उत्तर प्रदेश के जिला मऊ के मोहल्ला मुंशीपुरा की रहने वाली रोमा बच्ची थी, तभी उस के पिता की मौत हो गई थी. बाप की मौत के बाद मां अकेली ही उसे पालपोस  रही थी. दूसरों के घर मेहनतमजदूरी कर के मां किसी तरह घरखर्च चला रही थी. रोमा भी कभीकभार मां के साथ मदद के लिए चली जाती थी. ज्यादातर वह मोहल्ले की लड़कियों के साथ घूमती रहती थी. उस की सब से ज्यादा निशा से पटती थी. निशा उम्र में उस से थोड़ी बड़ी जरूर थी, लेकिन रहती थी सहेली की तरह.

निशा अकसर अपने रिश्तेदारों, अजय और प्रकाश के साथ वाराणसी घूमने जाती रहती थी. वहां से लौट कर वह अपनी सहेली रोमा को देखी गई फिल्म की कहानी के साथसाथ शहर का आंखों देखा हाल सुनाती. मऊ जैसे छोटे से शहर में रहने वाली रोमा के लिए वाराणसी मुंबईदिल्ली से कम नहीं लगता था. उस का भी मन वाराणसी जा कर घूमनेफिरने और फिल्म देखने का होता, लेकिन उसे मौका ही नहीं मिलता था.

उन दिनों रोमा उम्र के जिस दौर में थी, उस उम्र की लड़कियों को फुसलाना आसान होता है. निशा के रिश्तेदारों अजय और प्रकाश ने रोमा को देखा तो उस पर उन की नीयत खराब हो गई. उन्होंने निशा से उसे वाराणसी ले चलने को कहा.

रोमा तो पहले से ही वाराणसी जाने को लालायित थी. निशा ने जैसे ही उस से वाराणसी चलने को कहा, वह तैयार हो गई. लेकिन वाराणसी कोई गांव की बाजार तो थी नहीं कि अभी गए और घूम कर लौट आए. वहां तो सुबह का गया, रात को ही लौट सकता था. ऐसे में मां किसी गैर के साथ घूमने के लिए जवान हो रही बेटी को कैसे जाने देती. तब अजय, प्रकाश और निशा ने उसे सलाह दी कि वह मां को बताए बगैर ही वाराणसी चले. शाम तक तो वे लौट ही आएंगे. मां को पता ही नहीं चलेगा कि वह कहां गई थी.

रोमा को सहेली पर पूरा विश्वास था, इसलिए वह उस के कहने पर उन के साथ घूमनेफिरने और फिल्म देखने वाराणसी चली गई. शाम को लौटने का समय हुआ तो सभी उसे एक कमरे पर ले गए. रोमा को लगा कि यहां उस के साथ कुछ गलत हो सकता है, इसलिए वह उन लोगों से चलने को कहने लगी. लेकिन वे वहां उसे चलने के लिए थोड़े ही ले गए थे.

अजय और प्रकाश ने निशा को दूसरे कमरे में भेज दिया और रोमा के साथ जबरदस्ती करने लगे. अजय रोमा के साथ दुष्कर्म कर रहा था तो प्रकाश मोबाइल फोन से उस की वीडियो क्लिप बना रहा था. जब प्रकाश उस के साथ दुष्कर्म करने लगा तो अजय ने वीडियो क्लिप बनाई. यही क्रम पूरी रात चलता रहा.

रोमा के लिए वह रात किसी नरक से कम नहीं थी. वह दोनों से रहम की भीख मांगती रही, लेकिन उन्होंने उस पर रहम नहीं किया. यह सिलसिला लगभग पूरे सप्ताह चलता रहा. रोमा पहले तो रोतीगिड़गिड़ाती रही, लेकिन बाद में विरोध पर उतर आई. उस ने धमकी दी कि छूटते ही वह सारी बात मां को बताएगी.

रोमा की इस धमकी से अजय और प्रकाश डर गए. उन्हें लगा कि रोमा ने घर जा कर सारी बात मां को बता दी तो मामला निश्चित रूप से पुलिस तक पहुंचेगा. क्योंकि अब तक रोमा की मां उमा कोतवाली में रोमा की गुमशुदगी दर्ज करा चुकी थी. ऐसे में रोमा के घर पहुंचते ही पुलिस उस से पूछताछ करने पहुंच जाएगी और रोमा जैसे ही उन का नाम लेगी, उस के बाद उन की पूरी जिंदगी जेल में ही बीतेगी. क्योंकि रोमा अभी नबालिग थी. यही वजह थी कि उन्होंने सोचा कि अब रोमा को छोड़ना ठीक नहीं है.

एक सप्ताह तक रोमा के साथ जबरदस्ती करने के बाद अजय और प्रकाश ने उसे छोड़ना उचित नहीं समझा. लेकिन वे उसे बांध कर भी नहीं रख सकते थे. इसलिए किसी तरह उस से छुटकारा पाना भी जरूरी था. दोनों को इस बात का डर सता रहा था कि आजाद होते हुए रोमा सब को सच्चाई बता देगी. उस के बाद उन का क्या होगा, यह उन्हें पता ही था.

काफी सोचविचार कर आखिर प्रकाश ने रोमा से छुटकारा पाने का रास्ता निकाल ही लिया. उस की जानपहचान वाराणसी की शिवदासपुर वेश्या बाजार की रहने वाली अफजल बेगम से थी. अफजल बेगम देहधंधे के लिए लड़कियों की खरीदफरोख्त करती रहती थी. प्रकाश ने उस के यहां जा कर जब उस से बताया कि वह उस के लिए एक लड़की लाया है तो अफजल बेगम ने बिना किसी लागलपेट के पहला सवाल किया, ‘‘लड़की की उम्र क्या है?’’

‘‘13-14 साल.’’ प्रकाश ने सोचा था कि कमउम्र सुन कर बेगम खुश होगी.

‘‘अरे अभी तो वह नाबालिग है. तुम्हें पता नहीं, नाबालिग लड़कियों को खरीदना बहुत खतरनाक हो गया है. ऐसी लड़कियों के लिए पुलिस बहुत ज्यादा पैसे मांगती है और परेशान भी करती है. पकड़े जाने पर जल्दी जमानत भी नहीं होती.’’ अफजल बेगम ने कहा.

‘‘आप भी क्या बात करती हैं अफजल बेगम. 2-4 दिन आप के यहां रहेगी, अपने आप बालिग दिखने लगेगी. वैसे काफी हद तक हम ने उसे बालिग बना दिया है. बाकी आप के आदमी बना देंगे.’’ प्रकाश ने एक आंख दबा कर बेगम को समझाया.

‘‘साल छह महीने की बात होती, तब तो चल जाता. अभी लड़की को बालिग होने में 3-4 साल लगेंगे.’’ अफजल बेगम ने कहा.

दरअसल बेगम पुरानी खिलाड़ी थी. ऐसे लोगों को कैसे बेवकूफ बनाया जाता है, यह उसे अच्छी तरह पता था .वह यह भी जानती थी कि ये नए लोग हैं. इन्हें क्या पता कि यहां क्या और कैसे होता है. इसलिए उन्हें बेवकूफ बनाते हुए उस ने कहा, ‘‘तुम तो पैसे ले कर चलते बनोगे. उस के बाद संभालना मुझे पड़ेगा. ऐसी लड़कियों को संभालना आसान नहीं होता. क्योंकि ये भागने की बहुत कोशिश करती है.’’

‘‘बेगम, तुम्हें इस की चिंता करने की जरूरत नहीं है. यह भागने की कोशिश बिलकुल नहीं करेगी, क्योंकि हम ने इस की वीडियो क्लिप बना ली है.’’ प्रकाश ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘कहो तो दिखाएं?’’

‘‘भई, तुम तो बड़े छिपे रुस्तम निकले. चलो, अब तुम इतना कह रहे हो तो हम इसे रख ही लेते हैं. लेकिन अगर कोई परेशानी हुई तो झेलना तुम्हें ही होगा. हम तुम्हारा नामपता ले लेंगे. इस के लिए मैं तुम्हें 30 हजार रुपए दूंगी.’’ अफजल बेगम ने कहा.

‘‘कहा न, तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है. तुम इसे निश्चिंत हो कर रखो. प्रकाश ने कहा. क्योंकि वह भी सोच रहा था कि किसी तरह इस बला से पिंड छूटे. इस से जो पैसे मिल रहे हैं, वे पुलिस से बचने में मदद करेंगे.

प्रकाश और अजय ने अफजल बेगम से पैसे ले कर रोमा को उस के हवाले कर दिया. इस के बाद रोमा के साथ शुरू हुई दरिंदगी. पहले तो उसे लाइन पर लाने के लिए अफजल बेगम के आदमियों ने उस के साथ दुष्कर्म किया. मजबूर हो कर रोमा ने धंधे के लिए हां कर दी. इस के बाद मासूम के नाम पर उस से मोटी कमाई की जाने लगी.

अफजल बेगम लड़कियों से केवल देहधंधा ही नहीं कराती थी, बल्कि अश्लील फिल्में बनवा कर बाजार में सप्लाई करती थी. इस तरह वह दोहरा लाभ कमा रही थी. जिन लड़कियों की अश्लील फिल्में बाजार में पहुंच जाती थीं, वे भागने का साहस नहीं कर पाती थीं.

कमउम्र की लड़कियों को जल्दी जवान करने के लिए हारमोंस के इंजेक्शन दिए जाते थे. अजय और प्रकाश ने मोबाइल फोन से रोमा की वीडियो क्लिप बनाई थी, जबकि अफजल बेगम के यहां वीडियो कैमरे का उपयोग होता था. अफजल बेगम अपने यहां आने वाले ग्राहकों को भी ब्लू फिल्में दिखाती थी, जिस के लिए वह अलग से पैसे लेती थी.

रोमा नरक से भी बदतर जिंदगी जी रही थी. हर रात कईकई लोग उसे रौंदते थे. अगर कभी वह धंधे से मना कर देती तो उस की बुरी तरह पिटाई होती. तरहतरह की शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी जातीं. यह सब सिर्फ रोमा के साथ ही नहीं हो रहा था, बल्कि उस जैसी 3 लड़कियां और भी थीं. शायद उन्हें भी रोमा की ही तरह खरीदा गया था.

वहां रहने वाली लड़कियों की बातों से रोमा को पता चल गया था कि यहां से निकलना आसान नहीं है. रोमा को पता चला कि यहां बनने वाली अश्लील फिल्मों की सीडियां बाहर भेजी जाती हैं. कई बार तो ग्राहक अश्लील फिल्मों की सीडी साथ ले कर आते थे और उन में जिस तरह लड़कियां काम करती थीं, उसी तरह से उसे भी करने को कहते थे. कमउम्र होने की वजह से रोमा की मांग सब से अधिक थी, क्योंकि ग्राहक उसे डराधमका कर जैसा चाहते थे, वैसा करा सकते थे.

रोमा को अफजल बेगम के यहां आए धीरेधीरे 2 साल हो गए. इस तरह वह समय से पहले ही जवान हो गई. यहां वह सब से कम उम्र की थी. कई बार अफजल बेगम ग्राहकों से कह भी देती थी कि यह पहली बार ऐसा करने जा रही है. तकलीफ से रोमा रोने लगती तो ग्राहक को बेगम की बात सही लगती. ग्राहक नशे में होता था, इसलिए उसे सच्चाई का पता नहीं चलता था.

रोमा के लिए उस समय मुसीबत खड़ी हो गई, जब पता चला कि वह गर्भवती है. इस बात की जानकारी अफजल बेगम को हुई तो उस ने रोमा को गर्भ गिराने की दवा दी. लेकिन रोमा का गर्भ नहीं गिरा. तब अफजल को लगा कि अस्पताल ले जा कर ही इस का बच्चा गिरवाना पड़ेगा, क्योंकि वह इतने दिन इंतजार नहीं कर सकती थी.

लेकिन रोमा को बाहर ले जाना खतरे से खाली नहीं था. इसलिए अफजल बेगम ने रोमा को समझाते हुए कहा, ‘‘रोमा, तुम किसी भी तरह बच्चा गिरवा दो, क्योंकि अगर यह बच्चा पैदा हुआ तो न तुम्हारे लिए ठीक रहेगा, न बच्चे के लिए. लड़का हुआ तो दलाल बनेगा और लड़की हुई तो तुम्हारी तरह लोगों का बिस्तर गरम करेगी.’’

रोमा के गर्भवती होने से अफजल बेगम का नुकसान हो रहा था, क्योंकि ग्राहक अब उस के पास जाना नहीं चाहते थे. इसलिए अब वह अफजल बेगम को बोझ लगने लगी थी. दूसरी ओर कहीं से रोमा की मां को पता चल गया था कि रोमा वाराणसी की वेश्याबाजार में है. यह जानकारी मिलते ही वह वाराणसी आ गई और थाने जा कर बेटी की मुक्ति की गुहार लगाई. लेकिन पुलिस उस की क्यों सुनती, क्योंकि उसे भी वेश्या बाजार से पैसा मिलता था, इसलिए पुलिस ने उसे समझाबुझा कर वापस भेज दिया.

रोमा की मां ने देखा कि पुलिस कुछ नहीं कर रही है तो वह स्वयंसेवी संगठन गुडि़या संस्था जा पहुंची. गुडि़या संस्था वाराणसी में वेश्या उन्मूलन और उन की जिंदगी को बेहतर बनाने की दिशा में काम करता है. वाराणसी के मड़ुवाडीह में वेश्याओं के बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल भी चलाता है.

यह संस्था अजीत सिंह चलाते हैं, जिन्होंने कई बार इलाहाबाद, मेरठ और वाराणसी में छापा मरवा कर तमाम नाबालिग बच्चियों को देहधंधे से मुक्त कराया है. इस नेक काम के लिए उन्हें देशविदेश में कई सम्मान भी मिल चुके हैं. रोमा की मां गुडि़या संस्था के संचालक अजीत सिंह से मिली और अपनी परेशानी बताई.

दूसरी ओर रोमा की मां के वाराणसी आने की खबर अफजल बेगम को मिल चुकी थी. उसे लगा कि अगर रोमा उस के अड्डे से पकड़ी गई तो वह मुश्किल में फंस जाएगी. इसलिए वह चाहती थी कि रोमा भाग जाए. उस ने अपने अड्डे की पुष्पा को सिखापढ़ा कर रोमा को बाजार ले जाने को कहा. उस ने उस से कह दिया था कि वह उसे भाग जाने का मौका दे देगी. आखिर रोमा भाग निकली.

रोमा सीधे वाराणसी रेलवे स्टेशन पहुंची और पैसेंजर टे्रन पकड़ कर मऊ आ गई. स्टेशन से वह घर आई और मां के सामने फूटफूट कर रोने लगी. रोमा ने पूरी बात मां को बताई तो वह बेटी को ले कर मऊ कोतवाली जा पहुंची. रोमा ने पूरी कहानी पुलिस को बताई तो कोतवाली पुलिस ने उसे वाराणसी जाने को कहा, क्योंकि कोतवाली पुलिस मुकदमा दर्ज कर के सिरदर्द नहीं लेना चाहती थी.

रोमा की मां बेटी को ले कर गुडि़या संस्था के संचालक अजीत सिंह से मिली. वह मांबेटी को ले कर थाने गए और रोमा के मामले की रिपोर्ट लिखानी चाही, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया.

जब थाना पुलिस में सुनवाई नहीं हुई तो गुडि़या संस्था ने मामले की जानकारी पुलिस अधिकारियों, मानवाधिकार आयोग तथा अन्य संस्थाओं को दी. जब दबाव बनाया गया, तब पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया और धारा 164 के तहत रोमा का बयान दर्ज कराया.

इस के बाद आरोपी रोमा की मां को डराधमका कर मुकदमा वापस लेने के लिए दबाव बनाने लगे. मारनेपीटने की धमकी दी जाने लगी. मांबेटी ने पुलिस से इस की शिकायत की, लेकिन पुलिस ने कोई मदद नहीं की. इस बीच रोमा की मां ने गर्भपात करा कर अपने दूर के रिश्तेदार की मदद से देवरिया में रोमा की शादी तय कर दी.

रोमा की शादी सुरेश प्रसाद से हो गई. ससुराल में पति के अलावा सास मालती देवी थी. पति मुंबई में रहता था. इसलिए ससुराल में सिर्फ सासबहू ही रहती थीं. रोमा ने पति को अपनी पूरी कहानी बता दी थी. सुरेश ने उसे दिल से अपनाया था. यह बात अलग थी कि रोमा की सास उस से खुश नहीं थी. शादी के कुछ दिनों बाद सुरेश मुंबई चला गया तो एक दिन अफजल बेगम अपने कुछ साथियों को ले कर रोमा की ससुराल जा पहुंची. उस समय रोमा और उस की सास घर पर ही थीं.

अफजल बेगम ने रोमा के साथ मारपीट कर के धमकी दी कि अगर उस ने अदालत में उस के खिलाफ बयान दिया तो उस की मां को जान से मार दिया जाएगा. इस के बाद अफजल बेगम मालती देवी को 30 हजार दे कर रोमा को अपने साथ वाराणसी ले आई. इस बात की जानकारी गुडिया संस्था और शिवदासपुर पुलिस को हुई तो 9 जुलाई को गुडिया संस्था ने पुलिस के साथ अफजल बेगम के अड्डे पर छापा मार कर रोमा को एक बार फिर मुक्त कराया.

अफजल बेगम भागने में सफल रही. थाना शिवदासपुर पुलिस ने अफजल बेगम को गिरफ्तार करने के लिए मुखबिरों को सतर्क कर दिया. परिणामस्वरूप 23 नवंबर को अफजल बेगम पुलिस के हाथ लग गई. उसे अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया गया. जिला अदालत से ही नहीं, गुडि़या संस्था के प्रयास से अफजल बेगम की जमानत हाईकोर्ट से भी 2 बार खारिज हो चुकी है.

अफजल बेगम के आदमी रोमा पर अपना मुकदमा वापस लेने के लिए दबाव डाल रहे थे. उसे और उस की मां को जान से मारने की धमकियां दी जा रही थीं. रोमा ने मुकदमा वापस लेने से मना किया तो एक बार फिर उस का अपहरण कर लिया गया. उसे डराने के लिए उस के साथ एक बार फिर सामूहिक दुष्कर्म किया गया. गुडि़या संस्था की कोशिश से पुलिस ने रोमा को अफजल बेगम के आदमियों के चंगुल से मुक्त कराया.

इतनी कोशिश के बाद भी पुलिस विवेचना आगे नहीं बढ़ी तो रोमा की मां ने अदालत में धारा 156(3) के तहत प्रार्थना पत्र दिया, जिस के बाद मुकदमा कायम हुआ. रोमा का बयान भी अदालत में दर्ज हुआ है. अब रोमा ने इस लड़ाई को लड़ने के लिए कमर कस ली है. वह अफजल बेगम, अजय और प्रकाश तथा अन्य लोगों को सजा दिलाना चाहती है.

अदालत में मुकदमे की स्थिति मजबूत होने की वजह से अब विरोधियों का दबाव कम हो गया है. रोमा अब अपनी ससुराल में रह रही है. गुडि़या संस्थान ने उसे सिलाई मशीन दिलाई है, जिस से कपड़ों की सिलाई कर के वह अपनी आजीविका चला रही है. रोमा अब ज्यादातर अपनी मां के पास मऊ में रहती है.

अपनी बीती जिंदगी के बारे में उस का कहना है, ‘‘उस समय तो लग ही नहीं रहा था कि मैं दोबारा अपनी जिंदगी शुरू कर पाऊंगी, लेकिन ससुराल वाले ऐसे मिले, जिन्होनें सब कुछ जान कर भी मुझे अपना लिया. अब मैं अपनी लड़ाई खुद लड़ रही हूं. मैं अफजल बेगम को सजा दिलवा कर रहूंगी. लड़कियों का मानना है कि वेश्या बाजार से बाहर आने के बाद कोई उन्हें अपनाएगा नहीं, इसलिए वे वहीं रह जाती हैं. मैं उन के लिए प्रेरणा बनना चाहती हूं कि वेश्या बाजार से आ कर देखो मैं ने घर बसा लिया है.’’

स्वयंसेवी संस्था ‘गुडि़या’ के संचालक अजीत सिंह का कहना है, ‘‘पिछले 20 सालों से अभियान चला कर हम ने तमाम नाबालिग लड़कियों को उस गंदी जगह से मुक्त कराया है. लेकिन बहुत कम परिवार हैं, जिन्होंने अपनी लड़कियों को अपनाया है. ऐसी लड़कियों को हम अपनी ओर से सहारा दे कर अपने पैरों पर खड़ी होने के लिए प्रेरित करते हैं.

हम उन लड़कियों के मुकदमे भी लड़ रहे हैं, जो अपनी लड़ाई ठीक से नहीं लड़ पातीं. क्योंकि ऐसे में ही आरोपी छूट जाते हैं और उन्हें कानून का भय नहीं रहता है. पुलिस भी ऐसे मामलों में मदद नहीं करती, क्योंकि उसे ऐसे लोगों से पैसा मिलता है. नाबालिग लड़कियों को फुसला कर वेश्याबाजार में बेचने का एक संगठित उद्योग बन चुका है. ये गरीब और दलित लड़कियों को अपना निशाना बनाते हैं. इन की कोई सुनने वाला भी नहीं होता, जिस से इन की लड़कियां सदासदा के लिए वेश्याबाजार की हो कर रह जाती हैं.’’

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