कोरबा औद्योगिक नगर के न्यू बसस्टैंड से जब शिवम बस लेमरू स्यांग से पत्थल गांव की ओर चली तो वह खचाखच भरी हुई थी. पुरुष और महिलाओं के साथ कुछ लड़कियां भी सीट मिलने की आस में इधरउधर देख रही थीं. मगर ऐसा नहीं हो पा रहा था. बस जब थोड़ा आगे बढ़ी और धीरेधीरे व्यवस्थित होने लगी, तब एक 20 वर्षीय युवती नील कुसुम पन्ना ने देखा कि महिलाओं की सीट पर कुछ लडक़े बैठे हुए हैं. उस ने पास खड़ी एक वृद्ध उम्र की महिला से कहा, ‘‘आंटी देखिए, ये लोग क्या कर रहे हैं? आरक्षित महिला सीट पर बैठ गए हैं, इन्हें उठाइए…’’

महिला विवशता भरे स्वर में बोली, ‘‘अरे, ये लोग पहले से बैठे हुए हैं, क्यों उठेंगे भला.’’

इस पर नील कुसुम ने कहा, ‘‘आंटी, यह महिला आरक्षित सीट है. हमारी आप की सुविधा के लिए.’’

महिला बोली, ‘‘हम तो अकसर आतेजाते हैं जिस को जहां सीट मिलती है, बैठ जाता है और फिर उठता ही नहीं है. कोई हमारी सुनता ही कहां है.’’

इस पर नील कुसुम ने कहा, ‘‘आंटी, यह हमारा अधिकार है. इन्हें उठना होगा, आप बोलिए तो सही, नहीं बोलेंगे तो कैसे अधिकार मिलेगा.’’ इस पर महिला ने साहस कर महिला सीट पर कब्जा जमाए बैठे युवकों से कहा, ‘‘आप लोग उठिए, यह महिला सीट है. हम लोग बैठेंगी.’’ महिला सीट पर बैठे युवकों ने उस महिला की बात अनसुनी कर दी. जब महिला ने पुन: कहा तो एक युवक ने तल्ख स्वर में कहा, ‘‘देखिए, हम लोग बहुत दूर जाने वाले हैं और हमेशा ऐसा ही है यहां जो पहले आता है, वही बैठता है.’’

यह सुन कर नील कुसुम बिफर पड़ी, ‘‘जब यह महिलाओं के लिए आरक्षित है तो आप क्यों नहीं उठेंगे…’’ यह सुन कर के युवक ने गुस्से में कहा, ‘‘हम नहीं उठेंगे, जो करना हो कर लो.’’

युवकों के तेवर देख कर महिला ने मानो हथियार डालते हुए कहा, ‘‘छोड़ो, रहने दो.’

मगर कुसुम ने आगे आ कर के मोर्चा संभाल लिया. बस के ज्यादातर लोग मौन ही बैठे थे. शायद अंचल के लोग न तो कानून जानते हैं और न अपना अधिकार. ऐसे में बस में जिस को जहां सीट मिलती, बैठ जाता था और कोई कुछ बोलता भी नहीं था. मगर यह पहली दफा हुआ था, जब महिलाओं ने आरक्षित सीट पर बैठने की जिद की थी. मामला जब बिगडऩे लगा तो एक युवक सामने आया और आदेशात्मक स्वर में बोला, ‘‘आप लोग महिला सीट से उठिए, नहीं तो बस आगे नहीं जाएगी.’’ आखिरकार, महिला सीट पर बैठे हुए लोगों को उठना पड़ा.

नील कुसुम और शाहबाज का लव अफेयर…

यह था उस बस का 24 वर्षीय कंडक्टर शाहबाज. उस ने नील कुसुम और अन्य महिलाओं को महिला सीट पर बैठाने के बाद तेज आवाज में कहा, ‘‘देखिए, अभी तक जो हो गया, हो गया. आगे से महिला आरक्षित सीट पर सिर्फ महिलाएं ही बैठेंगी.’’

बस वनांचल की ओर धीरेधीरे आगे बढ़ रही थी और नील कुसुम की निगाह बरबस शाहबाज की ओर चली जाती थी और शाहबाज नील कुसुम को उचटती निगाह से बारंबार देखता रहा. लगभग 30 किलोमीटर चलने के बाद मदनपुर गांव में जब बस स्टाप आया तो नील कुसुम उतरने लगी, पीछेपीछे शाहबाज भी उतर गया और मधुर स्वर में बोला, ‘‘आप का नाम क्या है?’’

“नील कुसुम पन्ना,’’ बिना झिझके उस ने उत्तर दिया.

नाम सुन कर शाहबाज मानो उस की आंखों में डूब गया. इस पर नील कुसुम ने कहा, ‘‘थैंक्स, आप ने आज बड़ी मदद की.’’

शाहबाज ने कहा, ‘‘दरअसल, बात यह है कि लेडीज ही कुछ नहीं बोलतीं, इसलिए जेंट्स महिलाओं की सीट पर भी बैठ जाते हैं. अपने अधिकार के लिए महिलाओं को आगे आना होगा और जब आप ने मांग की तो आखिर उन्हें उठना ही पड़ा.’’ फिर पूछा, ‘‘क्या आप यहीं रहती हैं?’’

“नहीं, मैं यहां पढऩे आई हूं. यहीं क्रिश्चियन हौस्टल है, वहां रह कर पढ़ रही हूं. कुछ दिनों में घर चली जाती हूं.’’ इस पर शाहबाज ने कहा, ‘‘मोस्ट वेलकम.’’ और मुसकरा दिया. नील कुसुम भी मुसकराहट बिखेरती हुई चली गई.

कोरबा नगर छत्तीसगढ़ का एक औद्योगिक तीर्थ के रूप में एशिया भर में विख्यात है. यहां नवरत्न कंपनी नैशनल थर्मल पावर कारपोरेशन का विशाल विद्युत प्लांट है. इस के साथ ही यहां दुनिया भर में प्रसिद्ध भारत अल्युमिनियम कंपनी (वेदांता) है और कोयले की अनेक खदानें हैं. यहीं दक्षिणपूर्व कोयला प्रक्षेत्र की एक कालोनी पंप हाउस के क्वार्टर में कोलियारी कर्मचारी बुधराम पन्ना अपनी पत्नी फूलबाई, बेटी नील कुसुम और बेटा नीतीश के साथ रहते थे.

दूसरी तरफ नील कुसुम और शाहबाज की मुलाकातें अब अकसर होने लगी थीं. इस दरमियान शाहबाज ने नील कुसुम का मोबाइल नंबर भी ले लिया था और दोनों ही फोन पर रोजाना चैटिंग किया करते थे. यानी नील कुसुम को भी कंडक्टर से प्यार हो गया था. जवानी के प्यार में दोनों डूब चुके थे.

एक दिन शाहबाज ने नील कुसुम से कहा, ‘‘मैं बस कंडक्टर की नौकरी छोड़ कर के अहमदाबाद, गुजरात जा रहा हूं. वहां कुछ मेरे मित्र गए हुए हैं और अच्छा पैसा कमा रहे हैं. मैं भी चाहता हूं कि खूब सारे पैसे कमाऊं. क्या तुम मेरे साथ गुजरात चलोगी?’’ नील कुसुम भी शाहबाज को प्यार तो करती थी, मगर उस की बातें सुन कर वह हैरान होते हुए बोली, ‘‘अरे बाप रे, अहमदाबाद… वह तो बहुत दूर है.’’

मुसकरा कर के शाहबाज ने कहा, ‘‘वहीं तो जिंदगी है, स्वर्ग है, पैसे हैं.’’

“मगर मैं तो अभी पढऩा चाहती हूं, पढ़लिख कर मुझे कुछ बनना है.’’ नील कुसुम मासूमियत से बोली.

यह सुन कर हंसते हुए शाहबाज ने कहा, ‘‘तुम्हें रानी बना कर रखूंगा पैसे तो मैं कमाऊंगा.’’

“मगर, मेरा बचपन से एक सपना है कि मैं नर्स बनूं. मैं लोगों की सेवा करना चाहती हूं.’’

“नर्सवर्स में क्या रखा है, मैं कहां तुम्हें स्वर्ग ले जाने की बात कर रहा हूं और तुम यही गुरबत की जिंदगी जीना चाहती हो.’’

“मुझे थोड़ा समय दो, मुझे समझना पड़ेगा, क्योंकि मैं मांबाप को भी नहीं छोड़ सकती. मैं यहीं कोरबा में ही रहना चाहती हूं.’’

यह सुन कर के शाहबाज को निराशा हुई. मगर उस ने कहा, ‘‘चलो कोई बात नहीं, तुम सोचविचार कर फैसला लो.’’

अहमदाबाद से आया मर्डर करने…

क्रिसमस त्यौहार की चारों ओर धूम मची हुई थी. नील कुसुम का परिवार क्रिसमस की तैयारियों में डूबा हुआ था’ अभी एक दिन पहले ही वह अपने लिए नए कपड़े माल से खरीद कर लाई थी. 24 दिसंबर, 2022 सुबह का समय था. नील कुसुम के मोबाइल पर काल आई, उस ने देखा शाहबाज का नंबर था. काल रिसीव की तो उधर से हंसते हुए शाहबाज ने कहा, ‘‘मैं आ गया हूं तुम से बहुत जरूरी काम है.’’

“मेरे से भला तुम्हें क्या काम हो सकता है? तुम्हारे रास्ते तो अब अलग हो गए हैं न.’’

“अरे यार, तुम नाराज मत हो, मैं सिर्फ तुम से ही मिलने आया हूं. एक बार अंतिम बार मिल लो.’’ शाहबाज ने गिड़गिड़ाते हुए कहा.

इस पर नील कुसुम ने कहा, ‘‘मैं मदनपुर से कोरबा आई हुई हूं. पंप हाउस घर पर ही हूं बड़े दिन का त्यौहार मनाने के लिए .’’ थोड़ी ही देर में शाहबाज पंप हाउस के क्वार्टर पर आ पहुंचा. नील कुसुम घर पर अकेली थी. पिताजी और मां दोनों ही अपनेअपने काम पर गए हुए थे. भाई कहीं घूमने गया हुआ था. शाहबाज ने थोड़ी देर बाद इधरउधर की बातचीत की और कहा, ‘‘नील, मैं सिर्फ तुम्हारे लिए ही अहमदाबाद से फ्लाइट से सीधा तुम से मिलने आया हूं देखो… एयर टिकट.’’

यह सुन कर नील कुसुम ने एयर टिकट हाथ में ले मुसकराई फिर बोली, ‘‘लगता है अच्छा पैसा कमा रहे हैं. खैर, मैं तो तुम्हारा स्वागत कर रही हूं.’’

“तुम मेरे साथ अहमदाबाद चलो न.’’

“नहीं, मैं नहीं जा सकती.’’ नील कुसुम ने साफसाफ कहा.

“अच्छा, तो तुम राजेश के साथ आजकल मजे कर रही हो.’’

“मुझे तुम्हारी ये बातें अच्छी नहीं लगतीं. मैं क्या कर रही हूं, क्या करूंगी, इस के लिए तो मैं आजाद हूं न.’’

“मैं समझ गया, तुम क्या चाहती हो,’’ यह कह कर गुस्से से लाल शाहबाज ने उस के गाल पर 2-3 थप्पड़ जड़ दिए. इस पर नील कुसुम भडक़ गई और बोली, ‘‘तुम मेरे घर से तत्काल निकल जाओ.’’

इतना सुनना था कि शाहबाज गुस्से से लालपीला हो गया और उसे मारने लगा, फिर नीचे पटक कर तकिया सीधा उस के मुंह के ऊपर रख दिया. नील कुसुम छटपटाने लगी. उस की सांस रुकने लगी. मगर शाहबाज पर मानो उस पर भूत सवार हो गया था, थोड़ी ही देर बाद नील कुसुम की सांसें थम गईं और वह मर गई. गुस्से से बड़बड़ाता हुआ शाहबाज उठ खड़ा हुआ, ‘तुम्हें मार डालूंगा’ कह कर पास में रखा हुआ एक बड़ा पेचकस उठा लाया और उस के सीने पर वार करने लगा.

चारों तरफ खून फैल गया. उस के चेहरे पर भी खून के छींटे पड़े, जो उस ने पोंछ लिए. प्रेम प्रसंग में मर्डर कर वह घर के पिछवाड़े से चुपचाप बाहर भाग गया. दोपहर 12 बजे जब नितेश घर के भीतर पहुंचा तो बहन नील कुसुम की खून से लथपथ लाश देख कर उस की चीख निकल गई. वह रोता हुआ बाहर आया और आसपास के लोगों को बुलाया.

पुलिस ने की जांचपड़ताल…

पड़ोसियों ने घर के मंजर को देख कर तुरंत 112 नंबर पर फोन कर पुलिस को घटना की जानकारी दी. थोड़ी ही देर बाद सीएसईबी चौकी का पुलिस स्टाफ आ गया. चौकी इंचार्ज की सूचना पर थाना कोतवाली के एसएचओ रूपक शर्मा जैसे ही घटनास्थल पर पहुंचे तो थोड़ी ही देर में ही एसपी (सिटी) विश्वदीपक त्रिपाठी भी वहां आ गए.

पुलिस ने नील कुसुम की लाश का निरीक्षण किया. उस के चेहरे पर तकिया रखा हुआ था. पास ही खून से सना एक बड़ा पेचकस पड़ा हुआ था. उस के शरीर पर कई जगह उस से वार किया गया था. ऐसा पहली निगाह में ही जान पड़ता था. पुलिस द्वारा डौग स्क्वायड को बुला लिया गया. खोजी कुत्ता आसपास घूमने के बाद वापस आ गया.

पुलिस को नील कुसुम के मातापिता और भाई द्वारा जो जानकारी मिली, उस से पता चला कि सुबह पिता बुधराम पन्ना कोयला खदान में अपनी ड्यूटी पर चले गए थे. मां डीएवी स्कूल में साफसफाई का कार्य करती थी और उस दिन स्कूल में एनुअल फंक्शन था. भाई नितेश ने बताया कि वह मां को स्कूल छोडऩे गया था. उस के बाद पास ही के एक गांव दादर में अपने दादाजी से मिलने चला गया था. वहां से जब वह घर पहुंचा तो दीदी को मृत अवस्था में देखा.

पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला हौस्पिटल भिजवा दिया गया. घटनास्थल पर कुछ कपड़े, संदिग्ध वस्तुएं, अहमदाबाद से रायपुर का एयर टिकट और रायपुर से कोरबा तक का बस टिकट मिला. पूछताछ में यह स्पष्ट हो गया कि अहमदाबाद से शाहबाज कंडक्टर ने ही जान ली है. और वारदात को अंजाम देने के बाद गायब हो गया है. पुलिस ने जब आसपास के सीसीटीवी कैमरों की जांच की तो उस में शाहबाज दिखाई दे गया. घटना की गंभीरता को देखते हुए एसपी संतोष सिंह ने आरोपी को पकडऩे के लिए 4 पुलिस टीमें गठित कीं और निर्देश दिए कि जल्द से जल्द शाहबाज को हिरासत में लिया जाए.

एक टीम अहमदाबाद के लिए रवाना हो गई, दूसरी टीम शाहबाज के गांव के लिए निकटवर्ती जिला जशपुर के लिए रवाना हुई. पुलिस को यह जानकारी मिली थी कि शाहबाज अंबिकापुर की तरफ गया है. पुलिस की एक टीम सरगुजा की तरफ रवाना हुई. पुलिस शाहबाज को पकडऩे के लिए प्रयास करती रही. इस दिशा में जब पुलिस को यह जानकारी मिली कि शाहबाज अहमदाबाद पहुंच गया है तो टीम अहमदाबाद के लिए रवाना हो गई. जैसे पुलिस वहां पहुंची तो शाहबाज वहां से फरार हो गया. वह पुणे चला गया. वहां से नागपुर होते हुए जैसे ही छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव से रायपुर की ओर बस में जा रहा था तो उस के फोन की लोकेशन के जरिए बस रुकवा कर उसेराजनांदगांव, छत्तीसगढ़ में नील कुसुम मर्डर केस के आरोपी शाहबाज को हिरासत में ले लिया गया.

पूछताछ करने पर प्यार में पागल हुए प्रेमी शाहबाज ने पुलिस को बताया कि 3 साल पहले जब वह कोरबा से पत्थलगांव चलने वाली बस का कंडक्टर था. नील कुसुम से उस की जानपहचान चलने वाली धीरेधीरे प्रेम संबंध में बदल गई. दोनों प्रेम की पींगें भरने लगे. जब वह रुपए कमाने अहमदाबाद चला गया, तब तक भी नील कुसुम उस से बात करती थी. दोनों जीनेमरने की कसमें खाते थे. मगर अचानक कुछ समय पहले नील कुसुम ने बातें करनी कम कर दी.

उस ने पता किया तो जानकारी मिली, वह किसी और से प्यार करने लगी है. इस से वह परेशान हो गया था. इसीलिए नील कुसुम को प्रभावित करने के लिए कि अब अहमदाबाद में वह खूब पैसे कमाने लगा है, यह बताने के लिए जानबूझ कर के हवाईजहाज से रायपुर आया था और उसे टिकट दिखा कर के प्रभावित करना चाहता था. मगर जब बात नहीं बनी तो उस ने गुस्से में 24 दिसंबर, 2022 की सुबह लगभग 11 बजे पहले उस के साथ हाथापाई की फिर मुंह पर तकिया रख मार डाला.

कंडक्टर प्रेमी ने कुबूला जुर्म…

यही नहीं गुस्से में पागल हो कर घर में रखे पेचकस से उस पर अनगिनत वार किए. जब उसे महसूस हुआ कि नील कुसुम की मौत हो चुकी है तो वह पिछले दरवाजे से बाहर निकला और सीधा सीएसईबी चौक पहुंच कर वहां से कटघोरा के लिए बस में बैठ गया.

शाहबाज ने बताया कि वह क्राइम सीरियल देखा करता था, इसलिए उस ने पुलिस को चकमा देने के लिए कटघोरा से बस बदल ली. फिर दूसरी बस से अंबिकापुर की ओर निकल गया. अंबिकापुर में एटीएम से पैसे निकाले. आगे अहमदाबाद के लिए रवाना हो गया. वहां पहुंच कर जब उसे यह जानकारी मिली कि पुलिस अहमदाबाद पहुंचने वाली है तो वह वहां से पुणे, महाराष्ट्र भाग गया. वहां से भी गाड़ी बदल कर के वह एक बार फिर नागपुर के लिए निकल गया. वह भागतेभागते परेशान हो गया था. इसलिए एक बार छत्तीसगढ़ जाने का निश्चय किया और रायपुर की ओर जा रहा था.

एसपी संतोष सिंह ने पहली जनवरी 2023 को एक पत्रकार वात्र्ता में घटनाक्रम का खुलासा कर दिया. शाहबाज से पूछताछ के बाद पुलिस को पता चला कि उस का ममेरा भाई तबरेज खान मोबाइल पर शाहबाज को पलपल की जानकारी देता रहता था. इसलिए साक्ष्य छिपाने और मदद करने के इल्जाम में पुलिस ने तबरेज को भी हिरासत में लिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नील कुसुम के शरीर पर पेचकस से गोदने के 51 घाव पाए गए थे.

सीएसईबी चौकी पुलिस ने भादंवि की धारा 302, 120बी के तहत रिपोर्ट दर्ज कर के 28 वर्षीय शाहबाज साकिन ग्राम रुपसेरा (भडिया) जिला जशपुर और तबरेज खान उर्फ छोटू (21 साल) साकिन लरंगा, जिला जशपुर, छत्तीसगढ़ को गिरफ्तार कर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी कोरबा के समक्ष पेश किया, जहां से दोनों को कोरबा जिला जेल दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित है

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