गैंग के साथ बनाया लूट का खाका
जब लूट के लिए सभी विश्वासपात्र एकत्र हो गए तो इस की आगे की प्लानिंग बनाई गई. वह महीना था फरवरी और तारीख थी 23. मोना इतनी शातिर थी कि जुम्माजुम्मा शादी हुए हफ्ते भर नहीं हुआ था कि पति जसविंदर को भी अपने हुस्न की जाल से गुनाह के दलदल में उतार लिया था.
खैर, 5 महीने तक लूट की योजना बनती रही. घटना को अंतिम रूप देने के लिए 9 जून, 2023 दिन शुक्रवार तय किया. इस के पीछे खास वजह यह थी कि इस दिन रुपयों का कलेक्शन ज्यादा होता था, क्योंकि शनिवार और रविवार छुट्टी होती थी. एटीएम में पैसे डालने का काम नहीं होता था इसीलिए शुक्रवार का दिन चुना गया.
9 जून को सभी लुटेरे जगरांव में इकट्ठे हुए. समय शाम के 6 बजे के आसपास हो रहा था. करीब 3 घंटे तक आपस में मीटिंग हुई. अंत में गिरोह 2 टुकड़ों बांट दिया गया. जिस में तय हुआ कि एक पार्ट को मोना उर्फ डाकू हसीना अपना नेतृत्व देगी. वो अपनी क्रूज कार में जसविंदर सिंह (पति), हरप्रीत सिंह (भाई) अरुण कुमार कोच, आदित्य उर्फ नन्नी और गुलशन को बैठा कर पीछे वाले रास्ते से कार ले जाएगी.
जबकि दूसरी पार्टी का नेतृत्व मनजिंदर सिंह उर्फ मनी को सौंपा गया. उस के साथ में हरविंदर सिंह, मनदीप सिंह, परमजीत सिंह उर्फ पम्मा और नरिंदर सिंह लगाए गए. उन्हें 2 बाइकों पर सवार हो कर आगे के रास्ते से सीएमएस पहुंचना था. पते की बाद तो ये थी कि ये इतने शातिर थे कि पकड़े जाने के डर से कोई भी अपना मोबाइल अपने पास नहीं रखे था.
मीटिंग खत्म करने के बाद खुद मोना ने कार की ड्राइविंग संभाली और उस के बगल में जसविंदर सिंह बैठा बाकी तीनों पीछे की सीट पर बैठे. सब ने अपना चेहरा नकाब से पूरी तरह ढक रखा था तो मनजिंदर सिंह और बाकी साथी बाइक से निकले. इन सभी ने सुनसान रास्ते का इस्तेमाल किया था, जहां स्ट्रीट लाइटें कम थीं.
मनजिंदर और उस के चारों साथी आगे के रास्ते से सीएमएस के दफ्तर में घुसे तो मोना दफ्तर में पीछे के रास्ते साथियों संग घुसी थी. मनजिंदर को पता था कि सेंसर सिस्टम कहां है, इसलिए सब से पहले उस ने सेंसर सिस्टम की वायर काटी ताकि कोई अलार्म न बजा सके. उस के बाद ये सभी पीछे के रास्ते से ही अंदर दाखिल हुए.
गार्डों को बंधक बना कर काटे सायरन के तार
उन्होंने पहुंचते ही सब से पहले सो रहे तीनों सुरक्षा कर्मचारियों अमर सिंह, बलवंत सिंह और परमदीन खान को बंधक बनाया. उन के हथियार छीन लिए, जिस के बाद डीवीआर और साइरन के सभी तार और सामान समेट लिया. उस के बाद मनजिंदर और जसविंदर कैश गिनने वाले कमरे में दाखिल हुए, जहां 2 कर्मचारी हिम्मत सिंह और हरमिंदर सिंह कैश गिन रहे थे.
असलहे की नोंक पर दोनों ने उन पर काबू किया तो मोना, हरप्रीत, विक्की, लंबू, नन्नी और अरुण कोच 2 नीले रंग के बड़े बैग में नोट भरने का काम करते रहे. ये खेल रात 2 बजे से 5 बजे तक चला. जब दोनों बैग रुपयों से भर गए तो उन्हें सीएमएस कंपनी की कैश वैन संख्या पीबी10जेए -7109 में रुपए भरे और खुद मनजिंदर सिंह वैन को ड्राइव कर गांव के रास्ते होते हुए फरार हो गया तो कार में मोना अपने साथियों को साथ ले कर और बाकी अपनी बाइक पर फरार हो गए.
सभी लुटेरे वहीं पहुंच कर इकट्ठा हुए, जहां मीटिंग (जगरांव) की थी. एक बैग के रुपए आपस में काम के अनुरूप बांट दिए थे, जबकि दूसरे बैग के नोट मोना ने अपनी क्रूज गाड़ी में रख कर अरुण कोच के घर के पास खड़ी कर पति के साथ फरार हो गई.
सभी आरोपी जानते थे सुबह तक यह घटना जंगल में आग की तरह फैल जाएगी, इसलिए रुपए ले कर वे सभी भूमिगत हो गए थे लेकिन कैश वैन की बरामदगी, उस में लगे जीपीएस और गुप्त कैमरे से मनजिंदर का ट्रेस होना और मुखबिर की सक्रिय भूमिका से लूट का पूरा खुलासा हो गया और लूट की शतप्रतिशत रकम भी बरामद कर ली गई.
अंत में सीएमएस के प्रबंधक के बयान ने लूट की रकम को उलझा दिया. तीसरी बार अपने बयान में प्रबंधक प्रवीण ने कहा कि लूट की रकम 7 करोड़ नहीं, बल्कि 8 करोड़ 49 लाख थी, जिस में से 7 करोड़ 14 लाख की रकम बरामद कर ली गई है. जबकि अभी भी 1 करोड़ 37 लाख रुपए बरामद करना शेष है.
इस कहानी में एक लोचा तब आ गया था, जब क्रूज कार अरुण के घर के बाहर खड़ी थी. अरुण के साथी नीरज को इस घटना के बारे में पता चल चुका था और उस ने मुंह बंद रखने के लिए अपना हिस्सा मांगा तो अरुण ने कुछ भी देने से मना कर दिया. इस पर नीरज अपने साथियों प्रिंस, मनदीप उर्फ बब्बू और अभिसिंगला कार का शीशा तोड़ कर 70 लाख रुपए उस में से चुरा लिए. वे चारों भी चोरी के रकम के साथ पकड़े जा चुके हैं.
इस तरह से इस घटना में कुल 16 आरोपी पकड़े जा चुके हैं. जांच के दौरान पुलिस ने मोना के घर से उस की बिना नंबर वाली स्कूटी बरामद की थी. उस की डिक्की में बड़ी मात्रा में सीरिंज बरामद हुईं. पुलिस इस से अनुमान लगा रही है कि मोना ड्रग भी लेती होगी या किसी को देती होगी. इसे भी पुलिस ने अपनी जांच में शामिल कर लिया है.
खैर, घटना का खुलासा करने के बाद पुलिस ने सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित