ने ‘चमक’ की चमक धुंधली कर दी है.
अमर सिंह चमकीला और अमरजोत के तो कोई संतान ही नहीं थी. ऐसे में यह कहना कि चमक को चमकीला की कहानी से इंस्पायर हो कर बनाया है तो यह सरासर झूठ है. चमक वेब सीरीज का चमकीला की कहानी से कोई जोड़ नहीं है. ‘चमक’ अगर चमकीला की कहानी पर बनती तो इतना तय है कि उस का हश्र ‘चमक’ जैसा नहीं होता.
रोहित जुगराज
वेब सीरीज ‘चमक’ से चमकने वाले सितारों में प्रमुख है इस के निर्देशक रोहित जुगराज, जिस ने इस सीरीज का सधा हुआ निर्देशन किया है. पंजाब की म्यूजिक इंडस्ट्री के अपराध पर आधरित इस सीरीज की कहानी पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला और अमरसिंह चमकीला की हत्याकांड से प्रेरित बताई जा रही है.
रोहित जुगराज पंजाब का एक प्रतिष्ठित फिल्मकार है. उस में कहानी कहने और सिनेमाई कला की गहरी समझ है.
उन का करिअर निर्देशक रामगोपाल वर्मा के सान्निध्य में शुरू हुआ था. वहां से फिल्म निर्माण में कदम रखने और कहानी के कहने का जुनून मिला. चाहे वह निर्देशन, पटकथा लेखन या निर्माण हो, उस ने लगातार फिल्म निर्माण की ऐसी परियोजनाओं पर काम किया, जिस की चर्चा हुई. हालांकि उस की निर्देशित फिल्में बौक्स औफिस पर कमाल नहीं दिखा पाईं, फिर भी उस के निर्देशकीय सूझबूझ की काफी तारीफ हुई. उस के फिल्म निर्माण का बैनर आरजी रुद्रम प्रोडक्शंस है, जिसे वह अपनी पत्नी गीतांजलि मेहलवाल चौहान के साथ मिल कर संभाले हुए हैं.
रोहित ने अपनी चर्चित वेब सीरीज में पंजाबी संगीत उद्योग की गंभीर वास्तविकताओं को दर्शाया है. पंजाबी संगीत उद्योग में कलाकारों की गतिविधियों और उन की आकांक्षा और उन के बीच प्रतिस्पर्धा के बारे में बात करते हुए हकीकत बयान करने वाली टिप्पणी की है.
रोहित को यहां तक पहुंचने में भले ही काफी समय लग गया हो, लेकिन उसे संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘देवदास’ और ‘ब्लैक’ में सहायक निर्देशन का मौका मिला. राम गोपाल वर्मा के ‘भूत’ और ‘सरकार’ के निर्देशन में भी सहायक बना.
परमवीर सिंह चीमा
‘चमक’ के हीरो का किरदार निभाने वाले परमवीर सिंह चीमा ने अपने फिल्मी करिअर की शुरुआत एक कास्टिंग डायरेक्टर के तौर पर शुरू की थी. वैसे ‘चमक’ से पहले जीटीवी के शो ‘कलीरे’ में काम करने का मौका मिला था.
करीब डेढ़ साल तक कास्टिंग डायरेक्टर कवीश सिन्हा के साथ काम करने के दौरान ‘राकेट बौयज’, ‘सत्यमेव जयते 2’, ‘मुंबई डायरीज’ के लिए कास्टिंग के लिए काम करते हुए अभिनय और किरदार की जरूरतों की काफी समझ आ गई थी. कास्टिंग का काम करते हुए उसे लंबे समय बाद पहली बार ‘चमक’ में मुख्य भूमिका निभाने का मौका मिला.
मूलरूप से जालंधर के रहने वाले चीमा को लौकडाउन के दौरान मुंबई से वापस घर आना पड़ा था. इस के बाद दोबारा मुंबई आने के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका.
मुंबई से किसी काम का औफर नहीं मिलने के चलते चीमा ने वकालत की प्रैक्टिस शुरू करने पर विचार किया. तभी मुकेश छाबड़ा की टीम से वेब सीरीज ‘टब्बर’ में एक रोल के लिए काल आ गई. इस के औडिशन के सिलसिले में मुंबई जाना हुआ. ‘टब्बर’ के लिए वह चुन लिया गया. इसी बीच उसे ‘चमक’ मिल गई.
एक एड फिल्म के सिलसिले में पहली बार मुंबई जाना हुआ तो तब वहां का माहौल और ऐक्टिंग में संभावनाएं देख कर इस फील्ड में करिअर बनाने का मन बना लिया. अपने दोस्त की मदद से मुंबई में थिएटर किया. इसी बीच जीटीवी के एक शो ‘कलीरे’ में काम करने का मौका मिल गया.
चीमा को पहली बार वेब सीरीज ‘चमक’ में लीड भूमिका निभाने का मौका मिला. इस तरह से अभिनय की बेहतरीन शुरुआत हो गई. ‘चमक’ में उस की भूमिका कनाडा से पंजाब लौटने वाले एक युवा महत्त्वाकांक्षी रैपर काला की थी. इस के लिए उस ने काफी तैयारी की थी. भूमिका के लिए उस ने टुपैक, आरिफ लोहार, सोनी पाबला, सिद्धू मूसेवाला और गुरदास मान जैसे रैप आइकन और गायकों से प्रेरणा ली और अपना चरित्र बनाया.
अकासा सिंह
एक भारतीय गायिका और कलाकार अकासा सिंह आस्था गिल के साथ नागिन गाने के लिए सब से ज्यादा जानी जाती है, उस ने 2016 की बौलीवुड फिल्म ‘सनम तेरी कसम’ से अभिनय की शुरुआत करते हुए उस ने रियलिटी शो के माध्यम से सोनी म्यूजिक इंडिया में साइन किया गया था.

उस का पहला पाप सिंगल ‘ठग रांझा’ एक महीने में 27 मिलियन से अधिक बार देखा जा चुका है. तब उस का वीडियो यूट्यूब पर दुनिया भर में सब से ज्यादा देखा जाने वाला भारतीय वीडियो बन गया था.
वैसे उस ने कई फिल्मों के लिए गाने गाए हैं, जैसे भारत से ऐथे आ, गुड न्यूज़ से दिल ना जानेया, साथ ही ठग रांझा, मासेराती, नैय्यो, याद ना आना, शोला, तेरी मेरी लडय़ी आदि.
ईशा तलवार
केरल से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और राजस्थान होते हुए अभिनेत्री ईशा तलवार को पंजाब पृष्ठभूमि पर बनी सीरीज ‘चमक’ में देखना काफी रोमांचक है. वह एक संघर्षरत कलाकार की भूमिका में है.
वैसे उस ने अभिनय में करिअर बनाने के लिए काफी संघर्ष किया है. पहली बार उसे केरल में ही एक विज्ञापन फिल्म मिली थी. उस के कैमरामैन जोमन टी जान ने उसे मलयालम फिल्म ‘तट्टतिन मरयाद’ के बारे में जानकारी मिली थी. उस के लिए आडिशन दिया और सेलेक्ट हो गई. यह मौका मलयालम की फिल्म के लिए एक बड़ा मौका था.

फिल्म वहां ब्लाकबस्टर रही थी. जोमन टी जान साउथ के बहुत बड़े डायरेक्टर हैं, रोहित शेट्टी की फिल्मों के कैमरामैन वही रहते हैं. ‘तट्टतिन मरयाद’ के बाद तो साउथ की और भी कई फिल्मों में काम करने का मौका मिला.
मोहित मलिक
‘चमक’ के एक कलाकार का नाम मोहित मलिक है, जो टीवी के एक जानापहचान नाम है. उस ने जीटीवी की लोकप्रिय शृंखला ‘डोली अरमानों की’ में ‘सम्राट सिंह राठौड़’ और ‘कुल्फी कुमार बाजेवाला’ में सिकंदर सिंह गिल की भूमिका के लिए जाना जाता है.
मलिक ने अपने टेलीविजन करिअर की शुरुआत स्टार प्लस के टीवी शो ‘मिली’ में आओनी के रूप में की. उस के बाद उस ने ‘बेटियां अपनी या पराया धन’, ‘परी हूं मैं’, ‘बनूं मैं तेरी दुल्हन’, ‘गोद भराई’, ‘दुर्गेश नंदिनी’, ‘मन की आवाज प्रतिज्ञा’ और ‘फुलवा’ जैसे कई टीवी शो किए.
वह ‘नच बलिए 4’ के प्रतियोगी भी था. उस ने रेहान चाल्र्स के रूप में ‘सुवरीन गुग्गल टौपर औफ द ईयर’ भी किया है.
उसे ‘डोली अरमानों की’ में सम्राट सिंह राठौड़ के रूप से पहचान मिली. जून 2016 से जनवरी 2017 तक उस ने ‘सावधान इंडिया’ की मेजबानी की. 2018 में मोहित ने म्यूजिकल शो कुल्फी कुमार बाजेवाला में सिकंदर सिंह गिल के रूप में मुख्य भूमिका निभाई, जो स्टार प्लस पर प्रसारित हुआ.

अगस्त 2020 में उस ने स्टारप्लस की ‘लौकडाउन की लव स्टोरी’ में ध्रुव जायसवाल की भूमिका निभाई. 2022 में मोहित ने वूट पर साइबर वार – हर स्क्रीन क्राइम सीन के साथ वेब शो में डेब्यू किया, और ‘खतरों के खिलाड़ी’ सीजन 12 में भी भाग लिया, जिस में वह दूसरा रनर अप रहा.
2023 से 2024 तक उस ने डायरेक्टर कट प्रोडक्शंस निर्मित स्टार प्लस के शो ‘बातें कुछ अनकही सी’ में कुणाल मल्होत्रा की मुख्य भूमिका निभाई.
गिप्पी ग्रेवाल
अभिनेता, गायक, फिल्म निर्देशक और निर्माता गिप्पी ग्रेवाल की पहचान पंजाबी और हिंदी फिल्म के दर्शकों के बीच है. उस का एकल ‘फुुलकारी’ पंजाबी संगीत उद्योग में बहुत सफल रहा है. उस ने 2010 की फिल्म, मेल करादे रब्बा से अपने अभिनय की शुरुआत की थी और इस के बाद उस ने ‘कैरी आन जट्टा’, ‘लकी दी अनलकी स्टोरी’, ‘भाजी इन प्राब्लम’ और ‘जट जेम्स बौंड’ में काम किया. उस ने 2011 की फिल्म ‘जिन्हें मेरा दिल लुटेया’ में अपने प्रदर्शन के लिए 2011 में ‘पीटीसी सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार’ को पुनर्जीवित किया. उसे 2012 में दिलजीत दोसांझ के साथ पिफा सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला और 2015 में दिलजीत दोसांझ के साथ ‘जट जेम्स बौंड’ के लिए पीटीसी सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला.
प्रताप ढिल्लों पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री का बेताज बादशाह है. बलवीर राजनीति का शातिर खिलाड़ी और पंजाब सरकार में हेल्थ मिनिस्टर है. जुगराज दिग्गज गायक है, जिसे लोगों से मिलना पसंद नहीं, मगर संगीत के तलबगार उस से मिलने को बेचैन रहते हैं. कभी ये सब तारासिंह की छाया हुआ करते थे.
काला इन सभी स्वर्गीय पिता तारासिंह के खास दोस्तों तक पहुंचने के रास्ते बनाता है और इस के लिए वह किसी से झूठ बोल सकता है, प्यार को धोखा दे सकता है, प्यार का नाटक कर सकता है, लोगों को इमोशनली मैनिपुलेट कर सकता है.
काला के ये हथकंडे कहानी में थोड़ा सा रोमांच बरकरार रखते हैं. ऐसे हथकंडे अकसर फिल्मों और सीरीज में कहानी को रोमांचक बनाने एवं दर्शकों को बांधे रखने के लिए जानबूझ कर डाले जाते हैं. ‘चमक’ में भी यही किया गया है. सीरीज को जिस सिंगर अमरसिंह चमकीला की कहानी से थोड़ा सा मिलता बताया जा रहा है, उन अमरसिंह चमकीला के बारे में भी हमारे सुधि पाठक जान लें.
पंजाब के मशहूर गायक थे अमरसिंह चमकीला. अमरसिंह देश के अलावा विदेशों में भी अपनी गायकी और स्टेज परफारमेंस के लिए जाने जाते हैं. कहा जाता है कि उन की यही दीवानगी और सच्चाई से भरपूर गाने उन की मुसीबत बन गए. इसीलिए आज तक अमरसिंह चमकीला की मौत एक अनसुलझा रहस्य भी है.
अमरसिंह चमकीला का जन्म 21 जुलाई, 1960 को लुधियाना के पिंड (गांव) डुगरी में हुआ था. अमरसिंह चमकीला का असली नाम धनीराम था. अमर जब थोड़ा बड़ा हुआ तो पाया कि परिवार की आर्थिक हालत खराब है. ऐसे में वह कपड़े की मिल में काम करने लगा.
अमरसिंह ने बचपन से ही संगीत से लगाव था तो काम के बीच में उस ने हारमोनियम और ढोलक सीख ली. कपड़ा मिल में नौकरी करतेकरते वह गाने लिखने लगा. अमरसिंह चमकीला खुद गाने लिखता और तुंबी (एक वाद्ययंत्र) के सहारे धुन देता. थोड़े दिनों बाद वह पंजाबी सिंगर सुरिंदर शिंदा से संपर्क में आया तो उन के लिए गाने लिखने लगा.

कौन था अमरसिंह चमकीला
18 साल की उम्र में अमरसिंह के गाने लोगों को पसंद आए, लेकिन आमदनी वैसी ही रही. फिर अमर सिंह ने खुद बड़ी मशक्कत के बाद गाना गाया और गाने के बोल में पंजाब की समस्याओं को भी बताया. 80 का दशक आतेआते उसे कुछ साथी मिले, जिन के साथ अमर सिंह स्टेज शो करने लगा.
कुछ सालों के संघर्ष के बाद अमरसिंह के गानों में पंजाब की सच्चाई दिखी तो लोग उस से जुड़े और कुछ उस से नाराज भी हुए. दरअसल, अमर सिंह अपने गानों में पंजाब में बढ़ती हिंसा, नशे के कारोबार, घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों को भी उठाता था.
देखते ही देखते अमरसिंह ने गुरदास मान, सुरिंदर शिंदा और कुलदीप मानक जैसे गायकों को पीछे छोड़ दिया. 1980 में स्टेज शो में अमरसिंह को साथ मिला अमरजोत कौर का. जिस के साथ वह गाने तो गाता ही बल्कि बीचबीच में हंसीमजाक और पुरुषों पर कटाक्ष भी करता.
बाद में यही अमरजोत कौर चमकीला की पत्नी भी बनी थी. बताते हैं कि इन कुछ वर्षों में उस ने कई जगह ढेर सारे शो किए और अच्छे गानों के चलते अमर सिंह पंजाब का चमकीला सितारा हो गया. फिर यहीं से उसे अमरसिंह चमकीला के नाम से जाना जाने लगा.

दूसरी तरफ, पंजाब में आतंकवाद का दौर था. इंदिरा गांधी द्वारा चलाए गए औपरेशन ब्लू स्टार के बाद पुलिस की सख्ती थी. हालांकि इस बीच अमर सिंह ने कई स्टेज शो किए, जहां भारी भीड़ उमड़ी थी. उस दौर में अमर सिंह चमकीला मशहूर गायक था.
गायक के अलावा गीतकार, संगीतकार सब कुछ था. साथ ही चमकीला और अमरजोत की जोड़ी ने जो गाने लिखे और गाए, वह उस वक्त के पंजाब के मुद्दों से जुड़े तो थे ही, साथ ही समाज की बुराइयों पर भी सटीक बैठते थे.
कई बार अमर सिंह चमकीला के गाने विवादों में भी घिरे और माना जाता है कि यही गाने उस की मौत का कारण भी बने. चमकीला को कई बार उग्रवादी संगठनों द्वारा धमकी भी मिली थीं.
चमकीला ने 9 साल गायकी की दुनिया में बिताए थे और वह जब 8 मार्च, 1988 को पत्नी अमरजोत व साथियों के साथ जालंधर के महसामपुर में कार्यक्रम के लिए पहुंचा था, तभी गोली मार कर उस की हत्या कर हमलावर फरार हो गए.
अमर और अमरजोत की हत्या किस कारण की गई, इस के पीछे कई दावे हए कि उग्रवादियों का हाथ हो सकता है. फिर कुछ ने माना कि शायद प्रतिद्वंदी गायकों ने मरवाया है. वहीं कुछ ने इसे चमकीला और अमरजोत के प्रेम विवाह को कारण बताया.
हालांकि, आज तक इस हत्याकांड के एक भी आरोपी को पकड़ा नहीं गया है और यह कांड मर्डर मिस्ट्री में तब्दील हो गया. यह थी अमर सिंह चमकीला की असली कहानी.
अमरसिंह चमकीला पर ‘चमकीला’ फिल्म भी इम्तियाज अली ने बनाई है. ‘चमकीला’ फिल्म में दिलजीत दोसांझ ने अमरसिंह की भूमिका निभाई थी, वहीं परिणीति चोपड़ा उस की साथी अमरजोत कौर बनी थी. यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज की गई थी.
‘चमकीला’ फिल्म 26 फरवरी, 2024 को नेटफ्लिक्स पर रिलीज कर दी गई है. अब चलते हैं वापस ‘चमक’ वेब सीरीज पर तो काला अपने पिता तारा सिंह के 3 दोस्तों तक पहुंचने के लिए साम, दाम, दंड, भेद के सभी दांव खेलता है. काला किसी से झूठ बोलता है तो प्यार के नाम पर धोखा भी देने से बाज नहीं आता. काला के हथकंडे कहानी का रोमांच कम नहीं होने देते.
इस कथा के साथ प्रताप ढिल्लों और उस के परिवार के इर्दगिर्द कुछ सब प्लौट्स भी हैं, जो चमक की कहानी की एकरूपता को तोड़ते हैं. खासकर, प्रताप के छोटे बेटे (मोहित मलिक) का समलैंगिक ट्रैक सामाजिक और पारिवारिक तानेबाने का प्रतिनिधित्व करता है. बीचबीच में एमसी स्क्वायर और मीका सिंह समेत कई जानेमाने कलाकारों का कैमियो समां बांधे रखता है.
काला जिस तरह अपनी गायन प्रतिभा का इस्तेमाल इन सभी लोगों तक पहुंचने के लिए करता है, वे दृश्य बहुत दिलचस्प हैं. काला के किरदार को परमवीर चीमा ने निभाया है, जो अमेजन मिनी टीवी की सीरीज ‘इश्कयापा’ में लीड रोल में नजर आया था. मगर परमवीर को काला के किरदार में देख कोई खास हैरानी नहीं होती.

परमवीर चीमा
इस किरदार का ढुलमुल स्वभाव, गुस्सा, संवेदनशीलता और भावनात्मक उतारचढ़ाव को परमवीर ने जीने की कोशिश जरूर की है, मगर पूरी तरह कामयाब नहीं हुआ है. जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती है, परमवीर की अदाकारी भी बोरियत लगती है.
काला लव इंटरेस्ट और संघर्षरत सिंगर जैज के किरदार में ईशा तलवार नैचुरल लगती है. अन्य कलाकारों में प्रताप ढिल्लों के किरदार में मनोज पाहवा ने जरूर जान डाली है. इस किरदार के लिए जिस तेज और गतिशीलता की जरूरत थी, वो मनोज पाहवा ले कर आता है. ‘कोहरा’ वेब सीरीज से मशहूर हुए सुविंदर विक्की ने जुगराज की चुप्पी और रहस्य को बखूबी बयां किया है. हालांकि, पहले सीजन में सुविंदर विक्की के हिस्से अधिक दृश्य नहीं आए हैं.
प्रताप के प्रतिद्वंदी और काला को स्टार बनाने वाले निर्माता के किरदार में मुकेश छाबड़ा थोड़ा प्रभावित अवश्य करता है.
जुगराज की बेटी ओर उभरती गायिका लता के रोल में अकासा सिंह ठीक लगी है. तारा सिंह के किरदार में गिप्पी ग्रेवाल की छोटी भूमिका है, जिस में वह जरूर जंचता है. मन्नासिंह के म्यूजिक ने सीरीज के संगीत की चमक को थोड़ा फीका किया है.
कलाकार: परमवीर चीमा, अकासा सिंह, सिद्धार्थ शा, ईशा तलवार, मोहित मलिक, मुकेश छाबड़ा, सुविंदर पाल, मनोज पाहवा, गिप्पी ग्रेवाल आदि.
लेखक: रोहित जुगराज चौहान, एस फकीरा, अविनाश सिंह, विजय नारायण वर्मा और गौरव शर्मा.
निर्देशक: रोहित जुगराज कास्टिंग: मुकेश छाबड़ा
निर्माता: गीतांजलि मेहलवाल, रोहित जुगराज चौहान, सुमित नंदलाल दुबे.
ओटीटी: सोनी लिव
एपिसोड: 6
यह बात 20 साल से पहले की है. उन दिनों के ट्रेंडसेटर निर्माता निर्देशक रामगोपाल वर्मा का अंधेरी पश्चिम में वर्सोवा टेलीफोन एक्सचेंज के पास ‘फैक्ट्री’ नाम से दफ्तर हुआ करता था. सुबह से ले कर शाम और देर रात तक दुनिया भर से आने वाले युवाओं का वहां मेला लगा रहता.
उसी मेले में एक रोज रोहित जुगराज की रामगोपाल वर्मा से मुलाकात हुई. राम को रोहित में काम करने की ललक दिखी. रामू की शागिर्दी में रोहित जुगराज काम करने यानी सीखने लगा. पहली फिल्म भी फैक्ट्री के लिए ही बनाई. लेकिन, न ‘जेम्स’ चली और न ‘सुपरस्टार’. रोहित को तब लगा कि यह अपने वश का काम नहीं है. रोहित ने तब पंजाबी सिनेमा की राह पकड़ी और वहां गिप्पी ग्रेवाल और दिलजीत दोसांझ के साथ मिल कर ‘जट्ट जेम्स बौंड’ और ‘सरदारजी’ जैसी हिट फिल्में बनाईं. हिंदी सिनेमा की उन की पिछली कोशिश ‘अर्जुन पटियाला’ फिर सिरे नहीं चढ़ सकी.

रोहित जुगराज
अब रोहित जुगराज अपनी पहली वेब सीरीज ‘चमक’ (Web Series ChamaK) के साथ हाजिर है. सीरीज बताती है कि चमक 2 तरह की होती है, एक तो वह जो दुनिया भर में दिखती रहती है, यानी ग्लैमर और दूसरी वो जो इंसान के भीतर होती है. यानी आत्मावलोकन, आत्मज्ञान. इन दोनों चमक के बीचोंबीच भाग रहे इंसान की कहानी है वेब सीरीज ‘चमक’.
गीतसंगीत के क्षेत्र में पंजाबी मिट्टी की खुशबू ही अलग रही है. यहां की कला और कलाकारों का जमीन से जुड़ाव होने की वजह से जो संगीत निकला, उस में एक रूहानी एहसास हमेशा रहा है. यह बात अलग है कि फिल्मों में पंजाबी रैप की लोकप्रियता ने यहां के सूफियाना संगीत को सीमित कर दिया है.
पंजाबी संगीत की इन 2 धाराओं को अगर एक रोमांचक कहानी के साथ गूंथ दिया जाए तो बनती है सोनी लिव की नई सीरीज ‘चमक’, जो एक म्यूजिकल थ्रिलर है.
रोहित जुगराज निर्देशित सीरीज के पहले सीजन की कहानी एक लोकप्रिय रैपर और उस की पत्नी की लाइव परफारमेंस के दौरान हत्या (यह पंजाब के मशहूर लोकगायक अमरसिंह चमकीला और उन की पत्नी की दिनदहाड़े गोलियों से भून कर हत्या सन 1988 में कर दी गई थी और उन के कातिलों का पता आज तक नहीं चला.

असल जीवन में यह घटना साल 1988 की है, मगर ‘चमक’ सीरीज शुरू होती है ऐसे ही एक कत्ल से 1999 में, औसतन 50 मिनट के 6 एपिसोड की सीरीज ‘चमक’ का सीजन वन रोहित जुगराज ने बनाने में जी जान लगाई है.
काला का खुलता है सफेद अतीत
हिंदी सिनेमा में रोहित जुगराज की फिल्मों की गति बहुत तेज रही है और शायद उस की विफलता की एक वजह यह भी रही कि रोहित के मन में जो चल रहा होता था, उसे वह परदे पर ला पाने में कहीं न कहीं चूक जाता था, लेकिन ‘चमक’ उस की भीतरी चमक को थोड़ा चमकाती नजर आई. मगर चमक में तारीफ करने लायक कुछ खास नहीं है.
सीरीज शुरू में सुस्त सी लगती है, लेकिन एक बार इस के मुख्य किरदार काला का सफेद अतीत जब खुलता है तो सीरीज में थोड़ी सी रफ्तार आती है. आइए जानते हैं, क्या है सीरीज ‘चमक’ की कहानी.
‘चमक’ की कहानी के केंद्र में कनाडा के वैंकुवर में अपने चाचा के पास रहने वाला पंजाब का काला (परमवीर चीमा) है, जो वहां की जेल में किसी अपराध के लिए बंद है. संगीत उस की नसनस में है और काला मशहूर सिंगर बनना चाहता है.
पहले एपिसोड की शुरुआत यहीं से होती हैं. काला जेल में बंद है. वह मशहूर सिंगर बनना चाहता है. तिकड़मबाजी लगा कर 6 महीने बाद काला पैरोल पर छूट जाता है. यहां पर यह बात थोड़ी अटपटी लगती है. अगर काला भारतीय जेल में होता तो हम मान लेते कि तिकड़म लगा कर वह 6 महीने नहीं एकदो महीने में ही पैरोल पर छूट जाता.
मगर कनाडा में भी लगता है भारतीय जेलों की तरह ही मामला लेदे कर रफादफा होता है. तभी तो काला 6 महीने में ही तिकड़मबाजी लगा कर पैरोल पर छूट जाता है. काला जेल से निकलते ही सीधे अपनी कथित गर्लफ्रेंड के पास जाता है. वह सोचता है कि उस की गर्लफ्रेंड उसे देख कर बहुत खुश होगी. मगर जब काला गर्लफ्रेंड के पास जाता है तो वहां उसे एक गोरा युवक गर्लफ्रेंड के पास मिलता है.
काला पंजाबी संस्कृति का भारतीय नौजवान है. उसे गर्लफ्रेंड के पास गोरा युवक दिखता है तो काला समझ जाता है कि वह क्या करने आया है. काला गुस्से से तमतमा उठता है, गोरे युवक को देख कर वह भड़क उठता है और गोरे को इतना मारता है कि वह मरणासन्न हालत में पहुंच जाता है.
गोरा युवक वैंकुवर के शैरिफ का बेटा है. काला को जैसे ही पता चलता है कि उस के हाथों पिटा युवक वैंकुवर के शैरिफ का बेटा है तो काला समझ जाता है कि अब उस का वैंकुवर में रहना ठीक नहीं है, इसलिए वह इंडिया जाना चाहता है.

काला अपने दोस्त टिड्डा (कपिल रेडेकर) की मदद से जाली पासपोर्ट और ‘डंकी’ तरीकों से कनाडा से पंजाब आ जाता है. काला पंजाब की धरती पर कदम रखता है तो उसे राहत की सांस मिलती है. काला पंजाब के मोहाली के पास स्थित अपने गांव पहुंच जाता है, टिड्डा की मदद से काला को स्थानीय बार में वैले (कार पार्क करने वाला स्टाफ) की नौकरी भी मिल जाती है.
पिता के कातिल को किस तरह ढूंढता है काला
एक रात एक घटनाक्रम के बाद बार के बाहर उस का रैप बैटल एमसी स्क्वायर से हो जाता है. वीडियो वायरल होता है. इस बीच काला को पता चलता है कि वैंकुवर में जिस शख्स ने उसे पालपोस कर बड़ा किया था, वह उस का पिता नहीं चाचा है. उस के मातापिता तारा सिंह (गिप्पी ग्रेवाल) और नवप्रीत कौर हैं, जिन्हें 1999 में लाइव स्टेज परफारमेंस के दौरान गोलियों से भून दिया गया था. यह केस कभी सुलझ नहीं सका.
इस केस की तफ्तीश करने वाले स्थानीय पत्रकार गुरपाल से उसे पिता के दोस्तों के बारे में पता चलता है, जो एक पुरानी तसवीर में तारा सिंह के साथ है. काला अपने पिता के कातिल को ढूंढने और वजह का पता लगाने के लिए इन चारों के पीछे लगता है.
काला इस के लिए जरिया बनाता है संगीत को, लेकिन इस सफर में उस के सामने कई मुश्किलें आती हैं. यह विडंबना ही है कि संगीत और कला के क्षेत्र में इतना समृद्ध होने के बावजूद पंजाब में कलाकारों के खिलाफ अपराधों का भी इतिहास रहा है.
1988 में लीजेंड्री सिंगर अमर सिंह चमकीला की उन की पत्नी के साथ गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई थी. थोड़े समय पूर्व सिद्धू मूसेवाला की हत्या भी गोली मार कर कर दी गई थी.
सीरीज के पहले एपिसोड की शुरुआत ऐसे ही एक घटनाक्रम से होती है. रोहित जुगराज ने ‘चमक’ का कालखंड 1999 रखा है, जब सर्दी की एक सुबह पंजाब के एक गांव में लोकप्रिय गायक तारासिंह और नवप्रीत कौर की सरेआम हत्या कर दी जाती है. काला की कहानी 2023 में ही दिखाई गई है. बीचबीच में अतीत का सफर भी करती है. हालांकि अतीत वाले हिस्से को कम ही रखा गया है.
स्क्रीनप्ले का पूरा फोकस काला के अपने मातापिता के कातिलों की खोज और इस की वजह का पता लगाने पर रखा गया है. इसी क्रम में सीरीज में दिलचस्प मोड़ आते हैं. तारासिंह के साथ तीनों दोस्त बड़े आदमी बन चुके हैं.